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हं सते जम
( कहानी संह )
नदलाल भारती
काशक
2
मनोरमा साहय
सेवा
हं सते जम
।कहानी संह।
लेखक
नदलाल भारती
सवाधकार--लेखकाधीन
तकनीक सहयोग
3
आजाद कमार
ु भारती
"च$कार
श%श भारती
काशक
मनोरमा साहय सेवा
आजाद द&प,15-एम-वीणा नगर
इंदौर ।म ।452010
दरभाष
ू -0731-4057553 च%लतवाता-9753081066
1-अतथ
बड़ी ज0द& आ गये । इतनी तेज धप
ू म2 आने क 3या ज4रत थी । लू लग गयी तो । िजससे
%मलने गये थे उनके घर म2 ताला लगा था 3या ? वे कैसे लोग है जो आग बरसती दोपहर म2 त:नक
छांव म2 ठहरने को नह&ं कहा । 3या वे अ:त"थ दे वो भवः के महाम$ को भल
ू गये है ?
द&पेशबाबू - भागवान दो %मनट चैन से सांस तो ले लेने दे ती । ?कूटर खड़ा नह&ं कर पाया तम
ु हो
@क सवाल पर सवाल दागे◌े जा रह& हो ।
Bया- गलती हो गयी । ?कूटर खड़ा करने म2 मदद क4ं 3या ?
द&पेश-नह&ं । कपा
ृ करके एक "गलास ठडे पानी और आधी कप चाय का इंतजाम कर गर&ब पर
मेहरबानी करो । ।
Bया-आप बैठो मF पांच %मनट म2 चाय और ठडा पानी लेकर आती हंू तब तक हाथ मंह
ु धो लो ।
4
द&पेश-जैसे गह
ृ बधक महोदया का आदे श ।
Bया-बस अभी कछु नह&ं चाय पीते -पीते बात करोगे तो और अGछे लगोगे । मF आती हंू ।
द&पेश हाथ मंह
ु धोकर बैठा भी नह&ं क । Bया पानी औ◌ा चाय लेकर हािजर हो गयी ।द&पेश
बाथ4म के◌े बाहर :नकलते ह& Bया बोल& ल&िजये जनाब चाय पानी हािजर है ।
द&पेश- रख दो सेटर टे बल पर ।
Bया-बैठो तो सह& ।
द&पेश- बैठू ं गा नह&ं तो इस दोपहर& म2 जाउ◌ू◌ंगा कहां ।
Bया- हां एक जगह आने -जाने म2 सींक जो गये ।
द&पेश-जले पर नमक ना डालो । कहते हए
ु पानी पीकर चाय पीने लगा ।
Bया-इतनी खामोशी 3यH ?
द&पेश- अनसना
ु कर दया ।
Bया-ाणनाथ कौन सी ऐसी खता हो गयी @क आपने मौनJत धारण कर %लया ।
द&◌ेपेश- मझसे
ु खता हो गयी ।
Bया-नाराज 3यो होते हो जी ।
द&पेश-3या क4ं नाचंू गाउ◌ू◌ं जLन मनाउ◌ू◌ं ।
Bया-वह& अGछा रहे गा ।
द&पेश-3या मF टGछा बरा
ु भी नह&ं समझता 3या ?
Bया-3या खफा हो ।
द&पेश-खफा होकर भी 3या कर सकता हंू । लोगH को बदल तो नह&ं सकता । जहां पर अ:त"थ दे वा
भवः या स?ु वागत %लख होना चाहये वहां पर अब शभ
ु लाभ %लखा जाने लगा है । आने वाला चाहे
Nयास से मर 3यो नह&ं रहा हो । लोग पानी तक के %लये नह&ं पछते
ू 3या लोग हो गये हF । Oबना
Pयि3तगत लाभ के तो आज लोग पानी पीलाने को जहमत नह&ं उठा रहे हF ।
Bया- मझसे
ु ऐसी ग?
ु ताखी हो गयी 3या ?
द&पेश-नह&ं पर तQ
ु हारे सवालH का जबाब तो है ।
Bया-मेरे सवाल का जबाब भला ये कैसे हो सकता है ?
