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रचनाकार – (http://rachanakar.blogspot.

com ) क तुत :

यशव त कोठार का मानी उप यास : वस तसेना

मानी उप यास

वसतसेना

यशवत कोठार

यह उपयास

श
ू क के स संकृत नाटक ”म
ृ छकटकूम“् ने मझ
ु े हमेशा से ह आक!ष#त %कया है । इस
नाटक के पा), घटनाएं और प.रिथ1तयां हमेशा से ह ऐसी लगी है %क मानो ये सब आज क8
घटनाएं हो। राजनी1तक प.रिथ1तयां 1नध#न नायक, धनवान ना1यका, राजा, ;ां1त, कुलवधू,
नगरवधू और स<पण
ू # कथानक पढ़ने म? मनोहार, आकष#क तो है ह, आनंद के साथ !वचार Bब द ु
भी दे ता है । इसी कारण संकृत नाटकD म? इसका एक !वशेष महEव है ।

यह नाटक ईसा पूव# क8 पहल या दस


ू र सद म? लखा गया था। इस बात म? मतभेद हो सकते
है , मगर मेरा उHेIय केवल नाटक क8 पठनीयता से है । इस नाटक के मूल को भी पढ़ा, डा.
रांगेयराघव के अनव
ु ाद को पढ़ा। मंच पा तरण के प म? आचाय# चतरु सेन तथा डा.सEयKत
स हा को पढ़ा। इस पर आधा.रत %फMम ”उEसव“ को दे खा तथा उEसव के संवाद लेखक व․
शरद जोशी से भी चचा# क8। मुझे ऐसा लगा %क इस नाटक मे औप यासकता है । HIय-NOय
काOय के समसत
् गण
ु D के बावजद
ू यह नाटक एक उप यास का कथानक बन सकता है, धीरे धीरे
मेर यह धारणा बलवती होती गई। रचना का ताना-बाना मेरे जेहन म? घम
ू ता रहा। कई बार थोड़ा
बहुत लखा, मगर ल<बे समय तक कोई 1निIचत वप नहं बन पाया अब जाकर इस का समय
आया। और इसे एक लघु उप यास का प मला।

उप यास या कहानी पर आधा.रत नाटकD के उदाहरण काफ8 मल जाय?गे, मगर ऐसे उदाहरण
साहEय म? कम ह है , जब %कसी नाटक को उप यास म? ढाला गया हो। मSने यह यास %कया है ।
और कुछ अनावIयक संगD तथा वत#मान वपD म? अशोभनीय शTदD को छोड़ दया है , ले%कन
कUय व शMप का 1नवा#ह करने का पूरा यास %कया है ।

वस त सेना समाज के उस वग# का 1त1नVधEव करती है िजसके पास सब कुछ होकर भी कुछ
नहं हे । चादEत क8 1नध#नता म? वस त सेना के स<पूण# ऐIवय# को समा लेने क8 उHाम भावना
ने ह मुझे आक!ष#त %कया है ।

तमाम कमयD के बावजूद यद यह रचना पाठकD को आक!ष#त कर सक8 , उनका थोड़ा बहुत भी
मनोरं जन कर सक8 तो म? अपना Nम साथ#क समझूंगा।

आपक8 1त%;या के इ तजार म? ।

रामनवमी,

जयपुर।

*********

यशव त कोठार

86,लWमी नगर Xहमपुर बाहर,जयपुर-302002

फोनः-0141-2670596

-----

वसत सेना
यशवंत कोठार

ृ दकटकम ् “ नाटक पर आधारत उपयास)


(शूक कृत ”म

ाचीन समय म? भारत म? उYज1यनी नामक एक अEयंत ाचीन वैभवशाल नगर था। नगर म?
हर कार क8 सख
ु सम!ृ  थी। नगर Oयापार, संगीत, कला तथा साहEय का एक बड़ा के  था।
XाZमण, वैIय, श
ू सभी मलकर रहते थे। मगर अEयVधक सम!ृ  के कारण इस नगर के समाज
म? नाना कार क8 बरु ाइयाँ Oया\त हो गई थी। राजशि]त का भEु व धन बल के कारण ^ीण हो
गया था। जन र^ण क8 Oयवथा अछ_ नहं थी। यदा कदा राYय ;ां1त के चलते राजा बदल
दये जाते थे। जआ
ु ं, चोर , चकार , ल<पटता , बदमाशी का बोल बाला था, राजसEता के चाटुकार,
.रIतेदार मनमानी करते थे। बौ धम# का भाव तो था, मगर राजा क8 और से आNय नहं था।
बौ !वहारD म? नाकारा लोग भर गये थे।

सम!ृ  इस नगर म? िजस तरफ से वेश करती, अपने साथ जुआ, शराब, व वेIयागमन आद क8
बुराइयD को भी साथ लाती। आVथ#क उदारता ने लोगD के च.र) को डस लया था।

इसी सम
ृ , वैभवशाल उYज1यनी नगर म? एक भOय राज माग# पर अ धकार म? bयात गcणका
वस त सेना भागी चल जा रह है । चारD तरफ 1न!वड़ अ धकार। राB) का d!वतीय हर।

रह रहकर वस त सेना के भागने क8 आवाज?। उYज1यनी के राजा का साला संथानक अपने


अनच
ु रD के साथ वस त सेना के पीछे पीछे तैजी से भाग रहा है । संथानक स को श बोलता है ,
इसी कारण शकार नाम से समाज म? पहचाना जाता है । ‘वश त शेना क जाओ वश त शेना।‘

मगर वस त सेना का अंग अंग कांप रहा था, वह बेहद डर हुई थी, वह जानती थी %क राजा के
साले के चंगुल म? एक बार फंस जाने के बाद बच 1नकलना असंभव है । शकार अपने अनुचरD के
साथ VचMलाता हुआ चल रहा था।

वश त शेना। वश त शेना।

भागते भागते वस त शेना ने पुकारा।

पMलवक, पMलवक।

मा1घ!वके, मा1घ!वके॥
मद1नके, मद1नके॥।

हाय। अब मेरा ]या होगा। मेरे अपने कहां चले गये हाय अब मS ]या कं। मुझे अपनी र^ा खद

ह करनी पड़?गी। वस त सेना ने वयं से कहा।

दौड़ते दौड़ते शकार वस त सेना के नजदक आ गया। बौला-ऐ दो कौड़ी क8 गcणका, तम


ु अपने
आपको शमझती ]या हो? मS राजा का शाला हूं - शाला । तमु %कसी को भी पक ु ारो अब त<
ु हार
र^ा कोई नहं कर सकता ]यD%क मS राजा का शाला हूं। मेरे हाथD शे त<
ु ह? अब कोई नहं बचा
शकता ?

वस त सेना ने दे खा अब बचना मुिIकल है । ऐसी िथ1त म? उसने शकार से कहा।--

आय#। मझ
ु े ^मा कर? । मS अभाVगन अनाथ हूं।

शकार - तभी तो तुम अभी तक जी!वत हो।

वस त सेना - आय# आपको मेरा कौनसा जेवर चाहए। मS अपने सभी आभूषण आपको सहष# दे ने
को तैयार हूं।

शकार - मुझे आभूषूण नहं चाहए दे वी। तुम मुझे Iवीकार करो।

मुझे अंVगकार करD। मुझे \यार करो। मुझे तु<हारा शमप#ण चाहए।

बश शमपण
ू ।#

वस त सेना ;ोध से उबल पड़ी।

- त<
ु ह? शम# आनी चाहए। मS ऐसे शTद भी सन
ु ना पस द नहं करती।

शकार - मुझे \यार चाहए। शमप#ण चाहए।

वस त सेना - \यार तो गण
ु D से होता है ।

शकार - अब शमझा। तुम उस 1नg◌ान# XाZमण चादEत पर ]यD मरती हो, जो गरब, अशहाय है ।
और मुझे डराती है । और अब शुन बाइंर ् तरफ ह तेरे ेमी चादEत का घर है ।
वस त सेना को यह जानकर आिEमक संतोष होता है %क वह अपने !य आय# चादEत के घर
के आस पास है । वह सोचती है %क अब उसका मलना अवIय हो पायगा। अब उसे कौन रोक
सकता है । वह अ धेरे का लाभ उठाकर आय# चादEत के भवन म? वेश कर जाती है । शकार
और उसके साथी अ धकार म? भटकते रहते हS।

-- -- --

आय# चादEत एक अEयंत गरब मगर स<मा1नत XZमण है । वे दनD- गरबD के कMपव^
ृ है ।
द.रD क8 लगातार सहायता करने से वे वयं गरब हो गये है । चादEत के !पतामह एक धनाiय
Oयि]त थे। उनका ल<बा चौड़ा Oयापार - Oयवसाय था, मगर काल के वाह म? लWमी और सम!ृ 
उनसे ठ गई थी, मगर चादEत का मजाज रईसाना था। उनक8 पEनी धत
ू ा अEयंत शालन
तथा प1तKता )ी थी। चादEत का एक पु) रोहसेन था। जो छोटा बालक था। िजस समय कला
वीण उHा त च.र) तथा मुjधाना1यका वस त सेना ने आय# चादEत के आवास म? वेश %कया,
उसी समय चादEत का सेवक मै)य
े मातद
ृ े !वयD पर बल चढ़ाने हतु से!वका रद1नका के साथ
बाहर 1नकल रहा था। वस त सेना के आगमन से हवा के तेज झDके से दपक बुझ गया। इस
व]त आय# चादEत ने वस त सेना को रद1नका समझ लया। मै)य
े ने दपक जलाने का यास
छोड़ दया ]यो%क घर म? तेल नहं था। इसी समय शकार व !वट भी चादEत के घर म? वस त
सेना को ढूंढ़ते हुए वेश कर जाते हS। मै)य
े को यह सब सहन नहं होता है। वो कहता है ---

कैसा अ धेर है । आज हमारे वामी 1नध#न है तो हर कोई उनके घर म? घुसा चला आ रहा है ।

शकार व !वट रद1नका को अपमा1नत करते हS। आप रद1नका का अपमान ]यD कर रहे है । मS
इसे सहन नहं कंगा। मै)य
े ने ;ोध से कहा।

मै)य
े गुसे म? लाठ_ उठा लेता है । शकार का सेवक !वट अपने कृEय क8 ^मा मांगता है । मै)य

को महसूस होता है । %क असल अपराधी तो राजा का साला शकार है , िजसका नाम संथानक है ।
वह !वट को कहता हS।

तम
ु लDगD ने यह अछा नहं %कया है । मेरे वामी आय# चादEत गरब अवIय है , मगर इस परू े
नगर म? अEयंत स<मा1नत नाग.रक है । उनका नाम सव#) आदर से लया जाता है । आप लDगD ने
आय# चादEत के सेवकD पर हाथ उठाया है । दासी रद1नका के अपहरण का यास %कया है ।

शकार - मगर हम तो वस तसेना को ढूंढ़ रहे है ।


मै)य
े - ले%कन यह तो वस तसेना नहं है ।

शकार - भूल हो गयी।

!वट - हम? ^मा कर? । आय# चादEत को इस घटना क8 जानकार नहं होने द? ।

ठ_क है । आप लोग जाइये।

मगर शकार नहं जाता । वो चादEत के सेवक मै)य


े को बार बार वस तसेना को अपने हवाले
करने के लए कहता है । शकार कहता है - अरे दkु ट शेवक, उश गरब चादEत को कहना %क
गहनD से शजी वेIया वश त शेना त<
ु हारे घर म? है। उशे मेरे पाश भेज दो नहं तो शदा के लए
दIु मनी हो जायगी। मS उसे नkट कर दं ग
ू ा। मS राजा का शाला हूं शाला।

मै)य
े समझा बुझा कर शकार व !वट को वापस भेज दे ता है ।

-- -- --

मै)य
े भवन के अ दर जाता हS । वो रद1नका को पन
ु ः समझाता है %क आय# वयं दख
ु ी हे , उ ह?
इस घटना क8 जानकार दे कर और Yयादा दख
ु ी मत करना । रद1नका मान जाती है । इसी समय
चादEत अ धेरे मे वस त सेना को रद1नका समझ कर कहते हS।

रद1नके पु) रोहसेन को अ दर ले जाओ और उसे यह दश


ु ाला औढ़ा दो, सदm बढ़ रह है । उसे हवा
लग जायेगी। यह कह कर चादEत अपना दश
ु ाला उतार कर वस त सेना को दे दे ता है । वस त
सेना समझ गई %क आय# चादEत ने उसे दे खा नहं है और उसे अपनी दासी समझ रहे है । वह
दश
ु ाला लेकर उसे सघ
ू ंती है , स न होती है--

चमेल के फूलD क8 खश
ु बू वाला आय# का दश
ु ाला।

वाह․․․․․․․․। बहुत स
ु दर․․․․․․․। अभी आय# का दल और शरर जवान है ।

चादEत पुनः रोहसेन को अ दर ले जाने के लए कहते हS। मगर वस त सेना कुछ जवाब नहं
दे ती है । मन ह मन सोचती है । - आय# मुझे आपके गह
ृ वेश का अVधकार नहं है । मS ]या कं
?

