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हं सते जम
( कहानी संह )

नदलाल भारती

काशक
2

मनोरमा साहय
सेवा

हं सते जम
।कहानी संह।

लेखक
नदलाल भारती

सवाधकार--लेखकाधीन

इटरनेट काशन वष -2009

तकनीक सहयोग
3

आजाद कमार
ु भारती

"च$कार
श%श भारती

काशक
मनोरमा साहय सेवा
आजाद द&प,15-एम-वीणा नगर
इंदौर ।म  ।452010
दरभाष
ू -0731-4057553 च%लतवाता-9753081066

1-अतथ
बड़ी ज0द& आ गये । इतनी तेज धप
ू म2 आने क 3या ज4रत थी । लू लग गयी तो । िजससे
%मलने गये थे उनके घर म2 ताला लगा था 3या ? वे कैसे लोग है जो आग बरसती दोपहर म2 त:नक
छांव म2 ठहरने को नह&ं कहा । 3या वे अ:त"थ दे वो भवः के महाम$ को भल
ू गये है ?
द&पेशबाबू - भागवान दो %मनट चैन से सांस तो ले लेने दे ती । ?कूटर खड़ा नह&ं कर पाया तम
ु हो
@क सवाल पर सवाल दागे◌े जा रह& हो ।
Bया- गलती हो गयी । ?कूटर खड़ा करने म2 मदद क4ं 3या ?
द&पेश-नह&ं । कपा
ृ करके एक "गलास ठडे पानी और आधी कप चाय का इंतजाम कर गर&ब पर
मेहरबानी करो । ।
Bया-आप बैठो मF पांच %मनट म2 चाय और ठडा पानी लेकर आती हंू तब तक हाथ मंह
ु धो लो ।
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द&पेश-जैसे गह
ृ बधक महोदया का आदे श ।
Bया-बस अभी कछु नह&ं चाय पीते -पीते बात करोगे तो और अGछे लगोगे । मF आती हंू ।
द&पेश हाथ मंह
ु धोकर बैठा भी नह&ं क । Bया पानी औ◌ा चाय लेकर हािजर हो गयी ।द&पेश
बाथ4म के◌े बाहर :नकलते ह& Bया बोल& ल&िजये जनाब चाय पानी हािजर है ।
द&पेश- रख दो सेटर टे बल पर ।
Bया-बैठो तो सह& ।
द&पेश- बैठू ं गा नह&ं तो इस दोपहर& म2 जाउ◌ू◌ंगा कहां ।
Bया- हां एक जगह आने -जाने म2 सींक जो गये ।
द&पेश-जले पर नमक ना डालो । कहते हए
ु पानी पीकर चाय पीने लगा ।
Bया-इतनी खामोशी 3यH ?
द&पेश- अनसना
ु कर दया ।
Bया-ाणनाथ कौन सी ऐसी खता हो गयी @क आपने मौनJत धारण कर %लया ।
द&◌ेपेश- मझसे
ु खता हो गयी ।
Bया-नाराज 3यो होते हो जी ।
द&पेश-3या क4ं नाचंू गाउ◌ू◌ं जLन मनाउ◌ू◌ं ।
Bया-वह& अGछा रहे गा ।
द&पेश-3या मF टGछा बरा
ु भी नह&ं समझता 3या ?
Bया-3या खफा हो ।
द&पेश-खफा होकर भी 3या कर सकता हंू । लोगH को बदल तो नह&ं सकता । जहां पर अ:त"थ दे वा
भवः या स?ु वागत %लख होना चाहये वहां पर अब शभ
ु लाभ %लखा जाने लगा है । आने वाला चाहे
Nयास से मर 3यो नह&ं रहा हो । लोग पानी तक के %लये नह&ं पछते
ू 3या लोग हो गये हF । Oबना
Pयि3तगत लाभ के तो आज लोग पानी पीलाने को जहमत नह&ं उठा रहे हF ।
Bया- मझसे
ु ऐसी ग?
ु ताखी हो गयी 3या ?
द&पेश-नह&ं पर तQ
ु हारे सवालH का जबाब तो है ।
Bया-मेरे सवाल का जबाब भला ये कैसे हो सकता है ?
द&पेश-भागवान यह& सह& है । अब तो घटा भर का अ:त"थ भी बोझ लगने लगा है । दाना-पानी तो
दरू कछ
ु लोग दौलत और 4तबे के अ%भमान म2 पानी तो दरू ठRक से बात करने म2 तौह&नी
समझने लगे है ।
Bया-3या हम जैसे पSरवार म2 ऐसा
द&पेश-दे वी मीTडल 3लास के लोगो के बीच अभी भी अ:त"थ दे वH भवः का भाव है पर
Bया- पर का 3या मतलब । बताओं ना कहां मर गया है अ:त"थ दे वो भवः का भाव ।
द&पेश-दौलत और 4तबे के घमड म2 चरू लोगH के दलH म2 और उनक चौखटो पर भी ।
Bया-अGछा समझ गयी ।
द&◌ेपेश-कछ
ु कहा नह&ं ले@कन तम
ु सब समझ गयी ।
Bया-नह&ं समझी । आप बता दो ।
द&पेश- 3यो बझनी
ु बझा
ु रह& हो ।
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ि◌◌्रया-दे खो जी जो कहना है । कह दो घर का सब काम पड़ा है । बGचो अभी नाLता मांगेगे ।
आपके लाडले मैगी लाये है । उठते ह& उहे चाहये । कोई अ:त"थ आ गया तो उसक आवभगत
भी तो करनी होगी । दे ख रहे हो घर म2 @कतनी धल
ू भर गयी है । दन रात सड़क पर गाTड़ या
दौड़ती रहती है । धल
ू अपने घरो म2 भरती है । कालोनाइजर पैसा लेकर सड़क भी नह&ं बनाया ।
पैसा वो डकार गया हम धल
ू फांक रहे है ।
द&पेश- यह& तो है आज के यग
ु म2 कर रहा है आदमी । अपना फायदा िजसम2 हो वह& कर रहा है
चाहे इसके %लये लाश पर से 3यो ना जाना पड़े ।
Bया-अ:त"थ दे वो भवः का 3या हआ
ु ।
द&पेश- Bया का हाथ पकड़कर "चरौर& करते हए
ु बोला मझे
ु एक वचन दो ।
Bया- @कतनी बार वचन लोगे ?
द&पेश- मF मजाक नह&ं कर रहा हंू । मझे
ु वचन दो @क इस चौखट से कोई आदमी Nयासा नह&ं
जायेगा ।
Bया- आज तक तो कोई गया नह&ं । मेरे जीते जी तो ऐसा अधम हो नह&ं सकेगा । घर आया हआ

मेहमान तो भगवान होता है । भला भगवान का अनादर 3यH । अपने बGचे भी जानने समझने
लायक हो गये है । उनम2 भी अGछे इंसान के सं?कार है । वे अ:त"थ और बड़े बढो
ू का सकार
करना जानते है । आप तो असल& बात बताओ । अ:त"थ भाव घायल कहां ि◌◌ो गया ?
द&◌ेपश-िजस आनदानद के घर उनके बलावे
ु पर गया था । वे दौलत और 4तबे म2 बहत ु बड़े
आदमी है करोड़प:त है पर उनक चौखट से अ:त"थ दे वो भवः का भाव उठ गया है । अरे इसी भाव
क वजह से तो द:नया
ु म2 भारतीय पSरवार ,परQपरा और सं?कार क जयजयकार है पर लोग
मटयामेट कर रहे है ।
Bया-ऐसा 3यो कह रहे हो ।
द&पेश-ठZक कह रहा हंू और तमसे
ु Bवनती भी कर रहा हंू ।
Bया-Bवनती और मझसे

द&◌ेपेश-हां तमसे
ु । दे खना घर आये @कसी Pयि3त का जाने-अनजाने अनादर न होने पाये और ना
ह& @कसी बड़े बढे
ू का।
ि◌◌्रया-3यो इतने दखी
ु हो । आप तो ये बताओ आनदानद साहब के चौखट पर आपको कैसे
अ:त"थ भाव के खन ू होने का एहसास हआ
ु ।
द&पेश-वह& बता रहा हंू ।
Bया- बताओ ना ।
द&पेश-आनदानद साहब के चौखट पर अनादर गहरा घाव कर गया है आज ।
Bया-आप तो आनदानद साहब क बड़ी तार&फ करते हो । उनके घर "गलास भर पानी नह&ं %मला
। इसी जानलेवा गम[ म2 । मेरे मना करने पर भी नह&ं माने । ठडा होने पर चले गये होते तो यह
पीड़ा तो नह&ं झेलनी पड़ी होती ।
द&पेश-हां आनदानद है तार&फ के लायक पर उनक बहु आध:नक
ु जो है । पथरH के वातानक%लत
ु ू
शो-4म म2 भी तो बैठती है ।
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Bया-3या आध:नक
ु लोग पानी नह&ं पीते ? खाना नह&ं खाते ? दरवाजे आये हए
ु Pयि3त को पानी
के पछना
ू म2 आध:नकता
ु नंगी कैसे हो जाती है । गये भी तो थे बढे
ू आनदानद साहब के बलावे

पर ह& । करोड़प:त आदमी है ,बेटे क फै3टर& है । बहू भी पथर Pयवसाय क माल@कन है ।
नौकर-चाकर होने के बाद भी दरवाजे पर आये आदमी को पानी तक को नह&ं पछा
ू जा रहा है ।
द&पेश-ठZक कह रह& हो । सवसQपन तो है पर सं?कार चौखट से दरू होता जा रहा है ।
आनदानद साहब के दये गये व3त पर पहंु च गया था । नौकरH ने कहा बड़े साहब उपर है । इसी
बीच पथर के शो-4म के मेन-गेट से बोल& बड़े साहब नह&ं है । घटे भर बाद %मलेगे । काफ दे र
तक खड़ा रहा पर बहू ने बैठने तक को नह&ं कह& । थक कर मF शो 4म के सामने पडी कस[
ु पर
बैठ गया इतजार क गरज से ।
Bया-आप नीचे और वे उपर इतजार कर रहे थे ।
द&पेश-हां । इसी बीच कछु \ाहक आये । पथर शो-4म क माल@कन बहू ने नौकरो से ठडा पानी
मंगवाया खद ु अपने हाथ से पानी द& । मF सखे
ू कठ बैठा रहा मेर& तरफ एक बार भी नह&ं दे खी ।
Bया-बढे
ू ससरु से %मलने म2 जो अड़चने पैदा कर रह& हो । वह भला पानी को कैसे पछ
ू सकती है ।
मझे
ु तो लगता है बड़े साहब उपे]^त होगे अपने ह& @कले म2 ।
द&पेश-सच आज बढे
ू सास-ससरु ,मां-बाप के सामने यह सम?या तो है ।
Bया- बेटे-बहअ◌े
ु ◌ा◌ं से उपे]^त होकर तो बढ2ू अनाथ आ_म म2 आ_य ढढ
ू रहे है ।
द&◌ेपेश-हां मैने दौलत के ताड़ क छांव म2 सं?कार मरते हए
ु दे खा है । ऐसे लोग अ:त"थ दे वो भवः
का भाव 3या समझेगे ?
Bया-दौलत का पहाड़ खड़ा करने वाले और दसरH
ू को दोयम दज` का समझने वाले हमेशा दौलत को
ह& ललचाया आंखH से दे खते है ।आदमी क तरफ नह&ं दे खते । दे खते भी है तो बस मतलब भर जेब
कतरे क तरह ।
द&पेश-सच आज आध:नकता
ु क %लबास म2 लोग नंगे होते और सामािजक दा:यवH से दरू होते जा
रहे है । उहे लगता है सामािजक औपचाSरकताये रसह&न है । दावे के साथ कह सकता हंू
आनदानदसाहब भी ऐसी आहो-हवा म2 घट
ू रहे होगे ।
Bया-ठZक कह रहे हो इसी%लये उनका फोन भी आया था ना । बैठे-बैठे उब गया तब चला आया ।
द&पेश-मF कछ
ु कागज छोड़कर आया था । कागज %मलने पर फोन @कये थे । कह रहे थे द&पेश बेटा
नीचे से 3यो चलेगे । मै तो उपर इंतजार कर रहा था । लQबे इतजार के बाद नीचे गया तो पता
चला @क तम
ु Oबना मझसे
ु %मले कागज छोड़कर चले गये हो ।
Bया-कागज @कसे सaप कर आये थे ।
द&पेश-उनक बहरानी
ू के सामने कागज दे ने क बात कहा था तो उहोने कहा था @क भोला को दे दो
। बड़े साहब जब आयेगे तब दे दे गा ।
Bया-भोला कौन है ।
द&पेश-@फ0मH म2 भे◌ाला कौन होता है ।
Bया-नौकर ।
द&पेश-वह& नौकर था भोला।
Bया-इतनी धप
ू म2 बहू ने 4कने को नह&ं बोल& ।
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द&पेश-जो बहू पानी के %लये नह&ं पछ
ू रह& है । ए सी शो4म म2 बैठने को कहे गी 3या ? वह भी
फटे -हाल मीTडल 3लास के आदमी को । पानी को पछZू ह& नह&ं बैठने को बोल सकती थी 3या ? दो
\ाहको के %लये दो "गलास पानी का आडर नौकर को द& । मF इतनी भयंकर गम[ म2 सखे
ू गले
आनदानद क बांट जोहता रहा पर मझे
ु पानी तक को नह&ं पछां
ू । जब Nयास बदाLत नह&ं हई
ु तो
एक Nयाउ◌ू पर जाकर पानी पीया ।
Bया-आपको तो परा
ू शहर जानता है । आनदानद साहब से @कतनी बार तो %मल चक
ु े है । उनके
घर भी जा चक
ु े हो इसके बाद भी पानी को नह&ं पछZ
ू ।
द&◌ेपेश-भागवान त:नक पहचानती थी इसी%लये तो कछ
ु दे र तक Oबन बलाये
ु मेहमान का तरह
आनदाद साहब का इतजार करने दया वरना भगा ने दे ती । रह& बात जानने @क तो बb
ु दजीवी
और मानवतावाद& लोग जानते पहचानते है ?वाथ[ और धंधेबाजे के बीच अपनी पहचान नह&ं ? ऐसी
जगह पहचान बनाना भी उसल
ू के cखलाफ है । Bवष बोने वाले,पद और दौलतपसद के बीच तो
अजनवी हंू । मलाल तो इस बात का है @क आनदानद साहब जैसे करोड़ो के मा%लक अपने ह&
लोगH के बीच उपे]^त है । उनसे %मलने वाले भी उपे^ा क dिeट से दे खे जा रहे है ।
Bया-मां-बाप तो धरती के भगवान है । दरवाजे पर आया अ:त"थ दे वता समान चाहे अमीर हो या
गर&ब ।
द&पेश-आध:नकता
ु और दखावे का fम आज के आदमी को SरLते-नाते से दरू ले चा रहा
है ।आनदानद साहब भी घंट
ू रहे होगे ।
Bया-हां शायद । फोन पर बात तो हो गयी ना आपक ?
द&◌ेपेश-हां हो तो गयी ।
Bया-3या कह2 ?
द&पेश-3या कहे ग2 । हारे हए
ु जआर&
ु क तरह खद
ु को कोसेगे । कह रहे थे नीचे गया तो द&पेश बेटा
आपका छोड़ हआु कागज सरवेट दया तब पता चला @क घटा भर इतजार कर चले गये । सांर&
कहने के अलावा और कर भी 3या सकते हF ? मैने कह दया साहब सांर& कहकर श%मदा न कर2 ।
आप तो मेरे Bपतात0
ु य है ।
Bया-कागज आप @कसको सपद
ु ु करके आये थे ।
द&पेश-बहू ने एक नौकर क तरफ इशारा कर दया था उसी लड़के को सaप कर चला आया था ।
खैर इस सब का अदाजा आनदानद साहब को तो लग ह& गया होगा । कहते है आनदानद
साहब क जब चलती थी तो उनक चौखट पर आये हए
ु Pयि3त को समय के अनसारु चाय नाLता
और भोजन तक करवाया जाता था । आज बेटे बहओं
ु के राज म2 अ:तिgस को एक "गलास पानी
तक मययसर
् नह&ं हो रहा है उसी चौखट पर ।
ि◌◌्रया-बाप रे ऐसा वैभव @कस काम का ? िजस चौखट पर आगतक
ु को पानी तक को नह&ं पछा

जा रहा है । भला उस घर म2 बड़े बजगh
ु ु का 3या बरा
ु हाल होता होगा ? तभी तो हाई-फाई पSरवार
के लोग वb
ृ दा_मH क ओर 4ख कर रहे है । कर2 भी 3यो ना इससे तो उनके हाई-फाई ?वाथ[ बेटे -
बहओं
ु क ाइवेसी म2 खलल जो पडती होगी ?
द&पेश-ठZक कह रह& हो । आनदानद साहब से मFने कहा साहब आधे घटे से अ"धक दे र तक
ू था । उहोने ह& तो
इंतजार करके म2 चला आया । शो-4म म2 बैठZ बडी बहू मैडम जी को तो मालम
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कहा था बड़े साहब घर म2 नह&ं है । तब वे बोले मFने तो नीचे सरवेट से बोल रखा था @क आप
आने वाले है । आते ह& मेरे पास भेज दे ना बहू को भी यह बात मालमू थी पर बतायी 3यH नह&ं ?
इसके बाद उनक आवाज टं ग गयी उनके मंह ु से सांर& शiद :नकला और फोन का दम :नकल गया

Bया-सच आध:नकता
ु का मखौटा
ु लगाये घरH म2 बस दखावा है । वहां न बड़◌़◌े -बजगHर
ु ु ् का मन-
सQमान है ना अ:त"थ का ह& । वहां तो सभी मतलब के तराजू पर तौले जाते है ।
द&पेश-तQ
ु हार& बात म2 सGचाई है । भगवान िजसको तर3क दे उसके अदर अ%भमान न भरे ।
Bया-आदमी के पास jयो -jयH दौलत बढती है उसी अनपात
ु म2 अ%भमान भी बढता है । हां कछ

लोग अपवाद हो सकते है पर अ"धकतर लोग तो ऐसे ह& होते है । आनदानद साहब को दे खो आप
तो उनका गणगान
ु करते नह&ं थकते ।उनके घर म2 दे खो अ:त"थ का कैसा अनादार हो रहा है । बड़े
बजगh
ु ु को कौन सा मान-सQमान %मल रहा है ।
द&पेश-बड़ा आदमी तो सह& मायने म2 वह& है जो आदमी क कk करना जानता हो िजसके lदय म2
आद%मयत,ममता,समाता और सmभावना Bवराज:त हो । आदमी धन-दौलत अथवा बड़े पद से बड़ा
नह&ं होता । आदमी का कद बड़ा होना चाहये । कद धन दौलत अथवा पद के अ%भमान म2 डबकर

नह&ं बड़ा होता । कद तो सदाचार बढाता है ,परमाथ का भाव बढाता है ,दबे कचले
ु को उबारने क
ललक आदमी को महान बनाती है । जो Pयि3त nवार आये Pयि3त को बोझ समझता है । खद

को पद और दौलत क तलाु पर तौल कर बड़ा साOबत करता है । सचमव ु वह बहतु नीच होता है ।
Bया-आbु◌ा:नक और पाLचाय सं?कृ:त के अनया:ययH
ु के %लये बढे
ू मां-बाप भी बोझ हो गये होगे ।
आनदानद साहब को हं सते जoम का एहसास हआ ु होगा । ।
द&पेश-?कूल& ?तर पर नै:तक %श^ा का पाठ श4
ु होना चाहये । िजससे बGचH म2 बढH
ू के :त मान-
सQमान उपजे और अ:त"थ दे वH भवः के भाव को उवरा %मले ।
Bया-ठZक कह रहे हो । आध:नकता
ु और पाLचाय रं ग म2 रचे बसे मां-बाप अपने बGचH को
नै:तकता का पाठ पढाने से रहे । इससे बGचH का दे श क सRयता और सं?कृ:त से जड़ा
ु व होगा और
बड़े बजगh
ु ु के :त आदर का भाव भी Bवक%सत होगा । तभी अ:त"थ दे वH भवः के भाव म2
अ%भविb
ृ द सQभव है ।
द&◌ेपेश-ठZक कह रह& हो यद सामािजक और नै:तक म0
ू यH को पतन हो गया तो न तो SरLते बचेगे
न आद%मयत का सHधापन और न मांता-Bपता के :त लगाव ।
Bया-बड़े-बढH
ू के :त आदर भाव,मानवीय SरLतH म2 समरसता,सmभावना,परमाथ के भाव के साथ
अ:त"थ दे वH भवः का बीजारोपण आज क पीढ& म2 करने क िजQमेदार& ?कूल,कालेज और पSरवार
जैसी सं?थाओं से सामज?य ?थाBपत कर उठानी होगी। तभी बड2-बजगh
ु ु को मान-सQमान %मल
पायेगा और अ:त"थ दे वो भवः का भाव दे श क मांट& से सदा वाहत होता रहे गा । द:नया
ु के
%लये हमारा पSरवार ेरणाpे◌ात बना रहे गा । इसक र^ा क कसम यवा
ु -शि3त को खानी पड़ेगी ।
2-बखरे मोती
पड़ोस म2 रहने वाल& पावती को आंचल म2 कटोर& :छपाते हए
ु दे खकर मधु बोल& -दाद& सास 3या
:छपा रह& हो ।
पावती-बेट& कब आयी ?
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मध-ु पावती का पावं छते
ू हु ए बोल& कल शाम को आयी दाद& । पता चला @क आपक तOबयत
ठZक नह&ं है तो चल& आयी आपसे %मलने पर आप तो मझसे
ु कछ
ु :छपा रह& हो ।
पावती-खाने क कटोर& को पनःआं
ु चल से ढकते हए
ु बोल& 3या :छपाउ◌ू◌ंगी बहंू मै भला तमसे
ु ।
मध-ु दाद& सास कछु तो ज4र :छपा रह& हो । लगता है आज बहओ◌े ु ◌े◌◌
े े ने %मलकर कछ ु खास
Pयंजन बनायी है । यह& ना दाद&
पावती-नह&ं रे 3या :छपाउ◌ू◌ंगी । बहये
ु 3या खास Pयंजन बनायेगी । आज कोई पंचईया तो है नह&ं
। सवाल करने को रहने दे आ पास म2 तो बैठ कछ ु दे र । बहये
ु बाजार हाट गयी है । तQ
ु हारे मायके
क 3या खबर है । मां -बाप भी नह&ं रहे तQ
ु हारे । शहर भी जाना होगा ज0द& ।
मध-ु हां दाद& मां बाप जब तक है मायका तब तक आबाद है । अब तो मायका दरू हो गया । मां-
बाप के आंख मनते
ु ह& सब पराये हो जाते है । भाई लोग अपनी गह?
ृ ती म2 म?त है । मF परदे सी हो
गयी । उनक छटट&
ु भी खम होने को आ गयी । बGचे भी यहां क गरमी बदाLत नह&ं कर पा रहे
है । सब बीमार पड़ गये हF । बड़े बेटे को तो बोतल चढवानी पड़ी है । दाद& शहर तो जाना ह& होगा
ना । गांव म2 दादा-परदादा क कहां जमींदार& है @क रोजी-रोट& चलेगी । बGचे पढे गे-%लखेगे ।
पावती-कराहते हए
ु बोल& हां मधु बीटया ठZक कह रह& हो ।
मध-ु दाद& आप खाना खा रह& थी । खा ल&िजये मF Bपटू के घर से होकर आती हंू । बेचार& Bपटु क
आजी जब तक िजद& थी हम लोगH के आने क खबर सनते ु ह& दौड़ी चल& आती थी । अब तो कोई
पछने
ू वाला ह& नह&ं बचा । आप भी बीमार रहने लगी बाक कोई पराने
ु म2 से बचा ह& नह&ं । पहले
जैसी बात भी नह&ं रह& । अपने अलावा कोई अब तो दसरे
ू को समझता ह& नह&ं । अब तो गांव म2
भी शहर जैसा हो गया है कोई पहचानता ह& नह&ं । हम लोग है @क सब के घर-घर जाकर सलाम
Pयवहार करते है । इसके बाद भी लोग मंह
ु फेर लेते है ।
पावती -हां बहू सब ?वाथ[ हो गये है । काम पडने पर पहचानते है । Oबना मतलब के तो अब तन
से पैदा हए
ु भी नह&ं पहचानते । गैरH क 3या बात कर2 । थोड़ी दे र मेरे पास बै तो जा । मF तो बैठे
-बैठे खाती रहती हंू । खाने के अलावा बढौती
ु म2 और काम भी 3या है ? एक जगह बैठे -बैठे बेटा -
बहू क कमाई रोट& तोड़ो । बैठ बहू । मेरा 3या भरोसा इसके बाद तझे
ू %मल पाउ◌ू◌ग
ं ी भी क नह&ं
। आंख-ठे हना
ु भी धीरे -धीरे काम करना बद कर रहे है । अभी ना जाने कब तक फो3ट क रोट&
तोड़नी @क?मत म2 %लखी है भगवान उठा लेता तो मेर& भी बन जाती । बढउ
ु तो अपनी बना %लये
मझे
ु नरक म2 छोड़ गये । सब बहंू सहाग
ु उजड़ने के बाद जीवन नरक हो गया है ।
मध-ु दादा जीवन मरन तो भगवान के हाथ म2 है । दख
ु -तकल&फ भी उसी भगवान क दे न है । दाद&
आंसू ना बहाओं खाना खा लो ।
पावती- तू कह रह& थी ना @क मF :छपा रह& हंू कछ
ु दे ख ले बेट& मेरा छNपन भे◌ाग ।
मध-ु दाद& यह 3या ?
पावती-मेरा खाना और 3या ? क
ु ते Oब0ल& इससे अGछा खाना खा लेते हF ।
मध-ु हे भगवान ये खाना ?
पावती-बंटवारे के बाद मेरा यह हाल हो गया है ।
मध-ु बंटवारा ?
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पावती- दोनो बेटH के बीच 15-15 दन बंटवारा हो गया है । 15 दन बड़ा तो 15 दन छोटा बेटा
क
ु ते जैसे रोट& दे रहा है । बढउ
ु के मरते ह& मेरे उपर मसीबत
ु का पहाड़ "गर पड़ा है । अब तो पेट
भर रोट& भी नसीब नह&ं होती ।हं सते जoम संग जीना पड़ रहा है खानदान क मयादा के %लये ।
मध-ु सखी
ू रोट& ना दाल ना तरकार& ऐ कौन सा छNपन भग आपक बहओंु परोस रह& है ।
पावती-यह& छपपन भेग है मेरे %लये । बहय2
ु कहती है काम क ना काज क :नकाम घोड़ी घास क
। बढया
ु को बैठे बैठे तीनो टाइम बल&बरोबर ठसने
ु को चाहये ।
मध-ु दाद& कैसो खाओगी ।
पावती-बेट& मसीबत
ु माथे पड़ी है तो मकाबला
ु तो हम2 ह& करना होगा ना । रोट& को कछ
ु दे र के
%लये पानी म2 भींगो रखगी
ू गल जाने पर खा लंूगी ।
मध-ु िजन बेटH क तकद&र बनाने के %लये आप और बाबा ने 3या-3या नह&ं @कया । पढाया %लखाया
। पैरो पर खड़ा @कया वह& बेटे दो रोट& नह&ं दे रहे है । इस सखी
ू रोट& को खाना आपके %लये तो
लोहे चना चबाने जैसा होगा । मंुह म2 दात भी तो नह&ं बचे है ।
पावती-सखी
ू रोट& पानी और नमक म2 भींगो कर पेट म2 उतार लेना यह& मेर& @क?मत हो गयी है ।
मेर& @क?मत म2 भगवान ने यह& %लख दया तो 3या क4ं । अGछZ भल& खेती है । दोनो बेटे नौकर&
कर रहे है । इसके बाद मेर& हाल ऐसी है । अगर बढउ
ु कछ
ु छोडकर नह&ं गये होते तो भीख मांगनी
पड़ती मझे
ु । वैसे भीखार& से मेर& दशा खराब है । बस कहने को बेटे बहू ,पोते-पोती और भरा-परा

पSरवार है । कभी कभी तो बहये
ु इस बढ&ू काया पर हाथ साफ कर लेती है । दाद& के आखH म2 बाढं
के पानी सर&खे आसंू बह रहे थे ।
पावती के आसंू दे खकर मधु के ◌ा◌ी आंसू बह :नकले । वह पावती दाद& के आंसू आंचल म2 पोछते
हए
ु बोल& दाद& अब ना रोओ %सर दखने
ु लगेगा । भगवान भी @कतना :नद यी है बढौती
ु म2 इतना
दखु दे दया । अपना खन
ू पीकर पले बढे दLु मन हो गये ।दाद& सतोष करो जो Bवधाता ने %लख
दया है उसे टाला भी तो नह&ं जा सकता ।
पावती- हां बहू अब तो आंसू बहाना ह& तकद&र हो गयी है । आंसूओ को बह जाने दो मन का भार
त:नक कम हो जायेगा । इस बढ& ू बेबस के पास बचा भी 3या है आंसू के %सवाय । भगवान ने बेट&
भी नह&ं दया है @क उसके पास भी दो चार दन के %लये जा◌ाकर जी आन-मान कर आती । बढउ

के मरते ह& मेरे जबान पर भी बेटे बहओ
ु ने पहरा लगा दया है । दोनो बहये
ु हाट गयी है और
बGचे ?कूल । अब तक एक भी होती तो छाती पर चढ गयी होती । तम ु से बात भी नह&ं कर पाती ।
बेटे -बहु सब एक जैसे हो गये है । उनको लगता है @क मेरे पास मोहरो से भरा सोने का घड़ा है ।
िजसे म2 उनसे :छपाकर रखी हंू । जब@क मेरे पास चवनी-अठनी तक नह&ं है । ना जाने कौन सी
रकम लेने के %लये मझे
ु ताTड़ त कर रहे है । सब कछ
ु तो बांट %लये मेरे पास कछ
ु बचा भी तो
नह&ं है । दोनो बेट %मलकर मेर& हालत क
ु ते %ल0ल& जैसी कर दये है । रोट& के %लये ललचायी
आखH से राह ताकना पड़ रहा है । जबान खल&
ु तो लात खाओ ।
मध-ु दाद& मFने भी दे खा है । बाबा जब थे तो यह दरवाजा सना
ू नह&ं लगता था । दो चार लोग बैठे
रहते थे । िजदगी भर बाबा शहर परदे स @कये । आप दोनH बेटH को लेकर गांव क जमींदार&
सQभाल& । बाबा जब Sरटायर होकर आये तब आपके बेटा लोग परदे स क ओर 4ख @कये । बाबा
क मेहनत से सफल भी रहे अGछा कमा खा रहे है । आपको पेट म2 भख
ू लेकर जीना पड़ रहा है ।
11
यह @कसी Bवपित से कम तो नह&ं है । बाबा के मरते ह& बेटे -बहू @कतने बदल गये । धन लेने
क सध
ु तो है मां के पेट म2 रोट& गयी @क नह&ं इसक @कसी को सध
ु नह&ं । जब तक बेटH के हाथ
दौलत नह&ं लगी थी जमींदार& पर कiजा नह&ं हआ
ु था तब तक आरती उतारत ◌े थे । अब तो उह&
बेटे बहओं
ु के %लये बोझ हो गयी हो ।
पावती-हां मधु ठZक कह रह& हो जब तक बढउं
ु कमाये तब तक और जब तक जीBवत रहे तब तक
इन नालायकH के %लये जोड़ते रहे । इह& नालायकH क "चता म2 डबे
ू रहते थे । मेरे पास भी जो
कछ
ु था बढउ
ु क चोर& इह& नालायकH को दे दया करती थी ।वह& वजह है @क आज कंगाल बैठZ हंू
रोट& तक के %लये तरस रह& हंू । मेर& आंखH के आसंू बेटे बहओं
ु को दखायी पड़ गया तो बोल&
बोलने से नह&ं चकते
ू कहते है -पाBपन दरवाजे पर बैठZ कढती
ू रहती है ना मर& न मरे के संग गयी
। अब ये हाल हो गया है बीटया । मै पाBपन हो गयी हंू । मेर& कोख से जमे ये मेरे नालायक बेटे
प
ू यामा हो गये है । मF भखे
ू मर रह& हंू । ये जLन मना रहे है । मह&नH से बखार
ु म2 तप रह& हंू ।
मेर& दवाई के %लये दोनH म2 से @कसी के पास फट&
ू कौड़ी नह&ं हF । ससराल
ु वाले आते है तो मगा
ु के
साथ दा4 परोसी जाती है । बीटया तQ
ु ह& बताओं कोई मां बाप अपने बेटे-बहओं
ु को _ाप दे गे 3या
? मF @कतनी अभा"गन हो गयी हंू बढउ
ु के मरते ह& @क हमारे ह& बेटे बहंू पाBपन कहने लगे हF । मन
तो करता हF इस पोखर& म2 डबकर
ू जान दे दं ू पर जग हं साई से डरती हंू । यह& बेटे -बहु कहे ◌ेगे
पाBपन जीते भी डंसती रह& मरने के बाद भी कलंक छोड़ गयी ।
मध-ु दाद& आमहया क कभी ना सोचना । जब तक सांस चल रह& है । भगवान म2 भरोसा रखो
वह& मि3
ु त दे गा । डब
ू कर जान दे ने से अगला जम खराब 3यो करना । दाद& आप तो बहतु नेक
आमा हो । भगवान सGचे आदमी क पर&^ा लेता है । दeु टH को खलाु छोड़ता है ता@क वे पाप
करते करते एक दन असहाय होकर जमीन पर आ "गरे और लोग थक
ू े । एक दन आपके बेटे-
बहओं
ु पर द:नया
ु वाले ज4र थक ू े गे । दे वी समान मां को भखH
ू मार रहे है । मां बाप क दौलत को
तो बांट %लये पर मां को ना पेट भर रोट& दे रहे है और ना ह& व?$ । दाद& पोते पोती तो दे ख रहे
है ना जो उनके मां बाप आपक ददु शा कर रहे है । आप तो नह&ं रहोगी पर द:नया
ु वाले दे खेगे ।
जैसा आपके बेटा बहु कर रहे है उससे बरा ु सलकू उनके बेट-बहू करे गे ।
पावती-मधु बीटया मेरे बेटे-बहू चाहे िजतनी मेर& ददु शा कर ले पर मF इनका बरा
ु कभी नह&ं चाहंू गी
मां हू ना । ले@कन जो ये मेरे साथ कर रहे है । मF कभी सोच भी नह&ं सकती थी @क मेरे बेटे ऐसी
ददु शा कर2 गे । िजनके %लये सख
ु -सBवधा
ु ,पढाई-%लखाई के %लये पSरवार से Bवkोह कर बैठZ । कभी
बासी रोट& इन बGचH को नह&ं द& । दे शी घी क कभी कमी नह&ं पड़ने द& । आज दे खो मF वह& हंू
मे◌े◌ेरे बेटे बदल गये । मF सखी
ू रोट& से जझ
ू रह& हंू पापी पेट भरने के %लये । वह भी मज[ हई
ु तो
दे दये क
ु ते जैसे कवरा । नह&ं मज[ हई
ु तो नह&ं दये । पानी पी -पीकर भख
ू %मटाती रहने को
मजबरू हो जाती हंू ।
मध-ु दाद& बहये
ु तो दसरे
ू घर से आयी है । बेटे तो सगे है । आपके तन से पैदा हए ु है ।वे भी
ज0लाद हो गये । बढ&ू मां के %लये उनके पास पेट भर रोट& नह&ं दे पा रहे है । आपके दोनH बेटे
पढे -%लखे है । इनको तो क
ु ते-Oब0ले जैसे Pयवहार अपनी मां के साथ तो नह&ं करना चाहये था । ये
तो जो4 के गलाम
ु लगते है ।
12
पावती-बहये
ु जैसा कहती है उससे ल&क भर भी नह&ं हट सकते दो के दोनH । ऐसा लगता नह&ं
है @क यह घर मेरा है । ये पSरवार मेरा है । @कसी को त:नक भी मेर& "चता नह&ं है । दे खो दो
साल हए
ु बढ
ु उ के मरे उनके हाथ क साड़ी है तन पर । वह भी जगह जगह से गलने लगी है ।
बहये
ु दो साड़ी मेरे पास छोडी बाक सब आपस म2 बांट ल& । दो साल से दो साTड़ या मेरे तन पर
गल रह& है । दे खो @कस तरह से मF अपना तन ढं क हंू । न बहओं
ु को शरम है न बेटH को । बेटH
और बहओु को लगता है @क मोट& रकम उनसे :छपा कर रखी हंू । उनको दे नह&ं रह& हंू । बताओ
मेरे पास कछ
ु होता तो अपना तन नह&ं ढं कती ।सब कछ
ु तो :छन %लया इन लोगH ने षणय$
रचकर । पेट क भख ू नह&ं %मट रह& है इन दो-दो बेटे के होते हए
ु ।
मध-ु ये तो बहत
ु बरा
ु हो रहा है दाद& आपके साथ ।
पावती-कछ
ु लोग प$
ु के न होने पर दखी
ु है और मF दो-दो सांड जैसे प$ो
ु के होने के बाद भी बेसहारा
अनाथ जैसी िजदगी जी रह& हंू । इन कपतH
ू के %लये धन-धरती सब कछ
ु बना दये पर उसी धन
और धरती क रोट& सकन
ू क नह&ं %मल रह& है । ये नालायक अपनी कमाई का तो नह&ं दे ते कम
से कम हमार& हाड़ं-फोड़ कमाई क रोट& तो दे ते । सच मधु बहु इतना दख
ु नह&ं होता िजतना हो रहा
है । हारे हए
ु जआर&
ु क तरह अब हाथ मलते रहना है और बेटे बहओं ु के दये तकल&फ के जहर को
पीकर जीवन Oबताना यह& अब तकद&र हो गयी है ।
मध-ु मत रोओं दाद& भगवान सब दे ख रहा है ।
पावती-काश मझे
ु इस नरक से ज0द& उठा लेता ।
मध-ु दाद& िजतने दन क उq होगी उतना दन तो धरती पर रहना ह& होगा चाहे रो कर जीओ या
हं स कर । यय बेटे बहओं
ु क ताड़ना सहकर जीना तो पड़ेगा । आके साथ बहत
ु बराु सलकू हो
रहा है ।यह अGछा नह&ं है । बताओं धरती के भगवान का ऐसा अनादर ऐसे बेटे-बहओं
ु के %लये
नरक का राह नह&ं सगम
ु कर रहा है ◌े 3या ? दाद& जो आदमी दसरH
ू के साथ बरा
ु बताव करता है
उसे भी %मलता है इसी धरती पर । अरे इनक औलाद2 भी ऐसा करने लगी तो खपरै ल से आंसंू
पोछे गे । जब इनक औलादे ऐसे ह& घाव करे गी तो समझ मे◌े◌ं आयेगा @क उनके हाथ अयाय हआ


पावती-मधु बीटया मF तो भगवान से ाथना करती हंू @क इन नालायको को सmबिb ु द दे । मां हाकर
कैसे बmदआु दे सकती हंू । मेरे साथ जो कछ
ु हो रहा है ब?ती वाले भले ह& नह&ं दे ख पा रहे है पर
भगवान तो दे ख ह& रहा है । मF अपनी जबान गद& नह&ं क4ंगी चाहे ये भखे
ू मार डाले, गाल& दे या
लात मारे मै बढउ
ु क आन पर मर जाउ◌ू◌ंगी इस चौखट को न तो छोडंू गी और नह&ं बmदआ
ु दं ग
ू ी

मध-ु दाद& भले ह& मत बmदआ
ु दो पर आपके पोते तो आने मां बाप क करतते
ू दे ख रहे है । वे भी
एक दन ऐसा ज4र करे गे । दाद& मत खाओं ये सखी
ू रोट& दो मF भFस को डल दे ती हू । आपका
खाना अपने घर से लाती हंू ।
पावती-ना मधु ना ऐसा ना कर ।
मध-ु दाद& कम से कम आज तो भर पेट खा लो ।
पावती-बेट& तू सदा सखी
ु रह पर मF अपने ह?से क यह& सखी
ू रोट& खाउ◌ू◌ंगी ।
मध-ु 3यो दाद& ?
13
पावती-मयादा खा:तर । बहु-बेटH को पता लग जायेगा तो घर से बाहर कर दे गे । कहे गे जो
भीख मांग कर खा । उनक इjजत पर कचड़ जो उछल जायेगा । रोट&म2 और पानी डाल दे ती हंू
ज0द& गल जायेगी । @फर खा लंग
ू ी । बेट& तू "चता ना कर मेरा तो रोज का यह& हाल है । आज
तक इस ब?ती का @कसी आदमी को भनक तक नह&ं लग पायी है मेर& ददु शा क । बेट& @कसी से न
कहना मझसे
ु वादा करो ।
मध-ु दाद& ऐसा वादा 3यH मांग रह& है ।

पावती-बेट& अपनी छाती पर खडे इस घर क दहल&ज से मेर& अथ[ जो उठनी है । यद मेर& ददु श
क खबर ब?ती वालH के कानो तक पहंु च गयी तो मेर& लाश भी कफन को तरस जायेगी ।
मध-ु दाद& इतनी बड़ी ब?ती तो है । ब?ती वाले म:नक:नका पहंु चा दे गे चनदा-बेहर& करके । जीते जी
रोट& क "चता नह&ं है मरने के बाद क "चता म2 सलग
ु रह& हो ।
पावती-बेट& िजसके कंधे पर चढकर ?वग जाना था वह तो पहले ह& कच
ू कर गये । बेटH के हाथ से
मr
ु ठZ भर माट& %मल जायेगी तो जम तो नह&ं Oबगडेगा ना ।
मध-ु दाद& अगले जम क "चता है । जीवन नरक हो रहा है । इस नरक को सहने के %लये तैयार
है ।
पावती-मधु बेट& बेटे◌ा◌ं से बंश सर]^त
ु रहता है ना ।बंश सख
ु के %लये हर दख
ु सहने क सामgय
रखती हंू ।
मध-ु दाद& जमाना बदल गया है । बेटे-बेट& दोनH एक समान है । बेटH का दया दखभोगने
ु के बाद भी
आंख नह&ं खल
ु रह& है ।
पावती-सब समझती हंू पर जीवन के आcखर मोड़ पर भटकना नह&ं चाहती हंू ।
मध-ु मतलब
पावती-अब यह& मेर& तकद&र है । जहां से बढउ
ु क अथ[ उठZ वह& से मेर& भी उठे । अब तो जीवन
के मोती Oबखर ह& चक
ु े है । लावाSरस नह&ं मरना चाहती मधु । गांव वालH सामने अपना दखड़ा
ु भी
नह&ं रोना चाहती िजनक मदद करती थी उनके सामने आंसू जीते जी मर जाउ◌ू◌ंगी । मेरा वादा
याद रखना मधु । अब तम ु जाओ मेर& बहयेु हाट से आने वाल& है । तमको
ु मेरे साथ दे ख ल& तो
पीठ म2 सटा पेट आतH को चबा तो लेगा पर बढ&
ू हTsडयां कराह उठे गी ।
मध-ु दाद& मांफ करना । ये कछ
ु पैसे है । रख लो काम आयेगा ।
पावती-सदा सहा"गन
ु और सखी
ु रहो । तQ
ु हारा पSरवार दन दनी
ु -रात चौगनी
ु तर3क कर2 । अब जा
मधु । मझे
ु भयावह सफर पर अकेला चला है । बहये ु आ गयी और तमको ु मेरे साथ दे ख ल& तो
मझे
ु तो जो कहे गी मF सह लंग
ू ी पर :नरापद तमको
ु बरा
ु -भला कह द& तो मझे
ु बदाLत नह&ं होगा ।
वैसे तो रोज मर रह& हंू पर आज और मर जाउ◌ू◌ंगी शरम के समदर म2 डबकर
ू ।
मध-ु दाद& रोओ मत । रोट& गल गयी है । खाकर पानी पी लो । अब तो जीवन भर रोना है । ऐसे
बेटे बहओं
ु के साqाjय म2 ।
पावती-हां मधु सपनH के मोती तो Oबखर गये । BवषधरH के बीच जीने क Bववशता है ।
मध-ु दाद& अब तो खा लो । मF जा रह& हंू ।
पावती-मधु खाना तो पडेगा ह& पापी पेट क आग बझाने
ु के %लये । आशा :नराशा म2 बदल गयी है ।
बढउ
ु के मरते ह& मेर& द:नया
ु भयवाह हो गयी । रात के अंधेरे म2 ह& नह&ं दन के उजाले म2 भी डर
14
लगता है । दे खो इस बढ&
ू काया को कब तक बेटे बहओं
ु के उपीड़न का जहर पीना %लखा है
।भगवान अब अपनH का दया हआ ु घाव बदाLत नह&ं होता कहते हए
ु नमक पानी म2 गील& रोट& का
:नवाला पावती दाद& पेट म2 उतारने लगी । मधु आखH म2 आंसू %लये डर&-सहमी अपने घर क◌े ओर
दौड़ पड़ी ।
3-चु लू भर पानी
3यो◌े◌ं जी Oबन मौसम क बरसात 3यो । अभी तो सरू ज आग उगल रहा है । मौसम Bवtानी
बता रहे है @क मानसन
ू जन
ू के आcखर& सNताह म2 आ सकता हF। ये अवारा बादल कहां से टट
ू पडे
Bवशाल क मां ।
गीता- 3या कह रहे हो Bवशाल के पापा मेर& तो समझ म2 ह& नह&ं कछ
ु आ रहा हF ।
अशोक-बहाना नह&ं ।
गीता-कैसा बहाना जी ?
अशोक-तुQहार& आंखH म2 आंसू 3यH ?
गीता-अGछा ये आसं।ू ये तो च0
ु लू भर पानी म2 डब
ू मरने क बात है ।
अशोक-ये कैसी चuवाती बरसात है जो Oबना @कसी बरसात और Oबना बाढ के डब
ू मरने के %लये
फफकार
ु रह& है ।
गीता-थोडी दे र पहले आ गयी थी चuवाती बरसात एक :नरा"_त बढ&
ू मां के साथ ।
अशोक-बढ&
ू मां ।
गीता-हां बढ&
ू मां के ह& साथ आयी थी चuवाती बरसात जो लोभी औलादो क मंशा को तार तार
करने के %लये काफ थी ।
अशोक-कौन सी बढ&
ू मां क बात कर रह& हो । कोई गQभीर मामला हF 3या ।
गीता- हां । आने वाला समय बढे
ू मां बाप के %लये तबाह& लेकर आना वाला है ।
अशोक-3या कह रह& हो Bवशाल क मां ।
गीता-ठZक कह रह& हंू ।एक अंधी बढ&
ू लाचार मां शहर के चकाचौध भरे उजाले म2 पता ढढ
ू रह& थी
अपनी बेट& का । बेचार& बढ&
ू मां :नeका%सत थी ।
अशोक-:नeका%सत ।
गीता-हां :नeका%सत । एक नालायक बेटा अपनी अंधी मां को घर से :नकाल दया था । वह बढ&
ू मां
अपनी डयोढ& पर आ "गर& थी । उनक दा?तान सनकर
ु ये Oबन मौसम हं सते जoम क बरसात ।
अशोक-ग?
ु ताखी के %लये ^मा करना दे वी जी पर अब वो मां कहा है ?
गीता-बढ&
ू मां को उसक बेट& के घर छोड आयी ।
अशोक-बेट& के घर ।
गीता -हां बेट& के घर । बेटा घर से :नकाल दया हF तो वह बढ&
ू मां बेचार& जाती तो जाती कहां ।ना
थाह ना पता । बस इतना कालोनी का नाम मालम
ू और ये भी @क :तकोने बगीचे के सामने घर
हF । इसी आधार पर बढ&
ू मां क बेट& के घर क तलाश करनी पडी हF । काफ मLकत के बाद घर
%मल गया ।
अशोक-आज औलाद इतनी ?वाथ[ हो गयी है @क अंधी मां को रहने के %लये जगह नह&ं है उसके ह&
बनाये आ%शयाने म2 ।बेटा मां को घर से बेदखल करने पर उतर आया है ।
15
गीता-हां बेचार& बढ&
ू मां दर दर भटक रह& थी ना जाने कब से ।आज बेट& के घर पहंु च पायी हF ।
यद उस बढ ू & मां क मदद ना करते तो भटकती रहती ना जाने कहा कहां । थक हार कर @कसी
गाडी के नीचे आ जाती । मरने के बाद लावाSरस हो जाती । बेटा को कफन पर भी खच ना करना
पडता । मां को घर से बेदखल कर खद
ु मा%लक बन बैठा हF नालायक बेटा ।मां भखी
ू Nयासी ध3के
खाने को मजबरू हो गयी हF । बेट& ना होता तो वह बंूढ& अंधी लाचार मां कहा जाती । बढ&
ू मां क
दशा दे खकर मन रो उठा Bवशाल के पापा । भगवान ऐसी सजा @कसी मां बाप को ना द2 ।
अशोक-बढ&
ू मां के साथ दादा ना थे 3या ।
गीता-नह&ं । वे बेचारे मर गये हF ।उनके मरते ह& बेचार& पर मसीबत
ु का पहाड "गर पडा है ।
अशोक-दौलत के %लये मां पर बेटा ज0
ु म कर रहा है ।वाह रे बेटा । मां के आसंू का सख
ु भोग रहा
है ।
गीता-हां जब तक पर&
ू दौलत पर कiजा नह&ं हआ
ु । बढ&
ू मां को क
ु ते Oब0ल& क भां:त 4खी सखी

रोट& %मल जाती थी । चल अचल सQप:त पर पर& ू तरह कiजा होते ह& बेटा बहू ने एकदम से
दरवाजे बद कर %लये बेचार& लाचार मां सडक पर आ गयी ।
अशोक-बाप रे िजस घर को बनाने म2 और औलाद को पालने म2 जीवन के सारे सखो
ु क आह:त
ु दे द&
उसी घर से बेदखल कर द& गयी वह भी खदु के बेटे के हाथो ।
गीता-हां ऐसा ह& हआ
ु हF उस बढ&
ू मां के साथ ।
अशोक-वाह रे ममता के दLु मन ।आज मां बाप प$ु मोह म2 पागल हो रहे हF। बीटया को जम से
पहले मार दे रहे हF । वह& बेटे बढे
ू मां बाप को सडक पर ला फेक रहे हF ।
गीता-हां ऐसा ह& हआ
ु हF उस बढ&
ू मां के साथ । उसके प:त सरकार नौकर& म2 थे गाडी बंगला सब
कछ
ु था । अGछZ कमाई थी । बेचारे क अचानक मौत हो गयी । प:त क मौत के बाद लोभी बेटा
सब कछ
ु अपने नाम करवा का बढ&
ू मां के◌ा सडक पर पटक दया भीख मांगने को ।
अशोक- बाप रे अब बढे
ू मां बापो को अनाथ आ_मH म2 आ_य लेना पडेगा ।
गीता-3यH ।
अशोक-कहां जायेगे ।
गीता-बेटया है ना ।
अशोक-बेटयां ।
गीता-हां बेटया बेटो से @कसी मायने म2 कम नह&ं है । बढ&
ू मां क बेट& मां को दे खकर Oबलख
Oबलख कर रोने लगी थी जैसे भरत राम रोये थे कभी ।इसी धरती पर कभी _वण थे जो अपने बढे

मां को बहं गी म2 Oबठाकर सारे तीथJत करवाये ।आज दे खो बेटे रोट& दे ने को तैयार नह&ं है । मां बाप
को बोझ समझ रहे हF जब@क सब कछ ु मां बापH का ह& बनाया हआु है ।
अशोक-िजतनी तर3क हो रह& हF उतनी ह& तेजी से ?वाथपरता के भाव म2 बिb
ृ द हो रह& है । अंधग:त
से आदमी का मान%सक पतन भी हो रह& है ।
गीता-सच बहतु बरा
ु समय आ गया हF । बढ& ू मां क दशा दे खकर पथर भी Bपघल जाये पर वो
नालायक बेटा नह&ं Bपघला । मां को घर से बेदखल ह& कर दया ।कहते हए
ु गीता %ससकने लगी
अशोक-आसंू पोछH । डर लगने लगा है । कv म2 पैर लटकाये बढे
ू मां बाप वb
ृ दा_मH का पता पछने

लगे है । Bवशाल क मां ये समाज के %लये शभ
ु संकेत कतई नह&ं है ।
16
गीता-आज क औलादो को कैसा संuमण लग गया है @क मां बाप बोझ लगने लगे है
।वb
ृ दा_मो क शरण म2 जा रहे हF औलादो के होते हए
ु भी । वाह रे ?वाथ[ औलाद2 । भल
ू रहे हF मां
बाप के याग को ।
अशोक-मां बापH को भी अपने म2 बदलाव करना पडेगा और प$
ु मोह से उबरकर बेट& बेटा को बराबर
का हक दे ना होगा ।प$
ु मोह के अंधBवLवास को तोडना होगा ।
गीता-बंश का 3या होगा ।
अशोक-बेटया बेटो से कम नह&ं हF ।दोनो को बराबर का हक होना चाहये । बेट& बेटा दोनो को मां
बाप क परवSरश के %लये तैयार रहना होगा ।
गीता-बढे
ू मां बाप बेट& के घर जाकर रहे गे । इjजत का 3या होगा ।
अशोक-बेट& के साथ रहने म2 इjजत घटे गी नह&ं बढे गी। बेटया भी तो उसी मां बाप क सतान हF
।प$
ु बंश चला◌ा हF गजरे
ु जमाने क बात हो गयी । यह& अंधBवLवास तो बढे
ू मां बाप क ददु शा का
कारण है । जीवन क संझा म2 सख
ु क जगह मr
ु ठZ भर भर कर आग दख
ु परोस रहा है ।
गीता-आने वाला समय भयावह न हो । इससे पहले मां बापो को भी सतक हो जाना चाहये खासकर
यवा
ु दQप:तयH को ।बGचH को नै:तकता का बोध कराय2 । लोभी व:ृ त Bवरासत म2 ना दे । मां बापH
के क:त
ृ व का भाव बGचH पर अवLय ह& पडता हF । यवा
ु दQप:त अपने मां बाप के साथ जो बताव
करते हF। यकनन उसका असर नहे बGचो पर भी पडता हF । आगे चलकर यह& नहे बGचे बडे होते
हF । अपने मां बाप nवारा खद
ु के दादा दाद& के साथ @कये गये बताव एवं बदसल@कयH
ू को दोहराते
हF । यवा
ु दQप:तयH को बचपन से ह& बGचH को अGछZ परवSरश के साथ अGदे सं?कार भी दे ने होगे
िजससे आने वाले समय म2 उनके साथ कछ
ु बरा
ु ना हो सके । मां बाप धन दौलत के पीछे भाग रहे
हF बGचे झला
ू घरो म2 पल रहे हF अथवा नौकरH के हाथH । वे मां क ममता और बाप के Nयार से
बं"चत हो जाते हF।ऐसे बGचे मां बाप को 3या समझेगे ।मां बाप क धन के पीछे न भागकर बGचो
क अGछZ परवSरश पर bयान दे ना चाहये । आगे चलकर ये बGचे उ\ 4प धारण कर लेते हF
।नतीजन मां बाप को ददु शा झेलना पडता हF िजससे उनका सांbयकाल दखदायी
ु हो जाता है ।रोट& के
%लये तरसना पड जाता है ।
अशोक-ठZक कह रह& हो । बढे
ू मां बाप घर से बेघर ना हो । नवदQप:तयH को गहराई से Bवचार
करना होगा । धन क अंधी दौड से बचना होगा ।मां को अपने और बाप को अपने दा:यव पर
याय करना होगा । तभी बढे
ू मां को घर से बेघर होने से बचाया जा सकेगा ।
गीता-वb
ृ दा_म क संoया म2 बढती बिb
ृ द और बढे
ू मां बाप का सडक पर आना औलादH को च0
ु लू
भर पानी म2 डब
ू मरने वाल& बात होगी । मां बाप तो धरती के भगवान हF । मां बाप क सेवा से बडी
कोई भी दौलत सख
ु नह&ं दे सकती ।
4-फज
जोर जोर से गेट पीटने क आवाज सनकर
ु %मसेज आरती बाहर आयी । गेट पीटने वाल& से बोल&
भइया गेट तोड रहे हो या बला
ु रहे हो । आग बरसती गम[ म2 3या काम पड गया । कहां जाना हF
तमको
ु । 3यो इतना पी लेते हो । घर म2 बीबी बGचH का फांके का oयाल आता है । बाल बGचे घर
पSरवार सब भल
ू गये दा4 क मौज म2 । इतना भी पता नह&ं है @क कहां जाना है । अरे नह&ं
पचती तो 3यH पी लेते हो। 3यH गेट पीट रहे हो आगे बढो । अपने घर म2 भी चैन से नह&ं रह
17
सकते ।कैसे कैसे लोग है जमाने म2 अपनी अययाशी
् के %लये खद
ु के घरपSरवार को तबाह&
म2 तो झHकते ह& हF दसरH
ू का चैन भी :छनते है ।जाओ भइया अपने घर जाओ । मझे
ु तQ
ु हार& कछ

नह&ं सननी
ु है ।
तQ
ु हारे पडोस वाले सनील
ु फडु नीसा का Oबजल& का कने3शन करने आया हंू । मेर& बात तुमको
सनना
ु पडेगा । मF स3सेना हंू नशे म2 धत
ु आदमी बोला ।
%मसेज आरती-सनील
ु का पांच साल पराना
ु मकान है ।Oबजल& का कने3शन उनके यहां हF तो नया
कने3शन 3यH करवायेगे ।
स3सेना लडखडाती हई
ु जबान म2 बोला -करना है तो करना है बस ।
%मसेज आरती- सनील
ु फडु नीसा के घर जाओ ।
स3सेना लडखडाती आवाज म2 बोला तQ
ु हार& छत पर जाना है ।
%मसेज आरती-हमार& छत पर 3यH ।
स3सेना-बहत
ु सवाल करती हो । अरे कने3शन तQ
ु हार& छत पर जाकर ह& तो क4ंगा ।
%मसेज आरती-मेर& छत पर नह&ं जाना है कहकर jयोहं घर म2 आई @फर स3सेना गेट पीटने लगा
है ।
%मसेज आरती बेटे रं जन से बोल& बेटा दे ख अब कौन आया । तेरे पापा सो रहे है । टFकर क
इतजार म2 रात भर जागते रहे ।रात को दो बजे तो ट2 कर का पानी आया था । पैसा भी दन रात
टकटक लगाये रहो ये ट2 कर वाले भी पैसा लेने के बाद 4ला दे ◌ेते है ।पानी क सम?या ने चैन
:छन %लया है दसरे
ू ना जाने कहां कहां से Oबन बलाये
ु आ जाते है । लोग ना जाने 3यो त:नक
आराम करने लेटे तभी आ धमकते है । जा बेटा रं जन दे ख ले ना ।
रं जन-दे खता हंू मQमी कहकर बाहर गया । गेट पर बेसुध खडे आदमी से पछा
ू कौन हो अंकल पानी
पीना है 3या ।
नह&ं मझे
ु तQ
ु हार& छत पर जाना है । फडुनीसा का कने3शन करना हF । फडुनीसा ने भेजा है ।
रं जन-अंकल फडुनीसा के घर के सामने ह& तो Oबजल& का खQभा है वहां से 3यो नह&ं कर दे ते
कने3शन । हम तो आपको पहचानते भी नह&ं । कैसे आपको अपनी छत पर जाने दं ू । फडुनीसा
अंकल को आपके साथ आना था ।
स3सेना- मF चोर नह&ं Oबजल& Bवभाग से आया हंू ।
रं जन- Oबजल& Bवभाग से आये हो तो अंकल के घर के सामने वाले पोल से कने3सन 3यH नह&ं कर
दे ते । हम लोगो को आग बरसती दोपहर& म2 3यH परे शान कर रहे हो ।
स3सेना- तQ
ु हार& पडोसी फडुनीसा कहता है । मेरे घर के सामने वाले पोल म2 Oबजल& कम आती है
और यहां jयादा रहती है । इसी%लये @फर से कने3सन करवा रहा है । मझे
ु 3या करना हF मझे
ु तो
बस पैसा चाहये चाहे जहां से करवाये ।
रं जन-ठZक है जाओ पर jयादा टाइम नह&ं लगाना ।
स3सेना- टे म तो लगेगा कहते हए
ु छत पर गया केबल छjजे म2 अटकाया । छत से नीचे उतरा
और खQभे पर चढकर केबल खींचने लगा । केबल खीचने क वजह से पौधे क छोट& छोट& डाले
और पितयां टटने
ू लगी । कछ
ु ह& सेकेड म2 बादाम क मोट& डाल टटकर
ू धडाम से "गर& । पौधH
का नक
ु शान %मसेज आरती से बदाLत नह&ं हआ
ु । वे बोल& 3यो भाई आप कने3शन कर रहे हF या
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मेरे पौधे तोड रहे है । पीने को पानी नह&ं %मल रहा है ऐसे हालात म2 भी मF पौधH को सींच रह&
हंू । मेरे आंगन क हSरयाल& आप 3यो उजाड रहे हो भइया ।
स3सेना-दे ख बकबक ना कर ज4रत पडी तो ये पेड पौधे कट भी जायेगे ।
%मसेज-आरती 3या कहा तमने
ु तेज आवाज म2 बोल&।
स3सेना- हां ठZक सनी
ु हो । ये पेड पौधे काटे भी जा सकते है ।
%मसेज आरती- वो भाई याद रख जो पौधे तोड रहे हो वे पौधे खैरात क जमीन म2 नह&ं हमार&
अपनी जमीन म2 लगे है ।ये जमीन पसीने क कमाई से खर&द& गया है । ।इन पौधे का oयाल मF
अपने पSरवार सर&खे रखती हंू । तम
ु काटने क बात कर रहे रहे हो ।दे खती हंू कैसे काटते हो ।
इतना सनते
ु ह& स3सेना तमतमाते हए ु नीचे उतरा । अपशiद बकते हए ु "च0ला चोट करने लगा ।
शोरगल
ु सनकर
ु %म?टर लाल क नींद खल
ु गयी वे भी बाहर आ गये । उनको दे खकर %मसेज आरती
बोल& दे खो जी ये आदमी पौधे तोड रहा है,काटने क बात कर रहा है उपर से "च0लाचोट भी कर
रहा है ।
%म?टर लाल 3यो जनाब 3यH आतंक मचा रहे है । कौन है आप। 3यH तQ
ु हार& नजर मेरे पौधे क
हSरयाल& पर लग रह& है । हमारा नकशान
ु कर रहे हो । भर& दोपहर& म2 "च0लाचोट कर रहे हो कैसे
आदमी हो ।इंसान होकर इंसा:नयत का धम भल
ू रहे हF । अपने फज का कल कर रहे है । हमारे
बगीचे को जानवर क तरह चर रहे हो कैसे आदमी हो भाई ।
स3सेना- तQ
ु हारे पडोसी फडुनीसा का कने3सन कर रहा हंू तQ
ु हारा नकशान
ु नह&ं कर रहा हंू ।
%म?टर लाल- ये पौघे कैसे टटे
ू है । 3या यह नकशान
ु नह&ं है ।
स3सेना-तमको
ु आiजेकसन है ।
%म?टर लाल- तम
ु कने3शन करने के बहाने मेरा बगीचा उजाड रहे हो और उपर से पछ
ू रहे हो
आiजे3शन है ।
स3सेना-आiजे3सन है येलो @कससे बात करनी है कर लो मोबाइल दखाते हए
ु बोला ।
%म?टरलाल- होश म2 आओ । बताअ◌े◌ा @कसक पर%मशन से खQभे पर चढे हो । तQ ु हारे पास कोई
कागज है तो दखाओ ।
स3सेना- तमु कौन होते हो पछने
ू वाले। वह @फर मोबाइल दखाते हएु @फर बोला ये लो कर लो न
बात । दे खता हंू @कससे बात करते हो । दे खता हंू मझे
ु कौन रोकता है मझे
ु कने3शन करने से। मF
एक फोन क4ंगा तो सीधे अदर जाओगे ।
%म?टरलाल-नशे म2 हाथी भी चींट& दखायी पडती है ।फडुनीसा का कने3सन कर रहा है
अनएथोराइज ढं ग से और मझे
ु धमका रहा है । इतनी बडी दादागीर& । चोर कोतवाल को डांटे वाल&
कहावत तम
ु चSरताथ कर रहे हो स3सेना ।
स3सेना-तम
ु फडु नीसा को नह&ं जानते 3या ।
%म?टरलाल- अरे भाई ऐसे मदा
ु सर&खे लोगH को जानने से बेहतर ना ह& जानो । ये◌े मतलबी लोग
है जब ज4रत पडती हF तब पहचानते है । Oबना ज4रत के तो मातम वाले घर क तरफ नह&ं दे खते
। अब तम
ु अपनी बकबक बद करो । याद रखो मेरे पौधH को नकशान
ु नह&ं पहंु चाना ।
19
स3सेना लालपीला हो रहा था %म?टरलाल उसे समझा◌ाने का यन कर रहे थे इसी बीच
सनील
ु फडु नीसा आ गया ।वह स3सेना को एक तरफ करते हुए बोला तू अपना काम कर दे खता हंू
कैसे रोकता है ।
%म?टरलाल- भई फडुनीसा शराफत भी कोई◌्र चीज होती है ।एक पडोसी का दसरे
ू के :त कछ

