Académique Documents
Professionnel Documents
Culture Documents
com ) क तुत :
मानी उप यास
वसतसेना
यशवत कोठार
यह उपयास
श
ू क के स संकृत नाटक ”म
ृ छकटकूम“् ने मझ
ु े हमेशा से ह आक!ष#त %कया है । इस
नाटक के पा), घटनाएं और प.रिथ1तयां हमेशा से ह ऐसी लगी है %क मानो ये सब आज क8
घटनाएं हो। राजनी1तक प.रिथ1तयां 1नध#न नायक, धनवान ना1यका, राजा, ;ां1त, कुलवधू,
नगरवधू और स<पण
ू # कथानक पढ़ने म? मनोहार, आकष#क तो है ह, आनंद के साथ !वचार Bब द ु
भी दे ता है । इसी कारण संकृत नाटकD म? इसका एक !वशेष महEव है ।
उप यास या कहानी पर आधा.रत नाटकD के उदाहरण काफ8 मल जाय?गे, मगर ऐसे उदाहरण
साहEय म? कम ह है , जब %कसी नाटक को उप यास म? ढाला गया हो। मSने यह यास %कया है ।
और कुछ अनावIयक संगD तथा वत#मान वपD म? अशोभनीय शTदD को छोड़ दया है , ले%कन
कUय व शMप का 1नवा#ह करने का पूरा यास %कया है ।
वस त सेना समाज के उस वग# का 1त1नVधEव करती है िजसके पास सब कुछ होकर भी कुछ
नहं हे । चादEत क8 1नध#नता म? वस त सेना के स<पूण# ऐIवय# को समा लेने क8 उHाम भावना
ने ह मुझे आक!ष#त %कया है ।
तमाम कमयD के बावजूद यद यह रचना पाठकD को आक!ष#त कर सक8 , उनका थोड़ा बहुत भी
मनोरं जन कर सक8 तो म? अपना Nम साथ#क समझूंगा।
रामनवमी,
जयपुर।
*********
यशव त कोठार
फोनः-0141-2670596
-----
वसत सेना
यशवंत कोठार
ाचीन समय म? भारत म? उYज1यनी नामक एक अEयंत ाचीन वैभवशाल नगर था। नगर म?
हर कार क8 सख
ु सम!ृ थी। नगर Oयापार, संगीत, कला तथा साहEय का एक बड़ा के था।
XाZमण, वैIय, श
ू सभी मलकर रहते थे। मगर अEयVधक सम!ृ के कारण इस नगर के समाज
म? नाना कार क8 बरु ाइयाँ Oया\त हो गई थी। राजशि]त का भEु व धन बल के कारण ^ीण हो
गया था। जन र^ण क8 Oयवथा अछ_ नहं थी। यदा कदा राYय ;ां1त के चलते राजा बदल
दये जाते थे। जआ
ु ं, चोर , चकार , ल<पटता , बदमाशी का बोल बाला था, राजसEता के चाटुकार,
.रIतेदार मनमानी करते थे। बौ धम# का भाव तो था, मगर राजा क8 और से आNय नहं था।
बौ !वहारD म? नाकारा लोग भर गये थे।
सम!ृ इस नगर म? िजस तरफ से वेश करती, अपने साथ जुआ, शराब, व वेIयागमन आद क8
बुराइयD को भी साथ लाती। आVथ#क उदारता ने लोगD के च.र) को डस लया था।
इसी सम
ृ , वैभवशाल उYज1यनी नगर म? एक भOय राज माग# पर अ धकार म? bयात गcणका
वस त सेना भागी चल जा रह है । चारD तरफ 1न!वड़ अ धकार। राB) का d!वतीय हर।
मगर वस त सेना का अंग अंग कांप रहा था, वह बेहद डर हुई थी, वह जानती थी %क राजा के
साले के चंगुल म? एक बार फंस जाने के बाद बच 1नकलना असंभव है । शकार अपने अनुचरD के
साथ VचMलाता हुआ चल रहा था।
वश त शेना। वश त शेना।
पMलवक, पMलवक।
मा1घ!वके, मा1घ!वके॥
मद1नके, मद1नके॥।
हाय। अब मेरा ]या होगा। मेरे अपने कहां चले गये हाय अब मS ]या कं। मुझे अपनी र^ा खद
ु
ह करनी पड़?गी। वस त सेना ने वयं से कहा।
आय#। मझ
ु े ^मा कर? । मS अभाVगन अनाथ हूं।
वस त सेना - आय# आपको मेरा कौनसा जेवर चाहए। मS अपने सभी आभूषण आपको सहष# दे ने
को तैयार हूं।
शकार - मुझे आभूषूण नहं चाहए दे वी। तुम मुझे Iवीकार करो।
मुझे अंVगकार करD। मुझे \यार करो। मुझे तु<हारा शमप#ण चाहए।
बश शमपण
ू ।#
- त<
ु ह? शम# आनी चाहए। मS ऐसे शTद भी सन
ु ना पस द नहं करती।
वस त सेना - \यार तो गण
ु D से होता है ।
शकार - अब शमझा। तुम उस 1नg◌ान# XाZमण चादEत पर ]यD मरती हो, जो गरब, अशहाय है ।
और मुझे डराती है । और अब शुन बाइंर ् तरफ ह तेरे ेमी चादEत का घर है ।
वस त सेना को यह जानकर आिEमक संतोष होता है %क वह अपने !य आय# चादEत के घर
के आस पास है । वह सोचती है %क अब उसका मलना अवIय हो पायगा। अब उसे कौन रोक
सकता है । वह अ धेरे का लाभ उठाकर आय# चादEत के भवन म? वेश कर जाती है । शकार
और उसके साथी अ धकार म? भटकते रहते हS।
-- -- --
आय# चादEत एक अEयंत गरब मगर स<मा1नत XZमण है । वे दनD- गरबD के कMपव^
ृ है ।
द.रD क8 लगातार सहायता करने से वे वयं गरब हो गये है । चादEत के !पतामह एक धनाiय
Oयि]त थे। उनका ल<बा चौड़ा Oयापार - Oयवसाय था, मगर काल के वाह म? लWमी और सम!ृ
उनसे ठ गई थी, मगर चादEत का मजाज रईसाना था। उनक8 पEनी धत
ू ा अEयंत शालन
तथा प1तKता )ी थी। चादEत का एक पु) रोहसेन था। जो छोटा बालक था। िजस समय कला
वीण उHा त च.र) तथा मुjधाना1यका वस त सेना ने आय# चादEत के आवास म? वेश %कया,
उसी समय चादEत का सेवक मै)य
े मातद
ृ े !वयD पर बल चढ़ाने हतु से!वका रद1नका के साथ
बाहर 1नकल रहा था। वस त सेना के आगमन से हवा के तेज झDके से दपक बुझ गया। इस
व]त आय# चादEत ने वस त सेना को रद1नका समझ लया। मै)य
े ने दपक जलाने का यास
छोड़ दया ]यो%क घर म? तेल नहं था। इसी समय शकार व !वट भी चादEत के घर म? वस त
सेना को ढूंढ़ते हुए वेश कर जाते हS। मै)य
े को यह सब सहन नहं होता है। वो कहता है ---
कैसा अ धेर है । आज हमारे वामी 1नध#न है तो हर कोई उनके घर म? घुसा चला आ रहा है ।
शकार व !वट रद1नका को अपमा1नत करते हS। आप रद1नका का अपमान ]यD कर रहे है । मS
इसे सहन नहं कंगा। मै)य
े ने ;ोध से कहा।
मै)य
े गुसे म? लाठ_ उठा लेता है । शकार का सेवक !वट अपने कृEय क8 ^मा मांगता है । मै)य
े
को महसूस होता है । %क असल अपराधी तो राजा का साला शकार है , िजसका नाम संथानक है ।
वह !वट को कहता हS।
तम
ु लDगD ने यह अछा नहं %कया है । मेरे वामी आय# चादEत गरब अवIय है , मगर इस परू े
नगर म? अEयंत स<मा1नत नाग.रक है । उनका नाम सव#) आदर से लया जाता है । आप लDगD ने
आय# चादEत के सेवकD पर हाथ उठाया है । दासी रद1नका के अपहरण का यास %कया है ।
!वट - हम? ^मा कर? । आय# चादEत को इस घटना क8 जानकार नहं होने द? ।
मै)य
े समझा बुझा कर शकार व !वट को वापस भेज दे ता है ।
-- -- --
मै)य
े भवन के अ दर जाता हS । वो रद1नका को पन
ु ः समझाता है %क आय# वयं दख
ु ी हे , उ ह?
इस घटना क8 जानकार दे कर और Yयादा दख
ु ी मत करना । रद1नका मान जाती है । इसी समय
चादEत अ धेरे मे वस त सेना को रद1नका समझ कर कहते हS।
चमेल के फूलD क8 खश
ु बू वाला आय# का दश
ु ाला।
वाह․․․․․․․․। बहुत स
ु दर․․․․․․․। अभी आय# का दल और शरर जवान है ।
चादEत पुनः रोहसेन को अ दर ले जाने के लए कहते हS। मगर वस त सेना कुछ जवाब नहं
दे ती है । मन ह मन सोचती है । - आय# मुझे आपके गह
ृ वेश का अVधकार नहं है । मS ]या कं
?