चादEत पुनः कहते है ---


रद1नका तुम बोलती ]यD नहं हो। तभी मै)य
े तथा रद1नका अ दर आते हS। मै)य
े कहता है ।--

आय# रद1नका तो ये रह ।

तो वो कौन है ? बेचार मेरे छू जाने से अप!व) हो गई।

- नहं नाथ मै◌ै तो प!व) हो गई। मेर जनम जनम क8 साध पूर हुई। वस तसेना ने वयं से
कहा।

चादEत -यह तो बहुत स


ु दर है । शरद के बादलD क8 च कला क8 तरह लगती है । ले%कन मSने
पर )ी को छू कर अछा नहं %कया।

मै)य
े - ऐसा नहं है आय#। आपने कोई पाप नहं %कया। ये तो गcणका वस तसेना है , जो
कामदे वायतन बाग महोEसव के समय से ह आप पर मोहत है । आप का कोई दोष नहं है । यह
तो वयं आपको चाहती है ।

चादEत - अरे तो ये वस तसेना हS मS 1नध#न, गरब, द.र, XाZमण। मS कैसे अपने \यार को
कट कं। मS मजबूर हूं वस तसेना मS मजबूर हूं। मुझे ^मा कर? । मेरा आवास भी तु<हारे लायक
नहं है ।

आय# चादEत यह कह कर वस त सेना को थम बार भर पूर 1नगाहD से दे खते हS। अ1तम
सौ दय#, धवल रं ग, सद
ु श#न दे ह यिkट , चपल ने), मदमत चाल, गजगामनी और मjु धाना1यका क8
तरह का Oयवहार चादEत अपनी सध
ु बध
ु खो बैठते हS। मगर तरु त संभलते हS। मै)य
े उ हे
सVू चत करता है %क राजा पालक का साला संथानक आया था तथा वस त सेना को ले जाना
चाहता है यद ऐसा नहं %कया गया तो वह हमेशा के लए हमारा श)ु हो जायगा। राजा के साले
के साथ श)त
ु ा हम? महं गी पड़ेगी।

मगर चादEत इस बात पर कोई gयान नहं दे ता है । वो तो वस तसेना के ेम म? पागल हो


जाना चाहता हS कहता है--

आप एक दसू रे से ^मा मांगते रहे , मS तो आप दोनD को णाम करता हूं । मेरे णाम से आप
दोनD स न होने क8 कृपा कर? ।

दोनD हं स पड़ते हे । मानD हजारD पखे एक साथ आसमान म? उड़ पड़े हो।


वस तसेना कह उठती है - आय# अब मेरा जाना ह उVचत है , यह भ? ट मुझे हमेशा याद रहे गी।
आय# मेरे ऊपर एक कृपा कर? , मेरे आभष
ू ण व हार आप घरोहर के प म? रखल?, ये चोर- बदमाश
मेरा इसीलए पीछा करते हS।

चादEत - वस तसेना। मेरा आवास धरोहर के लायक नहं है ।

वस तसेना - आय# । यह असEय है । धरोहर तो योjय Oयि]त के यहां रखी जाती है , घर क8


योjयता को कोई महEव कभी नहं दे ता । मझ
ु े आप सव# कार से योjय लगते हS।

चादEत - ठ_क है । मै)य


े ये आभूषण ले लो।

मै)य
े - आभष
ू ण ले कर कहता है - जो चीज हमारे पास आ गई वो हमार है ।

चादEत - नहं हम आभष


ू ण यथा समय लौटा द? गे।

वस तसेना घर जाने क8 इछा कट करती है ।

चादEत दख
ु ी मन से मै)य
े को वस त सेना को छोड़ आने को कहता है, मगर मै)य
े अवसर के
महEव को समझ कर वयं जाने से मना कर दे ता है , ऐसे अवसर पर चादEत वयं जाने को
तुत होते है , दपक जलाने के लए कहते है , मगर सेवक तेल नहं होने क8 सूचना दे ता हS दपक
के अभाव मS ह वस त सेना चादEत के साथ बाहर 1नकलती है । च मा क8 दVू धया रोशनी म?
वस त सेना का सौ दय# कई गन
ु ा बढ़ गया है । चादEत \यासी नजरD से वस त सेना को
1नहारता हS वस त सेना भी \यार भर नजरD से दे खती हS नजर? मलती है । शीo ह वस त सेना
का आवास आ जाता हS चादEत से आpा ले वस त सेना अपने ासाद म? वेश कर जाती है ।
चादEत चोर नजरD से दे खता है । वापस आकर वस त सेना के आभष
ू णD क8 र^ा का भार मै)य

व सेवक वध#मानक को सqपता हS चादEत रात भर वस त सेना के सपने म? खोया रहता है ।
वस त सेना भी अपने शयन क^ म? चादEत के !वचार मन म? लेकर 1नंा के आगोश म? समा
गई ।

-- -- --

वस तसेना का भOय ासाद । अ1तम सौ दय# क8 मलका वस तसेना का ासाद नगर वधू के
सव#धा अनुकूल। इस ासाद म? कई क^, क^D म? सु दर तेल Vच), अभसार के, मनुहार के, वस त
के, \यार के, केल- ;8ड़ा के , जल;8ड़ा के और बाहर उपवन। उपवन म? कोयल, पपीह? क8 आवाज?।
सु दर, सुवासत पुkप, पेड़ पौधे, फOवारे , हर तरफ Nग
ं ृ ार , अभसार, काम कला का वातावरण। यहां
तो हर रात दवाल हर दन मधम
ु ास। इस सुसिYजत ासाद का एक सुसिYजत क^ dवार पर
पkु प मालाएं लटक रह है । बैठने के दो आसन है । मgय म? एक रEनजrडत आसन पर गcणका
वस तसेना बैठ_ है ओर वीणा को हMके वर म? बजा रह है । पkु पD से, घप
ू से परू ा क^ सव
ु ासत
हो रहा है । स<पण
ू # वातावरण म? अभसार , !वलास , केल;8ड़ा महक रह है । स<पण
ू # साज-
सYजा कलाEमक है । आभजाEय है । स<प नता पग पग पर sिkटगोचर है । वस त सेना वीणा
बजाते हुए !वचारD म? खो जाती है । एक पkु प उठाकर मु कराती है ।, सोती है। अपनी दासी
मद1नका को बल ु ाती है । वसनत
् सेना मद1नका को बल ु ाती है । वस तसेना मद1नका को दे खकर
अलसाई हुई अंगड़ाई लेती है , पkु प मद1नका पर फ?कती हे । तभी मांजी क8 से!वका चेट आती है ।
और वस तसेना से कहती है --

मांजी क8 आpा है %क अब आप ातः कालन नान करके वछ हो जाये तथा दे वताओं क8
पूजा - अच#ना कर ल?।

नहं मांजी से कहD। आज मेरा मन ठ_क नहं है , मS नान भी नहं कंगी, पूजा, XाZमणD से करवा
लो। मS आज कुछ नहं कंगी।

चेट इस जवाब को सुनकर चल जाती हS मद1नका वस तसेना के बालD म? हाथ %फराते हुए
पछ
ू ती है ।

आयt म? आपसे नेह से पूछ रह हूं, अचानक आपको ]या हो गया है ? आप का मन कहं भटक
गया है ? कहं आपको %कसी से आसि]त तो नहं हो गयी है ।

मद1नके मेर सखी, तम


ु ऐसा ]यD सोच रह हD। तम
ु मझ
ु े ऐसी नजरD से ]यD दे खती हो। ]या
त<
ु ह? लगता है । %क मS अ यमनक हो गयी हूं। मद1नका ने वस तसेना क8 आंखD म? आंखD
डालकर कहा--

मS आपको \यार क8 नजर से दे ख रह हूं और मुझे !वIवास है %क आपको %कसी से \यार हो गया
हS।

वस तसेना - शायद तुम ठ_क कह रह हो। तुझे दस


ू रD के मन का हाल बहुत जMद पता चल
जाता है । तुम तो सब कुछ जान जाती हो।

आपको मेर बात अछ_ लगी । यह मेरा सौभाjय है । ]या आपक8 आसि]त %कसी राजा या
राYयाVNत पर हुई है ।
नहं सcख। मेर म), मS तो सेवा नहं \यार चाहती हूं। शु \यार। Oयवसाय नहं। Oयवसाय बहुत
कर लया। अब तो बस \यार․․․․․․․․․समप#ण। वस तसेना ने आहत मन से जवाब दया।

तो ]या आपके मन म? %कसी XZमण युवक क8 छ!व Bबराजी है या कोई धनवान Oयापार ।

\यार। धनवान क8 ी1त का ]या भरोसा !वयोग दे कर चला जाता है । XाZमण हमारे लये
पज
ू नीय होते हS। वस तसेना ने %फर कहा।

तो आयt बताइये न वह सौभाjयशाल कौन है , िजसने हमार ाण !य सcख का VचEत चरु ा लया
है । मद1नका ने जोर दे कर पूछा।

इस बार वस तसेना फंस गई। इ कार करते नहं बना कह बैठ_।

तुम तो सब जानती हो। तू मेरे साथ कामदे वायतन बाग गई थी। %फर भी अनजान बनती हS वहं
पर तो तुझे दखाया था।

अछा समझ गई उ हं क8 याद म? आप खोई हुई है । वे तो सेठो के मोहMले के 1नवासी हS


और․․․․․। मद1नका बोल।

उनका नाम ]या है ? आतरु वर म? वस तसेना ने पूछा ।

अरे उनका नाम तो आय# चादEत है ।

तू ने BबMकूल सह पहचाना, मेरा रोग। इस नाम को सन


ु ने मा) से मेरे मन क8 अिjन शीतल हो
गयी है । ऐसा लगता है जैसे मेरे स<पण
ू # शरर म? स नता Oया\त हो गई। सcख तू ध य है ।

ले%कन वे बहुत 1नध#न है । मद1नका ने जानकार द।

अरे पगल। इसीलए तो मS उ ह? चाहती हूं। गcणका यद 1नध#न से \यार करे तो कोई बरु ा नहं
मानता। %फर उनके गणु D का ]या कहना। गण ु वान होना भी तो सम!ृ  है ।

ले%कन ]या 1ततलयां Bबना पराग के फूलD पर भी बैठती है ।

चप
ु कर सcख। Bबना पराग के फूलD म? भी सग
ु ंध और रं ग हा◌ेता है । मS ऐसे ह पkु प को \यार
करना चाहती हूं।
ले%कन आप उनसे मलती ]यD नहं ? सcख उनसे मलना आसान नहं। !वयोग और इंतजार का
अपना आंनद है , मS इंतजार कंगी।

और आप अपने आभूषण उ ह? दे आई।

चप
ु कर। शैतान। %कसी से कहना नहं।

नहं कहूंगी।

दDनD cखलcखला कर हं स पड़ती हS। वस तसेना मद1नका क8 सहायता से दै 1न दनी काय# स<प न
करती है ।

उYज1यनी नगर म? हर तरह क8 सम!ृ  थी । राजा पालक अनाय# था। अ]सर उसके प.रवार के
सदयD के dवारा जा पर अEयाचार, %कये जाते थे। राजा इन समाचारD क8 और gयान नहं दे ता
था। राजा के 1नवास म? रहने वाल ि)यD के .रIतेदार सवयं
् को राजा का साला बताकर
अEयाचार करते थे। इन लोगD क8 शकायत नहं क8 जा सकती थी राजा का एक बल !वरोधी
आय#क ^)ीय नहं था, वह गोपपु) था। सामािजक संरचना म? अ त!व#रोध थ?, मगर जा अपने
आमोद मोद छल पंच तथा !वलासता म? Oयत रहती थी ^)ीय राज पालजक और गोपपु) के
आय#क म? राज का संघष# यदा कदा उभर कर आता था, इसी कारण पालक ने आय#क को जेल म?
ब द बना लया था। उYज1यनी महानगर था और इसी कारण यहां पर Oयापार - Oयवसाय, कला,
संकृ1त, साहEय, आमोद मोद के चरु साधन थे। घत
ू ;8ड़ा एक Oयवसाय क8 तरह फल फूल
रहा था।
नाग.रक !वलासी थे, आसव का योग चरु प से होता था। आसव शालाओं म? घत
ू ;8ड़ा एक
अ1नवाय# शत# थी। नाग.रक पEनी के अलावा उप पEनी , दासी , वधू आद रखते थे और समाज
!वकृ1तयD से भरा पडा था। गcणकाएं सव# सल
ु भ थी । समाज म? उ ह? आदर ा\त था। वे सख

साgय थी अथायी !ववाह संबंध एक आम बात थी समाज म? कंु वार मां प)
ु या दासी प)
ु या
गcणका पु) के स<बोधन दये जाते थे। कुल मलाकर उYज1यनी नगर क8 Oयवथा, र1त .रवाज,
ukट , कामुक और अनै1तक थे। समाज के सभी वग# और वण# एक दस
ू रे से स<प नता मं◌े◌ं होड़
ले रहे थे। ि)यD को काफ8 वतं)ता थी, वे अपने ेमयD से खल
ु े आम मलती थी, अभसा.रकाएं
वनD , उपवनD , बागD आद म? रमण करती थी। समाज म? चा.रB)क !वप नता Oया\त थी।
घूत ;8ड़ा लोक!य खेल था। अ]सर नाग.रक घूत ;8ड़ा म? कुछ भी दांव पर लगा दे ते थे। जुआ
को शासक8य अनम
ु 1त थी। घत
ू ;8ड़ाgय^ शासन क8 और से 1नय]
ु त %कये जाते थे। वे जआ
ु .रयD
से राश क8 वसल
ू  करते थ?।

ऐसे उYज1यनी नगर के एक घूत;8ड़ा गह


ृ म? घूत ;8ड़ाgय^ माथरु एक जुआर को पकडने के
लए VचMला रहा है ।

पकड़ो। उसे पकड़ो। उस चोर , जआ


ु र संवाहक से हम? असी रEती सोना वसल
ू करना है । उसे
पकड़ो, भागने मत दो।

संवाहक नामक जुआर जुएं म? दांव म? सब कुछ हार गया है, भागता है , मगर बचकर जाने का
राता उसे दखाई नहं दे रहा हS वह मन म? सोचता है यह जुआ भी केसी बुर और बेकार लत
है । अब कैसे जान बचाऊं ? कहां जाऊं ?। जीता हुआ जुआर और घूताgया^ माथरु मुझे ढूंढत? हुए
इधर ह आ रहे हे । है भगवान। अब मS ]या कं? %कसी मंदर म? मू1त# बनकर बैठ जाउं तो कैसा
रहे , यह सोच कर संवाहक पास के मंदर म? छुप जाता है । मू1त#वत बैठ जाता है । संवाहक से दाव
जीतने वाला जुआर और माथरु दोनD संवाहक को ढूढते हुए मंदर के पास आते हS। मगर उसे
आस पास न पाकर परे शान होते हS। माथरु को जुआर कहता है--

दे cखये उसके पांवD के 1नशान है , शायद वो इस मंदर म? छुप गया है ।

चलो उसको ढूंढते हS।

माथरु और जुआर मंदर म? आते हS। माथरु और जुआर वहं मंदर क8 मू1त#यD के सामने जुआं
खेलने बैठ जाते हS संवाहक इन दोनD को जुआ खेलते हुए दे खता हS और शीo ह उनम? शामल
होने को उEसुक हो जाता है। संवाहक को दे खकर माथरु औरा जआु र उसे पकड कर असी रEती
सोना वसूलने का यास करते हS संवाहक के पास दे ने को कुछ नहं हS माथरु और जुआर
मलकर उसे मारते हS। संवाहक के नाक से खन
ू बहने लग जाता है माथरु कहता है-

अब तू बच कर कहा जायेगा ? तुझे हर हालत म? सोना दे ना होगा।

संवाहक - मगर मेरे पास है नहं तो द ू कहां से।

माथरु कहता है - नहं हS तो बचन दो।


संवाहक आधा सोना चक
ु ाने का वचन दे ता हS और आधा सोना माफ कर दे ने क8 ाथ#ना करता
है ।