द&पेश-भागवान यह& सह& है । अब तो घटा भर का अ:त"थ भी बोझ लगने लगा है । दाना-पानी तो
दरू कछ
ु लोग दौलत और 4तबे के अ%भमान म2 पानी तो दरू ठRक से बात करने म2 तौह&नी
समझने लगे है ।
Bया-3या हम जैसे पSरवार म2 ऐसा
द&पेश-दे वी मीTडल 3लास के लोगो के बीच अभी भी अ:त"थ दे वH भवः का भाव है पर
Bया- पर का 3या मतलब । बताओं ना कहां मर गया है अ:त"थ दे वो भवः का भाव ।
द&पेश-दौलत और 4तबे के घमड म2 चरू लोगH के दलH म2 और उनक चौखटो पर भी ।
Bया-अGछा समझ गयी ।
द&◌ेपेश-कछ
ु कहा नह&ं ले@कन तम
ु सब समझ गयी ।
Bया-नह&ं समझी । आप बता दो ।
द&पेश- 3यो बझनी
ु बझा
ु रह& हो ।
5
ि◌◌्रया-दे खो जी जो कहना है । कह दो घर का सब काम पड़ा है । बGचो अभी नाLता मांगेगे ।
आपके लाडले मैगी लाये है । उठते ह& उहे चाहये । कोई अ:त"थ आ गया तो उसक आवभगत
भी तो करनी होगी । दे ख रहे हो घर म2 @कतनी धल
ू भर गयी है । दन रात सड़क पर गाTड़ या
दौड़ती रहती है । धल
ू अपने घरो म2 भरती है । कालोनाइजर पैसा लेकर सड़क भी नह&ं बनाया ।
पैसा वो डकार गया हम धल
ू फांक रहे है ।
द&पेश- यह& तो है आज के यग
ु म2 कर रहा है आदमी । अपना फायदा िजसम2 हो वह& कर रहा है
चाहे इसके %लये लाश पर से 3यो ना जाना पड़े ।
Bया-अ:त"थ दे वो भवः का 3या हआ
ु ।
द&पेश- Bया का हाथ पकड़कर "चरौर& करते हए
ु बोला मझे
ु एक वचन दो ।
Bया- @कतनी बार वचन लोगे ?
द&पेश- मF मजाक नह&ं कर रहा हंू । मझे
ु वचन दो @क इस चौखट से कोई आदमी Nयासा नह&ं
जायेगा ।
Bया- आज तक तो कोई गया नह&ं । मेरे जीते जी तो ऐसा अधम हो नह&ं सकेगा । घर आया हआ
ु
मेहमान तो भगवान होता है । भला भगवान का अनादर 3यH । अपने बGचे भी जानने समझने
लायक हो गये है । उनम2 भी अGछे इंसान के सं?कार है । वे अ:त"थ और बड़े बढो
ू का सकार
करना जानते है । आप तो असल& बात बताओ । अ:त"थ भाव घायल कहां ि◌◌ो गया ?
द&◌ेपश-िजस आनदानद के घर उनके बलावे
ु पर गया था । वे दौलत और 4तबे म2 बहत ु बड़े
आदमी है करोड़प:त है पर उनक चौखट से अ:त"थ दे वो भवः का भाव उठ गया है । अरे इसी भाव
क वजह से तो द:नया
ु म2 भारतीय पSरवार ,परQपरा और सं?कार क जयजयकार है पर लोग
मटयामेट कर रहे है ।
Bया-ऐसा 3यो कह रहे हो ।
द&पेश-ठZक कह रहा हंू और तमसे
ु Bवनती भी कर रहा हंू ।
Bया-Bवनती और मझसे
ु
द&◌ेपेश-हां तमसे
ु । दे खना घर आये @कसी Pयि3त का जाने-अनजाने अनादर न होने पाये और ना
ह& @कसी बड़े बढे
ू का।
ि◌◌्रया-3यो इतने दखी
ु हो । आप तो ये बताओ आनदानद साहब के चौखट पर आपको कैसे
अ:त"थ भाव के खन ू होने का एहसास हआ
ु ।
द&पेश-वह& बता रहा हंू ।
Bया- बताओ ना ।
द&पेश-आनदानद साहब के चौखट पर अनादर गहरा घाव कर गया है आज ।
Bया-आप तो आनदानद साहब क बड़ी तार&फ करते हो । उनके घर "गलास भर पानी नह&ं %मला
। इसी जानलेवा गम[ म2 । मेरे मना करने पर भी नह&ं माने । ठडा होने पर चले गये होते तो यह
पीड़ा तो नह&ं झेलनी पड़ी होती ।