- नहं नाथ मै◌ै तो प!व) हो गई। मेर जनम जनम क8 साध पूर हुई। वस तसेना ने वयं से
कहा।
मै)य
े - ऐसा नहं है आय#। आपने कोई पाप नहं %कया। ये तो गcणका वस तसेना है , जो
कामदे वायतन बाग महोEसव के समय से ह आप पर मोहत है । आप का कोई दोष नहं है । यह
तो वयं आपको चाहती है ।
चादEत - अरे तो ये वस तसेना हS मS 1नध#न, गरब, द.र, XाZमण। मS कैसे अपने \यार को
कट कं। मS मजबूर हूं वस तसेना मS मजबूर हूं। मुझे ^मा कर? । मेरा आवास भी तु<हारे लायक
नहं है ।
आय# चादEत यह कह कर वस त सेना को थम बार भर पूर 1नगाहD से दे खते हS। अ1तम
सौ दय#, धवल रं ग, सद
ु श#न दे ह यिkट , चपल ने), मदमत चाल, गजगामनी और मjु धाना1यका क8
तरह का Oयवहार चादEत अपनी सध
ु बध
ु खो बैठते हS। मगर तरु त संभलते हS। मै)य
े उ हे
सVू चत करता है %क राजा पालक का साला संथानक आया था तथा वस त सेना को ले जाना
चाहता है यद ऐसा नहं %कया गया तो वह हमेशा के लए हमारा श)ु हो जायगा। राजा के साले
के साथ श)त
ु ा हम? महं गी पड़ेगी।
आप एक दसू रे से ^मा मांगते रहे , मS तो आप दोनD को णाम करता हूं । मेरे णाम से आप
दोनD स न होने क8 कृपा कर? ।
मै)य
े - आभष
ू ण ले कर कहता है - जो चीज हमारे पास आ गई वो हमार है ।
चादEत दख
ु ी मन से मै)य
े को वस त सेना को छोड़ आने को कहता है, मगर मै)य
े अवसर के
महEव को समझ कर वयं जाने से मना कर दे ता है , ऐसे अवसर पर चादEत वयं जाने को
तुत होते है , दपक जलाने के लए कहते है , मगर सेवक तेल नहं होने क8 सूचना दे ता हS दपक
के अभाव मS ह वस त सेना चादEत के साथ बाहर 1नकलती है । च मा क8 दVू धया रोशनी म?
वस त सेना का सौ दय# कई गन
ु ा बढ़ गया है । चादEत \यासी नजरD से वस त सेना को
1नहारता हS वस त सेना भी \यार भर नजरD से दे खती हS नजर? मलती है । शीo ह वस त सेना
का आवास आ जाता हS चादEत से आpा ले वस त सेना अपने ासाद म? वेश कर जाती है ।
चादEत चोर नजरD से दे खता है । वापस आकर वस त सेना के आभष
ू णD क8 र^ा का भार मै)य
े
व सेवक वध#मानक को सqपता हS चादEत रात भर वस त सेना के सपने म? खोया रहता है ।
वस त सेना भी अपने शयन क^ म? चादEत के !वचार मन म? लेकर 1नंा के आगोश म? समा
गई ।
-- -- --
वस तसेना का भOय ासाद । अ1तम सौ दय# क8 मलका वस तसेना का ासाद नगर वधू के
सव#धा अनुकूल। इस ासाद म? कई क^, क^D म? सु दर तेल Vच), अभसार के, मनुहार के, वस त
के, \यार के, केल- ;8ड़ा के , जल;8ड़ा के और बाहर उपवन। उपवन म? कोयल, पपीह? क8 आवाज?।
सु दर, सुवासत पुkप, पेड़ पौधे, फOवारे , हर तरफ Nग
ं ृ ार , अभसार, काम कला का वातावरण। यहां
तो हर रात दवाल हर दन मधम
ु ास। इस सुसिYजत ासाद का एक सुसिYजत क^ dवार पर
पkु प मालाएं लटक रह है । बैठने के दो आसन है । मgय म? एक रEनजrडत आसन पर गcणका
वस तसेना बैठ_ है ओर वीणा को हMके वर म? बजा रह है । पkु पD से, घप
ू से परू ा क^ सव
ु ासत
हो रहा है । स<पण
ू # वातावरण म? अभसार , !वलास , केल;8ड़ा महक रह है । स<पण
ू # साज-
सYजा कलाEमक है । आभजाEय है । स<प नता पग पग पर sिkटगोचर है । वस त सेना वीणा
बजाते हुए !वचारD म? खो जाती है । एक पkु प उठाकर मु कराती है ।, सोती है। अपनी दासी
मद1नका को बल ु ाती है । वसनत
् सेना मद1नका को बल ु ाती है । वस तसेना मद1नका को दे खकर
अलसाई हुई अंगड़ाई लेती है , पkु प मद1नका पर फ?कती हे । तभी मांजी क8 से!वका चेट आती है ।
और वस तसेना से कहती है --
मांजी क8 आpा है %क अब आप ातः कालन नान करके वछ हो जाये तथा दे वताओं क8
पूजा - अच#ना कर ल?।
नहं मांजी से कहD। आज मेरा मन ठ_क नहं है , मS नान भी नहं कंगी, पूजा, XाZमणD से करवा
लो। मS आज कुछ नहं कंगी।
चेट इस जवाब को सुनकर चल जाती हS मद1नका वस तसेना के बालD म? हाथ %फराते हुए
पछ
ू ती है ।
आयt म? आपसे नेह से पूछ रह हूं, अचानक आपको ]या हो गया है ? आप का मन कहं भटक
गया है ? कहं आपको %कसी से आसि]त तो नहं हो गयी है ।
मS आपको \यार क8 नजर से दे ख रह हूं और मुझे !वIवास है %क आपको %कसी से \यार हो गया
हS।
आपको मेर बात अछ_ लगी । यह मेरा सौभाjय है । ]या आपक8 आसि]त %कसी राजा या
राYयाVNत पर हुई है ।
नहं सcख। मेर म), मS तो सेवा नहं \यार चाहती हूं। शु \यार। Oयवसाय नहं। Oयवसाय बहुत
कर लया। अब तो बस \यार․․․․․․․․․समप#ण। वस तसेना ने आहत मन से जवाब दया।
तो ]या आपके मन म? %कसी XZमण युवक क8 छ!व Bबराजी है या कोई धनवान Oयापार ।
\यार। धनवान क8 ी1त का ]या भरोसा !वयोग दे कर चला जाता है । XाZमण हमारे लये
पज
ू नीय होते हS। वस तसेना ने %फर कहा।
तो आयt बताइये न वह सौभाjयशाल कौन है , िजसने हमार ाण !य सcख का VचEत चरु ा लया
है । मद1नका ने जोर दे कर पूछा।
तुम तो सब जानती हो। तू मेरे साथ कामदे वायतन बाग गई थी। %फर भी अनजान बनती हS वहं
पर तो तुझे दखाया था।
अरे पगल। इसीलए तो मS उ ह? चाहती हूं। गcणका यद 1नध#न से \यार करे तो कोई बरु ा नहं
मानता। %फर उनके गणु D का ]या कहना। गण ु वान होना भी तो सम!ृ है ।
चप
ु कर सcख। Bबना पराग के फूलD म? भी सग
ु ंध और रं ग हा◌ेता है । मS ऐसे ह पkु प को \यार
करना चाहती हूं।
ले%कन आप उनसे मलती ]यD नहं ? सcख उनसे मलना आसान नहं। !वयोग और इंतजार का
अपना आंनद है , मS इंतजार कंगी।
चप
ु कर। शैतान। %कसी से कहना नहं।
नहं कहूंगी।
दDनD cखलcखला कर हं स पड़ती हS। वस तसेना मद1नका क8 सहायता से दै 1न दनी काय# स<प न
करती है ।
उYज1यनी नगर म? हर तरह क8 सम!ृ थी । राजा पालक अनाय# था। अ]सर उसके प.रवार के
सदयD के dवारा जा पर अEयाचार, %कये जाते थे। राजा इन समाचारD क8 और gयान नहं दे ता
था। राजा के 1नवास म? रहने वाल ि)यD के .रIतेदार सवयं
् को राजा का साला बताकर
अEयाचार करते थे। इन लोगD क8 शकायत नहं क8 जा सकती थी राजा का एक बल !वरोधी
आय#क ^)ीय नहं था, वह गोपपु) था। सामािजक संरचना म? अ त!व#रोध थ?, मगर जा अपने
आमोद मोद छल पंच तथा !वलासता म? Oयत रहती थी ^)ीय राज पालजक और गोपपु) के
आय#क म? राज का संघष# यदा कदा उभर कर आता था, इसी कारण पालक ने आय#क को जेल म?