दा:यव होता है । पडोसी होने के आदमी का फज और अ"धक बढ जाता है । आप इतने बडे आदमी
है @क एक दरोTडयH को भर& दोपहर& म2 मेरे घर भेज दये । 3या यह& अGछे पडोसी का फज बनता
है ।
फडुनीसा -अGछा तो तू मझे
ु शराफत सीखायेगा। फज पर चलना सीखायेगा । म3 ु का तानते हए

बोला चल हट नह&ं तो अभी दो दं ग
ू ा तो सार& अकड :नकल जायेगी ।चला है एथोराइज अनएथोराइज
क बात करने ।
%म?टरलाल-अरे अपनी औकात म2 रह फडुनीसा । अपने बालबGचो को पाल ,पढा %लखा ग
ु डई
शराफत का गहना नह&ं है । बीयर बार म2 "गलास धोकर तो पSरवार चला रहा है । मालम
ू है जब
शर&फ आदमी बदमाशी पर आता है तो तQ
ु हारे जैसे ग
ु डे ने?तानाबत
ू हो जाते है ।
फडुनीसा -हां मF तो ग
ु डा हंू ने?तानाबत
ू करके दे ख लेना।
%मसेज आरती- पडोसी भगवान क तरह होते हF । यहां तो पडोस म2 शैतान बसते है । एक तरफ
Pय%भचार& तो दसर&
ू तरफ ग
ु डा कैसे शर&फ लोग रह पायेगे ।ग
ु डे @क?म के लोग अभी तक तो
झwु गी झोपडी का सहारा लेते थे । अब शर&फH क ब?ती म2 घसपै
ु ठ करने लगे है ।
फडुनीसा -तम
ु लोग @कतना भी "च0लाचोट कर लोग मेरा कने3शन तो तQ
ु हारे घर के सामने के
पोल से ह& हे ◌ागा ।
%म?टर लाल- फडुनीसा ग
ु डाजी अवैध कने3शन करवाओगे । मेरे पेड पौधH को काटोगे या मेरा
कने3शन काटोगे । मेरे दरवाजे पर मझे
ु मारने आ रहे हो । नतीजा मालम
ू है 3या होगा। इतना बडा
ग
ु डा पडोस म2 बसता है थोडी खबर तो थी पर आज पर&
ू जानकार& भी %मल गयी ।
फडुनीसा -अब तो पता चल गया । मेरे रा?ते म2 जो आयेगा सबको दे ख लंग
ू ा । इतनी म2
फडुनीसा क घरवाल& हाथ म2 सSरया लेकर गाल& दे ते हए
ु %म?टर लाल के दरवाजे तक चढ आयी ।
फडुनीसा और उसक घरवाल& क करतते ू दे खकर सामने वाले लाला के पSरवार के लोग ताल&
बजाबजाकर खश
ु हो रहे थे। यह उसी लालाजी का पSरवार था िजनक मौत से लेकर दसरे
ू @uयाकमh
तक फडनीस कभी नह&ं दखा था और ना ह& आसपास के और लोग । %म?टर लाल ना रात दे खे ना
दन सब कामH म2 खडे रहे और उनक धमपनी तो उनसे आगे थी चाय नाLता खाना पानी तक का
इतजाम क थी । आज वह& लाला का पSरवार %म?टर लाल के साथ पडोस वाले ग
ु डे फडुनीसा
क करतत
ू पर खश
ु हो रहा था । उसक ताकत बन रहा था ।
%म?टर लाल फडुनीसा के दPु यहार से दखी
ु तो थे ह& लाला के पSरवार के आग म2 घी डालने क
करतत
ू से cखन भी । फडुनीसा और उसक घरवाल& अनाप शनाप बके जा रहे थे । %म?टर लाल
के बGचे उहे घर म2 ले गये । काफ दे र तक ग
ु डे क ललकार हवा म2 गंज
ू ती रह& । शोरगल

सनकर
ु पीछे वाल& गल& से %मसेज मनवती और कई सRय लोग %म?टर लाल के घर आ गये ।
%मसेज मनवती - %मसेज आरती से बोल& 3या भाभी आप लोग पागल क◌ु
ु तो को पचकारते
ु हो । हर
आदमी के दख
ु सख
ु म2 कद
ू पडते हो ।दे खो आजकल के लोग नेक के बदले 3या दे ते हF । फडुनीसा
20
के भी तो आप लोग बहत ु काम आये हो । जब इसका बन रहा था तब भी मदद करते थे ।
उसके गहवे
ृ श के दन तो रात भर पानी भरवाते रहे अपनी बोSरंग चला कर । इस दगाबाज दोगले
फडुनीसा के घर म2 जब चोर& हई
ु थी तो कोई आगे पीछे नह&ं था आपके घर को छोडकर । ये लाला
का पSरवार तो दरवाजा ह& नह&ं खोला था । पडोस वाला Pय%भचार& जो आज कदकद
ू ू कर कने3शन
करवाया हF । यह भी तो नह&ं दखा था । िजनके संग दाल बांट& क पाटx जमाता था वे लोग तो
इस अमानष
ु के मंह
ु पर मसीबत
ु म2 भी मतने
ू नह&ं आये । थाने से लेकर घर तक का काम आप
लोगो ने ह& दे खा था । इसके बाद भी फडुनीसा क घरवाल& ने पडो%सयH पर ह& इ0जाम लगाया
थी । भला हो प%लस
ु वालH का उसके मंह
ु पर थक
ू दये यह कह कर @क अब तमको
ु कैसे पडोसी
चाहये । पडोसी म2 नह&ं तमम2
ु दोष है । शर&फ सर&खे पडाि◌◌ेसयH पर इ0जाम लगा रहे हो । तब
फडुनीसा और उसक घरवाल& का मंुह दे खने लायक हो गया था ।
%मसेज आरती-भाभीजी इंसान के काम तो इंसान ह& आत हF ना । हम लोगो से @कसी का दख
ु दद
बदाLत नह&ं होता । कहते है ना दद का Sरशता सभी Sरशत2 से बडt हो◌ाता है । जहां तक सQभव
होता हF हम @कसी क मदद करने से नह&ं चकते
ू ।आदमी हमार& नेक को भले भला
ू दे पर भगवान
तो नह&ं भलाये
ू गा ।
%मसेज मनवती- भाभी ऐसी भी नेक @कस काम क । िजसके साथ नेक करो वह खन
ू का Nयासा
बन जाये । ऐसे लोग तडपते रहे तो भी ऐसी हालत म2 उनके मंह
ु पर पेशाब नह&ं करना चाहये ।
बेशरमH म2 जरा भी मयादा शेष नह&ं बची है । अगर ऐसे ह& होता रहा तो कोई @कसी के दख
ु सख

म2 काम कैसे आयेगा ।ऐसे ह& पडो%सयH क वजह से शहर बदनाम हो रहा है ।पडोस म2 कोई मर
जाता है पडोस को खबर न लगने का कारण ऐसे पडोसी है । फडुनीसा जैसे मतलबी पडोसी, पडोसी
के फज पर कहां खरे उतर सकते है ।
%म?टर लाल-भाभीजी हम लो◌ागो से @कसी का बरा
ु नह&ं दे खा जाता । कैसे मंह
ु मोड ले अपने फज
से ।
%मसेज मनवती -आपक क गई भलाई का 3या %सला दया फडुनीसा और ये लाला का पSरवार ।
उस पडोसी Bवमल भडार वाले को दे खो @कतना बढया आपक ओर से सQबध था पर सडी सी vेड
को लेकर उसने पडोसी के पाक SरLते को नापाक कर दया । vेड तो रख ह& %लया पैसा भी नह&ं
दया । बरा
ु भला कहा उपर से और भी ऐसे बहत ु लोग है । नालायक ग ु डे खद
ु को खदा
ु समझने
लगे है । ठZक हम ला◌ोगो लोगो के पास दो नQबर क कमाई नह&ं है तो 3या पास मायादा तो है
।मान सQमान हF शर&फ लोगो के बीच बैठक है । भाई साहब ऐसे लोगो के %लये खडा होने से बेहतर
तो ये है @क अपने कानो म2 4ई डाल लो । मरने दो सालH को । जब तक ये लोग हवा से जमीन
पर नह&ं "गरे गे तब तक ऐसे ह& शर&फH क शराफत का मजाक उडाते रहे गे । आप तो अपने पSरवार
के साथ छr
ु ट& मना रहे थे रं ग म2 भंग डाल दया फडुनीसा ग
ु डे ने । अमानष
ु मारने क धaस दे
गया ।
%मसेज आरती-भाभीजी फडुनीसा ने अपनी जबान खराब क है ।शर&फ लोग शराफत छोड दे गे तो
द:नया
ु का 3या होगा । आदमी से आदमी का नह&ं भगवान से BवLवास उठने लगेगा । जैसी करनी
वैसी भरनी । आज तो हम चप
ु रह गये कल कोई बडा वाला %मल जायेगा । हTsडया चटका दे गा ।
भगवान के उपर छोड दो ।बरेु काम का नतीजा कहां अGछा आता है भाभीजी ल&िजये पानी पीिजये ।
21
सभी आगतक
ु अपनी अपनी तरह से समझा रहे थे । ढाढस दे रहे थे । उधर फडुनीसा छाती
फलाकर
ु अवैध तर&के से कने3शन करवा रहा था । फडुनीसा क घरवाल& और लाला के घर क
औरते %म?टर लाल के घर क तरफ ताक ताककर ठसर
ु ु भसर
ु ु कर रह& थी । कछ
ु दे र म2 %म?टर
लाल के घर आये कालोनी के पीछे वाल& गल& के लोग अपने अपने घर चले गये । अवैध तर&के से
कने3शन हो गया । दोपहर ढल चक
ु थी । नवतपा का आठवा दन था आग बरसा रहा था । इसी
बीच आकाश म2 अंवारा बादल उमडने लगे◌े थे । दे खते दे खते ह& आंधी ने जोर पकड %लया ।आंधी
के जोर ने स3सेना के नशे को कम कर दया । उसके मन म2 Bवरािजत इंसा:नयत जाग उठZ । वह
एक बार @फर %म?टर लाल के मेनगेट पर द?तक दया । उसे दे खकर %म?टर लाल बोले अब 3या
लेने आये हो भाई ।
स3सेना-साहब माफ मांगने आया हंू ।
%म?टरलाल- मF कौन होता हंू माफ दे ने वाला ।जाओ भगवान से माफ मांगो◌े◌े । सGचे और शर&फ
इंसान को दख
ु दे कर कोई भी सखी
ु नह&ं रह सकता चाहे तम
ु रहो या तQ
ु हारा फडुनीसा ।
%मसेज आरती- भइया स3सेना आप तो कने3शन करने आये थे परतु आपने हमार& ह& नह&ं अपनी
भी मयादा का खन
ू @कया है । आद%मयत का खन
ू @कया है । अपने फज को रaदा है ।आप कने3शन
करने नह&ं फडुनीसा क तरफ से मारपीट करने आये थे ।
स3सेना-मैडमजी श%मदा हंू नशे म2 था ।जानता हंू पडोसी सगे से भी बडा होता है परतु फडुनीसा
तो पडोस म2 रहने फडुनीसा शराफत का चोला ओढे बदमाश है । मेरा नशा अब उतर गया है ।
फडुनीसा ने दा4 Bपलाया था । मझे
ु बडी गलती हो गयी अनजाने म2 ^मा करना । भगवान
फडुनीसा क तरह के◌े पडो◌ेसी मेरे दLु मन को भी न दे ।
%म?टर लाल-स3सेना कोई :नभाये चाहे न :नभाये मF तो अपना फज :नभाउ◌ू◌ंगा ।
%मसेज आरती- हां स3सेना भइया ये ठZक कह रहे है ।शर&फ इंसान शराफत को कैसे छोड दे गा
स3सेना-मैडमजी आप जैसे पडोसी तो @कसी दे वता से कम नह&ं पर ये ग
ु डे Pय%भचार& 3या जाने
पडोसी के धम को ये तो चील "गbद कौवा◌े◌ं क तरह अपना मतलब साधकर बस हं सते जoम दे ना
जानते है ।
%म?टरलाल-स3सेना तम
ु जाओ । मझे
ु अपना फज याद रहे गा ।
स3सेना-भाई साहब पडोस वाले फडुनीसा और ऐसे लोगो से सावधान रहना ऐसे लोग पडां◌ेस म2
रहकर पडां◌ेसी के जीवन म2 मr
ु ठZ भर भर आग बोते है मF नह&ं भलं
ू गू ा अGछे पड़ोसी का फज
कसम से
5-दहे ज क' आग

औरत जात को ले डबे


ू गी ये दहे ज क आग । कब बझे
ु गी ये दहे ज क आग । खदा
ु खैर रखे अब ना
जले और कोई लडक दहे ज क आग %मसेज शोभा बडबडाते हए
ु बरामदे म2 धडाम से "गर पडी
। मां को "गरता हआ
ु दे खकर अवध दौडकर उठाकर बैठाया @फर एक "गलास पानी लाया । मां को
Bपलाते हए
ु बोला 3या हआ ु मां तOबयत तो ठZक है ।
%मसेज शोभा -हां बेटा मेर& तOबयत तो ठZक है पर एक लडक और जला द& गयी दहे ज क आग म2
। कब तक ऐसे ह& लड@कया जलाती जाती रहे गी । कब तक मां बाप दहे ज दानवH क मांग अपना
घर nवार ब2चकर पर&
ू करते रहे ◌ग2
े ।
22
अवध मां का %सर सहलाते हए ु बोला-दहे ज लो%भयH का नाश होगा एक दन । पापी काल
कोठर& म2 तडप तडप मौत क भीख मांगेगे ।बहू को दहे ज के %लये जला दे ते है । पराई बेटयH को
अपनी बेट& 3यो ◌ं नह&ं सोचते । दहे ज क आग बझे
ु Oबना औरत जात सर]^तु नह&ं रह पायेगी ।
दहे ज लेना और दे ना दोनो अपराध है । यह जानते हए
ु भी लो%भयH के हौशले प?त नह&ं हो रहे है ।
%मसेज शोभा- दहे ज क आग सनीताु को ले डबी
ू । बेचार& क दद नाक मौत क खबर सनकर
ु च33र
आ गया । @कतनी धमधाम
ू से बीटया का iयाह @कया था सतीश बाबू ने । कोई कोर कसर नह&ं
छोडे थे।गह?
ृ ती क एक एक चीज दये थे । मां बाप क एक ह& बेट& थी वह भी जलाकर मार द&
गयी ।बेचारे राजू क कलाई पर अब तो राखी भी नह&ं बंध पायेगी । जीवन भर क कमाई बीटया
के iयाह पर खच कर दये । इसके बाद भी लो%भयो ने उGच %श]^त सवगण
ु सQपन सनीता
ु को
आग म2 झHक दया । बेचार& को िजदा जलते हए
ु @कतना रोयी "च0लायी होगी ।सोचकर मन रो
उठता है पर उन अमानषH
ु को त:नक भी रहम नह&ं आयी। पेyोल :छडकर जला डाला । ना जाने
कब तक लड@कयH को जलाती रहे गी ये दहे ज क आग ।
अवध- सतीश काका ने सचमच ु सनीता
ु का iयाह बहत
ु धमधम
ू से @कया था ।खबू दान दहे ज भी
दये थे । भार& भरकम दहे ज क रा%श और सामान लेने के बाद भी सनीता
ु के ससराले
ु वाले
अमानषH
ु क चाहत पर&
ू नह&ं हई
ु । बेचार& को दे हज क आग म2 जला दया ।
%मसेज शोभा -औरत जात पर तो अयाय बढता ह& जा रहा है ।सगे सQबधी ज0ु म ढाह रहे है ।
बेचारा बाप अपनी इjजत दे ता है ।धन दौलत दे ता है । इसके बाद भी बेट& का जीवन ल&ल रहे हF
दहे ज के Nयासे अमानष
ु ।
अवध-मां दहे ज दानव सRय समाज के माथे का कलंक है । इसके बाद भी खब
ू फलफल
ू रहा है ।कछ

लोग तो अ"धक दहे ज दे कर गव महसस
ू करते है । यह& गव उनक बेटयH को डंस जाता है ।बेट&
जीवन भर दहे ज क आग म2 %ससक %ससक कर बसर करती है या सनीता
ु क तरह कमरे म2 बद
कर घासलेट या पेyोल डालकर जला द& जाती हF । लापरवाह& का इ0जाम भी अबला मतका
ृ के उपर
ह& मढ दया जाता है ।
%मसेज शोभा गश खाकर "गर पडी यह खबर पडोस म2 रहने वाल& मैडम के कानH को खचलायी
ु । वे
दौडकर आई और पसीने से तरबतर %मसेज शोभा से पछने
ू लगी 3या हो गया द&द& कैसे "गर पडी

%मसेज शोभा- सनीता
ु को उसके ससराल
ु वालH ने जलाकर मार डाला । यह खबर बेचन
ै कर द&। बडी
मिL
ु कल से तो घर तक पहंु ची , बरामद2 म2 गश खाकर "गर पडी ।
@करन मैडम- बाप रे एक और लडक दहे ज क ब%ल चढ गयी ।
%मसेज शोभा-हां @करन ।पहल& बार सनीता
ु अपनी ससरालु से आयी थी तो बहत
ु खश
ु थी । प:त के
तार&फH का पल
ु बांध बांध कर नह&ं थक रह& थी ।हां ससरु सास के नाम पर मौन हो जाती थी ।
बेचार& सनीता
ु क दाद& बयान कर कर रो रह& । मझे
ु भी रोना आ गया था ।बेचार& को दसर&
ू बार
गये सNताह भी नह&ं हआ
ु @क जलकर मरने क खबर उडते उडते आ गयी ।
@करन मैडम- घर से लेकर संसद तक नार& सश3तीकरण क चचा आजकल जोरो पर है । पंचायती
चनावH
ु म2 महलाअ◌े◌ं के %लये ?थान आर]^त है । Bवधान सभा और लोकसभा म2 महलाओं के
%लये ?थान आर^ण क बात चल रह& है । सQभवतः यह लागू भी हो जाये । अGछZ बात हF नार&
23
को उ"चत सQमान %मलना भी चाहये । नार& का सश3तीकरण भी हआ ु है । नार& संर^ण हे तु
महला आयेग काम कर रहा है । बडे बडे पदो पर महलाये Bवराजमान है । संBवधान भी महलाओं
को समानता का अ"धकार दे ता है ।इतना सब कानन
ू कायदा हो◌ेने के बाद भी fण
ू हया और दहे ज
दानव के %शकंजे के आगे सभी बौने नजर आ रहे है । सनीता
ु क मौत तो इस बात क jवलत
गवाह है । खद
ु जलकर मर गयी ऐसा सनीता
ु के ससराल
ु वालH का कहना है पर इसम2 जरा भी
सGचई नह&ं हF अपराध :छपाने का यास है । कानन
ू से बचने का ढHग है । ऐसा तो हो ह& नह&ं
सकता ।यह तो फासीं के फंदे से बचने का झठा
ू लाप है ।
%मसेज शोभा-हां @करन इ0जाम तो ऐसा ह& लग रहा है पर वह जला कर मार& गयी है ।
@करनमैडम-कोई नवBववाहता 3यH जलकर मरे गी ।अGछे घर और अGछे प:त के %लये लड@कयां Jत
करती है । बेचार& 3यH आग म2 कद
ू कर मरे गी । लड@कयां जलती नह&ं दहे ज क आग म2 जलायी
जाती है । ना जाने कब बझे
ु गी ये दहे ज क आग ।
%मसेज शोभा-सनने
ु म2 आ रहा है @क सुनीता क सास कह रह& थी @क ?टोव भभकने से आग लगी
। सनीता
ु @कसी को कछ
ु बतायी नह&ं कमरे म2 जाकर खद
ु बझाने
ु लगी थी ।आग बझने
ु क बजाय
चड 4प धर ल& । उसके साथ कमरे का सामान भी ?वाहा हो गया ।
@करन मैडम- इतनी नासमझ तो नह&ं होगी । अGछZ पढ& %लखी और समझदार लडक थी ।
%मसेजशोभा-अरे कमरे म2 बद कर जला दया गया है । वह 3यH आग म2 जलकर मरे गी । मरना ह&
था तो ससराल
ु जाकर 3यH मरती । मायके म2 मरने के %लये जगह कम थी । बाप का लाखH खच
करवाकर मरने क कसम तो नह&ं खायी थी ।बाप से उसक दLु मनी तो थी नह&ं । मां बाप को भाई
को जान से jयादा चाहती थी वैसे ह& ये लोग भी चाहते थे ।लड@कयH क असमय मौत अशभ

संकेत है @करन ।ऐसा ह& रहा तो दहे ज लोभी अपने बेटो का iयाह कैसे करे गे ।
@करनमैडम-द&द& गैस रहने के बाद भी ?टोव पर खाना 3यH बना रह& थी सोचने वाल& बात है ।
%मसेजशोभा- हां @करन सच कह रह& हो । जलने क खबर भी तो नह&ं द& है वानH ने ।उडते उडते
सनीता
ु के मरने क खबर सतीशबाबू के कानH तक पहंु ची थी । वहां पहंु चे तो सह& खबर :नकल& ।
भला हो अनजान पडोसी का िजसने प%लस
ु को खबर कर द& थी ।दाह सं?कार होने से कछ ु %मनट
पहले सतीशबाबू पहंु चे उनके पीछे प%लस
ु भी पहंु च गयी ।लाश को प%लस
ु ने कiजे म2 लेकर
पो?टमाट म के %लये भेज दया था। बेचारे सतीशबाबू पागलH क तरह घमते
ू रहे अकेले । बेचारे कह&ं
से फोन @कये तब जाकर पता चला उनके घर । इसके के बाद कालोनी के कछ
ु लोग गये तब
जाकर बेचारे सतीश बाबू क जान म2 जान आयी।
@करन मैडम- लड@कयH के साथ तो बहतु बरा
ु हो रहा है । अपने इंदौर म2 Bपछले साल बेचार& भ%मका

को उसक सास ने टकडे
ु टकडे
ु करके कडे
ू दान म2 डाल दया था ।आज का आदमी @कतना हंसक हो
गया है ।दहे ज के %लये लड@कयH को सiजी भांजी क तरह काट& जा रह& है ।सखी
ू बेकार घासफस

क तरह जलायी जा रह& है । कब तक लड@कयां को आग के हवाले दहे ज लोभी करते रहे गे ।
अवध-रा^स कैसे जला दे ते है । अपने बेटे बेटयो को जलाकर 3यो नह&ं दे खते ।
सानू-@कसको कौन जला दया ।
%मसेजशोभा-बेट& तू जा कछ
ु खा पी ले । थक मांद& होगी । कालेज से आ रह& है ना ।
24
सानू- मां तम
ु सनीता
ु क मौत क खबर मझसे
ु :छपा रह& हो न । ठZक है मF नह&ं पछती
ू हंू पर
मझे
ु पता चल गया है अखबार से सब कछ
ु । खैर मां मF आ तो कालेज से ह& रहंू पर अब जा रह&
हंू सहे ल& के बथडे म2 । कछ
ु ह& दनH म2 उसका भी iयाह होने वाला है । उसके साथ भी ऐसा हो गया
तो ।
@करन मैडम-बेट& ऐसा हादशा दLु मन क बेट& के साथ न हो । सभी लड@कयां दहे ज क आग से दरू
रहे ।
सानू- आट& iयाह के बाद तो लडक एकदम से परायी हो जाती है ना ।बेबस हो जाती है सास ससरु
ननद और प:त के कटQ
ु ु ब का अयाचार सहने को । यह& तो सनीता
ु के साथ भी हआ
ु और ना जाने
@कस @कस के साथ होगा । @कसी भी लडक के साथ हो सकता है मेरे साथ भी
%मसेजशोभा का कलेजा मंह
ु को आ गया । वे तडप उठZ । उनके मंह
ु से :नकल पडा भगवान र^ा
करना मेर& बीटया का। वह बोल& @करन अब तो मेरा डर बढता जा रहा है बीटया सयानी हो गयी
है । दहे ज दानव का :घनौना 4प दन पर दन डरावना होता जा रहा है । बेटया क असमय मौत
का कारण दहे ज ह& बन रहा है ।
@करनमैडम-हां द&द& रोज रोज जो कछ
ु हो रहा है उससे डर तो बढ ह& रहा है ।बेटयH के भरण
ू् क
हया हो रह& है । कछ
ु बच भी जाती है तो ससराल
ु म2 जला द& जा रह& है । कछ
ु ह& सौभाwयशाल&
है जो :निLचत जीवन बसर कर पा रह& है । अगर ऐसा ह& लड@कयH के साथ अयाचार होता रहा
तो औरत जात बचेगी नह&ं ।
%मसेजशोभा-दे खो औरत जात ह& औरत क दLु मन बन गयी है । सनीता
ु का प:त तो सरकार& दौर
पर था ।वह तो सनीता
ु को बहतु चाहता था । घर म2 सास ननद और ससरु थे । ससरु भी मारना
नह&ं चाह रहा था पर घरवाल& के दबाव म2 वह भी आ गया । वह तो सनीता
ु को सोने का अडा दे ने
वाल& मग[
ु समझ रहा था । उसक सास तो एक दन म2 ह& सारे सोना :नकलवा लेना चाह रह& थी
। सनीता
ु जब पहल& बार ससराल
ु से मायके को रवाना हई
ु थी तब बार& बार& से उसक सास और
ननद ने उसके कान म2 कहा था @क पांच तोला सोना और कार खर&दने के %लये 4पया लेकर आना
वरना
@करनमैडम-वरना का मतलब तो सनीता
ु क मौत से ह& था । बेचार& बेकसरू दहे ज ह& आग म2 जला
द& गयी।
%मसेजशोभा- सनीता
ु क मौत ने तो खन
ू के आंसू दे ह& दया सानू क बाते आमा को झकझोर
दया ।
@करन मैडम-हां द&द& हर बेट& का मां बाप खौफनाक ि?थ:त से गजर
ु रहा है । बीटया को अGछा घर
वर %मल जाये तो समझो गंगा नहा %लये ।
%मसेज शे◌ाभा - नववधओं
ु के रोज रोज क जलाने क खबर ने तो लड@कयH को अदर से तोड
दया है । सना
ु नह&ं सानू 3या कह कर गयी है । मझे
ु तो बहत
ु डर लग रहा है बीटया के iयाह को
लेकर ।
@करन मैडम-सानू के iयाह म2 तो व3त है मेर& रानू तो iयाह करने लायक हो गयी है । लडके वाले
तो ऐसे दाम लगा रहे है जैसे बकर कसाई । द0ू हे क बाजार तो बहत
ु गरम हो गयी है । बेट& के
%लये घरnवार ब2चकर द0
ू हा खर&द भी ले ,इसके बाद भी तो बीटया के सलामती क कोई गारट&
25
नह&ं है । बेट& के मां बाप है तो द0
ू हा तो ढढना
ू ह& पडेगा पर द&द& दहे ज मांगने वाले के घर
अपनी बेट& नह&ं दं ग
ू ी भले ह& दसर&
ू जा:त के गर&ब लडके का रानू का हाथ दे दं ग
ू ी पर अपनी जा:त
के दहे ज लोभी के घर iयाह न करने क कसम खाती हंू । द&द& अब जा रह& हंू रानू कालेज से आ
गयी होगी कहकर @करन मैडम घर चल& गयी ।
%मसेज शोभा बैठे बैठे सानू बीटया के iयाह और iयाह के बाद क "चता म2 इतनी दखी
ु हो गयी
@क उनक आंखे सावन भादो हो गयी । अंधेरा पसरते पसरते सानू भी आ गयी । मां को ऐसी
हालत म2 दे खकर वह परे शान हो गया । गाडी खडी क और भागकर मां के पास गयी । सानू मां के
आंसू पोछते हएु बोल& मां 3या हो गया 3यH ऐसी हालत म2 बैठZ हो ।
%मसेज शोभा-बेट& मझेु 3या होगा । मF ठZक तो हंू ।
सानू- मां आंखH से बहता तर तर आसंू झठा
ू तो नह&ं हो सकता ।
%मसेजशोभा- नह&ं बेट& मF रो नह&ं नह&ं रह& आंख म2 कछ
ु चला गया है %मच जैसा ।यह& बैठे बैठे
तQ
ु हार& और अवध बेटवा क राह दे ख रह& थी ।वह भी अभी तक टयशन
ू से नह&ं आया ।
सानू- अवध भी आजायेगा । आंसू झठ
ू बोलकर 3यो :छपा रह& हो मां । आसंू छपाने
ु से नह&ं छपते
ु ।
मेरे iयाह और iयाह के बाद क @फzर हो रह& है ।
%मसेज शोभा- बेट& सब छोड । ये तो बता इतनी दे र कैसे हो गयी ।
सान-ू सतीश अंकल के घर जमा भीड को दे खकर मै भी चल& गयी ।अंकल आट& को तो होश ह&
नह&ं है । राजू का भी रो रोकर बरा
ु हाल हो गया है । अंकल के घर म2 मौजद
ू सभी लोगो के आंखो
से आंसू बह रहा था ।मां एक बात अGछZ हई
ु है ।
%मसेजशोभा - वह 3या बेट& ?
सान-ू पाBपयH को सजा %मल गयी ।
%मसेजशोभा-इतना ज0द& । अभी तो सNताह भर भी नह&ं हए
ु । केस का फैसला तो कई सालो म2
होते है ।
सान-ू हां मां यह& तो सकन
ू दे ने वाल& बात है । प%लस
ु और यायालय ने ऐ:तहा%सक काम @कया है ।
इससे लोगो म2 प%लस
ु और यायालय के :त भरोसा और बढे गा ।
%मसेज शोभा- पाBपयH को फांसी तो हई
ु नह&ं होगी ।
सानू- मां हई
ु है ना सनीता
ु क सास को।
%मसेजशोभा- सनीता
ु का प:त तो बेचारा :नदhष था गह?
ृ ती बसने से पहले ह& उसके मां बाप और
बहन ने तोड दया वह तो @कसी सजा का हकदार नह&ं था पर उसक ननद और ससरु का 3या हआ


सानू-आजम कारावास ।
%मसेज-फैसला तो अGछा हआ ु काश इस फैसले से दहे ज लोभी सबक पाते । बहू पर अयाचार करने
से पहले हजार बार सोचते ।
सानू- ज4र सोचेगे ।सबसे पहले तो नार& को आग म2 झोकने वाल& नार& को सोचना होगा । नार& ह&
नार& क दLु मन साOबत हो रह& है । तभी नार& संर^ण के सारे कानन
ू कायदे ताख पर रखे रह जाते
है ।
26
%मसेजशोभा-आजकल क %श]^त लड@कयH को आगे आना होगा । दहे ज दानव के बढते खनी

पंजे को रोकने के %लये और लड@कयH क दन :तदन घटती जनसंoया के :त औरतो को
जाग4क करना होगा । समाज और शासन के सहयोग के साथ दहे ज लो%भयH को कठघरे म2 लाने
का िजQमा भी उठाना होगा । लड@कयH को संगठन बनाकर दहे ज के cखलाफ लडना होगा । संगठन
से हर अBववाहत और Bववाहत लडक को जडना
ु होगा तभी औरत जात सर]^त
ु रह पायेगी ।
सानू- हां मां अब दे र नह&ं ऐसे भी संगठन बनेगे और दहे ज लो%भयH क नाक म2 नकेल कसेगे । काश
मF दे श क धानम$ी या राeyप:त होती तो दहे ज दानव का रा?ता हमेशा के %लये बद कर दे ती ।
%मसेजशोभा-अGछा बता 3या करती ।
सानू-मF Bववाह Bवभाग बनाती और सभी लडके लड@कयH का रिज?yे शन करवाती । iयाह क उq
और पांव पर खडा होने पर जा:तवाद के मन-भेद से उपर उठकर सहधम[ और योwय लडके लड@कयH
का iयाह करवाती । बेटे बेटयH के पढाई %लखाई से लेकर iयाह तक पर&
ू िजQमेदार& सरकार के उपर
डाल दे ती । सहधम[ Bववाह को काननी
ू मायता दान करवाती । सामािजक और धा%मक मायता
दलाने हे तु धा%मक ग4ओं
ु को भी राजी कर लेती ता@क हर बट& का जीवन सर]^त
ु रहे और मां-बाप
को हं सते जoम से बचे रहे ।
%मसेजशोभा-काश ऐसा हो जाता, तब ना कोई दहे ज मांगता और ना कोई लडक दहे ज क आग म2
जलती , और ना ह& कोई मां बाप रोते हए
ु कहता @क-कब बझे
ु गी ये दहे ज क आग ।
6-सौदा
बंशीधर क तेरहवीं तक उनके वाSरस सv रखे रहे परतु तेरहवी Oबतते ह& सv का बांध टट
ू गया ।
बंशीधर क दसर&
ू Bवधवा पनी मंथरादे वी धन सQप:त समेटने म2 ज0द& थी । का?तकार&,बFकबैल2स
से लेकर भFस,घास-भसा
ू ,गोबर कडा तक को अपने कiजे म2 करने को उतावल& थी । प:त के मरने
का कोई गम न था । गम था तो ये @क कह& कोई सामान सौतेले बेटा बहू न रख ले। सौतेल& मां
के एका"धकार को दे खकर बंशीधर के तीनH लडके दलेLवर,मनेLवर और रतेLवर ने पंचायत बलाना

उ"चत समझा◌ा । चौदहव2 दन पंचायत बल
ु ा ल& गयी ।
पंचH के सामने मंथरादे वी ने अपने नाम के बFक बैलेस और जमीन को छोडकर बाक चल अचल
सQप:त पर आधे क ह?सेदार& पेश कर द& । मंथरादे वी क इस दावेदार& को दे खकर दलेLवर ने
आपित ल& ।
मंथरादे वी पंचH से मखा:तब
ु होते हए
ु बोल& पंचH अभी तो का?तकार& घरnवार और मेरे ?वग[य प:त
के नाम जमा रकम म2 आधा ह?सा चाहये । मेरे नाम जो रकम जमीन है वह तो मेर& ह& रहे गी ।
हां मेरे मरने के बाद ये तीनH लडके आपस म2 बांट सकते है । मेरे जीने का भी तो कछ
ु सहारा होना
चाहये ।
मंथरादे वी के एकतरफा ह?सेदार& क बात सनकर
ु कानाफुं सी श4
ु हो गयी । इतने म2 दलेLवर हाथ
जोड कर खडा हआु और बोला पंचH नई मां आधे क ह?सेदार& पo ु ता कर रह& है । मरने के बाद
हम तीनH भाइयH म2 बराबर बांटने क बात कह रह& है ।यद नई मां ने मेरे बाप दादा क चल अचल
सQप:त अपने भाई भतीजH के नाम कर द& तो । नई मां का तो कोई भरोसा नह&ं है पंचो।
मनेLवर- पंचH भइया ठZक कह रहे हो ,नई मां है डपाइप से पीने का पानी नह&ं लेने दे ती । 3या वह
हमारे %लये दौलत छोडेगी ?
27
रतेLवर-हां पंचH नई मां से उQमीद कोई उQमीद करना खद
ु को धोखा दे ना है । बांप के मरने के
पहले ह& बहत ु सार& धन दौलत , खेत अपने नाम %लखा ल& । नई मां ह& बाप क मौत क
िजQमेदार है ।
मंथरादे वी-रतेLवर, मF नह&ं तम
ु लोग का:तल हो । इतना मोह था तो तेरे बापमझे
ु 3यH लाये । बाप
साठ साल क उq म2 iयाह क 3यो सझी।
ू मझे
ु लाये है तो उनक सQप:त पर मेरा ह?सा तो होगा
। कानन
ू मझे
ु अ"धकार दे ता है । मF अपने अ"धकार से कोई सौदा नह&ं क4ंगी ।
मनेLवर-तम
ु हमार& मां बनने नह&ं आयी हो । दौलत पर कiजा करने आयी हो । बाप को हम लोगो
से :छन ल& । धीरे धीरे जमीन,नगद& और जेवर पर कiजा कर ल& । हम तीनH भाईयH के %लये कछ

तो छोडो मां । 3यो सौतेलेपन का जहर दे रह& हो । अब तो बाप भी नह&ं रहे । नई मां तQ
ु हारे प:त
से पहले वे हमारे बाप थे। तमको
ु आये अभी दो साल भी नह&ं हएु सार& दौलत पर कiजा कर ल& ।
बाप को तमने
ु मार डाला भo ू ◌ाे दा4 Bपला Bपलाकर। मां तुम अपने मकसद म2 कामयाब हो गयी ।
अफसर बाप तQ
ु हार& काले जाद ू को नह&ं समझ पाये । िजदगी नौकर& म2 दसरH
ू का केस हल करते
रहे । अपने ह& केस म2 तमसे
ु हार गये नई मां ।
मंथरादे वी-मF तो अपना धन धम सब कछ
ु छोडकर आयी थी यह सोचकर क तेरे बाप के साथ मेरे
जीवन क सांझ चैन से Oबत जायेगी । वे तो मझे
ु अधजल म2 छोड मरे । तम
ु लोग उनक मौत का
ठकरा मेरे %सर फोड रहे हो । मझे
ु ठ"गन कह रहे हो ।
दलेLवर-मF तQ
ु हारे पास था 3या ? न खाने का ठकाना न पहनने का । एक झोपडी ह& तो थी ।
यहां आते ह& :तजोर& क ताल& लटकाने लगी । बFक क पासबक
ु े :छपाने लगी । बाप क कमाई का
हसाब @कताब रखने लगी । दो साल मे◌े तमने
ु सब कछ
ु पर कiजा जमा %लया । िजस दौलत को
मेर& सगी मां ने नजर भर कभी नह&ं दे खा । वह& मां िजसने बाप को कामयाब बनाने के %लये
मेहनत मजदर&
ू करती थी Bपताजी पढने जाते थे । मेर& मां क कमाई पर तम
ु नाग क तरह फन
फैलाकर बैठ गयी हो । हम तीनH भाई ललचाई आंखे◌ा◌ं से दे ख रहे हF । अपना हक नह&ं पा रहे है
। नोना-नटो क तरह झोपडी म2 रह रहे है इतनी बडी कोठZ रहते हए।
ु यह& हF मां तेर& ममता ।
मंथरादे वी-ये कोठZ @कसक है ।तम
ु लोग लोगो को दखाने के %लये झोपडी म2 रह रहे हो ।
रतेLवर- नई मां तमने
ु हम2 बेघर कर दया है । सब कछ
ु तो तQ
ु हारा होकर रह गया है । हम2 तो चैन
से रहने भी नह&ं दे ती हो । चल अचल सभी सQप:त पर तQ
ु हारा ह& तो कiजा है । हम तीनH भाई
तो अपने हक से बेदखल हF ।
मनेLवर- नई मां बाप के जीते जी लाखH क रकम अपने नाम करवा ल& । सोने के आभषण
ू बनवा
%लये । ढे र सार&रकम मायके पहंु चा द& । बाक पर आधा ह?सा मांग रह& हो ।हम भाई लोग
अपने बाप क नाजायज औलाद तो नह&ं ? बाप क सQप:त पर हमारा भी हक बनता है क नह&ं ?
मंथरादे वी-तम
ु लोग अपने बाप क नाजायज औलाद नह&ं हो तो मF भी कोई रखैल नह&ं हंू । काननी

iयाह क हंू द0ल& क कचहर& म2 जाकर तQ
ु हारे बाप से । आधे के ह?से का हक है मेरा भी।
दलेLवर-नई मां तम
ु इस पSरवार म2 एक ह?सेदार क है %सयत से आयी हो हम भाईयH के अरमानां
का कल कर हं सते जoम दे ने आयी हो 3या ?
मंथरादे वी-हां ठZक समझे
28
सेठू धान-मंथरा भौजाई बंशीधर भइया ने तQ
ु हार& मांग म2 %सधरु डालकर उपकार @कया है । तम

उनके बGचे◌ा◌ं को अपना बGचा नह&ं मान रह& हो । तम
ु इन लडको क मां हो । मां का फज
:नभाना चाहये था । तुमने ऐसा नह&ं कर सौतेल& मां के चSर$ को और भयावह बना दया है । ये
लडके तमको
ु मcणकcणक ले जायेगे तQ
ु हार& मत
ृ दे ह। तQ
ु हार& अथ[ बंशीधर भइया के दरवाजे से
उठे गी तभी ?वग म2 जगह %मलेगी । मायके से डोल& उठना अGछा होता है अथ[ नह&ं । तम
ु तो पढ&
%लखी हो । इस%लये तQ
ु हारा फज और बढ जाता है पर तमको
ु दौ◌ैलत से मोह से है । बंशीधर
भइया क औलादH से नह&ं ।
मंथरादे वी-धान भइया तम
ु भी इन लडको का प^ ले रहे हो । मF बढ&
ू औरत कहां जाउ◌ू◌ंगी । अरे
मेर& बाक िजदगी का सहारा तो दौलत ह& है ना । ये लडको तो पहंुचा दये मcणकcणका । ये
लडके मेरा सहारा नह&ं बन सकते है तो मेर& सौत क औलाद
सेठू धान- तम
ु पSरवार क भखी
ू नह&ं हो 3यH@क इन लडको को तमने
ु पैदा नह&ं @कया है ना ।
बंशीधर भइया के पSरवार का दख
ु सख
ु तQ
ु हारा दख
ु सख
ु नह&ं है । तमको
ु बस बंशीधर भइया क
दौलत से मोह है । भइया ने तो उपकार @कया था तम
ु पर । वह& उपकार अपराध बन रहा है । अरे
गांवपरु के सभी जानते है तम
ु कैसे दद
ु न काट रह& थी । इस घर म2 आते ह& महरानी बन गयी ।
पेट भर रोट& के %लये न?तवान थी । वो दन भल
ू गयी । अरे बंशीधर भइया के जीते जी तो बहु त
ज0ु म क इन लडको पर अब तो रहम खाती । उनका ह?सा उनको दे दे ती । तQु हारे पास तो तीन
बेटे है @कसी के साथ रहकर जीवन के बाक दन चैन से Oबता सकती हो ।तम
ु दौलत के ढे र पर
बैठZ हो और तQ
ु हार& सौत तQ
ु हारे मतक
ृ प:त बंशीधर भइया के बेटे छोट& मोट& चीजH के %लये तरस
रहे है । भइया Sरटायर होकर आये थे तो पkह लाख 4पया %मला था परा
ू गांव जानता है । हर
मह&ने सात हजार प2 शन %मल रह& थी । सना
ु है @क भइया के खाते म2 बस तीन लाख 4पया है । घीरे
घीरे सब 4पया झंस ल& । तीन लाख म2 से आधा और जमीन जायदाद म2 आधा मांग रह& हो । ये
कहां का याय है । ये तीन लडके और उनका पSरवार कैसे जीवन बसर करे गा । jयादा हो%शयार&
अGछZ बात नह&ं है । अरे Bपछले कम का फल भोग रह& हो दो दो प:त खा गयी । कोई बाल
बGचा भी नह&ं हF तQ
ु हारे । इह& तीनो लडको को अपना लेती तो जीवन ?वग बन जाता ।
राम_ंग
ृ ार-हां धान भइया बात तो लाख टके क कह रहे हो । भौजाई के पास बहतु अGछा मौका
था अगला जम सधारने ु का पर भौजाई ने बंशीधर भइया के साथ iयाह नह&ं सौदा मान रह& है ।
अरे दलेLवर मनेLवर और रतेLवर छोटे बGचे होते तो जहर Bपलाकर सार& चल अचल सQप:त पर
कiजा कर लेती । अरे भौजाई बंशीधर भइया के तीन लडके और एक लडक भी तो है । उसका भी
ह?सा बनता है ।
मंथरादे वी-कोई लडक नह&ं है । दलेLवर से पछो
ू शपथ प$ पर सभी के द?तक है ।
राम_ंग
ृ ार-अGछा तो एक कांटा :नकाल चक
ु हो ।
राम_ंग
ृ ार क बात सुनकर मंथरादे वी के Bपताजी झनझनबाबा
ु ु uो"धत होकर बोले यहां तो पर&

पंचायत अफम के नशे म2 मदहोश है । मंथरा बीटया तमको
ु यहां याय नह&ं %मलेगा ।
मंथरादे वी-Bपताजी मन छोटा ना करो मFने भी कGची गो%लयां नह&ं खेल& है । iयाह नह&ं एक सौदा
था िजसका गवाह दलेLवर भी तो है । फैसला तो मेर& मज[ के मा@फक होगा ।नह&ं तो कोट कचहर&
तो है । मF दलेLवर के मतक
ृ बाप क दसर&
ू पनी हंू रखैल नह&ं । मेरा आधे का ह?सा है । मF
29
लेकर रहंू गी । जमीन जायदाद और बै।क के सभी कागजात मेरे पास है ।वह भी इन तीनH के बाप
दया है ।
सेठू धान-मंथरा भौजाई बंशीधर भइया कोई वसीयत %लखकर मरे हF 3या ?
मंथरादे वी-यह& तो गलती हो गयी । वसीयत नह&ं %लखवायी गयी । वसीयत %लखकर मरे होते तो
आज ये कौअ◌े नह&ं मडराते मेर& मांस को नHचने । सब कछ
ु मेरा होता । पंचायत क ज4रत नह&ं
पडती ।
राम_ंग
ृ ार- सुन %लये झनझनबाबा
ु ु । भौजाई क िजरह । बाबा ये आपक सािजश तो नह&ं थी , भइया
के◌ा साठ साल क उq म2 iयाह के बंधन म2 बंधक बनाकर जमीन जायदाद हडपने क । भईया के
बार बार मना करने पर बाबा अपने अपनी पगडी भईया के पांव पर रख दये थे । भईया ने आपक
लाज रखी और आपने धोखा दया । भइया क और उनके परखH
ु क जायदाद को हडपने का सौदा
समझ %लया । मंथरा भौजाई एक मां का Nयार इन लडके◌ा को दे ती तो ये लडके इतने नासमझ
नह&ं है । ये लडके तो _वण क तरह है । तम
ु हो इन लडको को जहर परोसने म2 जरा भी कोर
कसर नह&ं छोड रह& हो । झनझनबाबा
ु ु तम
ु भी वादे से मकर
ु गये। बंशीधर भइया क दौलत के
लालच म2 ।
झनझनबाबा
ु ु -इन लडको ने कौन सा फज :नभाया ?
सेठू धान-बाबा ये तीनो लडके 3या करते । अपने बाप दादा क दौलत चांद& क थाल& म2 रखकर
तमको
ु पेश कर दे ते । बाबा तमने
ु और तQ
ु हार& बेट& ने बंशीधर भइया के साथ छल @कया है ।
Sरटायर होकर आने के बाद कभी चेन क रोट& आपक बेट& ने नह&ं द& बंशीधर भइया परा
ू गांव
जानता है ।बंशीधर भइया िजदगी भर तो शहर म2 रहे Sरटायर होने के बाद उनको खेती करने का
च?का लग गया था । बंजर जमीन से भी भरपरू अनाज पैदा कर रहे थे । पर&
ू कोठZ म2 जो अनाज
भरा है उनक मेहनत का फल है । ये मंथरा भौजाई रोट& Oबना मार डाल& । द:नया
ु क सार& सख

सBवधा
ु बंशीधर मंथरा भौजाई तमको
ु दये पर तमने
ु दो जन
ु क भर पेट रोट& नह&ं द& । बेचारे मर
गये भखे
ू । हां दस 4पये क दे शी दा4 मंगा कर ज4र दे दे ती थी ता@क मर जाये ज0द&। तम
ु बंधन
से म3
ु त हो जाओ । धन दौलत लेकर दसरा
ू रा?ता नाप लो । बंशीधर भइया के खन
ू पसीना से
सींचा पSरवार सडक पर आ जाये । मंथरा भौजाई तQ
ु हारे जैसा ह& गोरो ने @कया था । पहले तो वे
एक साधारण Pयापार& बनकर आये थे @फर धीरे धीरे दे श पर कiजा कर %लये । वह& तमने
ु @कया ।
बंशीधर भइया से iयाह के बहाने उनक दौलत पर कiजा @कया है । बहत
ु :घनौना सaदा @कया है
तमने
ु ।
राम_गार
ृ -बंशीधर भइया लगभग दो साल भर पहले Sरटायर हए ु थे तब उहे पkह लाख 4पये %मले
थे बाक और भी पैसे %मलने वाले थे । हर मह&ने प2 शन %मलती थी । बFक म2 मा$ तीन लाख है ।
बाक 4पये कहां गये । हसाब तो तमको
ु ह& दे ना होगा । लडको को तो तमने
ु पास तक फटकने
नह&ं दया । तीन लाख मकान और खेती क जमीन म2 आधे क दावेदार& पेश कर रह& हो ।
मंथरादे वी-आधे से कम पर तो सौदा नह&ं होगा । चाहे बFकबैलेश हो या जमीन जायदाद सब म2 आधा
चाहये ।
30
झनझनबाबा
ु ु -मेर& बे◌ेट& क अभी उq ह& 3या है चाल&स साल क है । पर&
ू पहाड सी िजदगी
बीटया के सामने है गजर
ु बसर कैसे होगा । झनझनबाबा
ु ु क बात काटते हए
ु रमरिजया मंथरादे वी
क मां बोल& पंचो मेर& बेट& का ह?सा मत छZनो । Bवधवा क बmदआ
ु खाल& नह&ं जाती ।
रतिजयादे वी-3या कह रह& हो बहन बंशीधर बेटवा के मरे आज चौदह दन हए ु इस बीच :तजोर& का
मंह
ु तQ
ु हारे घर क तरफ मडु गया । अनाज क गोदाम का मंहु तQु हारे घर म2 अब खलता
ु है । बीस
हजार क भFस तQ
ु हारे दरवाजे पर बंध गयी । बीटया का iयाह क थी @क कोई सौदा । बंशीधर के
मरते ह& सब कछ
ु लट
ू लो । ऐसा तो न दे खी थी न सनी
ु थी अपनी अ?सी साल क उq म2 ।
रघन
ु दन-सासजी
ु दमाद क दौलत से करोडप:त बन रह& हो ? अरे ना:तयH का हक 3यो छZनने पर
तल&
ू हो ?
रमरिजया-कौन नाती । दमाद के जीते जी सब नाता था उनके मरते ह& सारे नाते टट
ू गये ।
राम_ंग
ृ ार- जमीन जायदाद और 4पये से नह&ं टटा
ू है सासजी

रमरिजया-बाबू ये तो मेर& बेट& का अ"धकार है ।मेर& बेट& िजसे चाहे दे । मंथरा मेर& बीटया बंशीधर
बाबू के सQप:त क असल& हकदार है ।
सेठू धान-दे खो व3त मत गवाओं मझे
ु दसर&
ू पंचायत म2 जाना है । मm
ु दे क बात करो ।
झनझनबाबा
ु ु -धान जी यद फैसला आपके बस क बात न हो तो ये लोग कचहर& चले जाये । वहां
दध
ू का दध
ू पानी का पानी हो जायेगा ।
मंथरादे वी-मझे
ु तो आधा ह?सा चाहये ।
सेठू धान-आधा तो नह&ं %मल सकता ।
मंथरादे वी-3यो ?
से◌ेठू धान-मतक
ृ बंशीधर के तीन लडके एक लडक और पांचवी तम
ु वाSरस हो । तमको
ु आधा हसा
कैसे %मल सकता है ।
मंथरादे वी -पांच नह&ं चार है । बेट& काननन
ू मर चक
ु है । इस बात क पहले ह& िजu हो चक
ु है ।
बेट& क काननन
ू मौत के गवाह दलेLवर भी तो हF। एक बात का मrठा बनाने से कोई मतलब नह&ं

सेठू धान- बेट& मर& तो नह&ं है । तीन बGचH क मां हF भरा परा
ू पSरवार है । अपने प:त के साथ
खश
ु हF । शहर म2 रहती है । आती जाती रहती है । भले ह& वह ह?सा न मांगे पर है तो ह?सेदार ।
दलेLवर-ठZक है चार ह& ह?सा होगा पर नई मां आधा ले लेगी तो हम तीन भाइयH का घर पSरवार
कैसे चलेगा । बFक म2 तीन लाख बचे है । बारह लाख 4पये मां हजम कर चक
ु है । बीघा से अ"धक
खेत अपने नाम करा चक
ु है । पंचो चार बीघा खेत ये कोठZ िजस पर मां का ह& कiजा है । हम
भाई लोग तो झोपडी म2 रह रहे हF परा
ू गांव दे ख ह& रहा है । इसके बाद भी मां का पेट नह&ं भर रहा
है तो पंचH आप लोग हम भाइयो को जैसे कहो वैसे राजी है । बाप भी नह&ं मेर& सगी मां स$ह साल
पहले मर चक
ु है । नई मां हम भाइयH क कv खोद रह& है । पंचH फैसला आपके हाथ म2 हF । हम
भाई राजी हF पंचH के फैसले पर । पंचH नई मां से बारह लाख 4पय2 और बाक जो सQप:त :छपाकर
रखी है या मायके पहंु चा द& है उसका भी खलासा
ु कर द2 ।जानने को तो सभी जानते है पर नई मां
अपने मंह
ु से कह तो दे ।
31
सेठू धान-मंथरादे वी दलेLवर ने जो कछ
ु कहा हF जायज है । हसाब तो हसाब है दे ना होगा ।
तभी बंटवारा होगा ।
मंथरादे वी- जो दलेLवर के मतक
ृ बाप के नाम हF उसी का ह?सा हो सकता है । मेरे नाम है या मेरे
पास जो कछ
ु हF उसम2 ह?सा कैसे लगेगा । वह तो दलेLवर के मतक
ृ बाप ने जीते जी मेरे नाम
कर दये है ◌े । उस पर तो बस मेरा हक है चाहे बारह लाख हो या बीस
सेठू धान-मंथरादे वी bयान से सनो
ु भले ह& बंशीधर भइया ने तQ
ु हारे नाम कर दया हF पर तQ
ु हारे
बाद तQ
ु हार& चल अचल सQप:त के मा%लक यह& तीनो होगे ।
मंथरादे वी- जो मेर& परवSरश करे गा वह मेर& दौलत का वाSरस होगा । मF अपने नाम क सQप:त का
उपयोग करने को ?वत$ हंू । कानन ू भी मझे
ु इजाजत दे ता हF । अपने ह??◌ा
े क दौलत चाहे
अपने बाप के नाम क4ं या भाई के नाम या भतीजे के नाम कोई रोक नह&ं सकता ।
सेठू धान-यह तो अयाय है । धोखा है । 3या इसी%लये iयाह क थी चाल&स साल क उq म2 साठ
साल क उq वाले बंशीधर भइया से।
राम_ंग
ृ ार-धानजी iयाह नह&ं यह एक सौदा हF । दौलत हडपने क :घनौनी सािजश है । आप तो
फैसला सनाओं
ु । मानना होगी तो मंथरादे वी मान लेगी ।कचहर& जाना चाहे तो शौक से जाये । परा

गांव तो हककत जान चका
ु है ।
सेठू धान-ठZक कह रहे हो राम_ंग
ृ ार । फैसला तो तैयार हF । \ाम पंचायत के सद?यH क द?खत
करवाकर महर
ु लगा कर फैसला पढकर सना
ु दो ।
राम_ंग
ृ ार-धान के कहे अनसार
ु कार वाई पर&
ू क । इसके बाद फैसला सनाया
ु मतक
ृ बंशीधर क
दौलत म2 दलेLवर,मनेLवर,रतेLवर और उनक सौतेल& मां मंथरादे वी के बराबर के ह??े◌ा का ।
फैसला सनकर
ु मंथरादे वी उसके मां बाप के चेहरे cखल उठे । वह& दसर&
ू ओर दलेLवर,मनेLवर और
रतेLवर क आंखH म2 आंसू माथे पर "चता के बादल मडा रहे थे तीनो बेटो को रोता दे खकर बंशीधर
के बडे भाई कलधर उठे और तीनH को बांह म2 समेटते हएु बोले बेटा झनझनबाबा
ु ु ,रमरिजया दे वी और
उनक बेट& मंथरादे वी के चuPयह
ू के रह?य को तQ
ु हारा अ"धकार& बाप नह&ं समझ पाया।बंशीधर को
ना जाने कैसे बढौती
ु म2 iयाह क सझी
ू थी जब@क द:न
ु या जानती है ◌ा @क बढौती
ु म2 iयाह बबाद&
को यौता दे ना है । इसका गवाह तो इ:तहास भी है । मंथरादे वी अपनी चाल म2 कामयाब हो गयी
और तQ
ु हारे भाwय म2 मंथरादे वी ने भर दया मr
ु ठZ भर आग । यह iयाह नह&ं मंथरादे वी क
सािजश थी ।
7- क+यादान
%म?टर रामअधार बाबू डबते
ू सरज
ू को :नहार :नहारकर जैसे कोई सQभावना तलाश रहे थे । इसी
बीच उनके दरवाजे पर सफेद रं ग क चमचमाती कार 4क । रामअधार बाबू बेखबर थे । कार म2 से
उनके पराने
ु पSर"चत "गरधर बाबू अकेले :नकले और कमरे म2 आ गये । इसके बाद भी रामअधार
बाबू के कानH को भनक न पडी । %म?टर "गरधर बाबू %म?टर रामअधार बाबू के पास खडे होकर
बोले 3या भाई साहब जब दे खो तब सोच म2 डबे
ू रहते हो । जागते हए
ु सपना दे ख रहे हो। पeु पा
भाभी से मन भर गया 3या ?
%म?टर रामअधार बाबू चौक कर बोले कौन ?
%म?टर "गरधर बाबू- मF भाई साहब ?
32
रामअधार बाबू-आप बड़ भाwय हमारे आपके दशन तो हो गये ।
%म?टर "गरधर बाबू- हां भाई साहब डबते
ू सरज
ू म2 3या तलाश रहे थे । कहते हF डबते
ू सरज
ू को
नह&ं दे खना चाहये आप तो घरु घरु कर दे ख रहे थे । ये तो मF था कह& चोर घर म2 घस
ु गया होता
तो
रामअधार- सQभावना तलाश रहा था । हमारे घर म2 चोर को कागज के अलावा और 3या %मलेगा ।
"गरधरबाबू-डबते
ू सरज
ू म2 सQभावना तलाश रहे थे ।
%म?टर रामअधार बाबू- हां भाई साहब खैर छोTडये कहां से आ रहे हF वह भी अकेले बGचे कहां हF ।
बरखा बीटया भी इंजी:नयर हो गयी हF अपने पांव पर खडी हो गयी है । भाई साहब आपक "चता
तो दरू हो गयी। उसको भी लाना था ।
%म?टर "गरधरबाबू- "चता तो कयादान के बाद खम होगी ।
रामअधार-हां बडा बोझ तो उतरना बाक है ।खैर ये भी उतर जायेगा । भाई साहब आप तो कह रहे
थे सपSरवार आये है । कहां हF बाक लोग ।
%म?टर "गरधर बाबू-हां भाई साहब बरखा बीटया बेटा उदय,उनक मां और पंTडतजी कार म2 है ।
%म?टर रामअधार-पंTडतजी को लेकर कह&ं जा रहे हF 3या ?
%म?टर "गरधरबाबू-यह&ं तक आये हF और कह&ं नह&ं जाना है ।
%म?टर रामअधार-कमकाड म2 तो मेरा BवLवास नह&ं है । हम तो बस भगवान को मानते है । खैर
आप लेकर आये है तो मF बलाकर
ु लाता हंू । आप तो बैठये ।पंTडतजी तो हमारे घर का पानी तो
पीयेगे नह&ं ।
%म?टर "गरधरबाबू- 3यH नह&ं पीयेगे जमाना बदल गया है । भाई साहब आपका बेटा Bवजय बडा
इंजी:नयर बन गया है ,बेट& खशब
ु ू भी नाम रोशन कर रह& है । सबसे छोटा बेटा ?वत$ भी उ◌ू◌ंची
पढाई कर रहा है । भाईसाहब अब तो अब बडे हF । आपके सामने तो हम छोटे है । भाई साहब
4ढवाद& Pयव?था ने तथाक"थत जातीय छोटे लोगH क िजदगी म2 मr
ु ठZ भर आग 4प बदल बदल
कर भर& है । जा:त से आदमी बडा नह&ं बनता कम से बडा बनता है ।
%म?टर रामअधार-भाई साहब कथनी करनी म2 अतर होता है ।
%म?टर "गरधर बाबू- होता होगा पर मF नह&ं मानता ।
%मसेज पeु पा-3यH बहस करने लगे Bवजय के पापा ।भाई साहब तो अ:त"थ है । अ:त"थ तो भगवान
होता है ।
%म?टर रामअधार-भागवान कहां बहस हो रह& है । कोई कोट कचहर& तो नह&ं हF यहां । बहस तो
वकलH के बीच जज साहब के सामने होती हF ।
%मसेज पeु पा-जा:तवाद क बीमार& एक दन म2 तो खम होने वाल& नह&ं हF । जातीय अ%भमान म2
लोग खम करने के %लये जा:त तोडो अ%भयान भी तो नह&ं छे ड रहे है ।
रामअधार-वाह रे भागवान तम
ु तो उपदे श दे ने लगी ।
%म?टर "गरधरबाबू-भाई साहब भाभीजी ठZक कह रह& है । भाभीजी जा:त तोडो आदोलन :छडे या
ना :छडे पर जा:तवाद क बीमार& तो खम होकर रहे गी धीरे धीरे । एक दो पीढ& के बाद जा:त
Oबरादर& को नामो:नशान नह&ं होगा । SरLते भी जा:त के आधार पर नह&ं कम और शै^cणक
योwयताओं को दे खकर तय होग2 ।
33
%मसेज पeु पा-भाई साहब आप बैठये मF का%मनी भाभी और बGचे◌ा को लेकर आती हंू ।
%म?टर "गरधर बाबू-पंTडतजी भी साथ है । उहे नह&ं भलना
ू ।
%मसेज पeु पा- पंTडत जी 3यH
%म?टर "गरधरबाबू-काम है
%मसेज पeु पा-Bवजय के पापा तो कभी हाथ नह&ं दखाये आज तक अब बढौती
ु म2 3या दखायेगे ?
%म?टर रामअधार-दे खो द:नया
ु भले बढा
ु कह दे पर तम
ु ना कहना ।
%म?टर "गरधरबाबू-भाई सीब को भले ह& पंTडत का काम न हो पर मझे
ु तो है ।
%मसेज पeु पा- अGछा तो आप कोई नया काम करने जा रहे हF ।
"गरधरबाबू-वह& समझ ल&िजये ।
%मसेज पeु पा-ठZक हF पंTडतजी को भी लेकर आती हंू । पeु पा सभी को आदर के साथ लेकर अदर
आयी और बैठने का आ\ह करते हए ु बीटया खशब
ु ू को आवाज दे ने लगी ।
%मसेज का%मनी-भाभीजी Bवजय नह&ं दखायी पड रहा है ।
%मसेज पeु पा-कQNयट
ू र पर कछ
ु कर रहा होगा ।
%मसेज का%मनी-Bवजय बेटा बरखा के बचपन का दो?त है । दे खो @कतने ज0द& सयाने हो गये ।
iयाह गौने क उq के हो गये ।
%मसेजपeु पा-समय को नह&ं बांधा जा सकता भाभी जी
%मसेजका%मनी- ठZक कह रह& हो भाभीजी । बरखा ओर उदय नहे नहे थे तो भाई साहब नहलाकर
खब
ू तेल मा%लश करते थे दोनो क धप
ू म2 Oबठाकर ।
%मसेजका%मनी-याद है ।वह& बGचे अब @कतने बडे हो गये । बरखा और Bवजय इंजी:नयर बन गये ।
दोनो को साथ दे कर मन बहत
ु खशु हो जाता है ।
%म?टर रामअधार-अरे Bवजय दे खो अंकल आट& आये है साथ म2 बरखा और उदय भी हF । बाद म2
काम कर लेना । सचमच
ु कोई काम कर रहे हो या गेम खेल रहे हो । बाहर आ जाओ । अंकल
आट& का पैर तो छू लो
%मसेजपeु पा- अपने बचपन म2 तो ऐसी कोई सBवधा
ु थी ह& नह&ं । बेटा बGचा तो है नह&ं । समझदार
है । बडा◌ा
़ इंजी:नयर है ।
%म?टर रामअधार- बGचा @कतना बड़ा 3यH न बन जाये मां बाप के %लये बGचा ह& होता है । बGचे
क तर3क ह& तो हर मां बाप का सपना होता है ।
Bवजय और खशब
ु ू भाई बहन साथ साथ आये सभी के पांव छये
ु । Bवजय एक तरफ कस[
ु लेकर
बैठ गया । खशब ु ू %म?टर "गरधर से मखा:तब
ु होते हए
ु बोल& 3या अंकल आप भी हम बGचH को
भलू जाते हो ।
%म?टर "गरधर-कैसे भल
ू जाता हंू । दे खो न परा
ू कनबा
ु लेकर तो आया हंू । साथ म2 पंTडतजी भी है