यह समझोता हो जाने पर संवाहक जाना चाहता है , मगर माथरु उससे कहता है %क आधा सोना
मलने पर ह हम तु<ह? जाने द? गे। बेचार संवाहक इस स<पूण# करण म? फंस गया है । राजा का
भय दखाने पर VचMला पड़ता है । अरे दे खो याय करने वालो। ये लोग मझ
ु े नहं छोड रह? हS एक
बार सोना छोड दे ने पर भी %फर पकड लया है । हे नगर वासयD मुझे बचाओ। ले%कन संवाहक
को बचाने के लए कोई नहं आता हS इधर माथरु और जुआर उसे पकड़ कर सोना वसूलने के
यास जार रखते हS।

जा %कसी को बेच कर सोना ला।

%कसे बेच।ूं

मां बाप को बेच कर ला।

मेरे मां बाप मर चक


ु े है ।

तो खद
ु को बेच डाल ।

हां मुझे राज माग# पर ले चलो। शायद वहां कोई मुझे खरद लै।

संवाहक नाग.रकD से वयं को ;य करने का अनुरोध करता हS मगर कोई उसे ;य नहं करता।
संवाहक जो वातव म? चादEत का पुराना सेवक है , रो पडता है और माथरु उसे घसीटता है -
पीटता है मारता है । संवाहक VचMलाता है , रोता है । मार खाता है , मगर कुछ कर नहं पाता।

एक अ य जआ
ु र ददरु ै क आता है वह भी माथरु से डरता हS ददरु े क माथरु को णाम करता हS
और संवाहक को छुडाने का यास करता हS माथरु कहता है-

मुझे संवाहक से असी रEती सोना वसूल करना है, जो यह जुआ म? हार गया है ।

ले%कन माया तो आनी जानी है , तम


ु ]यD इसे परे शान कर रहे हो।

अछा तो तुम चक
ु ा दो।
अछा एक काम करो तुम इस संवाहक को असी रEती सोना और दो, यद यह जीत जाता है तो
त<
ु हारे दोनD दाव चक
ु ा दे गा।

और यद हार गया तो।

तो सारा सोना एक साथ ले लेना। ददरु ै क के इस कथन पर माथरु VचMलाता है ।

तुम कुछ नहं समझते । तुम चप


ु रहो। मS माथरु हूं। %कसी से नहं डरता।

ये आंखे तम
ु मझ
ु े मत दखाओ। ददरु ै क बोला।

नीच 1नकाल मेरा सोना। संवाहक को माथरु मारता है ।

तम
ु संवाहक को छोड दो। त<
ु हारा सोना मल जायगा।

नहं मS तो संवाहक से ह वसूल कंगा।

माथरु संवाहक को %फर मारता है । माथरु संवाहक के साथ साथ ददरु ै क को भी मारता हS गालयां
दे ता है ।

तुमने मुझे Bबना गलती के मारा हS कल मS राज दरबार म? तु<हार शकायत कंगा।

जा कर दे ना।

अचानक ददरु ै क एक मुvठ_ धल


ू लेकर माथरु क8 आंखD म? झDक दे ता है , माथरु जमीन पर Vगर
जाता है , संवाहक और ददरु ै क भाग जाते हS, ददरु ै क गोप प)
ु आय#क के पास चला जाता है । उसके
Vगरोह म? भतw होता जाता है ।

संवाहक एक भOय ासाद के सामने आ खडा होता है , दरवाजा खल


ु ा दे ख कर उसम? वेश कर
जाता हS ासाद म? वेश करते ह वस तसेनाको दे खता हS णाम करता है । और कहता है ।

दे वी मे◌ै◌ं आपक8 शरण म? आया हूं । शरणागत क8 र^ा करना आपका कत#Oय है ।

वस तसेना उसे अभयदान दे ती है । दासी को दरावाजा बंद करने को कहती है और दरवाजे क8


कुxडी लगवा दे ती हे । अब संवाहक क8 घबराहट कुछ कम होती है ।
संवाहक को दे खने के बाद वस तसेना अपनी से!वका मद1नका को इशारा करती है । वह संवाहक
से जानकार लेती है %क संवाहक पटना शहर का 1नवासी है और मालश का काम करता हS इस
शहर क8 शंसा सन
ु कर यहां पर रोजगार क8 तलाश म? आया है और मीठे , हं समख
ु , 1छपे हाथ से
दान दे ने वाले, दस
ू रD क8 बरु ाई और अपनी भलाई भल
ू जाने वाले एक आय# क8 सेवा म? था। मगर
वे 1नध#न हो गये हS और वह अनाथ।

हां आयt म? आय# का सेवक था। अब वे धनहंन हो गये हS◌ं।

हां गण
ु और धन का मेल नहं होता हS अ]सर गण
ु ी Oयि]त धनहंन हो जाता हS वस त सेना
बोल।

हां आयt। आयt चादEत 1नध#न हो गये हS।

आय# चादEत का नाम सुन कर ह वस तसेना को अपार स नता होती है। वह संवाहक को
कहती है --

तुम इसे अपना ह घर समझो। मद1नका इनके आराम क8 Oयवथा करो। इ हे सब सु!वधाऐं दो।

संवाहक यह सब सुन कर स न होता है । वह सोचता है आय# चादEत के नाम मा) से उसे सब


सु!वधाएं मल रह है । वस तसेना आय# चादEत के बारे म? और जानकार चाहती है पूछती है --

अब वे कहां है ?

उनके धनहंन होने के बाद मS जुआर हो गया। मS बरबाद हो गया। मS असी रEती सोना हार
गया। माथरु पीछा कर रहा हे । उ होने मुझे बहुत मारा।

इसी बीच माथरु और जआ


ु र खन
ू क8 बंद
ू D का पीछा करते करते वस तसेना के घर पर दतक
दे ते हS। वस तसेना मद1नका को अपना कंगन दे कर कहती है--

आय# चादEत के सेवक के ऋण का भार उतार दो। धत


ू ाgय^ को सोने का कंगन दे दे ा। और
कहना - इसे संवाहक ने भजवाया है । मद1नका जाकर माथरु को सोना चुका दे ती हे । माथरु और
जुआर चले जाते हे । संवाहक कृत कृEय हो जाता है ।

मद1नका वापस वस तसेना के पास आती है , संवाहक मद1नका को दे खकर खश


ु होता है । वह
वस तसेना से पूछता है --
आयt मेरे लायक कोई सेवा हो तो बताय?।

सेवा तो आप आय# चादEत क8 ह कर? । वस तसेना ने कहा।

मेरा बहुत अपमान हो गया है । मS अब बौ भ^ु बन जाउं गा।

नहं। आय# नहं। मद1नका कहती है ।

ले%कन मS 1नIचय कर चक
ु ा हूं। संवाहक ने कहा। तभी वस तसेना के ासाद के बाहर शोर
उभरता है ।

वस तसेना का मत हाथी खल


ु गया है । कण#पूरक वस तसेना के क^ म? आता है ।

]या बात हS कण#परू क । बहुत स न दखाई दे रहे हे ा ।

हां आयt । णाम । आज मSने आपके मत हाथी को काबू म? करके एक स यासी क8 जान बचाई
है ।

बहुत अछा कण# पालक तुमने एक बडे अनथ# को होने से बचा लया। मS बहुत खश
ु हूं।
वस तसेना ने कहा।

ले%कन आयt आगे सु1नये YयDहं मSने हाथी को काबू म? %कया एक सYजन नाग.रक ने आभूषण
के अभाव म? मेरे ऊपर बहुमूMय दश
ु ाला फ?क दया।

दश
ु ाले का नाम सुनकर ह वस तसेना कह उठती है---

जरा दे खना ]या दश


ु ाले म? चमेल के फूलD क8 ग ध है ?

]या उस पर कुछ लखा हे ।

हां आयt इस पर चादEत लखा है ।

वस तसेना दश
ु ाले को लेकर औढ़ लेती है । मुकुराती है । शरमाती है ।

वस तसेना कण#परू क को आभष


ू ण इनाम म? दे ती है ।
कण#पूरक चला जाता हे । वस तसेना मद1नका से चादEत क8 बात? करने लग जाती है ।
वस तसेना चाव से दश
ु ाला लपेट लेती है ।

-- -- --

1नध#नता मनुkय जीवन का सबसे बड़ा अभशाप है । 1नधन# होना ह सबसे बडा अपराध है । य^ ने
जब युVधिkठर से पूछा %क संसार म? सबसे Yयादा दख
ु ी कौन है ? तो युVधिkठर का EयुEतर था-
1नध#न Oयि]त सबसे Yयादा दख
ु ी है । उप1नषदD म? भी 1नध#नता को पौषहनता माना गया है।
अथा#त ् Oयि]त मे पौष उतना ह है , िजतना उसके पास धन हे । सभी गुण कंचन म? बसते हS।
धनवान ह पवान , च.र)वान , साहEय, कला, संकृ1त का पारखी , सYजन और सबल होता है ।
इर युग म? धनवान क8 पूछ होती रहती है। राजा भी धनवान क8 बात gयान से सुनता हS। इस
कल युग म? इस धन का महEव और z◌ा◌ी Yयादा हS जीवन म? 1नध#नता का अभशाप सबसे
ु म? सब कुछ ;य %कया जा सकता हS और इसी कारण Oयि]त
बडा अभशाप है। धन से कलयग
साम, दxड , दाम, भेद, सह , गलत सभी तरकD से धन कमाने के लए टूट पडता हS, वह पैसे क8
इस अ धी दौड म? घुड दौड के घोडे क8 तरह दौड रहा हS राYयाNय तथा राजाpा 1नध#न के लए
नहं होती है , 1नध#न तो हमेशा दख
ु ? कोप और दभ
ु ाjय का मारा होता है, और यद Oयि]त
धनवान से 1नध#न हो जाता हS तो उसके कkट और बढ़ जाते है , म) मुंह मोड लेते हे , .रIतेदार
पहचानना बंद कर दे ते हS। और उपे^ा , अपमान का जीवन जीने को बाgय होना पड़ता है ।

आज कल आय# चादEत इसी अपमान को जी रहे है । उनका सेवक ब#मानक आवास म? अकेला
अपनी और अपने वामी क8 1नध#नता को कोस रहा हS 1नध#न , गरब वामी का सेवक ]या कभी
सुख पा सकता हS नहं। और धनवान का सेवक ]या कभी दख
ु पा सकता है ? नहं। व#मानक
सोचता हS और पIचाताप करता है । ले%कन सेवक क8 अपनी मजबू.रयां, सीमाएं , मया#दाएं होती है ।
, िजस कार हरे धान का लोभी सांड बार बार एक ह खेत म? घुस जाता हS वेIयागामी पुष और
जुआर अपने Oयसन नहं छोड सकते है , उसी कार मS भी अपने वामी को नहं छोड सकता हूं
। आय# चादEत अभी रा)ीकालन संगीत सभा से लौटे नहं हS । व#मानक बैठक म? उनका
इंतजार कर रहा है ।

चादEत अपने म) !वदष


ू क मै)य
े के साथ आवास क8 ओर आ रहे हS।

चादEत रा)ीकालन सौ<य वेशभूषा म? हS। वे एक संगीत सभा म? रे मल का गायन सुनकर आ
रह? है । आय# रे मल के गायन क8 मु]तकंठ से शंसा कर रह? है । वे मै)य
े से कहते है ः◌ं-
मै)य
े यह वीणा भी अपूव# वाdय है । वीणा तो Oयाकुल मानव का सचा साथी हS यह मन बहलाव
का उEतम साधन हS यह ेम को जगाने वाला प!व) वाdय हS सच म? रे मल बहुत स
ु दर गाते हS।
उनके गले म? सरवती का वास हS मै)य
े अनमना सा साथ चल रहा हS कहता है ः-

मुझे तो शा)ीय संगीत सुनकर हं सी आती है । ऐसी पतल आवाज म? गाने वाले पुष तो मं)
जपता पंrडत सा तीत होता है ।

चादEत संगीत के आन द म? अभी भी आकंठ डूबे हुए हS ? वे पन


ु ः रे मल क8 शंसा करते है ः -

बहुत सु दर गाया। ]या गीत । ]या आवाज । जैसे पुkप थप%कया दे ते हो । उसने मेरे मन के
दख
ु को धो दया। मे◌ै)ेय इस वाता# से ऊब चक
ु ा था। कह उठाः -

अब जगह जगह Iवान समद


ु ाय चैन से नींद ले रहे है । आकाश म? चंमा अंधकार के लए थान
बना रहे ◌े हS और हम? भी घर पहुंच जाना चाहए। वे दोनD चलते हुए घर पहुंचते हS। मै)य

व#मानक को आवाज दे कर आवास गह ृ का दरवाजा खल ु ाता है । वध#मानक आय# चादEत को
दे खकर आसन Bबछाता है ।

आय# के पांव धल
ु ाने क8 Oयवथा कर? । मै)य
े कहता है ः -

व#मानक पानी डालने को उdयत होता है , मगर मै)य


े पानी डालता है और व#मानक चादEत के
पांव धेाता हS मै)य
े भी पांव धोता हS । अब व#मानक कहता है ‘- आय# मै)य
े दन भर आभूषणD
क8 र^ा मSने क8 है , अब रात म? आप gयान रख? । वह मै)य
े को गहने दे कर चला जाता हS
चादEत खो जाता हS मै)य
े वस तसेना के गहनD क8 पोटल सरहाने रख सोने का यास करता
है ।

․-- -- --

राB) का तीसरा हर।

हर तरफ नीरव शां1त । कभी कभी Iवान के भेांकने क8 आवाज? । या दरू से %कसी चौक8दार क8
जागते रहो क8 आवाज। हर तरफ सन
ु सान । इस व]त एक गरब XाZमण श!व#लक चोर करने
के !वचार से आय# चादEत के घर म? स?ध लगाता हS श!व#लक एक कलाEमक चोर है , चोर करता
हS मगर चौय#कला म? वीणता के साथ। स
ु दर ढं ग से । चांद डूब रहा हS वह सोचता हS राB) माता
क8 तरह हS मझ
ु े सरु ^ा दे ती है । श!व#लक बाग से होकर र1नवास क8 दवार के पास पहुंच जाता हS
वह चोर को बहादरु  का काम मान कर करता है । उसके अनुसार यह एक वतं) Oयवसाय है ।
इस काम म? %कसी के पास VगडVगडाना नहं पडता । श!व#लक स?ध लगाने लायक हसा ढूंढता
है । उसे भगवान कनकशि]त क8 याद आती हS जो स?ध लगाने के लए 1नयम बना गये थे। उ हं
1नयमD के अन ु प वह सं◌े◌ंध लगाता हS दवार म? हुई स?ध को एक कलाEमक प दान करता
है । ता%क दन 1नकलने पर आम आदमी उसके काय# क8 शंसा कर? । वह जनेऊ से रसी का काम
लेता है । अ दर वेश करने से पव
ू # एक नकल पत
ु ले को धकेलता हे । घर परु ाना है । बैठक म?
श!व#लक वेश करता हS चारD तरफ ढूंढता है , कुछ नहं मलता हS वह फश# पर दाने Bबखेरता है ,
मगर कुछ नहं होता । वह सोचता है आज क8 मेहनत बेकार गई, मS कहां 1नध#न के घर आ
गया। ◌ः◌ः◌ः◌ः◌ः यहां पर तो मद
ृ ं ग , वीणा , बांस.ु रयां और { थD के अलावा कुछ नहं हे । यह
तो %कसी 1नध#न XZमण का घर लगता है । श!व#लक 1नराश हो जाता है ।