ब द बना लया था। उYज1यनी महानगर था और इसी कारण यहां पर Oयापार - Oयवसाय, कला,
संकृ1त, साहEय, आमोद मोद के चरु साधन थे। घत
ू ;8ड़ा एक Oयवसाय क8 तरह फल फूल
रहा था।
नाग.रक !वलासी थे, आसव का योग चरु प से होता था। आसव शालाओं म? घत
ू ;8ड़ा एक
अ1नवाय# शत# थी। नाग.रक पEनी के अलावा उप पEनी , दासी , वधू आद रखते थे और समाज
!वकृ1तयD से भरा पडा था। गcणकाएं सव# सल
ु भ थी । समाज म? उ ह? आदर ा\त था। वे सख
ु
साgय थी अथायी !ववाह संबंध एक आम बात थी समाज म? कंु वार मां प)
ु या दासी प)
ु या
गcणका पु) के स<बोधन दये जाते थे। कुल मलाकर उYज1यनी नगर क8 Oयवथा, र1त .रवाज,
ukट , कामुक और अनै1तक थे। समाज के सभी वग# और वण# एक दस
ू रे से स<प नता मं◌े◌ं होड़
ले रहे थे। ि)यD को काफ8 वतं)ता थी, वे अपने ेमयD से खल
ु े आम मलती थी, अभसा.रकाएं
वनD , उपवनD , बागD आद म? रमण करती थी। समाज म? चा.रB)क !वप नता Oया\त थी।
घूत ;8ड़ा लोक!य खेल था। अ]सर नाग.रक घूत ;8ड़ा म? कुछ भी दांव पर लगा दे ते थे। जुआ
को शासक8य अनम
ु 1त थी। घत
ू ;8ड़ाgय^ शासन क8 और से 1नय]
ु त %कये जाते थे। वे जआ
ु .रयD
से राश क8 वसल
ू करते थ?।
संवाहक नामक जुआर जुएं म? दांव म? सब कुछ हार गया है, भागता है , मगर बचकर जाने का
राता उसे दखाई नहं दे रहा हS वह मन म? सोचता है यह जुआ भी केसी बुर और बेकार लत
है । अब कैसे जान बचाऊं ? कहां जाऊं ?। जीता हुआ जुआर और घूताgया^ माथरु मुझे ढूंढत? हुए
इधर ह आ रहे हे । है भगवान। अब मS ]या कं? %कसी मंदर म? मू1त# बनकर बैठ जाउं तो कैसा
रहे , यह सोच कर संवाहक पास के मंदर म? छुप जाता है । मू1त#वत बैठ जाता है । संवाहक से दाव
जीतने वाला जुआर और माथरु दोनD संवाहक को ढूढते हुए मंदर के पास आते हS। मगर उसे
आस पास न पाकर परे शान होते हS। माथरु को जुआर कहता है--
माथरु और जुआर मंदर म? आते हS। माथरु और जुआर वहं मंदर क8 मू1त#यD के सामने जुआं
खेलने बैठ जाते हS संवाहक इन दोनD को जुआ खेलते हुए दे खता हS और शीo ह उनम? शामल
होने को उEसुक हो जाता है। संवाहक को दे खकर माथरु औरा जआु र उसे पकड कर असी रEती
सोना वसूलने का यास करते हS संवाहक के पास दे ने को कुछ नहं हS माथरु और जुआर
मलकर उसे मारते हS। संवाहक के नाक से खन
ू बहने लग जाता है माथरु कहता है-
यह समझोता हो जाने पर संवाहक जाना चाहता है , मगर माथरु उससे कहता है %क आधा सोना
मलने पर ह हम तु<ह? जाने द? गे। बेचार संवाहक इस स<पूण# करण म? फंस गया है । राजा का
भय दखाने पर VचMला पड़ता है । अरे दे खो याय करने वालो। ये लोग मझ
ु े नहं छोड रह? हS एक
बार सोना छोड दे ने पर भी %फर पकड लया है । हे नगर वासयD मुझे बचाओ। ले%कन संवाहक
को बचाने के लए कोई नहं आता हS इधर माथरु और जुआर उसे पकड़ कर सोना वसूलने के
यास जार रखते हS।
%कसे बेच।ूं
तो खद
ु को बेच डाल ।
हां मुझे राज माग# पर ले चलो। शायद वहां कोई मुझे खरद लै।
संवाहक नाग.रकD से वयं को ;य करने का अनुरोध करता हS मगर कोई उसे ;य नहं करता।
संवाहक जो वातव म? चादEत का पुराना सेवक है , रो पडता है और माथरु उसे घसीटता है -
पीटता है मारता है । संवाहक VचMलाता है , रोता है । मार खाता है , मगर कुछ कर नहं पाता।
एक अ य जआ
ु र ददरु ै क आता है वह भी माथरु से डरता हS ददरु े क माथरु को णाम करता हS
और संवाहक को छुडाने का यास करता हS माथरु कहता है-
मुझे संवाहक से असी रEती सोना वसूल करना है, जो यह जुआ म? हार गया है ।
अछा तो तुम चक
ु ा दो।
अछा एक काम करो तुम इस संवाहक को असी रEती सोना और दो, यद यह जीत जाता है तो
त<
ु हारे दोनD दाव चक
ु ा दे गा।
ये आंखे तम
ु मझ
ु े मत दखाओ। ददरु ै क बोला।
तम
ु संवाहक को छोड दो। त<
ु हारा सोना मल जायगा।
माथरु संवाहक को %फर मारता है । माथरु संवाहक के साथ साथ ददरु ै क को भी मारता हS गालयां
दे ता है ।
तुमने मुझे Bबना गलती के मारा हS कल मS राज दरबार म? तु<हार शकायत कंगा।
जा कर दे ना।
दे वी मे◌ै◌ं आपक8 शरण म? आया हूं । शरणागत क8 र^ा करना आपका कत#Oय है ।
हां गण
ु और धन का मेल नहं होता हS अ]सर गण
ु ी Oयि]त धनहंन हो जाता हS वस त सेना
बोल।
आय# चादEत का नाम सुन कर ह वस तसेना को अपार स नता होती है। वह संवाहक को
कहती है --
तुम इसे अपना ह घर समझो। मद1नका इनके आराम क8 Oयवथा करो। इ हे सब सु!वधाऐं दो।
अब वे कहां है ?
उनके धनहंन होने के बाद मS जुआर हो गया। मS बरबाद हो गया। मS असी रEती सोना हार
गया। माथरु पीछा कर रहा हे । उ होने मुझे बहुत मारा।
ले%कन मS 1नIचय कर चक
ु ा हूं। संवाहक ने कहा। तभी वस तसेना के ासाद के बाहर शोर
उभरता है ।
हां आयt । णाम । आज मSने आपके मत हाथी को काबू म? करके एक स यासी क8 जान बचाई
है ।
बहुत अछा कण# पालक तुमने एक बडे अनथ# को होने से बचा लया। मS बहुत खश
ु हूं।
वस तसेना ने कहा।
ले%कन आयt आगे सु1नये YयDहं मSने हाथी को काबू म? %कया एक सYजन नाग.रक ने आभूषण
के अभाव म? मेरे ऊपर बहुमूMय दश
ु ाला फ?क दया।
दश
ु ाले का नाम सुनकर ह वस तसेना कह उठती है---
वस तसेना दश
ु ाले को लेकर औढ़ लेती है । मुकुराती है । शरमाती है ।
-- -- --
1नध#नता मनुkय जीवन का सबसे बड़ा अभशाप है । 1नधन# होना ह सबसे बडा अपराध है । य^ ने
जब युVधिkठर से पूछा %क संसार म? सबसे Yयादा दख
ु ी कौन है ? तो युVधिkठर का EयुEतर था-
1नध#न Oयि]त सबसे Yयादा दख
ु ी है । उप1नषदD म? भी 1नध#नता को पौषहनता माना गया है।
अथा#त ् Oयि]त मे पौष उतना ह है , िजतना उसके पास धन हे । सभी गुण कंचन म? बसते हS।
धनवान ह पवान , च.र)वान , साहEय, कला, संकृ1त का पारखी , सYजन और सबल होता है ।
इर युग म? धनवान क8 पूछ होती रहती है। राजा भी धनवान क8 बात gयान से सुनता हS। इस
कल युग म? इस धन का महEव और z◌ा◌ी Yयादा हS जीवन म? 1नध#नता का अभशाप सबसे
ु म? सब कुछ ;य %कया जा सकता हS और इसी कारण Oयि]त
बडा अभशाप है। धन से कलयग
साम, दxड , दाम, भेद, सह , गलत सभी तरकD से धन कमाने के लए टूट पडता हS, वह पैसे क8
इस अ धी दौड म? घुड दौड के घोडे क8 तरह दौड रहा हS राYयाNय तथा राजाpा 1नध#न के लए
नहं होती है , 1नध#न तो हमेशा दख
ु ? कोप और दभ
ु ाjय का मारा होता है, और यद Oयि]त
धनवान से 1नध#न हो जाता हS तो उसके कkट और बढ़ जाते है , म) मुंह मोड लेते हे , .रIतेदार
पहचानना बंद कर दे ते हS। और उपे^ा , अपमान का जीवन जीने को बाgय होना पड़ता है ।
आज कल आय# चादEत इसी अपमान को जी रहे है । उनका सेवक ब#मानक आवास म? अकेला
अपनी और अपने वामी क8 1नध#नता को कोस रहा हS 1नध#न , गरब वामी का सेवक ]या कभी
सुख पा सकता हS नहं। और धनवान का सेवक ]या कभी दख
ु पा सकता है ? नहं। व#मानक
सोचता हS और पIचाताप करता है । ले%कन सेवक क8 अपनी मजबू.रयां, सीमाएं , मया#दाएं होती है ।
, िजस कार हरे धान का लोभी सांड बार बार एक ह खेत म? घुस जाता हS वेIयागामी पुष और
जुआर अपने Oयसन नहं छोड सकते है , उसी कार मS भी अपने वामी को नहं छोड सकता हूं
। आय# चादEत अभी रा)ीकालन संगीत सभा से लौटे नहं हS । व#मानक बैठक म? उनका
इंतजार कर रहा है ।
चादEत रा)ीकालन सौ<य वेशभूषा म? हS। वे एक संगीत सभा म? रे मल का गायन सुनकर आ
रह? है । आय# रे मल के गायन क8 मु]तकंठ से शंसा कर रह? है । वे मै)य
े से कहते है ः◌ं-
मै)य
े यह वीणा भी अपूव# वाdय है । वीणा तो Oयाकुल मानव का सचा साथी हS यह मन बहलाव
का उEतम साधन हS यह ेम को जगाने वाला प!व) वाdय हS सच म? रे मल बहुत स
ु दर गाते हS।
उनके गले म? सरवती का वास हS मै)य
े अनमना सा साथ चल रहा हS कहता है ः-
मुझे तो शा)ीय संगीत सुनकर हं सी आती है । ऐसी पतल आवाज म? गाने वाले पुष तो मं)
जपता पंrडत सा तीत होता है ।
बहुत सु दर गाया। ]या गीत । ]या आवाज । जैसे पुkप थप%कया दे ते हो । उसने मेरे मन के
दख
ु को धो दया। मे◌ै)ेय इस वाता# से ऊब चक
ु ा था। कह उठाः -
आय# के पांव धल
ु ाने क8 Oयवथा कर? । मै)य
े कहता है ः -
․-- -- --
हर तरफ नीरव शां1त । कभी कभी Iवान के भेांकने क8 आवाज? । या दरू से %कसी चौक8दार क8
जागते रहो क8 आवाज। हर तरफ सन
ु सान । इस व]त एक गरब XाZमण श!व#लक चोर करने
के !वचार से आय# चादEत के घर म? स?ध लगाता हS श!व#लक एक कलाEमक चोर है , चोर करता
हS मगर चौय#कला म? वीणता के साथ। स
ु दर ढं ग से । चांद डूब रहा हS वह सोचता हS राB) माता
क8 तरह हS मझ
ु े सरु ^ा दे ती है । श!व#लक बाग से होकर र1नवास क8 दवार के पास पहुंच जाता हS
वह चोर को बहादरु का काम मान कर करता है । उसके अनुसार यह एक वतं) Oयवसाय है ।
इस काम म? %कसी के पास VगडVगडाना नहं पडता । श!व#लक स?ध लगाने लायक हसा ढूंढता
है । उसे भगवान कनकशि]त क8 याद आती हS जो स?ध लगाने के लए 1नयम बना गये थे। उ हं
1नयमD के अन ु प वह सं◌े◌ंध लगाता हS दवार म? हुई स?ध को एक कलाEमक प दान करता
है । ता%क दन 1नकलने पर आम आदमी उसके काय# क8 शंसा कर? । वह जनेऊ से रसी का काम
लेता है । अ दर वेश करने से पव
ू # एक नकल पत
ु ले को धकेलता हे । घर परु ाना है । बैठक म?