खशब
ु ू-बरखा के भी दशन दल
ु भ हो गये है । बचपन ह& ठZक था । ना कोई "चता ना @फकर । मह&ने
म2 तो एकाध बार हम बGचे भी %मल जाते थे । अब तो सब अपनी अपनी िजQमेदार& सQभालने म2
लगे है । बरखा भी इंजी:नयर बन गयी । इयको भी फस
ु त नह&ं रह& अब
बरखा- हां द&द& ठZक कह रह& हो । अब िजQमेदार& का एहसास होने लगा है ।
34
%मसेज का%मनी - असल& िजQQे◌ादर& तो अभी आनी बाक है ।
बरखा- तम ु भी मQमी कहते हए
ु म? ु करा कर चेहरा घमा
ु ल&
%मसेजपeु पा-अरे अभी तो बरखा के साल दो साल म2 दशन भी हो जाते◌◌
े े◌े◌े◌े हF । iयाह होने के
बाद Bवदे श बस गयी तो सपना हो जायेगी । का%मनी भाभी बरखा का iयाह ऐसी जगह करना क
मलाकात
ु तो आसानी से होती रहे ना वीजा का झंझट हो ना दसरे
ू अय खशब
ु ू के %लये भी ऐसे ह&
सोच रह& हंू ।
%म?टर "गरधर-बरखा तो कभी सपना नह&ं होगी । इसक तो गारट& मF लेता हंू ।
%मसेजपeु पा- काफ दे र हो गयी चाय नाLता तो कछ
ु बना ल2
खशबं
ु ू- मQमी मै भी आपका हाथ बंटाती हंू
बरखा- द&द& मै। आपका हाथ बंटाती हंू
खशब
ु ू- तम
ु बैठो बरखा मF कर लंूगी । तम
ु मेहमान हो । बडी इंजी:नयर हो च0
ू ह चौके का काम
तमसे
ु नह&ं होगा ।
बरखा- द&द& मझे
ु भी तो कछ
ु सीखाओं
Bवजय-अरे वाह इंजी:नयर साहबा को अभी सीखना बाक है । चार साल क इंजी:नयSरंग क पढाई
दो साल क प3क नौकर& इसके बाद भी सीखना है ।
%मसेजका%मनी- बेट& गह?
ृ ती के गण
ु तो सीखने ह& पडते है । चाहे @कतनी ह& पढाई कोई 3यो न कर
ले ।
बरखा-सन
ु े इंजी:नयर साहब मQभी 3या कह रह& है कहते हए
ु बरखा खशब
ु ू के साथ म2 कचन म2
चल& गयी ।
पंTडतजी-"गरधर बाबू हम चाय नाLता नह&ं करने आये है ।
%म?टर "गरधर-पंTडतजी इस घर म2 अ:त"थ दे वता होता है । यह परQपरा अभी यहां तो कायम है ।
भले ह& आपको दसर&
ू जगह नह&ं दे खने को %मलती हो ।
पंTडतजी-हमे तो नह&पीना है ।
%म?टर "गरधर- पीना होगा पंTडतजी
पंTडतजी-यजमान हम2 जा:तपां:त म2 अब BवLवास नह&ं है । हम तो सQमान के भखे
ू हो गये है
।इ:तहास म2 कछु गल:तयां हई
ु हF उसी पारयिL
् चत कर रहा हंू । परखH
ु क गल:तयH के %लये ^मा
मांगता @फरता हंू । यजमान हम @कसी काम से यहां आये हए ु है । काम क बात 3यो नह&ं करते ।
%म?टर"गरधर-पंTडतजी सब तो दे ख रहे है । 3या ये सब काम नह&ं हो रहा है ।
पंTडतजी-सब तो मंगल ह& मंगल है यहां दे खो बरखा केसे घल%मल
ु गयी आट& और अपनी खशब
ु ू
द&द& के साथ । Bवजय भी बरखा को अGछZ तरह से जानता है । भाई साहब और हमारे पSरवार क
जान पहचान हएु पGचीस साल हो गये है ।
%मसेज का%मनी-दे खो बरखा कचन सQभालना अभी से सीखने लगी है ।
%मसटररामअधार- 3या ? बरखा से काम करवा रह& हो खशब
ु ू बीटया अ:त"थ से कोई काम
करवाता है 3या ?
%म?टर"गरधर-भाई साहब अपने से 3यो अलग करते हो ।
35
बरखा-अंकल मझे
ु भी तो कछ
ु समझना चाहये ना लो अंकल मेरे हाथ क चाय
पीओ शकर बहतु मामल&
ू सी पड गयी है गलती से ।
%म?टर रामअधार-बरखा तमु चाय बनाकर लायी हो
बरखा-हां अंकल कहते हए
ु ओढनी से %सर ढं कने लगी ।
%म?टर"गरधर-बरखा अंकल नह&ं अंकल नह&ं डैडी कहो ।
बरखा-ठRक है डैडी डैडी ह& कहंू गी । बरखा %म?टररामअधार को डैडी कहते हए
ु उनका चरण ?पश
कर %मसेज पeु पा का भी पैर छने
ू को लटक,इतने म2 %मसेज पeु पा ने बरखा को गले से लगाते हए

बोल& बेट& तत
ु खब
ू तर3क कर । अपने मां बाप का नाम रोशन कर िजस घर म2 जा उस घर को
मंदर बना दे ना । मेर& दआय2
ु तQ
ु हारे साथ है ।
खशब
ु ू-अरे वाह 3या बात है । बरखा तो %सर ढं क कर है ।
बरखा-खशब
ु ू क तरफ दे खकर म?
ु करा पडी ।
%म?टर"गरघर-भाई साहब ?वीकार करो ।
%म?टररामअधार-@कसको
%मसेजपeु पा- चाय और @कसको ।चाय पीओ
%म?टर राअधार-चाय तो पीउ◌ू◌ंगा चाहे िजतनी मीठZ 3यH न हो । बरखा बीटया ने जो बनायी हF
पहल& बार ।
पंTडतजी-रामअधारबाबू "गरधर बाबू बीटया को ?वीकार करने क बात कर रहे है ।
%म?टररामअधार-3या ?
%म?टर"गरधर-हां भाई साहब मेर& बीटया को अपने घर क बहू बना ल&िजये ।
%म?टररामअधार-नह&ं यह नह&ं हो सकता
%म?टर "गरधरमेरे पास धन दौलत क कमी नह&ं है । िजतना धन चाहे मांग लो पर मेर& बरखा को
अपने घर क बहंू बना लो ।
%म?टररामअधार-जो iयव?था समाज को जहर परोस रह& हो उसका पोषण मF कैसे कर सकता हंू ।
मझे
ु दहे ज एक 4पया भी नह&ं चाहये । मझे
ु तो Bवषमतावाद& समाज का डर है । Bपछले साल क
ह& तो बात है हया हो गयी थी लडके @क अतजातीय iयाह को लेकर । जब@क लडका लडक दोनो
खश
ु थे । लडक प^ के लोग ह& लडक क हया कर लडक को Bवधवा बना दये ना "गरधरबाबू
ना ये iयाह तो नह&ं हो सकता ।
%म?टर"गरधर- जा:त और बढे
ू समाज क सार& द&वारे तोड दं ग
ू ा । हम बेट& के मां बाप SरLता लेकर
आये है । पंTडतजी गवाह है । हम कयादान करने के %लये तैयार है । आप 3यH Bवरोध कर रहे हF
भाई साहब
%मसेजका%मनी-मान जाइये भाईसाहब अब जा:तपां:त क लडाई कहां रह& । ?वधम[ के घर SरLते नह&ं
होगे तो कहां होगे ।हमारा तो बस धम म2 BवLवास है जा:त म2 नह&ं । Bवजय से बढया दमाद हम2
और कह&ं नह&ं %मल सकता । बGचे भी इस Bववाह से खश
ु होगे । भाई साहब िजद ना कSरये मान
जाइये । तभी तो जा:त टटे
ू गी । @कसी न @कसी को तो आगे आना होगा ।
36
%मसेजपeु पा-भाभीजी अभी जा:तवाद खम तो नह&ं हआ
ु हF । आपके समाज के लोग जीवन नरक
बना दे गे । यद बGचH ने गलत कदम उठा %लया या आपके समाज के %लये बGचH क जान लेने पर
उतर आये तो हम बबाद हो जायेगे ।
%मसेजका%मनी- भाभीजी ऐसा नह&ं होगा । हम बGचH क शाद& कोy म2 करे गे और SरLपेसन
आल&शान होटल म2 दे गे । आप तो त:नक भी "चता मत करो । आप तो iयाह क हामी भर दो
बस
%म?टर "गरधर- हां भाभी कछ
ु नह&ं होगा ।सभी अपनी बेट& योग लडके को सौपना चाहते हF । यद
मF सaप रहा हंू तो कोई गनाह
ु तो नह&ं कर रहा । मै बडी जा:त का हंू मF आपके पास आया हंू ।
आपका बेटा मेर& बेट& को तो भगाकर नह&ं ले गया है ना @क कोइ◌्र Bवरोध करे गा । यद कोइ◌्र
करता भी हF मF हंू ना मंह
ु तोड जबाव दे ने के %लये । छोट& बडी जा:त के भेद को मन से :नकाल
द&िजये । iयाह पर अपनी हां क मंुहर लगाइये बसभाई साहब जानता हंू वं"चतH को बस मr ु ठZ भर
भर आग ह& %मल& है िजससे उनका मान सQमान और Bवकास सब कछ
ु सलगा
ु है । समय बदल
गया है । दSरयां
ू कम हो चक
ु है । आपक हां के बाद बGचH क मज[ जानेग2 अपने बGचे
कसं
ु ?काSरत नह&ं है @क मां बाप का कहना नह&ं मानेगे ?हम तो उनके भले के %लये सोच रहे है ।
%म?टररामअधार-पहले बGचH क राय जान लो ।
%म?टर"गरधर-ठZक है ।उनक राय जान लेते हF ।
%मसेजका%मनी-बरखा बेट& इधर आओ ।कछ
ु दे र हमारे पास बैठो ।
%म?टर"गरधर-Bवजय को बलाने
ु के %लये खशब
ु ू को भेजे ।
Bवजय- खशब
ु ू द&द& के साथ अपना काम रोक कर आ गया ।
%म?टर"गरधर-Bवजय बेटा आप बरखा के सामने बैठो
Bवजय-3या ?
%म?टर"गरधर- बैठो तो सह&
Bवजय-अंकल थोडा ज0द& बो%लये 3या बात है । मF काम बीच म2 छोडकर आया हंू । इटरनेट चालू
है ।
%म?टर"गरधर-िजस काम के %लये मै आप ओर बरख को बैठाया हंू उससे बड़ा तो कोई काम हो ह&
नह&ं सकता ।
Bवजय-कौन सा काम है अंकल ऐसा ?
%म?टर "गरधर- बरखा से iयाह करोगे ना । बेटा नह&ं ना करना
Bवजय-बरखा से iयाह के बारे म2 तो कभी सोचा ह& न था। खैर बरखा से पहले पछ
ू ल&िजये । वह
3या चाहती है ।
%मसेज का%मनी- Bवजय बेटा बरखा तQ
ु हारे सामने है तम
ु पछ
ू लो ।
Bवजय-इंजी:नयर मैडम आर यू ए\ी टु मैर& Bवथ मी
बरखा- एस इंजी:नयर सर ।
पंTडतजी-सन
ु %लया यजमानH लडक लडका दोनो राजी है ।अब तो सम"ध-सम"ध और समधन-समधन
गले %मल लो ।
37
सारे गण
ु %मल गये है बस एक गण ु छोडकर । iयाह बहत ु सफल होगा । वर-बधू जीवन म2
बहत
ु तर3क करे गे । अब दे र @कस बात क चट मंगनी पट iयाह कर दो ।ऐसे आtाकार& बGचे तो
हमने दे खे ह& नह&ं थे । आज मेरा भी जीवन धय होगा ।अभी फेरे दलवा दे ता हंू पर द]^णा परा

लंग
ू ा
%म?टररामअधार-लड़का -लड़क दोनो राजी है तो मझे
ु भी अब कोई आपित नह&ं हF । बरखा बीटया
क मज[ जानना बहत ु ज4र& था । बGचH को तो जीवन साथ साथ Oबताना है ।
पंTडतजी-ये बGचे िजदगी के हर सफर म2 सफल होगे । क
ु डल& %मलाने क कोइ◌्र ज4रत नह&ं है
अब । बहतु अGछा महु ु त है चाहो तो अभी फेरे दलवा सकते है ।
%म?टर"गरधर-पंTडतजी फेरे तो बाद म2 होगे पहले Sरंग सेरेमनी का कायuम शभ
ु मह
ु ु त म2 सQपन
करा द&िजये ।
%मसेजका%मनी-हां पंTडतजी
%म?टर"गरधर-दो अंगठZू :नकाले और पंTडतजी के हाथ पर रखते हए
ु बोले पंTडतजी इह2 म$ोचाSरत
कर Sरंग सेरेमनी का कायuम Bव"धवत ् सQपन कराइये ।
पंTडतजी के घटे भर के म$ोचारण के बाद पंTडत Bवजय और बरखा को एक एक अ◌ू◌ंगठZ दये
और म$ोचारण के साथ एक दसरे
ू को पहनाने के %लये बोले । Bवजय और बरखा एक दसरे
ू को
अ◌ू◌ंगठZ
ू पहनाये ।
%म?टर"गरधर-Bवजय बेटा अब ये बरखारानी तQ
ु हार& महारानी बन गयी हF । मझे
ु यकन है क इनके
जीवन के साथ हमारा भी जीवन धय हो गया तम ु जैसे दमाद पाकर । बेटा ये बरखारानी बहतु
सयानी है । मr
ु ठZ म2 रखना । अपने बाप को बहत
ु चकमा दे ती थी ।रोट& मF अपने हाथ से cखलाता
था । बेटा बडे लाड़ Nयार से पल& है । खैर आप लोग तो सब कछ
ु जानते है । @फर भी बाप होने के
नाते इतना तो कहंू गा ह& क मेर& बरखा के आखH म2 आसंू कभी न आने पाये । होठ पर हमेशा
म?
ु कान बनी रहे ।
%मसेजपeु पा-भाई साहब और भाभीजी बरखा क त:नक "चता ना करना ।हमारे पSरवार का "चराग
हो गयी है । Bवजय और बरखा दे खना दोनो पSरवार के नाम को रोशन कर दे ग2 । सामािजक हंसते
जoम पर समानता का म0हम लगेगा, द:नया
ु %मशाल दे दे कर ना थकेगी ।
%म?टर-हां समधनजी
बरखा-पापा अब बस करो ।3यH 4लाना चाहते हF ।
%म?टर"गरधर-बेट& तू Bवजय क अमानत थी । उसक हो गयी । सच मेरा जीवन सफल हो गया
।अब तो मF चैन से मर सकता हंू । कहते हएु आख2 मसलने लगे ।
%मसेजका%मनी- हां बेट& मेर& बरसो क तप?या सफल हो गयी । तू सदा खश
ु रहे यह& दआ
ु है । तू
तो परायी थी ह& तेरे पापा ठZक कह रहे है । हर लड़क परायी होती है । उसका बाप एक दन
कयादान करता हF । डोल& उठती है ।
%म?टर"गरधर-कयादान और डोल& उठने म2 सNताह भर अ◌ैर लगेगा। सNताह भर के अदर Bवजय
और बरखा का अतजातीय Bववाह Bव"धवत ् सQपन हो गया । %म?टर"गरधर बेट& का कयादान
कर सम"ध %म रामअधार और समधन %मसेज पeु पा और खद
ु प:त-पिन चारो धाम क या$ा पर
:नकल पडे ।
38
8-घरोह.
कतर&दे
ु वी-बेटा सत[लाल
ु तQ
ु हार& घरोह& सांप OबGछू क ?थायी :नवास हो गयी है । कछ
ु लोग तो
भतहाघर
ू कहने लगे है ।आसपास वाले का तो अ:तuमण भी श4
ु हो गया है ।
सत[लाल
ु -काक {गह क तंगी क वजह से बाप दादा क घरे ◌ाह& छोड़कर दरू आकर बस गया रहले
लगा ता@क भाईयH के %लये घर बनाने क जगह बनी रहे । Bपताजी ना जाने कौन से परदे स चले
गये @क लौट कर आये । दं बगो ने छल बल के भरोसे सार& खेती क जमीन हड़प %लये ।बीसा भर
घरोह& थी उस पर भी नजर आ टक है ।3या क4ं काक ।
कतर&दे
ु वी-तेरा दk समझती हंू । तेरा बाप को दबंगो ने दे श :नकाला दे दया। पखडी लेखपाल ने
सार& जमीन %लप पोत द& । पखडी ने तQ ु हारे बाप का जीना मिLु कल कर दया था ।बेचारे
अयाचाSरयH के खै◌ा◌ंफ से गांव छोड़ दये @फर कभी ना लौटे ।
सत[लाल
ु -काक पराने
ु घाव uk खरच
ु । घरोह& के बारे म2 कछ
ु कह रह& थी ।
कतर&दे
ु वी-बेटा तू कहता तो तQ
ु हार& घरोह& क खाल& जमीन पर गोबर पाथ %लया करती । पSरवार
क जमीन पर दसरे
ू कiजा कर रहे है । दे खा नह&ं जाता । तQ
ु हार& घरो◌ी क "चता मझे
ु सता रह&
है । बेटा मF नह&ं चाहती क कोई कiजा करे । अगर मेर& बात अGछZ लगे तो मझे
ु गोबर पाथने भर
क जगह दे दो ।
सत[लाल
ु -काका घरोह& तो मां बाप क :नशानी है । जमभ%म
ू तो जान से Nयार& होती है कैसे दे दं ू ।
कतर&दे
ु वी-मF एकदम से थोड़े ह& मांग रह& हंू । बस गोबर पाथने भर को मांग रह& हंू इससे तQ
ु हार&
घरोह& क रखवाल& हो जायेगी । अगर ऐसा ह& रहा तो एक दन सब आसपास वाले कiजा कर लेगे
हाथ मलते रह जाओगे ।
सत[लाल
ु -कैसे कोई हड़प लेगा चार नीम के पेड़ मां बाप क यादे है ।
कतर&दे
ु वी-बेटा दे ख तेरे भले क सोच रह& हंू घरोह& का तेरे पास कोई कागज तो नह&ं है ।मF पर&ू
दे खभाल क4ंगी त:नका "चता ना करना । @कसी को भर आंख दे खने तक नह&ं दं ग ू ी ।बस मझे ु
गोबर पाथने और गो4 चउवा बांधने क इजाजत दे दो बेटा सत[लाल
ु । मान जा मेर& बात ।बाप
दादा क इतनी बड़ी खेतीबार& चल& गयी बीसा भर घरोह& है वह भी कोई @कसी दन हड़प लेगा ।
सत[लाल
ु -काका डर लग रह& है । मां बाप आमा उसी घरोह& म2 बसी होगी । कैसे तमको
ु सaप दं ू ।
कतर&दे
ु वी-बेटा तेर& घरोह& तेर& रहे गी । हम2 कiजा नह&ं करना है । मF तो बस इतना चाहती हंू @क
तQ ु हारे बापदादा क :नशानी बची रहे ।
सत[लाल
ु -काक गोबर पाथने म2 गो4चउवा बांधने म2 कोई द3कत नह&ं है पर तेरे बेटो ◌ं क :नय:त
म2 खोट आ गयी तो ।काक चार बीसा जीमन है घरोह& क ।
कतर&दे
ु वी-uk बेटा uk मेरे बेटे मेर& जबान कभी नह&ं काटे गे ।
सत[लाल
ु -काक खन
ू के SरLते क हो दे खना BवLवास नह&ं तोड़uk ।
कतर&दे
ु वी-यकन कर बेटा ।खन
ू के SरLते क छाती म2 भाला घोपकर 3या चैन से मर सकगी
ू ।बेटा
मझे
ु नरक जाने का कोइ◌्रर ् इरादा नह&ं है नह&ं तQ
ु हार& घरोह& हड़पने को । पSरवार को इस%लये
तमसे
ु अपने मन क बात कह द& । दे ना ना दे ना तQ
ु हार& मज[ घरोह& तो तQ
ु हार& है ।
सत[लाल
ु -तेर& जबान का BवLवास तो मF कर लंूगा पर तेरे बेटे तेर& जबान काट दये तो ।
कतर&दे
ु वी-बेट& ऐसी नौबत नह&ं आयेगी ।मैतुQहार& मr
ु ठZ म2 आग नह&ं भ4ंगी नेक के बदले ।
39
सत[लाल
ु -पाथ ले गोबर बांध ले गो4 चउवा पर काक :नय:त खराब नह&ं करना । अगर :नय:त
खराब क तो मेर& घरोह& पर कोई सख
ु से नह&ं रह सकेगा । एक गर&ब का vहम महत
ु ु म2 कहा गया
वा3य खाल& नह&ं जायेगा ।
कतर&दे
ु वी-हां बेटा जानती हंू आजकल तQ
ु हार& जबान पर vहमा बैठते है । तQ
ु हार& BवLवास नह&ं
टटे
ू गा ।
सत[लाल
ु -BवLवास तोड़ने वाले हमेश तकल&फ म2 रहते है । यहां तक क द&या बती करने वाले नह&ं
बचते काक तू तो जानती है इ:तहास भी गवाह है । जा तमको
ु गोबर पाथने भर के %लये घरोह& का
उपयोग कर काक ।
कतर&दे
ु वी-सखी
ु रह बेटवा कहते हएु घर गयी । आसपास वालH को सनाते
ु हए
ु दरू से आवाज लगाते
हए
ु बोला ला धोखू बेटा फरसा सत[लाल
ु क घरोह& के सामने का घासफस
ू सांफ कर दे कल से यह&
गोबर पाथना है । गो4चउवा भी यह& बांधेगे ।
धोखू- 3या कह रह& हो माई सत[लाल
ु भईया गोबर पाथने दे गे 3या ?
कतर&दे
ु वी-हां 3ये◌ा◌ं नह&ं घटा भर से तो %सफाSरस कर रह& थी सत[लाल
ु क । मानता नह&ं तो
3या करता ।ऐसी घTड़ याल& आंसू रोयी हंू @क उसका दल पसीज गया है ।एक दन ये घरोह& अपनी
होगी धोखू ।◌ी◌ाले ह& खन
ू बहाना पड़े ।
धोख-माई भइया क घरोह& अपनी कैसे होगी ।
कतर&दे
ु वी-चपकर
ु मरख
ू कोइ◌्रर ् सन
ु लेगा । घासफस
ू काटकर साफ कर और कचरा सत[लाल
ु क
बंसवार& म2 डाल दे । बंसवार& को भी कiजे म2 एक दन लेना है ।
धोख-ू मां तू तो अपनी मोहरे चलती रहना हमे तो झा◌ूला डालने के %लये नीम का पेड़ %मल गया ।
नागपंचमी के दन यह& झला
ू डालंूगा । सत[लाल
ु भइया के बGचे◌ा◌ं को भी लाकर झलाउ◌ू
ू ◌ंगा ।
कतर&दे
ु वी-जो करना दल खोलकर करना ।अब तो तमको
ु करना बाक है । मझे
ु जो करना था कर
द& ।अभी तो मेरा हाथ बंटाओ । फरसा से जमीन जमीन :छल कर बरोबर कर दो । मF खटया
डालने के %लये गोबर डाल दे ती हंू । दो घटे भर म2 तो कतर&दे
ु वी ने Oब0कु ल साफ कर द& ।
मां का हाथ मशीन क तरह चलता दे खकर धोखू बोला सब काम आज कर डालोगी 3या माई । कछ ु
कल के %लये भी तो छोड दे । मF तो थक गया हंू ।
कतर&दे
ु वी-कल सत[लाल
ु बदल गया तो । साफ सफाई हो गयी चार खांची घरू म2 से गोबर उठाकर
ला बेटा आज कछ ु उपले बनाकर खड़ा कर दे ती हंू ।
धोखू-ठZक है माई जैसा कहो वैसा क4ंगा ।
कतर&दे
ु वी ने शाम होते होते गोबर पाथकर उपले भी खड़े कर %लये ।दसरे
ू दन से तो आसपास वालH
का आनाजाना बद करने लगी जैसे सतीb
ु ्रलाल क घरोह& उसने खर&द ल& हो ।आसपास वालो को
कतर&दे
ु वी का :नय:त म2 खामी दखी ।हर आदमी कतर&दे
ु वी से पछता
ू 3या सत[लाल
ु ने घरोह&
तमको
ु दे द& ।
कतर&दे
ु वी- हं सहं सकर हां म2 जबाब दे ती ।
कतर&दे
ु वी आसपास वालH का सवालो से वह तंग आकर रात के अं"धयारे म2 है रान परे शान का ?वांग
रचकर सत[लाल
ु के पास पहंु ची ।
सत[लाल
ु बोला 3या हआ
ु काक @कसी से झगड़ा करके आ रह& हो ।
40
कतर&दे
ु वी-हां बेटा दे खो हरहया और उसके पSरवार के लोग मारने के %लये दौड़ा रहे है बीच घरोह&
से रा?ता मांग रहे है ।
सत[लाल
ु -काक बीच घरोह& से रा?ता कैसे दे सकते है ।बाप दादा क :नशानी @कसी को कैसे हड़पने
दं ग
ू ा ।
कतर&दे
ु वी- बेटा तू "चता ना कर @कसी क दाल नह&ं गलने दं ग
ू ी तू तो बस चार छः बासं मझे
ु दे दे ।
बांस का पैसा भले ह& ले लेना । मF दे दं गू ी फोकट म2 नह&ं मांग रह& हंू सत[लाल
ु ।बाउडर& बना
दे ती हंू । हरमजादो का रा?ता बद कर दे ती हंू ।दे खती हंू कौन 3या करता है । अरे राहजनी तो नह&ं
मची है @क कोइ◌्रर ् @कसी क घरोह& पर जबद?ती कiजा कर लेगा ।
सत[लाल
ु -काक ऐसे कैसे हो सकता है @क मF बीच घरोह& म2 से रा?ता दे दं ू ।
कतर&दे
ु वी-बेटा तू "चता uk कर तेर& घरोह& क ओर कोइ◌्र आंख उठाकर मेरे जीते जी दे ख भी
नह&ं सकता है ।
सत[लाल
ु -चल दे खता हंू कौन मेर& घरोह& के बीच से रा?ता मांगता है ।
कतर&दे
ु वी-uk बेटा तू uk चल तू तो वेसे ह& मसीबत
ु का मारा है । मF दे ख लंग
ू ी । तू तो बस कछ

बांस दे दे ।
सत[लाल
ु -जा काक बंसवार& से िजतना बांस लगे बाउडर& म2 काट ले । काक अकेला आदमी @कस
@कस से झगड़ा क4ंगा ।
कतर&दे
ु वी-बेटा झगड़ा लड़ाई से कछ
ु %मला है । @कसी के बाप क जमीन तो है नह&ं @क जो मंुह
उठाकर आये तम
ु उसे दे दो ।
सत[लाल
ु -जा काक मेर& बंसवार& से बांस काटकर कर लो बाउडर& । कछ
ु नीम के पौधे लगाकर
आया हंू ◌े भी बंच जायेगे ।बकर& नह&ं खायेगी बाउडर& हो जाने से ।

कतर&दे
ु वी-बाउडर& हो जाने से उपले भी उधमी बGचे नह&ं तोडेगे । ओसाई मड़ाई का काम भी कर
%लया क4ंगी ।
सत[लाल
ु -ठZक है काक कर लेना ।
धीरे धीरे दस साल Oबत गये । कतर&दे
ु वी का बेटा धोखू बालबGचेदार हो गया । कतर&दे
ु वी के मन म2
पाप घर कर गया वह एक दन गोध%ल
ू बेला म2 रोनी सरत
ू बनाकर सत[लाल
ु के घर गयी और बोल&
बेटा एक मंड़ई डालने क इजाजत दे दो जब तमको
ु ज4रत होगी तो हटा लंग
ू ी ।
सत[लाल
ु -काक मेरे भी बाल बGचे है चार भाईयH का पSरवार है आज बाहर हे कल आयेगे तो
उनको भी तो ज4रत होगी घरnवार क । कैसे मंड़ई रखने दं ू । ना काक ना मंड़ई तो रखने क
बात ना करो ।
कतर&दे
ु वी गरज कर बोल& मंड़ई तो डालकर रहंू गी ।दे खती हंू कैसे रोकता है ।
सत[लाल
ु -काक तू 3या कह रह& है मेरे बाप दादा क Bवरासत तो यह& घरोह& बची है । उस पर भी
तम
ु जबSरया कiजा करने क कह रह& हो ।काक घरोह& तो हमारे %लये दे व?थान के बराबर है । तू
हड़पना चाह रह& हो । इसके %लये तो मेर& लाश पर से तमको
ु गजरना
ु होगा ।
कतर&दे
ु वी-स:त
ु या ज4रत पड़ी तो वह भी कर सकती हंू ।घरोह& पर मेरा कiजा है पर&
ू ब?ती जानती
है जोर जोर से "च0ला "च0लाकर कहने लगी ।
41
सत[लाल
ु - काक मेरे बाप दादा क आcखर& :नशानी पर तेर& "गbद नजर पड़ गयी ।काक
मेर& यकन को uk तोड़ मैने तेरे उपर BवLवास @कया तू धोखा दे रह& है ।
सत[लाल
ु क बात सनते
ु ह& कतर&दे
ु वी झठमठ
ू ू म2 जोर जोर से रोरोकर कहने लगी दे खो ब?ती वालो
सत[लाल
ु मझे
ु बेइjजत कर रहा है । मेर& साड़ी फाड़ रहा है । झठमठ
ू ू म2 बखेड़ा खड़ाकर रोते हये ु
अपने घर क ओर भागने लगी ।ब?ती वालो कतर&दे
ु वी क करतत ू पर थ-ू थू कर रहे थे । दसरे
ू दन
सबह
ु अGछे ,कGछे ,सप:त,जीवा,:घसन
ु जैसे और कछ
ु बदमाश @क?म को लेकर सत[लाल
ु क बांस क
खंट
ू & से ढे र सारे बांस काट& और सत[लाल
ु क घरोह& पर मड़ई रखकर जबSरया कiजे क तैयार&
कर ल& ।कतर&दे
ु वी क करतत
ू क भनक सत[लाल
ु को लगी वह घरोह& पर गया । कतर&दे
ु वी उसे
दे खते ह& हं %सया लेकर मारने दौड़ पडी । कतर&दे
ु वी के आदमी लाठZ डडा लेकर मारने के %लये दौड़
पड़े । बेचारा सत[लाल
ु जान बचाकर भागने लगा । इतने म2 एक बड़ा से |ट का टकड़ा
ु उसके %सर
पर लगा और %सर से खन
ू क धार फट
ू पड़ी । वह बड़ी मिL
ु कल से जानबचाकर घर पहंु चा। खन
ू म2
लथपथ दे खकर सत[लाल
ु क घरवाल& और उसके बGचे रोने लगे ।उधर कतर&दे
ु वी अपना iलाउज
साड़ी फाड़कर थाने पहंु च गयी । बेचारा सत
ु [लाल गांव के धान और अय बाबू लो◌ागे◌ा◌ं के
सामने अपने बापदादा क आcखर& :नशानी पर कतर&देु वी के जबSरया कiजा हटवाने क गहार

लगाया पर गर&ब क @कसी ने न सनी
ु । कतर&
ु दे वी सत[लाल
ु के cखलाफ छे ड़छाड़ का केस कायम
करवा द& । प%लस
ु भी सuय हो गयी । कतर&दे
ु वी का कiजा हो गया । सत[लाल
ु क घरोह& पर
जबSरया कiजा करके कतर&दे
ु वी मददगारH और असामािजक तवH को भोज भी दे द& ।
सत[लाल
ु के सारे यास Bवफल हो गये । धान और बड़े लोग सत[लाल
ु को डांटते कहते तम
ु छोटे
लोग त:नक त:नक बातH म2 लड़ने मरने लगते हो । भगते
ु कौन भगते
ु गा । सत[लाल
ु कहता मFने तो
कतर&काक
ु को खन
ू के SरLते क वजह से उसक मदद @कया था पर काक ने तो मेर& घरोह&
:छनकर बेईमान के "चमटे से मझे
ु मr
ु ठZ भर आग दया है । 3या यह& याय है । बाबू लोग कहते
जैसा @कये हो भरो जब कतर&दे
ु वी को गोबर पाथने क इजाजत दया था तो @कसी से पछा
ू था ।
आज फंसी है तो बाबू लोग याद आये है । सत[लाल
ु कतर&दे
ु वी के बने
ु जाल म2 एकदम फंस गया ।
उसका टrट& पेशाब के %लये भी घर से बाहर :नकलना मिL
ु कल हो गया । कतर&दे
ु वी जान से मारने
तक सािजश रच चक
ु थी । एक दन सत[ला
ु ल हथे चढ़ गया । कतर&दे
ु वी के ग
ु डे पीछे पड़ गये ।
वह आगे पीछे मौत को दे खकर हQमत करके खड़ा हो गया । कतर&दे
ु वी सादा कागज लेकर आयी

बोल& ले सत[लाल
ु अंगठा
ू लगा नह&ं तो जान से जायेगा या जेल म2 सडेगा प%लस
ु भी आती होगी ।
सत[लाल
ु बोला-काक कैसे अपने परु खH से गmदार& कर दं ू ।
कतर&दे
ु वी- प%लस
ु को आता दे खकर जोर से बोल& बदमाश एक तो बर&
ु नजर डालता है दसरे
ू काक
कहता है । दे खो कैसे भींगी Oब0ल& सर&खे बोल रहा है । इतने म2 प%लस
ु के दो जवान आ गये ।
कतर&दे
ु वी बोल& लो हवलदारसाहब मजSरम
ु आ गया है पकड़ म2 । यह& बलाकार क को%शश करने
वाला सत[लाल
ु ।साहब मेरे साथ बहत
ु बरा
ु सलक
ू @कया मेरा iलाउज फाड़ दया मF इjजत बचाकर
भागी थी ।
सत[लाल
ु -साहब ये काक मेर& घरोह& हड़पने के %लये सािजश रची है । मां समान काक को बर&

नजर से दे ख सकता हंू ।
हवलदार-3यH बे तू सह& कह रहा है ।
42
सत[लाल
ु -हां साहब Oब0कुल सह& कह रहा हंू । कतर&काक
ु मेर& ह& घरे ◌ाह& पर मेर& ह& बंसवार&
से बांस काटकर जबSरया कiजा कर रह& है ।
हवलदार-3या ?
सत[लाल
ु -हां साहब ।
कतर&दे
ु वी-साहब स:त
ु या झठ
ू बोल रहा है । मै अपनी जमीन पर मड़ई डाल& हंू । ये सारे लोग है पछ

लो साहब
हवलदार-वहां हािजर एक एक से पछे
ू सभी ने कहां कतर&दे
ु वी क घरोह& है ।
कतर&दे
ु वी- और गवाह& तो नह&ं चाहये साहब
हवलदार-दे खो सत[लाल
ु सलहा
ु कर लो । 3यो जेल म2 सड़uk चाहते हो बलाकार का केस है ।
कागज पर अंगठा
ू लगा दो ।
सत[
ु लाल क कोई सनना
ु वाला न था वह आगे खाई पीछे मौत दे खकर रोते हए
ु अंगठा
ू लगाते हये

बोला कतर&काक
ु हमार& घरोह& तमको
ु आंसू के अलावा और कछु न दे गी । बाप दादा क Bवरासत म2
छोड़ी गयी घरोह& पर कतर&दे
ु वी का जबSरया कiजा हो गया । हवलदार बोला कतर&दे
ु वी मा%लकाना
हक भी तQ
ु हारे पास है । हमे साहब के सामने हािजर होना है । समझ गयी ।
कतर&दे
ु वी न हवलदार को साहब के सामने हािजर होने क शि3त जेब म2 भर मr
ु ठZ डाल द& ।
हवलदार लोग मछ ू पर हाथ फेरते हएु थाने क ओर चल पड़े । त:नक भर म2 भीड़ छं ट गयी ।
कतर&दे
ु वी के उपर दै वीय कोप श4
ु हो गये । कतर&दे
ु वी के बेटे धोखू क बढौती
ु क लाठZ टट
ू गयी।
बेटा धोखू पागल सा हो गया । कतर&दे
ु वी को जीते जी कड़े पड़ गये । बहत
ु दख
ु भोगकर मर& ।
सत[लाल
ु भर भर अंजर&
ु यश बटोर रहा था । कतर&दे
ु वी क सािजश म2 शा%मल वह& लोग जो
सत[लाल
ु के उपर लांछने लगवाये थे घरोह& पर कतर&दे
ु वी का कiजा करवाये थे वह& लोग यह कहते
नह&ं थक रहे थे @क बेईमानी नरक के nवार खोलती है । दे खो सत[लाल
ु का vहममहत
ु म2 कहा गया
vहम वा3य खाल& नह&ं गया । नेक और सGचे आदमी क मदद ईLवर करते है, मतलबी आदमी भले
ह& बm:नय:त के "चमटे से 3यH न ईमानदार,सGचे और कमठ आदमी क मr
ु ठZ म2 आग भरे उनक
तकद&र तो हं सते जoम ह& बनते है ।
9-लहू के नशान
अरे चदा के पापा अखबार पढ रहे या अफसोस जाहर कर रहे हो। तQ
ु हार& आंखे डबडबायी हई
ु 3यH
है । भाwयल~मी चाय का Nयाला प:त vहमदत के सामने रखते हएु बोल& ।
vहमदत-ठZक कह रह& हो भागवान । आदमी @कतना बदल गया है ।दौ?त पर सगे SरLतेदारो से
jयादा यकन लोग करते थे । आज दो?ती के दामन पर लहू के :नशान छोड़ने लगे है आजकल के
दो?त । खद
ु क खशी
ु का कैनवास दो?त के लहू से सजाने लगे है ।
भाwयल~मी- 3या कह रहे हो। सबेरे सबेर तो शभ
ु शभ
ु बोलो ।
vहमदत अखबार सरकाते हए ु बोला लो खदु क आखH से दे ख लो । यक दSरदा दो?त खद ु को
मत
ृ साOबत करने के %लये दो?त क हया कर द& मोटे मोटे अ^रH म2 छपा है और साथ म2 बेचारे
चkशेखेर क फोटो भी छपी है ।
भाwयल~मी-ये 3या हो गया । ये तो सतीश के SरLते का भाई है । दSरद2 ने बेचारे को मार डाला ।
अGछा "च$कार था । भला इंसान था ।अपनी चदा को बहन मानता था सतीश क तरह । हे
43
भगवान कसाईयH को बहत ु बर&
ु मौत दे ना । दSरद2 बेसारे के बढे
ू मां बाप क लाठZ तोड़ दये
उनके सपनH म2 आग भर दये ।
vहमदत-अGछा "च$कार था आगे चलकर दे श का नाम द:नया
ु म2 रोशन करता। दो?त क नजर
लग गयी बेचारा बेमौत मारा गया ।
भाwयल~मी-सजनकार
ृ तो सचमच
ु जगत का भला चाहने वाले इंसान होते है ।दलपंच से इन लोगH
का कोई लेना दे ना नह&ं रहता । सmभावना म2 बह जाते है । खद
ु का भला बरा
ु तक नह&ं सोचते ।
vहमदत-भोलेपन का %शकार हो गया । @कसी के iयाह म2 गया था । iयाह के जLन के बाद उसे
हा?टल पहंु चना था पर वह दो?त के यहां चला गया । दो?त दSरदा साOबत हआ
ु । कैसा घोर
कलयगु आ गया है दो?त हया करके जला दया । लाश क जगह नरकंकाल प%लस ु को बरामद
हआ
ु था । प%लस
ु क मह&ने भर क भागदौड़ के बाद तो मामले पर छाये घने कहरे
ु छं ट पाये है ।
भाwयल~मी- अखबार पढकर बताओ बेचारे :नरपराध चkशेखर को @कस वजह से मारकर जला दये

vहमदत-दSरदे ये◌ागेश और संजय ने शराब म2 जहर %मला दया था । इसके बाद पीट पीट कर
मारा था ।
भाwयल~मी-भगवान दSरदH को इससे भी बर&
ु मौत दे ना । कोई दSरदा पकड़ाया क नह&ं । इह2
कड़ी से कड़ी सजा %मलने चाहये । आजकल तो याय के मंदर म2 भी जाने अनजाने अयाय होने
लगा है । पैसे वाले और शा:तर बच :नकलते है ।
vहमदत-दSरदH कानन ू के हाथ से बंच तो नह&ं पायेगे 3यH@क कानन
ू के हाथ बहत
ु लQबे होते है ।
हां यह बात मायने रखते है @क कानन
ू के रखवाले अपने फज पर @कतने खरे उतरते है । दो दSरदH
प%लस
ु के हथे तो चढ गये है तीसरा दSरदा अभी प%लस
ु को चकम2 दे रहा है ।खैर बकरे क मां
कब तक खैर मनायेग एक ना एक दन दSरदा पकड़ा तो जायेगा । यह तीसरा दSरदा खनी
ू संजय
है जो मकान मा:नक का बेटा है िजस मकान म2 चkशेखर क हया कर जलाया गया था ।
भाwयल~मी- बेचारे का दSरदा 3या मार डाला ? 3या Oबगाड़ा था बेचारा चkशेखर । 3यH मारा
बेचारH को दSरदH ने रह?य से पदा उठा @क नह&ं अखबार पढकर बताओं ।
vहमदत-उठ गया है ।
भाwयल~मी- पढकर सनाओ
ु दल बैठा जा रहा है ।
vहमदत-3या सनाउ◌ू
ु ?
भाwयल~मी- अरे @कस कारण से दSरदH ने चkशेखर क हया क । बढे
ू मां बाप क लाठZ तोड़ द&
। जब हया के रह?य से पदा उठ गया है तो सब कछ
ु तो छपा होगा क नह&ं ?
vहमदत-चkशेखर के कल के पीछे औरत है । एक औरत को पाने के %लये यह कल हआ
ु है ।
भाwयल~मी-3या ?
vहमदत-ठZक सनी
ु है दे वीजी औरत के %लये ।
भाwयल~मी-पर&
ू बात पढ़कर बताओ ।
vहमदत-सनो
ु दे वीजी । अखबार म2 छपी खबर के अनसार
ु मo
ु य आरोपी संजय का ेम सQबध
एक लड़क से है जो अब शाद&शदा
ु है । उस लड़क को पाने के %लये संजय ने यह खनी
ू खेल खेला

44
भाwयल~मी- 3या ?
vहमदत-हां संजय उस लड़क के ेम म2 पागल हो गया था । उसे पाने के %लये वह कछ
ु भी करने
को तैयार था । वह खदु को मरा हआ
ु साOबत करने के %लये चkशेखर को मार कर जला डला योगे
और दसरे
ू साथी के साथ ।
भाwयल~मी-बाप रे ऐसी सािजश ?
vहमदत-संजय क योजना थी @क जब वह लोगH क नजरH म2 मरा हआु साOबत हो जायेगा तो वह
उस लड़क को कह& और बलाु लेगा @कसी को पता भी नह&ं चलेगा @क संजय लेकर भाग गया ।
दभा
ु wयवस चkशेखर दो?त के झांसे म2 आ गया दो?त संजय ने शराब म2 जहर %मलाकर हया
करके पेyोल डालकर जला डाला ।
भाwयल~मी-ऐसे दSरद2 से चkशे◌ेखर क दो?ती कैसे हो गयी । दSरद2 न पढ रहे थे और नह&ं
हा?टल म2 रह रहे थे । कैसे दो?ती हो गयी । दो?ती के नाम पर दSरदH ने का%लख पोत दया ।
दो?ती जैसे पाक SरLते को नापाक कर दया ।
vहमदत-संजय और योगेश @कसी मोबाईल कQपनी म2 काम करते थे ।मोबाईल के काम के
%सल%सले म2 चkशेखर को कई बार कQपनी जाना पड़ा इसी दौरान दो?ती हो गयी । दो?तH ने
दो?ती के कैनवास पर लहू पोत दये ।
भाwयल~मी-चkशेखर दSरदH के झांसे म2 कैसे आ गया @क iयाह से सीधे दSरदH के जाल म2 जा
फंसा ।
vहमदत-फोन करके बलाया
ु था ।
भाwयल~मी-परा
ू चuPयूह रच कर दSरदH ने फाने @कया होगा ।
vहमदत-23 जनवर& क रात म2 संजय ने फोन @कया था । रात के नौ बजे चkशेखर पहंु च गया
।दा4 म2 जहर %मलाकर दSरदH ने Bपला दया । दा4 Bपलाने के बाद सSरये से %सर पीट डाले ।
इसके बाद तीसरे माले पर ले जाकर जला डाले । कंकाल के पास संजय अपना जता
ू छोड़कर
फरार हो गया ।
भाwयल~मी-ऐसा 3यH @कया खनी
ू ।
vहमदत-ता@क लोग समझे @क संजय क हया हई ु है और नरकंकाल उसी का है ।
भाwयल~मी-दल दहला दे ने वाल& सािजश । बाप रे आदमी अपना हत साधने के %लये कैसा है वान
हो जाता है यह तो संजय ने कर दखाया। इससे तो प%लस
ु भी f%मत हो गयी होगी ।
vहमदत- प%लस
ु f%मत तो हईु पर कछु दन के %लये । जब प%लस
ु को पता चला @क 23 जनवर&
से संजय लापता है तब प%लस
ु का माथा ठनका और जांच का 4ख बदल गया ।प%लस
ु चkशेखर के
SरLतेदारH से जांच पडताल करने म2 जट
ु गयी ।
भाwयल~मी- आगे 3या हआ
ु बताओं uk ।
vहमदत-चkशेखर के भाई ने कंकाल के दांत को पहचान कर चkशेखर होने क पिe
ु ट कर द& ।
भाwयल~मी-एक "च$कार के जीवन का अत कर दया दSरदH ने । बेचारा "च$H म2 रं ग रं ग भरते
भरते बेरंग हो गया सािजश म2 फंसकर वह भी दो?ती के नाम । भगवान ऐसे दSरदH को ऐसी जगह
मारना @क SरSरक-SरSरक कर मर2 दो?ती जैसे पBव$ SरLते के कैनवास पर खन
ू पोतने वाला संजय
और उसके कल& दो?त ।
45
vहमदत-चkशेखर को गहरे रं गH से बहत
ु लगाव था । वह इह& रं गH से कैनवास पर खेलते
खेलते िजदगी को उकेरता रहता था । बद@क?मत संजय के जीवन का सारा रं ग ढल ु गया ।
िजदगी खम हो गयी बेचारे क बची है तो बस यादे ओर बढे
ू मां बाप क चीखे । जब हया के
रह?य से पदा उठा तो सहपाठZ भी रो उठे ।
भाwयल~मी-एक :नरपराध "च$कार के लहू से दो?ती के 3ेनवास को रं गकर ख:नयH
ू ने घोर अपराध
@कया है वह भी एक शाद&शदा
ु ओरत के %लये ।दSरदे को इतना ह& Nयार था तो पहले ह& iयाह कर
लेना था । भोले भाले मासम
ू "च$कार क जान 3यH ले %लये ?
vहमदत- Bवनाश काले Bवपर&त बिb
ु द । कबिb
ु ु द ने हयारा बना दया । दो?ती के नाम पर धiबा
लगा दया । बेचारा चkशेखर एक दन पहले ह& तो िजदगी को बेहतर&न ढं ग से कैनवास पर
उकेरा था । ये दे खो चkशेखर क ह& पेिटं ग छपी है अखबार म2 । दो चार दन पहले ह& उसक
अPवल दज` क पेिटं ग द0ल& म2 बीची थी । बहत
ु खश
ु तो भर दSरदH ने उसक िजदगी म2 आग
भर द& और मां को गम के समदर म2 ढकेल दया ।
भाwयल~मी-बहत
ु होनहार लड़का था । चदा बता रह& थी @क पेिटग बनाते समय अ3सर -तड़प
तड़प के इस दल से आह :नकलती रह& गाना गाता रहता था । यह& तड़प उसक पेिटग को जीवन
दान करती थी ।
vहमदत-ले ल& दSरदH ने एक जीवन । उजाड़ दया एक पSरवार का सपना । :छन %लये बढे
ू मा
बाप का सहारा । भर दया आ"_तH क मr
ु ठयH म2 आग ।
भाwयल~मी-खनी
ू तो ल&ल गये चkशेखर को पर दो?त के चनाव
ु के ज0द&बाजी न करने क
नसीहत भी दे गये । ?वाथ[,अपराधी एवं असामािजक लोगH से दो?ती का :तफल तो दखदायी
ु ह&
होगा । ?वाथ के |ट पर टक दो?ती क नींव कभी भी भरभरा कर "गर सकती है और इसके
पSरणाम भयावह हो सकते है । दो?त बनाने से पहले बहत ु सोच Bवचार करने क ज4रत अब आ
पड़ी है । यद असावधानी हई
ु संजय जैसे दSरद2 मr
ु ठZ म2 आग भरने से त:नक भी नह&ं चक
ु े गे ।
vहमदत-चदा क मां आंसू पोछो । दSरदH ने तो बहत
ु बड़ा गनाह
ु @कया है । इसक सजा तो उहे
ज4र %मलेगी । यवको
ु को दो?ती के कैनवास चkशेखर के लहू के :नशान को bयान म2 रखते हएु
सावधानी बरती होगी ता@क @फर कोई अमानष ु संजय दो?ती के पाक SरLते को नापाक न कर सके ।
भाwयल~मी-भगवान चkशेoर क आमा शाित बoशना । पSरवार को आमबल और िजदगी के
कैनवास पर सनहरा
ु रं ग भरने क शि3त दे ना । भगवान दSरदH को ऐसी सजा दे ना @क @फर कभी
दो?ती जैसा SरLता बदनाम न होने पाये ।
vहमदत-हां ठZक कह रह& हो ऐ दSरद2 कठोर से कठोर सजा के हकदार है । यवा
ु पीढ़& से भी
गजाSरस
ु है @क दो?ती को ?वाथ के तफान
ू से बचाय2 ता@क दो?ती के कैनवास पर @फर कभी लहू के
:नशान न पड़े और न ह& हं सते खेलते पSरवार क छाती पर जoम डर बैठने पाये ।
10-द/खया
10- ु माई
का रे दcखया
ु अब तो तेरे करे जे को ठडक %मल& मेरा परा
ू धान तेर& भैस चौपट कर द& । खाने को
अन नह&ं रहने को घर नह&ं । पाल रह& हो भFस । तेर& भFस हांकर ले जाउ◌ू◌ं और अपने दरवाजे
पर बांध लू कंु वर बहादरु गरज पड़े ।
46
दcखया
ु के उपर तो जैसे Oबजल& "गर पड़ी भFस हांक ले जाने क बात से । उसक आख2 सावन-
भादH हो गयी । वह आंचल से आसंू पोछते हए
ु बोल&- बाबू ना जाने कैसे भFस खंट ू ा से छड़ा
ु ल&
अGछZ तरह से गांठ लगा कर बांधी थी। Oबरछवा क भFस मेर& oू◌ा◌ंटे से बंधी भFस से लड़ने लगी
थी । मेर& भFस क सींग भी टट
ू गयी है बाबू । बरछवा क भैस आक न मेर& भFस से लडती न
खंट
ू ा टटता
ू और नह&ं मेर& भFस बाबू आपके धान के खेत मे◌े जाती । बाबू नक
ु शान तो हो गया है
जानबझ
ू कर तो मFने नह&ं @कया है ना । भFस का सहारा था उसक सींग भी टंू ट गयी । सोची थी
भFस बेचकर ज4रत क कई चीज2 लाउ◌ू◌ंगी । जाड़2 के %लये एक रजाइb्र बनाउ◌ू◌ंगी बाबू मेरा भी
तो बहत
ु नकशान
ु हो गया । भFस क कमत आधी रह गयी । टट& ू सीग वाल& भFस कौन खर&दे गा ।
कवर
ु बहादरु -अभी कल रोपाई हईु तेर& भैस ने सारा खेत रaद डाल& । तमको
ु अपने नकशान
ु क @फक
है हमारे नकशान
ु क भरपाई काbन
े करे गा ?
कवर
ु बाबू क फटकार सनकर
ु नद ू आ गये और बोले बाबू दcखया
ु माई क भ2 स तो एक @कनारे से
भागी थी ।
दcखयामाई
ु -हां बाबू । मेर& भFस कोने से :नकल& थी और सड़क पकड़ ल& थी ।
नद-ू हां बाबू दcखयामाई
ु भFस को ललकारते हएु उसके पीछे Nीछे भाग रह& थी। दcखयामाई
ु भFस
हांकने के %लये अलग,बकर& हांकने के %लये अलग डडा रखती है पर बाबू आज उसक भFस आपके
खेत म2 पांव 3या रख द& बेचार& अपराध बोध के समदर म2 डब
ू गयी और बकर& चराने वाले डड2
को लेकर भैस के पीछे पीछे दौड़ रह& थी । आज ना जाने दcखयामाई
ु क भFस को ना जाने 3या हो
था @क आवाज सनकर
ु भाग रह& थी जब@क कछ
ु दे र पहले वह& भFस दcखयामाइb
ु ्र क एक आवाज
पर दौड़ी चल& आती थी ।धन क फसल क भां:त दcखयामाई
ु क भFस लहर लहर कर भाग रह& थी
शायद सींग टटने
ू क वजह से ।
कंु वरबहादरु -3यH रे 3या बात है नदआ
ु तू तो बड़ी तरफदार& कर रहा है दcखया
ु क । 3या कल से
दcखया
ु क जमीदार& जोतकर पेट पालेगा ?
नद-ू बाबू हम गर&बH के पास जमींदार& होती तो गर&बी क मट
ु ◌ी भर आग म2 3यH जलते मरते
रहते । बाबू हम गर&ब िजस बर&
ु हाल म2 जीवन Oबता रहे है उसके %लये आप भी िजQमेदार हो ।
कंु वरबहादरु -3या बकवास कर रहा है । दो अ^र तQ
ु हारे लड़के पढने 3या लगे @क तम
ु अपनी
औकात ह& भल
ू गये । नद ू बराबर& करने म2 अभी शदयां लगेगी ।
दcखयामाई
ु - बाबू ग?
ु सा थक
ू दो । मेर& भFस ने आपका धान नह&ं रaदा है BवLवास करो । ज0द& क
रोपाई है । तेज हवा क वजह से धान के रोप से कछ
ु धान के पौधे :नकल गये है वह& @कनारे लगे
है । ना मेर& और नह&ं @कसी दसरे
ू क भFस खेत म2 गयी है । खद
ु सोचH बाबू मेरे दरवाजा आपके
खेत म2 खलता
ु है । 3या मF अपनी भFस से आपक खेती चौपट करवाउ◌ु◌ंगी । आज तक कभा◌ी
ऐसा हआु है ।
नद-ु हां बाबू यकन करH दcखयामाई
ु ठZक कह रह& है ।
दcखयामाई
ु - बाबू मF तो भFस यह& पकड़ लेती सड़क पर नह&ं जा पाती पगहा तो उसक गद न म2 ह& था
। बाबू डर के मारे नह&ं पकड़ी @क कह& और तेजी से खींचाकर भागने । मेर& दशा ठाकर
ु जैसी न हो
जाये ।बेचारे ठाकर
ु क जान तो भFस का पगहा खींचाकर बंध जाने से हई
ु थी ना । बेचारे ठाकर

पहचानने लायक तक नह&ं बचे थे ।
47
कवरबहादर
ु ु मझे
ु -तम ु कहानी सनाकर
ु बेवकफ
ू नह&ं बना सकती हो दcखया
ु ।
नद-ु हां बाबू गर&ब लोग बेवकफ
ू नह&ं बनाते ।
कंु वर बाबू-नदआ
ु तू नह&ं बोल तो ठZक है ।
नद-ू बाबू गांव के जा:त-परजा:त के बहत
ु लोगH ने दे खा हF भFस आगे आगे दcखया
ु माई दौड़ रह& थी
। आवाज सनकर ु भFस घोड़े क रफतार से भाग रह& थी । बड़ी मिL ु कल से कई लोगो ने घेरकर
पकड़ा है । मालम
ू है दcखयामाई
ु भFस लेकर आ रह& थी @फर अचानक भFस Bवदक गयी और पे◌ाखर&
म2 चल& गयी दcखयामाई
ु का जान बच गयी है बाब।ू
कंु वरबाबू-बद कर अपनी बकवास नदआ
ु तम
ु सब सािजश रच रहे हो ।
दcखयामा
ु ई-कैसी सािजश बाबू । भला हम पेट म2 भख
ू दल म2 मरते सपने और बंटवारे म2 %मल&
मr
ु ठZ भर आग म2 सलगते
ु लोग 3या सािजश रचेगे ?
नद-ू माई दे ख तेरे पैर से खन
ू बह रहा है गहर& घाव है । @फटकर& हो तो घाव म2 भर लो । बाब◌ू

सनो
ु चाहे न सनेु मF अपनी बात कह कर रहंू गा । बाबू दcखयामाई
ु क हाल दे ख रहे हो आंखH म2
आसंू भरा हF पैर म2 शीशा फाड़ %लया भFस को पकड़ने के %लये भागते समय । उसके तन के व?$ क
हालत दे ख रहे है । जो भFस आपक तरफ मंह
ु करके चगाल&
ु कर रह& है वह& कछ
ु दे र पहले रणचडी
बनी हई
ु थी। घटा भर से अ"धक पानी म2 बFठZ रह& । दcखयामाई
ु पोखर& के @कनारे बैठे बैठे भै।स
को गा%लयां दे रह& थी । जब दcखयामाई
ु के गा%लयां का खजाना खम हो गया तब भFस पानी से
:नकल& है और दcखयामाई
ु के पीछे पीछे आकर दरवाजे पर खड़ी हई ु है । बाबू पशु भी समझदार
होते है । भFस क सींग टूट गयी है वह भी ग?
ु से म2 थी पोखर& के पानी म2 घटे भर बैठZ रह& जब
उसका ग? ु सा ठडा हआ
ु है तो खद
ु ब खद ु चलकर आयी है । भFस बांधकर दcखयामाई
ु ने बहत
ु मारा
है । दcखयामाई
ु पीट रह& थी भFस टकर ु ु दे ख रह& थी । दे खH भFस भी शमसार है जब@क उसक
ु ु -टकर
गलती नह&ं है । वह तो खटे
ू म2 बंधी थी Oबरछवा क भFस आकर हमला कर द& थी । वह तो
आमर^ा म2 भागी थी टट&
ू सींग लेकर ।
कंु वरबहादरु -नदआ
ु ऐसी ह& ते◌ेर& जबान चलती रह& तो तेर& सींग तो नह&ं तेर& जबान ज4र टटे
ू गी ।
कवरबहादर
ु ु दcखयामाई
ु क ओर 4ख करके बोले भFस पालने का शौक छोड़ दो सअर
ू पालो तQ
ु हारे
फायदे का सोदा है गांव क गदगी भी साफ हो जाया करे गी ।
नद-ु बाबू एक भFस ने पFर रख दया खेत म2 वह भी गलती से तो इतना लाल-पीला हो रहे हो
पGचीस पGचास सअर
ू खेत म2 चले जायेगे तब 3या होगा ?
कंु वरबहादरु - अपना मंह
ु बद रख नदआ
ु । िजस दन गांव के जमीदारH को ग?
ु सा आ गया न खड़ा
होने क जगह नह&ं %मलेगी । हं गना मतना
ू सब तो बाबू लोगH क जमीन म2 करते हो और जबान
क जगह तलवार चलाते हो । दे ख दcखया
ु अब कोई नकशान
ु न होने पाये तेर& भFस ने बहत

नकशान
ु कर दया । अगर अब कोई नकशान
ु हआ
ु तो मह&ने भर Oबना मजदर&
ू के काम करना होगा

दcखयामाई
ु कंु वरबहा◌ुदर क बात टकर ु ु सन
ु ु -टकर ु रह& थी । उसके हHठ जैसे %सल गये थे । आखH से
आसंू और पैर से खन
ू बह रहा था ।
कंु वर बहादरु क Oबजल& क तरह कड़कती आवाज सनकर
ु Oबसन
ु के पांव थम गये । वह दcख
ु यामाई
क झोपड़ी क ओर मड़
ु गया । दcखयामाई
ु क दशा दे खकर पछ
ू बैठा 3या हो गया भौजाई 3यH
48
आंखH से आंसू और पैर से खन
ू बह रहा है । कौन सी अनहोनी हो गयी क कंु वरबहादरु गरज रहे
है Oबजल& क तरह ।
कंु वरबहादरु -Oबसनवा
ु तमको
ु अनहोनी का इतजार है । दcखया
ु क भFस सारा धान चौपट कर द&
3या @कसी अनहोनी से कम है ।
Oबसन
ु -बाबू ये भी कोई अनहोनी है । दो पंूजा 3या उखड़ गये । आतंक मचा दया । गर&ब क दशा
नह&ं दे ख रहे हो । "च0लाये जा रहे हो । दे खो दcखया
ु भौजाई के पांव म2 @कतना बड़ा घाव है । अरे
गर&ब क आंसू का कोई मोल नह&ं आप जैसे बड़े लोगH क :नगाहो म2 । बाबू आप का एक पैसे का
नकशान
ु नह&ं हआ
ु है । हवा चलती है तो ताजे रोपे खेत म2 छटे
ु :छटके धान के पaधे @कनारे तो
आते ह& है ।
कंु वरबहादरु -नेता हो गया है 3या Oबसनवा
ु तू ब?ती का ?
Oबसन
ु -बाबू गर&ब के दद का एहसास आपको तो होगा नह&ं 3यH@क गर&बी तो आपने दे खी नह&ं हF
।दद का एहसास तो उसे ह& होता है िजसने दk का अनभव
ु @कया हो । बाबू आपको लगता है @क मF
नेता"गर& कर रहा हंू तो यह& मान ल&िजये ।
Oबसनु क बात ने कंु वरबहादरु के गले म2 जैसे गरम कोयला डाल दया हो । वह बौखला गये और

ु उलटे पांव भाग खडे हए
दे ख लेने क धमक दे ते हए ु ।
भैसं कंु वरबहादरु के धान के खेत मे◌े◌ं चल& गयी थी और बाबू कंु वरबहादरु बढ़&
ू दcखया
ु को बहत

