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हमारे प्यार की चिट्ठी , तुम्हारे बाप ने खोली हमारा चिर नहीं बिता , अगर उदूू उििे आती

चििायत में ज़रूरी है रवादारी , िमझता है वो रोज़ा तो नहीं रखता आफ्तरी ,िमझता है

मय िे मीणा िे ना िाकी िे न पैमाने िे ददल बहलता है मेरा आपके आ जाने िे

पहले भी ये हथेली छोटी थी अब भी हथेली छोटी है पहले इििे िक्कर चगरती थी अब दवा चगर जाती है हमपे दुखों का पहर टू टा , तब हमने दो िार चलखे उिपे क्या बीती होगी , चजिने ग़ज़ल हज़ार चलखे क्या ज़रूरी है करें चवषपान हम चिव की तरह चिर्ू जमून खा चलए और होंट नीले हो गए िब प्यािे हैं , िबका अपना जररया है , बदिया है हर कु ल्लल्लहर में , छोटा मोटा दररया है , बदिया है अंधी गूंगी बहरी चियाित , रस्िी पर िलती है कई मदारी हैं , और एक बंदररया है , बदिया है इमानो का िौदा इन दुकानों में होता है , िंिद क्या है भैया एक बज़ररय है , बदिया है

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