बैठक म? मै)य
े सो रहा हS सपने म? सोचता है । %कसी ने घर म? स?ध लगाद है । वह सपने म? ह
गहनD क8 पोटल श!व#लक के हवाले कर दे ता हS मै)य
े उसे गाय और बा्रZमण क8 शपथ दलाकर
जबरन पोटल सDप दे ता हS मै)य
े सोचता हS श!व#लक चादEत हS श!व#लक दपक बुझा दे ता है ।
चारD तरफ अ धकार छा जाता हS वह पोटल ले लेता है । मन ह मन श!व#लक सोचता है , मS चारD
वेदD का pाता और दान न लेने वाला XाZमण हूं मगर वस त सेना क8 से!वका मद1नका के लए
यह पाप कर रहा हूं मझ
ु े उससे \यार है , और उसे दासता से छुडाने के लए धन क8 आवIयकता
हS श!व#लक पोटल लेकर चल दे ता हS वह सोचता है अब मS मद1नका को वस त सेना के बंधन से
छुडा सकता हूं मS उससे !ववाह कर के शेष जीवन आराम से गज
ु ार सकता हूं। वह चल जाता हS
सबु ह का हMका काश फैलने लगता है । VचrडयD क8 आवाज? आने लगती है । तभी पांवD क8 आहट
आती है । र1नवास से रद1नका बैठक क8 ओर आती हS वह VचMलाती है ।

अरे हमारे घर म? स?ध लग गयी। चोर हो गयी । आय# मै)य


े , उठो। व#मानक तुम कहां हो ।
जागो । हमारे यहां चोर हो गयी। मै)य
े , रद1नका स?ध दे खते हS। आय# चादEत को सूVचत करते
हS । आय# चादEत स?ध दे खकर कह उठते हS-

चोर करना भी एक कला है , ]या सु दर राता बनाया गया हS । और एक बात हS हमारे घर म?


चोर क8 नीयत से आने वाला कोई बाहर Oयि]त या नया चोर ह हो सकता है, पूरा नगर मेर
िथ1त और 1नध#नता से प.रVचत है । बेचारा चोर भी सोचता होगा इस चादEत के यहां कुछ नहं
मला।

मै)य
े चादEत क8 बात? सुनकर है रान हो गया।
आप चोर क8 Vच ता कर रह? हS ले%कन वस त सेना वे गहने कहां हS जो मै◌े◌ंने रात को आपको
दे दये थे।

%फर मजाक।

मजाक नहं मैने रात को गहनD क8 पोटल आपको द थी। उस व]त आपके हाथ भी ठं डे थे। नहं
मझ
ु े नहं दये। मगर एक शभ
ु बात ये है ◌े %क चोर खश
ु हो कर लौटा , खाल हाथ नहं गया।
चोर मेरे घर से खाल हाथ नहं गया। वह वस तसेना के गहनD को ले गया। चोर कुछ अिज#त
करके गया। यह सख
ु द हS।

ले%कन वे गहने तो वस त सेना क8 धरोहर थे। आय#।

-घरोहर। आह। ये ]या हुआ। अब मS उसे ]या मंह


ु दखाउं गा। चादEत मिु छ# त हो जाता हS।

आप घबराते ]यD हS ? हम मना कर द? ग? %क गहने हमारे यहां नहं रखे। मै)य


े ने बात को
संभालते क8 कोशश क8।

तो ]या अब मुझे मथया


् भाषण भी करना होगा। हे भाjय । मS भीख मांगूंगा मगर गहने वापस
लौटाउं गा।

इसी समय से!वका रद1नका स<पूण# घटना का !ववरण र1नवास म? जाकर आय# चादEत क8
प1तKता पEनी धत
ू ा को बताती है । धत
ू ा सब सन
ु कर बेहोश हो जाती है । रद1नका धत
ू ा क8 सेवा-
सN
ु षा करती है । धत
ू ा सोचती है ,अब इस नगर के लोग ]या सोचेग? %क 1नध#नता से परे शान
होकर चादEत ने गcणका के गहने दबा लये। 1नध#न का भाjय तो कमल के पEतो पर Vगर
पानी क8 बंद
ू क8 तरह होता है । मेर रEनावल दे कर ह इस परे शानी से छूटा जा सकता है । वह
कहती है-'तम
ु जाकर मै)य
े को यह मेर रEनावल दे दो।'

रEनावल लेकर मै)य


े चादEत के पास जाता है । दःु ख म? योjय पEनी क8 कृपा से बच जाने क8
बात मान लेता है और मै)य
े को रEनावल दे कर वस त सेना के पास भेज दे ता है । मै)य

रEनावल लेकर चला जाता है। चादEत सोचता है , मS 1नध#न नहं हूँ, मेरे पास योjय पEनी, अछा
म) मै)य
े सब कुछ है । वह ातःकालन पूजा-अच#ना म? Oयत हो जाता है ।

000
ेम जीवन का शाIवत सEय है ठ_क मEृ यु क8 तरह। ेम ह जीवन है । ेम क8 अनुपिथ1त म?
जीवन 1नसार है । ेम का आधार ह जीवन को आधार दे ता है । ेम कभी भी, कहं भी %कसी से
भी हो सकता है । धनवान )ी गरब प
ु ष से और गरब )ी धनवान प
ु ष से ेम कर लेती है ।
समाज इस आIचय# को दे खता रह जाता है । सदयD से )ी प
ु ष संबंधD पर pानी लोग चचा#
करते रहे हS, मगर कोई ठोस सव#मा य प.रभाषा का !वकास आज तक नहं हो पाया है । )ी-)ी
है और प
ु ष-प
ु ष मगर मलन, ेम, \यार के ^णD म? सब कुछ मल जाता है । समरस हो जाता
है ।

अपना वां1छत \यार पाने के लए )ी हो या पुष कुछ भी करने को तैयार रहता है , कहा भी है
%क ेम और यु म? सब कुछ जायज होता है । कुछ भी करो और वां1छत को ापत
् करो।

अपना वां1छत पाने के यासD म? ह श!व#लक ने XाZमण होते हुए भी अ य कुलन XाZमण के
घर से गहने चरु ाये ता%क अपनी !यतमा वस त सेना क8 से!वका मद1नका को दासEव से छुड़ाकर
पुनः ा\त कर सके। श!व#लक गहनD क8 पोटल को लेकर वस त सेना के ासाद क8 आरे चल
पड़ता है । मन क8 मन सोचता है , आज वह %कतना खश
ु है । उसने राB) पर, राजा के सुर^ा
कम#चा.रयD पर तथा नींद पर !वजय पाई। अपने उHेIय म? सफल रहा। अब मS सूय|दय के साथ
ह प!व) हो गया हूँ। वह सोचता है उसने यह चोर वयं के लए नहं क8 है । मैन? यह सब
अपने ेम को पाने के लए %कया है । ेम म? सब जायज हS।

वस त सेना के आवास म? वस त सेना अपने क^ म? मद1नका के साथ वाता# कर रह है । पास म?


रखे एक Vच) को दे खकर वस त सेना कहती है -

'अहा। कैसा सु दर Vच) है । सcख यह Vच) आय# से %कतना मलता है । है न मद1नका।' इसी समय
श!व#लक वस त सेना के घर म? वेश कर मद1नका को आवाज दे ता है ।

'मद1नका' ।

'आय# श!व#लक आपका वागत है । णाम। इतने दन आप कहां थे।' मद1नका ने उसके पास
आकर कहा।

मद1नका और श!व#लक एक दस
ू रे को भरपूर नजरD से दे खते हS। आँखD‘ आँखD‘ म? \यार क8, मनुहार
क8 बात? होती हS। श!व#लक आज परम स न है । मद1नका वस त सेना के आदे श को भूल गई
है । वस त सेना पुनः आवाज दे ती है । सोचती है , अरे यह मद1नका कहां चल गयी। वह झांक कर
दे खती है , वस त सेना को मद1नका %कसी पुष से वाता# म? संलjन दखाई दे ती है । वस त सेना
मद1नका के Oयवहार को दे खकर ठगी सी रह जाती है । वह सोचती है, यह पुष मद1नका को ले
जायेगा। शायद इसी संबंध म? वह मद1नका से बात कर रहा है । वह मद1नका को बल
ु ाने का
यास नहं करती।

मद1नका - श!व#लक आपस म? वाता# म? Oयत रहते हS। मद1नका कहती है -

‘श!व#लक तम
ु इतने दन कहां रहे ? और तम
ु इतने परे शान ]यD दखाई दे रहे हो। सब कुशल तो
है ।‘

श!वलक मद1नका के मुंह को 1नहारता है और धीरे से कहता है -

‘मS त<
ु ह? एक राज क8 बात बताना चाहता हूँ। gयान से सन
ु ो।‘

‘कहो ]या बात है ?‘

‘]या वस त सेना तु<हे ‘ धन लेकर मु]त कर दे गी।‘

मद1नका यह सुनकर स न होती है । कहती है- ‘आय# दे वी वस त सेना का दल बहुत बड़ा है । वे
कहती है मS तो सब दास-दासयD को छोड़ना चाहती हूँ। मगर बताओं तु<हारे पास कौनसा खजाना
है ।‘

‘मद1नका मS तु<ह? ]या बताऊँ ? कल रात भर मS सो नहं पाया। मैन? ह<मत करके चोर कर
डाल ।‘

‘]या तम
ु ने मेरे जैसी त
ु छ नार के खा1तर अपने च.र) और शरर को खतरे मS डाल दया ?‘

‘हां, आय? मSने ऐसा ह %कया। मSने वण# आभूषणD क8 चोर क8 है और ये आभूषण मS वस त
सेना को दे कर तु<ह? मु]त कराना चाहता हूँ।

गहने दे खकर मद1नका सोच म? पड़ जाती है । सोचती है ये गहने तो उसके दे खे - पहचाने हS। वह
पहचान जाती हS %क ये गहने तो वस त सेना के हS। इसी बीच श!व#लक बताता है %क गहने
चादEत के आवास से चरु ाये गये हS। वस त सेना क8 से!वका मद1नका इस स<पण
ू # करण को
समझ जाती है और डर से कांपने लगती हS। वस त सेना के गहने चादEत के पास धरोहर है ,
चादEत से चोर करके श!व#लक लाया है अपनी !यतमा को छुड़ाने, और !यतमा क8 माल%कन
वस त सेना को दे ने। ेम का कैसा सु दर B)कोण बना है । मद1नका ने आगे !वचार %कया।
ले%कन वस त सेना के गहने चादEत के पास धरोहर थे और धरोहर का चोर हो जाना, बेचारे
आय# चादEत पर ]या गज
ु रे गी।

स<पूण# करण को मद1नका समझ तो गई, मगर अब हो ]या सकता है ? श!व#लक भी कुछ
गंभीरता को समझने लगा। मगर अब ]या हो ?

‘तम
ु बताओ मद1नका। अब हम ]या कर? । ि)यां ऐसे मामलD म? Yयादा समझदार होती है ।‘

‘मेर मानो तो ये गहने चादEत को लौटा दे ा।‘

‘और अगर मामला यायालय म? गया तो।‘

‘चाँद से कभी धप
ू 1नकलती है ]या ?‘

श!व#लक आय# चादEत के गुणD से प.रVचत है ।

गहने वापस लौटाना नी1त के अनुप नहं है । कुछ और सोचो। एक उपाय और है -‘मद1नका
बोल।‘

‘वो ]या ?‘

‘तुम चादEत के दास बनकर वस त सेना को ये गहने लौटा दD न तुम चोर रहोगे और न
चादEत पर ऋण ह रहेगा।‘

‘ले%कन यह तो और भी मुिIकल है ।‘

‘इसम? कुछ भी मिु Iकल नहं है । तम


ु कामदे व - मंदर म? ठहरो। मS वस त सेना को त<
ु हारे
आगमन क8 सच ू ना दे ती हूँ। यह कहकर मद1नका तेजी से अ दर चल जाती है । वस त सेना को
स<पण
ू # घटना;म क8 पव ू # जानकार झरोखे से सन
ु ने पर ा\त हो जाती है, मगर वह मद1नका पर
जाहर नहं होने दे ती। वस त सेना मद1नका को तरु त आय# चादEत के चैट को अ दर लाने
क8 आpा दे ती है ।

श!व#लक वस त सेना के पास आता है । श!व#लक अ दर आता है । वस त सेना XाZमण को णाम


करती है । श!व#लक आशwवाद दे ता है । वह वस त सेना से कहता है ।
‘आय# चादEत ने मुझे आपके पास भेजा है और कहा है %क मS इन गहनD को अVधक समय तक
अपने पास नहं रख सकता हूँ। कृपया आप इ ह? पन
ु ः {हण कर? ।‘

वस त सेना मुकराती है । मन ह मन स<पूण# करण पर आनि दत होती है । वह श!व#लक को


मद1नका को वीकार करने का आ{ह करती हS और कहती हS -

‘आय# चादEत ने मझ
ु से कहा था %क जो गहने लाये उसे से!वका मद1नका को सqप दे ना। सो मS
आपको मद1नका सqपती हूँ। अब मद1नका आपक8 हुई। ‘श!व#लक सब समझ जाता है । वस त
सेना भी सब कुछ समझ जाती है ।

वह चादEत के गुण गाता है । वस त सेना एक गाड़ी मंगवाती है और मद1नका को उसम? बैठा


कर !वदा करती है । वस त सेना उसे उठाकर गले लगाती है । श!व#लक और मद1नका थान
करते हS।

इसी समय राजाpा क8 घोषणा होती है %क राजा पालक ने आय# को बंद लया है । श!व#लक यह
सुनकर अपने म) आय# को छुड़ाने के लए मद1नका को छोड़ कर चला जाता है । मद1नका को
वह अपने म) गायक रै मल के यहां छोड़ने को एक चैट को आpा दे ता है । श!व#लक राजा पालक
के ि◌b◌ालाफ जन समुदाय म? आ दोलन चलाता है । राजा कम#चा.रयD को भड़काता है । आ दोलन
धीरे -धीरे राजा पालक क8 शि]त को ^ीण करता है । वस त सेना क8 एक से!वका बताती है %क
आय# चादEत ने एक XाZमण को भेजा है । वह XाZमण आय# चादEत क8 पEनी क8 रEनावल
लेकर आता है ।

वस त सेना कह उठती है - ‘आज का दन %कतना स


ु दर है ।‘

कुल वधु और नगर वधू के आभजाEय म? बहुत अ तर होता है। नगर वधू वस त सेना का भOय
ासाद और चादEत के मुंह लगे सेवक मै)य
े का उसम? वेश। मै)य
े क8 आंख? इस वैभव को दे ख
कर ठगी सी रह जाती है, उसे लगता है वह %कसी इ पुर म? वेश कर गया है । वस त सेना क8
दासी के साथ वह ासाद म? वेश करता है । सव#थम ासाद के बाग क8 शोभा दे खता है और
आIचय#च%कत हो जाता है । बाग क8 शोभा बहुत स ु दर है । पेड़ फूलD-फलD से लदे हुए हS। घने पेड़D
पर झूल? डले हुए हS। शैफाल, मालती, आ{म आद पुkपD से बाग क8 सु दरता बढ़ गयी है । कमल
व तालाब क8 शां1त का मनोहर sIय है । यह सब दे खते हुए मै)य
े अ दर आता है । गहृ dवार से
मै)य
े मुbय भवन म? वेश करता है । dवार के दोनD और ऊँचे त<भD पर मMलका क8 माला
शोभायमान है । आम तथा अशोक के हरे पEतD से कलश शोभायमान है । वण# के %कवाड़ है और
हरD क8 क8ल से जड़
ु े हुए हS।

मै)य
े दासी से पूछता है-

‘आय} वस त सेना कहां है ?'