बर&
ु बाते सना
ु गये @क खबर ल0लू दादा को कामराज बाबू क हवेल& लग गयी थी । वह काम
छोड़कर आ नह&ं सका था मजदरू कट जाने क वजह से । अंधेरा के पर&
ू तरह पांव पसारते ह& वह
झोपड़ी वापस आया । आव दे ख ना ताव लाठZ लेकर भFस पर Bपल पड़ा । दcखया
ु ल0लू को अपनी
कसम दे कर रोकने म2 कामयाब हो गयी ।
ल0लद
ू ादा अपने ग?
ु से पर Bवजय ाNत कर भFस को समझा◌ाते हए ु बोले तने
ू आज बहत ु बड़ी
गलती कर द& ना । जमीदार कंु वरबहादरु के खेत म2 चल& गया । तमको
ु पता है हम सामािजक
आ"थक गर&बH के बारे म2 । तेरे दध
ू दह& को भी ये बाबू लोग अपBवत मानते है 3यH@क तू एक
सामािजक और आ"थक 4प से गर&ब के खट2ू पर बंधी है । बाजार म2 भी जगह नह&ं है । @कतना दख

सहकर तमको
ु पाल रह& है ये बढया
ु तू है @क त:नक भी परवाह नह&ं करती। ये बाबू लोग तो हम
गर&बH क परछाई पड़ने तक को अपराध मान लेते है । तम
ु तो धान के खेत म2 पेर रख दया ।
पता है तमको
ु कंु वरबहादरु बढया
ु को @कतनी गां%लया दे गये है । अरे हम अपने पेट म2 4खी सखी

डालने के पहले तQ
ु हारा इतजाम करते है तू है @क आंसू दे रह& है । दे खा बढया
ू के आंख का आंसू
दद तो तू भी समझती है ना ।
दcखया
ु - हां बढउ
ु ये भFस भी समझती है दद । दे खH उसक आंखH से भी आसंू भरभरा पड़ा है ।
दcखया
ु भFस के %सर पर हाथ फेरने लगी । भFस दcखयामाई
ु का पांव चाटने लगी ।
नद ू और Oबसन
ु एक ?वर म2 बोले जानवर भी समझते है पर उमाद म2 डबा
ू आदमी कछ
ु नह&ं
समझ रहा है । काश खद
ु को बड़ा समझने वाले बाबू लोग शोBषत दcखयH
ु के दद का एहसास कर
पाते तो अयाचार क आंधी थम जाती ।
ल0लद
ू ादा- हां भइया पर बाबू लोगH को अयाचार से फ?
ु र◌
् ात नह&ं है । चल बढया
ु बतीजार कर
ले । घाव गहर& है । ठZक तो हो जायेगी पर कवर
ु बहादरु क द& गयी घाव तो◌े कभी नह&ं ठZक हो
49
सकेगी @कसी दवादा4 से । 3या तकद&र हो गयी है हम गर&बो क @क चहंु ओर से मr
ु ठZ भर भर
आग ह& %मलती है । 4ढ&वाद& Pयव?था nवारा परोसी आग म2 हम2 सलगते
ु रहना है । तू ठZक कह
रह& है जoम दे ने वाले बाबू लोगH से तो अ"धक समझती है ये भFस हम दcखयH
ु के दद को ।
11-ए2सीडे4ट
11-
फोन क घनघनाहट सनकर
ु %मसेज लाल चaककर फोन क ओर दौड़ पड़ी । फोन क घनघनाहट ना
जाने उहे 3यH अशभ
ु सी लग रह& थी । वे हड़बड़ायी सी कांपते हाथ से फोन का Sरसीवर उठायी
और लड़खड़ाती जबान से हे लो बोल& । दसर&
ू तरफ क हे लो क आवाज %मसेज लाल के कान को
जैसे चीर गयी । वे घबरायी सी हे लो हे लो 4ध2 कठ से @कये जा रह& थी । वे समझ गयी @क दसर&

तरफ फोन पर कोई और नह&ं उनके प:त %म लाल है । %म लाल क घबराहट भरे हे लो शiद ने उहे
@कसी अनहोनी क आशंका के घेरे म2 लाकर पटक दया । वे हQमत करके बोल& 3या हआ
ु । 3यH
घबराये हए
ु हो । कछ
ु तो बोलो परतु %म लाल के कठ से आवाज नह&ं :नकल रह& थी । बड़ी
मिL
ु कल से %म लाल बोले भागवान बहत
ु बरा
ु हो गया ।
%मसेज लाल-3या हआु अभी तो गये हो बीटया को लेकर ाइज लेने । 3या ो\ाम कF%सल हो गया

%म लाल-नह&ं ।
%मसेज लाल-तब 3या हआ
ु ? मेर& जान :नकल& जा रह& है । कछ
ु बताओगे ?
%म लाल-घबराओ नह&।
%मसेज लाल-हआ
ु 3या बताओ तो सह& ।
%म लाल-ए3सीडेट । _%मक कालोनी के अ?पताल म2 पहंु च गया हंू @कसी तरह आटो करके। आटो ने
दस 4पया क जगह पGचास 4पये @कराया वसल ू @कया है । अ?पताल वाले भी प%लसु का डर दखा
रहे है । कोई अननयु Bवनय तक को नह&ं सन ु रहा है । मF खड़ा नह&ं हो पा रहा हंू । बीटया

लहलहान
ू ु दद से तड़प रह& है । %स?टर दरोगा क तरह डांट रह& है ,कह रह& है । बडे अ?पताल
जाओ प%लस
ु केस करना है तो । फ?ट एड भी यहां नह&ं %मल रहा है । प%लस
ु कार वाई न करने के
%लये दबाव बना रहे है । ना जाने इसम2 अ?पताल वालH का कौन सा हत सध रहा है ।
%मसेज लाल प%लस
ु केस का बाद म2 सोचेगे पहले तो बोलो इलाज श4
ु कर2 । मै पहंु च रह& हंू । पैसे
का इतजाम करके ।
%म लाल-ठZक है । डा3टर तो कई है पर नस सनडे का बहाना कर कह रह& है अभी डां3टर है । नस

से प%लस
ु केस नह&ं करने क बात कहता हंू दे खो मान जाये तो ठZक है । तम
ु आओ तो बडे
अ?पताल ह& चलते है । ज0द& आओ ।
%म लाल पनः
ु नस के पास गये । इलाज Lु◌ा4 करने का अनरोध
ु @कये । नस अपने रवैया पर अड़ी
थी वह बोल& प%लस
ु केस है हम हाथ नह&ं लगा सकते । हम तभी इलाज श4
ु करे गे जब तम
ु प%लस

केस न करने का वचन दो और इस कागज पर द?oत करो◌े ।
%म लाल-ठZक है । लाइये द?खत कर दे ता हंू । इलाज श4
ु करो ।
इतने म2 डा3टर हािजर हो गये । झटपट मआयनाु @कये और बोले घबराने क बात नह&ं है । हsडी
नह&ं टट&
ू है । खरे ◌ा◌ंच क वजह से खन
ू बहा है । नस हां म2 हां %मलाती रह& । इतने म2 %मसेज
लाल आ गयी बीटया को लहलहान
ू ु दे खकर धड़ाम से "गर पड़ी ।
50
नस बोल&- 3यH इतना नाटक कर रह& हो मैडम । जरा सी चोट लगी है । मरहम पrट& हो गयी है
। डा3टर साहब ने दवा %लख द& है cखलाते रहना । दो चार दन म2 दौड़ने लगेगी तQ
ु हार& बीटया ।
तQ
ु हारे %म?टर को घाव तो नह&ं लगी है उहे झठमठ
ू ू क बेचन
ै ी है । यहां से घर ले जाओ । बढया
चाय बनाकर अपने हाथ से पीलाओ ठZक हो जायेगे । जहां घाव लगी हो वहां बरफ से सेकायी करते
रहना । सब ठZक हो जायेगा । इंजेकशन लग गया है ,दवा दे द& है । घर ले जाओ और आराम
करने दो । नस ने पांच सौ 4पये रखवा %लये िजसक कोई रसीद भी अ?पताल से नह&ं द& गयी और
न ह& डा3टर का परचा दया गया ।
@कसी तरह से %मसेज लाल बेट& और प:त को आटो Sर3शे म2 लादकर घर ले गयी । बाप बेट& के
ए3सीडेट क खबर पर&
ु कालोनी म2 फै◌ेल गयी । श3
ु लाजी,चौहानजी,शमाजी और जैनजी बाप बेट&
क हालत दे खकर तर
ु त आटो Sर3शा बलाये
ु और बाप बेट& को लेकर हsडी रोग Bवशेषt के पास
पहंु चे । बीटया को टे बल पर लेटर दया गया । डा3टर पहले बीटया का चेक अप @कये @फर
%म लाल का ।
श3
ु लाजी डां से पछे
ू डां3टर साहब फै3चर तो नह&ं है uk ।
डां %म?टर लाल को फै3चर नह&ं है पर घाव थोड़ी गहर& है । कछ
ु अद4नी चोट& भी है । पkह बीस
दन दवा लेनी पडेगी । बीटया को फै3चर तो है । ए3सरे के बाद ि?थ:त साफ हो जायेगी ।
ए3सरे आद करने म2 चार बज गये दो घटे के बाद Sरपhट आयी । फै3चर है । मामला साफ हो
गया । डा3टर तर
ु त कGचा Nला?टर करने म2 जट
ु गये । घटे भर म2 Nला?टर हो गया । हाथ धोते
हए
ु डा3टर साहब बोले %म लाल आप रे गलर
ु दवा लेते रहना । बीटया का Nला?टर तो हो गया है ।
बीटया को ठZक होने म2 मह&ना से अ"धक समय लग सकता है । बीटया को कमNल&ट बेडरे ?ट क
ज4रत है । प%लस
ु केस बनता है एफ आई आर ज4र दज करवा दे ना । गाड़ी नQबर तो नोट कर
%लया होगा ।
%म?टरलाल -हां ।
सनील
ु और जासन ?कूटर नQबर के आधार पर ए3सीडेट कर भागने वाले अपराधी
डी स3सेना,जनता 3वाट र,नदानगर का पता लग %लये पर प%लस
ु ने एफ आई आर न दज करने क
कसम खा ल& । %म लाल अपने ^े$ के थाने म2 जाते तो वहा कहां जाता @क िजस ^े$ म2 ए3सीडेट
हआ
ु वहां एफ आई आर दज होगी इस थाने म2 नह&ं । इस तरह %म लाल काफ भागदौड़ @कये पर
प%लस
ु इधर से उधर भगाती रह& । इसी बीच एक दन डी स3सेना %म लाल के घर आया और बोला
प%लस
ु केस मत करो मेर& शान माट& म2 %मल जायेगी । बीटया के इलाज के खच को खद
ु वहन
करने का वादा कर चला गया । दोगला डी स3सेना अपनी चाल म2 कामयाब हो गया । मह&ने भर
तक पैतरे बाजी करता रहा । कल 4पये दे जाउ◌ू◌ंगा परसH दे जाउं गा @फर अपनी बात से मकर
ु गया
। बोला हमने कोई वादा नह&ं @कया था । हम तो समाज सेवक है । सड़क पर चलते लोगH का खन

नह&ं बहाते । नगर सर^ा
ु स%म:त का सuय सद?य हंू । हमारे cखलाफ @कसी थाने म2
एफ आई आर दज नह&ं हो सकती । यह तो पता चल गया होगा ।
%म जैन-स3सेना धमक दे रहे हो । बीटया का पैर तोड़ दये डेढ मह&ने से खटया पर पड़ी है । तम

इलाज के खच को वहन करने का वादा @कये थे । एक पैसा आज तक नह&ं दये कैसे दगाबाज हो ।
51
बनते समाज सेवक हो 3या तQ
ु हारे जैसे ह& समाज सेवक होते है । ए3सीडेट करके भाग
जाते है । जब पकड़ म2 आते है तो पैतरे बाजी करते है । अरे कछ
ु तो शरम करो ।
स3सेना-मझ
ु से ए3सीडेट तो हआ
ु है । मF रात म2 जागता ह◌ा◌ं
ू समाज सेवा के %लये । चलती राह
मेर& आंख नीद क वजह से बद हो गयी । मेर& गाड़ी टकरा गयी । हो गया ए3सीडेट तो मF 3या
क4ं । जो तम
ु लोग कर सकते थे कर %लये । नह&ं %लखा गया एफ आई आर ना दे ख लो मF
3या कर सकता हंू ।

%म लाल- बडे दोगले आदमी हो तम
ु तो । आंख म2 धल
ू छोकना तQ
ु हे अGछZ तरह से आता है ।खन

से खेलते हो होल& और बनते हो समाज सेवक । 3यH समाज सेवकH का नाम खराब कर रहे हो
।समाज सेवा के नाम पर पाप कर रहे हो ।खन
ू बहाते हो उपर से धमक भी दे ते हो । दे खो पैसा
हाथ क मैल है । मै इलाज म2 कोई कोतहाई नह&ं बरत रहा हंू । ज4रत पड़ी तो बीटया को बड़े से
बड़े डा3टर को दे श के @कसी कोने म2 ले जाकर इलाज करवा सकता हंू । स3सेना तमने
ु खच वहन
का वचन दया था । अपनी जबान से मकर
ु रहे हो । ऐसा तो दोगले @क?म के लोग ह& कर सकते
है । अरे दSरदे तमने
ु अपनी गलती का ायिLचत कर लेते इतना मेरे %लये बहत
ु था । तमनेु मझे

धोखा 3यH दया । मेरा केस रिज?टड नह&ं होने दया । कैसे घटया इंसान हो ।तQ
ु हारे मंह
ु पर
जमाना थक
ू े गा । समाज सेवा का ढकोसला बद कर दो ।
%म स3सेना दे खो इjजत मत उतारो ।
%म शमा- तQ
ु हार& कोई इjजत भी है । मF तम
ु को अGछZ तरह जानता हंू ।तमने
ु प%लस
ु केस से बचने
के %लये षणय$ रचा था ।
स3सेना- कामयाब भी हो गया । तम
ु सब दे खते रह गये । चले जाना िजस अदालत म2 मरे cखलाफ
जाना हो । तQ
ु हारा अंगठा
ू तो हमने काट %लया । अब तो कह& एफ आई आर दज तो करवा नह&ं
सकते । कहते हएु दोगला अंगठा
ू दखाकर भाग :नकला । दोगले क करतत ू दे oकार सभी अवाक्
रह गये । डी स3सेना,जनता 3वाटर वाले ने बाप बेट& को ट3कर मारकर भाग गया । पकड़ म2 आने
पर इलाज का खच वहन करने का वादा @कया था पर ये तो उसका षय$ था । जब षणय$ का
पता आसपास के लोगो को लगा तो सभी मशBवरा दे ने के %लये जैसे उमड़ पड़े । कोई डी जी पी से
कोई एस पी से कोई @कसी और से %शकायत करने क मशBवरा दे ता । कोई कहता 3या थाने के
च3कर म2 पड़ना जान बची करोड़ो पाये । कोई बीटया को दआये
ु दे ता कहता भगवान करे मेर&
बीटया ज0द& चलने लगे । कोई कहता भगवान के घर दे र है अंधेर नह&ं इसका फल डी स3सेना को
ज4र %मलेगा । उसक टांग कट जायेगी । कोई कहता उसक कट& टांग म2 कड़े ज4र पड़ेगे ।
दे खना जoम दे ने वाले का जीवन हं सते जoम म2 Oबतेगा । दोगला बहत
ु शा:तर :नकला,भगवान दो
मंहु े क खशी
ु पर मr
ु ठZ भर आग ज4र डालेगे। सतोष करो लाल भईया भगवान तQ ु हारा सब दख

हर लेगा । वह& तQ
ु हारा खजाना भरे गा । %म लाल Sरसते जoम पर मलहम लगाने म2 मशगल
ू थे
और लोग डी स3सेना को बददआये
ु दे ने म2 ।
12-नेक'
द&द& दे खो ना । नहक को न जाने 3या हो गया ? आंख उपर नीचे कर रह& है । छr
ु ट& के दन भी
उनको फस
ु त नह&ं है । कह कर गये थे @क ज0द& आ जाउ◌ू◌ंगा पर अभी तक आये नह&ं । द&द&
कछ
ु ज0द& करो ना ट&लू क आखH से आसंू टपके जा रहे थे ।
52
पeु पा-ट&लू ,रो ना । अभी अ?पताल लेकर चलते है ।3यो परे शान हो रह& हो । बीटया रानी को
कछ
ु नह&ं होगा,कहते हए
ु %मसेज पeु पा आवाज लगान लगी । अरे सनो
ु जी नहा %लये 3या । दे खो
र&ता क तOबयत खराब हो गयी है । अ?पताल लेकर जाना होगा अभी। वकलभइया घर पर नह&ं है
। ज0द& करो ।
%मसेज पeु पा क पकार
ु पर द&नदयाल बाथ4म से बाहर आ गये ।
पeु पा-अरे ये 3या ? ब:नयाइन तो पहन %लये होते ।
द&नदयाल-इतनी मोह0लत तमने
ु कहां दया । ब:नयाइन :नकाल कर खट&
ू पर टांगा ह& था @क तमने

आवाज दे ना श4
ु कर दया । भला इतनी दे र म2 कोई नहा सकता है 3या @क मF नहा लंग
ू ा । कछ

मोह0ल तो दे दया करो,जब दे खो तब चढ& घोड़ी पर सवार रहती हो । खैर छोड़ो पहले तो बताओ
र&ता को 3या हो गया ।
पeु पा-कता
ु पायजामा पहनH । अब बाद म2 नहाना । पहले र&ता को अ?पताल लेकर चलो । सनडे का
दन है अ?पताल म2 कोई डा3टर %मलते है भी @क नह&ं । दे खो दे र मत करो । ट&लू बहत
ु रो रह& है
। र&ता क आंख उपर नीचे हो रह& है । मझे
ु बहतु डर लग रह& है । इतने बरसH के बाद तो एक
लडक पैदा हई
ु थी वह भी पो%लयो\?त । वकल बाबू और ट&लू बीटया को बहत
ु Nयार करते है ।
बड़े लाड़Nयार से पाल रहे है । पता नह&ं @कसक नजर लग गयी । कल तो चंगी भल& थी आज
अचानक न जाने 3या हो गया ?
द&नदयाल- झट से पायजामा कता
ु पहनता हंू । पहले डा3टर को र&ता को दखाते है । बाक काम
बाद म2 होगा ।
पeु पा-3या कर रहे हो । कब से पायजामा पहन रहे हो । ज0द& नह&ं पहन सकते 3या ?
द&नदयाल- भागवान कछ
ु तो समय लगेगा । नाड़ा तो बांध लेने दो ।
पeु पा- हे भगवान इतनी दे र पायजामा पहने म2 लग रहा है । उधर ट&लू जोर जोर से रो रह& रह& है
।लोग कहे गे कैसे पड़ोसी है । दखाते तो सगे जैसे पर बीमार लड़क को लेकर डा3टर के पास तक
नह&ं ले जा रहे ।
द&नदयाल-3यH परे शान हो रह& हो । चलो नीचे उतरो । ?कूटर क चाभी मेरे हाथ मे◌े◌ं है । पांच
%मनट म2 अ?पताल पहंु च जायेगे । र&ता को कछु नह&ं होगा ।
पeु पा-जब काम पड़ता है तब तQ ु हारा ?कूटर जबाब दे जाता है । फेको ?कूटर चलो भाग कर ।
समय बबाद हो रहा है । र&ता बेहोश हए
ु जा रह& है ।
द&नदयाल-चलो ?कूटर ?टाट हो गया । तम ु र&ता को लेकर ?कू टर पर बैठो । अ?पताल भत[ करवा
कर ट&लू को ले जाउ◌ू◌ंगा ।
पeु पा-ट&लू को सातवना दे ते हए
ु अ?पताल क ओर भागी । ट&लू मैडम "च0ला "च0ला कर रोये जा
रह& थी । आनन फानन म2 द&नदयाल अ?पताल पहंु चे ।
डा3टर साहब पड़ी फत[ ु से आपरे शन "थयेटर क ओर इशारा करते हए
ु भागे । इशारे से द&नदयाल के
हाथपांव फल ू गये । डा3टर साहब त:नक भर म2 कई मशीने लगा दये पर सब बेकार। आ3सीजन
लगा दये @फर माथा पकड़कर बैठ गये । द&नदयाल बेसुध पड़ी र&ता को :नहारे जा रहे थे @क कब
रो पड़े ।
डा3टर-द&नदयालजी आप मर&ज को ले जा सकते है । कछ
ु नह&ं हो सकता अब ।
53
द&नदयाल-3या ?
डा3टर-हां । बेबी मर चक
ु है ।
अ?पताल पास म2 होने क वजह से पडो◌़़ %सयH क भीड़ लग गयी । द&नदयाल शव लेकर चल पड़े ।
द&नदयाल के पीछे भीड़, रोती Oबलखती ट&लू मFडम और उहे सQभालते आंसू बहाते हए
ु पeु पा । ट&लू
मैडम तो पागल सी हो गयी । इकलौती सतान काफ मान मनौती के बाद पैदा हई ु थी शाद& के
काफ वष◌ा
` के बाद पो%लयो\?त । वह भी वल बसी । र&ता क परवSरश ट&लू और वकल भइया
बड़े लाड़ Nयार से कर रहे थे ।उहे इस अपंग बीटया पर बड़ा नाज था । र&ता गद न तो उठा नह&ं
पाती थी पर आसपास के लोगH को अGछZ तरह से पहचानती थी । %मसेज पeु पा को दे खकर वह
करवटे बदलने लगती थी । हाथ पांव पटकने लगती थी । उसके भाव को दे खकर %मसेज पeु पा
समझ जाती थी @क वह गोद म2 उठाने को कह रह& है । गोद म2 उठाते ह& वह मंह
ु पर एकटक
दे खती रहती थी । %मसेज पeु पा के भी आंसू नह&ं बद हो रहे थे । उनक आंख के सामने र&ता का
चेहरा बार बार उभर रहा था । %मसेज पeु पा छाती पर पथर रखकर ट&लू को समझाने का अथक
यन कर रह& थी । ट&लू थी क बयान कर-कर दहाड़ मार-मार कर रोये जा रह& थी । %मसेज पeु पा
ट&लू क दे खरे ख म2 लगी हई
ु थी और द&नदयाल @uयाकम करने क तैयार& म2 । द&नदयाल वकल
भइया के पSर"चतH को अपने बGचH को भेजकर बलवाया
ु दरू के पSर"चतH को @कसी दसरे
ू ◌ा◌ं का
हाथ जोड़ जोड़ कर बलवाये
ु । वकल भइया को बला
ु ने के %लये एक आदमी को दौड़ाये ।खद
ु अितम
सं?कार का इतजाम करने के %लये एक दो को साथ लेकर करने म2 जट
ु गये । कछ
ु दे र म2 काफ
लोग जट
ु गये पर वकल भइया के दरू के पSर"चत €ाइवर साद ने तो सार& हदे पार कर द& ।
द&नदयाल क बीटया काजल को डांटकर भगा दये । काजल से बोले तेरा बाप @कतना बेवकफ
ू है
ना जान ना पहचान तू मेरा मेहमान हर ऐरे गैरे के काम के %लये बलावा
ु भेज दे ता है । अरे उसक
अपाहज बीटया मर गयी तो कौन सी द:नया
ु उजड़ गयी । अGछा हआ
ु । द:नया
ु म2 ना जाने @कतने
रोज मरते है । वकल क अपाहज बेट& मर गयी तो कौन सा पहाड़ टट
ू गया । मेर& कोई जान
पहचान वकल से नह&ं है । मेरे और भी काम है । जा कह दे ना अपने बेवकफ
ू बाप से । अरे खद

मसीबत
ु म2 डब
ू रहा है । दसरH
ू क मसीबत
ु म2 3या ज4रत है कदने
ू क । बड़ा भला मानष
ु बनता है
। घर म2 खाने का इतजाम नह&ं चला है नेक करने । खद
ु क घरवाल& का दख
ु दद ठZक से दे ख
नह&ं पा रहा है । समाज को बदलने का जैसे ठे का ले %लया है । भाड़ म2 जाये ऐसी जनसेवा । बेचार&
काजल रोते हए
ु वापस आ गयी । वकल भइया क बीटया र&ता क मययत
् म2 €ाइवर साद नह&ं
सर&ख हआ
ु । कह& घमने
ू चला गय । खैर साद नह&ं आया । वकल भइया क मत ृ बेट& को
दफना दया गया ।
द&नदयाल वैसे ह& %मसेज पeु पा क असाbय बीमार&,खद
ु क बीमार& और आ"थक तंगी से $?त थे।
दवा का इतजाम भी बडी मिL
ु कल से हो रहा था । बGचे कपड़े लते को रतस रहे थे ।गांव म2
पSरवार के लोग नाराज थे 3यH@क म:नआडर नह&ं कर पा रहे थे । सार कमाई दवाई पर ?वाहा हो
रह& थी । द&नदयाल के Bपताजी पर&
ू ब?ती वालH के सामने कहते बेटवा ससरा
ु शहर म2 मजा कर
रहा है । गांव म2 हम सत[
ु बीड़ी के %लये न?तवान हो रहे है । बीबी बGचH को साथ म2 रखा है भला
इस गांव म2 उसका कौन है । 3यH करे गा म:नआडर । जब@क द&नदयाल जो कछ
ु हो जाता ज4र
भेजते थे । द&नदयाल अपनी दयनीय दशा को वैसे ह& उजागर नह&ं होने दे ते थे जैसे नवयौवना
54
अपने तन के तार-तार व?$ से अपने अंग को ढकती हो । द&नदयाल खद
ु के पSरवार का खच
उठाने म2 द3कत महसस
ू कर रहे थे । इसी बीच वकलभइया के पSरवार का भार आ गया । आने
जाने वाले◌ा◌ं के चाय नाLता,भोजन तक क इतजाम करना पड़ता । वकल भइया के मसीबत
ु को
अपनी मसीबत
ु मानकर द&नदयाल और पeु पा सारा भार वहन कर रहे थे । बीटया के मरते ह& ट&लू
तो पागल जैसी हो गयी थी । पड़ोस म2 एक लड़क पैछा हआु उसे अपनी बीटया का पन
ु जम
मानकर उसे लेने दौड पड़ती । तंगी के बोझ तले दबे द&नदयाल हQमत नह&ं हारे पर&
ू तरह से मदद
@कये । वकल के पSरवार का खाना द&नदयाल के घर ह& बनता । पeु पा और द&नदयाल ने सगH से
बढकर वकलभइया के बरेु व3त काम आये । द&न दयाल खद
ु इतने दखी
ु थे @क दसरH
ू के दख
ु म2
काम आना उनक कमर टटने
ू जैसा था । द&नदयाल क इनकम अ"धक न थी । वे एक कQपनी म2
मामल&
ू से मलािजम
ु थे । छोट& सी तनoवाह थी। पनी के चार चार आपरे शन का दद भोग चक
ु े थे।
इसी बीच बाप का आपरे शन, इसके बाद वकल भइया क मसीबत
ु द&नदयाल के %लये @कसी सनामी

से कम न थी । घर म2 खाने के %लये अन क कमी उपर से एक और पSरवार का खच पर अपनी
द3कतH का एहसास त:नक भी वकलभइया को नह&ं होने दया । वकल भइया मान%सक 4प से
परे शान रहने लगे वे शहर छोड़ने का फैसला कर %लये । पड़ो%सयो के ,द&नदयाल और पeु पा के लाख
समझाने के बाद भी मानने को तैयार न थे । द&नदयाल और वकलभइया म2 दरू दरू तक कोई
SरLता नह&ं था । द&नदयाल और पeु पा को दे वदत
ू कहते वकलभइया और ट&लू न थकते थे ।
वकलभइया और द&नदयाल जा:त Oबरादर& से भी एक ना थे । द&दयाल इंसा:नयत के पजार&
ु थे ।
इंसा:नयत का धम :नभाना द&नदयाल को अGछZ तरह से आता था । वकल साहब दसरे
ू शहर चले
तो गये पर उहे नया शहर रास नह&ं आया । वे वापस आ गये कछ
ु मह&नH के। द&नदयाल खद

@कराये के घर म2 रहते थे । घर बहत
ु छोटा था इसके बाद भी आ_य दये । दो दन म2 वकलभइया
के %लये @कराये का घर ढढू %लये । वकल भइया ट&लू के साथ अपने @कराये के घर म2 रहने लगे ।
यह घर वकल भइया के %लये भाwयशाल& साOबत हआु । उनका काम चल पड़ा । वे तर3क क राह
पर दौड़ पड़े । कामयाबी पर ट&लू मैडम को गमान
ु होने लगा । द&नदयाल और उनका पSरवार जो
साल भर पहले उनके के %लये दे वता समान था । अब उहे उनम2 खोट लगाने लगी । वे ट&लू मैडम
क नजर म2 छोटे हो गये । द&नदयाल क नेक का ट&लू मैडम के %लये कोई मोल न रहा ।
ट&लू मैडम के %लये €ाइवर साद उनका पSरवार,ढकोसलबाज तेगवहादरु और उसक घरवाल& मंथरा
Bय हो गये । ये वह& साद थे जो ट&लू मैडम क बेट& र&ता के जनाजे म2 शा%मल होने से मना कर
दये थे । ट&लू मैडम साद क घरवाल& ल%लता क बातH पर कछ
ु अ"धक BवLवास करने लगी ।
साद और ल%लता दसरे
ू ◌ा◌ं के अGछे SरLते उहे पसद नह&ं थे । वे हर हाल म2 Oबगाड़ने का
षणय$ रचते अततः कामयाब भी हो जाते । हां बाद म2 भले ह& लोग उनके मंह
ु पर थक
ू दे उसक
त:नक परवाह न करते । ल%लता जब वे दसरH
ू के अGछे सQबध म2 दरार डालने म2 कामयाब नह&ं
हो पाती तो राखी बांधकर 4र Oबलगाव पैदा कर दे ती । खद
ु अGछZ और दो पSरवार को एक दसरे

का दLु मन बना दे ती । उसके Pयवहार म2 दखावा कटकट
ू ू कर भरा हआु था । ल%लता के षणय$
का %शकार होकर ट&लू मैडम द&नदयाल के नेक को Oबसार कर नेक म2 खोट खोजने लगी । जहां दो
चार औरते इ3rठा होती दे वता समान द&नदयाल और उनक पनी पeु पा क बराई
ु करने म2 त:नक
भी न चकती
ू । वकल भइया ने भी आना जाना बद कर दया । पeु पा मह&ने भर अ?पताल म2
55
मौत से संघषरत ् थी पर ट&लू मैडम, न वकल भइया ,न ल%लता और न साद दे खने भर को
तो न हए
ु । हां Bवपित के दनH म2 भी द&नदयाल क राह म2 मrु ठZ भर-भर आग Oबछाने से न चक ू े
। एक दन राह चलते ट&लू मैडम से %मसेज क0यानी क मलाकातु हो गयी । ट&लू मैडम %मसेज
क0यानी को दे खकर बोल& कहां से आ रह& हो भाभी बड़ी ज0द& ज0द& । 3या बात है बहत
ु ज0द& म2
हो ?
%मसेज क0यानी - अ?पताल से आ रह& हंू पeु पा को दे खकर मह&ने भर से अ?पताल म2 पड़ी है ।
द&नदयाल भइया बड़ी मसीबत
ु म2 हF ।
ट&लू मैडम- मर तो नह&ं रह& है uk ?
%मसेज-क0यानी 3या कह रह& हो ट&लू ?
ट&लू मैडम-ठZक कह रह& हंू । मेरे उपर उसका बहत
ु एहसान है uk ?
%मसेज क0यानी-एहसान है तो बेचार& मह&ने से अ?पताल म2 पड़ी है । बGचे भखे
ू Nयास दन काट
रहे है । जाकर अ?पताल दे ख आती । बGचे◌ा◌ं क दे खभाल कर लेती । अगर इतनी एहसानमद है
तो ।
ट&लू मैडम-भाभी ये सब मझे
ु नह&ं करना है ।
%मसेज क0यानी-मसीबत
ु म2 तो अपने ह& काम आते है । तQ
ु हार& मसीबत
ु म2 तो द&नदयाल भइया
और उनका पSरवार जी जान लगा दया था ।तम
ु तो कभी अ?पताल म2 नह&ं दखी।
ट&लमै
ू डम- भाभी हमे तो इतजार है उस दन का ।
%मसेजक0यानी-कौन से दन का इतजार कर रह& हो ।
ट&लमै
ू डम- िजस दन उसका बेटा मरे और मै उसके काम आउ◌ू◌ं । पर&
ू कालोनी जान गयी है ना
उसने मेरे साथ बहत
ु एहसान @कये है । एहसान चकाने
ु का मौका तो %मले । मेर& बीटया मर& थी
तो एहसान क थी ना । मF एहसान कर परेू शहर को बता दे ना चाहतीहंू । पहले वो ना उसका
बेटा मरे ता@क दे ख तो ले मेरे एहसान को ।
%मसेज क0यानी- ट&लू होश म2 तो हो । तम
ु नेक पर बदनेक क आग डाल रह& हो । अरे भगवान
से तो डरो । मF जानती हंू द&नदयाल भइया ने तQ
ु हारे %लये 3या @कया है । मF भी पड़ोस म2 ह& रहती
हंू । कोई दरू नह&ं रहती । खद
ु तकल&फ उठाये पर तमकोु तकल&फ नह&ं पड़ने दये अपने बGचH का
:नवाला तQ
ु हे दया । असाbय रोग से पीTड़ त पeु पा बहन ने रात दन एक कर दया । तQ
ु हारे खन

के SरLतेदार तो एक दन भी नह&ं दखे,मह&ने भर परा
ू पSरवार एक पांव पर खड़ा था । बेचारे
द&नदयाल भइया क नेक भल
ू कर बरेु क सोच रह& हो । पeु पा के बेटे क मौत क कामना म2 जट&

हो । जो दसरे
ू का बरा
ु सोचते है उनका बरा
ु पहले होता है । तमको
ु पता है @क नह&ं ट&लू ?
ट&लमै
ू डम- 3या ?
%मसेज क0यानी-सय कभी नह&ं हारता भले ह& परे शान हो जाये । तQ
ु हार& मसीबत
ु म2 जो कछ

द&नदयाल भइया और पeु पा भाभी ने @कया है । उसके बदले तमसे
ु उहे कोई चाह न थी । वे तो
हर @कसी के दख ु को अपना दखु मानकर आगे आ जाते है । उनके cखलाफ जो जहर तम ु बो रह& हंू
वह तQु हारे %लये घातक होगा । इसके %लये तQ
ु हे भगवान भी माफ नह&ं करे गा । हां द&नदयाल
भइया ज4र माफ कर दे गे । मेर& बात गठया लो । एक दन तम
ु ज4र द&नदयाल भइया के चौखट
पर माथा पटकोगी । अरे @कसी क नेक के बदले नेक नह&ं कर सकती तो बराई
ु क मr
ु ठZ भर
56
भर आग 3यH । नेक के बदले ऐसा %सला 3यंू ट&लू ? द&नदयाल भइया तो कहते है नेक करो
पर नेक के बदले को चाह न रखो । आज के जमाने म2 जब लोगो को आग बोने से फस
ु त नह&ं है
,द&नदयाल भइया जैसा कोई आदमी तो है नेक क राह पर चलने वाला । दसरH
ू के दख
ु म2 काम
आने वाला ।
ट&लू मैडम- 3या ?
%मसेजक0यानी- हां । मानवता क राह पर चलने वालH क राहो म2 फल
ू Oबछाने चाहये मr
ु ठZ भर
भर आग नह&ं । @कसी क नेक Oबसारना महापाप है ।
ट&लू मैडम-मै ल%लता और मंथरा भाभी के बहकावे म2 आ गयी थी ।वे कहती थी ठोटे लोगH क
सोहiबत से दरू रहना चाहये ।
%मसेजक0यानी- 3या ? द&नदयाल भइया इतना बड़ा आदमी तो तQ
ु हे इस जम म2 तो नह&ं %मलेगा ।
अरे आदमी पद दौलत और जा:त से बड़ा नह&ं होता ।आदमी तो सmकम और नेक हौशले से बड़ा
होता है । द&नदयाल भइया भले ह& जा:त से छोटे हो पद और दौलत से छोटे हो पर वे बहत
ु बड़े
आदमी है ट&लू । आदमी को समझना सीखो । नेक क बदले हं सते जoम दे ना अगला जम
Oबगाड़ना है ।
ट&लमै
ू डम- गलती का एहसास हो गया है मझे
ु द&द& । मF ायिLचत क4ंगी । भइया और भाभी का
पांव पकड़कर माफ मांगूगी कहते हए
ु अ?पताल क ओर भागीं जहां पeु पा मौत से यb
ु दरत ् थी।
13-समाचार
साल भर क कमरतोड़,आंखफोड़ पढाई का फल छा$H नतीजे के 4प म2 %मलता है । यद इन भिeय
के वैtा:नकH,BवnवानH,उnयोगप:तयH,राजनेताओं, सै:नकH एंव समाज सधारकH
ु के भBवeय के साथ
cखलवाड़ लाभबस होता है तो यह cखलवाड़ भBवeय म2 सामािजक,आ"थक, एवं राey&य हत पर सनामी

के कहर से कम न होगा । सबह
ु पर&^ा थी, रामू पर&
ू रात तैयार& म2 जटा
ु रहा । @कशन के
मा:नगव
 ाक बाहर :नकलते ह& @करायेदार काशबाबू का बेटा रामू बाहर आ गया । रामू को दे खकर
@कशन बोले रामू अखबार का इतजार कर रहे हो 3या ?
रामू-नह&ं अंकल । कल पेपर है । अखबार पढने का समय का है । पर&^ा क तैयार& कर रहा हंू ।
@कशन-तैयार& अGछZ चल रह& है uk ।
रामू-हां अंकल । अPवल आना है तभी uk पापा साइ@कल दलवायेगे ।
@कशन-ज4र अPवल आओगे । पढाई करो ।नतीजा अGछा आयेगा बेटा ।
रामू-अंकल परेू साल से कर रहा हंू ।
@कशन-केk कहां है ।
रामू- अपनी ह& कालोनी म2 । आने जाने म2 परे शानी नह&ं होगी ।
@कशन-ये भी अGछZ बात है । तमको
ु jयादा दे र तक पढने का समय %मल जायेगा । बेटा तम
ु पढो◌े
। मF मा:नग वाक् कर लंू ।
रामू-जी अंकल ।
@कशन- बे?ट आफ लक बेटा ।
रामू- थFक यू अंकल।
57
रामू मा:नग वाक् से ज0द& लौट आये और वे भी अपनी बीटया को पर&^ा केk छोडने चले गये
जो दरू था ।बीटया उषा दसवीं क छा$ा थी । उषा को पर&^ा केk छोड़कर @कशन घर भी नह&ं
पहंु च पाये । कालोनी प%लस
ु छावनी बन चक
ु थी । पथरबाजी दे खकर दल दहल गया । बचते
बचाते @कशन घर तक तो पहंु चा पर प%लस
ु क ललकार सनकर
ु आगे बढ गया । @कशन का बेटा
कमार
ु बाट जोह रहा था । पापा को घर के सामने से जाता हआ
ु दे खकर पापा पापा "च0लाते
पीछे पीछे दौड़ लगा दया । आगे बढकर प%लस
ु के एक जवान ने @कशन को रोका ।
प%लस
ु के रोकने पर @कशन 4क गया । वह हQमत करके बोला 3या हं गामा है ये । अपने घर म2
भी नह&ं घसने
ु दया जा रहा है । 3या आफत है । 3या हो गया कालोनी म2 आधा घटा पहले तो
ऐसा कछ
ु नह&ं था ।
प%लस
ु जवान-दे ख नह&ं रहे हो दं गा हो गया है ।
@कशन-दं गा 3यो हो गया ?
जवान- ऐन व3त पर पर&^ा केk बदल गया है । इस%लये
तब तक हांफते हए
ु कमार
ु पहंु च गया और @कशन से बोला पापा घर चलH मQमी परे शान हो रहा है
। कमार
ु डरा सहमा थर-थर कांप रहा था ।दं गे का खौफ उसक नजरH के सामने घम
ू रहा था । वह
नहा सब कछ
ु अपनी आंखH से दे ख चका
ु था । उसे डर था @क कह&ं कोई पथर उसके %सर न फोड़
दे । वह @कशन का हाथ पकड़कर घर चलने क िजद पर अड़ गया ।
@कशन-बेटा ?कूटर पर बैठो । अंकल से बात कर लंू । घर ह& चलंूगा ।
कमार
ु -पापा कोई पथर मार दे गा।
@कशन-नह&ं बेटा ये अंकल है uk । पथर मारने वालH को पकडने के %लये ।
कमार
ु - अंकल जैसे तो बहत
ु लोग थे । दे खो न बस को कंू च डाले।
@कशन- कछ ु नह&ं होगा अब । प%लस
ु अंकल लोग आ गये है uk ।
इतने म2 तेज धमाका हआ
ु । कमार
ु रोते हए
ु बोला पापा अब घर चलो । दे खो बस पर पथरबाजी
श4
ु हो गयी । सभी लोग अपने अपने घरो के अदर है । कमार
ु क िजद के आगे @कशन को
झकना
ु पड़ा । वे अपने घर वापस आ गये । ?कूटर धड़ा कर दं गा?थल ओर जाने लगी । इतने म2
उनक धमपनी गीता डपटकर बोल& कहां जा रहे हो जी । दे ख रहे हो चारो ओर से पथरबाजी हो
रह& है । 3यो %सर फोड़वाने जा रहे हो । इतने म2 कछ
ु लड़@कयां द&वार क ओट म2 रोती हई
ु दखाई
पड़ गयी। @कशन लड़@कयH के पास गये पछे ू बेट& 3या हआ
ु ।
एक लड़क आसू पोछते हएु बोल& पर&^ा केk बदल गया हम तो पर&^ा दे ने आये थे । यहां तो
%सर फट
ू गया । कई लड़के लड़@कया अ?पताल जा चकु है । पर&^ा केk कहां है ।
@कशन-पर&^ा केk बदलने क सचना
ू तो पहले %मल गया होगी ।
लड़क - नह&ं अंकल अभी पता चला है । कोई कह रहा है नदाकालोनी म2 है तो कोई कह&ं और बता
रहा है ।
कछ
ु सरकार& अफसर भी आ गये । कछ
ु पर&^ाथ[ जा चक
ु े थे । कछ
ु अ"धकाSरयH को उQमीद भर&
:नगाहH से दे ख रहे ता@क पर&^ा टल जाये । दस %मनट के बाद %श^ा अ"धकार& भी आ गये ।
पालक और पर&^ाथ[ LनH क झड़ी लगा दये । एक आदमी ?पeट शiदH म2 बोला साहब 3या यह
feटाचार का केस नह&ं है । ले दे कर पर&^ा केk बदला गया हो ।
58
%श^ा अ"धकार& महोदय अनु तर हो गये ।इतने म2 अपर कले3टर साहब आ गये । ?कूल के
संचालक को बलवाये
ु । आपस म2 कछ
ु बातचीत @कये । थाने चलो कह कर अपर कले3टर साहब
आग बढे @फर 3या गाTड़ यH का का@फल चल पड़ा अपर कले3टर साहब के पीछे पीछे । बच गये कछ

घायल पर&^ाथ[ और टट&
ू बस2 । @कशन भीड़ के छं टते ह& बस के पास %ससकती लड़@कयH से बात
करने लगे ।इतने म2 पड़ोस वाला ओमजी आ गये बोले भाई साहब 3या एकटक :नहार रहे है ।
@कशन-कराहता हआ
ु भBवeय ।
ओमजी-भाई साहब जब तक feटाचार है तब तक सार& कराहे जवां रहे गी । आओ घर चले । इनते
म2 एक प$कार महोदय आ गये । प$कार महोदय आuोश का %शकार हई ु बस का फोटो कई ऐंगल
से खीचने लगे । कछ
ु दे र म2 प$कार महोदय भी अपनी िजQमेदार& पर&
ू कर चले गये । ?कू ल के
पास कछ
ु प%लस
ु जवानH के साथ कोई नहा था । कछ
ु घटे पहले जहां दं गा हो रहा था । लोगH का
तांता लगा हआ
ु था । अब वहां पर&
ू शाित थी । @कशन अपने काम पर चले गये । कछु ह& दे र म2
@कशन के पSर"चतH ने ने फोन लगाना ऐस श4 ु @कया क फोन क घंट& बद होने का नाम ह&
नह&ं ले रह& थी । गीता जबाब दे दे कर परे शान हो गयी । सब एक ह& बात कहते भाई साहब को
फोटो अखबार म2 दे खा है इस%लये फोन @कया है । भाई साहब आये तो ज4र बताना हमारा फोन
आया था । _ीमती गीता फोन क घट& से परे शान तो थी पर मन म2 खशी
ु भी थी प:तदे व का बड़ा
फोटो अखबार म2 जो छपा था । वे उधेड़बन
ु म2 थी @क कह&ं बड़े साहब तो नह&ं हो गये पर दसरे
ू पल
उनक खशी
ु पर व{पात हो जाता सोचती उनक @क?मत म2 कहां । यद @क?मत म2 होती तो कब
के बड़े अ"धकार& हो गये होते पर कछ
ु लोगH क कागदिe
ु ट उन पर ऐसी पड़ी क बड़ी-बड़ी Tड\ी के
बाद भी 3लक क नौकर& भी चैन से नह&ं कर पा रहे है । भेद क द&वार खड़ी करने वाले Sरसते
जoम खरचते
ु रहते है । भला अ"धकार& कैसे बनने दे गे । अपने पास कोई बड़ी पहंु च भी तो नह&ं है
।दसरे
ू पल कोई अनहोनी का डर सताने लगता । काफ माथा पGची के बाद दफतर म2 फोन लगा द&
। संयोगबस @कशन ने ह& फोन उठाया _ीमती गीता आवाज पहचन कर बोल& 3यH जी तर3क हो
गयी 3या ?
@कशन-कहां से समाचार %मला ।
_ीमतीगीता-सच आप साहब बन गये आप । आज मF बहत ु खश
ु हंू ।
@कशन-कहां से समाचार आप तक पहंु च गया । मझे
ु तो कछ
ु पता नह&ं ।
_ीमतीगीता-द:नया
ु जान गयी । आपको पता नह&ं ।आपके जाते ह& सभी जानने वालH के फोन आने
का %सल%सला अभी तक जार& है ।
@कशन-3या ?
_ीमतीगीता-हां । सभी आपक फोटो छपने का समाचार बता रहे थे ।
@कशन-सबह
ु वाले अखबार म2 तो कछ
ु नह&ं छपा है ।
_ीमतीगीता-अरे दोपहर का कोई बड़ा अखबार है । दे खो अखबार घर लेकर आना और कम से कम
पाव भर रसमलाई ज4र लाना ।
@कशन-ठZक है । अब फोन रखो । Oबल बढ रहा है ।
_ीमतीगीता-चहकते हए
ु बोल& बाय बड़े साहब ।
59
@कशन @कसी अनहोनी के डर म2 भयभीत होने लगा । बड़ी मिL
ु कल से दफतर से सरज
ू डबने

के बाद :नकल पाया । अखबार क दकान
ु पर पहंु चा । सभी लोग @कशन को घरू -घरू कर दे ख रहे थे
। वह समझ ह& नह&ं पा रहा था @क असल माजरा 3या है ?
दकान
ु वाला मोड़कर अखबार @कशन क ओर बढाते हए ु बोला लो साहब आप इसे खोज रहे है ना ।
@कतनी बड़ी फोटो छापी है अखबार वाले ने आपक । साहब द&िजये एक 4पया ।
@कशन पाकेट से एक 4पया :नकाला अखबार वाले के हाथ पर रखा । अखबार %लया अखबार का
पहला पना खोलते ह& होश उड़◌़ गये। खड़े @कशन और और जाते हए
ु ओमजी क फोटो अखबार
नवीस ने बड़ी बार&क से खींची थी । फोटो दे खने पर ऐसा लग रहा था @क असल& दं गाई @कशन ह&
हो और ओमजी कछ
ु दरू भागते नजर आ रहे थे । िजQमेदार प$कार असल& बराई
ु से कोसो दरू थे ।
त?वीर के नीचे छपा था ubु द भीड़ और ?कूल क ^:त\?त बस । उखड़े पांव @कशन घर पहंु चे ।
_ीमतीगीता होठो पर म?ु कान %लये दरवाजे पर खड़ी %मल& । @कशन अखबार हाथ पर रखते हए ु
बोले ये हं सते जoम ।
_ीमतीगीता-बाप रे समाचार ने तो मेर& खशी
ु पर मr
ु ठZ भर आग डाल दया ।

14-नेक' बना अ6भशाप



अ:तBपछडे छोटे से गांव म2 दरkता के दलदल म2 धंसा माधव रहता था । वह अपने भाई भतीजH को
खशहाल
ु बनाने के %लये गांव के जमीदार कंसबाबू का बंधआ
ु मजदरू बन गया था । माधव का याग
सफल हो गया,उसका बड़ा भाई केशव कलकते म2 नौकर& करने लगा । सबसे बड़ा भाई राघव केशव
क ससराल
ु म2 वाSरस न होने क वजह से चारो भाईयH के नाम रिज?y& हई
ु पांच बीघा जमीन पर
खेती करने लगा था। माधव का सबसे छोटा भाई उधम तो बचपन से कछ ु अंवारा @क?म का था वह
भी गांव से शहर जा बसा । माधव अपने और पSरवार के ?वcणम कल के सपने खल&
ु आंखH से
दे खने लगा । कछ
ु बरस म2 ह& केशव और उसक घरवाल& कजर& क :नय:त म2 खोट आ गयी ।
कजर& पांच बीघे खेत से उपजे क
ु टलH अनाज से एक दाना और केशव क कमाई से पैसा भी न
दे ने क कसम खा ल& । अब 3या माधव पर व{पात हो गया । राघव अपने सगे भाई केशव का
मजदरू होकर रह गया । केशव और उसक पनी कजर& पर लोभ का भत
ू सवार हो गया जब@क
औलाद के नाम पर बस एक कया थी । केशव वह& भाई था िजसके गणगान
ु करते राघव और
माधव नह&ं थकते थे । राघव ने तो केशव के गणगान
ु म2 बना डाला था । जहां चार छः लोग
इ3rठा हये
ु @क राघव गाने लगता था ।
भइया हो तो बस अनपे केशव जैसा
अपना केशव तो चांद जैसा ।
uk आये आंच कभी SरLते पर अपने
बना रहे Nयार सदा सच होवे सपने ।
भईया का Nयार करे खशहाल

केशव क खशी
ु पर पSरवार :नहाल ।
भईया केशव भययपन
् का सरताज,
?वाथ के यग
ु म2 ऐसा भाई कहां %मले आज ।
60
राघव और माधव का गमान
ु केशव क दगाबाजी के सामने नह&ं टक सका । केशव और उसका
दमाद भु जो कचहर& म2 मलािजम
ु था सािजश रचकर स$ह साल परानी
ु रिज?y& नोट के बडल
परोस कर रmद करवा %लया । चपक
ु े चपक
ु े केशव सार& जमीन अपनी इकलौती बेट& के नाम करवा
%लया । @कसी को भनक तक न लगने द& । कई बरसH के बाद राघव को दाल म2 कछ
ु काला लगा
वह छानOबन करने लगा । इसक भनक भु को लगी वह सािजश से परदा हटता दे खकर राघव को
रा?ते से हटा दया और इ0जाम राघव के माथे मढ दया गया आमहया का ।
राघव क घरवाल& बहत
ु बरस पहले उससे नाता तोड़कर मायके जा बसी थी नवजात %शशु उजाला
को माधव क चौखट पर फ2क कर। । माधव क नवBववाहता घरवाल& धनर& ने भेड़ बकर& और
oु◌ाद तक क छाती चटाकर उजाला को पाल पोष ल& । राघव के मरते ह& बंधवा
ु मजदरू माधव क
जैसे भजाय2
ु कट गयी । वह बेसहारा हो गया । मिL
ु कलH के समय म2 कोई सहारा दे ने वाला न रहा
। पैतक
ृ घर पर पSरवार वालH का कiजा हो गया । माधव और उसके बGचH के◌ा %सर :छपाने क
जगह न बची। जमींदार का हाथपांव जोड़कर वह ब?ती से कछ
ु दरू गांव समाज क जमीन पर मड़ई
डालकर बसर करने लगा ।
गर&बी के दलदल म2 फंसे माधव को उबरने का कोई रा?ता दरू दरू तक नजर नह&ं आ रहा था ।
बेचारे माधव के पास तंगी, भ%मह&नता
ू , रोजी रोट& का कोई पo
ु ता इतजाम नह&ं । दन भर जमीदार
के खेत और चौखट पर हाड़फोड़ने क दो सेर मजदर&
ू इसके बाद भी माधव ने हार नह&ं माना ।
उजाला को अपने बड़ा बेटा माना उसे पढाने %लखाने म2 जट
ु गया जब@क वह खद
ु लाख दख
ु भे◌ाग
रहा था । माधव के याग से उजाला आठवीं जमात का इQतहान भी पास कर %लया । माधव उसे
आगे पढाना चाहता था पर ना जाने 3यंू उजाला माधव और उसके पSरवार को सांप क तरह
फफकारता
ु रहता था । धनर& इतनी सतोषी औरत थी @क उजाला क हर गलती माफ कर दे ती
कहती बेटा पढाई पर bयान दो आगे बढो । अपने बGचH क तरफ इशारा करते कहती अपने भाई
बहनो को तQ
ु हे हा आगे ले जानस है । बेटा हम तो अपनी औकात के अनसार
ु तमको
ु कोई तकल&फ
नह&ं पड़ने दे रहे है । अगर कोई दख
ु तकल&फ पड़ रहा है तो बेटा इसम2 हमार& कोई गलती नह&ं है ।
तुम तो अपने काका क कमाई दे ख ह& रहे हो । हमारा सपना है @क तम
ु पढ %लखकर साहे ब बनो ।
बेटा हम गर&ब का मान रख लेना । उजाला माधव और धनर& के याग को कभी भी नह&ं माना ।
वह ब?ती वालो से कहता मेर& मां छः दन का छोड़कर भाग गयी तो काका काक को मझे
ु नह&ं
पालना था फेक दे ना था । क
ु ते Oब0ल& खा गये होते । धनर& के कान तक ये बाते पहंु चती को तो
वह घटो रोती पर माधव से कछ ु ना कहती । माधव तो भोर म2 जमीदार क चौखट पर हािजर&
लगाकर काम म2 लग जाता । पर&
ू ब?ती सो जाती तब वापस आ पाता । आठवीं का Sरज0ट आया
ह& नह&ं उसके पहले उजाला शहर भाग गया । शहर म2 एक कQपनी म2 नौकर& करने लगा और बाक
ं का काम सीखने लगा। कछ
समय म2 डाई-मे@कग ु मह&नH म2 उजाला एक कामयाब %म?$ी बन गया ।
अGछा पैसा कमाने लगा । बड़ा %म?$ी बन गया ।उसक कामयाबी के चच` परेू शहर म2 होने लगे थे
। उजाला अपनी कामयाबी क खबर से माधव को कोसो दरू रखा । माधव को जब कभी "चrठZ
उजाला %लखता तो बस यह& %लखता @क कामधाम नह&ं चल रहा है मF बीमार हंू । उजाला के बीमार&
क खबर सनकर
ु माधव और धनर& रो उठते । बड़ी मिLु कल से अतदेशीय खर&दते उजाला को
"चrठZ %लखवाते बेटा कछ
ु दन के %लये घर आ हवा पानी बदल जायेगा तो तQ
ु हार& सेहद सधर

61
जायेगी । उजाला के दल म2 तो BवLवासघात था उसे "गर"गट क तरह रं ग बदलने भ%लभां:त
आता था । मां बाप क है %सयत से माधव और धनर& "चितत रहते । शहर गये उजाला को कई
बरस Oबत गये पर वह कभी गर&ब माधव क ओर नह&ं दे खा एकाध बार गांव गया भी तो आLवासन
के अलावा और कछ
ु नह&ं दया ।
उजाला के ससराल
ु वाले गौने दे ने के %लये माधव पर जोर दे ने लगे । माधव ने उजाला का iयाह
तीन चार साल क उq म2 ह& कर दया था । माधव उजाला के गौना क दन तार&ख प3क कर
"चrठZ %लखवा दया । गौना चार दन पहले उजाला आ गया । इस बार काका काक और छोटे भाई
बहनH को कपड़े भी लाया और माधव के हाथ पर सौ 4पया भी रख दया । माधव को तो जैसे
द:नया
ु क दौलत %मल गयी । वह इस खशी
ु के आगे गौने के खान खच के %लये जमीदार से उधार
को एकदम से भल
ू गया । 3यो न भलता
ू उजाला ने जो कहा था काका तम
ु "चता ना करो सब
दख
ु दरू हो जायेगा । भतीजे के इस शiद ने तो और अ"धक दख
ु सहने क शि3त जैसे दे द& ।
माधव बोला बेटा तम
ु खश
ु रह यह& हमार& सबसे बड़ी दौलत है । तमको
ु दे खकर खश
ु रह लंग
ू ा ।
बड़ी हं सी खशी
ु उजाला का गौना आया । गौना कराकर मह&ने भर बाद उजाला शहर चला गया । दो
मह&ने के बाद ससराल
ु से सीधे अपनी पनी उ%मला को अपने ससरु को खत %लखकर शहर बलवा

%लया । उ%मला के शहर पहंु चते ह& बचाखंच
ु ा नाता भी उजाला ने माधव से खम कर उसक नेक
पर मrु ठZ भर आग डाल दया ।
कई साल पहले राघव मर गया या या मार दया गया । राघव के जीते जी उजाला ने उसे कभी बाप
का दजा नह&ं दया । उसके जीवन और मौत से उजाला को कोई फक नह&ं पड़ा यद @कसी को फक
पड़ा तो माधव को । राघव क मौत को भू केशव और केशव के समधी दधई
ु ने सदा के %लये
अबझ
ु पहे ल& बना दया पर लोग दबी जबान
ु हयारा इह& तीनH को कहते । उजाला के मंह
ु मोड़ लेने
से माधव एकदम अकेला होकर रह गया । बेचारा कभी काल कम से कम "चrठZ %लखवा कर
अपनी पीड़ा पर मरहम तो लगा लेता था । वह भी सहारा खम हो गया ।
उजाला का गौना आये कई साल Oबत गये । वह एक लड़क दो लड़के का बाप बन गया । लड़क
iयाह लायक हो गयी । पkह साल के बाद @फर उजाला क "चrठZ आयी परानी
ु "चrठZ क तरह ह&
रोना काका मF बीमार हंू । पSरवार को शहर म2 रखना बहत ु महं गा पड़ रहा है । काका मझे
ु रहने का
ठकाना दे दे तो मF बGचH को गांव म2 छोड़ दे ता । अब 3या हर मह&ने उजाला क "चrठZ आने लगी
। उजाला क "चrठZ पढवाकर माधव और धनर& रो उठते । एक दन अचानक उजाला पSरवार
सहत आ धमका ।
धनर& उजाला के बGचH को छाती से लगाकर Oबलख Oबलख रोने लगी ।
उजाला-काक uk रो। ये बGचे तेरे पास ह& रहे गे । काक मेरा खोया हक दे दे ना बस ।
सीधी साधी धनर& बोल& - हां बेटा । दाना पानी कर बहत
ु थक गया होगा । तेरे काका तो जमींदार
क बीटया के iयाह म2 लगे है । दन रात गांव गांव से खटया ढो-ढोकर ला रहे है । मF भी वह&
गोबर डालकर आ रह& हंू । सबहु से लटके लटके कमर टट ू गयी । जमींदार के बेट& का iयाह है
दन रात एक हमार& हो रह& है । अपनी बीटया के iयाह म2 हम इतना परे शान नह&ं हए
ु थे ।
62
उजाला-काक मेर& भी बीटया iयाह करने लायक हो गयी है । काक तमको
ु हवेल& जाना है तो
चल& जा उ%मला रोट& बना लेगी ।उजाला पSरवार सहत गांव आया है @क खबर माधव को लगी वह
भी दौड़ता हांफता आया ।
उजाला- माधव का पांव छते
ू हए
ु बोला काका अपने चरणH म2 जगह दे दो ।
माधव-3या कह रहे हो उजाला । शहर क कोठZ छोड़कर यहां रहोगे । मेरे चरणH म2 भला तQ
ु हारे
जैसा बड़ा सेठ कैसे रहे गा । बेटा जब तक रहना हो रह ले । जो 4खा सखा
ू मझ
ु गर&ब क झोपड़ी
म2 बनेगा खा लेना । पोता पोती को कछ
ु दन खेलाने का सख ु भोग लंूगा ।अभी तक तो गर&बी और

अपने ने बहत
ु 4लाया है । कछ
ु दन बG चH के साथ हं स खे ल लं ग
ू ा @कसी बडे सख
ू से कम नह&ं होग
हमारे %लय ।
उजाला-काका मF अब तमको
ु दख
ु नह&ं दं ग
ू ा । खब
ू बGचH को cखलाओ । बGचH के रहने के %लये
Bपछवाड2 क मड़ई दे दे ◌ा । जब तक हम रहे ◌ेगे बना खा लेगे । हां खान खच का भार तQ
ु हारे उपर
नह&ं डालंूगा ।
माधव-3या ?
उजाला- हां काका । अलग रहंू गा बस क◌ु
ु छ दन रहने का ठकाना दे दो ।
माधव-nवाSरका क मां सन
ु रह& हो । @कतनी आसानी से दल पर आरा चला दया है इस उजाला ने
। बीस साल के बाद भी नह&ं बदला उजाला । सांप क तरह अभी भी फफकारता
ु है ।
धनर&-ठZक है । पढा %लखा है समझदार है । कछ
ु सोच समझकर ह& कहा होगा । हम तो ठहरे
गंवार । 3या समझे शहर क भाषा ? ठZक है बेटा रह ले जब तक चाहे । nवाSरका,हSरnवार,
गंगा,जमना
ु ,गोमती और सर?वती बीटया क तरह तमने
ु भी तो मेर& छाती चाटकर पले बढे हो। हां
तब इन बGचH का जम नह&ं हआ ु था । अपनो पर BवLवास नह&ं करे गे तो जमाने म2 @फर @कस पर
BवLवास करे गे , जेठ दे वर, खानदान तक के लोगH ने धोखा दया है । बेटा अब और दल ना दखाना


उजाला- काक 3या कह रह& हो ?
माधव-बेटा एक मां के आंसू का मोल रखना । मां क ममता पर मr
ु ठZ भर आग मत डालना । कोई
एतराज नह&ं है । अलग रहो या एक म2 । पोते पोती को भर आंख दे खकर ?वग का सख
ु %मल गया

उजाला-काका कोई दगाबाजी नह&ं क4ंगा ।
माधव काम पर चला गया । धनर& दाना पानी का इतजाम झटपट कर Bपछवाड़े क मड़ईनमा

कGचे घर को ल&पपोत कर साफ सथर&
ु कर द& । उजाला का पSरवार मड़ईनमा
ु कGचे घर म2 रहने
लगा । हफते भर म2 उजाला शहर गया @फर आ गया । दो बीघा जमीन %लखवा कर और मड़ईनमा