श!व#लक वेश करता हS चारD तरफ ढूंढता है , कुछ नहं मलता हS वह फश# पर दाने Bबखेरता है ,
मगर कुछ नहं होता । वह सोचता है आज क8 मेहनत बेकार गई, मS कहां 1नध#न के घर आ
गया। ◌ः◌ः◌ः◌ः◌ः यहां पर तो मद
ृ ं ग , वीणा , बांस.ु रयां और { थD के अलावा कुछ नहं हे । यह
तो %कसी 1नध#न XZमण का घर लगता है । श!व#लक 1नराश हो जाता है ।
बैठक म? मै)य
े सो रहा हS सपने म? सोचता है । %कसी ने घर म? स?ध लगाद है । वह सपने म? ह
गहनD क8 पोटल श!व#लक के हवाले कर दे ता हS मै)य
े उसे गाय और बा्रZमण क8 शपथ दलाकर
जबरन पोटल सDप दे ता हS मै)य
े सोचता हS श!व#लक चादEत हS श!व#लक दपक बुझा दे ता है ।
चारD तरफ अ धकार छा जाता हS वह पोटल ले लेता है । मन ह मन श!व#लक सोचता है , मS चारD
वेदD का pाता और दान न लेने वाला XाZमण हूं मगर वस त सेना क8 से!वका मद1नका के लए
यह पाप कर रहा हूं मझ
ु े उससे \यार है , और उसे दासता से छुडाने के लए धन क8 आवIयकता
हS श!व#लक पोटल लेकर चल दे ता हS वह सोचता है अब मS मद1नका को वस त सेना के बंधन से
छुडा सकता हूं मS उससे !ववाह कर के शेष जीवन आराम से गज
ु ार सकता हूं। वह चल जाता हS
सबु ह का हMका काश फैलने लगता है । VचrडयD क8 आवाज? आने लगती है । तभी पांवD क8 आहट
आती है । र1नवास से रद1नका बैठक क8 ओर आती हS वह VचMलाती है ।
मै)य
े चादEत क8 बात? सुनकर है रान हो गया।
आप चोर क8 Vच ता कर रह? हS ले%कन वस त सेना वे गहने कहां हS जो मै◌े◌ंने रात को आपको
दे दये थे।
%फर मजाक।
मजाक नहं मैने रात को गहनD क8 पोटल आपको द थी। उस व]त आपके हाथ भी ठं डे थे। नहं
मझ
ु े नहं दये। मगर एक शभ
ु बात ये है ◌े %क चोर खश
ु हो कर लौटा , खाल हाथ नहं गया।
चोर मेरे घर से खाल हाथ नहं गया। वह वस तसेना के गहनD को ले गया। चोर कुछ अिज#त
करके गया। यह सख
ु द हS।
इसी समय से!वका रद1नका स<पूण# घटना का !ववरण र1नवास म? जाकर आय# चादEत क8
प1तKता पEनी धत
ू ा को बताती है । धत
ू ा सब सन
ु कर बेहोश हो जाती है । रद1नका धत
ू ा क8 सेवा-
सN
ु षा करती है । धत
ू ा सोचती है ,अब इस नगर के लोग ]या सोचेग? %क 1नध#नता से परे शान
होकर चादEत ने गcणका के गहने दबा लये। 1नध#न का भाjय तो कमल के पEतो पर Vगर
पानी क8 बंद
ू क8 तरह होता है । मेर रEनावल दे कर ह इस परे शानी से छूटा जा सकता है । वह
कहती है-'तम
ु जाकर मै)य
े को यह मेर रEनावल दे दो।'
000
ेम जीवन का शाIवत सEय है ठ_क मEृ यु क8 तरह। ेम ह जीवन है । ेम क8 अनुपिथ1त म?
जीवन 1नसार है । ेम का आधार ह जीवन को आधार दे ता है । ेम कभी भी, कहं भी %कसी से
भी हो सकता है । धनवान )ी गरब प
ु ष से और गरब )ी धनवान प
ु ष से ेम कर लेती है ।
समाज इस आIचय# को दे खता रह जाता है । सदयD से )ी प
ु ष संबंधD पर pानी लोग चचा#
करते रहे हS, मगर कोई ठोस सव#मा य प.रभाषा का !वकास आज तक नहं हो पाया है । )ी-)ी
है और प
ु ष-प
ु ष मगर मलन, ेम, \यार के ^णD म? सब कुछ मल जाता है । समरस हो जाता
है ।
अपना वां1छत \यार पाने के लए )ी हो या पुष कुछ भी करने को तैयार रहता है , कहा भी है
%क ेम और यु म? सब कुछ जायज होता है । कुछ भी करो और वां1छत को ापत
् करो।
अपना वां1छत पाने के यासD म? ह श!व#लक ने XाZमण होते हुए भी अ य कुलन XाZमण के
घर से गहने चरु ाये ता%क अपनी !यतमा वस त सेना क8 से!वका मद1नका को दासEव से छुड़ाकर
पुनः ा\त कर सके। श!व#लक गहनD क8 पोटल को लेकर वस त सेना के ासाद क8 आरे चल
पड़ता है । मन क8 मन सोचता है , आज वह %कतना खश
ु है । उसने राB) पर, राजा के सुर^ा
कम#चा.रयD पर तथा नींद पर !वजय पाई। अपने उHेIय म? सफल रहा। अब मS सूय|दय के साथ
ह प!व) हो गया हूँ। वह सोचता है उसने यह चोर वयं के लए नहं क8 है । मैन? यह सब
अपने ेम को पाने के लए %कया है । ेम म? सब जायज हS।
'अहा। कैसा सु दर Vच) है । सcख यह Vच) आय# से %कतना मलता है । है न मद1नका।' इसी समय
श!व#लक वस त सेना के घर म? वेश कर मद1नका को आवाज दे ता है ।
'मद1नका' ।
'आय# श!व#लक आपका वागत है । णाम। इतने दन आप कहां थे।' मद1नका ने उसके पास
आकर कहा।
मद1नका और श!व#लक एक दस
ू रे को भरपूर नजरD से दे खते हS। आँखD‘ आँखD‘ म? \यार क8, मनुहार
क8 बात? होती हS। श!व#लक आज परम स न है । मद1नका वस त सेना के आदे श को भूल गई
है । वस त सेना पुनः आवाज दे ती है । सोचती है , अरे यह मद1नका कहां चल गयी। वह झांक कर
दे खती है , वस त सेना को मद1नका %कसी पुष से वाता# म? संलjन दखाई दे ती है । वस त सेना
मद1नका के Oयवहार को दे खकर ठगी सी रह जाती है । वह सोचती है, यह पुष मद1नका को ले
जायेगा। शायद इसी संबंध म? वह मद1नका से बात कर रहा है । वह मद1नका को बल
ु ाने का
यास नहं करती।
‘श!व#लक तम
ु इतने दन कहां रहे ? और तम
ु इतने परे शान ]यD दखाई दे रहे हो। सब कुशल तो
है ।‘
‘मS त<
ु ह? एक राज क8 बात बताना चाहता हूँ। gयान से सन
ु ो।‘
मद1नका यह सुनकर स न होती है । कहती है- ‘आय# दे वी वस त सेना का दल बहुत बड़ा है । वे
कहती है मS तो सब दास-दासयD को छोड़ना चाहती हूँ। मगर बताओं तु<हारे पास कौनसा खजाना
है ।‘
‘मद1नका मS तु<ह? ]या बताऊँ ? कल रात भर मS सो नहं पाया। मैन? ह<मत करके चोर कर
डाल ।‘
‘]या तम
ु ने मेरे जैसी त
ु छ नार के खा1तर अपने च.र) और शरर को खतरे मS डाल दया ?‘
‘हां, आय? मSने ऐसा ह %कया। मSने वण# आभूषणD क8 चोर क8 है और ये आभूषण मS वस त
सेना को दे कर तु<ह? मु]त कराना चाहता हूँ।
गहने दे खकर मद1नका सोच म? पड़ जाती है । सोचती है ये गहने तो उसके दे खे - पहचाने हS। वह
पहचान जाती हS %क ये गहने तो वस त सेना के हS। इसी बीच श!व#लक बताता है %क गहने
चादEत के आवास से चरु ाये गये हS। वस त सेना क8 से!वका मद1नका इस स<पण
ू # करण को
समझ जाती है और डर से कांपने लगती हS। वस त सेना के गहने चादEत के पास धरोहर है ,
चादEत से चोर करके श!व#लक लाया है अपनी !यतमा को छुड़ाने, और !यतमा क8 माल%कन
वस त सेना को दे ने। ेम का कैसा सु दर B)कोण बना है । मद1नका ने आगे !वचार %कया।
ले%कन वस त सेना के गहने चादEत के पास धरोहर थे और धरोहर का चोर हो जाना, बेचारे
आय# चादEत पर ]या गज
ु रे गी।
स<पूण# करण को मद1नका समझ तो गई, मगर अब हो ]या सकता है ? श!व#लक भी कुछ
गंभीरता को समझने लगा। मगर अब ]या हो ?