‘वे तो बाग म? है । आपको अभी काफ8 चलना है ।' मै)य े एक के बाद कई क^D म? से होता हुआ
बाग म? पहुंचता है जहां पर वस त सेना बैठ_ हुई है । वस त सेना मै)य
े को दे खकर खड़ी हो
े का वागत करती है। बैठने का आदे श दे ◌ेकर वयं भी बैठ जाती है । वस त
जाती है । वह मै)य
सेना अपने !यतम आय# चादEत के कुशल समाचार जानने को अEय त उEसुक हो पूछती है -

‘आय# मै)य
े बताओ। उदारता िजनका गण
ु है , न~ता ह िजनक8 शाखाएं हS, !वIवास ह िजनक8 जड़
है और जो परोपकार के कारण फल-फूल रहे हS, ऐसे आय# चादEत कैसे हS? ]या उस !वराट व.ृ ^
पर म) पी प^ी सुख से रह रहे हS।'

हां दे वी सब कुशल मंगल है । दे वी आय# ने 1नवेदन %कया है %क आपके वणा#भूषण वे जुएं म? हार
गये हS और जुआर का पता नहं चल पाया है ।' वस त सेना समझकर भी नासमझ बनकर चप

रहती है । मै)य
े चादEत क8 द हुई धत
ू ा क8 रEनावल वस त सेना को दे कर कहता है-

‘आप यह रEनावाल वीकार करने क8 कृपा कर? । उससे आय# को परम सुख मलेगा।‘

वस त सेना कुछ उEतर नहं दे ती चप


ु रहती है । मै)य
े %फर कहता है तो वस त सेना कह उठती
है ।

‘]या कभी मंज.रयD से रहत आम के पेड़ से भी मकर द टपकता है ।' आप आय# से कहे
सायंकाल म? उनसे मलने आऊंगी।‘ यह कह वस त सेना रEनावल चेट को दे दे ती है । वस त
सेना पुkप करxडक उdयान म? मलने हे तु मलने उप;म करती हS महाकाल के मंदर पर आय#
पु) क8 गाड़ी क8 ती^ा करने को कहकर मै)य
े को !वदा करती है । मै)य
े वहां से चल दे ता है ।

मद1नका वस त सेना को अभसार हे तु तैयार करती है । वस त सेना कहती है -

‘दे खो आय# %कतने महान है । चरु ाये गये आभूषणD को वे जुंए म? हार जाना बता रहे हS और बदले
म? अपने ाण !य पEनी क8 रEनावल मुझे भजवाद। वे महान है मद1नका। महान।‘
आप ठ_क कह रह हS दे वी, उनक8 उदारता पर तो सभी मुjध है ।‘

‘अछा मS तैयार होने जा रह हूँ।‘

‘दे वी सावधान रहना पkु पकरxडक उdयान शहर के बाहर है और वह 1नज#न थान है । आपका
अकेले जाना और भी अनVु चत है ।‘

-- -- --

शकार वस त सेना के च]कर म? एक बार %फर वस त सेना के घर म? घुस आता है । वह


मद1नका को डराता है , धमकाता है और वस त सेना से मलना चाहता है । मद1नका शकार को
झूठ कह दे ती है %क वस त सेना तो अभसार हे तु थान कर गई है । इसी समय राजाpा सुनाई
दे ती है %क गोपपु) आय#क कारा{ह को तोड़ कर 1नकल भागा है । मद1नका स न होती है ।
]यD%क अब श!व#लक भी आ जायेगा। शकार और !वट उdयान म? वस त सेना को ढूँढ़ने के लए
चले जाते हS। तभी वस त सेना अ दर से अभसार हे तु तैयार होकर 1नकलती है । मद1नका उनह?
जाने से रोकना चाहती है । वह सूचना दे ती है %क गोपपु) आय#क कारा{ह से भाग गये हS।

‘ले%कन यह तो शुभ संवाद है ।‘

‘ले%कन राजा का साला शकार-।‘

‘उस दkु ट का नाम भी जबान पर मत लाना।‘

‘वह आया था। वह आपको नगर के सभी उdयानD म? ढूँढ़ रहा है ।‘

‘ले%कन मेरा जाना आवIयक है । नहं तो आय# चादEत ]या कह? गे।‘

ले%कन आपका जाना मुझे उVचत नहं जान पड़ता है ।‘

‘अछा यह रEनावल सुर^त रखना। उसे लौटाना है । वह एक कुल वधू क8 अमानत है , नगर वधू
के पास।‘

वस त सेना चल जाती है । तभी मै)य


े गाड़ी लेकर आता है , मगर मद1नका उसे सVू चत करती है
%क आया# वस त सेना तो चल गयी। अनथ# क8 आशंका Oय]त करते हुए मै)य े गाड़ी लेकर पनु ः
चला जाता है । राजाpा सन
ु ाई दे ती है-‘गोपप)
ु आय#क नगर म? ह हS। सभी सावधान रहे । आय#क
को पकड़ने वाले को उVचत परु कार दया जायेगा।‘
मै)य
े के जाने के बाद मद1नका भयभीत होकर मन ह मन डरती रहती है।

․-- -- --

चादEत आकाश म? काल घटनाओं को दे ख रहे हS। बादल उमड़ आये हS। अ धेरा छा गया है ।
कोयल जंगल म? चल गयी है । हं स मान सरोवर चले गये हS। मै)य
े अभी तक वस त सेना को
लेकर नहं आया है , पता नहं ]यD ? आय# का दल आशंका से धधक रहा है तभी मै)य
े आता है ।

‘कहो म) कैसा रहा।‘

‘भू उसने तो रEनावल ले ल। और मेरा मजाक उड़ाया।‘

‘अछा।‘

‘आय# मेर माने तो इस गcणका से दरू ह रहे । ये %कसी क8 भी सगी नहं होती हS। वैसे वस त
सेना ने आज आने को कहा था। शायद वह रEनावल से भी कुछ Yयादा और चाहती है ।‘

‘अछा उसे आने दो।‘

‘तभी वस त सेना के अनच


ु र कंु भीलक ने वेश %कया। आय# चादEत से तथा मै)य
े से बातचीत
करता है । वस त सेना के आने क8 जानकार दे ता है । आय# स न होकर उसे दश
ु ाला दे ते हS।‘

वस त सेना सोलह Nग ं ृ ार करके वेश करती है । साथ ह दासी, !वट भी है । छ) लगा हुआ है ।
अd!वतीय सौ दय#, काम कला वीण, नगर वधू वस त सेना के वेश से ह बाग म? बहार आ
जाती है । वस त सेना सजी धजी मुjधा ना1यका सी लग रह है । वह वणा#भूषणD से लद हुई है ।
सु दर व)D ने उसक8 सु दरता को और भी बढ़ा दया है । बरसते पानी म? वसंत सेना को दे खकर
वह अEयंत स न होता हS। वस त सेना मै)य
े को दे खकर कहती है -

‘आपके जुआर म) कहां है ?‘

‘वे सख
ू े बाग म? है ।‘

‘सूखा बाग---‘

‘हां वहं चलए।‘


‘दोनD चलते हS। वस त सेना चादEत को दे खकर मदमत हो जाती है । धीमे वरD म? पूछती है -

‘सांझ मीठ_ है न आय#।‘

‘!ये तम
ु आ गई !ये।‘ बैठो। आसन पर बैठे। म) मै)य
े इनके व) वषा€ से भीग गये हS। इ ह?
दस
ू रे व) लाकर दो।‘

‘जो आpा।‘

‘वस त सेना अ दर जाकर व) बदलती है । आय# चादEत और वस त सेना आपस म? एक-दस
ू रे
को त!ृ षत नजरD से दे खते हS। मन ह मन स न होते हS। वे अपनी स ता 1छपा नहं पाते।

वस त सेना-‘ आपने रEनावल भेजकर अछा नहं %कया। गहने तो चोर हो गये थे।‘

‘चोर क8 बात कोई नहं मानता। अतः मै◌ै◌ंने रEनावल भेज द।‘

‘आप मुझ पर तो !वIवास करते।‘

चादEत चप
ु रहते हS। मौन का संवाद होता हS। वषा# आ रह है । मेघ गरज रहे हS। Bबजल चमक
रह है । मै)य
े तथा वस त सेना क8 दासी व चेट दोनD को बाग म? छोड़ कर अ दर चले जाते हS।

वस त सेना को दे खते चादEत Nग


ं ृ ार दखाते हS। ेम से आलंगन करते हS। दोनD बाहुपाश म?
बंध जाते हS।

चादEत-‘हे मुख तुम गरजो। हे Bबजल तुम चमको। हे वषा# तुम तेज धार से आओ। ]यD%क इस
नाद भाव से मेर दे ह वस त सेना के पश# से पुल%कत होकर फूल के समान और रोमांVचत हो
रह है ।‘

‘!ये यह दे खो इ  धनष
ु । कैसा मनोरम।‘ आय# चादEत %फर कहते हS-

‘वषा# म? भीगे हुए तु<हारे व^थल %कतने सु दर लग रहे हS।‘ इनक8 नोकD पर ठहर जल क8 बूंदे
न ह? मो1तयD जैसी आभा दे रह हS।‘

‘तम
ु %कतनी स
ु दर हो।‘
वस त सेना कुछ न कह कह कर आय# के सीने म? अपना मुंह छुपा लेती है । वे गाढ़ आलंगन
म? एक-दस
ू रे म? समाहत हो जाते हS। वस त सेना अपने आभष
ू णD को उतारती है, अभसार को
तत
ु होती है।

बाहर वषा# तेज होती जा रह है । आय# चादEत अभसार म? आन द ले रहे हS। वस त सेना
अभसार म? पूण# सहगामी है । वे एक-दस
ू रे म? समा जाते हS। रात काफ8 बीत चक
ु 8 है - वे
अभसारोपरा त शVथल हो 1ना दे वी क8 गोद म? !वNाम करते हS।

आय# चादEत ातःकाल uमण हे तु चले गये हS। वस त सेना को एक दासी उठाती है । वह आय#
चादEत के आवास पर है राB) क8 शVथलता अभी बाक8 है । आय# उसे पkु पकरxडक म? आने को
कह गये हS। ऐसा दासी ने वस त सेना को सूVचत %कया। तभी वस त सेना चेट को कहती है %क
रEनावल अ दर जाकर आयी धत
ू ा को दे द? । आया# से कहना %क चादEत क8 दासी वसंत सेना
का णाम वीकार कर? ।

चेट-‘ले%कन आया# धत
ू ा मेरे से नाराज हो जाएगी।‘

‘तू मेर आpा का पालन कर।‘

‘जो आpा-। ले%कन आया# धत


ू ा रEनावल लौटा दे ती है । और कहती है - मेरे भूषण तो आय# पु)
ह है । आप रEनावल वयं रख?। आय# प)
ु क8 द हुई चीज वापस लेना मझ
ु े शोभा नहं दे ता।‘

तभी रोहसेन को लेकर रद1नका वेश करती है । रोहसेन रो रहा है । िजद करता है और कहता है--
‘ मS मट क8 गाड़ी से नहं खेलूंगा। मS तो सोने क8 गाड़ी लूंगा।‘

रद1नका से वस त सेना पछ
ू ती है -‘ यह %कसका बचा है । यह पता लगने पर %क यह आय#
चादEत का प)
ु है । उसे गोद म? लेती है । वह बचे को पच
ु कारती है ।

‘पर यह रो ]यD रहा है ?‘

‘यह पड़ोस म? सोने क8 गाड़ी दे खकर आया है , वैसी ह गाड़ी लेना चाहता है । रद1नका कहती है ।
मSने इसे मट क8 गाड़ी बनाकर द मगर यह नहं मानता।‘ रद1नका ने समझाया।

‘हाय। यह भी भाjय के कारण रो रहा है । आज चादEत 1नध#न है तो उनका बेटा भी रो रहा है ।‘


तभी रोहसेन रद1नका से पूछता है ।
‘ये कौन है ।‘

‘ये भी तु<हार मां है ।‘ रद1नका जवाब दे ती है ।‘

‘नहं।‘ ये मेर मां नहं हो सकती। इनके पास तो इतने सोने के गहने हS, क8मती कपड़े हS, ये मेर
मां कैसे हो सकती है ।‘ वस त सेना वण# आभष
ू ण उतार दे ती है , और कहती है - ‘लो मS त<
ु हार
मां हो गयी। इन गहनD से तम
ु सोने के गाड़ी बनवालो। ‘वस त सेना गहने मट क8 गाड़ी पर
रख दे ती है । मगर रोहसेन नहं मानता।