द&पेश-हां आनदानद है तार&फ के लायक पर उनक बहु आध:नक
ु जो है । पथरH के वातानक%लत
ु ू
शो-4म म2 भी तो बैठती है ।
6
Bया-3या आध:नक
ु लोग पानी नह&ं पीते ? खाना नह&ं खाते ? दरवाजे आये हए
ु Pयि3त को पानी
के पछना
ू म2 आध:नकता
ु नंगी कैसे हो जाती है । गये भी तो थे बढे
ू आनदानद साहब के बलावे
ु
पर ह& । करोड़प:त आदमी है ,बेटे क फै3टर& है । बहू भी पथर Pयवसाय क माल@कन है ।
नौकर-चाकर होने के बाद भी दरवाजे पर आये आदमी को पानी तक को नह&ं पछा
ू जा रहा है ।
द&पेश-ठZक कह रह& हो । सवसQपन तो है पर सं?कार चौखट से दरू होता जा रहा है ।
आनदानद साहब के दये गये व3त पर पहंु च गया था । नौकरH ने कहा बड़े साहब उपर है । इसी
बीच पथर के शो-4म के मेन-गेट से बोल& बड़े साहब नह&ं है । घटे भर बाद %मलेगे । काफ दे र
तक खड़ा रहा पर बहू ने बैठने तक को नह&ं कह& । थक कर मF शो 4म के सामने पडी कस[
ु पर
बैठ गया इतजार क गरज से ।
Bया-आप नीचे और वे उपर इतजार कर रहे थे ।
द&पेश-हां । इसी बीच कछु \ाहक आये । पथर शो-4म क माल@कन बहू ने नौकरो से ठडा पानी
मंगवाया खद ु अपने हाथ से पानी द& । मF सखे
ू कठ बैठा रहा मेर& तरफ एक बार भी नह&ं दे खी ।
Bया-बढे
ू ससरु से %मलने म2 जो अड़चने पैदा कर रह& हो । वह भला पानी को कैसे पछ
ू सकती है ।
मझे
ु तो लगता है बड़े साहब उपे]^त होगे अपने ह& @कले म2 ।
द&पेश-सच आज बढे
ू सास-ससरु ,मां-बाप के सामने यह सम?या तो है ।
Bया- बेटे-बहअ◌े
ु ◌ा◌ं से उपे]^त होकर तो बढ2ू अनाथ आ_म म2 आ_य ढढ
ू रहे है ।
द&◌ेपेश-हां मैने दौलत के ताड़ क छांव म2 सं?कार मरते हए
ु दे खा है । ऐसे लोग अ:त"थ दे वो भवः
का भाव 3या समझेगे ?
Bया-दौलत का पहाड़ खड़ा करने वाले और दसरH
ू को दोयम दज` का समझने वाले हमेशा दौलत को
ह& ललचाया आंखH से दे खते है ।आदमी क तरफ नह&ं दे खते । दे खते भी है तो बस मतलब भर जेब
कतरे क तरह ।
द&पेश-सच आज आध:नकता
ु क %लबास म2 लोग नंगे होते और सामािजक दा:यवH से दरू होते जा
रहे है । उहे लगता है सामािजक औपचाSरकताये रसह&न है । दावे के साथ कह सकता हंू
आनदानदसाहब भी ऐसी आहो-हवा म2 घट
ू रहे होगे ।
Bया-ठZक कह रहे हो इसी%लये उनका फोन भी आया था ना । बैठे-बैठे उब गया तब चला आया ।
द&पेश-मF कछ
ु कागज छोड़कर आया था । कागज %मलने पर फोन @कये थे । कह रहे थे द&पेश बेटा
नीचे से 3यो चलेगे । मै तो उपर इंतजार कर रहा था । लQबे इतजार के बाद नीचे गया तो पता
चला @क तम
ु Oबना मझसे
ु %मले कागज छोड़कर चले गये हो ।
Bया-कागज @कसे सaप कर आये थे ।
द&पेश-उनक बहरानी
ू के सामने कागज दे ने क बात कहा था तो उहोने कहा था @क भोला को दे दो
। बड़े साहब जब आयेगे तब दे दे गा ।
Bया-भोला कौन है ।
द&पेश-@फ0मH म2 भे◌ाला कौन होता है ।
Bया-नौकर ।
द&पेश-वह& नौकर था भोला।
Bया-इतनी धप
ू म2 बहू ने 4कने को नह&ं बोल& ।
7
द&पेश-जो बहू पानी के %लये नह&ं पछ
ू रह& है । ए सी शो4म म2 बैठने को कहे गी 3या ? वह भी