‘तम
ु बताओ मद1नका। अब हम ]या कर? । ि)यां ऐसे मामलD म? Yयादा समझदार होती है ।‘
‘चाँद से कभी धप
ू 1नकलती है ]या ?‘
गहने वापस लौटाना नी1त के अनुप नहं है । कुछ और सोचो। एक उपाय और है -‘मद1नका
बोल।‘
‘वो ]या ?‘
‘तुम चादEत के दास बनकर वस त सेना को ये गहने लौटा दD न तुम चोर रहोगे और न
चादEत पर ऋण ह रहेगा।‘
‘ले%कन यह तो और भी मुिIकल है ।‘
‘आय# चादEत ने मझ
ु से कहा था %क जो गहने लाये उसे से!वका मद1नका को सqप दे ना। सो मS
आपको मद1नका सqपती हूँ। अब मद1नका आपक8 हुई। ‘श!व#लक सब समझ जाता है । वस त
सेना भी सब कुछ समझ जाती है ।
इसी समय राजाpा क8 घोषणा होती है %क राजा पालक ने आय# को बंद लया है । श!व#लक यह
सुनकर अपने म) आय# को छुड़ाने के लए मद1नका को छोड़ कर चला जाता है । मद1नका को
वह अपने म) गायक रै मल के यहां छोड़ने को एक चैट को आpा दे ता है । श!व#लक राजा पालक
के ि◌b◌ालाफ जन समुदाय म? आ दोलन चलाता है । राजा कम#चा.रयD को भड़काता है । आ दोलन
धीरे -धीरे राजा पालक क8 शि]त को ^ीण करता है । वस त सेना क8 एक से!वका बताती है %क
आय# चादEत ने एक XाZमण को भेजा है । वह XाZमण आय# चादEत क8 पEनी क8 रEनावल
लेकर आता है ।
कुल वधु और नगर वधू के आभजाEय म? बहुत अ तर होता है। नगर वधू वस त सेना का भOय
ासाद और चादEत के मुंह लगे सेवक मै)य
े का उसम? वेश। मै)य
े क8 आंख? इस वैभव को दे ख
कर ठगी सी रह जाती है, उसे लगता है वह %कसी इ पुर म? वेश कर गया है । वस त सेना क8
दासी के साथ वह ासाद म? वेश करता है । सव#थम ासाद के बाग क8 शोभा दे खता है और
आIचय#च%कत हो जाता है । बाग क8 शोभा बहुत स ु दर है । पेड़ फूलD-फलD से लदे हुए हS। घने पेड़D
पर झूल? डले हुए हS। शैफाल, मालती, आ{म आद पुkपD से बाग क8 सु दरता बढ़ गयी है । कमल
व तालाब क8 शां1त का मनोहर sIय है । यह सब दे खते हुए मै)य
े अ दर आता है । गहृ dवार से
मै)य
े मुbय भवन म? वेश करता है । dवार के दोनD और ऊँचे त<भD पर मMलका क8 माला
शोभायमान है । आम तथा अशोक के हरे पEतD से कलश शोभायमान है । वण# के %कवाड़ है और
हरD क8 क8ल से जड़
ु े हुए हS।
मै)य
े दासी से पूछता है-
‘वे तो बाग म? है । आपको अभी काफ8 चलना है ।' मै)य े एक के बाद कई क^D म? से होता हुआ
बाग म? पहुंचता है जहां पर वस त सेना बैठ_ हुई है । वस त सेना मै)य
े को दे खकर खड़ी हो
े का वागत करती है। बैठने का आदे श दे ◌ेकर वयं भी बैठ जाती है । वस त
जाती है । वह मै)य
सेना अपने !यतम आय# चादEत के कुशल समाचार जानने को अEय त उEसुक हो पूछती है -
‘आय# मै)य
े बताओ। उदारता िजनका गण
ु है , न~ता ह िजनक8 शाखाएं हS, !वIवास ह िजनक8 जड़
है और जो परोपकार के कारण फल-फूल रहे हS, ऐसे आय# चादEत कैसे हS? ]या उस !वराट व.ृ ^
पर म) पी प^ी सुख से रह रहे हS।'
हां दे वी सब कुशल मंगल है । दे वी आय# ने 1नवेदन %कया है %क आपके वणा#भूषण वे जुएं म? हार
गये हS और जुआर का पता नहं चल पाया है ।' वस त सेना समझकर भी नासमझ बनकर चप
ु
रहती है । मै)य
े चादEत क8 द हुई धत
ू ा क8 रEनावल वस त सेना को दे कर कहता है-
‘आप यह रEनावाल वीकार करने क8 कृपा कर? । उससे आय# को परम सुख मलेगा।‘
‘]या कभी मंज.रयD से रहत आम के पेड़ से भी मकर द टपकता है ।' आप आय# से कहे
सायंकाल म? उनसे मलने आऊंगी।‘ यह कह वस त सेना रEनावल चेट को दे दे ती है । वस त
सेना पुkप करxडक उdयान म? मलने हे तु मलने उप;म करती हS महाकाल के मंदर पर आय#
पु) क8 गाड़ी क8 ती^ा करने को कहकर मै)य
े को !वदा करती है । मै)य
े वहां से चल दे ता है ।
‘दे खो आय# %कतने महान है । चरु ाये गये आभूषणD को वे जुंए म? हार जाना बता रहे हS और बदले
म? अपने ाण !य पEनी क8 रEनावल मुझे भजवाद। वे महान है मद1नका। महान।‘
आप ठ_क कह रह हS दे वी, उनक8 उदारता पर तो सभी मुjध है ।‘
‘दे वी सावधान रहना पkु पकरxडक उdयान शहर के बाहर है और वह 1नज#न थान है । आपका
अकेले जाना और भी अनVु चत है ।‘
-- -- --
‘ले%कन मेरा जाना आवIयक है । नहं तो आय# चादEत ]या कह? गे।‘
‘अछा यह रEनावल सुर^त रखना। उसे लौटाना है । वह एक कुल वधू क8 अमानत है , नगर वधू
के पास।‘
․-- -- --
चादEत आकाश म? काल घटनाओं को दे ख रहे हS। बादल उमड़ आये हS। अ धेरा छा गया है ।
कोयल जंगल म? चल गयी है । हं स मान सरोवर चले गये हS। मै)य
े अभी तक वस त सेना को
लेकर नहं आया है , पता नहं ]यD ? आय# का दल आशंका से धधक रहा है तभी मै)य
े आता है ।
‘अछा।‘
‘आय# मेर माने तो इस गcणका से दरू ह रहे । ये %कसी क8 भी सगी नहं होती हS। वैसे वस त
सेना ने आज आने को कहा था। शायद वह रEनावल से भी कुछ Yयादा और चाहती है ।‘
वस त सेना सोलह Nग ं ृ ार करके वेश करती है । साथ ह दासी, !वट भी है । छ) लगा हुआ है ।
अd!वतीय सौ दय#, काम कला वीण, नगर वधू वस त सेना के वेश से ह बाग म? बहार आ
जाती है । वस त सेना सजी धजी मुjधा ना1यका सी लग रह है । वह वणा#भूषणD से लद हुई है ।
सु दर व)D ने उसक8 सु दरता को और भी बढ़ा दया है । बरसते पानी म? वसंत सेना को दे खकर
वह अEयंत स न होता हS। वस त सेना मै)य
े को दे खकर कहती है -
‘वे सख
ू े बाग म? है ।‘
‘सूखा बाग---‘
‘!ये तम
ु आ गई !ये।‘ बैठो। आसन पर बैठे। म) मै)य
े इनके व) वषा से भीग गये हS। इ ह?