‘नहं। मS नहं लूंगा। रद1नका रोहसेन को लेकर चल जाती है ।‘

तभी व#मानक कहता है %क बैलगाड़ी तैयार है, वस त सेना को भेजो।

वस त सेना Nग
ं ृ ार करती है । तभी व#मानक गाड़ी का कपड़ा लाने वापस चला जाता है । तभी वहां
पर शकार का दास थावरक अपनी बैलगाड़ी लाकर भीड़भाड़ के कारण खड़ी कर दे ता है । और
धोखे से वस त सेना उसम? बैठ जाती है । थावरक राता साफ होने पर गाड़ी चला दे ता है । उधर
व#मानक क8 बैलगाड़ी म? भगोड़ा आय#क पहरे दारD से बचता बचाता छुप कर बैठ जाता है । दोनD
बैलगाrड़या अलग-अलग रातD पर चल पड़ती है । एक म? वस त सेना और दस
ू रे म? गोपपु)
आय#क। रासते
् म? राजा के पहरे दार आय#क क8 गाड़ी को रोकते हS, मगर एक पहरे दार आय#क का
म) होता है , अतः आय#क बच जाता है । इस च]कर म? पहरे दारD म? झगड़? हो जाते हS। मगर
आय#क क8 बैलगाड़ी बच 1नकलने म? सफल हो जाती है ]यD%क वह आयर् चादEत क8 गाड़ी है ,
जो समाज म? आदरणीय है ।

-- -- --

आय# चादEत अपने !वदष


ू क म) के साथ पुkपकरxडक बाग म? टहल रहे हS। वे एक शलाखxड
पर बैठ जाते हS। चादEत का मन उd!वjन है वे वस त सेना का इंतजार कर रहे हS मै)य
े बाग
क8 शोभा का वण#न करता है , कृ1त Vच)ण करता है , मगर चादEत का मन नहं लगता है।

‘व#मानक अभी तक नहं आया म) मै)य


े ।‘

‘हां पता नहं कैसे दे र हो गई।‘


तभी व#मानक गाड़ी लेकर पहुँचता है । वस त सेना के आगमन क8 खश ु ी म? आय# चादEत
उतावले हो रहे हS। वे म) को गाड़ी घम
ु ाने और वस त सेना को उतारने का आदे श दे ते हS। तभी
गाड़ी म? दे खकर मै)य
े कहता है -

‘म) ये तो वस त सेना नहं है ।‘

चादEत -‘]या कहते हो म)। यह हमार बैलगाड़ी है , हमारा गाड़ीवान है, हमने इसे वस त सेना
को लाने भेजा था। इसम? कोई प
ु ष कैसे हो सकता है ।‘

गाड़ी के पास चादEत गाड़ी म? दे खता है । उसी समय आय#क क8 नजर उस पर पड़ती है । आय#क
चादEत को दे खकर संतोष क8 सांस लेता है उसे लगता है अब वह सुर^त है । उसके ऊपर राजा
का जो खतरा मxडरा रहा था, वह %फलहाल टल गया। चादEत भी आय#क को दे खकर !वि◌मत
रह जाता हS।

‘अरे यह कौन हS ? इनक8 !वशाल भुजाएं, उ नत ललाट, !वशाल व^थल, संह के समान ऊंचे
कंधे, बड़ी-बड़ी लाल आँख? और पांवD म? बेrड़यां, आय# आप कौन हS ?‘

आय#क अपना प.रचय दे ता है और राजा पालक बंद बनाये जाने के बाद कारा{ह से श!वल#क क8
मदद से भागने क8 घटना बताता है । चादEत आय#क का प.रचय पाकर परम स न होता है -
कहता है ।

‘आज मS अEयंत स न हूँ। मेरा सौभाjय है %क मुझे आपके दश#न हुए है । मS अपने ाण दे कर
भी आपक8 र^ा अवIय कँगा। आप !वIवास रख?। चादEत अपने अनुचर को अ◌ाpा दे कर
आय#क क8 बेड़ी कटवा दे ता है । बेड़ी कट जाने पर आय#क कहता है ।‘

‘आय# मS कृतp हूं। आपने मझ


ु े एक बेड़ी से काट कर ेम क8 बेड़ी से जकड़ लया है ।‘ अब मझ
ु े
जाने क8 आpा दिजये।‘

अभी आपके पांव म? घाव है , आप इसी मेर गाड़ी dवारा जाये। इससे कोई आप पर शक नहं
कर? गा। और आप सुर^त व कुशलता से पहुँच जाय?गे। ईIवर आपक8 र^ा करे ।‘ चादEत कहता
है ।

आय#क चला जाता है ।

आय# चादEत मै)य


े से कहते हS -
‘हमने राजा पालक के !व काय# %कया है , हम? इस थान पर अVधक नहं कना चाहए।
वस त सेना अभी तक नहं आई है । मS !वरह से Oयाकुल हूं। मेरा ‚दय घबरा रहा है । पता नहं
]या अ1नkट होने वाला है । हम? अब यहां से चल दे ना चाहए।‘ वे दोनD वहां से चल दे ते हS।

-- -- --

एक बौ भ^ु अपनी धीर गंभीर चाल से अपने हाथ म? गीला चौला लेकर चल रहा हS। वे लोगD
को धम# के अनुसार चलने के लए उपदे श दे ते हS। धम# ह सब कुछ है । धम# के अलावा सब कुछ
मट जायेगा। धम# के अनुसार आचरण करो। इि यD को वश म? करो। अ!वdया का नाश करो।
सर दाढ़ मुxडाने से कुछ नहं होता, मन मुंडवाना चाहए। मेरा चौला गंदा हो गया है । इसे धोना
जर है । ‘बौ भ^ु राजाके साले शकार के बाग म? वेश करते हS।‘ वे कहते हS -

‘ब
ु म शरणम ् गछाम।

संघम ् शरणम ् गछाम॥

धमम
् शरणम ् गछाम॥।‘

तभी राजा का साला शकार हाथ म? नंगी तलवार लेकर !वट के साथ बाग म? आता है । राजा का
शाला भ^ु को दे खकर ;ोVधत वर म? कहता है ।

‘ठहर भ]खू ठहर। मS अभी तेरा सर काट कर फ?कता हूं।‘

!वट शकार को ऐसा करने से रोकता है । वह शकार को दस


ू र तरफ ले जाना चाहता है । भ^ु क8
तरफ दे ख कर शकार %फर उसे मारने दौड़ता है । भ^ु उसके कMयाण क8 कामना करता है । कहता
है --

‘आप पुxयवान हS। धनवान हS। आप का कMयाण हो।‘

‘ये मझ
ु े गाल ]यD दे रहा है ।‘ शकार ने पछ
ू ा

‘यह गाल नहं शंसा कर रहा है ।‘ !वट ने समझाया।

शकार भ^ु से पछ
ू ता है ।

‘तुम इधर ]यD आये हो।‘


‘मS अपना चौला धोने आया हूं।‘

‘अछा तो तुम मेरे शबसे शु दर बाग म? अपना गंदा चौला धोने के लए आया है । तुम इस बाग
के शाफ पानी को गंदा कर रहे हो। मS तु<ह? एक ब?त क8 शजा शुनाता हूं।‘

!वट उसे %फर बचाने का यास करता है । कहता है --

‘इसके मुxडे सर तथा गेƒए व) पहनने क8 िथ1त से ऐसा लगता है %क यह नया-नया भ^ु
बना है ।‘

‘ठ_क है तो यह ज म से भ^ु ]यD नहं है ।‘ शकार ने पछ


ू ा।

ले%कन !वट उसे समझा बुझाकर मना लेता है । भ^ु एक तरफ चला जाता है ।

!वट और शकार बाग म? !वचरण करते हS। एक शलाखxड पर बैठ कर शकार वस त सेना क8
याद म? खो जाता है । शकार !वट से पूछता है -

‘Iथावरक को गये इतना समय Oयतीत हो गया है । वो अभी तक बैलगाड़ी लेकर वापस नहं
आया है । मS बड़ी दे र से भूखा हूं। अब मS चल भी नहं सकता।‘

‘आप ठ_क कह रहे हS। \यास से Oयाकुल जंगल जानवर पानी पीकर आराम कर रहे हS। तपती
दोपहर है , बैलगाड़ी भी कहं ठहर गयी होगी।‘ !वट के इस EयुEतर से शकार का मन शांत होता
है । वह गाने लगता है । --

‘कैसा लगा मेरा गाना।‘

‘आप तो ग धव# हS। आपका गाना तो सु दर है ।‘ वह %फर गाता है ।

‘Iथावरक अभी भी नहं आया।‘ शकार %फर उ!jनता से पछ


ू ता है । तभी दरू से बैलगाड़ी के आने
क8 आवाज? आती हS। Iथावरक बैलगाड़ी म? वस त सेना को लेकर आता हS। वह बैलगाड़ी को बड़ी
तेजी से हांक कर लाता है और आवाज लगाता है।

आवाज सुनकर वस त सेना सोचती है वह आवाज तो व#मानक क8 नहं है। ]या बात है ]या
आय# चादEत ने %कसी दस
ू रे गाड़ीवान को भेजा है । मेरा मन अशांत ]यD हS ? ]या कोई अघट
घटने वाला है । शकार गाड़ी क8 आवाज सुनकर गाड़ी के 1नकट आता है । गाड़ी को दे ख कर शकार
खश
ु होता है । गाड़ी को अ दर लाने क8 आpा दे ता है । शकार ि◌वट को गाड़ी पर चढ़ने क8 आpा
दे ता है । %फर उसे रोक कर वयं गाड़ी म? दे खता है । डर कर पीछे हट जाता है । गाड़ी म? )ी है
या रा^सी है । ‘तभी वस त सेना भी गाड़ी म? से शकार को दे खती है । सोचती है - यह राजा का
साला शकार कहां से टपक पड़ा। मS तो अपने !प ्रयतम आय# चादEत क8 सेवा म? आई थी। हाय
मS बड़ी अभागन हूं। अब मS ]या कं ?‘ वह घबरा जाती है । !वट वस त सेना को दे खता है । और
कहता है - ‘तम
ु राजा के साले का पीछा ]यD कर रह हो। यह अनVु चत है । धन के लोभ से
शायद तम
ु अपनी मां के कहने से राजा के साले के पीछे पड़ी हो।‘

वस त सेना इस बात से इंकार करती है । उसक8 समझ म? आ गया %क गाड़ी बदल गई है । वह


कहती हS - पर तु मेरा कोई दोष नहं है । गाड़ी बदल गई है । गाड़ी बदल जाने के कारण मS यहां
पहुंची हूं। आप मेर र^ा करना।‘ वह !वट से र^ा क8 याचना करती है । !वट उसे आIवासन दे ता
हS। वह शकार के पास जाकर कहता है - सच म? गाड़ी म? कोई रा^सी ह है ।‘

शकार उसक8 बात नहं मानता। !वट उसे उYज1यनी चलने क8 सलाह दे ता है , शकार उसे भी
नकार दे ता है । तभी वह गाड़ी पर बैठ कर जाने का !वचार करता है । वह वस त सेना को दे ख
लेता है । स न हो जाता है । वह वस त सेना के पांव म? Vगर कर कहता है।

‘दे वी मS स
ु दरता का पज
ु ार हूं। मेर ाथ#ना सन
ु ो। मS भखार हूं। मेर झोल भर दो। समप#ण
दो।‘ वस त सेना ;ोध से उसे cझड़क दे ती है । वह शकार को पांव से ठोकर लगाती है । शकार
;ोVधत हो जाता है । ;ोध म? कहता है --

‘िजश मतक पर अि<बका ने \यार से च<


ु बन लया था। जो शर दे वताओं के शामने नहं झुका,
तुमने उशी शर को ठोकर मार द। Iथावरक तुम इसे कहां से लाये हD ?‘

Iथावरक उसे वतिु थ1त से अवगत कराता है, %क राजपU◌ा पर बहुत सी बैलगाrड़यां थी, और
चादEत के बाग के dवार पर गाड़ी खड़ी क8 थी वहं पर शायद गलती से वस त सेना गाड़ी म?
बैठ गई।

‘अछा तो ये गाड़ी बदलने शे यहां आई है । मुझशे मलने नहं। उतारो। इशे गाड़ी से उतारो। तू
इस गरब चादEत से मलने के लए मेरे बैलD पर भार डाल रह हो। उतरो जMद करो।‘ तभी
शकार ;ोध म? वस त सेना को उतरने के लए कहता है - उतर नीचे उतर मS तेरे केशD को पकड़
कर खीचग
ूं ा। तुझे मांगा।‘

तभी !वट वस त सेना को नीचे उतारता है । वसंत सेना एक तरफ खड़ी होकर कांपने लगती है ।
शकार का ;ोध और भड़क जाता है । वह अपमान का बदला लेना चाहता है । वह !वट को वस त
सेना को मारने का आदे श दे ता है , मगर वस त सेना को !वट नहं मारता। %फर वह Iथावरक को
कहता है , वह भी सोने के लालच के बावजूद वस त सेना को नहं मारता। तब ;ोध म? शकार
वयं वस त सेना को मारने के लए आगे बढ़ता है । !वट उसे रोकता है । !वट वस त सेना क8
र^ा हे तु पास म? छुप जाता है । शकार वस त सेना को \यार करने के लए तैयार होता है ले%कन
वस त सेना उसे ताrड़त करते हुए कहती है --

‘एक बार आम खाने के बाद म? आक को मं◌ुह नहं लगाती।‘ शकार को पुनः ;ोध आता है । वह
वयं को अपमा1नत महसूस करता है ।

शकार ;ोध म? उसे मारने दौड़ता है । वस त सेना आत#नाद करती है ।‘ मां ? आय# चादEत को
पुकारती है । मगर शकार वस त सेना का गला दबा दे ता है । वस त सेना आय# चादEत को
पुकारती-पुकारती बेहोश हो जाती है । शकार उसे मरा समझ कर दरू बैठ जाता है ।

!वट वापस जाता है तो बाग के राते म? वस त सेना को पड़ा दे खता है । वह VचMलाता है ।

‘नीच पापी तूने वस त सेना को मार डाला। तूने अEयाचार ]यD %कया ? अब भगवान ह भला
कर? गे।‘

!वट शकार को दे खकर वस त सेना के बारे म? पछ


ू ता है, उसे अपनी धरोहर बताता है । मगर
शकार बताता है %क वह तो चल गयी शायद पव
ू # क8 ओर या द^ण क8 ओर। ले%कन बाद म?
!वट को बता दे ता है %क उसने वस त सेना को मार कर बदला ले लया। !वट यह सन
ु कर म1ू छ# त
हो जाता है ।

Iथावरक भी अपने आपको इस हEया का अपराधी समझता है । शकार वस त सेना क8 हEया का


आरोप !वट पर लगा कर उसे फंसाना चाहता है । शकार !वट को अपराध वीकार करने क8 सलाह
दे ता है । !वट तलवार खींच कर लड़ने का यास करता है । वह Iथावरक को अपने गहने दे कर
अपनी तरफ मलाने का यास करता है, मगर Iथावरक नहं मानता वह Iथावरक को महल भेज
दे ता है । बाद म? बुजw म? कैद कर दे ता है । अब शकार वस त सेना के शरर को सूखे पEतD से
ढक लेता है । और यायाधीश के पास जाकर फ.रयाद करने क8 योजना बनाता है, ता%क वस त
सेना क8 हEया का िअभयोग चादEत पर लगा सके। शकार बाग से 1नकल भागता है । तभी एक
बौ भ^ु उस राते से 1नकलता है । वह वस त सेना को सूखे पEतD से 1नकालता है । पानी
!पलाता है । वस त सेना को होश आता है । भ^ु उसे पहचान लेता है , कहता है-
‘आपने मेर जान जुआ.रयD से बचाई थी।‘ भ^ु उसे !वहार म? ले जाकर आराम से ठहरा दे ता है ।
भ^ु क8 बहन वस त सेना क8 सेवा करती है । वस त सेना शी„ ह वथ हो जाती है । वस त
सेना मन ह मन चादEत को याद करती हS।

-- -- --

%कसी भी राYय म? कानून और Oयवथा का सुचा प से चलना बहुत आवIयक है । राYय म?


