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Akbar birbal story

1 ममममम मममम
एक िदन बादशाह अकबर ने दरबार मे आते ही दरबािरयो से पूछा – िकसी ने आज मेरी मूंछे नोचने की जुररत
की। उसे कया सजा दी जानी चािहए।

दरबािरयो मे से िकसी ने कहा – उसे सूली पर लटका देना चािहए, िकसी ने कहा उसे फासी दे देनी चािहए,
िकसी ने कहा उसकी गरदन धड से ततकाल उडा देनी चािहए।

बादशाह नाराज हएु । अंत मे उनहोने बीरबल से पूछा – तुमने कोई राय नही दी!
बादशाह धीरे से मुसकराए, बोले - कया मतलब?
जहापनाह, खता माफ हो, इस गुनहगार को तो सजा के बजाए उपहार देना चािहए – बीरबल ने जवाब िदया।
जहापनाह, जो वयिकत आपकी मूँछे नोचने की जुररत कर सकता है, वह आपके शहजादे के िसवा कोई और हो
ही नही सकता जो आपकी गोद मे खेलता है। गोद मे खेलते-खेलते उसने आज आपकी मूँछे नोच ली होगी।
उस मासूम को उसकी इस जुररत के बदले िमठाई खाने की मासूम सजा दी जानी चािहए – बीरबल ने खुलासा
िकया।

बादशाह ने ठहाका लगाया और अनय दरबारी बगले झाकने लगे।

Separate stories…..

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2 बीरबल की िखचडी
एक दफा शहंशाह अकबर ने घोषणा की िक यिद कोई वयिकत सदी के मौसम मे नमरदा नदी के ठंडे पानी मे घुटनो तक डू बा रह कर सारी रात गुजार देगा उसे भारी भरकम तोहफे
से पुरसकृत िकया जाएगा.

एक गरीब धोबी ने अपनी गरीबी दूर करने की खाितर िहममत की और सारी रात नदी मे घुटने पानी मे िठठुरते िबताई और जहापनाह से अपना ईनाम लेन े पहँच
ु ा.

बादशाह अकबर ने उससे पूछा – तुम कैसे सारी रात िबना सोए, खडे-खडे ही नदी मे रात िबताए? तुमहारे पास कया सबूत है?

धोबी ने उतर िदया – जहापनाह, मै सारी रात नदी छोर के महल के कमरे मे जल रहे दीपक को देखता रहा और इस तरह जागते हएु सारी रात नदी के शीतल जल मे गुजारी.

ु िक तुम महल के दीए की गरमी लेकर सारी रात पानी मे खडे रहे और ईनाम चाहते हो. िसपािहयो इसे जेल मे बनद कर दो - बादशाह ने कोिधत होकर
तो, इसका मतलब यह हआ
कहा.

बीरबल भी दरबार मे था. उसे यह देख बुरा लगा िक बादशाह नाहक ही उस गरीब पर जुलम कर रहे है. बीरबल दूसरे िदन दरबार मे हािजर नही हआ
ु , जबिक उस िदन दरबार की
एक आवशयक बैठक थी. बादशाह ने एक खािदम को बीरबल को बुलाने भेजा. खािदम ने लौटकर जवाब िदया – बीरबल िखचडी पका रहे है और वह िखचडी पकते ही उसे खाकर
आएँगे.

जब बीरबल बहत
ु देर बाद भी नही आए तो बादशाह को बीरबल की चाल मे कुछ सनदेह नजर आया. वे खुद तफतीश करने पहँच ु लंबे से डंडे पर
ु े. बादशाह ने देखा िक एक बहत
एक घडा बाध कर उसे बहतु ऊँचा लटका िदया गया है और नीचे जरा सा आग जल रहा है. पास मे बीरबल आराम से खिटए पर लेटे हएु है.

बादशाह ने तमककर पूछा – यह कया तमाशा है? कया ऐसी भी िखचडी पकती है?

बीरबल ने कहा - माफ करे, जहापनाह, जरर पकेगी. वैसी ही पकेगी जैसी िक धोबी को महल के दीये की गरमी िमली थी.

बादशाह को बात समझ मे आ गई. उनहोने बीरबल को गले लगाया और धोबी को िरहा करने और उसे ईनाम देन े का हकु म िदया.
3 ममम मममम – (मममम-ममममम)
मममममम 29, 2007 · 22s मममममममममम

महाराजा अकबर, बीरबल की हािजरजवाबी के बडे कायल थे. उनकी इस बात से दरबार के अनय मंती मन
ही मन बहुत जलते थे. उनमे से एक मंती, जो महामंती का पद पाने का लोभी था, ने मन ही मन एक योजना
बनायी. उसे मालूम था िक जब तक बीरबल दरबार मे मुखय सलाहकार के रप मे है उसकी यह इचछा कभी पूरी
नही हो सकती.

एक िदन दरबार मे अकबर ने बीरबल की हािजरजवाबी की बहुत पशंसा की. यह सब सुनकर उस मंती को बहुत
गुससा आया. उसने महाराज से कहा िक यिद बीरबल मेरे तीन सवालो का उतर सही-सही दे देता है तो मै उसकी
बुिदमता को सवीकार कर लुंगा और यिद नही तो इससे यह िसद होता है की वह महाराज का चापलूस है. अकबर
को मालूम था िक बीरबल उसके सवालो का जवाब जरर दे देगा इसिलये उनहोने उस मंती की बात सवीकार कर
ली.

उस मंती के तीन सवाल थे -

१. आकाश मे िकतने तारे है.


२. धरती का केनद कहा है.
३. सारे संसार मे िकतने सती और िकतने पुरष है.

अकबर ने फौरन बीरबल से इन सवालो के जवाब देने के िलये कहा. और शतर रखी िक यिद वह इनका उतर नही
जानता है तो मुखय सलाहकार का पद छोडने के िलये तैयार रहे.

बीरबल ने कहा, “तो सुिनये महाराज”.

पहला सवाल – बीरबल ने एक भेड मँगवायी. और कहा िजतने बाल इस भेड के शरीर पर है आकाश मे उतने ही
तारे है. मेरे दोसत, िगनकर तससली कर लो, बीरबल ने मंती की तरफ मुसकुराते हुए कहा.

दूसरा सवाल – बीरबल ने जमीन पर कुछ लकीरे िखंची और कुछ िहसाब लगाया. िफर एक लोहे की छड मँगवायी
गयी और उसे एक जगह गाड िदया और बीरबल ने महाराज से कहा, “महाराज िबलकुल इसी जगह धरती का
केनद है, चाहे तो आप सवयं जाच ले”. महाराज बोले ठीक है अब तीसरे सवाल के बारे मे कहो.

अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा मुिशकल है. कयोिक इस दुनीया मे कुछ लोग ऐसे है जो ना तो सती की
शेणी मे आते है और ना ही पुरषो की शेणी. उनमे से कुछ लोग तो हमारे दरबार मे भी उपिसथत है जैसे िक ये मंती
जी. महाराज यिद आप इनको मौत के घाट उतरवा दे तो मै सती-पुरष की सही सही संखया बता सकता हूँ. अब
मंती जी सवालो का जवाब छोडकर थर-थर कापने लगे और महाराज से बोले,”महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालो
का जवाब िमल गया. मै बीरबल की बुिदमानी को मान गया हूँ”.

महाराज हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हँसने लगे और इसी बीच वह मंती दरबार से िखसक िलया.

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