दस
ू रे व) लाकर दो।‘
‘जो आpा।‘
‘वस त सेना अ दर जाकर व) बदलती है । आय# चादEत और वस त सेना आपस म? एक-दस
ू रे
को त!ृ षत नजरD से दे खते हS। मन ह मन स न होते हS। वे अपनी स ता 1छपा नहं पाते।
वस त सेना-‘ आपने रEनावल भेजकर अछा नहं %कया। गहने तो चोर हो गये थे।‘
‘चोर क8 बात कोई नहं मानता। अतः मै◌ै◌ंने रEनावल भेज द।‘
चादEत चप
ु रहते हS। मौन का संवाद होता हS। वषा# आ रह है । मेघ गरज रहे हS। Bबजल चमक
रह है । मै)य
े तथा वस त सेना क8 दासी व चेट दोनD को बाग म? छोड़ कर अ दर चले जाते हS।
चादEत-‘हे मुख तुम गरजो। हे Bबजल तुम चमको। हे वषा# तुम तेज धार से आओ। ]यD%क इस
नाद भाव से मेर दे ह वस त सेना के पश# से पुल%कत होकर फूल के समान और रोमांVचत हो
रह है ।‘
‘!ये यह दे खो इ धनष
ु । कैसा मनोरम।‘ आय# चादEत %फर कहते हS-
‘वषा# म? भीगे हुए तु<हारे व^थल %कतने सु दर लग रहे हS।‘ इनक8 नोकD पर ठहर जल क8 बूंदे
न ह? मो1तयD जैसी आभा दे रह हS।‘
‘तम
ु %कतनी स
ु दर हो।‘
वस त सेना कुछ न कह कह कर आय# के सीने म? अपना मुंह छुपा लेती है । वे गाढ़ आलंगन
म? एक-दस
ू रे म? समाहत हो जाते हS। वस त सेना अपने आभष
ू णD को उतारती है, अभसार को
तत
ु होती है।
बाहर वषा# तेज होती जा रह है । आय# चादEत अभसार म? आन द ले रहे हS। वस त सेना
अभसार म? पूण# सहगामी है । वे एक-दस
ू रे म? समा जाते हS। रात काफ8 बीत चक
ु 8 है - वे
अभसारोपरा त शVथल हो 1ना दे वी क8 गोद म? !वNाम करते हS।
आय# चादEत ातःकाल uमण हे तु चले गये हS। वस त सेना को एक दासी उठाती है । वह आय#
चादEत के आवास पर है राB) क8 शVथलता अभी बाक8 है । आय# उसे पkु पकरxडक म? आने को
कह गये हS। ऐसा दासी ने वस त सेना को सूVचत %कया। तभी वस त सेना चेट को कहती है %क
रEनावल अ दर जाकर आयी धत
ू ा को दे द? । आया# से कहना %क चादEत क8 दासी वसंत सेना
का णाम वीकार कर? ।
चेट-‘ले%कन आया# धत
ू ा मेरे से नाराज हो जाएगी।‘
तभी रोहसेन को लेकर रद1नका वेश करती है । रोहसेन रो रहा है । िजद करता है और कहता है--
‘ मS मट क8 गाड़ी से नहं खेलूंगा। मS तो सोने क8 गाड़ी लूंगा।‘
रद1नका से वस त सेना पछ
ू ती है -‘ यह %कसका बचा है । यह पता लगने पर %क यह आय#
चादEत का प)
ु है । उसे गोद म? लेती है । वह बचे को पच
ु कारती है ।
‘यह पड़ोस म? सोने क8 गाड़ी दे खकर आया है , वैसी ह गाड़ी लेना चाहता है । रद1नका कहती है ।
मSने इसे मट क8 गाड़ी बनाकर द मगर यह नहं मानता।‘ रद1नका ने समझाया।
‘नहं।‘ ये मेर मां नहं हो सकती। इनके पास तो इतने सोने के गहने हS, क8मती कपड़े हS, ये मेर
मां कैसे हो सकती है ।‘ वस त सेना वण# आभष
ू ण उतार दे ती है , और कहती है - ‘लो मS त<
ु हार
मां हो गयी। इन गहनD से तम
ु सोने के गाड़ी बनवालो। ‘वस त सेना गहने मट क8 गाड़ी पर
रख दे ती है । मगर रोहसेन नहं मानता।
वस त सेना Nग
ं ृ ार करती है । तभी व#मानक गाड़ी का कपड़ा लाने वापस चला जाता है । तभी वहां
पर शकार का दास थावरक अपनी बैलगाड़ी लाकर भीड़भाड़ के कारण खड़ी कर दे ता है । और
धोखे से वस त सेना उसम? बैठ जाती है । थावरक राता साफ होने पर गाड़ी चला दे ता है । उधर
व#मानक क8 बैलगाड़ी म? भगोड़ा आय#क पहरे दारD से बचता बचाता छुप कर बैठ जाता है । दोनD
बैलगाrड़या अलग-अलग रातD पर चल पड़ती है । एक म? वस त सेना और दस
ू रे म? गोपपु)
आय#क। रासते
् म? राजा के पहरे दार आय#क क8 गाड़ी को रोकते हS, मगर एक पहरे दार आय#क का
म) होता है , अतः आय#क बच जाता है । इस च]कर म? पहरे दारD म? झगड़? हो जाते हS। मगर
आय#क क8 बैलगाड़ी बच 1नकलने म? सफल हो जाती है ]यD%क वह आयर् चादEत क8 गाड़ी है ,
जो समाज म? आदरणीय है ।
-- -- --
चादEत -‘]या कहते हो म)। यह हमार बैलगाड़ी है , हमारा गाड़ीवान है, हमने इसे वस त सेना
को लाने भेजा था। इसम? कोई प
ु ष कैसे हो सकता है ।‘
गाड़ी के पास चादEत गाड़ी म? दे खता है । उसी समय आय#क क8 नजर उस पर पड़ती है । आय#क
चादEत को दे खकर संतोष क8 सांस लेता है उसे लगता है अब वह सुर^त है । उसके ऊपर राजा
का जो खतरा मxडरा रहा था, वह %फलहाल टल गया। चादEत भी आय#क को दे खकर !वि◌मत
रह जाता हS।
‘अरे यह कौन हS ? इनक8 !वशाल भुजाएं, उ नत ललाट, !वशाल व^थल, संह के समान ऊंचे
कंधे, बड़ी-बड़ी लाल आँख? और पांवD म? बेrड़यां, आय# आप कौन हS ?‘
आय#क अपना प.रचय दे ता है और राजा पालक बंद बनाये जाने के बाद कारा{ह से श!वल#क क8
मदद से भागने क8 घटना बताता है । चादEत आय#क का प.रचय पाकर परम स न होता है -
कहता है ।
‘आज मS अEयंत स न हूँ। मेरा सौभाjय है %क मुझे आपके दश#न हुए है । मS अपने ाण दे कर
भी आपक8 र^ा अवIय कँगा। आप !वIवास रख?। चादEत अपने अनुचर को अ◌ाpा दे कर
आय#क क8 बेड़ी कटवा दे ता है । बेड़ी कट जाने पर आय#क कहता है ।‘
अभी आपके पांव म? घाव है , आप इसी मेर गाड़ी dवारा जाये। इससे कोई आप पर शक नहं
कर? गा। और आप सुर^त व कुशलता से पहुँच जाय?गे। ईIवर आपक8 र^ा करे ।‘ चादEत कहता
है ।
-- -- --
एक बौ भ^ु अपनी धीर गंभीर चाल से अपने हाथ म? गीला चौला लेकर चल रहा हS। वे लोगD
को धम# के अनुसार चलने के लए उपदे श दे ते हS। धम# ह सब कुछ है । धम# के अलावा सब कुछ
मट जायेगा। धम# के अनुसार आचरण करो। इि यD को वश म? करो। अ!वdया का नाश करो।
सर दाढ़ मुxडाने से कुछ नहं होता, मन मुंडवाना चाहए। मेरा चौला गंदा हो गया है । इसे धोना
जर है । ‘बौ भ^ु राजाके साले शकार के बाग म? वेश करते हS।‘ वे कहते हS -
‘ब
ु म शरणम ् गछाम।
धमम
् शरणम ् गछाम॥।‘
तभी राजा का साला शकार हाथ म? नंगी तलवार लेकर !वट के साथ बाग म? आता है । राजा का
शाला भ^ु को दे खकर ;ोVधत वर म? कहता है ।
‘ये मझ
ु े गाल ]यD दे रहा है ।‘ शकार ने पछ
ू ा
शकार भ^ु से पछ
ू ता है ।
‘अछा तो तुम मेरे शबसे शु दर बाग म? अपना गंदा चौला धोने के लए आया है । तुम इस बाग
के शाफ पानी को गंदा कर रहे हो। मS तु<ह? एक ब?त क8 शजा शुनाता हूं।‘
‘इसके मुxडे सर तथा गेए व) पहनने क8 िथ1त से ऐसा लगता है %क यह नया-नया भ^ु
बना है ।‘
ले%कन !वट उसे समझा बुझाकर मना लेता है । भ^ु एक तरफ चला जाता है ।
!वट और शकार बाग म? !वचरण करते हS। एक शलाखxड पर बैठ कर शकार वस त सेना क8
याद म? खो जाता है । शकार !वट से पूछता है -
‘Iथावरक को गये इतना समय Oयतीत हो गया है । वो अभी तक बैलगाड़ी लेकर वापस नहं
आया है । मS बड़ी दे र से भूखा हूं। अब मS चल भी नहं सकता।‘
‘आप ठ_क कह रहे हS। \यास से Oयाकुल जंगल जानवर पानी पीकर आराम कर रहे हS। तपती
दोपहर है , बैलगाड़ी भी कहं ठहर गयी होगी।‘ !वट के इस EयुEतर से शकार का मन शांत होता
है । वह गाने लगता है । --
आवाज सुनकर वस त सेना सोचती है वह आवाज तो व#मानक क8 नहं है। ]या बात है ]या
आय# चादEत ने %कसी दस
ू रे गाड़ीवान को भेजा है । मेरा मन अशांत ]यD हS ? ]या कोई अघट
घटने वाला है । शकार गाड़ी क8 आवाज सुनकर गाड़ी के 1नकट आता है । गाड़ी को दे ख कर शकार
खश
ु होता है । गाड़ी को अ दर लाने क8 आpा दे ता है । शकार ि◌वट को गाड़ी पर चढ़ने क8 आpा
दे ता है । %फर उसे रोक कर वयं गाड़ी म? दे खता है । डर कर पीछे हट जाता है । गाड़ी म? )ी है
या रा^सी है । ‘तभी वस त सेना भी गाड़ी म? से शकार को दे खती है । सोचती है - यह राजा का
साला शकार कहां से टपक पड़ा। मS तो अपने !प ्रयतम आय# चादEत क8 सेवा म? आई थी। हाय
मS बड़ी अभागन हूं। अब मS ]या कं ?‘ वह घबरा जाती है । !वट वस त सेना को दे खता है । और
कहता है - ‘तम
ु राजा के साले का पीछा ]यD कर रह हो। यह अनVु चत है । धन के लोभ से
शायद तम
ु अपनी मां के कहने से राजा के साले के पीछे पड़ी हो।‘
शकार उसक8 बात नहं मानता। !वट उसे उYज1यनी चलने क8 सलाह दे ता है , शकार उसे भी
नकार दे ता है । तभी वह गाड़ी पर बैठ कर जाने का !वचार करता है । वह वस त सेना को दे ख
लेता है । स न हो जाता है । वह वस त सेना के पांव म? Vगर कर कहता है।
‘दे वी मS स
ु दरता का पज
ु ार हूं। मेर ाथ#ना सन
ु ो। मS भखार हूं। मेर झोल भर दो। समप#ण
दो।‘ वस त सेना ;ोध से उसे cझड़क दे ती है । वह शकार को पांव से ठोकर लगाती है । शकार
;ोVधत हो जाता है । ;ोध म? कहता है --
Iथावरक उसे वतिु थ1त से अवगत कराता है, %क राजपU◌ा पर बहुत सी बैलगाrड़यां थी, और
चादEत के बाग के dवार पर गाड़ी खड़ी क8 थी वहं पर शायद गलती से वस त सेना गाड़ी म?