सुख, सम!ृ  तथा शां1त कानून और Oयवथा पर 1नभ#र हS। अपराधी को दं ड और 1नरपराधी को
माफ8 बहुत ह महEवपूण# हS। याय Oयवथा इसीलए होती है %क 1नयम व कानून सब पर
बराबर से लागू हो। कानन
ू से ऊपर कोई नहं है । याय तथा याय Oयवथा का स<मान हर
नाग.रक का कत#Oय है । राज सEत भी याय से ऊपर नहं है , ले%कन यद %कसी कारणवश
ु े घूम? तो स<पूण# Oयवथा चरमरा जाती है, और इस टूटती जज#र होती Oयवथा म?
अपराधी खल
से एक नई Oयवथा ज म लेती है , जो Yयादा सुsढ़, Yयादा मजबूत और Yयादा िथर होती है ।
िथरता से ह समाज म? समरसता एवं सम!ृ  आती है । याय इस सामािजक Oयवथा को बनाये
रखता है ।

उYज1यनी नगर म? भी याय के लए यायालय थे।

यायालय के अVधका.रयD क8 आpा पाकर शोधनक यायमंडल के आसनD को जमा रहा है ।


आसनD क8 तथा क^D म? सब तरफ क8 सफाई कर रहा है । इसी समय राजा का साला शकार
भड़क8ल? कपड़D म? वेश करता है । शोधनक उससे बचना चाहता है । शकार यायालय म? वस त
सेना क8 हEया का पाप गरब चादEत के ऊपर लगाने को उपिथत हुआ है । वह जानता है %क
1नध#न पर सब कुछ थोपा जा सकता है । वह यायालय म? आता है । इसी समय यायाधीश
यायालय म? वेश करते हS। उनके साथ सेठ, कायथ आद भी चल रहे हS। शोधनक यायाधीश,
सेठ व कायथ को यायालय के मb
ु य क^ म? ले जाता है । यायाधीश क8 आpा पाकर शोधक
बाहर आकर लोगD से अपील करता है %क जो लोग याय मांगने आये हS वे अपना प^ तत

करने हे तु माननीय यायाधीश के सम^ तत
ु हो। तभी शकार घंमड से बोलता है --

‘मS राजा का शाला शंथानक याय क8 मांग करता हूं।‘

‘शोधनक अ दर जाकर सूचना दे ता है %क राजा का साला संथानक याय मांगने हे तु उपिथत


हुआ है ।‘ शोधनक क8 बात सुन कर यायाधीश कहते हS।
‘आज अवIय कुछ अनथ# होगा। तुम राजा के साले से जाकर कह दो %क आज उसके अभयोग
पर !वचार नहं हो सकेगा।‘

यह सूचना जब राजा के साले शकार या1न संथानक को मलती है तो वह ;ोध म? यायाधीश


को आज ह अभयोग पर !वचार करने क8 अपील करता है । शोधनक पुनः यायाधीश से 1नवेदन
करता है । यायाधीश शकार क8 बात सुनने के लए उसे क^ म? बुलाते हS।

यायाधीश -‘ आप याय चाहते हS।‘

शकार -‘हां।‘

यायाधीश -‘तो बोलये ]या बात है ?‘

शकार अपने प.रवार क8 शंसा करता है । मगर यायाधीश उसे मूल बात कहने को े.रत करते
हS।

शकार -‘तो सु1नये। मेर बहन के !य राजापालक ने मुझे पुkपकरxडक बाग उपहार म? दया है ।
आज जब मS वहां पर गया तो मैन? वहां पर एक )ी के शव को दे खा।‘

यायाधीश -‘कौन सी )ी।‘

शकार-‘उसको कौन नहं जानता। वह तो उYज1यनी नगर क8 शोभा वस त शेना थी। %कसी
अपराधी ने उसको धन के लालच म? मार डाला।

मैन? नहं․․․․․․․․․․․․․․․․․․․।‘

यायाधीश -‘सेठ। कायथ। तुम इन बयानD को लख लो। यह नगर के पहरे दारD क8 असावधानी
का फल है ।‘

शकार -‘वस त शेना के शरर पर कोई गहना नहं था।‘

यायाधीश -‘इस मामले म? 1नण#य होना मुिIकल है । शोधनक वस त सेना क8 मां को बुलाओ।‘

वस त सेना क8 मां को यायालय म? वेश मलता है । वह व


ृ ा, मोट, चपला, गcणका क8 मां क8
तरफ लगती है।
‘मेर पु)ी तो अपने म) के यहां पर गई हुई है। आपने मुझे यहां ]यD बल
ु ाया हS ? ईIवर आपका
कMयाण कर? ।‘

यायाधीश वस त सेना क8 मां से Iन करते हS।‘

‘आपक8 प)
ु ी %कस म) के यहां गई थी ? उस म) का ]या नाम है ?‘

मां -‘मेर पु)ी कहां गई थी। यह बताना तो बड़ी सजा क8 बात है , मगर याय क8 खा1तर सब
बताना आवIयक भी है , मेर पु)ी सागरदEत के पु) आय# चादEत के यहां पर गई थी।‘

शकार -‘इन शTदD का भी अंकन क8िजये। इसी चादEत से मेर लड़ाई है ।‘

यायाधीश -‘अब याय से पूव# आय# चादEत को बुलाना भी आवIयक है ।‘

यायाधीश शोधनक को चादEत को यायालय म? तुत करने का आदे श दे ता है । शोधनक आय#


चादEत को लेकर यायालय म? वेश करता है । आय# चादEत Vचं1तत मुा म? यायालय म?
आते हS। सोचते हS - गरब आदमी क8 बड़ी मुसीबत है । ]या आय#क और मेर वाता# का समाचार
शासन को मल गया है । चारD तरफ अपशुकन हो रह? हS। मुझे अपराधी क8 तरह ]यD बुलाया जा
रहा है । ]या कोई भयानक दघ
ु ट
# ना होने वाल है । ईIवर मेर र^ा करे । यह सोचते हुए वे
यायालय म? उपिथत होते हS।

यायाधीश चादEत के वप को दे खकर शंसाEमक म


ु ा म? सोचते हS , यह यव
ु क दोषी नहं हो
सकता। वे चादEत को बैठने के लए आसन लगाने का आदे श दे ते हS। आय# चादEत को
दे खकर शकार ;ोVधत हो जाता है । कहता है --

‘तुम हEयारे हो, तुमने )ी क8 हEया क8 है । तु<ह? आशन नहं दं ड मलना चाहए।‘

तभी यायाधीश शकार को चप


ु कर चादEत से पछ
ू ते हS --

‘]या आप इस व
ृ ा क8 लड़क8 को जानते हS ? उससे आपका कोई संबंध है ?‘ वस त सेना क8 मां
को दे खकर चादEत शमा# जाते हS। यायाधीश पkट प से कहने म? 1नदt श दे ते हS तो चादEत
बोलते हS।

‘जी हां, वस त सेना, मेर म) है ।‘


यायाधीश -‘इस समय वस त सेना कहां हS ?‘

-‘अपने घर हDगी।‘ चादEत ने सीधा उEतर दया। सेठ कायथ -‘कब गई ? %कसके साथ गई ?
कैसे गई ? सब सच-सच बताओ।‘

चादEत -‘अब ये सब मS ]या बताऊं ?‘

शकार -‘तुमने उशे मेरे बाग म? ले जाकर मार डाला।‘

चादEत यह सन
ु कर ;ोVधत हो उठता है ।

‘अरे बकवाद ]यD झूठ बोल रहा है । तेरा मँह


ु झूठ बोलने से काला पड़ गया है ।‘

यायाधीश !वचार करते हS आय# चादEत ऐसा अपराध कैसे कर सकते हS। यह राजा का साला
अवIय झूठ बोल रहा है , मगर सह िथ1त का पता कैसे लगे ? अपनी बेट क8 हEया के समाचार
से वस त सेना क8 मां रोने लग जाती है ।

तभी यायाधीश यायालय म? नगर र^क आते हS, यायाधीश उ ह? पुkपरxडक बाग म? जाकर मर
पड़ी लाश क8 जानकार लेने का आदे श दे ते हS।

यायाधीश के आदे श पर नगर र^क बाग म? चले जाते हS। शकार यायाधीश को कहता है --

‘आप कब तक इश नीच चादEत को आशन पर Bबठाय?गे। इसे तो शजा मलनी चाहए। राजा।‘

तभी चादEत का !वदष


ू क म) मै)य
े भी यायालय म? आ जाता है ।

मै)य
े चादEत से पछ
ू ते हS-

‘]या बात है म) कुशल तो हS ?‘

‘मेरे ऊपर अभयोग है %क मSने वस त सेना को․․․․․․․․․․․․․․। अब मेरा ]या होगा ?‘

‘]या ?‘
‘हां अभयोग चल रहा है ।‘ मS गरब 1नध#न XाZमाण हूं, इसलए मेर बात पर कोई !वIवास नहं
कर रहा है । हे म), मै)य
े ये ]या हो गया ? तभी मै)य
े के पास वण# के आभष ू ण दे खकर शकार
कहता है -

- माननीय यायाधीश ये गहने वश त शेना के ह है । इ हं गहनD के लए उसक8 हEया कर द


गई है ।‘

चादEत और भी अभयोग म? फंस जाता है । सेठ-कायथ गहनD क8 परख वस त सेना क8 मां से


कराते हS।

मां -‘ये गहने वैसे ह है , मगर वे नहं है ?‘

कायथ -‘एक बार पन


ु ः दे cखये।‘

मां -‘दे ख लये वे गहने नहं है ।‘

यायाधीश चादEत के अभयोग पर !वचार करते हS।

‘मS आपसे 1नवेदन करता हूं %क आप सच बोले। नहं तो दं ड के भागी हDगे।‘

चादEत -‘अब मS ]या कहूं। मS 1नद|ष हूं।‘

शकार -‘ कह द? उसे मSने मार दया है ।‘

चादEत -‘आपने तो कह ह दया है ।‘

शकार -‘दे खा आप लोगD ने इशने ह वश त शेना को मार डाला है अब इसे दxड दिजये।‘

यायाधीश -‘शकार का कथन उVचत है । चादEत को बंद बना लो।‘

वस त सेना क8 मां रोती है । कलपती है । शोधनक उसे बाहर छोड़ आता है । यायाधीश शोधनक
को आदे श दे ते हS %क महाराज पालक को इस अभयोग क8 सच
ू ना द जाये। XाZमाण को मारा
नहं जा सकता मगर दे श 1नकाला दया जा सकता है । यह 1नण#य अब महाराज को ह करना है ।
महाराज का आदेश शा◌ेधनक सन
ु ाता है िजन गहनD के कारण वस त सेना क8 हEया हुई है, उ हं
गहनD को पहनाकर चादEत को द^ण मरघट पर फांसी पर लटका दया जावे। इस ‚दय
!वदारक समाचार को सन
ु कर चादEत अपने म) मै)य
े से कहता है --

‘मेरे म) जाओ मेर ाण!या धत


ू ा को इस दb
ु ◌ाद समाचार से अवगत कराओ और कहना मेरे
बाद मेरे बचे को पालन करे ।‘

‘म) जब जड़ ह सख
ू जायेगी तो पेड़ कैसे चलेगा।‘ मै)य
े बोला।

‘ऐसा न कहो म)। मेरे ऊपर तु<हारा जो ेम है उसे रोहसेन पर सम!प#त कर दो।‘ चादEत ƒध?
गले से कहता है ।

‘म) मS तम
ु से Bबछड़ कर जी कर ]या कƒं गा ?‘

‘एक बार मुझे रोहसेन और धत


ू ा से मला दे ना।‘चादEत %फर कहता है ।

यायाधीश महोदय चादEत को ले जाने का आदे श दे ते हS। वे फांसी दे ने वाले कम#चा.रयD को


तैयार रखने के भी आदे श दे ते हS। शोधनक चादEत को कारा{ह म? ले जाता है । मै)य
े घर क8
आरे जाकर धत
ू ा को सूVचत करता है ।

-- -- --

आय# चादEत को फांसी पर चढ़ाने क8 तैयार हो रह है । उ ह? राज कम#चार फांसी थल तक ले
जा रहे हS। फांसी दे ने वाल कम#चार अनावIयक भीड़ को हटा रहे हS। हर चौराहे पर रोक कर
जा को उनके अपराध क8 जानकार द जा रह है । चादEत मन म? !वचार करते हुए चल रहे हS।
भाjय क8 लला का ]या कहना। आज म? %कस हालत म? पहुँच गया। जीवन तो उतार-चढ़ाव का
ू रा नाम हS। शरर पर चंदन लगा दया गया है । 1तल, चावल, कुकुम लग गया है । अब अ त
दस
समीप है । दःु ख है %क 1नद|ष होने के बावजद
ू सजा मल रह है ।

कम#चार लोगD को दरू हटा रहे हS। थम चौराहे पर कम#चार ढंढोरा पीट कर लोगD को चादEत
के अपराध और सजा क8 घोषणा करते है कम#चार कहता हS --