कGचे घर क जगह पर प3का मकान बनवाने क श4वात
ु कर शहर चला गया । माधव ने खशी

खशी
ु मड़ई क जमीन दे दया। माधव उजाला के षणय$ को त:नक नह&ं समझ सका । चार
मह&ने म2 प3का मकान बन गया । अपने झा◌ोपड़ीनमा
ु घर के पास भतीजे के प3के मकान को
दे खकर माधव बहतु खशु था । साल भर के अदर उजाला क बीटयाका iयाह तय हो गया ।
बीटया के iयाह म2 माधव ने भी जी जान लगा दया । खानदान क नाक का सवाल जो था ।
iयाह Oबताकर उजाला शहर चला गया । कछ
ु मह&ने के बाद @फर सबह
ु सबह
ु शहर से आ गया ।
63
रात म2 माधव जमीदार के काम से आया । माधव के आने क खबर लगते ह& वह माधव से
%मलने गया । माधव का पांव छआ
ु ।
माधव - उजाला को जी भर कर आशीश दया और बोला बेटा बहत ु ठडी है ओलाव सेको । nवाSरका
शाम को ह& जला दे ता है । मड़ई गरमा जाती है सब पआल
ु म2 दबक
ु कर सो जाते है ।
उजाला- हां काका ठड तो है । काका मF तम
ु से आtा लेने आया था ।
माधव-कैसी आtा बेटवा ।
उजाला- काका तमने
ु मझे
ु मड़ई क जगह दे कर मेरे उपर बड़ा उपकार @कया है ।
माधव-बेटा उजाला उपकार कैसा । मFने तमको
ु तब अपनी छाती से लगाया था जब तू %सफ छः दन
का था । तेर& मां तमको
ु भइया को और घरबार छोड़कर मायके जा बसी थी । मF और तेर& काक
रात रात भर जागे है । पास म2 रहे गा तो हम2 भी बहत
ु खशी
ु होगी । इस%लये nवाSरका और
हSरnवार का हक मारकर तमको
ु घर बनाने क जगह दे दया । बेटा तू सखी
ू रह । तेर& सरत
ू म2
मझे
ु राघव भइया नजर आते है । मेरे BवLवास को बनाये रखना ।
धनर&-nवाSरका के बापू रोट& ओलाव के पास बैठकर खा लो ।
माधव-आज कोई नयी बात है । रोज तो ओलाव तापते तापते खाकर यह& पआलु म2 सो जाता हंू ।
उजाला-काका रजाई 3यो नह&ं बनवा लेते । आठ ाणी हो कम से कम चार रजाई तो होनी चाहये ।
माधव- सोचता तो हर साल हंू पर बन नह&ं पाती है । जब nवाSरका कछ
ु कमाने धमाने लगेगा तो
रजाई भी बनेगी गmदा और त@कया भी ।
उजाला-ज4र nवाSरका कमायेगा काका । काका ये लो ।
माधव-3या है ।
उजाला-काका %मरचहया गांजा है ।
माधव-जरा सतू को आवाज दे दो ।
धनर&- दो "चलम पहले ह& पी चक
ु े हो । अब %मरचहया पीओगे तो सबह
ु उठ नह&ं पाओगे । जमीदार
दरवाजे पर आकर उलटा सलटा
ु बोलने लगेगे । कल पी लेना %मरचहया अभी तो रोट& खाओ और
सो जाओ । दन भर हाड़फोड़2 हो अराम करो ।
माधव-ठZक है लाओ ।
धनर&-%लrट& और गड़
ु है थाल& म2 । थाल& के बाहर हाथ नह&ं करना । नह&ं तो ओलाव क आग
मr
ु ठZ म2 आ जायेगी ।
माधव-हां भागवान मझे
ु भी मालम
ू है । इतना नशा अभी नह&ं चढा है । उजाला खायेगा गड़
ु रोट& ।
लो त:नक खा लो ।
उजाला-तमु खाओ । मै खा चका ु हंू । उ%मला मगा
ु बनायी थी,दरपन का दो?त आया था । उसके
साथ मैने खा %लया है । काका एक बात करने आया था तमसे ु कहो तो कहंू ।
माधव-कौन सी बात है बोल,रोट& खाते समय दांत काम करे गे कान थोड़े ह& ।
उजाला-मेरे प3के मकान के सामने वाल& जमीन दे दो ।
इतना सनते
ु ह& माधव के गले म2 रोट& अटक गयी । वह "गलास भर पानी के सहारे रोट& का
:नवाला पेट म2 ढकेलते हए
ु बोला 3या ?
उजाला-हां काका । मड़ई वाल& जगह तो मझे
ु चाहये ।
64
माधव- मझे
ु लोग पहले आगाह कर रहे थे @क माधव भतीजे पर BवLवास न करो । भतीजा
और भेड़ा पर BवLवास करने वाला ज4र मंुह के बल "गरता है । काश मF पहले सोच %लया होता ।
मड़ई क जगह दे कर गलती कर दया 3या ? तू मेरे बGचH का ठकाना :छनना चाहता है अंगल&

पकड़ कर तु मेरा हाथ उखाड़ना चाहता है 3या?
उजाला-नह&ं मF तो कह रहा हंू @क मेरे घर के सामने से मड़ई अGछZ नह&ं लग रह& है । हटा लो बस

माधव-मड़ई लेकर जाउ◌ू◌ंगा कहां ।
उजाला-@कनारे हो जाओ । अभी पिLचम क तरफ तो जमीन है ।
माधव-दो खटया क जगह म2 मेरे दो बेटे कैसे रहे गे । उजाला अब मF तेर& चाल समझ गया ।
उजाला-काका मF जो चाह रहा हंू वह& होगा ।
माधव-3या हमे बेघर कर दे गा ? िजदगी भर के %लये जoम दे गा ।
उजाला-घर म2 रहो या बेघर हो जाओ । मेरे घर के सामने वाल& जमीन तो मेर& होकर रहे गी अब ।
जoम नह&ं हं सते जoम म2 जीना होगा काका तQ
ु ह2 ।
माधव-धमक दे रहा है ।
उजाला-धमक तो नह&ं अपनी राह का कांटा हटाने को ज4र कह रहा हंू ।
माधव-हम तQ
ु हार& राह के कांटे हो गये है । भल
ू गये वो दन जब तमको
ु सखे
ु म2 सलाते
ु थे। गीले म2
बार& बार& से हम और तQ
ु हार& काक तमको
ु लेकर सोते थे । @कतनी बार तम
ु मेर& जांघ पर टrट&
कर दया करते थे । सब Pयथ हो गया @कया कराया । बेटा नेक को बदनाम ना कर।
उजाला-काका जमीन तो लेकर रहंू गा । चलता हंू । तम
ु रोट& खाओ और सो जाओ ।
माधव- 3या मेर& नेक मेरे %लये अ%भशाप बन गयी है ।
उजाला-नेक 3यH @कया ? हमने कहा था 3या @क मझे
ु पालो ? अरे मेर& मां छोड़कर भाग गयी थी
तो तमको
ु पालने क 3या ज4रत थी ? फ2क दे ते क
ु ते Oबि0लयH के आगे मेरे मां बाप क तरह ।
झगड़े वाल& जमीन को लेकर फैसला कल दे दे ना ।
उजाला धनर& और माधव का चैन :छन कर चला गया । धनर& और माधव रात भर ओलाव के पास
बैठे "चता क "चता म2 सलगते
ु रहे । एक दसरे
ू का मंह
ु ताकते रहे बेबस सा । मगा
ु बोलना श4

@कये । माधवा कु0ला-फराकत करने चला गया । :नत-कम से :नपट कर आया । भFस क हौद&
धोया । पानी चारा डाला । भFस को हौद& लगा कर जमींदार क मजदर&
ू पर चला । धनर& भी अपने
काम म2 लग गयी । उधर उजाला भी रात भर जमीन हड़पने क उधेड़-बन
ु म2 नह&ं सो पाया था ।
वह सरज
ू :नकलते ह& दरवाजे पर हािजर हो गया काका काका क आवाज लगाने लगा ।
धनर&-वो तो काम पर चले गये 3यो बला
ु रहे हो ?
उजाला-3या फैसला @कया काका ने ?
धनर&-कैसा फैसला । अरे अपने बGचH को ठकाना तमको
ु कैसे सौप दे गे । हमारा जो फज था ।
िजQQेदार& के साथ :नभाया । अब बेघर तो नह&ं हो सकते uk ।
उजाला-घर -बेघर से मझे
ु 3या लेना । मझे
ु तो बस अपनी हवेल& के सामने से मड़ई हटवाना है ।
धनर&-3या ?
उजाला-हां ।
65
धनर&-तQ
ु हार& हवेल& क नींव हमार& छाती पर पड़ी है ।
उजाला- हवेल& है तो हमार& uk । दे खता हंू कब तक काका आंख %मचौल& खेलते है । आंख %मचौल&
का जबाब मेरे पास है ।
धनर&- 3या करोगे। थाना प%लस
ु लाओगे । 4पया और ताकत के भरोसे हमे बेघर कर दोगे ।
उजाला- उजाला नाम मेरा तमने
ु ना जाने 3या सोच कर रखा है पर मF सांप का बGचा हंू मेर& मां
ना"गन थी। जानती हो दधू पीलाने वाले को भी सांप डंसने से परहे ज नह&ं करता । आज और काका
के फैसले का इतजार कर लेता हंू । आये तो कह दे ना बस
धनर&-3यH दधू के बदले जहर दे ने पर तले
ू हो । अरे तQु हार& मां ने तमको
ु फ2क दया तो 3या हमने
तमको
ु अपनी छाती से नह&ं लगाया ? मेरे दध
ू का यह& कज चका
ु रहे हो । अरे तQ
ु हारे पास तो पद
और दौलत दोनH है तम
ु चाहते तो और भी कह&ं जगह लेकर महल खड़ी कर सकते थे । तQ
ु हार&
नजर हमार& मड़ई पर ह& 3यो टक है ? मेर& माट& क द&वाल अब तQ
ु हे भा नह&ं आ रह& है । तम

मेरे माट& क द&वाल ढहाकर प3क हवेल& क शान म2 ह&रे जोड़ना चाहते हो । मै ऐसा नह&ं होने
दं ग
ू ी । द]^ण तरफ लकडी के सहारे खड़ी मड़ई को माट& के द&वाल खड़ी करने के उपuम म2 बGचH
के साथ लग गयी। उजाला-काक तू @कतनH भी माट& क द&वल खड़ी कर ले ये जमीन मेर& होकर
रहे गी । मेरा भी हक बनता है । चार ह?सेदारH क जमीन तम ु अकेले ले लोगी 3या ? दे खता हंू
तQ
ु हार& मड़ई कैसे खड़ी रहती है मेरे प3के मकान के सामने ।
धनर&-तमु मेर& मड़ई "गरा दोगे 3या? मF भी दे खती हंू कैसे जबद?ती कiजा कर लेते हो । कiजा
करने के %लये तQ
ु हे हमार& लाश पर से जाना होगा ।
काक ऐसी बात है तो वह भी कर सकता हंू कहकर उजाला केशव के दमाद भु से %मला जो उसके
बाप का का:तल था । उसी के साथ साठगांठ @कया माधव क जमीन हड़पने के %लये । कछ ु
बदमाशH को दा4 मगा
ु दे कर माधव और उसके पSरवार को डराने धमकाने के %लये लगा दया । भु
को इसी दन का जैसे इतजार था । उजाला को अपने जाल म2 फंसता दे खकर चारा डाल दया ।
वह तो कचहर& म2 काम करता ह& था इधर उधर करके हफते भर ?टे आडर जार& करवा दया ।
उजाला चारो ओर से दबाव तो बनाये हए
ु था । माधव और उसका पSरवार डरा सहमा रहने लगा था
। कोई उसक मदद के %लये आगे नह&ं आ रहा था । माधव गांव के मcखया
ु धान सबके आगे
माथा पटका पर कह&ं सनवाई
ु नह&ं हई
ु । आcखरकार एक दन सबहु सबह
ु ह& परा
ू थाना लेकर
उजाला आ धमका। प%लस
ु वाले माधव माधव क आवाज दे ने लगे और उजाला के ग
ु डा मड़ई
"गराने म2 जट
ु गये। माधव घबराया आंखH म2 आसू %लये हािजर हआ
ु दरोगाजी को सारा वता
ृ त
सनाया
ु । माधव के आसंू सGचाई उगल गये ।
दरोगाजी बोले- 3यो नेक को अ%भशाBपत कर रहे हो उजाला ।
दरोगा जी क बात को सनकर
ु ब?ती के दो चार लोगH का जमीर जागा । वे माधव के प^ म2 दबी
जबान
ु बोलने लगे ।
अब 3या घरु हू धान भी आगे आ गये और बोले दरोगा जी अब अयाय होगा इस गांव म2 । नेक
अ%भशाप नह&ं बनेगी । हमार& आंख खल
ु गयी है ।
दरोगाजी कोरा कागज मंगवाये। सलहनामा
ु तैयार हआ
ु । उजाला को बलाये
ु दरोगाजी ।
66
उजाला हाथ जोड़कर खड़ा हआ ु । दरोगा जी ने कहां उजाला सबके सामने हककत आ चक
ु है
@क तम
ु @कतना दगगाबाज है पर तमको
ु कछ
ु कहना हो तो कह सकते हो ।
उजाला- पंचH काका ने मझे
जो दया है वह बहत
ु ु है ।काका काक के एहसान तले इस जम 3या
कई और जम भी नह&ं उबर सकता हंू । मेरे मन म2 खोट आ गयी थी इसी वजह से गलती हो

गयी । काका क जमीन पर अब मेर& बर&
ु नजर नह&ं पडेगी । मF बहते
ु श%मदा हंू । हो सके तो
मझे
ु माफ कर दे ना ।
दरोगाजी-सलहनाम2
ु पर दसoत करो । गांव वालH से ह& नह&ं माफ माधव से मागH । माधव ने माफ
कर दया तो समझो भगवान ने माफ कर दया । तमने
ु तो गर&ब क नेक पर मr
ु ठZ भर आग डाल
ह& दया है । नेक के बदले बmनेक तो महापाप है । माधव का पैर पकड़ कर माफ मांगो । खद

दSरkता के दलदल म2 धंसा रहकर भी तमको
ु उपर उठा दया । तमने
ु नेक को अ%भशाप बना दया
। माधव तQ
ु हारे %लये भगवान से कम नह&ं है उजाला ।
उजाला-माधव का पैर पकड़ %लया ।
माधव क आंखH से तर-तर आंसू बह :नकले वह उजाला को झट से गले लगा %लया ।
15-चोरनी
सरज
ू डब
ू चका
ु था । अं"धयारा पसरने को उतावला था । पं]^यां अपने अपने घHसलH क ओर भाग
रहे थे ।घरH से :नकलने वाला धआं
ु अभी साफ साफ नजर आ रहा था । खेत म2 काम करने वाले
मजदरू घर लौट रहे थे या खेत मा%लकH क हवेल& सलाम ठोकने भागे जा रहे थे । रामू दादा भी
खेत म2 काम कर हवेल& गये । वे फावड़ा वहां रखे दो चार टहल मा%लक क बजाये और घर वापस
आ गये । घर पहंु चे ह& नह&ं बाहर से आवाज लगाने लगे अरे द&नु क मां घर म2 हो 3या ? या
@कसी के घर "चलम गड़ ु गड़ा
ु ने म2 लगी है । काम पर से आओ तो कभी डयोढ& पर %मलती नह&ं ।
शाितदे वी -तनतनाते हए
ु बाहर आयी और बोल& तम ु खेत म2 काम करके आ रहे हो तो 3या मF घर
म2 खाल& बैठZ रहती हंू । रोट& तोड़ती रहती हंू । मF भी दन रात एक कर रह& हंू । इधर उधर
"चलम क जआड़
ु म2 नह&ं भटकती रहती ।ऐसी होती तो आज तम
ु ऐसे बात ना करते । तQ
ु हारा एक
पैसा @फजल
ू खच नह&ं करती । पाई पाई जोड़ती हंू । ये माट& का घर %सफ तQ ु हार& कमाई से नह&ं
खड़ा है । दे खो मेरे %सर के बाल झड़ गये । इस घर को बनाने म2 माट& ढो-ढो कर। जब दे खो तब
आग उगलते रहते है । अरे अभी तक तो अकेले "चलम नह&ं गड़
ु गड़ा
ु यी आज कहां से सरज
ू प:छम
से उग गया @क "चलम लेकर बैठ गयी । नहक को चप
ु करा रह& थी । पeु पा च0
ू ह चौके म2 लगी
है ।
रामू-भागवान 3यH नाराज हो रह& है । चार बार बलाया
ु एक बार भी नह&ं बोल& । घर म2 तम
ु हो या
नह&ं कोई आहट नह&ं ।
शाितदे वी - हां मेर& आहट अब तमको
ु नह&ं लगेगी । वो दन भल
ू गये जब मेर& आहट तQ
ु हारे
नथनH
ू को लग जाती थी । मF भी वह& हंू तमु भी । दे खो समय @कतना बदल गया @क तQ ु हे मेर&
आहट नह&ं लग रह& है ।ये तो होना ह& था । लो खटया डाल द& बैठो । मF पानी लाती हंू ।
शाितदे वी झटपट गड़
ु पानी दे कर "चलम चढा लायी और रामू को थमाते हए
ु बोल& लो तम
ु भी जी
भर कर ह3
ु का गड़
ु गडा
ु लो दन भर नह&ं %मला है ना । कहते हए
ु वह खटया पकड़कर चपचाप
ु बैठ
गयी ।
67
शाितदे वी को मौन दे खकर रामू बोला-द&नु क मां 3यH गमसम
ु ु हो गयी ।बेटवा क कोई "चrठZ
आयी है 3या ? थोड़ी दे र पहले बहत
ु ताना महना मार रह& थी । एकदम से 3या हो गया ।
शाितदे वी-3या क4ं । झगड़ा क4ं ।
रामू- दे वी uोध uk करो◌े । हमने तो uोध करने लायक कछ
ु नह&ं कहा । 3यH उखड़ी उखड़ी बात2
कर रह& हो । 3या बात है ?
शाितदे वी-कोई बात नह&ं है ।
रामू-कोई ना कोई बात तो है । बताओ ना 3यो दखी
ु हो रह& हो अकेले । तकल&फ बांटने से कम
होती है । दे ह दख
ु रह& है 3या ? बताओ ना 3या बात है ? 3यH रोनी सरत
ू बनाये बैठZ हो ।
शाितदे वी-3या बताउ◌ू◌ं । कई दन से दे ख रह& हंू ।
रामू-3या दे ख रह& हो ?
शाितदे वी-बोलने दो तब uk बताउ◌ू◌ं ।
रामू- बीच म2 टHक कर गलती कर दया 3ैया ? बोलो 3या बताने वाल& थी ?
शाितदे वी-सनो
ु ।
रामू-3या सना
ु रह& हो ?
शाितदे वी-सामने के घर से सनाई
ु दे रह& गाल& ।
राम-ू अपने घर म2 कोई कछ
ु करे हम2 3या लेना ?
शाितदे वी-मझे
ु तो कछ
ु शंका हो रह& है ।
राम-ू 3यH ?
शाितदे वी-घमडीदे वी मझे
ु दे खकर गाल& दे ती है । द&नू के बाबू तम
ु कहो तो मF पंूछू @क ऐसा 3यो
करती है ।
राम-ू 3या पछोगी
ू उस झगड़ालू से । गांव के◌ी कई लोगH को पीट चक
ु है । अपने मद को भी बर&

बर&
ु गाल& दे ती है कई बार मार भी चक
ु है । गाल& तो उसक छठZ पर चढायी होगी उसक मां ने

शाितदे वी-गोध%ल
ू बेला म2 गाल& दे ना अGछZ बात तो नह&ं है ।
रामू-द&नू क मां तम
ु उसको मना भी तो नह&ं कर सकती । अगर कछ
ु बोल& तो अपने गले पड़
जायेगी । आ बैल मझे
ु मार वाल& बात होगी । छोड़ो जाने दो । ये थामH ह3
ु का तQबाकू जल गयी

शाितदे वी-बाप रे इतना ज0द& एक "चलम तQबाकू जल गयी ।इतना ह3
ु का पीओगे तो कहां से
आयेगा। मF इतजार म2 बैठZ थी @क तम
ु पीकर मझे
ु दोगे ।
रामू-एक और "चलम चढा लो ।
शाितदे वी-नह&ं रात हो गयी । दसरे
ू काम भी तो करने है । पeु पा रोट& बना चक
ु है । रोट& खाओ
। तQबाकू पीकर पेट थोड़े ह& भरे गा । चलो खटया घर म2 डाल दे ती हंू । यहां मGछर बहत
ु लगने
लगे हF । रोहत ने अदर धआं
ु कर दया है । मGछर नह&ं लगेगा । अGछा बैठो मF "चलम चढाकर
लाती हंू । तम ु गड़ा
ु बैठकर गड़ ु ओ म2 त:नक घमडीदे वी से पछकर
ू आती हंू । कौन सी तकल&फ आ
गयी है ।
रामू-uk तू uk जा खामखाह झगड़ा हो जायेगा ।
68
शाितदे वी-अरे मF झगड़ा नह&ं करने जा रह& हंू हालचाल पछने
ू जा रह& हंू ।
रामू-बहत
ु दया आ रह& है । नह&ं मान रह& हो तो जाओ @फर आकर आंसू नह&ं बहाना ।
शाितदे वी-मF पछकर
ू आती हंू । तम
ु ह3
ु का गड़
ु गडाओ
ु ।
रामू-ठZक है जाओ ।
शाितदे वी भागी भागी घमडीदे वी के घर गयी ।बाहर से घमडी बहन घमडी बहन क आवाज दे ने
लगी ।
घमडीदे वी भखी
ू शेरनी क तरह बाहर आयी और बोल& अGछा तू है ।
शाितदे वी-हां बहन मF हंू । 3या बात है तू आजकल परे शान रहती है । बहन गाल& दे ने से परे शानी
खम तो नह&ं होगी । गाल& कह& जाती नह&ं है । लौटकर अपने को ह& लगती है । गाल& दे ने से
आमा भी अशb
ु द होती है ।
घमडीदे वी-अGछा तो तू समझाने आयी है चोरनी कह&ं क ।
शाितदे वी- 3या कह रह& हो ? होश म2 तो हो ? मझे
ु चारे नी कहते हये
ु तमको
ु शरम भी नह&ं आयी ।
भला मF और चोरनी ।
घमडीदे वी-हां हां तू चोरनी नह&ं तो और कौन ? मेर& हं सल&
ु चराकर
ु सराह&दार
ु गद न सजा रह& है ।
चोरनी मझे
ु समझा रह& है ।
शाितदे वी को काटो तो खन
ू नह&ं । वह बेसुध सी घमडीदे वी क फटकार सनकर
ु अपने घर क ओर
दौड पड़ी , बरदौल तक आते आते गश खाकर "गर पड़ी । कई घटे वह& पड़ी रह& @कसी को पता
नह&ं चला । काफ दे र तक वापस न आने पर रामू दादा लालटे न लेकर ढढने
ू :नकले । बरदौल के
Bपछवाड़े शाितदे वी को बेसुध पड़ी दे खकर "च0ला उठे । रामू क "च0लाहट सनकर
ु छोटा बेटा रोहत
बड़ी बहू पeु पा रोते हु दौड़ पड2 । रोने क आवाज सनकर
ु दस-बीस लोग इ3rठा हो गये । शाितदे वी
को उठाकर लाये और दालान म2 खटया पर लेटा दये । कछ ु दे र म2 पर&
ू ब?ती इ3rठा हो गयी ।
काफ दे र के बाद शाितदे वी को होश आया ।
सभी उस हादशे को जानने के उसक
ु थे िजसके कारण शाितदे वी बेसुध हई
ु थी । शाितदे वी क
आंखे पथरा गयी थी । उनके कठ से आवाज ह& नह&ं :नकल पा रह& थी । बड़ी को%शश के बाद
अटक अटक कर घमडीदे वी का अपने माथे मढा इ0जाम बयान कर पायी ।
रामदादा
ू को जैसे सांप संघ
ू गया शाितदे वी क बात सनकर
ु । उसके मंह
ु से :नकल पड़ा
घमडीदे वी ने ऐसा कैसे कह दया ?
मिजयादाद& बोल&-रामू दादा और शाितदे वी को समझाते हए ु लोग घमडीदे वी क बात से
ु बोल& तम
इतने दखी
ु हो । अरे परा
ू गांव जानता है । वह औरत @कतनी शर&फ और ईमानदार है । :नरापद पर
इ0जाम लगाते हए
ु उसक जबान झर कर 3यH नह&ं "गर गयी । दे वी समान औरत के उपर इ0जाम
लगाकर पाप का भागी बनी है । चोर क घरवाल& चोरनी तो खद
ु घमडीदे वी है । द:नया
ु जान गयी
है मंधार& बहन क मनौती का ख?सी उसका आदमी बाहब%लयH
ु के साथ %मलकर काटकर खा गया ।
@कतनी ओझाई सोखाई हई ु तो जान बची है ।
इतना कहना था @क दखौतीकाक का भे◌ा◌ंपू चालू हो गया वह बोल& शाितबहन तू "चता ना कर
द:नया
ु चड़ै
ु ल के बारे म2 जानती है । एक दन ज4र हं सुल& के चोर& से पदा हटे गा । दे खना यह&
घमडी खद
ु अपना %सर पथर से कG
ू े◌ागी । द:नया
ु इस मरदम4ई के मंह
ु पर थक
ू े गी । घमडी तो
69
घमडी उसके लड़को ने भी उपkव मचा रखा है । दे खा नह&ं अपने लड़के◌ा◌ं से रोहत को पानी म2
पटवाकर @कतना मरवायी थी । रामू घर पर थे दे ख %लये नह&ं तो रोहत को मार डालते सब
%मलकर ।शाित बहन तू अपनी आदत म2 बदलाव कर हर @कसी के दख
ु तकल&फ म2 कद
ू जाती है ।
अरे तो इतनी भलमनसत ना दखाती तो आज तेरे उपर कचड़ नह&ं फ2क पाती ना घमडी । कारे
् ध
पाप है । तQ
ु हारे उपर फट
ू पड़ा घमडी का uोध ।
रामू-अरे आदमी होने के नाते फज बनता है @क आदमी के दख
ु म2 तो काम आये ।
स
ु दर&दे वी-बबआ
ु ठZक तो कह रहे हो पर आदमी भी तो उस लायक हो । यहां तो आदमी के वेष म2
शैतान मौजद
ू है । ईमानदार और नेक इंसान के मंह
ु पर मr
ु ठZ भर आग मार रहे हF ।
रामू-परा
ू गांव जानता है इस घमडी का घर बनवाने म2 हमने 3या नह&ं @कया । गांव के बाहब%लयH

से दLु मनी तक ले %लया पर घर बनवा कर सांस %लया । वह& घमडी हमार& बढया
ु को आज चोरनी
कह रह& है ।
स
ु दर&दे वी-नेक का फल ज4र %मलेगा भइया । भगवान के घर भले ह& दे र हो पर अंधेर नह&ं हो
सकती । बबआ ु एक बात कहंू बराु तो नह&ं मानोगे uk ?
रामदादा
ू -घमडीदे वी कह रह& है तो तम
ु भी कह दो जो जी म2 आये ।
सु दर&दे वी-बबआु हम दल दखाने
ु के %लये नह&ं कह रह& हंू uk ।
रामदादा
ू -कह दे भौजाई । तेर& भी सनु लंग
ू ा । सबक तो सन ु ह& रहा हंू uk कब से ।
स ु दर&दे वी-बबआ ु हर @कसी के दख
ु तकल&फ म2 अब मत खड़ा हआ ु करना । आज से कान पकड़ लो।
रामदादा
ू -भौजाई आज के जमाने को दे खते हए
ु कह तो सह& रह& हो पर ना मझसे
ु और ना ह& द&नू
क महतार& से ह& @कसी क तकल&फ दे खा जाती है । बराु तो @कसी का नह&ं कर रहे है ना ।
आदमी नेक नह&ं मानेगा तो 3या भगवान तो मानेगा ?
स
ु दर&दे वी-दे वरजी तQ
ु हार& यह& सोच तो परेू गांव म2 तमको
ु सबसे उपर उठाती है । नासमझ लोग है
@क समझते नह&।
स
ु दर&दे वी शाितदे वी को भर अंकवार उठाते हए
ु बोल& चलो बहन उठो हाथपांव धो लो मन थोड़ा
ठौSरक हो जायेगा । एकाध रोट& खाकर सो जाओ । घमडीदे वी का अ%भमान ज4र चरू होकर रहे गा
। सGचे इंसान के उपर उगल& उठायी है भ?म हो जायेगी । घमडी दे वी ने बहत
ु बड़ा इ0जाम माथे
मढ दया है ।
शाितदे वी क बहू पeु पा लोटे म2 पानी लेकर आयी सास से बोल& अQमाजी उठो मंुह हाथ धो लो
कछ
ु खाकर दवाई खाओ◌े । घमडीदे वी एक uk हजार इ0जाम लगाये कर uk तो डर कैसी ?
शाितदे वी- बीटया कछ
ु मन नह&ं कर रहा है ।
पeु पा लोटे से पानी ल& और शाितदे वी का मंुह धोकर अपने आंचल से मंह
ु पोछकर मंुह म2 रोट&
तरकार& ठसने
ू लगी ।
शाितदे वी-बीटया तमने
ु तो अपनी कर ल& । अब तू भी जा खा ले और आराम कर रात काफ हो
गयी है ।
पeु पा-अQमा दवाई तो खा लो ।
70
शाितदे वी-ठZक है लाओ वह भी जबद?ती ठस
ू दो । दे ख नहक रो रह& है जा उसके◌ा सला
ु ।
मेर& @फu ना कर मF मरने वाल& नह&ं हंू जब तक घमडी क हं सल&
ु क चोर& से पदा नह&ं उठता है
। माथे से इ0जाम हटते ह& सदा के %लये सो जाउ◌ू◌ं भगवान ।
पeु पा- अQमा कैसी मनौती कर रह& हो । ऐसा ना कहो अQमा◌ा कहते हए
ु पeु पा नहक को चपु
कराने । वह नहक को चप ु कराते कराते खद
ु भी सो गयी । उधर शाितदे वी क आंख से नींद
गायब । रामू दादा भी करवटे बदल बदल कर थक गये पर उनसे भी नींद कोसे◌ा◌ं दरू । बार बार
रामदादा
ू को करवट2 बदलता दे खकर शाितदे वी बोल& द&नू के बाबू नींद नह&ं आ रह& है ।
रामू-कैसे नींद आयेगी । चोर& का इतना बड़ा इ0जाम %सर पर जो है ।
शाितदे वी-3यH घबरा रहे हो । चोर& तो हमने @कया नह&ं है ।
रामू-@कस @कस का मंह
ु पकड़ेगे । कल आसपास के गांवH म2 बात फैल जायेगी ।
शाितदे वी घमडीदे वी क हं सल&
ु चोर& हई
ु है तो @कसी ने ज4र चराया
ु है । ले@कन वह इ0जाम मेरे
माथे 3यो मढ द& ?
रामू-राज एक दन खल
ु जायेगा । तम
ु थोड़ी दे र आंख बद कर सोने क को%शश करो । नींद नह&ं
आयी तो दन भर %सर दखे
ु गा । पeु पा 3या 3या करे गी ? नहक भी तो रोती रहती है आजकल
बहत
ु िजद& हो गयी है । शहर म2 द&नू बेटवा भी दखी
ु होगा यह सब सनकर
ु ।
शाितदे वी-इ0जाम माथे आ ह& गया है । जब तक रह?य से पदा नह&ं हटता है तब तक तो इ0जाम
क मr
ु ठZ भर आग म2 सलगना
ु ह& है ।
घमडीदे वी के हं सल&
ु क चोर& क खबर जंगल क आग क तरह फैल गयी । शाितदे वी ने चोर&
क है इस बात को कोई मानने को तैयार ना था । धीरे घीरे छः मह&ना Oबत गया पर घमडीदे वी
क हं सल&
ु क चोर& का पता नह&ं चला । एक दन है रान परे शान हर& बाबू आये रोहत से बोले
रोहत बाबू सोनार क दकान
ु तक चलो बहत
ु ज4र& काम है । रोहत -अरे कौन सा इतना ज4र&
काम आ धमका हर& बाबू ।
हर&बाब-ू हं सल&
ु "गरवी रखना है । 4पये क सoत ज4रत है ।
रोहत हर&बाबू के साथ बाजार सोनार क दकान
ु चले गये । रोहत बाबू को दे खकर सोनार बोला कैसे
आना हआ ु डा3टर बाबू ।
रोहत -हं सल&
ु "गरवी रखने आया हंू ।
से◌ानी- रोहत बाबू 3या बात है आपके गांव का कोई आदमी हं सुल& "गरवी रखता है तो कोई
छड़
ु वाता है ।
रोहत -कौन छड़
ु वाकर ले गया ?
सोनी-गभ4 । वह& गभ4 जो पहले ई3का हांकते थे ।
हर&बाबू-अGछा तो घमडी काक क हं सल&
ु "गरवी रखी गयी थी । चोर& के इ0जाम क मr
ु ठZ भर
आग काक के %सर पर दहक रह& थी अब तक ।
हर&बाबू क हं सुल& "गरवी सोनी ने रखकर 4पये दे दये । 4पया लेकर हर&बाबू रोहत बाबू को साथ
लेकर SरLतेदार& म2 चले गये । इधर रात म2 गभ4 सोये हये
ु बड़बड़ाया हं सुल& पआल
ु म2 3यH फ2क
रह& है । %मल गयी हं सल&
ु । चोरनी फ2क गयी ।
घमडीदे वी- गभ4 को जगाते हए
ु बोल& 3यH बड़बडा रहे हो। हं सुल& तो चोरनी पचा गयी ।
71
गभ4-नह&ं पचा सकती । घर क दे वी सपने ने मझे
ु बतायी है @क हं सल&
ु पआल
ु के ढे र म2 हF ।
चलो दे खते है सGचाई 3या है ?
घमडीदे वी और गभ4 दोनो पआल
ु के ढे र के पास गये । गभ4 के पहल& बार म2 ह& अंकवार म2
पआल
ु उठाते हं सल&
ु हाथ म2 आ गयी । घमडी दे वी झटपट हं सल&
ु को गले म2 सजायी और रात भर
गभ4 से हं सी ठठोल& करती रह& । खशी
ु के मारे उसक आंखे◌ा◌ं से नीद उड़ गयी थी । भोर हो
गयी मगा
ु बोलने लगे । कछ
ु दे र म2 उजाला हो गया अब 3या घमडीदे वी शाितदे वी के घर क ओर
मंह
ु कर गाल& दे ना श4
ु कर द& ।
सरज
ू क पहल& @करण के साथ हर&बाबू और रोहत भी आ गये । घमडीदे वी को गाल& दे ते दे खकर
रोहत बोला 3यH गाल& दे रह& हो काक ।
घमडीदे वी-3यH गाल& गोल& जैसे लग रह& है । अपनी चोरनी मां से पछ
ू । भत
ू -मेलान के डर से
हं सल&
ु पआल
ु के ढे र म2 फेक गयी । वाह रे चोरनी ।
रोहत -पंचायत म2 फैसला हो जायेगा । पंचायत बलाने
ु जा रहा हंू ।
गांव के धान को बलाने
ु के %लये खदु दौड़ पड़ा और ब?ती वालH को रामदादा
ू बलाने
ु म2 जट
ु गये ।
कछ
ु ह& दे र म2 पंचायत इ3rठा हो गयी ।
धान-घमडी दे वी %मल गयी तQ
ु हार& हं सल&
ु ।
घमडी दे वी-हां बाबू चोरनी पआल
ु म2 फ2क गयी थी तो %मलनी ह& थी। कछ
ु दन और रखती तो
मेर& कलदे
ु वी चोरनी शाितदे वी के पत
ू को ना खा जाती । सयानाश क डर से पआल
ु म2 रख गयी
। रात म2 कलदे
ु वी ने सपने म2 रं जीते के बाबू को सपने म2 बतायी थी। रं जीते के बाबू के पआल

उठाते ह& हं सल&
ु नीचे "गर पड़ी थी।
धान-3या यह& सच है गभ4 बेटा ।
गभ4 शाितदे वी का पांव पकड़कर रो◌ेते हए ु बोला माफ कर दो भौजाई चोरनी तू नह&ं चोर मै हंू ।
मैने शाितदे वी को जीवन भर के %लये हं सते जoम के समदर म2 झHक दया । घरवाल& क चोर& से
बाप के इलाज के %लये "गरवी रख दया था । इ3rठा लोग शाितदे वी क जय जयकार करने लगे ।
गांव वालH क _bदा दे खकर शाितदे वी क आंखH से झराझर मोती झरने लगे ।
16-7र8ता
द:नया
ु म2 सबसे बडा कोई SरLता है तो वह है दद का SरLता
। जानते हए
ु भी आज का आदमी
मतलब के पीछे भागने लगा है । आज के इस यग
ु म2 परमाथ[ लोग तो कम है पर आद%मयत को
िजदा रखे हए
ु है । सेवाराम को Bवचार मंथन म2 दे खकर bयानबाबू उनक तरफ मड़ ु गये और
उनके सामने खड़े हो गये पर सेवाराम बेखबर थे । सेवाराम को बेखबर दे खकर वह जरा उ◌ुची
आवाज म2 बोले 3या बात है सेवाराम 3यो नजरअंदाज कर रहे हो ।
सेवाराम हड़बड़ा कर बोले अरे bयानबाबू आप ?
bयानबाब-ू हां मै। कहां खो हए
ु थे ।
सेवाराम-कह& नह&ं बाबू । सोच रहा था आज का आदमी िजस तरह से SरLते को रौद रहा है । अगर
ऐसा ह& होता रहा तो आदमी आदमी का ह& नह&ं होगा । आद%मयत का SरLता भी लहलहान
ू ु हो रहा
है ।
bयानबाब-ू आज का आदमी तो बस अपने ?वाथ म2 जी रहा है ।
72
सेवाराम-?वाथ क बाढ म2 कह&ं SरLते न बह जाय ।
bयानबाब-ू सच "चता का मm
ु ् दा बन गया है SरLते का कल ।
सेवाराम-ठZक कह रहे हो आज का आदमी एक दसरे
ू को टोपी पहनाने म2 लगा हआ
ु है । SरLता भी
?वाथ%सिbद के◌े %लये बनाने लगे है ।
bयानबाब-ू ऐसे SरLतेदार तो आद%मयत का कल ह& करे गे ।
सेवाराम-ऐसा ह& हो रहा है । दो साल भर पहले टे कचद साहकार
ू "गड़"गड़ाते हए
ु बोले सेवाराम मेर&
मदद कर दो पांच हजार 4पया दे दो बस हफ् ता भर के %लये । टे कचद क "गड़"गड़ाहट के आगे मF
मना नह&ं कर पाया नेकचद से उधार लेकर दया था । टे कचद ने दो साल म2 कभी सौ कभी
पGचास ऐसे रो रोकर दया @क पता ह& नह&ं चला । जब@क मझे
ु नेकचद को एकमLु त हफ् ते भर
के अदर दे ना पड़ा था । टे कचद को एक अखबार वाले को पGचास सौ 4पया दे ना है । एक
Bवtापन छपवा %लये है ◌े अपनी दकान
ु का । अखबार वाला मेरे साथी आज पांच साल से अ"ध हो
गया पैसा नह&ं दये । जब मांगो तो टाल जाते हF टे कचद आजकल क कहकर । अखबार वाले से
मेरा SरLता पैसे क वजह से खराब कर दये ।
bयानबाब-ू टे कचद साहकार
ू तो इनक टोपी उनको उनक उनको पहनाने म2 माहर है । उसे SरLते से
3या लेना । वो बस सौदागर है ।सेवाराम 3यH झांसे म2 आ जाते है ?वा"थयH के ।
सेवाराम-बाबू हम तो SरLते के सोधेपन के भख
ू है । आदमी म2 आद%मयत का भाव ढढते
ू रहते है ।
परमाथ म2 असीम आनद है पर मतलबी लोग है @क घाव दे जाते है । सभी टे कचद साहकार
ू जैसे
नह&ं होते bयानबाब।ू
bयानबाब-ू वो समीर भी तो तमको
ु ठग गया । उसे तम
ु भाई मानते थे । कई सालH तक अपने घर
म2 रखे । तQ
ु हार& वजह से कामयाब आदमी बना है पर तQ
ु हे एहसान के बदले 3या दया बदनामी
और SरLते को मr
ु ठZ भर आग का दहकता घाव ना ।
सेवाराम-समीर खश
ु है अपने कामयाबी पर । भले ह& मझे
ु SरLता घाव दे गया पर आपको हककत
मालम
ू है ना । आप मेर& नेक को हवा दे रहे हो ना 3या यह कम है ?द:नया
ु म2 अभी SरLते का
मान रखने वाले लखन और बलदे व दे वता @क?म के लोग है bयान बाबू ।
bयानबाब-ू कहां ऐसे लोग %मल गये सेवाराम ?
सेवाराम- द0ल& म2 जब साला कौशल जब डेगू क चपेट म2 था । मौत के मंह
ु म2 से :नकला है
लखन भईया क वजह से । पkह साल पहले मां कFसर से जझ
ू कर मर& और Bपता साल भर
पहले फेफडा गल जाने क वजह से ।
bयानबाब-ू ये लखन दे व कौन है ?
सेवाराम- बलदे व इंजी:नयर है पर तकद&र ठगी जा जक
ु है @कसी शाप पर काम करता है और लखन
क नौकर& छट
ू गयी है जो अब चौकदार क नौकर करके पSरवार पाल रहे है । यह& तो है वे◌े◌◌
े े
फSरLते जो झोपड़पrट& म2 और तकल&फ के समदर म2 डबकर
ू भी SरLते पर मर %मटने को तैयार
रहते है ।
bयानबाब-ू वो कैसे ?
सेवाराम-बाबू कौशल क जान लखन भईया क वजह से बची है । जब पास के न%सगहोम वालो ने

हाथ खड़ा कर %लये तो लखनभईया द0ल& के एक बडे न%सगं होम म2 कौशल को मरणासन
73
ि?थ:त म2 ले गये । वहां डा3टर ने पGचास हजार 4पये जमा करवाने को और दस बोतल खन

तर
ु त दे ने को कहा गया।
लखन- डां3टर साहब मF पGचास नह&ं साठ हजार अभी जमा कर दं ग
ू ा भले मझे
ु बाद म2 अपना कGचा
घर बेचना पडे । खन
ू भी दे दं ग
ू ा अपने तन को :नचोड़कर पर गारट& दो @क मेरे भाई को कछ
ु नह&ं
होगा ।
डा3टर- कोई गरट& नह&ं । बचेगा तो अपनी @क?मत से या मरे गा तो अपनी मौत से ।
लखन- डा3टर साहब आप कसाई है 3या ?
बलदे व-भईया सब धधा है । चलो अब सरकार& अ?पताल ले चले @क?मत पर ह& भरोसा करना है ।
लखन और बलदे व कौशल को लोहया अ?पताल म2 ले गये बड़ी नाजक
ु ि?थ:त थी पर डा3टरH और
?टाफ ने बहत
ु सहानभ:त ु ू दखायी कौशल को आपातकाल&न क^ म2 रखा गया जब@क एक पलंग पर
तीन तीन डेगू पीTड़ त थे और द0ल& डेगू महामार& बन हआ
ु था । लखन और बलदे व ने अपना-
अपना खन
ू दया। रे डuास सोसाइट& से खन
ू मF खद
ु ले कर आया था ।
bयानबाब-ू जब डेगू का आतंक था तब द0ल& म2 थे 3या ?
सेवाराम-कौशल के लोहया अ?पताल म2 भत[ होने के बाद खबर लगी थी । प:त-पनी तर
ु त
:नकल गये थे । दसरे
ू दन दोपहर म2 अ?पताल पहंु चे थे। अ?पताल तो मरघट बना हआ
ु था ।
दे खकर हम घबरा गये हमार& मैडम को तो रो रोकर वैसे ह& बरा
ु हाल था ।
bयानबाब-ू सच डेगंू ने तो द0ल& पर कहर बरसा दया । हम तो अखबार म2 पढकर रो पड़े थे । िजन
लोगो ने यह हादशा दे खा होगा तो उनका हाल सोच कर कंपकपी छट
ू जाती है ।
सेवाराम- कौशल क जान बच गयी । लखन और बलदे व दे वदत
ू साOबत हए ु कौशल के %लये ।
bयानबाब-ू सच लखन और बलदे व ने आदमी होने का फज बडी ईमानदार&
़ से :नभाया । इंसा:नयत के
SरLते को अपने लहू से सींचा । बहतु बड़ा काम @कये दोनो । एक पSरवार Oबखरने से बच गया ।
सेवाराम-छोटे छोटे दो बGचे है बीबी है । कछ
ु हो जाता सब अनाथ हो जाते । आज के जमाने म2 तो
सगे भी दरू होते जा रहे है । कौन @कसका पेट -परदा चलायेगा ? कछ
ु लोग तो मीठZ मीठZ बाते
करते है %सफ मतलब के %लये । जहां मतलब :नकला खंजर कर मार कर मr
ु ठZ भर आग और
डाल दये ता@क तडपते रहो ।
bयानबाब-ू लोग बहत
ु मतलबी हो गये है जब@क सब जानते है आदमी मr ु ठZ बांधकर आया है हाथ
फैलाये जायेगा ,इसके बाद भी छल,धोखा,जालसाजी,अयाचार,शो4ण,दोहन यहां तक दे ह Pयासपार
अंग Pयार तक करने लगा है आजका आदमी । आज आदमी ?वाथ म2 गले तक डब
ू गया है ।
सेवाराम-अब तो मान मयादा पर भी ?वाथ ने दहकता :नशान छोड़ना श4
ु कर दया है । प:त-पनी
का चHच लड़ी मामला कोट म2 । तलाक तक हो जा रहे है ।दहे ज दानव क फफकार
ु तो आज के यग

म2 और डराने लगी है । कभी लोग SरLते पर मर %मटते थे आज ?वाथ के %लये गला काटने के %लये
तैयार है । अरे मां-बाप िजसे धरती का भगवान कहते है वे जीवन क सांbय बेला म2 वb
ृ दा_म /
अनाथ आ‚रम का पता पछते
ू सड़क पर भटक रहे है । SरLते क ब"गया म2 जैसे पतझड आ गया है
। SरLते क ब"गया के फल
ू कब cखलcखलायेगे ?
74
bयानबाब-ू पाLचाय सं?कृ:त का जहर हमार& सं?कृ:त को ले डबे
ू गा । हमारे दे श म2 अ:त"थ
दे वो भवः मांता-Bपता धरती के भगवान है आद ऐसे अनेक SरLते के सोधेपन cखलcखलाते थे पर
आज पाLचाय सं?कृ:त ने ?वाथ क आग म2 झोक दया है जैसे ।
सेवाराम-वैLवीकरण के जमाने म2 आदमी %सफ अपने %लये जी रहा है । Oबरले ह& लखन,बलदे व,अ:नल
और उसक घरवाल& जैसे लोग है ।
bयानबाब-ू अ:नल और उसक घरवाल& बीच म2 कहां से आ गये ।
सेवाराम-अ:नल और उसक घरवल&, बलदे वक घरवाल& और लखन भईया क घरवाल& सभी ने कौशल
क बीमार& म2 रात दन एक कर दया था ।ऐसे लोग इंसा:नयत को िजदा रख सकते है ।
इंसा:नयत का SरLता कभी नह&ं मरे गा जब तक "गने चने
ु लोग बचे है आदमी के आसंू का मोल
समझने वाले ।
bयानबाब-ू धनी-गर&ब का, मा%लक-मजदरू का, अफसर- कमचार& का जा:त-Oबरादर& का आद ऐसे
बहत
ु कांटे आद%मयत क छाती म2 छे द कर रहे है । सामािजक बराईयां
ु तो और ह& मानवीय SरLते
को तार तार कर रह& है ।
सेवाराम- सामािजक बराईयां
ु मानवीय संवदे ना का नाश कर रह& है । आदमी-आदमी के बीच नफरत
क खाई खोदती है ,िजससे अब आदमी आदमी को नह&ं होता है । पद दौलत और जा:त क _ेeठता
का खले
ु आम दशन होने लगा है । ये सब तो आद%मयत के SरLते के %लये @कसी घातक जहर से
कम नह&ं ।
bयानबाब-ू ठZक कह रहे सेवाराम पर नाउQमीद होने क ज4रत नह&ं है । दे खो द0ल& म2 कछ
ु लोग
प^ी और आदमी के बीच SरLता जोड़ रहे है । द0ल& का प^ी अ?पताल द:नया
ु म2 %मशाल है ।
सेवाराम-बाबू ऐसी उ◌ू◌ंची सोच हो जाये तो @फर ये लटखसोट
ू ,SरLवतखोर&,भदे भाव सब खम हो
जाये।मझ
ु जैसे को हर पल हं सते जoम न %मले पर 3या यहां तो जoम के साथ जीना है ।
अमा◌ुनष और ?वाथ[ @क?म के लोग मr
ु ठZ भर आग बोते रहे गे। दे खो तQ
ु हारे पड़ोसी मकान नQबर
चौदह म2 रहने वाला यू एन ककरकाटव
ु ू पड़ो%सयH के घर म2 ताकझाक करता @फरता है ।दसरH
ू क
बीन बेटयH को बर&
ु नजर से दे खता है । बर&
ु :नय:त से पड़ोसी के घर तक म2 घस
ु रहा था ।
पड़ोसी क इjजत बच गयी । राह चलती महलाओं तक को छे ड़ता है । कहते है पड़ोसी भगवान
होता है । यू एन ककरकाटव
ु ू पSरवार तो शैतान से कम नह&ं है । ऐसे लोग SरLते का खन
ू ह& करते है

bयानबाब-ू ऐसे लोग मानवता के %लये कोढ क खाझ है । ऐसे लोग SरLता क गSरमा 3या समझेगे
? इनका सामहक
ू -सामािजक बहNकार होना चाहये । SरLते क आन तो रामलखन,बलदे व,अ:नल
और ऐसे लोग होते है जो SरLते को सmभावना,संवेदना का अमतपान
ृ कराते है ।
से◌ेवाराम-ठZक कह रहे हो बाबू ऐसे लोगो ने इंसा:नयत को िजदा रखा है । यू एन ककरकाटव
ु ू
पSरवार जैसे लोग तो मानवता और पड़ोसी के SरLते के %लये नासरू है ।
bयानबाब-ू हां सच है । सना
ु है तQ
ु हारे एक SरLते पर दै वीय पहाड़◌़ टट
ू गया है ।
सेवाराम-बाबराम
ू फफाजी
ू मर गये । बाबू SरLता टटा
ू नह&ं है । मेरे फफाजी
ू मरे है । द:नया
ु भर के
नह&ं ।
bयानबाब-ू ठZक कह रहे हो । ये SरLते तो अमर है िजस पर पSरवार और समाज जीवन पाता है ।
75
सेवाराम-बाबू हमारे यहां तो फफाजी
ू का SरLता बहत
ु सQमा:नत होता है ।
bयानबाब-ू फफा
ू और मामा का SरLता बहतु नजद&क का और पBव$ SरLता होता है । जीवन मरण
तो भु के हाथ म2 है । SरLते का सोधापन तो सदा हवा म2 समाया रहता है । अपनेपन और
मानवता को जीBवत रखता है । कछ
ु लोग तो बस खद
ु के %लये SरLते जोड़ते है । मतलब :नकलते
ह& दल के टकड़े
ु कर दे ते है ।कछ
ु लोग SरLते को उ◌ू◌ंचाई दे कर अमर हो जाते है । हम िजस क
पजा
ू करते है । वे भी तो हमारे जैसे थे । िजनके साथ आज आदमी और भगवान अथवा दे वता का
SरLता कायम हो गया है 3यH@क वे आद%मयत के SरLते का इ:तहास रचा है ।
सेवाराम-ठZक कह रहे हो बाबू आद%मयत का SरLता तो सव_ेeठ और महान है ।

bयानबाब-ू आदमी को धमवाद, जा:तवाद, छोटे -बडे के भेद, अमीर-गर&ब क खाई को पाटकर , आदमी के
सख ु म2 काम आकर आद%मयत के SरLते को अ"धक गाढ बनाने का बीड़ा उठाना चाहये ।
ु -दख
SरLते का सोधापन समय के आरपार वाहत होता है सेवाराम ।
सेवाराम-आओ हम सब आद%मयत के SरLते को धम बनाने क कसम खाये 3यH@क आद%मयत ह&
सबसे बडा धम और सबसे बड़ा कोई Sरशत जगत म2 है तो दद का। इस यथाशि3त :नवाह करने
वाले लोग सGचे आदमी कहलाने के हकदार होते है ।
सेवाराम क ललकार सनते
ु bयानबाबू सहत सभी लोग एक ?वर म2 बोले आद%मयत के SरLते के
हं सते जoम पीना कोई गनाह
ु नह&ं ।
17-जलसा
कQपनी क आधार%शला रखने के साथ ?थापना दवस मनाने का चलन श4
ु हो गया था । जLन
दे श के हर छोट बड़े दफतरो म2 मनाया जाने लगा था बकायदा कQपनी इसके %लये बजट दे ती थी ।
एक Bवशेषता तो यह भी थी @क कQपनी म2 कमचाSरयH और अ"धकाSरयH म2 Oबना भेद के :त
Pयि3त बजट का ावधान होता था। इस जLन म2 कमचार& ,अ"धकार& और उनका पSरवार बढ-चढ
कर भाग लेता था । यह जLन तो कQपनी के सभी कमचाSरयH के %लये एक यौहार हो गया था ।
बGचे तो जलसे के मह&ने भर पहले से ह& तैयार& म2 लग जाते थे । छोटे कमचाSरयH के बGचH के
%लये तो यह जलसे जैसा होता था । परा
ू पाSरवाSरक माहौल बन जाता था । सभी लोग Oबना @कसी
भेदभाव के आनद उठाते◌े थे । कमचार& और उनके पSरवार के लोग सां?कृ:तक म2 बढ-चढकर भाग
लेते थे । इस उसव म2 ऐसा लगता था @क मानो साल भर क भागमभाग के फार&क होकर सभी
कमचार& पाSरवाSरक माहौल म2 छr
ु ट& मना रहे हो । कQपनी का यह जलसा @कसी %सbद Bपक:नक
?पांट अथवा अGछे होटल म2 आयोिजत होता था । इस जलसे को Bवभाग मख
ु हं समख
ु साहब और
अ"धक पाSरवाSरक बना दे ते थे । जब तक वे कQपनी के शाखा मख
ु रहे तब तक छोटे कमचाSरयH
के पSरवार को घर से लाने और जलसा क समा◌ािNत के बाद घर तक छोड़ने का िजQमा बड़ी
िजQमेदार& के साथ :नभाते थे । कई बरसो बाद हं समख
ु साहब का ?थानातरण हो गया । उनक
जगह पर लाभचद साहब आ गये । लाभचद साहब के jवाइन करते ह& कQपनी के ?थापना दवस
आ गया । लाभचद साहब गमचप
ु ु जलसे क घोषणा शuवार
ु को शाम को दे र से कर तो कर द&
पर छोटे कमचाSरयH को भनक तक नह&ं पड़ने द& ।यह खबर @कसी तरह चपरासी बहकद&न
ु तक
पहंु च गयी । वह सतोषबाबू

से बोला-बडे बाबू आज के बाद दो दन क छr
ु ट& पड़ रह& है ।
76
सतोषबाब-ू हां श:नवार रBववार क छr
ु ट& तो पहले से होती आ रह& है ।इसम2 नई बात 3या
है ।
बहकद&न
ु - है uk
सतोष-तम
ु इंसीडेटल क बात कर रहे हो । अरे भाई इंसीडेटल और ओवर टाइम तो खास लोगH
के %लये होता है । हं समख
ु साहब ने काम तो खब
ू करवाये पर इंसीडेटल और ओवर टाइम चहेतो
को दये । हम तो पहले से पेट पर पrट& बांधे हए
ु है । आंख म2 आंसू भरे हए
ु है और मेर& योwयता
पर व{पात हो रहा है । मF नये साहब से भी कोई उQमीद नह&ं करता । बस अपना काम ईमानदार&
से करता रहंू गा ।
बहद&न
ु - सोमवार को कQपनी का वाBषक जलसा मनने वाला है । आप तो जानते ह& हो @क साहब
लोग इकतीस माच के पहले कभी भी मना सकते है । बजट को उपभोग करना जो होता है ।
सतोष- सब बात तमको
ु कैसे मालम
ू पड़ जाती है ।
बहकद&न
ु - €ाइवर,चपरासी और घर म2 काम करने वाल& बाई से कछ
ु नह&ं :छप सकता लाख कोई
:छपाये बड़े बाब।ू
सतोष-वाBषक जलसे म2 :छपाने जैसी 3या बात है ।
बहकद&न
ु - है तभी तो @कसी छोटे कमचार& को मालम
ू नह&ं है । "चrठZ भी नह&ं जायेगी सभी फ0उ
अफसरH को फोन पर खबर पहंु चग
े ी । छोटे कमचाSरयH को दरू रखे जाने क सािजश रची जा रह&
है ।
सतोष- तमको
ु कोई गलतफहमी हो गयी है बहकद&न
ु ।
बहकद&न
ु -नह&ं बड़े बाबू । कोई गलतफहमी नह&ं है । लाभचदसाहब %सफ अफसरH को बलाना
ु चाहते
है । छोटे कमचाSरयH को दरू रखना चाहते है । गैप मेनटे न जो करना है ।
सतोष-3या ? कह रहे हो मेर& तो कछ
ु भी समझ म2 नह&ं आ रहा है ।
बहकद&न
ु -सोमवार को समझ म2 आ जायेगा आ@फस आने पर
सतोष- 3या मालम
ू पड़ जायेगा?
बहकद&न
ु - सGचाई
सतोष-यार साहब ने मझे
ु बताया तो है नह&ं । ऐसे कैसे जलसा आयोिजत हो जायेगा । बGचे तो
सबह
ु ?कू ल चले जायेगे । पनी क तOबयत खराब है तम
ु सभी जानते हो चलना @फरना बड़ी
मिL
ु कल से हो पाता है । कैसे बGचे आयेगे ।
बहकद&न
ु -लाभचद साहब और उनके चममचे यह& चाहते है @क छोटे कमचार& और न उनके बGचे
जलसे म2 शा%मल हो पाये । सोमवार को आ@फस खलने
ु पर स"चत
ू तो करे गे ता@क छोटे कमचार&
अछतH
ू क तरह जलसे से दरू रहे , जानते है uk बड़े बाबू ?
सतोष- 3या?
बहकद&न
ु -इ0जाम भी आपके %सर आने वाला है ।
सतोष-यार तम
ु मझे
ु 3यH भड़का रहा है ।
बहकद&न
ु -भड़का नह&ं सह& कह रहा हंू अपने जाससी
ू कानH क कसम । गाज तो बड़े बाबू तम
ु पर
"गरने वाल& है । सावधान रहना ।
77
सतोष- 3या गाज "गरे गी । हम2 ओवर टाइम और इंसीडेटल से कोई लगाव नह&ं है । ज4रत
पड़ेगी तो आकर काम कर दं ग
ू ा कQपनी के %लये बस ।
बहकद&न
ु -यह& वफादर& तो गाज का कारण बनने वाल& है ।वैसे भी ये साहब अपने वालH को jयादा
तवjजो दे ते है । जब से आये है तब से दा4 के कये
ु म2 कद ू कर जLन ह& तो मना रहे है ।यह
ू -कद
जLन 4तबेदार तभी होगा जब छोटे लोग जी हजर& ु करे चQमचH क तरह । जो कछ ु कह रहा हंू
सनी
ु सनाई
ु ह& नह&ं खंजांचीबाबू भी Bवuय अ"धकार& से ब:तया रहे थे इसी बारे म2 । सोमवार को
आ@फ%सयल& छोटे लोगो को स"चत
ू @कया जायेगा ता@क छोटे लोग सपSरवार नह&ं पहंु च पाये । दे खना
सोमवार को यह& होगा ।
सतोष-अरे नह&ं बहकद&न
ु इतने बड़े बड़े साहब लोग भला ऐसा सोच सकते है 3या ? तमको
ु कोई
गलतफहमी हई ु है ।
बहकद&न
ु -3यH इतने भोले बन रहे हो बडे बाबू सबसे jयादा तो आपके साथ भेदभाव होता है ।
दे खना मF जो कह रहा हंू वह& होने वाला है ।हमारे और आपके बGचे जलसे म2 नह&ं जा पायेगे
।दफतर क गाड़ी म2 तो साहब और उनका पSरवार जायेगा । दफतर क गाडी साहब के %लये चौबीस
घटे के %लये Sरजव है । हम जैसे छोटे लोग तो भर आंख दे ख भी नह&ं सकते । बाक लोगH का
इटाइटलमेट है yवेल से कार बला
ु लेगे हम और आप साइ@कल से जायेगे 3या ? परा
ू पSरवार
लेकर वह भी शहर से पGचीस @कलोमीटर दरू ।
सतोष- "चता मत करो साहब सबके %लये Pयव?था कर2 गे । ऐसा भेदभाव नह&ं करे ग2 । अरे हमारे
नाम का भी पैसा तो कQपनी ने दया है %सफ साहब लोगे◌ा◌ं के %लये थोडे ह& ?थापना दवस का
जलसा आयोिजत होता है ।
बहकद&न
ु - मझे
ु जहां तक जानकार& है लाभचदसाहब %सफ अ"धकार& वग को जलसे म2 शा%मल
करना चाहते है । हं समखसाहब
ु जैसे छोटे बड़े सबको साथ म2 लेकर नये साहब नह&ं लेकर चलने
वाले । पराने
ु oयालात के लगते है । पराने
ु oयालात के लोग @कतने खतरनाक होते है वं"चतH के
%लये।बड़े बाबू ये 3यो भल
ू जाते हो आप भी उसी वं"चत समाज से आते हो । आपके cखलाफ @कतने
षणय$ रचे गये और रचे जा रहे है :नरतर यहां 3या आप भल
ू गये ।
सतोष-ऐसी बाते मत करो बहकद&न
ु । पढे %लखे हो उGच Bवचार रखो । कांटे बोने वालH के %लये
फल
ू बोओ बाक सब भल
ू जाओ। अGछाई के बारे म2 सोचे बर&
ु यागो बहकद&न
ु । अभी जलसे क
कोई चचा नह&ं है । सोमवार को जLन कैसे मन पायेगा । मझे
ु तो नह&ं लगता । बहकद&न
ु जब भी
जलसा आयोिजत होगा हमारे तQ
ु हारे और सभी के बGचे शा%मल होगे कQपनी के जलसे म2 । यद
तQ
ु हार& बात सह& हई
ु तो सचमच ु म2 छोटे कमचाSरयH के साथ अयाय होगा ।
बहकद&न
ु -अयाय तो होकर रहे गी 3यो@क हवा लाभचद साहब के jवाइन करते ह& Bवपर&त चलने
लगी है खासकर छोटे और शोBषत कमचाSरयH के सतोषबाबू । आप मेर& बात मान भी तो नह&ं
सकते 3यH@क आपका दजा मझसे
ु थोड़ा उ◌ु◌ंचा जो है ।
सतोष-बहकद&न
ु तम
ु भी कमचार& हो मF भी । ठZक है मF बाबू हंू तम
ु चपरासी हो बस इतना सा
फक है ।
बहकद&न
ु - साहब लोग तो इससे उपर सोच रहे है ना ।कमचाSरयH और अ"धकाSरयH म2 गैप मेटे न
करना चाहते है । श4आत
ु तो बहत
ु पहले से हो गयी है । आप तो भेद क तलवार हर चहरे पर
78
तनी दखने लगी है । खैर बहत ु बात हो गयी । इस बारे म2 @कसी से कछु कहना नह&ं । नह&ं तो
मF तारगेट हो जाउ◌ू◌ंगा ।जLन तो सोमवार को ह& मनेगा यह भी नोट कर लेना ।
सतोष-इतना अयाय तो नह&ं होगा बहकद&न
ु ।
बहकद&न
ु -होगा मेर& बात 3ये◌ा◌ं नह&ं मानते । पराने
ु सारे अयाय भल
ू गये 3या ?
सतोष-हां । कल का सरज
ू खशी
ु लेकर आयेगा ।
बहकद&न
ु -सोचने और हककत म2 अतर है ।अपने दफतर म2 यह अतर %सर चढ़क बोलने लगा है ।
सतोष-दे खते है सोमवार को 3या होता है? अब मझे
ु काम कर लेने दो ।बहत
ु काम है । दे खो इतनी
सार& Sरपhट बनानी है और टाइप भी करनी होगी ।
बहकद&न
ु -करो बाबू अरमानH क ब%ल चढाकर । इन लोगH को खश
ु नह&ं कर पाओगे @कतनH रात
दन एक कर दो । श:नवार और रBव◌ार क छटट&
ु है । अस%लयत से तो सोमवार को 4ब4 हो
पाओगे सतोष बाबू ।
सतोष-इतजार क4ंगा और भगवान से ाथना भी @क सब कछ
ु अGछा हो ।
श:नवार और रBववार क छr
ु टयां खम हो गयी । सोमवार के दन सतोष दफतर पहंु चा दोपहर के
खाने क ट@फन लेकर । wयारह बजे तक सतोष को भनक तक नह&ं लगने पायी पर अदर -
अदर सार& तैयाSरयां चल रह& थी । श:नवार और रBव◌ार क छr
ु टयH मे◌े◌ं बGचH के खेल cखलौने
एवं "गफr आद के नाम पर अGछZ खर&दार& और कमाई भी लाभचदसाहब के चQमचH ने क । दो
दन क छr
ु ट& का इंसीडेटल भी %लये । खैर ओवरटाइम और दसरे
ू अय फायदH से सतHष को
पहले से ह& दरू रखे जाने का षणय$ था पर काम तो करना ह& पड़ता था आंखH म2 आसू :छपा कर
। सतोष काम म2 लगा हआु था इतने म2 बहकद&न
ु पानी का "गलास टे बल पर पटकते हए
ु बोला लो
बड़ेबाबू पानी पी लो ।
सतोष-पानी Bपला रहे हो या टे बल तोड़ रहे हो ।