फटे -हाल मीTडल 3लास के आदमी को । पानी को पछZू ह& नह&ं बैठने को बोल सकती थी 3या ? दो
\ाहको के %लये दो "गलास पानी का आडर नौकर को द& । मF इतनी भयंकर गम[ म2 सखे
ू गले
आनदानद क बांट जोहता रहा पर मझे
ु पानी तक को नह&ं पछां
ू । जब Nयास बदाLत नह&ं हई
ु तो
एक Nयाउ◌ू पर जाकर पानी पीया ।
Bया-आपको तो परा
ू शहर जानता है । आनदानद साहब से @कतनी बार तो %मल चक
ु े है । उनके
घर भी जा चक
ु े हो इसके बाद भी पानी को नह&ं पछZ
ू ।
द&◌ेपेश-भागवान त:नक पहचानती थी इसी%लये तो कछ
ु दे र तक Oबन बलाये
ु मेहमान का तरह
आनदाद साहब का इतजार करने दया वरना भगा ने दे ती । रह& बात जानने @क तो बb
ु दजीवी
और मानवतावाद& लोग जानते पहचानते है ?वाथ[ और धंधेबाजे के बीच अपनी पहचान नह&ं ? ऐसी
जगह पहचान बनाना भी उसल
ू के cखलाफ है । Bवष बोने वाले,पद और दौलतपसद के बीच तो
अजनवी हंू । मलाल तो इस बात का है @क आनदानद साहब जैसे करोड़ो के मा%लक अपने ह&
लोगH के बीच उपे]^त है । उनसे %मलने वाले भी उपे^ा क dिeट से दे खे जा रहे है ।
Bया-मां-बाप तो धरती के भगवान है । दरवाजे पर आया अ:त"थ दे वता समान चाहे अमीर हो या
गर&ब ।
द&पेश-आध:नकता
ु और दखावे का fम आज के आदमी को SरLते-नाते से दरू ले चा रहा
है ।आनदानद साहब भी घंट
ू रहे होगे ।
Bया-हां शायद । फोन पर बात तो हो गयी ना आपक ?
द&◌ेपेश-हां हो तो गयी ।
Bया-3या कह2 ?
द&पेश-3या कहे ग2 । हारे हए
ु जआर&
ु क तरह खद
ु को कोसेगे । कह रहे थे नीचे गया तो द&पेश बेटा
आपका छोड़ हआु कागज सरवेट दया तब पता चला @क घटा भर इतजार कर चले गये । सांर&
कहने के अलावा और कर भी 3या सकते हF ? मैने कह दया साहब सांर& कहकर श%मदा न कर2 ।
आप तो मेरे Bपतात0
ु य है ।
Bया-कागज आप @कसको सपद
ु ु करके आये थे ।
द&पेश-बहू ने एक नौकर क तरफ इशारा कर दया था उसी लड़के को सaप कर चला आया था ।
खैर इस सब का अदाजा आनदानद साहब को तो लग ह& गया होगा । कहते है आनदानद
साहब क जब चलती थी तो उनक चौखट पर आये हए
ु Pयि3त को समय के अनसारु चाय नाLता
और भोजन तक करवाया जाता था । आज बेटे बहओं
ु के राज म2 अ:तिgस को एक "गलास पानी
तक मययसर
् नह&ं हो रहा है उसी चौखट पर ।
ि◌◌्रया-बाप रे ऐसा वैभव @कस काम का ? िजस चौखट पर आगतक
ु को पानी तक को नह&ं पछा
ू
जा रहा है । भला उस घर म2 बड़े बजगh
ु ु का 3या बरा
ु हाल होता होगा ? तभी तो हाई-फाई पSरवार
के लोग वb
ृ दा_मH क ओर 4ख कर रहे है । कर2 भी 3यो ना इससे तो उनके हाई-फाई ?वाथ[ बेटे -
बहओं
ु क ाइवेसी म2 खलल जो पडती होगी ?
द&पेश-ठZक कह रह& हो । आनदानद साहब से मFने कहा साहब आधे घटे से अ"धक दे र तक
ू था । उहोने ह& तो
इंतजार करके म2 चला आया । शो-4म म2 बैठZ बडी बहू मैडम जी को तो मालम
8
कहा था बड़े साहब घर म2 नह&ं है । तब वे बोले मFने तो नीचे सरवेट से बोल रखा था @क आप
आने वाले है । आते ह& मेरे पास भेज दे ना बहू को भी यह बात मालमू थी पर बतायी 3यH नह&ं ?