‘सन
ु ो, जा जनो सन
ु ो। आय# चादEत !पता सागरदEत ने धन के लोभ म? गcणका वस त सेना
को पुkपकंडरक बाग म? ले जाकर मार डाला है । गहनD सहत उ ह? पकड़ लया गया है और
राजापालक ने उ ह? सूल पर चढ़ाने क8 आpा दे द है । यद कोई दस
ू रा जाजन भी ऐसा काम
करे गा तो दxड का भागी होगा। सुनो․․․․․․․․। ‘कम#चार चादEत को ले चलते हS। जा म? से
कोई कहता है --

‘सबका भला करने और भला सोचने वाले आय# चादEत आज इस दशा को ा\त हो गये हS। वे
इस द1ु नया से जा रहे हS। संसार म? 1नध#न क8 कोई नहं सुनता। धनवान, शि]तशाल क8 सभी
सुनते हS। ‘हे भाjय तू भी ]या खेल दखाता है ।‘ राजमाग# से होते हुए कम#चार चादEत को वन
थल क8 ओर ले जाते हS। चादEत वस त सेना को याद करते हS। आय# चादEत वध-थल के
पास है । कम#चार उ ह? सूल पर चढ़ाने क8 तैयार कर रहे हS। आय# चादEत अं1तम इछा के प
म? अपने पु) रोहसेन को दे खने क8 इछा कट करते हS। कम#चार रोहसेन को लाते हS। रोहसेन
‘!पताजी - !पताजी‘ कह कर दौड़ता हुआ है और चादEत से लपट जाता है । चादEत आंखD म?
आंसू भरकर पु) को दे खता है छाती से लगा लेता है - कहता है ।

‘हाय मेरे पु) - हाय मेरे म) मै)य


े । यह सब दे खना भी बदा था। मS अपने पु) को ]या दं ।ू मेर
जनेऊ तू रख ले पु)। जनेऊ अलंकार है पु)। तू इसे {हण कर।‘

राजकम#चार चादEत को ले जाने लगते हS।‘

रोहसेन कम#चा.रयD को रोकने क8 असफल कोशश करता है । चादEत कंधे पर सूल, गले म?
करवीर क8 माला और मन म? संताप लए वध-थल क8 ओर थान करते हS। रोहसेन
कम#चा.रयD को कहता है --

‘‘तम
ु मझ
ु े मार डालो। मेरे !पता को छोड़ दो।‘

ले%कन कोई नहं मानता। आय# चादEत को लेकर कम#चार जाते हS। रोहसेन रोता रहता हS। नगर
म? बार-बार घोषणा क8 जा रह है %क वस त सेना के हEयारे चादEत को सूल पर लटकाया जा
रहा है । यह सूचना थावरक को मलती है । वह महल से VचMलाता है -‘ सुनो लोगD आय# चादEत
1नद|ष है । मS ह गाड़ी बदल जाने के कारण आया# वस त सेना को पुkपकरडंक वन म? ले गया
था। वहं पर राजा के साले शकार ने वस त सेना को मार कर अपने अपमान का बदला लया
है ।‘ मगर थावरक क8 आवाज महल म? होने के कारण लोगD को सुनाई नहं दे ती। थावरक
महल से कूद कर आय# चादEत को बचाने का यास करता है । वह कूद पड़ता है , उसक8 बेड़ी भी
टूट जाती है । वह तेजी से दौड़ कर राता बनता हुआ सूल दे ने वाले कम#चा.रयD तक पहुंचता है ।
वह घोषणा करता है --
‘राजा के साले शकार ने वस त सेना को गला घDट कर मार डाला है ]यD%क वह राजा के साले
को \यार नहं करती थी। उसने वस त सेना को मार कर अपने अपमान का बदला लया है ।‘

कम#चार -‘ ]या तुम सच बोल रहे हो ?‘

‘हां मS सच बोल रहा हूं। यह बात %कसी से कहूं नहं इसलए शकार ने मेरे को जकड़ कर महल
क8 बज ु w पर फ?क दया था। मS बज
ु w से कूद कर आया हूं ता%क 1नद|ष चादEत क8 जान बचा
सकंू । ‘तभी I◌ाकार भी वहां पर आ जाता है । थावरक उसे दे खकर कहता है ‘ यह है वस त
सेना का हEयारा। राजा का साला शकार।

शकार थावरक को समझाना चाहता है , मगर थावरक नहं मानता है । शकार कहता है -

‘मS तो बहुत दयालु हूं। मS %कसी )ी को कैसे मार शकता हूं।‘

जानन -‘वस त सेना को तुमने ह मारा है । चादEत ने नहं मारा है । तम


ु हEयारे हो।‘

शकार -‘कौन कहता हS ?‘

जानन -‘थावरक कहता है ।‘

शकार थावरक को पुनः अपनी ओर करने के यास करता है । मगर थावरक जोर से कहता है ।

‘दखो लोगD इसने मुझे यह कंगन दे कर मुझसे चप


ु रहने के लए कहा था। मगर मS सच कहूंगा।‘

शकार कंगन ले लेता है और कहता है ।

‘यह वह कंगन है िजशके कारण मैने इसे बांधा था। यह चोर है । मSने इसे खब
ू मारा था। इसक8
पीठ पर मार के 1नशान भी है । कंगन क8 चोर के कारण ह यह बज
ु w पर बंद था।‘ थावरक क8
बात पर अब कोई !वIवास नहं करता। चादEत पन
ु ः 1नराश हो जाता है । शकार थावरक को
मार पीट कर भगा दे ता है और राज कम#चा.रयD को फांसी जMद लगने का हु]म दे ता है तभी
रोहसेन रोता हुआ आता है । शकार उसे भी चादEत के साथ फांसी दे दे ने का आदे श दे ता है ।
चादEत अपने प)
ु को समझा बझ
ु ा कर मां के पास जाने का आदे श दे ता है । कहता है --

‘बेटे अपनी मां को लेकर तपोवन चला जाना। रोहसेन तुम जाओं। म) मै)य
े इस ले जाओ।‘
रोहसेन को लेकर मै)य
े चला जाता है । शकार रोहसेन को भी मारने को कहता है मगर राज
कम#चार ऐसा करने से मना कर दे ते हS। राज कम#चार चादEत के वध क8 अं1तम तैयार करते
हS। शकार चादEत को डxडे से पीटने के लए कहता है ता%क वह अपना अपराध वीकार करे ।
लोगD से कह? %क हां हEया उसने ह क8 है । राज कम#चार चादEत को मारते हS। चादEत मार
के डर से वीकार करता है --

‘हे नगरवासयD वस त सेना क8 हEया मSने क8 है । मSने ह वस त सेना को मारा है ।‘

-- -- --

दोनD राज कम#चार आपस म? !वचार कर रहे हS, सल


ू  पर चढ़ाने क8 बार %कसक8 है , दोनD यह
काम नहं करना चाहते, ]यD%क चादEत से उपकृत है । वे जMद भी नहं करना चाहते। पहला
दस
ू रे से पछ
ू ता है --

‘फांसी दे ने म? जMद ]यD नहं करनी चाहए।‘

‘कभी-कभी कोई भला आदमी धन दे कर मरने वाले को छुड़ा लेता है । कभी राजा क8 आpा से
अपराधी को छोड़ दया जाता है और कभी राYय म? ;ाि त हो जाने से सEत बदल जाती है और
सभी अपराVधयD को आम माफ8 दे द जाती है । ]या पता आज भी इनम? से कोई घटना घट
जाये।‘ आय# चादEत का जीवन बच जाये।‘

मगर शकार इस काम म? दे र नहं करना चाहता। वह जMद से जMद फांसी दलाना चाहता है ।

थम राज कमचा#र -‘आय# चादEत ईIवर का gयान करे । आपका अ त समय 1नकट है ।‘

चादEत उच वर म? कहता है -‘अगर मS सचा हूं, तो वस त सेना कहं से भी आकर मझ
ु े इस
कलंक से म]
ु त कर? ।‘

कम#चार चादEत को ले चलते हS। शकार जMद करने को कहता है चादEत को ले चलने म? दे र
होने पर कम#चार को डांटता डपटता है । आय# चादEत को वध थल तक पहुँचा दया गया है ।

-- -- --

वस त सेना बौ भ^ु के साथ Bबहार से नगर क8 ओर आ रह है । अचानक एक दशा म? भार
भीड़ को दे खकर वह भ^ु क8 जानकार ा\त करने के लए 1नवेदन करती है । भ^ु बताते हS --
-आय# आपक8 हEया के आरोप म? आय# चादEत को सूल पर चढ़ाने के लए वध थल क8 ओर
ले जाया जा रहा है ।‘

‘आय# चादEत को सूल․․․․․․․․․․․․․․मुझे शी„ उस थान क8 ओर चलये भ^ु - वर।‘

भ^ु और वस त सेना तेजी से भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़ते हS। राज कम#चार चादEत को
सीधे लेट जाने का आदे श दे ते हS। जMलाद YयDह तलवार से वार करना चाहता है %क तलवार
उसके हाथ से Vगर जाती है । कमचा#र स न होता है %क शायद चादEत क8 जान बच जाये।
मगर दस
ू रा कम#चार जMद से चादEत का वध करने को कहता है । तभी भ^ु और वस त सेना
वध थल तक पहुँच जाते हS। वे जोर से कहते हS --

‘ठहरो ।․․․․․․․․․․․․․‘ठहरो ।․․․․․․․․․․․․․ƒक जाओ। आय# चादEत को सूल पर मत


चढ़ाओ।‘ वस त सेना जा क8 आरे दे ख कर कहती है ।

‘जाजनD म? ह वह वस त सेना हूं िजसक8 हEया के आरोप म? आय# चादEत को सूल पर


चढ़ाया जा रहा है । मS जी!वत हूं। आय# चादEत 1नद|ष हS। वस त सेना और चादEत आपस म?
लपट जाते हS। भ^ु चादEत के चरण छूकर कहता है ।‘

‘मS आपका पूव# सेवक संवाहक हूं। आपने ह मुझे इस शहर म? अपनी सेवाम? रखा था। जुए क8
लत म? सब कुछ हार जाने के बाद भ^ु बन गया था।‘ वस त सेना के जी!वत होने का समाचार
बड़ी तेजी से जा म? फैल जाता है । महाराज तक भी पहुँचता है । शकार यह जानकर घबरा जाता
है %क वस त सेना जी!वत है । वह भागना चाहता है । मगर तभी राज कम#चार राजापालक क8
आpा से शकार को पकड़ लेते हS।

चादEत वस त सेना को दे खकर स न हो जाते हS। वे कहते हS -- -वस त सेना। !ये तुम
अचानक संजीवनी बूट क8 तरह यहां तक कैसे पहुँच गई। मS तो मर ह गया था । मगर अब
मेर जान बच गई।‘

वस त सेना साव#ज1नक प से घोषणा करती है %क राजा के साले शकार ने उसे मारने क8


कोशश क8 थी। जन आ;ोश राजा के साले के !व उमड़ पड़ता है । तभी श!व#लक आकर
जाननD के सामने घोषणा करता है %क दkु ट राजा पालक का वध कर दया गया है और गोप
पु) आय#क का राYयाभषेक कर दया गया है । राजा आय#क अब वयं आय# चादEत के जीवन
क8 र^ा कर? गे।‘
श!व#लक चादEत और वस त सेना को दे खकर णाम करता है । चादEत उसे प.रचय दे ने को
कहते हS। श!व#लक शम# के साथ कहता है -

‘मSने ह आपके धर म? स?ध लगाकर आया# वस त सेना के आभूषण चरु ाये थे। मS आपका अपराधी
हूं। आपक8 शरण म? हूं। मेर र^ा कर? ।‘

‘नहं तम
ु तो मेरे म) हो। मS स न हूं।‘

‘एक ओर शुभ समाचार है %क राजा आय#क ने गHी पर बैठते ह आपको वैणा नद के %कनारे
वाला कुशावती राYय दे दया है । आप अब वयं राजा हS।‘ श!व#लक कहता है ।

तभी राज कम#चार शकार को पकड़ कर लाते हS। शकार मारे डर के घबरा रहा है । कहता है --

‘मS अनाथ अब %कसक8 शरण म? जाऊं। मुझे शव# दःु ख हरने वाले चादEत क8 शरण म? जाना
चाहए।‘वह आय# चादEत के चरणD म? Vगरकर र^ा क8 भ^ा मांगता है । आय# चादEत उसे
अभयदान दे ते हS।

श!व#लक आय# चादEत से कहता है -‘आप जो भी दxड कह? गे इस शकार को वहं दxड दया
जायेगा।‘

‘चादEत - ‘जो मS चाहूंगा। वह होगा।‘

श!व#लक - ‘अवIय भगवन।‘

शकार - ‘ मेरे भो। मS आपक8 शरण म? हूं। ऐशा बरु ा काम %फर कभी नहं कंगा। मझ
ु े बचालो
भगवन ।‘

वस त सेना शकार को दे खकर फांसी का फंदा चादEत के गले से 1नकाल कर उस पर फ?क दे ती


है ।

श!व#लक %फर कहता है -‘आय# चादEत के आदे शD क8 पालना क8 जायेगी।

‘परम दयालु आय# चादEत शकार को ^मा कर दे ते हS। शकार शम# दा होकर चप
ु चाप चला
जाता है ।
आय# चादEत के जी!वत होने तथा वस त सेना के सकुशल होने का समाचार मै)य
े धत
ू ा तथा
रोहसेन तक पहुँचाता है । सब परम ् स न होते हS। धत
ू ा वस त सेना से गले मलती है ।

तभी आय# चादEत वस त सेना को अपनी पEनी के प म? वीकार करने क8 घोषणा करते हS।
वस त सेना चादEत के चरण पश# करती है । वस त सेना चादEत क8 वधू बन गयी। वस त
सेना का सर आंचल से ढ़क दया जाता है । श!व#लक को सभी बौ !वहारD का कुलप1त बना
दया जाता है । राज कम#चा.रयD को भी पा.रतो!षक दया जाता है । आय# चादEत, धत
ू ा, रोहसेन,
वस त सेना, मै)य
े , रद1नका सभी स न हS। अपने आवास म? लौट आते हS।

सEय क8 !वजय हो।

शव क8 जय हो।

सु दर का स<मान हो।

सब सEयम ् शवम ् सु दरम ् सुने, कह? , दे ख? और भोगे।

(समात)

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यशव त कोठार,

6, लWमी नगर, XZमपुर बाहर,

जयपुर-302002 फोनः-2670596

e_mail: ykkothari3@yahoo.com

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