बहकद&न
ु -बडेबाबू दमाग बहत
ु खराब है अभी ।
सतोष-3यH ।
बहकद&न
ु -कQपनी क ?थापना के जलसे का आयोजन आज हो रहा है uk । मेरे बGचे कैसे जायेगे ।
सब ?कूल गये है । मF खद ु ट@फन लेकर आया हंू ।होटल चांद शहर से बीस @कलोमीटर दरू है ।
कैसे पहंु च सकता हंू ।
सतोष-3या ? मF भी ट@फन लेकर आया हंू ।मेरे बGचे भी ?कूल गये है । ये कैसा जलसा है ।
इतने म2 लाभचद साहब कालबेल पर जैसे बैठ गये बहकद&न
ु भागा भागा गया ।
साहब-बहकद&न
ु होटल चांद म2 आ जाना कछ
ु दे र म2 । टाइBप?ट 3या नाम है उसका ?
बहकद&न
ु -बड़े बाबू का नाम ।
साहब-हां वह& तQु हारे बड़े बाबू ।
बहकद&न
ु -सतोष बाबू
साहब- हां । सतोष उसको भी बोल दे ना । लंच तम
ु लोग वह& कर लेना ।
बहकद&न
ु - कोई ो\ाम है होटल चांद म2 साहब ?
साहब-हां कQपनी के ?थापना दवस का जलसा मन रहा है uk आज ।
बहकद&न
ु -3या ?
79
साहब-मंह
ु 3यH फाड़ रहे हो । जाओ बड़े बाबू को बलाकर
ु लाओ ।
बहकद&न
ु - साहब के ह3
ु म का ता%मल @कया ।
सतोष साहब के सामने हािजर हआ ु । साहब उसको दे खकर बोले 3यH सतोषबाबू जलसे म2 नह&ं
चल रहे हो 3या ?
सतोष- कैसा जलसा सर
साहब-3यH खंजाची साहब ने तमको
ु नह&ं बताया था ? 3या तमको
ु ये भी पता नह&ं सभी कमचार&
सपSरवार इस जलसे म2 शा%मल होते है ।
सतोष- सभी सपSरवार शा%मल होते है यह तो मालम
ू है पर ये तो नह&ं मालम
ू था @क अभी wयारह
बजे जलसे का आयोजन हो रहा है । वह भी शहर बीस @कलोमीटर दरू पहाड़ो के बीच म2 ।
साहब-अब तो मालम
ू हो गया ना ? आने का मन बने तो जाना नह&ं तो दफतर का काम दे खो
कहते हए
ु लाभचद साहब ससिj
ु जत कार म2 बैठ गये कार पहाड़H के बीच ि?थत चांद होटल क
और दौड़ पड़ी और उसके पीछे दसरे
ू अफसरH के कारH का का@फला भी । अब सतोष बाबू के सामने
%सर धनने
ु के %सवाय और कोई रा?ता न था ।
बहकद&न
ु - बड़े बाबू 3यH %सर पर हाथ रखकर बैठे हो। शाम छः बजे तक काम :नपटाओ और घर
जाओ साहब यह& कहकर गये है ना । वाह रे साहब छोटे कमचाSरयH का हक मार कर बोतले
तोड़ेगे,ठमका
ु लगायेगे । ये कैसे साहब लोग है जो feटाचार को पोष रहे है ? कमजोर कमचाSरयH के
हत दबोच रहे है । शे◌ाBषत / कमजोर कमचाSरयH के हतH क र^ा सामतवाद& सोच के साहब
लोग कैसे होने दे गे ? दे खो सतोष बाबू मF तो अब जा रहा हंू । लंच करने का मन नह&ं हो रहा
है ,मझे
ु :नकाह म2 जाना है । चाभी रखH । बद कर दे ना । तकल&फ तो होगी पर सबह ु थोड़ा ज0द&
आ जाना । झाडू वाल& नौ बजे आती है ना ।
सतोष-ठZक है । मझे
ु तो बैठना ह& होगा वरना कोई इ0जाम %सर आ जायेगा ।
बेचारे सतोषबाबू सायं साढे छः बजे तक दफतर म2 काम करते रहे । साढे सात बजे घर पहंु चे ।
पापा के आने क आहट से बडी बीटया बाहर आयी । सतोषबाबू के हाथ से ट@फन थामते हए ु
बोल& पापा आपक कQपनी का सालाना जलसा कब होगा ? सतोषबाबू क जीभ तलवे से "चपक
गयी इतना बोल पाया @क कब तक जलना होगा मr
ु ठZ भर आग म2 और अचेत होकर खटया पर
"गर पड़े धड़ाम से ।
18-पथराव
%मसेज दयावती-शहर क 4ह तो छलनी कर दया उपkBवयH ने ।चार मर गये परेू शहर म2 कफ् यू
लग गया । उपkBवयH ने परेू शहर को %सर पर उठा %लया है ।ये दे खो अखबार भी लहलहान
ू ु हो रहा
है । अखबार म2 छपी त?वीर म2 कैसे लोग आमने सामने से एक दसरे ू पर पथर फेक रहे हF। गोल&
चल रह& है । बम फ2के जा रहे है । ये कैसा पथराव है एक दसरे
ू क जान लेने के %लये धम के नाम
पर ।
%म?टर दे वानद-त?वीर से 4ह का◌ा◌ंप रह& है । कल उपkव और पथराव क वजह से तो दफ् तर
ज0द& बद हआ
ु था । @कसी तरह से जान बचाकर आया था परेू शहर म2 भगदड मची हई ु थी ।
एक समदाय
ु दसरे
ू पर टट
ू रहा था जैसे क
ु ते टटते
ू है एक दसरे
ू पर । शहर जल रहा है । लोगH के
घर जल रहे हF । बGचे भख
ू से Oबलख रहे हF । शहर क ग%लयां खन
ू म2 नहायी हई
ु हF ।उपkBवयH
80
का कोई धम नह&ं होता । ये लोग नंगे लोग होते हF । धम के नाम खन
ू बहाते है । अपना
मतलब साधते है । ये मौकापर?त लोग लहू पी कर पलते है । Bवष बीज बोते है । आग से सींचते
है । ये लोग दे श और समाज के अि?मता से खेलते हF । रजू क मQमी उपkBवयH का कोई मजहब
नह&ं होता। कोई मजहब आपस म2 लडना नह&ं सीखाता। अपयश मजहब के माथे 3यH ?
%मसेज दयावती◌ा-ये लो चाय पी लो । गैस भी खम होने वाल& है । दध
ू भी अब नह&ं है ।अगर
ऐसे ह& शहर आतंक के साये म2 रहा तो आंसू पीकर दन गजारने
ु पडेगे । बडी मिL
ु कल से तो सा^ी
बीटया ने चाय बनायी है पी लो
%म?टर दे वानद- चाय का Nयाला उठाते हए
ु बोलो आज तो चाय %मल रह& है कल दे खो 3या होता है
?
इतने म2 %मसेजदयावती "च0लाकर बोल& अरे सा^ी के पापा वो दे खो प%लस
ु क गाडी सायरन बजाते
हए
ु अपने घर क ओर आ रह& है । लोग भेड बकर& क तरह भाग रहे हF ।
सा^ी- मQमी वो सामने क दध
ू क दकान
ु भी बद हो गयी दस %मनट पहले ह& तो खल&
ु थी ।
%मसेज दयावती -बेट& दध
ू तो %मल जायेगा । पहले िजदगी सह& सलामत तो बची रहे ।
नहा तीक घबराकर बोला मQमी-आतंकवाद& लोग अपने घर पर तो हमला नह&ं करे गे ।
संखी-भइया तम
ु घर म2 हो घर म2 कोई कैसे घसे
ु गा ।हम अदर बाहर ताला लगा लेगे ।
%मसेज दयावती-बेट& सा^ी तीक को अदर ले जाओ । कोइ◌्रर ् काटू न @फ0म लगा दो दे खता
रहे गा ।
सा^ी-ठZक है मQमी
%म?टर दे वानदा-रं जू क मQमी सावधान रहना । उपkBवयH का कोई भरोसा नह&ं कब 3या कर बैठे
।धमाध उपkBवयH को कोई चीख पकार
ु अथवा मदद के ?वर नह&ं सनाई
ु पडते ।उनको बस मारो
काटो के ?वर सनाई
ु पडते हF 3यH@क उनक आंख म2 सपने नह&ं खन
ू खौलता है ।
%मसेज दयावती- चाय पीये नह&ं उठाकर रख दये । कफ् यू क घोषणा बेमुmदत क है । चाय पी लो
कल %मल पायेगी क नह&ं। गेहू ं पीसाना रह गया। आटा भी बहतु कम बचा है । दाल-तेवन भी घर
म2 नह&ं है । सiजी वाले भी नह&ं आ पा रहे है । अचार से दो दन :नकाल लेगे । अपनी तो बस
इतनी ह& तमना है @क शहर म2 शाित हो जाये । सा^ी के पापा चाय पीओ
%म?टर दे वानद-चाय तो गले से नीचे उतर ह& नह&ं रह& है । ये दे खो कैसी भयावह त?वीर छपी है
।उदापरा
ु म2 हए
ु पथराव म2 घायल आदमी के %सर से कैसे खनू के फववार2 फट
ू रहे हF । परा
ू शहर
हंसा क चपेट म2 आ गया है । @कतने दभा
ु wय क बात है @क एक दे श एक शहर एक ब?ती म2
रहने वाले लोग एक दसरे
ू के उपर पथर बम और बदक
ू से हमला कर रहे है । कछ
ु ह& धटो म2
तीन yक से अ"धक पथर एक दसरे
ू के उपर फ2के गये है । इस पथराव म2 बेचारे गर&ब मजदरू और
:नदhष हताहत हएु है तीस से अ"धक लोग घायल हF। मरने वाले कोई @कसी संगठन का पदा"धकार&
नह&ं है । सब गर&ब मजदरू लोग मरे हF । परेू शहर म2 कफ् यू के साथ ह& धारा 144 क चपेट म2 है
। परा
ू शहर भोल& भाल& :नदhष जनता के खन
ू से लथपथ है । मां अह0याबाई क आमा रो रह&
होगी शहर क यह भयावह ददु शा दे खकर । सा^ी क मQमी गले से नीचे चाय उतर नह&ं रह& है ।
%मसेज दयावती-बाप रे बेमुmदत कफ् यू कैसे ज4र& चीजे %मलेगी । काश ज0द& शहर क
रं गत लौट जाती । सब सामाय हो जाता ।घर म2 ह& डर लगने लगा है ।कब 3या बरा
ु हो जाये
सोचकर
81
%म?टर दे वानद-शहर म2 जंगल क ,परदे शीपरा
ु हर कह&ं पथर बरस रहे हF तो कह& गोल& ।
परा
ू शहर उ\वाद क चपेट म2 हF । एक समदाय
ु के लोग दसरे
ू का खन
ू पीने के %लये कटार लेकर
दौड रहे है । ऐसे म2 तो भगवान भी कोई गारट& नह&ं दे सकता ।
सा^ी-पापा धम के नाम पर लोग ऐसा 3यH करते है । @कसी क हया कर दे ते है । @कसी को जला
दे ते है । @कसी का घर जला दे ते है । ऐसा तो कोई धम नह&ं कहता ।
%मसेज दयावती- ऐसे मौकापर?त लोग होते है । इनका कोई धम नह&ं होता है । ये तो आदमी का
खनू पीकर पलते है । इनका धम होता है आतंक ।
तीक-खलनायक कहो ना मQमी
सा^ी-अरे वाह रे तीक तू तो बडा उ?ताद :नकला ।
तीक-कसाई को दे खकर बकरा भी तो डरता है । अनहोनी का डर सभी को होता है ।
अ◌ातंकवाद&/उ\वाद& भी तो कसाई ह& हF ।
%मसेज दयावती-ठZक कह रहे हो तीक। कसाई ह& तो है तभी तो आदमी का खन
ू बहाने म2 सRय
समाज के Bवरो"धयH को त:नक भी डर नह&ं लगता ।
%म?टर दे वानद- ठZक कह रह& हो । उपkBवयH ने तीन जलाई
ु से शहर क अि?मता के साथ खेलना
श4
ु @कया था । छः तार&ख हो गयी पर शहर वैसे ह& धंध
ू ूं कर जल रहा है ।
%मसेज दयावती- छोटे छोटे बGचे डर सहमे रह रहे है । ये दे खो अखबार म2 छपी त?वीर नह&ं सी
बGचा कैसे शटर को नीचे से उचका कर बाहर दे ख रह& है । आंख2 ऐसे लग रह& है @क अभी रो पडेगी
। @कतना भयावह मंजर हो गया है ।
%म?टर दे वानद- उपkव तो बद नह&ं हआ
ु । राजनै:तक पथराव श4 ु हो गया । राजनेता लोग अपनी
अपनी कस[
ु के ढ&ले जोड को जoम क कलH ◌ो द4?
ु त करने म2 जटु गये हF ।
%मसेज दयावती-बहत
ु बह गया खन ू ।बहतु हो गया उपkव अब तो शाित चाहये शहर को । शाित
Bपरय
् शहर द:नया
ु म2 बदनाम हो रहा है । सRय समाज के दLु मनH क वजह से
%म?टर दे वानद- बेचारे रोज कआं
ु खोद कर पानी पीने वाले तो भखे
ू मर रहे है । दरू दरू से शहर म2
%श^ा लेने आये बGचे भखे
ू दन रात Oबता रहे है । दवा दा4 के Oबना लोग परे शान हो रहे है ।
उपkBवयH ने हवा म2 @फजां म2 जहर और जीवन क राह म2 बा4द Oबछा दया है ।
%मसेज दयावती-धम के नाम पर बवाल मचा हआ है । वह& दसर&
ू ओर दोनH समदायH
ु के लोग एक
दसरे
ू क मदद कर रहे है । सब क खाहश है @क शहर म2 ज0द& रौनक लौटे । ये उपkवी धा%मक
उमाद फैलाकर 3यH धम क महता के साथ अLल&ल Pयवहार कर रहे हF ।
%म?टर दे वानद-ठZक कह रह& हो । शहर म2 तरफ उमाद& आतंक फेला रहे है तो वह& दसर&
ू ओर
रBव वमा,सशील
ु गायेल,अजय काकाणी जैसे कई लोग जान क बाजी लगा शाित और सmभाव
कायम करने के यासरत ् है । सेवाभारती तथा जैनसं?कार जैसी सं?थाये भी अमन क इबारत
%लखने म2 जट&
ु हई
ु हF । अमन तो शहर म2 ज0द& होगा Bवघटनकार& शि3तयां और कछु धमाध
मतलबी लोग सmभावना क राह म2 रोडे डाल रहे है । यकनन ऐसी Bवघटनकार& सं?थाय2 और
उपkवी मतलOबयH के नाम पर थक
ू े गी ।
सा^ी-काश शहर म2 सmभाव और शाित ज0द& ?थाBपत हो जाती ।
82
%मसेज दयावती- ज4र होगा । जनता तो सब समझ गयी है । उमादयH को धम से कोई
लेना दे ना नह&ं है । वे तो अपने ?वाथ %सिbद के %लये इंसा:नयत क ब%ल चढा रहे है ।
%म?टर दे वानद-जनता के पैर म2 भले ह& कफ् यू क बेTडया पडी है । जर` -जर` पर सनाटा है । पग
पग पर उपkBवयH का खौफ हF ।इसके बाद भी जीवन गाडी का पहया कहां थमा है ।कफ् यू म2 ढ&ल
%मलते है । आवाम गले %मलने को आतरु हो उठता है । राजवाडा,छपपन दकान
ु और सावज:नक
जगहH पर आतंक के खौफ के बाद भी लोगH क भीड उमड रह& है । अपने वीणानगर म2 ह& दे खो
बडे भले ह& घरH म2 दबक ु है पर बGचे खेल म2 मशगल
ु े हए ू है । हां ये बात अलग है @क सायरन क
आवाज सनकरु जां जगह पाते है वह :छपने लगते है । बहतु भयानक आग लगी है । बझना ु
चाहये
%मसेज दयावती-आग तो बझे
ु गी पर िजस मां का बेटा मारा गया । िजसका प:त मारा गया जो बGचे
अनाथ हो गये । 3या उनके धम के नाम पर खनी
ू खेल खेलने वाले वापस कर पायेगे ।या उनके
पSरजनH का सहारा बनेगे । जीवन म2 दद भरने वालH का सयानाश हो
%म?टर दे वानद- अखबार म2 छपी सचना
ू के मताOबक
ु कल बारह बजे से राO$ के दस बजे तक
कफ् यू म2 ढ&ल रहे गी ।
%मसेज दयावती-दफ् तर जाओगे ?
%मसेज दे वानद- हां कब तक घर म2 कैद रहे गे । हो सकता है कल दन ठZक ठाक रहे तो परसH से
कफ् यू उठ जाये । वैसे कफ् यू तो आम जनता क जान माल क र^ा के %लये ह& लगता है । इसम2
अपराधी @क?म के लोगो क धरपकड होती है । यह ज4र& भी है । इसी से तो उपkBवयH क नाक
म2 नकेल पडती है ।
%मसेज दयावती-महं गाई तो वैसे ह& कमर तोड रह& थी । शहर म2 फैले उपkव ने तो जीना ह& हराम
कर दया । कमते पहंु च से दरू होने लगी है । काश @फर कभी शहर और दे श म2 उपkव का
jवालामखी
ु नह&ं फटता
ू ।
%मसेज दयावती-सरकार और सRय समाज को %मलकर उपkBवयH का दमन करना होगा तभी Bवkोह
का jवालामखी
ु नह&ं फटे
ू गा ।
%म?टर दे वानद-ठZक तो कह रह& हो पर ऐसा हो तब ना । इसके %लये पo
ु ता इतजाम करना होगा
। मानवतावादयH को धम,सQदाय और जा:त से उपर उठकर उपkBवयH और अपने बीच द&वार
खींच दे नी चाहये । ता@क ना बहे @फर कभी खन
ू क धारा । आद%मयत ,अमन-शाित के Bवरोधी
अपनी अपनी OबलH म2 कैद रहे । जब कभी :नकले तो इनका दल पसीज गया हो । मानवता,समता
सmभावना और शाित के दत
ू बनकर :नकले ता@क कभी ना हो सके पथराव । दे श ग:त क राह
पर सरपट दौडता रहे ।
%मसेज दयावती-एक बात कहंू ।
%म?टर दे वानद-अरे घर म2 कैद है । बाहर उपkBवयH का भत
ू है । अब ना कहोगी तो कब कहोगी
जो कछ
ु कहना हो कह सना◌ाओ
ु । भरपरू समय है सनने
ु सनाने
ु का ।
%मसेज दयावती- तमु तो बहत
ु कछु कह गये मF तो कछु और ह& सोच रह& थी ।
%म?टर दे वानद-भागवान कहो ना हमने तो ऐसा वैसा कछ
ु नह&ं कहां
%मसेज-चलो तम
ु जीते मF हार& । अपनी बात कहती हंू ।
83
%म?टर दे वानद-पहले मेर& बात सनो
ु ध@कयानसी
ु बात2 ना करो । तम
ु हमेशा से जीतती आयी हो
। मF तो हारा हआ
ु %सपाह& हंू तQ
ु हारे सामने।
%मसेज दयावती- दे खो मm
ु दे से ना भटकाओ । बात उपkव और कफ् यू से होकर कह&ं और जा रह& है
। नजर कह&ं :नशाना कह& लग रहा है । मेर& बात सनो
ु ।
%म?टर दे वानद-Oब0कुल नह&ं मF मm
ु दे पर ह& कायम हंू ।
%मसेज दयावती-जब तक धम का उपभोग अफम क तरह और जा:तवाद का दQभ हंु कार भरता
रहे गा तब तक उपkव मचता रहे गा । 3यH ना धम को मानवक0याण से जोडा जाये । जा:तवाद क
मायता रmद कर द& जाये । ऐसा हो गया तो ऐसे उपkव नह&ं होगे । आदमी के खन
ू से सडके
ग%लयां नह&ं नहा पायेगी ।
%म?टर दे वानद-बात तो बहत
ु अGछZ है ले@कन धम और जा:त के बीच से होकर रा?ता द0ल& तक
जाता है । सार& उपkव क जड धा%मक और जातीय उमाद म2 है । उपkवी लोग धम को बदनाम
कर रहे हF ।सmधम, सवसमानता , बहजनहताय
ु एंव बहजन
ु सखाय
ु का सGचा हर& होता है ।
सा^ी- चलो अGछZ बात हई ु । उपkव क नाक म2 नकेल पड गयी । कफ् यू भी कछ
ु दन राO$ दस
बजे से सबह
ु छः बजे तक रहे गा । अब पापा दफ् तर जा सकते है , मF और तीक ?कूल भी ।
पथराव का डर तो मन म2 रहे गा ना पापा । कई लोग मरे है । कई गल& मोह0ले खन
ू से लाल हए

है ।
%म?टर दे वानद- बेट& डरते नह&ं । जनता क सर^ा
ु के %लये प%लस
ु फोस जो चपे चपे पर तैनात है
अभी भी।
%मसेज दयावती-बेट& डरना नह&ं । भयावह सपना मानकर भल
ू जाना । ?कू ल म2 दसरे
ू धम के बGचH
के साथ %मलजल
ु कर रहना । नफरत नह&ं सmभावना के बीज बोने होगे ?कूल के ?तर से तभी
बGच2 सवधम सवसमानता के नै:तक दा:यवH का पालन कर सकेगे ।
%म?टर दे वानद-बेट& तQ
ु हार& मQमी ठZक कह रह& है ।सmभावना से नफरत क जड पर हार @कया
जा सकता है । ऐसा हार पथराव को जम ह& नह&ं दे ने दे गा ।
सा^ी- पापा याद रखंग
ू ी ।
%मसेज दयावती- जा बेट& अपना और तीक बैग जमा लो कल से ?कूल जाना है ना ।
सा^ी- हां मां
%मसेज दयावती-दे खो छोटे -छोटे बGचे @कतने खश
ु है । शहर क रं गत लौटते ह&
%म?टर दे वानद- अमन तो सभी को पसद होता है । कौन खतरH से खेलना चाहे गा । अपने को
ु म2 झोकेगा। धा%मक/सामािजक बीमाSरयH के कोप से पथराव होते है । खन
मौत के मंह ू बहते है ।
बGच2 भी डर गये है पथराव से
%मसेज दयावती-डर तो हम गये थे ये तो बGचे है । डर कर भी तो जीवन नह&ं चलता ।
%म?टर दे वानद-हां ठZक कह रह& हो । डर तो था ,जब तक उपkव था, शहर म2 कफ् यू था कब कहां
से पथर या गोल& बरस पडे । कफयू म2 त:नक छट
ू %मलते ह& लोग ज4र& चीजH के %लये दौड पडते
थे ।
84
%मसेज दयावती- उपkBवयो ने ऐसा खनी
ू खेल ह& खेला है @क डर बन गया है । धीरे धीरे खम
हो जायेगा । सब कछ
ु सामाय हो जायेगा । कब तक पथराव का भत
ू पीछा करे गा ? कब तक
शर&फ आदमी हं सते जoम संग जीयेगा ।
%म?टर दे वानद- राey&य अि?मता एवं मानवीय एकता के %लये साQदा:यकता के Bवष बीज को
उखाड फ2कना होगा वरना ये साQदा:यत ताकते खद
ु को सर]^त
ु कर शाित और सmभावना के
दामन जoम %मल रहे गे ।
19-बारात
इकतीस दसQबर क आcखर& और पहल& जनवर& क थम अधराO$ म2 नदन के घर एक नहे
फSरLते का अवतरण हआ ु । बGचे के रोने क आवाज सनकर
ु नदन के मन म2 आ:तशबाजी होने
लगी । कछु दे र के बाद रमरजी काक घर म2 से बाहर :नकल& । नदन आगे बढकर काक का पांव
छये
ु ।
रमरजीकाक-खब
ू तर3क कर बेटवा, बेटा हआ
ु है ।
चौथी औलाद बेटा के सनते
ु ह& नदन के दल से बोझ उतर गया । नदन बGचे का नाम हर& रखा
। नदन हर& को पढा %लखाकर दरोगा बनाने का सपना दे खने लगा पैदा होते से ह&। वह भी ऐसे
समय जब आजाद& क जंग के शोले हर कान पर द?तoत दे ने लगे थे । भयावह सामािजक ि?थ:त
भी थी । तथाक"थत छोट& जा:त के लोगो के साथ तो जानवर से भी बरा
ु Pयवहार होता था ।
दभा
ु wयवस ऐसे समाज म2 नदन भी आहे भर रहा था । गर&बी एवं दयनीय सामािजक ि?थ:त के
बाद भी वह हQमत नह&ं हारा । हर& का नाम ?कूल म2 लाख %मन:तयां कर %लखवा दया जब@क
उसक जा:त के बGचH का अघो%शत 4प से ?कूल म2 वेश बद था । हर& को भी ?कूल म2 बहत ु
मिL
ु कल2 आयी । अछत
ू जा:त का होने के नाते उसे क^ा म2 सब बGचH से पीछे बैठाया जाता था ।
जहां मा?टर साहब क आवाज भी नह&ं पहंु च पाती थी । ?कू ल म2 पीने तक के पानी को उसक
परछायीं से दरू रखा जाता था । लाख मिL
ु कल2 उठाकर भी हर& हQमत नह&ं हारा अततः बारहवीं
क पर&^ा अPवल दज` से पास कर %लया पर आ"थक कारणH आगे क पढाई 4क गयी । हर& साल
भर कलकत2 म2 पटसन क कQपनी म2 छोटा मोटा काम @कया । सरकार नौकर& पहंु च से दरू जाती
दे खकर वह राजधानी आ गया । राजधानी म2 साल भर क बेरोजगार& झेलने के बाद प%लस
ु क
नौकर& %मल गयी । नौकर& का समाचार सनकर
ु हर& के पSरवार म2 खशी
ु क लहर दौड़ पड़ी ।
समय के साथ हर& आगे बढते रहे प%लस
ु क नौकर& म2 तर3क करते करते दरोगा हो गये और
उलझे हएु मामले◌ा◌ं को सलझाने
ु म2 उहे महारथ भी हा%सल हो गया । हर& को लोग बड़े आदर से
हर& बाबू कहते । हर& बाबू क ईमानदार& के चचा सबक जबान पर होते । हर&बाबू ने कई बड़े बड़े
और उलझे मामले सलझाये
ु । एकाध बार स?पेट भी हए
ु पर सGचाई के पथ से Bवच%लत नह&ं हए


एक दन हर&बाबू थाने से काफ दरू भीड़भाड़ वाले से छr
ु ट& के कदन साद& €ेस म2 गजर
ु रहे थे ।
एक Pयापार& बचाओ बचाओ "च0ला रहा था । कोई भी उसक मदद के %लये आगे नह&ं बढ रहा था
। दो आतंकवाद& लटे ू रे दनदहाड़े Pयापार& क :तजोर& :छन रहे थे । Pयापार& लहलहान
ू ु था पर
:तजोर& नह&ं छोड़ रहा था । Pयापार& के "च0लाने के आवाज हर&बाबू के कानH म2 पड़ी वह ललकारते
दौड़े और एक आतंकवाद& को दबोच %लये । अब 3या था आतंकवाद& Pयापार& को छोड़ हर&बाबू पर
85
टट
ू पडे। आतंकवादयो ने दरोगाजी के उपर दनादन पGचास से अ"धक बार छरे
ु से वार कर
दये । दरोगाजी हर& बाबू का शर&र झलनी हो गया । जांघ क नशे कट गयी । हर& बाबू हQमत
नह&ं हारे वे एक आतंक पर कiजा कर %लये । बड़ी चालाक से आतंक के छरे
ु आतंक का पेट फाड़
दये । वह वह& ?पाट पर मर गया । हर&बाबू लड़खड़ा कर "गरने लगे तब तक दसरा
ू आतंक वार
कर बैठ संयोगबस वह भी दरोगाजी क "गरफ् त म2 आ गया, उसके भी पेट म2 छरा
ु दरोगा जी ने
घसा
ु दया पर आतंक पेट दबाकर भाग :नकला और दरोगाजी अधमरे वह&ं तड़पते रहे । कोई भी
आदमी दरोगाजी को न तो अ?पताल तक ले जाने क और नह&ं एक फोन करने क हQमत जटा

पाया । घटो बाद एक ठे लेवाले ने
ठे ले पर लादकर अ?पताल पहंु चाया । कई दनH तक दरोगाजी
मौत से जझते
ू रहे । इस बीच बीस बोतल खन ू चढ गया । अततः दरोगाजी ने मौत पर भी Bवजय
पा %लया । दरोगाजी के बहादर&
ु के चच` समाचार प$H के पने◌ा◌ं पर खब
ू जगह पाये । दरोगाजी
को बहादर&
ु का _ेNठ पर?
ु कार %मलना चाहये था पर नह&ं %मला । हां राजधानी के ^े$ Bवशेप को
आतं@कयH से :नजात ज4र %मल गयी । हफ् ता वसल&
ू करने वालH और आतंक मचाने वालो क
हQमत टट
ू गयी । दरोगाजी सदै व :नNठा एंव ईमानदार& से जन एवं राNy क सेवा करते रहे । सेवा
के दौरान उनक धमपनी का दे हात कFसर क बीमार& से हो गया । तीनH बेटे अपने अपने पSरवार
म2 रम गये । बेट& अपने घर पSरवार म2 खश
ु थी । दरोगाजी शहर म2 अकेले रह गये । मंह
ु बोला
बेटा रामलखन अपने फज पर खरा उतर रहा था । पड़ोस म2 दरू के SरLते क साल& और उनक
बेटयां रे खा और गीता भी खबू oयाल रखती थी । दरोगाजी के अदर प$मोह
ु कटकट
ू ू कर भरा हआ ु
था पर प$H ु को दरोगाजी से नह&ं उनक दौलत से मोह था । समय अपनी ग:त से चलता रहा रे खा
और गीता का iयाह हो गया । दरोगाजी रोट& से मोहताज रहने लगे । इसी बीच उनका ए3सीडेट
हो गया । पैर क हsडी टट
ू गयी । Nला?टर तो हआु पर दो दन म2 उतरवा दये 3यH@क दे खरे ख
करने वाला कोई न था । दरोगाजी का रोना दे खकर उनके बड़े बेटे ने जबद?ती अपने %लये एक
लाचार Bवधवा दखव
ु ती दे वी को िजसका द:नया
ु म2 कोई न था अपनी मां के 4प म2 खोज लाया ।
बेबस लाचार Bवधवा औरत क अि?मता क र^ा के %लये दरोगाजी ने छाती पर पहाड़ रखकर मंजूर&
दे द& । उनसठ साल क उq म2 दरोगाजी का पन
ु Bववाह हो गया पर िजस बेबस लाचार Bवधवा
दखव
ु तीदे वी पर दया दखाये थे वह भी दरोगाजी के जीवन म2 मrु ठZ भर आग साOबत हई।ु साल
भर के बाद दरोगाजी सेवा:नवत ृ हो गये । सेवा:नवि
ृ त के बाद दरोगाजी दखव
ु तीदे वी को लेकर
अपनी बेट& के घर गये । अब द:नया
ु म2 सबसे Nयारे दरोगाजी के %लये बेट& दमाद नाती और ना:तन
थे । दरोगाजी बेट& और दमाद क वजह से त:नक खश
ु थे । बाक सभी तो पैसे के भखे
ू उहे नजर
आते थे दखव
ु तीदे वी चार कदम और आगे थी। दमाद के Bपताजी तो दो?त पहले और समधी बाद
म2 थे । खब
ू जोड़ी जमती थी समधी समधी क । दरोगाजी सेवा:नवृ त होकर गांव आ गये । बेट&
को फट&
ू कौड़ी नह&ं दये । बेटH ने उह2 :नNका%सत कर दया पर उनक नजरे उनके चल-अचल
सQप:त पर टक हई ु थी। दखव
ु तीदे वी भी रहरहकर कलेजे म2 तीर भे◌ा◌ंक दे ती । दरोगाजी गम
को भलाने
ु के %लये खेतीबार& म2 दल लगाने लगे । उनक मेहनत से अनपजाउ◌ू
ु ◌ं जमीन भी अन
उगलने लगी पर दरोगाजी का ?वा?gय साथ छोड़ने लगा । सरज
ू डब
ू रहा था दरोगाजी सबसे
बेखबर खेत म2 पसीना बहा रहे थे । दरोगाजी को काम करते हए
ु दे खकर रघु के पांव ठठक गये◌े
वह दरोगाजी के पास गया और बोला दरोगाजी 3यो मजदरH ू जैसे रात दन खटते◌े रहते हो । अरे
86
ये उq काम करने क नह&ं है । आराम करने क है पोता पोती खेलवाओं, बहू बेटH से सेवा
करवाओ ।
दरोगाजी बोले- जब तक हाथ पांव आंख ठे हना
ु सलामत है तब तक @कसी का आ"_त नह&ं रहंू गा ।
रघु जीवन एक जंग है इसे जीतने का यास जब तक सांस है तब तक करता रहंू गा । अब तो
हमारे जीवन क दस
ू र& जंग श4
ु हो गयी है ।
रघु-दरोगाजी आपको हाड़ :नचोड़ने क 3या ज4रत है । अरे आप तो अपने प2 शन से चार आदमी को
और पाल सकते है ।
दरोगाजी-कह तो ठZक रहे हो रघु मेहनत करने म2 बराई
ु 3या है ? अभी तो ?व?थ हंू । काम करने
लायक हंू । गर&ब मां बाप क औलाद हंू । मFने बहतु दख
ु उठाये है । मां बाप को आंसू से रोट&
गीला करते हएु दे खा है मFने । मां बाप के आश[वाद से कहां से कहां पहंु च गया । आज मेर& औलाद
साथ नह&ं दे रह& है । बेटे मझसे
ु दरू होते जा रहे है । 3या यह @कसी नरक के दख ु से कम है ।
खैर @कसी जम के पाप का फल %मल रहा होगा मझे
ु ।
रघु-दरोगाजी आपक तOबयत ठZक नह&ं लगी रह& है ।
दरोगाजी-हां कछ
ु दनH से रह रहकर सांस जैसे अटक जा रह& है । ठZक हो जायेगा । कोई "चता
क बात नह&ं है । "चता तो बस अपनH से है िजसके %लये सपने बने
ु थे वह& दल म2 छे द कर रहे
है ।
रघ-ु दरोगाजी मF भी उस दन दं ग रह गया जब आपके बड2 ने आपको बेट& क गाल& द& । सफेद रं गे
%सर के बाल उखाड़ने तक क धमक दया था। वह भी आपके दमाद बेट& नाती और ना:तन के
सामने । उसे ऐसा नह&ं कहना चाहये था ।
दरोगाजी-नासमझ है । जब उन पर पडेगी तब याद आयेगी मेरे साथ जो वे कर रहे हF । वे हमारे
%लये नह&ं खद
ु के जीवन म2 कांटा बो रहे हF । हमार& तो Oबत गयी है । थोड़े दन का और मेहमान
हंू । दे खना यह& लोग आंसू बहायेगे । मेरे छोड़े 4पये को पाने के %लये रात दन एक कर दे ग2 ।
4पये और मेर& Bवरासत तो पा जायेगे पर दल म2 कसक तो उठे गी ज4र । अब तो मेर& हQमत ह&
मेरा सहारा है रघु िजस दन मेर& हQमत छट&
ू मै समझो गया उपर ।
रघु-दरोगाजी ऐसा ना कहो आप तो द&घायु होओ और ?व?थ रहो । अब मF चलता हंू । दे खो अंधेरा
छा गया है । आप भी घर जाओ भौजाई राह ताक रह& होगी ।
दरोगाजी-द:नया
ु मतलबी है । घर म2 तो खौफ डंसता रहता है ।हं सते जoम क साथ कब तक आदमी
जLन मना सकता है । खेत म2 खड़ी फसलH के साथ बाते कर मन ह0का हो जाता है । चलो मF भी

चलता हंू । रघु अपने घर क ओर दरोगाजी अपने घर क ओर चल पडे ।
दरोगाजी घर आये है डपाइप चलाकर बा0ट& म2 पानी भरे ,हाथ पांव धोये । एक लोटा पानी पीकर
खटया पर बैठे। @फर ना जानो शर&र को कौन सी Pया"ध पकड़ ल& । दरोगाजी क तOबयत Oबगड़ने
लगी । रात बडी मिL
ु कल म2 Oबती सबह
ु होते होते तOबयत jयादा खराब हो गयी । हालत इतनी
खराब हो गयी @क Oब?तर से उठा नह&ं गया ।दो दन वह& Oब?तर पर पड़े पड़े कराहते कराहत2
एकदम से टट
ू गये । बडी◌ी
़ मिL
ु कल से द&वाल के सहारे बैठ पाते । बैठते ह&ं च3कर आने लगते ।
Oबगड़ती हालत म2 बड़बडाने लगे । दरोगाजी क तOबयत खराब है @क खबर उनक बेट& के दे वर
सयानद को लगी वह भागकर दरोगाजी को दे खने गया । वहां उनक दयनीय दशा दे खकर
87
सयानद घबरा गया दरोगाजी क तOबयत Oबगड़ती दे खकर सयानद ने दरोगाजी के
छोटे बेटे रामानज
ु को साथ लेकर अ?पताल म2 भत[ करवाया । मज डा3टरH क समझ म2 नह&ं आयी
। दद म2 बड़बडाते हए
ु दे खकर एक डा3टर ने तो पागलखाने भेजने तक क %सफाSरस कर द& ।
जब@क दरोगाजी को मि?तNक jवर था ,दो दन म2 जानलेवा हो गया था । डा3टर बीमार& को नह&ं
समझ पाये। दरोगाजी दो दन अ?पताल म2 तड़पते रहे इसी बीच बेटा मझला दयानज
ु शहर से आ
गया। दरोगाजी दयानज
ु से लड़खड़ाते हए
ु बोले तम
ु तीनो भाई आपस म2 लड़ना नह&ं । मेर& चल
अचल सQप:त के चार ह?से कर लेना । तीन ह?सा तो तमु तीनH भाईयH का होगा और चौथा
हसा तQ
ु हार& नयी मां का । सयानद से बोले बेटे दमादजी lदयानद बीटया सेवामती,ना:नत
समनु ,4पेश और दनेश अभी नह&ं पहंु चे 3या ? बस दो दन म2 इतना ह& बोल पाये थे । इसके और
कछ
ु भी नह&ं बोल पाये। जबान पर जैसे ताला लटक गया पर आंखH से आंसू ऐसा बहना श4 ु हआ

क 4का नह&ं । सQभवतः दरोगाजी क अितम इGछा बेट& दमाद से %मलने क थी हालत और
अ"धक Oबगड़ने लगी तब सयानद बनारस लेकर भागा । बनारस जाते समय रा?ते म2 हर जंग
जीतने वाले दरोगाजी मौत से हार गये । बड़े बेटे समानज
ु जो दरोगाजी से झगड़कर चला गया था
उसे खबर द& गयी पर वह& न आने क िजद पर अड़ा रहा । बेट& दमाद खबर लगते ह& पkह सौ
@कलोमीटर दरू शहर से दरोगाजी के अितम सं?कार म2 शा%मल होने के %लये चल पड़े ।
मौत के दसरे
ू दन दरोगाजी के मतदे
ृ ह को सजाया गया । मातमी धन
ु बनजे लगी पर हजार घर
वाले गांव म2 दरोगाजी के मतदे
ृ ह का लंगोट पहनाने वाला कोई न %मला । आcखरकार छोट& उq का
सयानद ने अपने हाथH से लंगोट पहनाया । दोपहर ढलने को आ गयी yे न लेट होने के कारण
बेट& दमाद नह&ं पहंु च पाये । दरोगाजी क आcखर बाराता ;जनाजाƒ :नकल पड़ा । आगे आगे चार
कंधH पर दरोगाजी का मत ृ दे ह चल रहा था पीछे पीछे बैडबाजा वाले मातमी धन
ु बजाते हए
ु ।
सौभाwसबस चार कंधH म2 दो कंधे उनके छोटे और मझले बेटे के शा%मल थे ।बैडबाजे को दे खकर
कछ
ु लोग छZंटाकसी करने से बाज नह&ं आ रहे थे । कछ
ु लोग कर रहे थे @क दरोगा क दसरे
ू iयाह
क बारात म2 भले ह& बैडबाजा नह&ं बजा तो 3या आcखर& बारात म2 बीटया क ससराल
ु वालो ने
तो बजवा ह& दया ।कोई कहता अरे ये जनाजा नह&ं दरोगा के आcखर& iयाह क बारात :नकल रह&
है । भले ह& कछ
ु लोग छZंटाकसी कर रहे थे पर सGच तो यह& था ।
दरोगाजी का जनाजा :नकलने के घटे भर बाद बेट& दमाद भी आ गये पर जनाजा तो :नकल चका

था । काफ मश3कत के बाद lदयानद और सेवावती Lमशान पहंु चे पर 3या दरोगाजी का मतदे
ृ ह
गोमती नद& के @कनारे आठमन लकड़ी क "चता म2 भ?म होकर राख हो चकाु था । "चता को पांच
मटके पानी से ठडे @कये जाने का कमकाड श4
ु था । इसी बीच lदयानद और सेवावती ने
अ_पSरत
ु ू _bदांज%ल अBपत क । शेप कमकाड क @uया त:नक दे र म2 पर&
ू हो गयी । पचतव
म2 Bवल&न दरोगाजी के मतदे
ृ ह के अवशेप को गोमती नद& को समBपत कर दया गया। "चता एकदम
ठडी हो चक
ु थी । गमाहट बची थी तो बस चल-अचल सQप:त के बंटवारे को लेकर ।
20-ग9ड
20- ु ़ या का ;याह
काहो बेटवा कब आये शहर से । गTड
ु ़ या के iयाह के दन आ रहे हो ।एकाध महने पहले आना था।
मायाद&न-काका राह चलते संदेश पछ
ू रहे हो ।
88
%मठाई-लो बेटा कछ
ु दे र तQ
ु हारे साथ गपशप कर लेता हंू । काम इतना फेल गया है @क मरने क
फस
ु त नह&ं है ।कटाई दवांई तो हो गयी पर भसा
ू ढोने को पड़ा है । नह&ं ढो गया तो आंधी उड़ा ले
जायेगी ।उपर से गडी
ृ का iयाह ।
मायाद&न-काका गडी
ु करने लायक हो गयी ।कल क बGची इतनी बड़ी हो गयी । मायाद&न कछ
ु बोल
पाता इतने म2 Bया आ गयी और बोल& अरे बाबा को टट&
ू खाट पर बैठा दये ह3
ु का तQबाकू पछे

@क नह&ं । बातH म2 ह& मwन हो गये ।
मायाद&न- ह3
ु का तQबाकू का हाल मै। 3या जानंू ।मैने तो कभी खाया पीया ह& नह&ं कहते हए
ु सधना
बीटया को बलाकर
ु मीठा पानी दे कर ह3
ु का चढाकर लाने को बोले ।
सधना-पापा है डपाइप पानी बार बार छोड़ रह& है ।वा0व कट गया होगा । मF कये
ु से बाबा के %लये
ठडा पानी लाती हंू ।
मायाद&न-काका गडी
ु के iयाह के बारे म2 कछ
ु कह रहे थे ।
%मठाई-हां बेटा अपने को तो भगवान ने बीटया दया नह&ं । अब पो:तयH का iया कर गंगा नहां
लंग
ू ा ।
मायाद&न-ेम को @कतनी बेटयां हो गयी है ।
%मठाई-बेटा अभी तो चार है ।आगे भगवान क महमा ।
मायाद&न-काका गडी
ु @कतने बरस क हो गयी @क iयाह के नाम पर उसक मटठZ
ु म2 आग भरने जा
रहे हो ।
%मठाई-ये 3या कह रहे हो मायाद&न । पोती का iयाह करने जा रह& हंू । उसक "चता मझे
ु है । 12
बरस क हो गयी है ।
मायाद&न-सच काका तम
ु गडी
ु क मr
ु ठZ म2 आग भरने जा रहे हो । तम
ु गडी
ु का कल तबाह करने
जा रहे हो । काका गडी
ु का iयाह नह&ं तम
ु अपराध करने जा रहे हो ।रोक दो iयाह गडी
ु के साथ
अयाय ना करो काका ।
%मठाई-3या कह रहे हो ।सना
ु है कछ
ु दन पहले हमार& गडी
ु से बहत
ु छोट& लड़क के iयाह म2 म$ी
तक आश[वाद दे ने गये थे ।हमार& गडी
ु तो बारह से उपर क होगी ।जा:तवाद,भ%मह&नता
ू ऐसी
बीमाSरयां जो शे◌ाBषतH वं"चतH मr
ु ठZ म2 आग भर रह& है । जीवन का असल& सख
ु :छन रह& है ।
उनका तो कानन
ू कछ
ु Oबगाड़ ह& नह&ं पा रहा है । तब तक तम
ु बाल Bववाह रोकने वाले कानन
ू क
दोहायी दे रहे हो । बेटवा तमको
ु अपनी Oबन मां क भांजी का iयाह बहत ु पहले कर दे ना था ।
स?ते म2 :नपट जाते । उनीस साल क हो जाने पर iयाह करने जा रहे हो ।
मायाद&न-हां काका मेर& भांजी गTड
ु ़ या क मां के साथ जो अयाय हआ
ु ु ़ ◌ा के साथ नह&ं
वह तो गTड
होने दं ग
ू ा ना । बेचार& बहन असमय मर गयी । बहनोई ने दसर& ू शाद& कर ल& । बेचार& गTड
ु ़ या को
घर से :नकाल दया ।बाप क गलती बेट& को भगतना
ु पड़ा मेर& बहन का बालBववाह न होता तो
अभी नह&ं मरती ।बहन को मरे अrठारह साल हो गये । भांजी गTड
ु ़ या को जमे उनीस । समय
@कतना ज0द& बदल जाता है । हम आंख फाड़े दे खते ह& रह जाते है ।
%मठाई-ठZक कह रहे हो बेटा । परQपराय2 तो तोड़ने के %लये बनती है पर लोग दQभ म2 न तोड़ते हF
ओर न तोड़ने दे ते । ऐसी ह& परQपराये है जा:तवाद,Bवधवाजीवन,बालBववाह एवं और भी बहत
ु सी
बर&
ु परQपराये है जो सRय समाज के माथे पर दाग है ।समाज और शासप शासन ईमानदार& से
89
काम @कया होता तो ये सामािजक बर&
ु परQपराये ना जाने कब क खम हो गयी हो । आज भर
भर मr
ु ठZ आग का एहसास न कराती ।कथाओं
ु के खम होने से सताधाSरयH को नकशान
ु होगा
ना इसी%लये तो सार& सामािजक कg
ु याओं को ?वाथ का आ3सीजन दया जा रहा है तथाक"थत
_ेeठजा:त और _ेeठ समाज के नाम पर और कल
ु क थोथी परQपरा के नाम पर ।
मायाद&न-काका तम
ु तासे बात तो समाज बदलने क कर रहे हो ।काका तमने
ु गडी
ु के भBवeय के
बारे म2 नह&ं सोचा । नह& गडी
ु का iयाह करना यायसंगत है 3या काका । अरे काका तम
ु जैसे
सोच वालH के %लये तो सामािजक कथाओं
ु को कचल
ु दे ने के %लये कमर कसकर आगे आना चाहये
।कथाओं
ु को उखाड़कर फ2कने का व3त आ गया है ।इन बर&
ु परQपराओं से फस
ु त पाओ । समाज
को आदमी को आदमी होने का सखभोगने
ु लायक बनाओ । सभी अपने पैर पर खड़े हो मान सQमान
के साथ जीय2 । कथाओ
ु को कचल
ु दे ना चाहये, सांप के फन जैसे न बांस रहे ना बांसुर& बाजे काका

%मठाई-हां बेटवा बात तो अGछZ बता रहे हो ।
मायाद&न-काका लाग पढ %लख रहे है । द:नया
ु ने खब
ू तर33ी क है ।काका कथाओं
ु को से :नजात
तो पाना ह& होगा । कब तक Bवषमतआवादयो क परोसी मr
ु ठZ भर आग के :नशान पर आंसू
बहाते रहे गे । खद ु को कमर कसना होगा तभी बराईयां
ु दरू भागेगी । काका बराईयH
ु के दमन का
व3त आ गया है ।जमाना तेजी से बदल रहा है काका ।
%मठाई-बेटा जमाना तो मझे
ु बदलता हआ
ु नह&ं दखाइ◌्रर ् पड़ रहा है । एक बा0ट& पानी बाबू साहे ब
के कय2
ु से एक बा0ट& पानी आज भी नह&ं ले सकते हF। बाबू साहे ब अंजुर& भर पानी क जगह
जा:तवाद के कलछले
ु से अंजर&
ु म2 आग भर दे गे ।कथाय2
ु अपने दे श से शायद ह& खम हो पाये ।
बड़ी-बड़ी क%स
ु यां तो जा:तवाद क बैसाखी के सहारे तो नेता लोग कबाड़ रहे है । जा:तवाद के %शकार
तो हम सभी है । अखबारH म2 अयाचार का काला "चrठा तो रोज ह& छप रहा है । कह&ं
बलाकार,कह&ं जते
ू चNपल पहनकर :नकलने पर :तबध कह& द0
ू हे को घोड़ी पर चढ़ने पर
:तबध इतना ह& नह&ं ?कूलH म2 बGचH को अलग अलग भोजन परोसा जा रहा है जब@क यह
योजना तो सरकार क है यहां भी जा:तवाद । बेटा ?कूलH म2 जा:तवाद कथाओं
ु का ह& तो नतीजा
है । बेटा तQु हारे साथ 3या अGछा हआ
ु है । तम
ु इतने पढ%लखकर भी जा:तवाद का दं श झेल रहे हो
। तQु हार& तर3का बा"धत कर द& है सामतवादयH ने ।
मायाद&न-काका मF भी दं श झेल रहा है । आपक बात म2 सGचाई है पर काका हाथ पर हाथ धरे
बैठने से भला तो नह&ं होने वाला है ना । पहले अपने घर से श4वात
ु करनी होगी ।
%मठाई-बेटा तQ
ु हार& बात तो मF समझ गया । मेर& गडी
ु का iयाह 4कने से तो न बालBववाह क
कथा
ु खम होगी uk ह& जा:तवाद ।
मायाद&न-काका 3या कह रहे हो बालBववाह के पीछे जा:तवाद है ?
%मठाई-हां बेटा।असल& जड़ तो जा:तवाद ह& है ।िजस दन जा:तवाद %मट जायेगा ससार सामािजक
बराईयां
ु %मट जायेगी । पहले तो चार साल से छोटे बGचH का iयाह भी हो जाता था । कभी कभी
तो बGचा पैदा होने से पहले बात प3क हो जाता थी । कमजोर तबके के लोग ज0द& से ज0द&
अपनी बेट& को जा:तपत
ू को सौपकर गंगा नहाना चाहते थे ।
मायाद&न-ऐसा 3यH काका ?
90
%मठाई-मां बाप का अपनी इjजत बचाने के %लये बालBववाह करना ज4र& हो गया था । बेटा
छोट& Oबरादर& के लोगH के सामने यह& एक सर]^त
ु उपाय था िजससे उनक बहन बेटयH क इjजत
बचायी जा सकती थी ।बेटा जब दे श गलाम
ु था तब भी कमजोर तबके के लोगH पर गाज "गरती थी
आज भी उन पर ह& "गर रह& है ।शोBषत आज भी आजाद नह&ं है और नह&ं सर]^त
ु है । पराने

समय म2 तो चारH तरफ से भेTड़ या छोटे लोगH क इjजत पर कdिe
ु ट जमाये रहते थे । खैर
आजकल थोड़ा कम तो हआ ु है अयाचार पर वं"चतH को सQमान से जीने का हक तो नह&ं %मल
सका है । भले ह& @कतने काननू बने हो पर सGचाई तो यह& है @क छोटे Oबरादर& के लोगH पर
अयाचार कम नह&ं हआ
ु है । बेटा जब अं\ेजो का राज था और जमीदारH क तती
ू बोलती थी तब
बालBववाह हम कमजोर तबके %लये अपनी इjजत बचाने के %लये अGछZ परQपरा थी ।
मायाद&न-काका तQ
ु हार& बात सनकर
ु मझे
ु बालBववाह के रह?य का पता चल गया पपरतु काका
पराने
ु जमाने म2 अं\ेजH का राज था सामतवादयH के अयाचार करने क पर&
ू छट
ू थी अब तो दे श
आजाद हो गया है काननी
ू तौर पर सबको बराबर का हक है ।
%मठाई-काका सब कागज म2 कैद है । जा:तवाद और 4ढवाद& कथाओं
ु का चलन तो यह& कहता
है । भ%मह&नता
ू और दSरkता तो कमजोर तबके क छाती पर आज भी सांप क तरह लोट रह& है ।
बेटा जब तक जा:तवाद खम नह&ं होगा भारतीय समाज म2 सामािजक बराईया
ु खम नह&ं हो सकती
। चाहे बाल Bववाह हो या कोई और कथा
ु ।
मायाद&न-काका तQ
ु हार& बात म2 सGचाई तो है आने वाला समय जा:तवाद को नकार दे गा । आने
वाल& पीढ& जा:तवाद के चuPयह
ू म2 नह&ं उलझेगी उसके सामने तो बस एक ह& ल~य होगा
उjजवल भBवeय ।यह& ल~य सार& कथाओं
ु को रौद दे गा । जा:तवाद क द&वारे ढहा दे गा । हमे भी
तो अपनी ओर से पहल करनी होगी । जा:तवाद के cखलाफ बालBववाह के cखलाफ औ◌ैर दसर&

बराईयH
ु के cखलाफ एक होना होगा ।
%मठाई- हां बेटा । सामािजक सQमान के %लये तो ज4र& हो गया है ।

मायाद&न-Bवtान के यग ु म2 सामािजक बराई
ु जवान है बडे दभा
ु wय क बात है ।
%मठाई-बेटा जा:तवाद के साथ ह& Bपत ृ सता म2 बालBववाह को बढावा दे रह& है ।जातीय बड़पन वंश
और ना भी ढे रH अहं कार क ब%लबेद& पर बेटयां चढ रह& है ।अतजातीय Bववाह क राह म2 जातीय
दQभ बड़ी 4कावट है ।जा:तवाद सामािजक समानता,सदभावना पनपने नह&ं दे रहा है । बेटा
जा:तवाद पर जोरदार हार हो जाये तो बालBववाह क कथा
ु खम हो जायेगी ।
मायाद&न-Bववाह दो आमाओं का पBव$ %मलन न होकर जातीय दQभ और खानदानी :तeठा का
सौदा हो गया है ।
%मठाई-हां बेटवा ।
मायाद&न-काका लोग बालBववाह और जा:तवाद क बराईयH
ु को समझने लगे है । बदलाव तो आयेगा

%मठाई-अभी शदयां लगेगी ।कानन
ू का पालन करवाने वाले भी तो @कसी ना @कसी जातीय दQभ के
वशीभत
ू होते है ।जा:त के तराजू पर आदमी को पहले तौला जाता है कानन
ू का पायजामा बाद म2
पहनाया जाता है । तभी तो आजाद& के इतने बरसो◌े◌ं बाद कथाय2
ु और 4ढयां खम नह&ं हई
ु है ।
91
मायाद&न-धीरे धीरे सब सामय हो जायेगा भेदभाव क द&वार ढह जायेगी । काका जा:तवाद
बहत
ु परानी
ु बीमार& है ।दे खो न आजकल कोट मFरेज का चलन श4 ु हो गया है । ेम Bववाह भी
अि?तव म2 आने लगा है । इसके कठराघात
ु से जा:तवाद और दहे ज भी नह&ं बंच पायेगा काका ।
%मठाई-बेटा सजातीय ेमBववाह को ह& कछ
ु मायता %मल पाती है । Bवजातीय ेमBववाह तो
खनखराबे
ू क दा?तान %लख रहा है ।बेटा सजातीय Bववाह दहे ज जैसी कथा
ु का पोषक भी तो है ।
मायाद&न-काका बहत ु घमावदार
ु बात कर रहे हो ।बालBव◌ाह जा:तवाद को बढावा दे ता है और
जा:तवाद दहे जथा को ।
%मठाई-हां बेटा एक बराइ◌्
ु र दसर&
ू बराई
ु को ह& जम दे गी uk । यद बराईयH
ु से बचना है तो बराई

को खम करना होगा ।
मायाद&न-काका आपके कहने का मतलब है @क भारतीय समाज म2 सा◌ी बराईयH
ु क जड़ जाBव◌ाद है

%मठाई-हां बालBववाह रोकना है तो जा:तवाद खम करना होगा ।अब मF चलता हंू बहत
ु काम पड़ा है

मायाद&न-काका ह3ु का तो पी लो ।
%मठाई-बेटा मझे
ु जाने दो । मेर& आंख खल
ु गया है । काश जा:तवाद के दिQभयH क खल
ु जाती ।
मायाद&न-3या कह रहे हो काका ।
%मठाई-ठZक कह रहा हंू बेटा ।
मायाद&न-मतलब
%मठाई-बेटा तम
ु गTड
ु ़ या क डोल& उठाने का इतजाम करH और मF गडी
ु क डोल& रोकने का ।
बालBववाह रोकना है ना बेटवा 3यो@क गTड
ु ़ या का जीवन ख%शयH
ु से भरना है हं सते जoमH से नह&ं
बेटवा तमने
ु मेर& आंखे खोल द& ।
21-कोरा-कागज
दसQबर का मह&ना खम होने क कंगार पर था परतु जाड़ा कंपाने वाल& । सायं-सायं चलती हवा
क छअन
ु सई
ु क चभन
ु सर&खे तन को महसस
ू हो रह& थी । बढे
ू ◌े और बGचे ओलाव को घेरे
गरमाहट महसस
ू कर रहे थे । मजदरू लोग खेत मा%लकH के खेत-ख%लहान म2 पसीना बहा रहे थे ।
ठड से बचने के %लये द&नु ओलाव के पास बैठा डेबर& क मंद रोशनी म2 जमीन पर राख Oबछाकर
@कताब के सवाल हल कर रहा था । इसी बीच द&नु क मां सम:त
ु काम पर से आ गयी और द&नु
द&नु पकारने
ु लगी । द&नु बाहर गया । सम:त
ु ने %सर पर से अनाज क पोटल& द&नु को थमाकर
बा0ट& से पानी लेकर हाथ पांव धोने लगी । सम:त
ु भी ओलाव पर हाथ-पांव सेकने लगी ।
द&नु बोला मां पानी लाउ◌ू◌ं ।
सम:त
ु -हां बेटा Nयास तो लगी है । ला एक "गलास पी लेती हंू । च0
ू ह चौका भी करना है । भखे
ू -
Nयासे तेरे बाबू भी आने म2 ह& हF ।
द&नु-लो मां पानी पीओ ।
सम:त
ु "गलास का पानी थामते हए
ु द&नु के मरझाये
ु चेहरे को दे खकर बोल& बेटवा इतना उदास 3यH
है । @कयी से लड़के से झगड़ा तो ?कूल म2 नह&ं हो गया या हर&लाल मंशु ी ने डांट तो नह&ं दया ।
द&नु-नह&ं मां ना मंुशी जी ने डांटा है और ना ह& ?कू ल म2 @कसी लड़के से झगड़ा करके आया हंू ।
92
सम:त
ु -बेटा तू इतना गमसम
ु ु तो नह&ं रहता था । तू परे शान तो है @कसी न @कसी बात से । तेर&
आंख2 भी लाल सख
ु हो रह& है । तOबयत तो ठZक है या कोई परे शानी है । हम तो तम
ु बGचH क
दे खभाल कर नह&ं पाते । सबह
ु जाओ तो रात म2 आओ । मा%लकH के खेत म2 पसीना बहाओ। बेटा
तम
ु मजदरू मां बाप के बGचे हो । अपनी @क?मत म2 तो गलामी
ु %लख द& है बढे
ू समाज ने । तम