बैठ गई।
‘अछा तो ये गाड़ी बदलने शे यहां आई है । मुझशे मलने नहं। उतारो। इशे गाड़ी से उतारो। तू
इस गरब चादEत से मलने के लए मेरे बैलD पर भार डाल रह हो। उतरो जMद करो।‘ तभी
शकार ;ोध म? वस त सेना को उतरने के लए कहता है - उतर नीचे उतर मS तेरे केशD को पकड़
कर खीचग
ूं ा। तुझे मांगा।‘
तभी !वट वस त सेना को नीचे उतारता है । वसंत सेना एक तरफ खड़ी होकर कांपने लगती है ।
शकार का ;ोध और भड़क जाता है । वह अपमान का बदला लेना चाहता है । वह !वट को वस त
सेना को मारने का आदे श दे ता है , मगर वस त सेना को !वट नहं मारता। %फर वह Iथावरक को
कहता है , वह भी सोने के लालच के बावजूद वस त सेना को नहं मारता। तब ;ोध म? शकार
वयं वस त सेना को मारने के लए आगे बढ़ता है । !वट उसे रोकता है । !वट वस त सेना क8
र^ा हे तु पास म? छुप जाता है । शकार वस त सेना को \यार करने के लए तैयार होता है ले%कन
वस त सेना उसे ताrड़त करते हुए कहती है --
‘एक बार आम खाने के बाद म? आक को मं◌ुह नहं लगाती।‘ शकार को पुनः ;ोध आता है । वह
वयं को अपमा1नत महसूस करता है ।
शकार ;ोध म? उसे मारने दौड़ता है । वस त सेना आत#नाद करती है ।‘ मां ? आय# चादEत को
पुकारती है । मगर शकार वस त सेना का गला दबा दे ता है । वस त सेना आय# चादEत को
पुकारती-पुकारती बेहोश हो जाती है । शकार उसे मरा समझ कर दरू बैठ जाता है ।
‘नीच पापी तूने वस त सेना को मार डाला। तूने अEयाचार ]यD %कया ? अब भगवान ह भला
कर? गे।‘
-- -- --
शकार -‘हां।‘
शकार अपने प.रवार क8 शंसा करता है । मगर यायाधीश उसे मूल बात कहने को े.रत करते
हS।
शकार -‘तो सु1नये। मेर बहन के !य राजापालक ने मुझे पुkपकरxडक बाग उपहार म? दया है ।
आज जब मS वहां पर गया तो मैन? वहां पर एक )ी के शव को दे खा।‘
शकार-‘उसको कौन नहं जानता। वह तो उYज1यनी नगर क8 शोभा वस त शेना थी। %कसी
अपराधी ने उसको धन के लालच म? मार डाला।
मैन? नहं․․․․․․․․․․․․․․․․․․․।‘
यायाधीश -‘सेठ। कायथ। तुम इन बयानD को लख लो। यह नगर के पहरे दारD क8 असावधानी
का फल है ।‘
यायाधीश -‘इस मामले म? 1नण#य होना मुिIकल है । शोधनक वस त सेना क8 मां को बुलाओ।‘
‘आपक8 प)
ु ी %कस म) के यहां गई थी ? उस म) का ]या नाम है ?‘
मां -‘मेर पु)ी कहां गई थी। यह बताना तो बड़ी सजा क8 बात है , मगर याय क8 खा1तर सब
बताना आवIयक भी है , मेर पु)ी सागरदEत के पु) आय# चादEत के यहां पर गई थी।‘
‘तुम हEयारे हो, तुमने )ी क8 हEया क8 है । तु<ह? आशन नहं दं ड मलना चाहए।‘
‘]या आप इस व
ृ ा क8 लड़क8 को जानते हS ? उससे आपका कोई संबंध है ?‘ वस त सेना क8 मां
को दे खकर चादEत शमा# जाते हS। यायाधीश पkट प से कहने म? 1नदt श दे ते हS तो चादEत
बोलते हS।
-‘अपने घर हDगी।‘ चादEत ने सीधा उEतर दया। सेठ कायथ -‘कब गई ? %कसके साथ गई ?
कैसे गई ? सब सच-सच बताओ।‘
चादEत यह सन
ु कर ;ोVधत हो उठता है ।
यायाधीश !वचार करते हS आय# चादEत ऐसा अपराध कैसे कर सकते हS। यह राजा का साला
अवIय झूठ बोल रहा है , मगर सह िथ1त का पता कैसे लगे ? अपनी बेट क8 हEया के समाचार
से वस त सेना क8 मां रोने लग जाती है ।
तभी यायाधीश यायालय म? नगर र^क आते हS, यायाधीश उ ह? पुkपरxडक बाग म? जाकर मर
पड़ी लाश क8 जानकार लेने का आदे श दे ते हS।
यायाधीश के आदे श पर नगर र^क बाग म? चले जाते हS। शकार यायाधीश को कहता है --
‘आप कब तक इश नीच चादEत को आशन पर Bबठाय?गे। इसे तो शजा मलनी चाहए। राजा।‘
मै)य
े चादEत से पछ
ू ते हS-
‘]या ?‘
‘हां अभयोग चल रहा है ।‘ मS गरब 1नध#न XाZमाण हूं, इसलए मेर बात पर कोई !वIवास नहं
कर रहा है । हे म), मै)य
े ये ]या हो गया ? तभी मै)य
े के पास वण# के आभष ू ण दे खकर शकार
कहता है -
शकार -‘दे खा आप लोगD ने इशने ह वश त शेना को मार डाला है अब इसे दxड दिजये।‘
वस त सेना क8 मां रोती है । कलपती है । शोधनक उसे बाहर छोड़ आता है । यायाधीश शोधनक
को आदे श दे ते हS %क महाराज पालक को इस अभयोग क8 सच
ू ना द जाये। XाZमाण को मारा
नहं जा सकता मगर दे श 1नकाला दया जा सकता है । यह 1नण#य अब महाराज को ह करना है ।
महाराज का आदेश शा◌ेधनक सन
ु ाता है िजन गहनD के कारण वस त सेना क8 हEया हुई है, उ हं
गहनD को पहनाकर चादEत को द^ण मरघट पर फांसी पर लटका दया जावे। इस दय
!वदारक समाचार को सन
ु कर चादEत अपने म) मै)य
े से कहता है --
‘म) जब जड़ ह सख
ू जायेगी तो पेड़ कैसे चलेगा।‘ मै)य
े बोला।
‘ऐसा न कहो म)। मेरे ऊपर तु<हारा जो ेम है उसे रोहसेन पर सम!प#त कर दो।‘ चादEत ध?
गले से कहता है ।
‘म) मS तम
ु से Bबछड़ कर जी कर ]या कं गा ?‘
-- -- --
आय# चादEत को फांसी पर चढ़ाने क8 तैयार हो रह है । उ ह? राज कम#चार फांसी थल तक ले
जा रहे हS। फांसी दे ने वाल कम#चार अनावIयक भीड़ को हटा रहे हS। हर चौराहे पर रोक कर
जा को उनके अपराध क8 जानकार द जा रह है । चादEत मन म? !वचार करते हुए चल रहे हS।
भाjय क8 लला का ]या कहना। आज म? %कस हालत म? पहुँच गया। जीवन तो उतार-चढ़ाव का
ू रा नाम हS। शरर पर चंदन लगा दया गया है । 1तल, चावल, कुकुम लग गया है । अब अ त
दस
समीप है । दःु ख है %क 1नद|ष होने के बावजद
ू सजा मल रह है ।
कम#चार लोगD को दरू हटा रहे हS। थम चौराहे पर कम#चार ढंढोरा पीट कर लोगD को चादEत
के अपराध और सजा क8 घोषणा करते है कम#चार कहता हS --
‘सन
ु ो, जा जनो सन
ु ो। आय# चादEत !पता सागरदEत ने धन के लोभ म? गcणका वस त सेना
को पुkपकंडरक बाग म? ले जाकर मार डाला है । गहनD सहत उ ह? पकड़ लया गया है और
राजापालक ने उ ह? सूल पर चढ़ाने क8 आpा दे द है । यद कोई दस
ू रा जाजन भी ऐसा काम
करे गा तो दxड का भागी होगा। सुनो․․․․․․․․। ‘कम#चार चादEत को ले चलते हS। जा म? से
कोई कहता है --
‘सबका भला करने और भला सोचने वाले आय# चादEत आज इस दशा को ा\त हो गये हS। वे
इस द1ु नया से जा रहे हS। संसार म? 1नध#न क8 कोई नहं सुनता। धनवान, शि]तशाल क8 सभी
सुनते हS। ‘हे भाjय तू भी ]या खेल दखाता है ।‘ राजमाग# से होते हुए कम#चार चादEत को वन
थल क8 ओर ले जाते हS। चादEत वस त सेना को याद करते हS। आय# चादEत वध-थल के
पास है । कम#चार उ ह? सूल पर चढ़ाने क8 तैयार कर रहे हS। आय# चादEत अं1तम इछा के प
म? अपने पु) रोहसेन को दे खने क8 इछा कट करते हS। कम#चार रोहसेन को लाते हS। रोहसेन
‘!पताजी - !पताजी‘ कह कर दौड़ता हुआ है और चादEत से लपट जाता है । चादEत आंखD म?