पढ-%लखकर कलेटर बन जाते तो मेरा जीवन सफल हो जाता ।
द&नु-मां पढ ह& तो रहा था दे खो ।
सम:त
ु -राख Oबछाकर सवाल हल कर रहे थे ।
द&नु-हां मां इतना कहते ह& उसक आंखH म2 सावन उमड पड़ा ।
सम:त
ु -कापी नह&ं है ?
द&नु-नह& मां
सम:त
ु -तेरे बापू को आने दे कोई Pयव?था करने को कहती हंू । जब तक कापी नह&ं आती है । पढ-
पढ कर याद करH ।
द&नु-ठZक है मां पर मंश
ु ीजी को 3या दखाउं गा ?
सम:त
ु -बापू को आ जाने दो । कापी क Pयव?था हो जायेगी ।
द&नु-ठZक है मां कहकर द&नु पढने लगा ।सम:त
ु रोट& बनाने म2 जट
ु गयी । रोट& बन गयी । द&नु
के बाबू रघबीर
ु के इतजार म2 सम:त
ु बार-बार अदर-बाहर करने लगी पर कह& अता-पता नह&ं ।
द&नु को नींद आने लगी । ब?ती वाले जागते रहो,जागते रहो पकारने
ु लगे।काफ रात गजर
ु जाने के
बाद रघवीर
ु घर आया। रघवीर
ु के काफ BवलQब से आने से सम:त
ु घबराई हई ु से बोल& 3यH जी
इतनी दे र कैसे हो गयी । सनH
ु अपने गांव म2 ह& नह&ं आसपास के गांवH म2 पहरा पड़ने लगा है ।
खन
ू जमा दे ने वाल& ठड पड़ रह& है । काम तो कब का खम हो गया था । "चलम क लालच म2
बैठे थे ना । अरे कभी -कभी तो घर ज0द& आ जाया करH । बGचH को उजाले म2 दे ख %लया करH ।
बेटवा इतजार करते-करते सो गया ।
रघवीर
ु -भागवान 3यH आ^ेप लगा रह& हो । मै। "चलम क लालच म2 नह&ं जमींदार के बताये काम
कर रहा था । ये जमीदार लोग जोक है । हम मजदरH
ू का खन
ू चसकर
ू पलते बढते हF। वे तो चाहते
है हम चारो पहर उनक गलामी
ु करते रहे । हम शे◌ाBषत वं"चत लोग आजाद दे श के गलाम
ु है ।
बड़ी मिL
ु कल से मोहलत %मल& है । आ तो गया न भले ह& दे र से आया द4?
ु त तो आ गया ना ।
सम:त
ु -आ तो गये द4?
ु त पर तम
ु दखी
ु मन से कह रहे हो । कछ
ु बात तो नह&ं हो गयी ।
रघबीर
ु -मा%लकH के इशारे पर नाचते रहे तो ठZक है । त:नक उफ् हई
ु तो बात के चाबक
ु दल पर
चोट कर जाते है । करे भी तो 3या कर2 । इन खेत मा%लको क गलामी
ु तो अपनी मजबर&ू है ।
सामािजक 4प से पशता
ु का और आ"थक 4प से दSरk का जीवन जी रहे है ।लोग कहते है हमारा
दे श बड़ा महान है । अरे काहे का महान है आदमी क कद क
ु ते Oब0ल& इतनी भी नह&ं है । दन
रात क मेहनत-मजदर&
ू के बाद पेट भर अन नसीब नह&ं हो रहा है । बाक ज4रते मंुह बाये खड़ी
रहती है सरसा
ु क तरह है ।
सम:त
ु -कोई कहा सनी
ु हो गयी । खेत मा%लक ने कु छ अपशiद कह दया 3या ?
रघबीर
ु -जब से आंख खल& ु तब से तो सनु रहा हंू । खद
ु खाना खाकर ढं कार मारते हए
ु बाहर :नकले
तो मFने कहां मा%लक अब मF घर जा रहा हंू । काम तो सब कर दये । मालमू है कंस ने 3या कहां
?
93
सम:त
ु -ताने मारे होगे । बरा
ु -भला कहा होगा ।
रघबीर
ु -नरBपशाच कहता है अरे तम
ु मजदरH
ू का पेट भरने लगता है तो मा%लकH का मकाबला
ु करने
लगते हो । तQ ु हार& घरवाल& छNपनभोग बना कर इंतजार कर रह& होगी ।बड़ा घर वाला हआ
ु है ।
तेरा घर कहां खड़ा है जातना है ना ? मझसे
ु बदाLत नह&ं हआ
ु मFने भी कह दया मा%लक हमारे
दादा-परदादा से जबद?ती अंगठा
ू लगवाकर मा%लक बन बैठे हो । हम2 मजदरू अछत
ू बनाकर हमारा
खन
ू पीकर राज कर रहे हो और हम2 ह& आंख दखा रहे हो । िजसक Oब0ल& उसक को Qयाउ◌ू◌ं ।
बाबू जमाना बदल गया है । गोरे भाग गये दम
ु -दबाकर अपनी सरकार है । हमारे वोट से सरकार
बनती Oबगड़ती है । अरे दन भर @क दो सेर अनाज दे ते हो । पSरवार का पेट भरने के %लये रोट&
भी तो नह&ं बनती । तन पर कपड़े,सड़ रहे है । बीमार& म2 दवा नह&ं कर पा रहे है । बGचे अनपढ रह
जा रहे है । इस सब का िजQमेदार कौन है जानते है ? जमीदार सरज
ू बाबू बोले मF हंू 3या ? मFने
भी कह दया हां और कौन है जमीदार और Bवषमतावाद& Pयव?था के अलावा ।
सम:त
ु - तब 3या बोले ?
रघबीर
ु -जीभ तालु से "चपक गयी । कछ
ु दे र सोच कर बोले आजाद& 3या %मल& मजदरH
ू के दमाग
खराब होने लगे है । जा सबह
ु ज0द& आ जाना ? खेत ख%लहान चारो ओर काम पसरा है ।द&नु क
मां त:नक एक मेहरबानी कर दो ।
सम:त
ु ु थक गया हंू । आग ला दो । एक "चलम गांजा पी लंू । शंकर भगवान क कपा
-बहत ृ से
"चता और थकाई छू-मतर हो जायेगी ।
सम:त
ु -रोट& खाओं गांजा पीकर फेफड़ा 3यH सड़ाने पर तले
ु है । नशा खम होगी तब @फर से "चता
छाती पर बैठ जायेगी ? कब तक ढठा
ू ढाढस खद
ु को दे ते रहोगे ?बेटवा को आगे Nढाने के बारे म2
सोचो तभी "चता के बादल छं ट सकेगे ?
रघबीर
ु -हां इसी उQमीद म2 तो जी रहा हंू ।अभी तो चौथी 3लास म2 पढ रहा है । साहब -सiु बा बनने
म2 अभी दे र है ।
रघबीर
ु ओलाव सेकते -सेकते गांजा का धंआ
ु हवा म2 उड़ाया @फर रोट& खाकर ओलाव के पास Oबढे
पआल
ु पर खराटे मारने लगा । सबह
ु ज0द& उठकर सम:त
ु जानवरH को हौद लगायी चारा डाल& ।
@फर बकर& को मड़ई से :नकाल कर बाहर बांधी और नीम से पितयां तोड़कर उनके सामने डाल द&
। बकSरया %म%मयाते हए
ु नीम क पितयां खाने लगी । इसके बाद वह घर के काम म2 जटु गयी
।रघबीर
ु ज0द& काम पर चला गया । ज0द&-ज0द& रोट& बनायी और मजदर& ू पर जाते हए
ु बोल& द&नु
बेटा खेत से बजर& काट लाना और बाल दे ना । चारा कटा रहे गा तो तQ
ु हार& छोट& बहने हौद म2 डाल
दे गी । हां ?कूल जाने से पहले जानवरH को हौदं से हटाना नह&ं भलना
ू ।
द&नु-मां कर तो सब दं ग
ू ा पर ?कू ल नह&ं जाउं गा ।
सम:त
ु -3यH ?
द&नु-तीन दन से कह रहा हंू तमसेु पर मां तQ
ु हे मालम
ू नह&ं ?
सम:त
ु -कापी नह&ं है । बेटा तेरे बाबू तो हवेल& चले गये । जा उनसे पैसे मांग ला । गांजा के %लये
तो उनक Pयव?था हो जाती है पर बेटे के कापी-@कताब क Pयव?था नह&ं कर पाते ।
द&नु- ठZक है मां घर का काम करके चला जाउ◌ू◌ंगा ।
94
स%मत
ु -बेटा काम छोड़ तू जा बापू से पैसा मांग कर ला उनके पास नह&ं होगा तो जमीदार से
उधार ले लेगे दो-चार 4पया ।
जमीदार सरज
ू बाबू द&नु को हवेल& क चहरदार& के अदर आते दे ख %लये । रघबीर
ु गोबर उठा रहा
था,तभी जमीदार बोले अरे रघबीर
ु दे ख तेरा बेटा आया है ।
रघबीर
ु -द&नु इस व3त तम
ु यहां ?कू ल नह&ं जाना है 3या आज ? 3यH आये हो ?
द&नु-बापू कापी खर&दना है आठ आना चाहये एक िज?ता कागज लेकर कापी बना लंूगा ।
जमींदार सरज
ू बाबू बोले -3या खाबर लेकर आया है तेरा बेटा रघबीर
ु ।
रघबीर
ु -आठ आना मांग रहा है कापी खर&दने के %लये ।
सरजबाब
ू ू-दे दे ना । एक दन गांजा मत पीना । पढायेगा नह&ं तो तेरा बेटवा कलेटर कैसे बनेगा ।
अभी तो चौथी म2 पढ रहा है ना द&नु ।
द&नु-हां मा%लक ।
सरजबाब
ू ू-रघबीर
ु बी ए पास करे गा तब @कसी दफतर म2 नौकर %मल सकेगी । आठ आना नह&ं दे पा
रहा है तो आगे क पढाई कैसे करवायेगा ।
रघबीर
ु -बाबू उपर वाला लाज रखेगा । पसीने के सेर भर अनाज को सोना बनायेगा । हमार& 3या
औकात है । हमार& द:नया
ु तो उQमीदH पर टक है ।
सरजबाब
ू ू-अरे जो काम कर नह&ं सकता उसके पीछे 3यH पड़ा हF । अपने साथ काम सीखा । पांच
बीसा जमीन और हलवाह& म2 ले लेना । हां :नय:त मत खराब करना 3यH@क अब तम
ु आजाद हो
गये हो ना । तQु हार& सरकार है । तQ ु हारे वोट से बनती है । दस बीसा हलवाह& म2 खेत दया हंू
उसम2 जो पैदा करता है तेरा ह& हे ◌ाता है उपर से सेर भर मजदर& ू 3या कम है ? अरे बंधवा
ु मजदरू
हो वैसे ह& बने रहे हो । jयादा सपने दे खोगे तो चारो खाने "चत होकर "गर पड़ोगे थक हारकर।
रघबीर
ु -बेटवा को पढाकर रहंू गा । भ3त क मदद तो भगवान को करना ह& होगा । द&नु बेटा अभी
तो ?कूल जा । आज कछु ना कछ ु इतजाम कर लंग
ू ा ।
द&न-ु ठZक है बाबू जा रहा हंू । मंुशी जी क डांट आज और सन ु लंूगा । द&नु वापस जाने लगा । द&नु
को जाता हआ ु दे खकर जमीदार सरज ू बाबू बोले 3या हआ
ु कापी का इतजाम नह&ं हआ ु । आ द&नु
मेर पा आ
द&नु-मा%लक ?कूल जाने म2 दे र हो जायेगी ।
सरजबाब
ू ू- मेरे पास कछ
ु खतौना वाला सरकार& कोरा कागज है कापी बनाने लायक । मेरे बGचे तो
उसी पर रफ करते है । तू भी दो चार पने ले जा । गज-गज भर के कागज है ।
द&नु-नह&ं चाहये मा%लक भीख दे रहे है मझे
ु ना ।
सरजबाब
ू ू- नह&ं द&नु तू तो हमारे मजदरू का बेटा है । भीख कैसी ? कमत तेरा बाप दे दे गा अगर
नह&ं भी दे गा तो वसल
ू लंग
ू ा ।
रघबीर
ु -बेटा मा%लक ठZक कह रहे है ।
द&नु-फोकट म2 कौन @कसक मदद करता है बाब।ू
सरजबाब
ू ू-सरकार& कागज है । फोकट म2 दे दं ग
ू ा पर कोर कागज को भलाना
ू नह&ं । इसक कमत तो
बहत
ु है पर यादH म2 रखना । कलेटर बन गया तो मझे
ु पहचान तो लेगा ना कहते हए
ु सरज
ू बाबू
अपने बड़े बेटे अनत को बलाने
ु लगे ।
95
अनत- बाबू 3यH बला
ु रहे है । ?कू ल जाने का समय हो गया है ।
सरजबाब
ू ू-इसको पहचानते हो ।
अनत-हां अपने मजदरू रघबीर
ु को बेटा है ना ये तो ।
सरजबाब
ू ू-शाबास सह& पहचाने । रघबीर
ु इसे कलेटर बनाना चाहता है ।
अनत-कलेटर
सरजबाब
ू ू-हां । रघबीर
ु बड़े बड़े सपने दे खता है । ले@कन कछ
ु Pयवधान खड़ा हो गया है ।
अनत- मF 3या क4ं ?
सरू जबाबू- चार-छः पने दे कोरे चौथी म2 पढता है ना ?
अनत-कौन से कोरे कागज ?
सरज
ू -लेखपाल के पास कौन कागज होता है । वह& लेखा बह& वाला । कापी तो बन जायेगी ना चार-
छः कोरे कागज से ।
अनत- 3यH नह&ं ?
सरज
ू -दे दो द&नु को कापी बना लेगा । कापी नह&ं खर&द पा रहा है ना ।
अनत नफरत भर& :नगाहH से द&नु क ओर दे खते हए
ु सरजबाब
ू ू बड़े जमीदार के साथ जाने माने
लेखपाल भी थे के कमरे म2 गया और कछ
ु कोरे कागज लेकर आया और अनत बाबू को दे ते हए ु
बोला आठ-दस पने हF दे दो अपने मजदरू के बेटH को ता@क कलेटर बनने म2 मदद %मल जाये ।
सरजबाब
ू ू- लो द&नु ले जाओ । बना लेना कापी ।
द&न-ु _bदा भाव से कोरा कागज सरजबाब
ू ू के हाथ से थामा ,माथे चढाया @फर चल पड़ा ज0द&-ज0द&
घर क ओर ?कूल जो जाना था ।
द&नु अपने बाप के साथ कंधे से कंधा %मलाते हए
ु बी ए तो पास कर गया पर कले3टर नह&ं बन
पाया पर सात-आठ साल क बेरोजगार& का दं श झेलते हएु मामल& सा 3लक ज4र बन गया ।उधर
जमीदार साहब के बेटे अनत बार-बार फेल होते-होते◌े अततः पा गये बी ए पास होने का
लाइसेस,बड़े पद क नौकर& । Bवरासत म2 %मल गया बाप के दौलत का खजाना बड़ी भर&-पर&

जमीदार& भी । भड़क उठZ अ%भमान क jवाला और ले %लये दबे कचलH
ु को रaदने क कसम ।
बंधवा
ु मजदरू मां-बाप का बेटा द&नु मामल&
ू से ओहदे क नौकर& पाकर भी खश
ु था 3यH@क उसने
रख दया था कनबे
ु के अGछे कल क नींव और ले %लया था मानव सेवा का Jत सरजबाब
ू ू के दये
कोरे कागज क याद कोरे और गर&बी के :नदो के जoम को दल म2 बसाये ।बेटे के ने इरादे से बढे

मांता-Bपता सम:त
ु और रघबीर
ु क आंखे चमक उठZ थी ।
22-बेटा
रोशनी-पापा कल भइया का बथ डे है ।
नेकचद-3या कल कैसे ? अभी अrठारह दन बाक है ।
रोशनी-भल
ू गये कल क बात आज ?आपके परजा:त के बेटे का जम दन ।
नेकचद-चkे श का बथ डे है कल ।
रोशनी-अब आया ना याद ।
96
नेकचद-हां बेट& वैसे भी याद तो रोज रोज कम ह& होनी है । वैसे याद भी 3या-3या रखंू
सा%म◌ाजक उपीड़न ◌़आ"थक तंगी दफतर का शोषण और भी बहत
ु कछ
ु । इन सब को याद रखने
से दख
ु ह& होना है ।
रोशनी-जानती हंू आपक मिL
ु कले खास ^ण तो याद रहता है ।
नेकचद-मझे
ु भी याद था पर उसके उपर तकल&फH के परते चढ गयी थी ना तभी तो दल को
टटोलते ह& याद आ गयी-कल चkे श का बथ-डे है । मनाओ भइया का बथ डे धमधाम
ू से कल 31
जनवर& को @फर सतरह को अ%भनदन का । मझे
ु 3या करना है ये तो बता दो ।
रोशनी-पापा आपको कछ
ु नह&ं करना है हम भाई-बहन सब कर लेगे । कल आपके परजा:त के बेटे
अपने भइया को सराइज दे गे ।
नेकचद-अGछे से मनाओं ।वह भी अपने पSरवार का हो गया । परजा:त का कैसे अपनी जा:त का है
मानव जा:त का । बेट& जा:तपां:त तो आद%मयत के Bवरोधी है । आदमी के बीच जा:त के आधार
पर भेद-भाव बहतु बर&
ु बात है । चkे श छोट& जा:त का है या बड़ी हम2 इससे कछ ु नह&ं लेना है ।
बस लेना है तो इतना @क वह तQ
ु हारा राखी का भाई है मेरा धम का बेटा । पढा %लख नेक इंसान है
चkे श । अGछे आदमी के हर ल^ण उसमं मौजद
ू है ।
रोशनी-यू आर \ेट पापा ।
नेकचद-मेर& औलादे महान बने । यह& मेर& पहल& और आcखर& इGछा है ।मF जो बनना था नह&ं बन
पाया । मेरे सपने मार दये गये । मF योwय होकर बढ&
ू Pयव?था के तराजू पर _ेeठ साOबत नह&ं
हआ
ु योwय होकर अयोwय करार दया गया । आज मामल& ू सी नौकर& कर रहा हंू । उपर वाले
समझते हF मेर& नौकर& उनका एहसान है । बेट& हम तो गर&ब मां बाप क औलाद है पर तम
ु लोगH
को सामने वह दःख
ु नह&ं आने दया िजसको हमने भोगा है । मेर& बदनसीबी को मेरे कनबे
ु के लोग
मेर& संवर& तकद&र समझते है । वे जानते है मF बहत
ु बड़ा साहब हो गया हंू । मेर& कमाई बहत
ु है ।
मF उनसे :छपाता हंू अपनी कमाई । मै उनको हर महनH Tडमाड €ाफट नह&ं भेजकर कतPय पालन
नह&ं कर रहा हंू । वे लोग समझते है म2 शहर म2 पेड़ हलाकर नोट बटोर रहा हंू । जब@क मेर&
तनoवाह से बड़ी मिL ु कल से खच चल पा रहा है । ?कूल क फस,दध ू का Oबल,घर का भाड़ा
:नकालने के बाद बचता 3या है । बडी मिL
ु कल से @कराने का समान आ पाता है । तQ
ु हार& मां का
मैनेजमेट इतना बढया है @क सब कछ
ु थोड़े से पैसे म2 कर लेती है । महने दो महने म2 घर-
पBव◌ार को कछु 4Nया भेज दे दो हंू तम
ु लोगो का पेट काटकर । बेट& तम
ु भाई बहन पढ%लखकर
खदु के पांव खड़े हो जाओ बस यह& भगवान से मनत है । खद ु सQभलते हएु दसरो
ू को भी सहारा
दे ने क को%श करना बेटा । नेक आदमी क यह बड़ी उपलिiध होती है ।
रोशनी- हां पापा आपने बहत ु झेला है खैर आज भी तो कम नह&ं हआ
ु दख ु ु कलH के
है । आप मिL
जहर को पीकर भी हम2 हर तकल&फ से बचाये हए ु है ।
नेकचद-कहां @क बात कहा पहंु च गयी । बात तो चkे श के बथ डे क हो रह& थी । कल क तैयार&
करो ।
रोशनी-तैयार& तो पहले क हो गया है । बस भइया को सराइज दे ना है ।
नेकचद-@फर सराइज कैसी ?
रोशनी-पहल& बार जम दन मनेगा ना ? वह भी अपने घर ।
97
नेकचद-3या । बीस बाइस साल का लड़का है । पहल& बार जम दन
रोशनी-हां पापा गांव म2 कौन मनाता है ।
नेकचद-मनाते है आजकल ।
रोशनी-भइया बाइस साल का है आजकल का नह&ं है । पहल& बार ह& तो मF राखी बांधी हंू । भइया
क बहत
ु तमना थी @क मF उसको राखी बांधूं । भइया क कलाई म2 राखी बांधते ह& उनके आंखH से
आंसू बह :नकले थे । आंसू पोछते हए
ु बोले थे आज मF बहत ु खश ु हंू द:नया
ु का सबसे कमती
तोहफा रोशनी तमने
ु मझे
ु दया है राखी बांधकर । वे सगे भाई जैसे हो गये है । पSरवार के ह?से
हो गये है । कालेज म2 मेर& सभी सहे %लया भइया ह& कहती है । भइया परेू कालेज के भइया हो गये
है ।
नेकचद-भगवान िजसको %मलाना चाहता है लाकर %मला ह& दे ता है । वैसे ह& चkे श को लाकर
%मला दया जैसे वह @कसी जम का Oबछड़ा
ु हआ
ु बेटा हो ।
रोशनी-हम भाई-बहन क वजह से सभी छा$-छा$ाओ का नजSरया बदला है ।
नेकचद-सभी ?कूल-कालेजH म2 सहपाठZ भाई-बहन सर&खे ह& होते है । उदड क:त
ृ के छा$ उलंघन
कर जाते है । सहपाठयH म2 सmभावना ?व?थ और समातावाद& मानव समाज क आधार%शला को
सdढता
ु दान करती है । जा:तवाद का दभा
ु wय मानवता के %लये अ%भशाप बन गया है ।
रोशनी-सच पापा जा:त-धम के ठे केदारH ने तो आदमी को खड -खड कर दया है । भारत मांता क
बेTड़ या कट तो गयी पर इस दे श म2 आद%मयत क बेTड़ ◌ा कब कटे गी ? काश जा:तवाद का Bवषधर
%सर चढकर न फफकारता
ु तो वं"चत शोBषत समाज भी आदमी होने का सख
ु भोग पाता । जा:तवाद
ने शोBषत समाज क तकद&र2 भी कैद कर रखी है और आदमी होने के सख
ु से भी वं"चत कर रखा
है । बb
ु द भगवान ने तो समता के %लये राजपाट तक छोड दया पर आज का आदमी जा:तवाद जो
आद%मयत के माथे का कोढ है उसे ह& नह&ं याग रहे है ।
नेकचनद-बेट& बदलाव तो आयेगा पर धीरे -धीरे । यगो
ु से शोBषत समाज सताया जा रहा है । लोगो
क मान%सकता बदलने म2 व3त तो लगेगा । कम से कम हम तो दसरH
ू के साथ आद%मयत के साथ
पेस आये । समतावाद को पल@कत
ु करने के %लये हर सQभव यास कर2 ।
रोशनी-पापा आप इतने समझौतावाद& और मानवतावाद& हो @फर भी लोग घाव दे जाते है ।
नेकचद-बेट& समय के साथ चलने म2 समझदार& है । यद हवा Bवपर&त हो तो सQभल कर चलना
उ"चत होता है । आदमी कछवा
ु चाल से ह& सह& पर मंिजल तक तो पहंु च जाता है ।
रोशनी-पापा आपके कहने का मतलब Bवषमतावाद& आदमी के मन म2 भरा उमाद धीरे धीरे खम
होगा और ब„
ु द का सपना साकार होगा । एक दन जा:त-धम के नशे से आदमी उपर उठ जायेगा ।
नेकचद- हां । तमने
ु एक पहल भी तो कर द& है ।
रोशनी- कौन सी ?
नेकचद- परजा:त के बेटे को भाई बनाकर ।
रोशनी-कल चदे रश
् भइया का बथ डे मनाना है पापा अGछZ तरह से ।
नेकचद-हां । अब तो वह परजा:त का नह&ं धम का बेटा है । अवLय धमधाम
ू से मनायेगे ।
रोशनी-पापा दे खना कल ज0द& आ जाना । ऐसा न हो @क सभी संगोeठZ म2 बैठे -बैठे भल
ू जाओ◌े
।केक कटने के बाद घर आओ ।
98
नेकचद-ऐसा नह&ं होगा बेट& । मF तQ ु हारे साथ तैयार& म2 भी हािजर रहंू गा ।
रोशनी-तैयार& तो हमार& पर&
ू हो चक
ु है । अ%भनदन और सखन ु दन ने तो अपने-अपने गलक
ु तक
फोड़ दये है ।
रोशनी-"गफ् ट के %लये ?
नेकचद-मF "गफ् ट लाता ना ।
रोशनी-आप भी लाना परजा:त के नह& नह& अपने धम के बेटे के %लये । पापा अब सो जाओ रात
अ"धक हो गयी । कल दे खना आपके दफतर जाने से पहले से ह& सखन
ु दन घर संजाने म2 लग
जायेगा । गiु बारे ,चमकल& और ढे र सारा सजावट& सामान खर&द लाया है ।
नेकचद-ठZक है । कल सब स?प2 स खल
ु जायेगा बथ डे से%लबरे शन का। गडनाइट
ु बेटा
नेकचद ातः सोकर उठे और मा:नग वाक् पर :नकल गये । वापस आये तो सखन
ु दन फल

Oबछाये माला गथ
ू रहा था । सखन
ु दन को Pय?त दे खकर बोले सखन
ु दन सबेरे सबेरे माला बना रहे
हो 3या ज4रत पड़ गयी ।
सखन
ु दन-पापा सब पता चल जायेगा । बना तो लेने दो । घर म2 रोशनी द&वाल& जैसे साफ सफाई
म2 जट&
ु हई
ु । धमपनी चkावती रसोई म2 Pय?त थी । गiु बारे फलाने
ू म2 लगा हआ
ु था । परेू
पSरवार को Pय?त दे खकर नेकचद बोले सरज
ू उगा नह&ं और तैयार& श4ु । कचन क खशब
ु ू घर के
बाहर से नाक को भा रह& है ।
चkावती-दे खो जी आप Tड?टब ना करो जो-जो कर रहा है करने दो । आप भी अपना दै न@क काम
करो । नाLता करो दफतर जाओ । शाम को ज0द& आना ।
नेकचद-बहत
ु बढया । दफतर से छr
ु ट& %मलते ह& घर चल दं ग
ू ा । ठZक है । तम
ु लोग कर लो
तैयार& । कान पकड़ता हंू कोई दखलअदाजी नह&ं क4ंगा ।
रोशनी- शाम को बंगाल& %मठाई लेकर आना । केक का आडर मF दे चक
ु हंू ।
नेकचद-ठZक है लेकर आउ◌ू◌ंगा ।
नेकचद दाढ&,मछ
ू बनाकर नहाये धोये ।पजा
ू -पाठ @कये । नाLता @कये और दोपहर का खाना लेकर
दफतर चल पड़े घर क चहल-पहल छोड़कर । शाम को दे र होने लगी तो नेकचद बड़े साहब के
सामने हािजर हए
ु और बोले साहब घर जा रहा हंू ।
बड़े साहब-3यH ? हो गया टाइम ?
नेकचद-बेटे का जम दन है ।
बड़े साहब दु कारते हए
ु बोल -अपनी सीट पर जा बैठ । ज4र& काम है परा
ू करके जाना ।
नेकचद-साहब साढे सात बज गये है ।
बड़े साहब-3या कोई पहाड़ "गर पड़ा । त:नक सा काम दे ख %लये तो घड़ी दे खने लगे ।
नेकचद- साहब सबहु राइट टाइम पर दफतर रोज आता हंू । डेढ दो घटे बाद जाता हंू । लंच
पीSरयेड म2 भी दफतर म2 रहता है । आप जैसे घर जाकर सोता नह&ं हंू और नह&ं दफतर बद होने
के कछ
ु पहले आकर दफतर म2 बैठता हंू । साहब इतना हटलरशाह& ठZक नह&ं ।
बडेसाहब- अपशiद बकते हए
ु बोले तमको
ु नौकर& करना है क नह&ं ।
नेकचद-नौकर& करने आया हंू और अब जा रहा हंू घर मेरे धम के बेटे का बथ डे है ।
99
बड़े साहब लाल-पीले होते रहे अपशiद बकते रहे । नेकचद मोटरसाइ@कल उठाया अंधेरे म2 घर
पहंु चा । घर पहंु चते ह& %शकायतH का दौर श4
ु हो गया ।
नेकचद बोला -माफ करो मF दे र से आया ।बड़े साहब का दया हं सता जoम कंधे पर लाद आया पर
घर क सजावाट दे खकर दल खश
ु हो गया ।
रोशनी-पापा ये सब सखन
ु दन क कलाकार& है ।
नेकचद-सखन
ु दन अGछा डेकोरे टर है मझे
ु तो आज पता चला है । भइया के बथ डे क तैयार& म2
रौनक डाल दया है -?लोगन %लखकर, रं ग-Oबरं गे सजावट& सामान लगाकर । गiु बारे म2 भी बहत

चमकल& भरा है ।
चkावती-%मठाई ?
नेकचद-लाया हंू ना । रोशनी @…ज म2 रख द& ।
चkावती-शu
ु है भलेू नह&ं ।
नेकचद-धम के बेटे का जम दन और मF भल
ू जाउ◌ू◌ं ।ऐसा हो सकता है 3या ?
रोशनी-ठZक है । मF जान गयी आप नह&ं भल
ू सकते कछ
ु पर करवां चौथ के दन भल
ू जाते हो 3यH
मQमी ।
नेकचद-%शकायत का दौर खम होगा 3या ।
चkावती- हो गया ।
रोशनी- हो पापा । कोई %शकायत नह&ं । बस आप तैयार हो जाओ । मQमी आपके पसद का कता
ु -
पायजाम ेस करके रखी है । भइया भी थोड़ी दे र म2 पहंु च आयेगे । लो नाम ल& ह& नह&ं तब तक
आ गये ।
चदे रश-शै
् तान का नाम %लया नह&ं शैतान हािजर कह कर हं स पड़ा ।
रोशनी-3यH हं स रहे हो खद
ु शैतान बनकर । तम
ु शैतान हो या मेरे भाई ।
चkे श-तेरा भाई ।
रोशनी-हं से 3यH ।
चkे श-तू कह रह& थी आ गया । मझे
ु आये तो पGचीस साल हो गये ।
नेकचद-केक काटने का 3या महत
ु ु आ गया ।
रोशनी- कछ
ु लQहे और बाक है । मQमी को फसत तो रसोई से ले लेने दो । वैसे भी आपको मीठा
तो खाना नह&ं है ।
नेकचद-आज तो खाउं गा। चkे श का बथ डे आज है ना ।
रोशनी-थोड़ा चख लेना बस खाना नह&ं । मीठा से परहे ज का oयाल रखना ।
चkावती- रोशनी तम
ु लोग तैयार हो गये ।
रोशनी-हां मQमी पापा भी तैयार हो गये है ।
चkावती- मF भी आयी । बेटा रोशनी केक सेटर टे बल पर रखो ।
रोशनी-केट सेटर टे बल पर लाकर सजा द&।
सखन
ु दन टे बल पर फल
ू से है Nपी बथ डे माई Tडयर vदर %लख चका
ु था । बGचH ने घर तो ऐसे
सजाया था जैसे शाद& हो । बाहर क भी रोशनी का परा
ू oयाल रखा गया था । दरवाजे पeु N-मालाओं
100
से सजे संवरे खड़े थे । अदर भी कोना-कोना सजा संवरा सोधापन Oबखेर रहा था । इन सब
से अ"धक चkे श क खशी
ु उसके चेहरे पर उमक रह& थी ।
रोशनी-सखन
ु दन चाकू तो लाओ ।
सखन
ु दन-लाल फते और चमकल& से सजाया चाकू लहराते हए
ु बोला ये लो द&द& चाकू ।
रोशनी-अरे वाह @कतना खबसरत
ू ू कर दया सखन
ु दन ने ।
सखन
ु दन-आज के महामहम को◌े पेश @कया जाये बथ-डे नाइफ ।
रोशनी-लो भइया काटो दो केक ।
नेकचk और चkावती ने हाथ पकड़ %लया । धम के मां बाप पाकर चkे श क आंखे भर आयी ।
चkावती-काटो बेटा ।
चदे श -हां मQमी
रोशनी- मोमबती तो बझाओ
ु ।
चkे श- मझे
ु तो याद ह& नह&ं रहा पहल& बार बथ डे जो मन रहा है ।
नेकचk-हर साल मनेगा बेटा हर साल
सखन
ु दन-दे खो भइया लQबू अ%भनदन फोटो\ाफर थक रहा है अब तो काट दो ।
चkे श मोमबती को फंू क मारकर बझाया
ु @फर केक काटा ।है Nपी बथ डे भइया क
शभ
ु कामनाओ के हाद क उmगार से चkे श का मन गद-गद हो गया । नेकचद और चkावती ने
चkे श को केक cखलाये । वह अपने धम के मां- बाप का पांव छआ
ु । चkे श पापा थोडा केक तो
खा लो ।
नेकचद-आज तो ज4र खाउं गा त:नक पर मQमी को अ"धक cखलाना ।
रे ◌ाशनी-भइया पापा को अंगुल& पर लगाकर चटा दो । इतना सनते
ु ह& सब जोर से हं स पड़े ।
चkे श केक cखलाने के %लये नेकचद ओर मडे
ु वह उसे छाती से लगाकर बोले बेटा अब तम

परजा:त का बेटा नह&ं धम का बेटा हो गये हो। चkे श को अपार खशी
ु %मल गयी थी धम के मां-
बाप और भाई-बहन पाकर । चदे रश
् के मंह
ु से अनायास :नकल पड़ा काश ऐसे सभी हो जाते तो
समता सQव◌
ृ ृbद हो जाती इस पावन भ%म
ू पर ।
23-बैडलक
नरायन बेटवा पर मझे
ु ह& नह&ं पर&
ू ब?ती को नाज था । दे खो उसक तर3क पर ऐसी नजर लगी
क आज पागलH क तरह मारा-मारा @फर रहा है कहते कहते दधन
ु क सांस गले म2 अटक गयी ।
बधन
ु -3या हआ ु भइया ? सांस 3यो टं ग गयी ?
दधन
ु - पानी का इशारा @कया ।
बधन
ु -दौड़कर लोटे म2 पानी लाया और लोटा उसके मंह
ु म2 लगा दया ।
दधन
ु -सांस ऐसी अटक थी @क मझे
ु लगा @क जान लेकर जायेगी ।
बधन
ु -भइया तQ
ु हे हमार& उq लग जाये ।
दधनु -बधन
ु तQु हार& ज4रत तQु हारे पSरवार को है । मF तो जीते जी मरा जा रहा हंू बेटे क ददु शा
दे खकर । ऐसे जीने से तो मरना बेहतर होगा ।
बधन
ु -भइया पर&
ू ब?ती म2 तो तQ
ु ह& हो ऐसे आदमी िजसम2 अपनापन झलकता है । अब तो ब?ती
पर राजनी:त का असर दखने लगा है । छोटा हो या बड़ा सब चेहरे बदलने लगे है ।
101
दधन
ु -तमसे
ु 3या :छपा है । सब अरमान आंसूओ म2 बह रहे है । कमासत
ु बेटवा पागल सर&खे हो
गया है । गम भलाने
ु के %लये नशे क गोद म2 बैठ गया है । छाती पर पथर रखकर सब कछ

दे खना पड़ रहा है । क4ं भी तो 3या क4ं कछ
ु समझ म2 नह&ं आ रहा है ।
बधन
ु -सच भइया नरायन क तर3क पर \हण लग गया है । मझे
ु याद है जब नरायन बारहवी पास
@कया था तब पराू गांव @कतना खश ु हआ
ु । नरायन ह& पहला लड़का था जो बारहवी पास @कया था
पहल& बार परेू गांव म2 । तमने
ु भोज भी तो दया । बेटवा नरायन के पास होने क खशी
ु म2 । वह&
नरायन आज बैडलक,बैडलक कहते @फर रहा है पागलH क तरह । भगवान ने संवर& तकद&र को ना
जाने 3यH Oबगाड़ दया ।
दधन
ु -पढाई-%लखाई का अब 3या मोल ।अGछा कमा खा रहा था । मान :तeठा बढा रहा था पर
मायानगर& का जाद ू सब ल&ल गया ।
बधन
ु -सच कह रहे हो भइया । नरायन मायानगर& 3या गया बनी तकद&र 4ठ गयी ।
दधन
ु -वहां भी खब
ू तर3क @कया गाड़ी,बंगला सब कछ
ु तो था पर ठगा गया तभी तो पागल होकर
बैडलक बैडलक गाता @फर रहा है ।
बधन
ु -नहर क ठे केदार& म2 ह& लगा रहता तो पागल तो नह&ं होता । भइया Bव"ध का यह& लेख था ।
हम मानष
ु 3या कर सकते है ?
दधन
ु -बेटवा का दख
ु नह&ं दे खा जाता । कमासत
ु बेटा ठगा गया मोहiबत म2 । बाक चारो बेटH क
हाल तो दे ख रहे हो । जब तक हम बढा ू है तब तक सQभाल रहे हF । हमारे मरने के बाद कौन
ू -बढ&
दे खरे ख करे गा । बेटवा लावाSरस हो जायेगा । नरायन के गम म2 मर मर कर जी रहा हंू । बेटवा का
दख ु नह&ं सहा जा रहा है भइया बधन ु ।
बधन ु बड़ा दख
ु -बहत ु है । िजस लड़के क %मशाल द& जाती थी उसी को लोग पागल समझकर
cख0ल& उड़ा रहे है । मायानगर& ने इस लड़के का जीवन नरक करके परेू पSरवार क ख%शयां
ु :छन
ल& ।
दधन
ु -हSरयाना से मायानगर& गया तो इसक पनी ने आमहया का यास @कया । अततः वह
सदा -सदा के %लये छोड़ चल& । मायानगर& म2 फौजी से तलाक ले चक
ु दो बGचH क मां रे शमा
नरायन क िजदगी म2 3या आयी सब लट
ू गया । धीरे -धीरे कोठZ बंगला धन-दौलत सब हड़प कर
भगा द& ।करोड़प:त नरायन सड़कप:त हो गया है । फट&
ू कौड़ी पास नह&ं बची है दवाई तक के %लये

बधन
ु -इतना समझदार लड़का दो बGचH क मां तलाकशदा
ु रे शमा के झांसे म2 कैसे आ गया । समझ
म2 नह&ं आता ।
दधन
ु -नरायन क कोठZ रे शमा के घर के सामने थी । अकेला लड़का दे खकर डोरे डालने लगी ।
कचहर म2 iयाह कर ल& । धन-धम लट
ू कर बेआब4 कर द& । मेरे बेटे नरायन को पागल करके
पराने
ु प:त क गोद म2 जा बैठZ ।
बधन
ु -बेटवा रे शमा क चाल नह&ं समझ पाया । रे शमा और पराना
ु प:त %मलकर सािजश रचे होगे
तभी नरायन को राजा से रं क बनाकर खद
ु मा%लक बन बैठे दोनो ।
102
दधन
ु -ना जाने कौन सा म$ पढकर रे शमा कोरे कागज पर द?तक करवा ल& । द?तक करते ह&
नरायन राजा से रं क हो गया । आज रोट& के %लये न?तवान है । मेरा शर&र खद
ु का बोझ नह&ं उठा
पा रहा है मै इस लड़के को कैसे सQभालंू ।
सखव
ु ती-BवLवास म2 म2 ठगा गया । एक औरत ऐसा कर सकती है । सोचकर शम आती है ।बेटवा
क द:नया
ु उजड़ गयी है । उसे Nयार से समझाओ । उसे पटर& पर लाओ । कब तक ऐसे पागलH क
तरह घमे
ू गा । हम जब आंख मंद
ू लेगे तो रोट& कौन दे गा । इस बारे म2 भी तो सोचो । जो होना था
हो गया । दसरH
ू को दख
ु दे कर कोई सख
ु से रह पाया है । नरायन के साथ जीने-मरने क कसम
खाने वाल& रे शमा धन-धम लट
ू कर ध3के मार कर भगा द& ।
रे शमा भी नह&ं रह पायेगी । बेटवा के मान का गम :नकल जाता तो @फर से जीवन नईया चल
पड़ती ।
दधन
ु - कौन दे खने जा रहा है ।
बधन
ु -भइया भौजी ठZक कह रह& है । लडके के मन का गम :नकालने के %लये कछ
ु तो करना होगा ।
दधन
ु -नरायन भी दोषी है । जब रे शमा के साथ सात फेरे %लया तो @कसी से पछा
ू । मोहफांस म2
फंसकर सब कछ
ु गंवा बैठा । iयाह क खबर से नात-हत @कसी के सामने मंह
ु दखाने म2 शम आ
रह& थी । Oबरादर& वालH ने ह3
ु का-पानी बद कर दया था बधन
ु 3या तम
ु नह&ं जाते । िजस औरत
के %लये नरायन घर-पSरवार मां-बाप सब छोड़ा वह& छाती म2 खंजर घHप द& । बेटवा तो पागल हो ह&
गया मF भी रोज-रोज मर रहा हंू बेटवा क @फu म2 ।
सखव
ु ती-शभ ु बोलो नरायन के बापू । िजदगी भर अपनी @क?मत म2 हाड़:नचोड़ना भगवान ने
ु -शभ
%लख दया । एक लायक बेटवा था उसक ददु शा तो दे ख रहे हो । बाक नालायकH से 3या उQमीद
कर2 ।बेटवा क तकल&फ बदाLत नह&ं हो रह& है ।
दधन
ु -एक बेबस बाप 3या कर2 नरायन क मां तQ
ु ह& बताओ । रे शमा @कतनी शा:तर :नकल& छल से
दौलत हड़प ल& । बेटवा को पागल बनाकर भेज द& । पढा %लखा समझदार बेटवा पराई औरत के
मोह म2 मां-बाप घर-पSरवार तक को भला
ू दया । दे खो औरत का डंसा राजा से रं क हो गया ।
सखव
ु ती- बेटवा क मेहनत क कमाई को िजसने धोखे से हड़पने वाल& कभी भी चैन से नह&ं रह
पायेगी । हम2 दौलत नह&ं चाहये हमे बेटवा गम से उबर जाये अब तो यह& आcखर& oवाहश है ।
हमारे बेटवा क हं सी वापस कर दो◌े भु ।
बधन
ु -सच कहते है ना"गन का डंसा आदमी उबर सकता है पर रे शमा जैसी औरत का डंसा नह&ं ।
सखव
ु ती-दे वरजी ठZक कह रहे हो । दे खो बेटवा ने रे शमा को अपनाया 3या ? खद
ु का जीवन नरक
बना %लया । पSरवार क सार& ख%शयां
ु Oबखर गयी । हम एक -एक पैसे के %लये न?तवान है । उधर
करोड़ो क माल@कन रे शम बन बैठZ है । 3या खब
ू सािजश रची थी वह औरत और कामयाब भी हो
गयी । छः मह&ने तक तो मेरा बेटवा नरायन शहर म2 पागलH क तरह गजारा
ु करता रहा । कभीं
सड़क पर कभी कड़े
ू दान के पास तो कभी पेड़ के नीचे भखे
ू Nयास रात Oबताता रहा । कोई भीखर&
समझका एक रोट& हाथ पर रख दया तो खा %लया नह&ं तो Rtूखे Nयासे तड़पता रहा । बड़ी
ु अपने बेटवा को नह&ं पहचान पा रह& थी । वाह रे
तकल&फ से गांव तक पहंु च पाया था । मF खद
@क?मत का खेल कब आदमी को राजा से रं क बना दे @कसको पता । @कतनी मेहनत से तर3क क
राह चल पाया था । उस पर भी रे शमा क नजर लग गयी ।
103
बधन
ु -सच भौजी बेटवा ठगा गया रे शमा से iयाह करके । बेटवा क बबाद& का कारण रे शमी ह&
है ।
सखव
ु ती- रे शमा ऐसा दाव मार& @क मेरा नरायन झटके म2 सड़क पर आकर पागल हो गया और
सारा अ"धकार खो बैठा । हमारे घर-पSरवार के दख
ु को वह महाठ"गनी जनत का सख
ु समझ रह&
होगी पर इस मां क आह बेकार नह&ं जायेगी ।
दधन
ु -बात बद करH नरायन को दे खH कह&ं औधे मंुह पड़ा कराह रहा होगा । खोज खबर %लया करो
। उसके बाल-बGचे तो नह&ं है । जब तक द:नया
ु म2 है दे खरे ख अपने %सर पर है । बेटवा सo
ू कर
कांटा हो गया है । भगवान नरायन से पहले मझे
ु डइ◌ा लेना ।
सखव
ु ती-भगवान सबसे पहले मझे
ु उठाना । मझे
ु और अधBव]^त बेटवा को @कसके िजQम2 सौपकर
जाओगे । शभ ु बोलो नरायन के बापू । मF एक मां हंू । बेटवा के दख
ु -शभ ु को खबू समझती हंू ।
क4ं तो 3या क4ं बेबस हो गयी हंू । शहर-परदे स का मामला है । वहां जा भी तो नह&ं सकती ।
जाकर भी 3या करे गे । बेटवा का अंगूठा तो पहले कट गया है । अब तो भगवान के याय पर
BवLवास है ।
दधन
ु -अपने हाथ म2 3या है । हम2 शहर म2 कौन पनाह दे गा । जब बेटवा के साथ सात फेरे लेकर
रे शमा दगा दे गयी तो हम छछH
ु को कौन पानी पछे
ू गा ।
बधन
ु -हां भइया सब भगवान पर छोड़कर बेटावा के बारे म2 सोचो ।ओझा,बईद या कोई हकम को
दखाओ िजससे बेटवा क दमागी हालत तो ठZक हो जाये । धन दौलत तो हाथ क मैल हो बेटवा
ठZक हो जायेगा तो @फर कमा लेगा । "चता तो बेटवा के जीवन को लेकर है न @क दौलत को
लेकर । रे शमा जो दौलत हड़प ल& है ।बेटवा क दमागी हालत ठZक होने पर वापस आ सकती है ।
दधन
ु -कहां लेकर जाउ सब ओर से तो हार गया ।
बधन
ु - भईया हार ना मानो । को%शश करते रहे ◌ा । कब @कसक दआ
ु काम आ जाये बेटवा पहले
जैसा हो जाये । दमागी हालत ठZक हो जाये । कमाने खाने लगे । भईया भगवान पर यकन बनाये
रहो । दर-दवाई जहां तक हो सके करते रहो । उपर वाला इतना :नद यी तो नह&ं होगा । दख
ु दया
है तो दवा भी दे गा ।
दधन
ु -3यH झठZ
ू दलासा दे रहे हो बधन
ु । तम
ु भी जानते हो 3या होने वाला है । रे शमा से सQप:त
वापस लेना मेरे बस क बात नह&ं है । ना अब बेटवा ठZक हो सकता है । बेटवा का पागलपन जान
लेकर छोड़ेगा बार& -बार& से हमार& @फर नरायन क मां क @फर
सखव
ु ती-बस आगे नह&ं बोलना । मरे हमारे दLु मन । अब मF जा रह& हंू बेटवा को ढढकर
ू ललाती हंू
@फर च0
ू ह चौका क4ंगी ।
दधन
ु -जा दे ख कहां @कस हालत म2 पड़ा है । नरायन का दख
ु मझसे
ु नह&ं दे खा जाता । उसक
दे खकर मेर& आमा रो उठती है । इस दख
ु से उबरने के %लये कभी कभी Bवचार आता है । पोखर म2
डबकर
ू जान दे द2 पर दसरे
ू पल मन म2 Bवचार आता है यह तो कायरता है । भगवान ने दख
ु दया
है सहना तो पड़ेगा ।
बधन
ु -भईया हQमत रखो ।
104
दधन
ु -मF भी चाहता हंू गम का बोझ छाती पर ना बढे पर इससे बड़ा और 3या गम होगा ।
कमासत
ु बेटा पागल हो गया है । िजसके जीवन के थोड़े दन बाक है । मF बेटे को कंधा दं ग
ू ा
जब@क बेटवा के कंधे पर मझे
ु Lमशान जाना चाहये पर हमारे साथ उ0टा होने वाला है ।
बधन
ु -भईया नरायन ठZक हो जायेगा । रो -रोकर अपनी हालत खराब ना करो । अब तQ
ु हारे भी
आंख ठे हने
ु पहले जैसे तो रहे नह&ं । अब तो इस दख
ु को भी सहना @क हQमत जटानी
ु पड़ेगी Bव"ध
ने जो तकद&र म2 जोड़ दया है । उसे कोई नह&ं %मटा सकता भईया । दा4 क लत नरायन के %लये
वैसे ह& खतरनाक हो गयी है जैसे रे शमा ।
दधन
ु -दा4 जान लेकर रहे गी । कल "गर पड़ा भFस के खंट
ू े पर दो दांत टट
ू गये । बेटवा जवानी म2
बढा
ू हो गया । अ?सी साल का पर:नया
ु दखता है । 3या क4ं अब तो तकद&र म2 आंसू बहाना ह&
बचा है ।
बधन
ु और दधन
ु बात कर ह& रहे थे @क सखव
ु ती नरायन का हाथ पकड़े आ गयी । बगीचा म2
गना पेरने मशीन पर बैठा आंसू बहा रहा था ।
दधन
ु -3या करे गा । Oबना Bवचारे जो @कया है । उसक आग म2 तो जलना ह& होगा । इसके @कये क
सजा परा
ू पSरवार भगत
ु रहा है । अरे द:नया
ु भर म2 अब दो बGचे क मां बढया
ु रे शमा ह& बची थी
इससे iयाह करने के %लये । लड़@कयH का अकाल तो नह&ं पड़ा था । सब कछ
ु गंवा कर मां बाप का
चैन :छन %लया ।
नरायन-बैडलक डैड कहते हए
ु धड़ाम से "गर पड़ा ।
बधन
ु बGचे क नरायन को गोद म2 उठाकर खटया पर सला
ु दया । सखव
ु ती रो-रोकर नरायन के
तन पर लगे कचड़ को साफ करने लगी ।
दधन
ु -भागवान रहने दो । सबह
ु पकड़कर नहवा दे गे साफ हो जायेगा । अभी तो दो रोट& उसके पेट
म2 डाल । लग रहा है दम :नकल जाएगी अभी । दे खो कैसे हांफ रहा है ।
सखव
ु ती-ठZक कह रहे हो ।पहले रोट& स2क लेती हंू ।
बधन
ु - हां भैजाई रोट& बनाओ । नरायन को cखला कर भईया और तम
ु भी खा लेना ।
दधन
ु -हां भईया पापी पेट को तो चाहये ह& चाहे @कतने दख
ु के बादल 3यो न छाये रहे ।
बधन
ु -भइया मF भी घर चलता हंू । बGचे परे शान हो रहे होगे । काम से सीधे इधर हा आ गया ।
भईया अब तमको
ु भौजाई और नरायन दोनH का oयाल रखना है ।
हां भईया ना जाने @कस जम का पाप भोगना पड़ रहा है कहते हए
ु दधन
ु आंख पर गमछा रखते
हए
ु बोला जाओ भईया थक गये होगे । खेत मा%लक लोग तो खन ू :नचोड़ लेते है । दो रोट& खाकर
आराम करो सबह
ु ज0द& काम पर जाना होगा । ये तो रोज क बात है कहते हए
ु बधन
ु अपने घर
क ओर चल पड़ा ।
दधन
ु -नरायन क मां रोट& बन गयी हो तो ला दो रोट& डाल पहले नरायन के पेट म2 । दे ख कैसे
कराह रहा है । आंसू तो इसके कभी बद नह&ं होते । ना जाने कैसी तकद&र %लखवा कर लाया है ।
परेू पSरवार क तकद&र Oबगड़ गयी ।
नरायन-बैडलक डैड ।
दधन
ु -इससे आगे कछ
ु बोलने को है 3या ?
105
नरायन-3या बचा है ? लाईफ तबाह हो गयी । अब तो सदा के %लये सोना चाहता हंू । बहत

थक गया हंू ।
सखव
ु ती-बेटा ऐसे ना बोल हमारा तो तू ह& सहारा है ।
दधन
ु - कौन @कसका सहारा बनेगा यह तो उपर वाला जाने । अभी तो उसे तो खद
ु सहारे क ज4रत
है । तQ
ु हारा हमारा 3या सहारा बनेगा । दो रोट& cखला दे नह&ं तो @फर कह& चला जायेगा रात म2
कहां खोजेगे ?
सखव
ु ती-ठZक कह रहे हो कहते ह
ु डठZ दो रोट& दाल म2 म?सल कर लायी और पचकार
ु ु
-पचकार
कर नरायन को cखलाने क को%श करने लगी पर नरायन बार बार हाथ झटक दे ता । बड़ी मिL
ु कल
से एक रोट& सखव
ु ती नरायन के पेट म2 उतर पायी । इसके बाद दधन
ु और सखव
ु ती एक -एक
रोट& खाकर पानी पीये । दधन
ु और सखव
ु ती के %लये यह तो रोज का गम बन चका
ु था ।
दधन
ु और सखव
ु ती नरायन क "चता म2 खटया पकड़ %लये । कछ
ु ह& दनH म2 दधन
ु क हालत
बहत
ु खराब हो गयी । लकवा का अटै क हो गया । बेचारा खटया पर पड़ा-पड़ा सडने लगा और छः
मह&ने के अदर रामनाम सय हो गया गया । दधनु का जनाजा :नकला । नरायन हTड़ यां %लये
आगे आगे चल रहा था । शवया$ा म2 शा%मल लोग रामनाम सय बोल रहे थे ।अब तो बाक जीवन
हं सते जoम का जहर पीकर बसर करना होगा चाल&स साल का अ?सी साल क तरह बढा
ू लगने
वाला नरायन लाठZ के सहारे बैडलक बैडलक बोलते हए
ु Lमशान क ओर बढ रहा था । रामनाम
सय है क आवाज म2 उसक आवाज दम तोड़ रह& थी ।
23-अ6भमान
भगवान मझ
ु गर&ब क कब तक इQतहान लेते रहोगे । रहम करो । आद%मयत के नाते कब तक
वीन का भार उठाते रहना होगा । वीन सQपन घर से है पर जैसे :नeका%सत मेर& चौखट पर आ
पड़ा है । कब तक अपने बGचH क ज4रते◌ा◌ं क ब%ल चढाकर और उनके पेट पर पrट& बांध कर
इस वीन क ज4रते पर&
ू करे गे जो दरू का भी कोई SरLतेदार नह&ं है । आद%मयत क लाज रखने
के %लये पनाह दे रखे है । अभी कब तक पनाह दे नी होगी चार साल से उपर तो हो गये । भगवान
मेर& मसीबत
ु दरू कर दे । वीन को नौकर& दे दे ◌ा । मF उपवास रखकर तेर& कथा सनं
ू गू ी । कहते
कहते कलव
ु ती रोने लगी भगवान क त?वीर के सामने । भगवान ने कलव
ु तीदे वी के आंसू क
लाज रख ल& । वीन को योwयतानसार
ु बड़ी कQपनी म2 नौकर& %मल गयी।
वीन नौकर& पर जाने लगा । मोट& तनoवाह भी %मलने लगी । वीन कम कलव
ु तीदे वी अ"धक
खश
ु थी 3यH@क भगवान ने उसक पकार
ु सन
ु ल& थी । एक दन कलव
ु तीदे वी बोल& भइया वीन
मह&ने भर काम कर चक
ु े ना ?
वीन- हां भाभी ।
कलव
ु तीदे वी-तनoवाह कब %मलेगी ?
वीन- एक तार&ख के बाद पर भाभी ये सब 3यH पछ
ू रह& हो ।
कलव
ु ती- तQ
ु हार& तनoवाह म2 से मझे
ु सवा 4पये चाहये बस ।
वीन-सवा 4पये से 3या होगा ।
कलव
ु तीदे वी- बाक जो लगेगा मF कर लंग
ू ी ।
वीन-3या करने वाल& हो भाभी ।
106
कलव
ु तीदे वी- कथा क मनत क हंू । अब तमको
ु नौकर& %मल गया । भगवान से @कया
वादा परा
ू करने म2 अब दे र नह&ं होना चाहये । कथा के दन तQु हे भी उपवास रखना होगा । हम
और तQ
ु हारे भईया तो रखेग2 ह& ।
वीन- हम2 उपवास रखने क 3या ज4रत ।
कलव
ु तीदे वी-मनत है तQ
ु हार& ।
वीन- @कसने क मनत मFने ।
कलव
ु ती- मैने क है । अब सवाल नह&ं करना भइया बस सवा 4पया अपनी पहल& तनoवाह से दे
दे ना परसाद म2 %मला दं ग
ू ी बस ।
वीन-ठZक है भाभी ।
कमकाड के Bवnवान से कथा क :त"थ :निLचत कर कलव
ु ती उसके प:त दयाशंकर, बGचे और
वीन ने उपवास रखकर कथा सने
ु । कथा पूरे Bव"ध Bवधान के साथ Bवnवान रमेश पजार&
ु ने
सQपन करवायी। कलव
ु तीदे वी पहले भगवान का परसाद वीन को अपने हाथH से cखलाया । इसके
बाद प:त-पनी और पSरवार परसाद \हण @कया । कलव ु तीदे वी बहत
ु खश ु थी । आसपास के
पSरवारH म2 ह& नह&उन पSरवारH म2 भी परसाद पहंु चाई िजनसे काफ दSरयां
ू भी थी । लोग पछते
ू कौन
सी मनत कर रखी थी भाभी तो वह बोलती दे वर क नौकर& के %लये । मनत पर&
ू हो गयी । लो
Bया भाभी परसाद घर म2 बहत
ु काम फै◌ेला पड़ा है । सब क छr
ु ट& पर है आज कथा सनने
ु के
%लये ।
Bया- वीन सगा दे वर है ।
कलव
ु तीदे वी कहती न सगा है न दरू का पर आद%मयत के नाते सगा हो गया है ।
Bया- गैर के %लये इतना बड़ा याग ।
कलव
ु तीदे वी-बहन कमायेगा खायेगा सखी
ु रहे गा । हमार& नेक माने चाहे मत माने पर दसरH
ू के
साथ वैसा करे जैसा उसके साथ हमारा पSरवार @कया है । Bया बहन शाम को भजन है आप भी
आना ।
Bया- एक साथ दो काम कर रह& है ।
कलव
ु तीदे वी- भजन के %लये बलावा
ु तो दे ना ह& था । परसाद भी बाट रह& हंू और बलावा
ु भी दे दे
रह& हंू । बहन याद से आ जाना ।
Bया-ज4र आउं गी ।
कलव
ु ती-Bया बहन मF बहत ु हंू । वीन क नौकर& लग गयी । वह अपना खान-खच दे ख लेगा
ु खश
। प:त क छोट& सी तनoवाह से बड़ी मिL
ु कल से खच चल रहा था । अपनी हाल तो वह& थी कमाई
अठनी खरचा 4पइया । अब थोड़ी राहत %मल जायेगी । वीन अपनी नौकर& पर चला जायेगा ।
अपना मकान लेकर रहे गा । उसीक नौकर& %मल जाने से छाती का बोझ बहत
ु कम हो गया ।
Bया-बहन तमने
ु भी तो अपनी औकात नह&ं दे खी । न जान न पहचान दे वर बनाकर घर म2 रख ल&
उपर सा सारा खान -खरच उठा रह& हो । आज के जमाने म2 कोई सगे को पनाह नह&ं दे ता तम
ु लोग
सड़क से उठाकर घर म2 रख %लया वीन को । दे खना नौकर& jवाइन करने के बाद "गर"गट जैसे
रं ग बदल लेगा ।
107
कलव
ु तीदे वी-बहन वीन से हम2 कोई उQमीद नह&ं है । वह तो अपना और अपने घर-पSरवार
को दे खे बस । हमने कोई आस मन म2 रखकर पनाह नह&ं द& थी । बस इतनी सी आसा था◌ी @क
भखे
ू -Nयासे पागलH क तरह दर-दर ध3के खाने वाले बेरोजगार वीन का जीवन सधर
ु जाये । सधर

भी गया भगवान ने हमार& सन ु भी ल& । कथा भी हो गयी । शाम को भजन करवा रह& हंू । इसके
बाद वीन जहां चाहे रहे ।
शाम को भजन श4
ु हो गयी :नधाSरत समय पर । नौ बजे तक भजन चल& । भजन के समाNत
होने पर सभी आगतक
ु ो को चाय के साथ भार& नाLता परोसा गया । कथा,भजन सभी कायuम
Bव"धपव
ू क सफल हो गया ।
दयाशंकर के कठन यास के बाद वीन को नौकर& %मल गयी पर काफ व3त लग गया । एहसान
के बदले वीन को दयाशंकर और उसके पSरवार म2 क%मयां नजर आने लगी । वह बGचH के साथ
कभी-कभी बmतमीजी पर उतर जाता । यह& बGचे वीन के %लये अपने गलक
ु भी तोड़ चक
ु े थे ।
दयाशंक और कलव
ु तीदे वी कभी भी वीन को अपने बGचH से अलग नह&ं माना । तीनो बGचH के
साथ उसे भी खाना परोसती ता◌ा@क परायापन न झलके । बGचH के साथ खाने सोने बैठने सार&
सBवधा
ु ाNत थी वीन को । मोट& तनoवाह पाते ह& वीन िजस थाल& म2 खाया उसी म2 थकने

लगा पर दयाशंकर और कलव
ु ती नजरअंदाज कर दे ते । यह& वीन दयाशंकर के पSर_म क रोट&
कई सालH से फोकट म2 तोड़ रहा था । न तो वीन ने एहसान माना न ह& उसके पSरवार के लोगH ने
। पSरवार के लोगो ने तो इ0जाम तक मढ दया @क वीन क कमाई पांच साल से हड़प रहे है उपर
से ढढोरा पीट रहे है भलाई का अरे पांच दन कोई अपने सगे को शहर म2 रखने को तैयार नह&ं है
दयाशंकर पांच साल से वीण को आ_य दे रहा है । मन म2 राम बगल म2 छर&
ु । दखाने को तो
हमददx है पर वीन क कमाई डकार रहे है । वीन के पSरवार वालH ने इ0जाम मढ दया
दयाशंकर के %सर पर जब@क वीन बेरोजगार था । दयाशंकर अपनी◌े कमाई क रोटयां रोटयां
मफत
ु म2 तोड़वा रहा था।
दयाशंकर क काक मधमतीदे
ु वी जो परदे स म2 रहती थी कलव
ु ती से पछZ
ू कलव
ु ती सह& -सह&
बताओ वीन कछ
ु नह&ं कमा रहा है ।
कलव
ु तीदे वी-नह&ं काक । ऐसी कोई ोफेशनल Tड\ी तो उनके पास नह&ं है @क नौकर& %मल जायेगी
। को%शश कर रहे है ।
मधमतीदे
ु वी-फोकट म2 रोट& तोड़वा रह& हो ?
कलव
ु तीदे वी-यह तो वीन अGछZ तरह बता सकते है ।
मधमती
ु -चार दन तो परदे स म2 कोई cखलाता ह& नह&ं तम
ु बरसH से 3यH cखला ररह& हो ।
कलव
ु ती-SरLते के नाते ।
मधमती
ु - वीन SरLतेदार कैसे हो गया ।
कलव
ु ती-आद%मयत के SरLते के नाते ।
मधमती
ु -इतना बड़ा धमामा 3यH बन रहे हो । अरे शहर परदे स म2 कोई @कसी को फोकट म2 नह&ं
cखलाता ।
कलव
ु ती-हम तो cखला रहे है । अपने बGचH के :नवाले म2 कटौती करके ।मेरे उपर नह&ं नेक के
उपर इ0जाम मढ रह& हो । काक आप जैसे लोगH क वजह से मसीबत
ु म2 लोग हाथ लगाने से
108
कतराते है । हम तो सGचे मन से :नः?वाथ एक बेरोजगार क मदद कर रहे है जो भखे
ू -Nयासे
पागलH क तरह भटक रहा था । काक मसीबत
ु म2 आदमी क मदद करना अपराध होता है तो मF
यह अपराध करती रहंू गी ।
मधमती
ु -वीन खद
ु एक दन परदा उठा दे गा ।
कलव
ु ती-नौकर& %मलने के बाद । अGछा दन आते ह& अGछाई म2 बराई
ु नजर आने लगती है । खैर
इसक भी हमे परवाह नह&ं है । हमने तो नक क है । एक पSरवार को सQवb
ृ द बनाने क को%शश
क है तन मन और धन से भी ।
मधमती
ु क जहर&ल& बाते सनकर
ु कलव
ु ती को ग?
ु सा तो बहत
ु आया पर वह इस जहर को पी गयी
। यह बात कलव
ु ती दयाशंकर से बतायी । दयाशंकर पीछे न हटने क कसम खा %लया । छोटे बड़े
सभी लोगH के सामने वीन क नौकर& के %लये "गड़"गडाया आcखरकार नौकर& भी %मल गयी ।
वीन के पतझड़ भर& िजदगी म2 बसत छाने लगा । वह भी इस तर3क के अ%भमान म2 आ गया
और दयाशंकर क नेक क बदनेक "गनाने लगा । वीन का बड़ा भाई जो कभी कभी दयाशंकर से
फोन पर बात कर लेता । उसके बाप िजनके %लये दयाशंकर और उसका पSरवार फSरLता था ।
वीन क नौकर& लगते ह& सब बदल गये । कोई बात तक नह&ं करना चाहता था पर dढ :नLचयी
दयाशंकर नेक क राह से पीछे नह&ं हटा । न ह& अपने मन का मलाल वीन के सामने गट @कया

वीन म2 भी बहत
ु बदलाव आया गया । ज0द& जाना दे र को आना और Pयवहार म2 कषैलापन भी
समार
ु हो गया । वीन का कषैलापन दयाशंकर और उसके पSरवार को घाव करने लगा । एक दन
वीन लाल-पीला होता हआु बोला भाभी तQ
ु हारे बGचे मझे
ु परे शान करने लगे है ।
कलव
ु तीदे वी-3या कह रहे हो वीन भइया ।
वीन-हां ठZक कह रहा हंू ।
कलव
ु ती-मेरे बGचे तो तमको
ु बहत
ु Nयार करते है । बड़ा बेटा "चराग अपनी नई साइ@कल तमको ु
दया । िजसे तम ु चला कर तोड़ डाले । पंचर तक नह&ं बनवाये । "चराग,गंज
ु न बीटया शोभा तQ
ु हार&
@कतनी मदद @कये अपने ग0
ु लक तक तQ
ु हारे %लये तोड़ दये । वह& तमको
ु परे शान कर रहे है ।
वीन-तम
ु 3यो मानेगी ? अपने बGचो क गलती । समझा लो बGचो को ।
कलव
ु ती- @कतने बरस से इस घर म2 हो ।
वीन- साढे चार
कलव
ु तीदे वी -इतने बरस से ये बGचे तमसे
ु ?नेह करते रहे । आज झगड़ा 3यH कर रहे है ।
वीन-तQ
ु हारे बGचे है तम
ु जानो ।
कलवतीदे वी-समझ गयी । भईया पहले एक अGछा सा घर दे ख लो @फर %शफट हो जाना ।
वीन-मझे
ु भी इस माहौल म2 रहना अGछा नह&ं लगता ।
कलव
ु तीदे वी-अGछZ बात है । खब
ू तर3क करो । अपने बाल बGचH को पढाओ %लखाओ । एक बात
bयान रखना ।
वीन-3या ?
कलव
ु ती- @कसी क नेक को बदनाम नह&ं करना ।
वीन- मF भी समझता हंू ।
109
कलव
ु तीदे वी- भइया दो मह&ने म2 आये बदलाव से मF भी पSर"चत हो गयी हंू । मैने जो कछ