आंसू भरकर पु) को दे खता है छाती से लगा लेता है - कहता है ।
रोहसेन कम#चा.रयD को रोकने क8 असफल कोशश करता है । चादEत कंधे पर सूल, गले म?
करवीर क8 माला और मन म? संताप लए वध-थल क8 ओर थान करते हS। रोहसेन
कम#चा.रयD को कहता है --
‘‘तम
ु मझ
ु े मार डालो। मेरे !पता को छोड़ दो।‘
ले%कन कोई नहं मानता। आय# चादEत को लेकर कम#चार जाते हS। रोहसेन रोता रहता हS। नगर
म? बार-बार घोषणा क8 जा रह है %क वस त सेना के हEयारे चादEत को सूल पर लटकाया जा
रहा है । यह सूचना थावरक को मलती है । वह महल से VचMलाता है -‘ सुनो लोगD आय# चादEत
1नद|ष है । मS ह गाड़ी बदल जाने के कारण आया# वस त सेना को पुkपकरडंक वन म? ले गया
था। वहं पर राजा के साले शकार ने वस त सेना को मार कर अपने अपमान का बदला लया
है ।‘ मगर थावरक क8 आवाज महल म? होने के कारण लोगD को सुनाई नहं दे ती। थावरक
महल से कूद कर आय# चादEत को बचाने का यास करता है । वह कूद पड़ता है , उसक8 बेड़ी भी
टूट जाती है । वह तेजी से दौड़ कर राता बनता हुआ सूल दे ने वाले कम#चा.रयD तक पहुंचता है ।
वह घोषणा करता है --
‘राजा के साले शकार ने वस त सेना को गला घDट कर मार डाला है ]यD%क वह राजा के साले
को \यार नहं करती थी। उसने वस त सेना को मार कर अपने अपमान का बदला लया है ।‘
‘हां मS सच बोल रहा हूं। यह बात %कसी से कहूं नहं इसलए शकार ने मेरे को जकड़ कर महल
क8 बज ु w पर फ?क दया था। मS बज
ु w से कूद कर आया हूं ता%क 1नद|ष चादEत क8 जान बचा
सकंू । ‘तभी I◌ाकार भी वहां पर आ जाता है । थावरक उसे दे खकर कहता है ‘ यह है वस त
सेना का हEयारा। राजा का साला शकार।
शकार थावरक को समझाना चाहता है , मगर थावरक नहं मानता है । शकार कहता है -
‘मS तो बहुत दयालु हूं। मS %कसी )ी को कैसे मार शकता हूं।‘
शकार थावरक को पुनः अपनी ओर करने के यास करता है । मगर थावरक जोर से कहता है ।
‘यह वह कंगन है िजशके कारण मैने इसे बांधा था। यह चोर है । मSने इसे खब
ू मारा था। इसक8
पीठ पर मार के 1नशान भी है । कंगन क8 चोर के कारण ह यह बज
ु w पर बंद था।‘ थावरक क8
बात पर अब कोई !वIवास नहं करता। चादEत पन
ु ः 1नराश हो जाता है । शकार थावरक को
मार पीट कर भगा दे ता है और राज कम#चा.रयD को फांसी जMद लगने का हु]म दे ता है तभी
रोहसेन रोता हुआ आता है । शकार उसे भी चादEत के साथ फांसी दे दे ने का आदे श दे ता है ।
चादEत अपने प)
ु को समझा बझ
ु ा कर मां के पास जाने का आदे श दे ता है । कहता है --
‘बेटे अपनी मां को लेकर तपोवन चला जाना। रोहसेन तुम जाओं। म) मै)य
े इस ले जाओ।‘
रोहसेन को लेकर मै)य
े चला जाता है । शकार रोहसेन को भी मारने को कहता है मगर राज
कम#चार ऐसा करने से मना कर दे ते हS। राज कम#चार चादEत के वध क8 अं1तम तैयार करते
हS। शकार चादEत को डxडे से पीटने के लए कहता है ता%क वह अपना अपराध वीकार करे ।
लोगD से कह? %क हां हEया उसने ह क8 है । राज कम#चार चादEत को मारते हS। चादEत मार
के डर से वीकार करता है --
-- -- --
‘कभी-कभी कोई भला आदमी धन दे कर मरने वाले को छुड़ा लेता है । कभी राजा क8 आpा से
अपराधी को छोड़ दया जाता है और कभी राYय म? ;ाि त हो जाने से सEत बदल जाती है और
सभी अपराVधयD को आम माफ8 दे द जाती है । ]या पता आज भी इनम? से कोई घटना घट
जाये।‘ आय# चादEत का जीवन बच जाये।‘
मगर शकार इस काम म? दे र नहं करना चाहता। वह जMद से जMद फांसी दलाना चाहता है ।
थम राज कमचा#र -‘आय# चादEत ईIवर का gयान करे । आपका अ त समय 1नकट है ।‘
चादEत उच वर म? कहता है -‘अगर मS सचा हूं, तो वस त सेना कहं से भी आकर मझ
ु े इस
कलंक से म]
ु त कर? ।‘
कम#चार चादEत को ले चलते हS। शकार जMद करने को कहता है चादEत को ले चलने म? दे र
होने पर कम#चार को डांटता डपटता है । आय# चादEत को वध थल तक पहुँचा दया गया है ।
-- -- --
वस त सेना बौ भ^ु के साथ Bबहार से नगर क8 ओर आ रह है । अचानक एक दशा म? भार
भीड़ को दे खकर वह भ^ु क8 जानकार ा\त करने के लए 1नवेदन करती है । भ^ु बताते हS --
-आय# आपक8 हEया के आरोप म? आय# चादEत को सूल पर चढ़ाने के लए वध थल क8 ओर
ले जाया जा रहा है ।‘
भ^ु और वस त सेना तेजी से भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़ते हS। राज कम#चार चादEत को
सीधे लेट जाने का आदे श दे ते हS। जMलाद YयDह तलवार से वार करना चाहता है %क तलवार
उसके हाथ से Vगर जाती है । कमचा#र स न होता है %क शायद चादEत क8 जान बच जाये।
मगर दस
ू रा कम#चार जMद से चादEत का वध करने को कहता है । तभी भ^ु और वस त सेना
वध थल तक पहुँच जाते हS। वे जोर से कहते हS --
‘मS आपका पूव# सेवक संवाहक हूं। आपने ह मुझे इस शहर म? अपनी सेवाम? रखा था। जुए क8
लत म? सब कुछ हार जाने के बाद भ^ु बन गया था।‘ वस त सेना के जी!वत होने का समाचार
बड़ी तेजी से जा म? फैल जाता है । महाराज तक भी पहुँचता है । शकार यह जानकर घबरा जाता
है %क वस त सेना जी!वत है । वह भागना चाहता है । मगर तभी राज कम#चार राजापालक क8
आpा से शकार को पकड़ लेते हS।
चादEत वस त सेना को दे खकर स न हो जाते हS। वे कहते हS -- -वस त सेना। !ये तुम
अचानक संजीवनी बूट क8 तरह यहां तक कैसे पहुँच गई। मS तो मर ह गया था । मगर अब
मेर जान बच गई।‘
‘मSने ह आपके धर म? स?ध लगाकर आया# वस त सेना के आभूषण चरु ाये थे। मS आपका अपराधी
हूं। आपक8 शरण म? हूं। मेर र^ा कर? ।‘
‘नहं तम
ु तो मेरे म) हो। मS स न हूं।‘
‘एक ओर शुभ समाचार है %क राजा आय#क ने गHी पर बैठते ह आपको वैणा नद के %कनारे
वाला कुशावती राYय दे दया है । आप अब वयं राजा हS।‘ श!व#लक कहता है ।
तभी राज कम#चार शकार को पकड़ कर लाते हS। शकार मारे डर के घबरा रहा है । कहता है --
‘मS अनाथ अब %कसक8 शरण म? जाऊं। मुझे शव# दःु ख हरने वाले चादEत क8 शरण म? जाना
चाहए।‘वह आय# चादEत के चरणD म? Vगरकर र^ा क8 भ^ा मांगता है । आय# चादEत उसे
अभयदान दे ते हS।
श!व#लक आय# चादEत से कहता है -‘आप जो भी दxड कह? गे इस शकार को वहं दxड दया
जायेगा।‘
शकार - ‘ मेरे भो। मS आपक8 शरण म? हूं। ऐशा बरु ा काम %फर कभी नहं कंगा। मझ
ु े बचालो
भगवन ।‘
‘परम दयालु आय# चादEत शकार को ^मा कर दे ते हS। शकार शम# दा होकर चप
ु चाप चला
जाता है ।
आय# चादEत के जी!वत होने तथा वस त सेना के सकुशल होने का समाचार मै)य
े धत
ू ा तथा
रोहसेन तक पहुँचाता है । सब परम ् स न होते हS। धत
ू ा वस त सेना से गले मलती है ।
तभी आय# चादEत वस त सेना को अपनी पEनी के प म? वीकार करने क8 घोषणा करते हS।
वस त सेना चादEत के चरण पश# करती है । वस त सेना चादEत क8 वधू बन गयी। वस त
सेना का सर आंचल से ढ़क दया जाता है । श!व#लक को सभी बौ !वहारD का कुलप1त बना
दया जाता है । राज कम#चा.रयD को भी पा.रतो!षक दया जाता है । आय# चादEत, धत
ू ा, रोहसेन,
वस त सेना, मै)य
े , रद1नका सभी स न हS। अपने आवास म? लौट आते हS।
शव क8 जय हो।
सु दर का स<मान हो।
(समात)
---
यशव त कोठार,
जयपुर-302002 फोनः-2670596
e_mail: ykkothari3@yahoo.com
----