@कया है इंसा:नयत और परमाथ के नाते @कया है । जो तमनेु @कया है मतलब बस @कया है और
कर भी रहे हो ।
वीन-हम मतलबी है ।
कलव
ु तीदे वी- तम
ु अGछZ तरह समझ सकते हो ।
वीन-3या
कलव
ु तीदे वी- तम
ु कह रहे हो ना साढे चार साल इस घर म2 रहे । इस घर का अन-जल \हण
@कयो ।
वीन-हां
कलव
ु तीदे वी-तमसे
ु घर के @कराये या खोराक क कभी मांग क गयी ।
वीन-नह&
कलव
ु तीदे वी-नेक के माथ अपयश 3यH ? भइया मझसे
ु जो हआ
ु कर दया । अगर मेर& नेक म2
तमको
ु खोट नजर आती है तो ^मा कर दे ना । रह& बात अलग रहने क तो तुम जब चाहो तब से
रहना श4
ु कर दो । मझसे
ु कोई मदद चाहये तो :नःसंकोच कह दे ना ।
वीन-एहसान करने को रहने द&िजये ।
कलव
ु तीदे वी-भईया अ%भमान मत करो । तQ
ु हार& तर3क म2 इस घर क दआये
ु शा%मल है ।
वीन-हो सकता है ।
कलव
ु तीदे वी-तमको
ु याद नह&ं ?
वीन-नह&ंकृ
कलव
ु तीदे वी-हम भी नह&ं चाहते याद रखो । याद रखना है तो इतना ज4र याद रखना @क @कसी
ज4रतमद क मदद करना अपना फज समझना । यह& हमने @कया बस ।
वीन-मझे
ु ज4रत नह&ं है ।
कव
ु तीदे वी- ज4रत पड़ेगी या नह&ं यह तो व3त क बात है । पद दौलत का अ%भमान अGछZ बात
नह&ं । "चराग के पापा ने हाथ जोड़-जोड़कर नौकर& लगवा दया । उनक पसीने क कमाई का नमक
खाये अब ज4रत नह&ं है । "चराग के पापा अपने %लये @कसी के सामने हाथ नह&ं फैलाये पर तQ
ु हारे
%लये @कस @कस क चौखट पर माथा नह&ं पटके । तम
ु हो @क उनक नेक को दु कार रहे हो ।हमारे
बGचH को गाल& दे रहे हो । चाटे मार रहे हो । अरे हमारे बGचH ने तQ
ु हारा 3या %लया है । तQ
ु हे
दया ह& है । खैर मत मानो नेक पर खशी
ु मन से जाओ । अब तो तQ
ु हे सहारे क ज4रत भी नह&ं
है । कमाओं,खाओ खब
ू तर3क करो । हमार& नेक को मत मानना पर नेक को गाल& तो मत दो
िजससे दसरे
ू @कसी क मदद करने से कतराये ना ।
वीन-बहत
ु एहसान जता दया । सार& उq तQ ु हारे एहसान के तले दबा रहंू गा 3या ?
कलव
ु तीदे वी- नह&ं भईया हमारा कैसा एहसान । हमने जो कछ ु @कया भगवान ने करवाया । हम तो
ठZक से अपने बGचH क परवSरश नह&ं करने क है %सयत रखते पर उपर वाला का चमकार ह& है
@क तQ
ु हारे जैसे आदमी को साढे चार साल तक अपने हाथ से गरम-गरम रोटयां cखलायी।
बेरोजागर& के घाव पर आद%मयत का म0हम लगायी ये सब हमार& और हमारे पSरवा क गलती थी
। बGचH ने सगा काका मानकर गलती कर दया । "चराग के पापा ने नौकर& लगवाकर गलती कर
110
दया । खैर अब तो स^म हो गये हो । सब कछ
ु खर&द सकते हो दौलत से पर वीन बाबू
सं?कार दौलत से नह&ं खर&द पाओगे। हमारे सं?कार म2 शा%मल है दसरे
ू क मदद करना । भले ह&
हमारे हाथ तंग रहे करते रहे गे ।
वीन-ताना मार रह& हो ।
कलव
ु ती-ताना मारने वाल& मF कौन होती हंू । जहां पर खड़ी हंू ?वा%भमान है अ%भमान नह&।
हककत बयान कर रह& हंू । मै भी बाल-बGचेदार हंू । मैने तो अपना समझकर @कया पर तमको

परायापन नजर आने लगा है तो वह तQ
ु हार& नजर का बदलाव है । मै तो हमेशा ह& दcखयो
ु का
मदद करने के %लये तैयार रहती हंू । वह& @कया है । ठZक है तमको
ु तकल&फ हो रह& है तो मकान
ले लो । बनाओ खाओ । आने जाने म2 दस 4पया 3यH खच करते हो । जो हम2 करना था कर दये
। तम
ु सदा खश
ु रहो हमार& दआये
ु सदा तQ
ु हारे साथ रहे गी भले ह& तमने
ु नेक के बदले हं सते जoम
3यH न दये ।
शोभा-चाचा चाय के साथ और 3या लाउं ।
वीण-कछ
ु नह&ं ।
शोभा- आज कछ
ु 3यH नह&ं ।
वीन-मF जा रहा हंू । बहत
ु दे र हो गयी । दो?त इंतजार कर रहे है ।
कलव
ु तीदे वी-चाय पी लो खाना भी बन गया है खा कर दो?तH से %मल लेना ।
वीन-दो?तो से %मलना ज4र& है । ना चाय ना खाना । इस घर का नमक बहत ु खा %लया । अब
नह&ं कहते हए
ु उठा गाड़ी ?टाट @कया । गाड़ी से उठा अ%भ◌ामन का धआं
ु दयाशंकर के घर पर ऐसे
फैल गया जैसे खाने के बाद वीन ने थाल& म2 थक
ू दया हो ।
नदलाल भारती
24-दरार
संय3
ु त पSरवार था ।घर बाहर खब
ू वैभव था। मां राजवतीदे वी और बाप गनेश के साथ तीनH
भाईयH गगन,मगन और करन का पSरवार एक साथ एक घर म2 एक रसोई का पका भोजन खा रहा
था । @कसी कार क कोई तंगी नह&ं थी ।कभी कोइ◌्र मसीबत
ु आ भी गयी तो सब %मलकर
मकाबला
ु कर लेते थे । सब कछ
ु संय3
ु त था । गगन और मगन शहर म2 आटा पीसने का धंधा
%मलकर करते थे । अGछZ कमाई हो जाती थी और हर माह म:नआडर भेजते रहते थे । संय3
ु त
पSरवार क गह?
ृ थी अGछZ तरह चल रह& थी । गांव के लोग गनेश के बेटH का उदाहरण दे ते नह&ं
थकते थे । बढे
ू गनेश क मान-जान भी खब
ू थी आसपास के गांव म2 । गनेश क खद
ु के गांव म2
भी काफ :तeठा था । गांव वालH ने उहे चौधर& क उपा"ध से नवाज दया था । गगन शहर म2
सेठजी के नाम से मशहर ू था । वह कस[
ु पर बैठा रहता बाक सब काम मगन सQभालता था। गनेश
का छे ◌ाटा बेटा करन पढाई के साथ बाप का हाथ भी खेतीबार& म2 बंटाता । बाप-बेटे क मेहनत से
खेत-ख%लहान भी भरा रहता था । पSरवार क चाभी राजवतीदे वी और गनेश के हाथ म2 थी ।
गनेश चौधर& का मझला बेटा मगन बड़ी मेहनत,लगन और ईमानदार& के साथ चि3कयH का कारोबार
दे ख रहा था । उसक मेहनत को दे खकर ल~मी जैसे ठहर गयी थी । गगन च3क सेठH म2 बड़ा
नाम हो गया था । मा%लकाना उनके हाथ म2 था । गगन ने अपने बेटो क पढाई और बेटयH के
iयाह गौने पर खब
ू खच @कये । बेटH के iयाह म2 भी दखावे म2 त:नक भी कोतहाई नह&ं बरती गयी
111
थी । गगन सेठ jयादा हो%शयार थे । च3क से हईु कमाई का आधा से अ"धक ह?सा खद
ु रख
लेते । बाक के 4पये म2 से गांव भेजते, एक दो जो कमचार& थे उनक तनoवाह दे ते ।
खराक
ु ,Oबजल& आद खच` का :नपटान करते । पाकेट खच के नाम पर सौ पGचास 4Nये कभी-कभार
मगन के हाथ पर भी रख दे ते ।मगन से काम @कराये के मजदरू जैसे ह& लेते । हाड़फोड़ मेहनत के
बाद गांव से शहर तक %शकायत भी करते रहते @क मगन मन लगाकर काम नह&ं कर रहा है च3क
का Pयापार घाटे म2 जाने लगा है । मगन बड़े भाई को बाप के समान आदर दे ता था । नतीजन
कभी सवाल -जवाब नह&ं @कया । गगन भईया जो कहते %सर लटकाये मान लेता था । गगन के
:त त:नक संदेह वह पाप समझता था परतु गगन के मन म2 चोर घर कर चका
ु था ।
गांव म2 गनेश चौधर& छोटे बेटे के साथ खेत म2 जटे
ु हए
ु थे । गगन क समझाईस पर करन पढाई
छोड़कर खेतीबार& के काम म2 रम गया । करन पढाई %लखाई का tान खेती म2 अजमाने लगा ।
नतीजन पैदावार म2 खब
ू बढोतर& होने लगी । खाद -पानी क Pयव?था शहर से आ रहे म:नआडर से
हो जाती । कोठा-अटार& अनाज से पटा रहने लगा ।गनेश चौघर& के मान-जान म2 भी इजाफा हआ
ु ।
वे अपनी बेटH क तर3क से काफ खश ु था ।राजवतीदे वी का भी घर क महलाओं के उपर खद

दबदबा था । पSरणाम?व4प पSरवार तर3क कर रहा था । बGचे पढ %लख रहे थे ।सय3
ु त पSरवार
का सख
ु भरपरू गनेश चौधर& क चौखट पर बरस रहा था ।
गगन क पनी तो शहर म2 रहती थी पर गनेश कछ
ु दन के %लये उसे गांव बला
ु लेता और मगन
क पनी को भेज दे ता । %मलजलकर
ु सब हं सी-खशी
ु से संय3
ु त पSरवार का सख
ु भोग रहे थे ।
गगन के बेटे बड़ी-बड़ी 3लास म2 पढ रहे थे पर मगन का इकलौता बेटा कवलदार खेतीबार& म2 लगा
दया गया ?कूल जाने क उq म2 । श4आत
ु म2 ?कू ल जाते समय रोने "च0लाने लगा । एकाध दन
तो ?कूल से भाग भी आया @फर 3या गगन का आदे श जार& हो गया @क करन के साथ कवलदार
खेतीबार& के गन
ु सीखेगा। गनेश के चाहते हए
ु भी कवलदार पढ नह&ं पाया । मगन ने बेटे के
भBवeय क भी स"धु नह&ं ल& । वह तो गगन के %लये ल~मण बना हआ
ु था पर भाई गगन उसके
हक को समेटने क सािजश म2 जटा ु हआ
ु था चपक
ु े -चपक
ु े ।
गनेश चौघर& अचानक बैठे-बेठे ?वग को %सधार गये । अब पSरवार का परा
ू कyोल राजवतीदे वी के
हाथ म2 तो आ गया पर रह -रह कर गगन और उसका दबाव आंसू दे जाता । खैर राजवतीदे वी
हQमत नह&ं हार& संय3
ु त पSरवार के सोधेपन को बचाये रह& । बेचार& कब तक बचाती एक दन वह
भी द:नया
ु से कच
ू कर गयी ।
गनेश चौधर& और राजवती के गजरते
ु ह& गगन के मन का डकैत पर&
ू तरह जाग उठा । वह शहर
से लेकर गांव तक क सQप:त पर कiजा जमाने क भरसक को%शश करने लगा । Lपैतक
ृ सQप:त
म2 बराबर का बंटवारा तो हआ
ु पर भाईयH के सामहक
ू कमाई के धन से खड़ी का?तकार& को अपनी
अकेल& क कमाई से खर&द& कहकर :छन %लया । गगन शहर क चि33य◌ो◌ं पर पर& ू तरह से
कiजा कर %लया । परेू कारोबार क लगाम गगन अपने हाथ म2 ह& नह&ं अपने नाम करवा %लया ।
कछ
ु ह& मह&ने◌ा◌ं म2 मगन को च3क से बेदखल कर दया । पSरवार म2 दरार पड़ना तो गनेश के
मरते ह& श4
ु हो गयी थी । राजवतीदे वी के मरते ह& संय3
ु त पSरवार का सHधापन चौख से 4ठ
गया । वह& लोग जो एक दसरे
ू के %लये जान दे ने के %लये तैयार थे अब एक दसरे
ू के Bवरोधी हो
गये थे ।
112
मगन धंधा से बेदखल होने के बाद रोट& को न?तवान हो गया । भाई के दLु मन बन जाने
के बाद सालH इधर उधर नौकर& करता रहा पर वह कामयाब नह&ं हआ
ु जैसे उसक तकद&र ह& 4ठ
गयी । आcखरकार वह थक हारकर गांव आ गया । गांव म2 परखH
ु क Bवरासत का हा बंटवारा हआ

। दस-दस बीसा जमीन ह?से आयी । बाक जमीन जो भाईयH के मेहनत के बलबते
ू खर&द& गयी थी
उसका तो गगन ने बंटवारा ह& नह&ं होने दया खद
ु के आ"धपय म2 ले %लया । मगन और करन का
पSरवार सड़क पर आ गया । गगन के पास दौलत और जमीन बेशुमार हो गयी । मगन और करन
का पSरवार दसरे
ू के खेतH म2 काम करने को बेबस हो गया । दस बीसा जमीन से तो साल भर के
%लये अन पैदा नह&ं हो सकता था । पास म2 4पया भी नह&ं था @क कोइ◌्र दसरा
ू रोजी-रोजगार कर2
। गगन के मन का डकैत भाईयH को खे:तहर मजदरू बना दया ।
कहावत है ना जबरा मारै रोवै ना दे । वह& @कया गगन भी भाईयो का हक :छन %लया ।खद
ु तो सेठ
बन बैठा और भाईयH को खे:तहर मजदरू बना दया । भाईयH को बराबर का ह?सा %मल जाता तो
मगन और करन के उपर मसीबत
ु क Oबजल& न "गरती । दख
ु तो इस बात का था @क यह Oबजल&
एक मां के पेट से पैदा हए
ु भाई गगन ने "गरायी थी ।
कछ
ु बरस पहले िजस संय3 ु त पSरवार क %मशाल द& जाती थी अब कोई नाम लेने वाला नह&ं था ।
एक च0
ू हे क जगह तीन च0
ू हे जलने लगे थे । दख
ु -तकल&फ सब अपने-अपने भगत
ु रहे है थे
जब@क यह& लोग एक क तOबयत खराब होती थी तो परा
ू पSरवार एक दे खरे ख करता था अपना दख

समझकर । गगन के लोभ ने सब कछ
ु तबाह कर दया । Oबखर गया संय3
ु त पSरवार का सHधापन
। मगन और करन का पSरवार महलनमा
ु घर से बेदखल होकर झोपड़ी म2 रहने को बेबस हो गया ।
मगन भाई के मोह म2 पड़कर लाचार हो गया ।एक बेटा और तीन पO$यां
ु सभी :नर^र रह गये ।
लड़के-लड़@कयH का iयाह-गौना मामा-मामी के सहयोग से हो गया । गगन अपने वैभव पर इतरा रहा
था । मगन और करन आंसू से रोट& गील& कर रहे थे । करन अपनी दयनीय दशा का िजQमेदार
गगन को खले
ु आम ठहराता । ठहराता भी 3यो ना उसी ने तो उसे शहर नह&ं जानने दया था ।
करन शहर जाकर कमाने क िजद @कया भी था पर गगन ने कहा था हम तो कमा ह& रहे है सभी
को शहर म2 जाकर कमाने क 3या ज4रत गांव क जमींदार& को भी तो दे खने वाला चाहये । मां-
बाप और भाई गगन क बातH म2 आकर बेचारा करन शहर क ओर 4ख नह&ं @कया । गगन के
बताये रा?ते पर चल पड़ा जहां उसे छल ह& %मला ।
आ"थक तंगी से लाचार होकर करन शहर जाकर |ट गारा करने लगा । उसक गह?
ृ ती क गाड़ी कछ

लाइन पर आने लगी ।|ट गारे का काम जब तक चलता । काम करता कमाई से जो कछ
ु बचता
बाल-बGचH का म:नआडर कर दे ता । बद हो जाता तो गांव आकर खेत मा%लकH के खेत म2 काम
करता कोई परमानेट नौकर& तो थी नह&ं शहर मे।
मगन के दन तंगी म2 गजरने
ु लगे । वह @फर शहर क ओर भागा । शहर म2 वह च3क चलाने क
नौकर& कर %लया । चार छः मह&ना नौकर& कर ह& पाया था @क खांसी से परे शान रहने लगा ।कभी -
कभी खन
ू क उि0टयां तक हो जाती था । डा3टर को दखाने के बाद पता चला @क वह ट& बी का
रोगी हो गया है । बचपन से गगन के आ"धपय का चि3कयां जो चलाया था । च3का क आटा
धीरे -धीरे उसके फेफड़े को छलनी कर गया था । ट& बी क बीमार& मगन को पटक द& । काम करना
मिL
ु कल हो गया । शहर से वह भागकर गांव आ गया । 4पये पैसे क तंगी के साथ अनाज क भी
113
कमी थी । बंटवारे म2 %सफ दस बीसा खेत के अलावा और कछ
ु नह&ं दया था गगन ने । वह&
खेत ह& मगन के पास बड़ी पंूजी थी । काफ सोच Bवचार कर मगन ने खेत बेचकर दवाई श4
ु तो
कर दया पर दवाई का कोई असर नह&ं हआ
ु । दस बीसा खेत जो अनपढ बेटे के जीने का जSरया
था वह भी हाथ से :नकल गया । मगन सगे बड़े भाई गगन के षणय$ का %शकार होकर ट& बी क
भेट चढ गया । मगन क पनी बेचार& कलावती के उपर मसीबत
ु का पहाड़ "गर पड़ा । उसके पास
कफन तक का इतजाम न था । गगन ने एकदम से आंखे मंद
ू ल& थी । गगन राजा और मगन के
आ"_त रं क हो चक
ु े थे। बहनोई के मौत क खबर भाई टे कचद को लगी । वह बेटे के साथ बहन
के दस कोस दरू घर क ओर दौड़ पड़ा । बहन के घर का नजारा दे खकर वह दं ग रह गया । मगन
क लाश घर म2 पड़ी हई
ु थी । कलावती बGचH के साथ छाती पीट-पीट कर Bवलाप कर रह& थी ।
टे कचद-बहन का ढाढस बंधाया उसके आंसू पHछा । दाह सं?कार म2 लगने वाल& व?तुओं का इंतजाम
@कया । सरज
ू डबते
ू -डबते
ू मगन क मतृ दे ह गोमती नद& के @कनारे पहंु ची । अ0पवय?क बेटा
कवलदार ने मखा"गन
ु दया मगन के मतृ दे ह का Bव"ध Bवधान के साथ अितम सं?कार सQपन
हो गया।
कलावती के भाई ने अितम सं?कार से लेकर तेरहवीं तक का परा
ू बदोब?त @कया । र&:त-Sरवाज
के साथ तेरहवी भी हई
ु । मगन क मौत के बाद कलावती बेसहारा हो गयी । जहां तक मदद होती
भाई भतीजे करते । रोजी-रोट& का जSरया दस बीसा खेत भी Oबक चका
ु था मगन के इलाज के %लये
। दस बीसा खेत ल&ल कर भी ट& बी क बीमार& मगन को भी ल&ल गयी ।
सतोष के साथ इकलौते बेटे का भBवeय संवारने के %लये कलावती लेकर दसरH
ू के खेतो म2 मजदर&

करने लगी । करन भी रोजी-रोट& के %लये संघषरत ् था। कलावती को घर के नाम पर बस एक मंड़ई
और एक कमरे का नहा से कGचा घर %मला था जो ढह चका
ु था । %सर छपाने
ु के %लये बस मंड़ई
ह& बची थी । लोग कहते नह&ं थक रहे थे @क भाईयH का हक मार कर कब तक आबाद रहोगे गगन
? मगन क Bवधवा के ढहे एक कमरे के छोटे से घर और करन के साबत
ू कGचे घर के बीच
गगन क महलनमा
ु हवेल& SरLते के बीच दरार और घरH के बीच द&वार खींच कर हक हड़पने क
चगल&
ु कर रह& थी ।
24-पेट भर रोट&
भयंकर घनघोर काल& रात और हवा क सांय-सांय %सहरन पैदा कर रह& थी । कोहरे से पर&
ू ब?ती
ढं क चक
ु थी । पआल
ु के Oब?तर और रजाईयH म2 %लपटे लोगH क हTsडयां बोल रह& थी । क
ु ते
ठड से :नजात पाने के %लये जोर -जोर से भौककर खद
ु को गरम करने क अथक को%शश कर रहे
थे । कडीराम क पनी इतवSरया सव पीड़ा से कराह रह& थी । महलाय2 इतवSरया क पीड़ा को
दे खकर भगवान से ाथना कर रह& थी @क हे भगवान बेचार& इतवSरया क पीड़ा को दरू करो । कछ

महलाय2 पआल
ु जलाकर कमरा गरम करने क बार-बार को%शश कर रह& थी । कडी नीम के चबतर2

पर बैठा तारे "गन रहा था । पहरा दे ने वाले लोग कडीराम को बेचन
ै दे खकर ठमक ठमक गये ।
जैकरन पछा
ू 3यH तारे "गन रहा है कडी ?
कडीराम-जैकरन भइया घरवाल& क तOबयत बहत ु खराब है ।
इतने म2 बGचे के रोने क आवाज कानH को सहलाने लगी ।
जैकरन-दख
ु दरू हो गया । अब तो खश
ु हो ।
114
कडीराम -हां भईया ।
श:नचर& अरे कडी कहां है बधाई हो तू बेटे का बाप बन गया । कडी दौड़कर श:नचार& काक का
पैर छआ
ु ।
पहरा दे ने वाला जथा बहत
ु बधाई हो कडी । जागते रहो-जागते रहे कहते हआ
ु आगे बढ गया ।
श:नचार& काक ब?ती क औरतH को सोहर गाने के %लये बलाने
ु दौड़ पड़ी ।
बGचे के जम से छ दन तक सोहर क ?वर लहSरयां पर&
ू ब?ती को खशी
ु क बयार से आनिदत
करती रह& । छठZ के दन तो बढया दावत का इतजाम भी हआ ु था । इसी दन इतवSरया काक
बGचे को कडीराम क गोद म2 रखते हए
ु बोल& ले दे ख ले बेटे का मंह
ु @कतना सु दर है । यह& बेटा
तेरे जीवन के सारे दख
ु -दद को हरे गा ।
कडीराम- हां काक अभी तो ये पSरवार पेट भर रोट& के %लये जझ
ू रहा है । पहले तो इस भतनाथ

क परवSरस अGछZ तरह हो जाये ।
श:नचर&- 3या कहा ?
इतवSरया-भतनाथ
ू ।
श:नचर&- भतनाथ
ू मतलब भोलेनाथ ।सचमच
ु यह बGचा संकटमोचन साOबत होगा । अरे सनH
ु कडी
ने अपने बेटवा का नामकरण कर दया ।
रणछोड़-3या ? कडी ने नामकरण भी कर दया ।
इतवSरया- हां ।
रणछोड़- 3या नाम रखा कडीराम बताओ तो सह&।
श:नचर&-भतनाथ
ू ।
रणछोड़-लो पंचो कडी के घर भगवान शंकर Bवराज गये है । शंकर भगवान क जय-जयकार तो
कर दो एक बार । रणछोड़ के आहवाहन पर जय-जयकार भी हो गयी ।
समय के साथ भतनाथ
ू बढने लगे ।भतनाथ
ू क उq के साथ ह& कडीराम के सपने भी बढने लगे
जमीदार के खेत म2 उq गंवाते गंवाते । भतनाथ
ू के सात साल के होते ह& कडीराम ?कूल म2
दाcखले के %लये ले गया पर दाcखला नह&ं हआ
ु भगा दया गया। अछत
ू का बेटा जो था । होश
सQभालते ह& भतनाथ
ू ने बंधवामजदर
ु ू न बनने क कसम खा %लया । दं बंग जमीदारH ने बहत

को%शश @कये पर अटल रहा अपनी कसम पर । कई बार मार भी खाया पर खेत मा%लको के खेत
म2 पैर नह&ं रखा । भतनाथ
ू शहर परदे स क तरफ 4ख न कर मां बाप से :छप-:छप कर नाच-गाने
का गरु सीखने लगा । भतनाथ
ू के हठ को दे खकर उसक मां और बाप परदे स जाने क सलाह दे ते
पर वह एक दन मां बाप के सामने नाच मडल& म2 शा%मल होने क मंशा जाहर कर दया ।
श3ल सरत
ू से अGछा था नाचते नाचते वह राजा के रोल म2 आ गया । राजा के रोल म2 जमीदरH
के सामने मेज के उपर कस[
ु रख कर बैठता तो वे भी ताल& पीटने से खद
ु को रोक नह&ं पाते ।
यह& तो भतनाथ
ू क कसम थी । भतनाथ
ू नाच मडल& क वजह से बहत
ु %सƒ हो गया । राजा
के रोल म2 ेमावती नामक कया उसे दे खकर मोहत हो गयी । अततः उसके साथ साथ फेरे
लेकर सात जम के %लये भतनाथ
ू क हो गयी । भतनाथ
ू के iयाह के साल भर के भीतर ह& मां
दखहरनी
ु और बाप कडीराम पेट भर रोट& के %लये संघषरत ् भगवान के घर जा बसे ।
115
मां बाप को द:नया
ु से फस
ु त पा जाने के बाद भतनाथ
ू अकेला हो गया । तंगी के दन खलने
ते◌ा लगे पर वह अपनी :तtा नह&ं तोड़ा । नाच मडल& से भी इतनी कमाई नह&ं हो पाती थी
@क वह पSरवार के खानखच का भार उठा सका । नाच मडल& का काम %सफ iयाह गौने म2 ह&
चलता बाक के नौ मह&ने बेठे म3खी मारना पड़ता । इसी बीच ेमावती ने दो बेटयां के बाद
तीसरे कहै या को जम दे दया । कहै या छ‘ साल का कब हो गया पता ह& नह&ं चला ।
भतनाथ
ू को बेटे को पढा %लखाकर बड़ा आदमी बनाने क लालसा थी । वह दरू गांव के ?कू ल म2
गया । हे डमा?टर साहब के सामने हाथ जोड़कर बोला मा?टर साहे ब मझे
ु अपने बेटवा का दाcखला
करवाना है ।
मा?टरसाहे ब-तQ
ु हारा बेटवा @कतने सा का हा गया है ।
भतनाथ
ू -छः साल का ।
मा?टर-कल लेकर आना दाcखला हो जायेगा ।
भतनाथ
ू - मेरा बेटा सचमच
ु पढ पायेगा इस ?कू ल म2 ना ।
मा?टरजी- ज4र । जमाना बदल गया है । सबको बराबर& का अ"धकार है । छोटे बड़े सभी के
बGचे एक साथ पढ-%लख सकते है ।
भतनाथ
ू -काश मF भी पढ पाया होता ।
मा?टरजी-खद
ु से 3या बात कर रहे हो ।
भतनाथ
ू -बचपन याद आ गया । कहते हएु गमछा से दोने◌ा◌ंआंखे ढं क %लया।
मा?टरजी-भतनाथ
ू मF समझ गया तQ
ु हारे दद को । अब कोई तQु हारे बGचH को ?कूल से नह&ं भगा
पायेगा । तQ
ु हारा भी बेटा कले3टर 3या और उचे ओहदे पर जा सकता है पढ %लखकर । हं सी-
खशी
ु घर जाओ । कल बेटवा को साथ लेकर आना ।
कहै या का दाcखला हो गया । कहै या का मन पढाई म2 खब
ू लगने लगा । एक -एक कर पांचवी
जमात पास कर गया और अपनी उq से jयादा िजQमेदार भी हो गया । मां -बाप का रोट& के
%लये संघष उसे अदर से आदो%लत कर दया । एक दन वह चपक
ु े से शहर भाग गया । जहां
मह&नH इधर उधर दर-दर क ठोकरे खाने के बाद एक होटल म2 बतन धोने का काम पा गया ।
काम के साथ वह पाट -टाइम म2 Oबजल& का काम सीखने लगा । मां-बाप के संघष को कम करने
के %लये हर मह&ने म:नआडर भी करने लगा । कछ
ु ह& मह&ने म2 कहै या अGछा %म?ती बन गया
। होटल क नौकर& को अलBवदा कह दया । शहर म2 कहै या %म?$ी के नाम से जाना जाने लगा

इधर गांव म2 भतनाथ
ू और ेमावती को कहै या के गौने क "चता सताने लगी । iयाह तो आंख
खलते
ु ह& कर दये थे । इस iयाह क याद2 भी कहै या के "चत म2 त:नक भी नह&ं था 3यH@क जब
iयाह हआ
ु था तो वह ठZक से चल भी तो नह&ं पा रहा था । कहै या के गौने का दन रखकर
भतनाथ
ू ने अपनी बीमार& का तार कहै या को कर दया । तार पाक कहै या घबरा गया । वह
संगी -सा"थयH से हथ-उधरा लेकर तर
ु त गाड़ी पकड़ %लया ।
कहै या दो दन क रे ल @फर बस और @फर आठ कोस क पैदल थकाउं या$ा कर घर पहंु चा । मां
दरवाजे पर ऐसे खड़ी थी जैसे वह आतर उतारने के %लये खड़ी हो । कहै या मां का पैर छआ
ु ।
116
ेमावती ने उसे गले लगा %लया ।कहै या रोते हएु बोला मां Bपताजी कहां है । 3या हो गया
है उहे ।
ेमावती-कछु नह&ं हआ ु है ।
कहै या- मां वो तार ?
ेमावती- झठा
ू था । तमको
ु बलाने
ु का बहाना था ।
कहै या- 3यH मां ।
ेमावती-तेरे गौने का दन पड़ गया है जो ।
कहै या- मां गौना रोक दो चार साल के %लये ।
ेमावती-नह&ं 4क सकता बेटा । तेरे ससरु के कहने पर दन पड़ा है । तेरे Bपताजी भी साल दो
साल 4कने का बात कर रहे थे । मैने अपने कान से सने
ु थे पर तेरे ससरु नह&ं माने । वे बोले
समधीजी मेर& बेट& जब तक धान थी अपने घर रखा अब चावल हो गयी है । अब मF इस अमानत
को नह&ं सहे ज पाउ◌ू◌ंगा । एक बेट& के बाप के ऐसी Bवनती को तेरे बाप कैसे टाल सकते थे ।
गौना तो आकर रहे गा । हां तू जब तब अपने पैर को मजबती
ू से टका नह&ं पायेगा तब तक बहू
का बोझ हम उठायेगे । इतने म2 भतनाथ
ू आ गया । भतनाथ
ू का पैर छते
ू हए
ु बोला बीमार& हालत
म2 इतना 3यो भाग दौड़ कर रहे हो Bपताजी ?
भतनाथ
ू -बेटा कार-परोजन का घर है भागदौड़ तो करनी पडेगी ।
कहै या - कैसा कार-परोजन ।
भतनाथ
ू -कहै या क मां दे खो कैसा अनजान बन रहा है । जैसे इसको पता ह& नह&ं हो गौने का
दन %सर पर है ।
कहै या- गौना अभी चार साल तक नह&ं आयेगा ।
भतनाथ
ू -कहै या का हाथ पकड़कर खटया पर बैठाया @फर अपनी पगड़ी उसके पांव पर रखकर
बोला बेटा ऐसे ह& तेरे ससरु ने अपनी पगड़ी मेरे पैर पर रख दया था यह कहते हए
ु @क बीटया
राधा अब चावल हो गयी है ।बेटा अrठारह साल का हो गया है । गौना लाने क उq भी है । रख
ले पगड़ी क मान ।
बाप के अननय
ु -Bवनय के आगे कहै या झक
ु गया । गौना बड़े धम
ू -धाम से आया । मह&ना भर के
बाद कहै या साजवती को मां-बाप क अGछZ दे खभाल करने क हदायत दे कर शहर चला गया ।
चार -छ मह&ने म2 कहै या शहर से आता हपता-पkह दन रहता @फर चला जाता । साजवती को
सास-ससरु त:नक ना भाते । वह कहै या के साथ शहर जाने क िजद करती । वह कहता िजस
मां बाप को◌े हमारे लालन-पालन क @फu म2 पेट भर रोट& नसीब नह&ं हई
ु उहे कैसे अकेला छोड़
द2 । अगल& बार साथ ले जाने का वादा करके चला जाता । दो बार तो सफल हो गया । भतनाथू
और ेमावती को बहू के शहर जाने क इGछा का पता चल गया तो वे खदु ले जाने क िजद पर
उतर आये । अततः कहै या साजवती को शहर ले जाने का राजी हो गया । चार-छ मह&ना शहर
म2 रखता @फर गांव छोड जाता । शहर क आहो-हवा ने साजवती को सास-ससरु का बागी बना
दया । वह उहे फूट& आंख नह&ं दे खना चाहती थी । बहू क %शकायत दोनH बढा ू कहै या तक
ू -बढ&
पहंु चने नह&ं दये । परा
ू मान-सQमान दे ते ।समय क मार को भतनाथ
ू और ेमावती नह&ं सह पाये
थक हारकर "गर पड़े । बढे
ू मां बाप क दशा को दे खकर कहै या ने साजवती को गांव छोड़ने का
117
फैसला कर %लया 3यH@क शहर म2 एक खटया डालने भर का @कराये का घर था । इतनी
इनकम तो थी नह&ं क वह बड़ा घर ले सके । था तो पांचवी तक पढा %लखा %म?$ी । हां शहर म2
मान सQमान के साथ रह रहा था । यह& उसक बहत
ु बड़ी कमाई थी िजसके %लये गांव के अछत

सपनH क बात समझते थे ।
कहै या का फैसला साजवती के मन म2 Bवkोह क आग भड़का दया । जब तक कहै या गांव म2
रहता साजवती सास-ससरु क दे ख-रे ख का ?वांग रचती । कल से घबराकर भतनाथ
ू और ेमावती
बेटे के सामने बहू क %शकायत न करते । खैर साजवती ?वांग का मखौटा
ु उतर फ2क और रौk
4प म2 आ गयी । बढे ू सास ससरु के बीच द&वार खींच द& । अब 3या एक तवा दो रोट& क नौबत
आ गयी । साजवती पहले खद
ु बनाती इसके बाद बढ&
ू सास को रोट& बनाने दे ती । भतनाथ
ू और
ेमावती क छाया से परहे ज करने लगी । अपने बेट& और बेटो तक को बढे
ू सास-ससरु के पास
फटकने नह&ं दे ती थी । कभी कभी तो ेमावती क Bपटाई भी कर दे ती ।आcखरकार साजवती
क करततH
ू का पता कहै या को तो चल गया पर वह कछ
ु कर नह&ं सका 3यH@क वह बेट& बेटे को
छोड़कर मायके जाकर रहने क िजद पर अड़ जो गयी थी । आcखरकार बGचH के उजड़ते भBवeय
को दे खकर कहै या भी हार मान गया । जहां तक उससे होता मां बाप क सेवा कर लेता ।
साजवती क चोर& मदद कर दे ता । समय क मार पतोहू के अयाचार के आगे भतनाथ
ू jयादा
दन नह&ं टक पाया । मरे हए
ु सपने और पेट म2 भख
ू लेकर सदा के %लये सो गया भतनाथ।

िजसक तेरहवी तक साजवती ने नह&ं करने द& अनावLयक खच बताकर।
भतनाथ
ू के मरते ह& ेमावती दाने-दाने को मोहताज हो गयी । उसक आंखH म2 हमेशा बाढ उमड़ी
रहती थी । कछ
ु ह& मह&नH म2 दोनH आंखH से अंधी हो गयी । एक दन |टपथर के ढे र पर "गर
पड़ी िजससे उसके पैर म2 गहर& चोट लग गयी । चोट अदर ह& अदर बढता गया उभरा तो नासरू
के 4प म2 । सड़ते पैर म2 कड़े पड़ने लगे पर साजवती का पथर दल नह&ं Bपघला दवाई तक
नह&ं करवाई। दोनH बेटया साजवती क चोर& दो रोट& ेमावती क पेट म2 उतार दे ती । बेटयH ने
बढया
ू को रोट& cखलाया है इसक खबर साजवती को लग जाती तो उनक भी खबर लेने से नह&ं
हचकती थी ।कहै या छ मह&ने या साल म2 हपता पkह दन के %लये आता जो हो सकता करता
उसके जाते ह& वह& ददु शा ।
साजवती के एक जगह पड़े रहने के कारण उसका बढा
ू जीBवत शर&र तेजी से सड़ने लगा । ऐसी
दशा म2 साजवती ने घर के पास टट&
ू मंड़ई म2 उसे टट&
ू खाट पर लाकर पटक द& और क
ु ते
Oब0ल& क तरह एकाध रोट& कभी-कभी दे दे ती ।
ेमावती मड़ई म2 पडी-पडी कराहती रहती । ब?ती के लोग हालचाल पछ
ू लेते ।सातवना के दो
बोल बोल लेते । यह भी साजवती को बदाLत नह&ं होता था । परेू गांव म2 साजवती एक
झगड़ालू औरत के नाम से कo
ु यात थी । अ"धकतर लोग उससे बचकर ह& रहते थे । त:नक -
त:नक बातH म2 भी वह कई प?
ु त का चढं कर गा%लयां दे ने लगती थी । बड़ो के :त उसमे त:नक
भी आदर भाव न था । यद होता तो वह अपने सास-ससरु क ददु शा करती ।
मह&ने भर के अन-जल को यागने के बाद एक दन सया
ू ?त के समय ेमावती के भी जीवन का
अत हो गया । ेमावती के मरने क खबर ज0द& ह& पर&
ू ब?ती म2 फैल गयी । ेमावती तो
जीते जी सड़ चक
ु थी । ब?ती वालH ने आपस म2 रायमशBवरा कर शी† @uयाकम करने का
118
इतजाम कर %लया । कहै या को शहर से आने म2 परेू दो दन जो लगने थे । गांव के
बजगh
ु ु ने दाह-सं?कार करना उ"चत समझा। ेमावती क लाश दरवाजे से उठते ह& साजवती
"च0ला-"च0ला कर रोने लगी । गांव क औरत एक दसरे
ू से कहती रह& दे खो @कतनी नेक लग रह&
है मरने के बाद जीते जी तो सकन
ू क रोट& नह&ं द& । मां-बाप के चरणH म2 ?वग है भल
ू गयी
अब दे खो ढोग कर रह& है रोने का । यह भल
ू गयी @क सास-ससरु भी मा-बाप ह& होते है और मां
बाप के चरणH म2 ह& ?वग होता है । कर ले िजतना चाहे दखावे । मर चक
ु े बाबा भतनाथ
ू औ◌ा
ेमावती अQमा लौटकर दे खने तो नह&ं आ रह& । बेचारे दोनो बढा ू जीते जीत तो पेट भर रोट&
ू -बढ&
के %लये तरसकर गये । मरने के बाद बावनी cखलाओं उनके पेट म2 जाने से तो रहा ।वे तो
िजदगी हं सते जoम क धप
ू म2 Oबता दये ।
अितम सं?कार हो जाने के बाद कहै या शहर से आया । Bव"ध Bवधान से बाक @uया-कम परा

करवाया । हां इस @uया -कम म2 साजवती सतक आगे-आगे चल रह& थी ता@क उसक आने वाल&
बहू उसके साथ ऐसा सलक
ू न कर2 । खैर सब कछु साजवती के मताBवक
ु हआ
ु । @uया -कम
सQपन हो गया । भतनाथ
ू और ेमावती क तेरहवी का कायuम एक साथ सQपन करने क
राय गांव के बजगh
ु ु ने द& ता@क साजवती के साथ भतनाथ
ू क आमी को भी मि3
ु त %मल सके
। वह& हआ
ु दोनो प:त-पनी क तेहवी एक साथ हई ु । मृ यु भोज म2 अGछे -अGछे पकवान परोसे
गये जब@क पेट भर रोट& के %लये तरस-तरस कर भतनाथ
ू और ेमावती द:नया
ु छोड़ चक
ु े थे ।
25-पराई मां
अरे बाप रे ब?ती वालो दे खो रjजू तो प%लस
ु लेकर आ रहा है । च
ु नू क मां कहां हो ज0द&
आओ दे खो तQ
ु हारा रjजू तम
ु पराई मां क ममता का कल कर दया। हमारे पालन-पोषण का
3या %सला दे रहा है ।हमार& जीवन भर क कमाई को हड़पने के %लये प%लस
ु लेकर आ रहा है ।
अरे तम
ु भी सगी मां क तरह फ2क दे ती तो आज ये दन तो नह&ं दे खने पड़ते ।
बसती-3या हआ
ु 3यH "च0ला रहे हो ।3यH बड़बड़ा रहे हो । जब पचती नह&ं तो 3यH पी लेते हो ।
ना खद
ु चैन से रहते हो ना तो हमे रहने दे ते हो । रjजू को छाती से बदSरयां क तरह "चपकाये
रह& वह& बड़ा होकर दLु मन बन बैठा है । चैन :छन रखा है ,एक तम
ु हो पी लेते हो तो "च0ल-पो
करने लगते हो । बताओ कहां आसमान "गर रहा है । @कस Oबल म2 :छपना है ।
दौलत-दे खो रjजू हमार& जीवन भर क कमाई बीसा भर घर क जमीन हड़पने क पर&
ू तरकब
बना %लया है । अब तो प%लस
ु भी आ रह& है । इस घर म2 जो कभी नह&ं हआ ु अब हो रहा है ।
काश तमु भी रjजू को छाती से ना लगाती तो◌े◌े◌े◌े◌े◌े◌े आज प%लस
ु न आती क आवाज दौलत
के मंह
ु से :नकल& भी नह&ं थी @क धड़धड़ाती हईु प%लस
ु क जीप खड़ी हो गयी । रjजू जीप से
बाहर :नकला हाथ म2 पकड़ा कागज लहराते हए ु बोला कहा गये काका बाहर आ जाओ । ये दे खो
प%लस
ु के साथ कचहर& का कागज भी लाया हंू दे खता हंू तQ
ु हार& कोठZ कैसे बनती है । काका
कोठZ का काम तर
ु त नह&ं बद करवाये तो जेल जाना पड़ेगा दे खो प%लस
ु क जीप भी खड़ी है ।
दे र नह&ं लगेगी हवालात जाने म2 ।
दौलत-वाह रे रjजू संगी मां पैदाकर फ2क गयी । तQ
ु हार& काक ने अपनी सतान समझकर तमको

पाला-पोषा । अपनी छाती से लगाये रखा । द:नया
ु भर क मिL
ु कलH से तमको
ु बचाया । तमको

पढाया %लखाया iयाह गौना @कया। आज दो पैसा कमाने लगा है तो हमार& ह& आंख म2 %मच[
119
झHककर हमार& ह& सQप:त ह"थयाने क सोचने लगा है । द:नया
ु से तो डर अपनी मां के
बददआओ
ु से नह&ं तो कम से कम पराई मां क बददआओ
ु से डर ।
रjजू-हम 3यH डरे । मF अपने फायदे के %लये कछु भी कर सकता हंू ।
बसती-अपने बGचH का हक मारकर तQ ु हारे साथ गनाह
ु कर दया 3या ?
रjजू-जैसी मेर& मां फ2क द& वैसे तम
ु भी फ2क दे ती । जो समझना है समझो । मF जो कर रहा हंू
अपने बGचH के भले के %लये कर रहा हंू ।
बसती- भले के %लये नह&ं बददआ
ु बटोर रहा है रjजू ।
दौलत-3या हमने तेरे %लये कम @कया है । @क अब प%लस
ु लेकर आया है जबSरया कiजे के %लये
। अपनी मेहनत मजदर&
ू से कमाई जमीन म2 तमको
ु ह?सा दया । तेरा घर बनवाया । अपने
सगे बेटे क तरह तमको
ु Nयार दया ।तमने
ु मझे
ु 3या दया । इतने बरसH से शहर -परदे स कर
रहा है कभी हजार पांच सौ दया 3या ?
बसती-दया है तो आंसू और अब :छन रहा है मेरे बGचो का आ_य।
दौलत- @कस गनाह
ु @क सजा दे रहा है रjजू :नरपराध पराये मां-बाप का गला रे त कर ।
रjजू-तम
ु गला रे तना कहते हो काका मF अपना हक मानता हंू । परा
ू हक नह&ं दे ना था तो पाले ह&
3यो पढाये %लखाये गौना iयाह तक 3यH @कये मेहनत मजदर&
ू कर ।
दौलत-SरLते के सांधेपन के %लये । अपने पSरवार के सद?य के भले के %लये । बेटा ठZक है तम

मेरा सगा बेटा नह&ं हो पर हो तो खानदान के । तमको
ु िजतना दया हंू उसके भी तम
ु हकदार
नह&ं हो । पंचो◌े◌ं से ,ब?ती वालH से पछ
ू लो ।
रjज-ू हम2 @कसी से नह&ं पछना
ू मF तो ?टे आडर लेकर प%लस
ु के साथ आया हंू तQ
ु हार& जहां कोठZ
बन रह& है । अब वहां मेर& महल बनेगी ।
दौलत-मेरे जीते जी तो नह&ं ऐसा हो पायेगा ।
रjज-ू होगा काका तम
ु दे खते रहना ।
बसती-बेटा तQ
ु हारे %लये मF हं सते जoम का जहर पीती रह& तम
ु धaस दे रहे हो ?
रjजू-नह&ं पराई मां सचमव
ु कह रहा हंू । ये कागज और सामने खड़ी प%लस
ु सब सह& तो है ।
काक धaस नह&ं सGचाई है । मान लो और खाल& कर दो ये जमीन ।
दौलत-ऐसी सजा 3यो दे रहे हो रjजू तQ
ु हारे ?वाथ से फटे
ू jवालामखी
ु को दे खकर कौन काका
अपने भतीजे पर रहम करे गा । तू ह& बता दादा-परदादा क गज भर जमीन है जो थी भी गांव के
दबंगH का कiजा हो गया । िजदगी भर क कमाई से दो बीसा जमीन बनाया था िजसम2 से
तम
ु को भी बांटकर दे दया अब पर&
ू जमीन हड़पना चाहते हो हमारे भी दो बेटे है वे कहां बसेगे ?
रjjू◌ा-काका ये तQ
ु हार& परे शानी है तम
ु जानो हम2 तो बस हमारे घर के सामने क जमीन चाहये

दौलत-बे◌ेटा नेक को 3यो ल:तया रहे हो ।
रjजू-काका हमारे घर के सामने तQ
ु हारा घर नह&ं बनेगा बस । हमारे घर के सामने पर&
ू जमीन
छोड़ना पड़ेगा । नह&ं छोड़े तो इंजाम अGछा नह&ं होगा ।
दौलत-मेरा और मेरे बेटो का खा◌ा◌ून कर दोगे ?
रjजू-इस जमीन के %लये कछ
ु भी कर सकता हंू ।
120
बसती-वाह रे कलयग
ु का लोभी । इस लोभी को छाती से लगायी अपने सगे बेटH के हक का
भी बंटवारा कर दया । इसके बाद भी तस0ल& नह&ं परा
ू हड़पने क तैयार& । जब तक गौना नह&ं
आया था बीमार रहने का नाटक करता रहा । गौना आते ह& घरवाल& को शहर ले जाकर बस गया
। वहां कोठZ बंगला बना %लया यहां भी मFने घर बनाने क जमीन द& ।हम भ%मह&न
ू बाक कछ
ु तो
पास है नह&ं । बGचH के आ_य को भी बांट द& । इसके बाद भी प%लस
ु जेल और कल तक क
धमक ।
रjजू-मै। पहले भी कह चका
ु हंू अपने फायदे के %लये कछ
ु भी करने को तैयार हंू ।
बसती-पराई मां ह& सह& पर हंू तो मां 3यH खंजर भHक रहा है ।
रjजू-दे खो तQ
ु हारा भाषण सनने
ु -सनाने
ु को प%लस
ु और कचहर& का ?टे आडर लेकर आया हंू ।
बसती-हां बेटा अब तू पराई मां के याग को Oबसार कर आंसू दे ने लायक हो गया है जो लोग
तQ
ु हार& मां क तरह फ2क दे ने क सलाह दे ते थे वह& लोग खास हो गये है 3यH दौलत के भरोसे
ना ।
रjजू-दे खो बहत
ु बकबक हो गयी। प%लस
ु आ गयी है । लेखपाल और नायब तहसीलदार भी पहंु चने
वाले है । काननी
ू काम म2 अड़चन मत डालो । नह&ं तो पराये बाप के साथ पराई मां को भी जेल
जाना पड़ सकता है ।
बसती-दे ख लो दरोगा जी इस नाग को दे खकर कोई कैसे @कसी पर रहम करे गा ?
दरोगा-सांप दध
ू पीकर भी जहर&ला रहता है । उसका ?वभाव काटने को होता है काटे गा पर बचाव
के उपाय भी है उसके दांत तोड़ दो । तमने
ु दांत न तोड़ कर गलती कर दया । अरे तम
ु तो खद

ह& भ%मह&न
ू हो दो बीसी जमीन म2 से रjजू को भी बांटकर दे दये । पाल-पोष कर पढाये %लखाये
पैर पर खड़ा कर दया 3या ज4रत थी । यह तो जमीन खर&द कर महल बनवा सकता है । कछ

दन के %लये घर बनाने का काम रोक दो । । दौलत जमीन तमको
ु ज4र %मलेगी । हमे तो
कचहर& के आदे श का पालन करना है ।
दौलत-एक अनाथ को पालकर गनाह
ु कर दया दरोगा ?
दरोगा-नह&ं दौलत तमने
ु तो बहत
ु प
ु य का काम @कया ।
दौलत-ये सजा @कस पाप क ?
दरोगा-तQ
ु हारे साथ अयाय नह&ं होगा दौलत । भगवान पर यकन रखो । िजस BवLवास के साथ
सांप को दध
ू Bपलाकर इतना बड़ा @कया उसी BवLवास के साथ सGचाई पर टके रहो । तQ
ु हार&
जमीन रjजू नह&ं हड़प पायेगा ।अरे पर&
ू ब?ती के लोग तQ
ु हारे साथ है । सभी सGचाई को जानते
है । @कराये के गवाहH से ना डरो ।
दरोगाजी और दौलत क बातचीत चल ह& रह& थी इसी बीच नायब तहसीलदार क जीप भी आ
धमक ।
रjजू-दौड़ कर आया और बोला लो काका तहसीलदार साहब लेखपाल को भी लेकर आये करवा लो
पैमाईस।
रjजू क हां म2 हा %मलाते हए◌ु दखदास
ु बोला -हो जायेगा दध
ू का दध
ू पानी का पानी । अरे रjजू
के पास भी तो कागज है ।
121
दौलत-3या फज[ कागज भी तैयार करवा दये दखदास
ु दा4 मगा
ु और नगद ले दे कर ।
Sरटायरमेट के बाद ठगी का धंधा श4
ु कर दया दखदास
ु ।
दखदा
ु स-3या गलत है दलाल& का काम ?
दौलत-गर&बH के आंसू से oे◌ालोगे तो बड़ी कमत चकानी
ु पड़ेगी । भगवान के घर म2 दे र है अंधेर
नह&ं ।
दरोगाजी-दखदास
ु सना
ु है आप दे श सेवा जन सेवा पर ब%लदान दे ने वाले Bवभाग से Sरटाय हए
ु है ।
ये जो कर रहे है आप दा4 मगा
ु खा पीकर इससे तो अयाय हो रहा है । दे श और जनसेवा के
साथ धोखा कर रहे है ।
दखदास
ु -अरे cखलाने वाला हाथ जोड़कर cखला रहा है जेब म2 डाल रहा है तो 3या हम मना कर दे
? घर आयी ल~मी को हम 3यो ठकराये
ु ?
दौलत-दे ख लो दरोगाजी रjजू 3या 3या नह&ं कर रहा है हमार& जीवन भर क कमाई हड़पने के
%लये । बदमाशH तक क मदद ले रहा है । भल
ू गया मेर& नेक ।दखदास
ु तम
ु चाहते तो रjजू को
सGचाई का रा?ता दखा सकते थे । ऐसा नह&ं करके तमने
ु धोखा से मझ
ु गर&ब के आ%शयाने तक
को हड़पने क सािजश रच दये । 3यर2 मेरे जीवन म2 आग लगा रहे हो । रjजू तो बेईमान हो
गया है जमाना जान गया पर तम
ु कम नह&ं हो तम
ु दोनो के मंुह पर जमान थक
ू े गा दखदास
ु ।
रjज-ू काका भाषण बद करो । ये साहब लोग तQ
ु हार& भाषण सनने
ु नह&ं आये है ।
दरोगाजी-हां नायब तहसीलदार साहब आप 3या कह रहे है ।
नायबतहसीलदार साहब-रjजू ने धोखे से कागज तो बनवा %लया है । मौका मआयना
ु के आधार
पर खाSरज हो जायेगा । दौलत ने रjजू के साथ वह @कया है जो एक सगे बेटे के साथ एक मां-
बाप करते है ।
दौलत-साहब हम तो रjजू क :नगाहो म2 पराये मां बाप भी नह&ं रहे ।
नायबतहसीलदार-हौशला रखो दौलत अयाय नह&ं होगा तQ
ु हारे साथ गर&ब के आंखो म2 सGचाई
पढने क काOब%लयत है मझम2
ु और दरोगाजी म2 भी ।
दरोगा-हां नायब तहसीलदार साहब । याय अयाय दे खते दे खते तो बाल झड़ चक
ु े है । सGचाई को
जानने का तजरबा
ु तो है ।
नायबतहसीलदार-दौलत एक सवाह है सह& सह& जबाब दे ना ।
दौलत-प:छये
ू साहब ।
नायबतहसीलदार-तम
ु रjjू को घर बनाने क जमीन द& है ।
दौलत-हां साहब ।
दरोगाजी-मान रहे हो ना ।
दौलत-हां दरोगा जी । मF भगवान से डरता हंू यह तो नह&ं बोल सकता @क रjजू ने जबSरया घर
बनाया है पर अब जबSरया मेर& खाल& जमीन हड़पने क सािजश कर रहा है ।
नायबतहसीलदार-मामला यह नह&ं है ।
दरोगाजी -मामला 3या है ।
नायबतहसीलदार-रjजू दौलत क जमीन को अपनी कह रहा है । धोखाधड़ी से कागज तैयार करवा
%लया है । उसी के बलबते
ू ?टे आडर ले आया है ।
122
दौलत-दे ख लो साहब घर के Bपछवाड़े वाल& जमीन पर सतवा4 हर साल बढता चला आ
रहा है । मना करने पर कहता है @क तQु हारा घर मेरे खेत म2 बना है । सामने वाल& जमीन रjजू

हड़प रहा है । मेरे तो अगवारे और Bपछवाडे पर दसरH
ू का कiजा हो रहा है मF कहां जाउ◌ू ?
नायबतहसीलदार- कह& नह&ं जाओगे अपनी जमीन पर काOबज रहोगे ।
थानेदार-3यH रjजू तमको
ु फरे ब और धोखे के केस म2 अदर कर दे । सभी लोग तQ
ु हे झठा
ू कह
रहे है । पंचनामा बनने क दे र है @फर सड़ते रह जाओगे । सब बेईमान करना भल
ू जाओगे । अरे
तQ
ु हारे पास 4पये क इतनी गरमी है तो दस-बीस बीघा जमीन खर&द कर मा%लक बनता गर&ब के
आंसंू म2 तैरकर मा%लक बनेगा तो कम तक ऐश कर पायेगा । दौलत को तमने
ु इतने आंसू दे दये
हो @क उसम2 तम
ु डबकर
ू मर सकते हो ।
रjजू-साहब जो कछ
ु मैने @कया है अपने बालबGचH के हत म2 @कया है ।
दरोगाजी-अपने बालबGचH के हत के %लये दसरH
ू का खन
ू कर दोगे 3या ?
रjजू-ये खन
ू है 3या ?
दरोगाजी-खन
ू से कम है 3या ?
रjजू-मैने जो @कया है सह& @कया है आcखरकार मेरा भी बराबर& का हक है ।
नायबतहसील-रjजू तम
ु दौलत के सगे बेटे हो 3या ?
रjज-ू नह&ं । ये दौलत काका पराये बाप और बसती काक पराई मां मेरे तो है । आपके सामने
मेरा मां बाप बनने का दावा कर रहे थे ।
दरोगाजी-रjजू तेर& जबान बहतु लपर-लपर चल रह& है । जम दे ने वाले से पालने वाला बड़ा होता
है । जम दे कर घरेु म2 फ2क दे ना मां बाप का दा:यव नह&ं होता । पैर पर चलने लायक बनाना
भी दा:यव होता है । बसती और दौलत ने तमको
ु भले ह& पेदा नह&ं @कया है पर मां बाप का
दा:यव :नभाया है ।
दौलत-छोड़ो दरोगाजी अगर ये नेक माना होता तो आज ये नौबत नह&ं आती ।
दरोगाजी-3यो बेईमानी कर रहा है । दसरे
ू क जीवन भर क कमाई को अपना बनाने पर तला

हआ
ु है ।तQ
ु हारे पास 4पया है तम
ु और भी जमीन %लखवा सकता है । तQ
ु हार& बेईमानी को
दे खकर लोग रहम करना भी बद कर दे गे ।
बसती-दरोगाजी और तहसीलदार साहब आप दोनो से Bवनती कर रह& हंू अगर रjजू हम2 दख ु
दे कर खश
ु रहना चाहता है तो दे दो उसी खशी
ु । जहां तक चाहता है नाप कर खटा
ू गड़वा दे ◌ा
ता@क जीवन भर का कलेष तो %मट जाये । हम गर&ब अपने बGचH क Bवरासत म2 गज भर
जमीन के साथ नेक का सं?कार दे गे ।
दरोगाजी-अब तो शरम कर रjजू ।
दौलत-दरोगाजी उसको शरम नह&ं आती । जो बढया
ु कह रह& है मझे
ु भी मंजरू है । मेरे बGचH क
तकद&र म2 जमीन जायदाद का सख
ु होगा तो कोई नह&ं :छन सकेगा । कर दो रjjू◌ा के मन
मा@फक दरोगाजी और तहसीलदार साहब । कम से कम हमारा पSरवार चैन से तो सांस भर सकेगा
। रjजू के ग
ु डH से छटकारा
ु तो %मल जायेगा ।
नायबतहसीलदार- बसती और दौलत तम
ु लोग 3या कह रहे हो मालम
ू है ना ।
दौलत-हां बाबू । हम दोनो परेू होशो हवाश म2 है ।
123
नायबतहसीलदार-लेखपाल इधर आओ ।
लेखपाल-जी सर ।
नायबतहसीलदार- रjजू के कागज के अनसार
ु जमीन नाप दो ।
लेखपाल-जैसा हकम
ु ु साहब ।
लेखपाल लrठा लेकर नापने म2 जट
ु गये । पGचास फट लQबी और चौतीस फट चौड़ी जमीन
दौलत के खन
ू पसीने क कमाई क जमीन का रjजू मा%लक बन बैठा । दौलत के ह?से तीन
टटा
ू -फटा
ू घर आया िजसम2 बरसात और धप
ू के आने जाने क भरपरू गजाईश
ु थी ।
नायबतहसीलदार-दौलत तQ
ु हारा घर भी ले रहा है रjजू ।
दौलत-लेकर खश
ु रहे तब ना ।
दखदास
ु -3यH नह&ं खश
ु रहे गा ।
दौलत-तQ
ु हारे जैसे @कराये के लोग खशी
ु नह&ं दे सकते । हां मनचाह& कमत ज4र ले सकते है ।
दरोगाजी-दौलत दसरH
ू को आसंू दे ने वाले खश
ु तो नह&ं रह सकते । तम
ु कहो तो सलहनामा
ु का
पंचनामा बनवा ले ।
दौलत-ज4र बनवाईये साहब ।
दरोगाजी- मंश
ु ीजी ज0द& करो ।
मंश
ु ीजी- पांच %मनट म2 तैयार कर दे ता हंू ।
दरोगाजी-ठZक है ।
दरोगाजी-दौलत और बसती तम
ु दोनो तो अपने फैसले से खश
ु हो ना ।
दौलत और बसती दोनो एक ?वर म2 बोले हां सरकार रjजू पराये मां बाप को घाव दे कर खश
ु है
तो हम खन
ू पसीने क कमाई से पाल-पोस कर बड़ा @कये भले ह& पराये बेटे ने लाख हं सते जoम
दये है पर हम उसक खशी
ु म2 ज4र सर&ख होगे ? दौलत और बसती क बाते सनकर

दरोगाजी,नायबतहसीलदार और लेखपाल साहब बोले धय है ये-परमाथ[ पराये मां-बाप । इतने म2
ब?ती के लोग दौलत और बसती क जयजयकार करने लगे ।
समाNत

प?
ु तक काशनाथ काशक आमित$ है ।

प7रचय
124
न+दलाल भारती
कBव,कहानीकार,उपयासकार
%श^ा - एम ए । समाजशा?$ । एल एल बी । आनस ।
पो?ट \ेजएट
ु TडNलोमा इन ‡यमन
ू Sरसhस डेवलपमेट (PGDHRD)
जम ?थान- \ाम-चौक ।खैरा।पो नर%संहपरु िजला-आजमगढ ।उ ।
जम:त"थ- 01 01 1963
का%शत उपयास-अमानत,:नमाड क माट& मालवा क छाव।:त:न"ध काPय सं\ह।
प?
ु तक2 :त:न"ध लघकथा
ु सं\ह- काल& मांट& एवं अय ।
ई प?
ु तक2 उपयास-दमन,चांद& क हं सल&
ु एवं अ%भशाप । Bवमश।आलेख सं\ह।
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ु ठZ भर आग ।कहानी सं\ह। लघकथा
ु सं\ह-उखड़े पांव /
कतरा-कतरा आंस/ू एहसासस
क<वताव6ल / का=यबोध//का=यांज6ल /मीना>ी।का=यसंह। एवं अ+य
सQमान BवLव भारती tा सQमान,भोपल,म  , BवLव हद& साहय अलंकरण,
इलाहाबाद।उ  ।लेखक %म$ ।मानद उपा"ध।दे हरादन।उ
ू तराखड।
भारती पeु प। मानद उपा"ध।इलाहाबाद, भाषा रन, पानीपत ।
डां अQबेडकर फेलो%शप सQमान,द0ल&,
काPय साधना,भसावल
ु , महाराey, jयो:तबा फले
ु %श^ाBवm,इंदौर ।म  ।
डां बाबा साहे ब अQबेडकर Bवशेष समाज सेवा,इंदौर Bवmयावाच?प:त,पSरयावां।उ  ।
कलम कलाधर मानद उपा"ध ,उदयपरु ।राज । साहयकला रन ।मानद उपा"ध। कशीनगर
ु ।उ
साहय :तभा,इंदौर।म  । सफ
ू सत महाकBव जायसी,रायबरे ल& ।उ  ।
एवं अय
आकाशवाणी से काPयपाठ का सारण ।कहानी, लघु कहानी,कBवता
और आलेखH का दे श के समाचार प$ो/पO$कओं
म2 एवं
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म2 रचनाये का%शत ।

सद?य इिडयन सोसायट& आफ आथस ।इंसा। नई द0ल&


साहियक सां?कृ:तक कला संगम अकादमी,पSरयांवा।तापगढ।उ  ।
हद& पSरवार,इंदौर ।मbय दे श।
125
आशा मेमोSरयल %म$लोक पिiलक प?
ु तकालय,दे हरादन
ू ।उतराखड।
साहय जनमंच,गािजयाबाद।उ  । एवं अय
पदा"धकार& सचव,, इिडयन सोसायट& आफ आथस ।इंसा। मbय दे श चैNटर,इंदौर ।
कायका7रणी सद@य,, हद& पSरवार,इंदौर ।मbय दे श।
तनध म4डल सद@य,, साहय जनमंच,गािजयाबाद।उ  । एवं अय
?थायी पता आजाद द&प, 15-एम-वीणा नगर ,इंदौर ।म  !
दरभाष
ू -0731-4057553 च%लतवाता-09753081066
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<वशेष-जनवाह।साCताDहक।Eवा6लयर।म प। Fवारा उप+यास--चांद. क' हं सुल. का धारावाDहक


काशन ।

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