इसके बाद उनक आवाज टं ग गयी उनके मंह ु से सांर& शiद :नकला और फोन का दम :नकल गया
।
Bया-सच आध:नकता
ु का मखौटा
ु लगाये घरH म2 बस दखावा है । वहां न बड़◌़◌े -बजगHर
ु ु ् का मन-
सQमान है ना अ:त"थ का ह& । वहां तो सभी मतलब के तराजू पर तौले जाते है ।
द&पेश-तQ
ु हार& बात म2 सGचाई है । भगवान िजसको तर3क दे उसके अदर अ%भमान न भरे ।
Bया-आदमी के पास jयो -jयH दौलत बढती है उसी अनपात
ु म2 अ%भमान भी बढता है । हां कछ
ु
लोग अपवाद हो सकते है पर अ"धकतर लोग तो ऐसे ह& होते है । आनदानद साहब को दे खो आप
तो उनका गणगान
ु करते नह&ं थकते ।उनके घर म2 दे खो अ:त"थ का कैसा अनादार हो रहा है । बड़े
बजगh
ु ु को कौन सा मान-सQमान %मल रहा है ।
द&पेश-बड़ा आदमी तो सह& मायने म2 वह& है जो आदमी क कk करना जानता हो िजसके lदय म2
आद%मयत,ममता,समाता और सmभावना Bवराज:त हो । आदमी धन-दौलत अथवा बड़े पद से बड़ा
नह&ं होता । आदमी का कद बड़ा होना चाहये । कद धन दौलत अथवा पद के अ%भमान म2 डबकर
ू
नह&ं बड़ा होता । कद तो सदाचार बढाता है ,परमाथ का भाव बढाता है ,दबे कचले
ु को उबारने क
ललक आदमी को महान बनाती है । जो Pयि3त nवार आये Pयि3त को बोझ समझता है । खद
ु
को पद और दौलत क तलाु पर तौल कर बड़ा साOबत करता है । सचमव ु वह बहतु नीच होता है ।
Bया-आbु◌ा:नक और पाLचाय सं?कृ:त के अनया:ययH
ु के %लये बढे
ू मां-बाप भी बोझ हो गये होगे ।
आनदानद साहब को हं सते जoम का एहसास हआ ु होगा । ।
द&पेश-?कूल& ?तर पर नै:तक %श^ा का पाठ श4
ु होना चाहये । िजससे बGचH म2 बढH
ू के :त मान-
सQमान उपजे और अ:त"थ दे वH भवः के भाव को उवरा %मले ।
Bया-ठZक कह रहे हो । आध:नकता
ु और पाLचाय रं ग म2 रचे बसे मां-बाप अपने बGचH को
नै:तकता का पाठ पढाने से रहे । इससे बGचH का दे श क सRयता और सं?कृ:त से जड़ा
ु व होगा और
बड़े बजगh
ु ु के :त आदर का भाव भी Bवक%सत होगा । तभी अ:त"थ दे वH भवः के भाव म2
अ%भविb
ृ द सQभव है ।
द&◌ेपेश-ठZक कह रह& हो यद सामािजक और नै:तक म0
ू यH को पतन हो गया तो न तो SरLते बचेगे
न आद%मयत का सHधापन और न मांता-Bपता के :त लगाव ।
Bया-बड़े-बढH
ू के :त आदर भाव,मानवीय SरLतH म2 समरसता,सmभावना,परमाथ के भाव के साथ
अ:त"थ दे वH भवः का बीजारोपण आज क पीढ& म2 करने क िजQमेदार& ?कूल,कालेज और पSरवार
जैसी सं?थाओं से सामज?य ?थाBपत कर उठानी होगी। तभी बड2-बजगh
ु ु को मान-सQमान %मल
पायेगा और अ:त"थ दे वो भवः का भाव दे श क मांट& से सदा वाहत होता रहे गा । द:नया
ु के
%लये हमारा पSरवार ेरणाpे◌ात बना रहे गा । इसक र^ा क कसम यवा
ु -शि3त को खानी पड़ेगी ।
2-बखरे मोती
पड़ोस म2 रहने वाल& पावती को आंचल म2 कटोर& :छपाते हए
ु दे खकर मधु बोल& -दाद& सास 3या
:छपा रह& हो ।
पावती-बेट& कब आयी ?
9
मध-ु पावती का पावं छते
ू हु ए बोल& कल शाम को आयी दाद& । पता चला @क आपक तOबयत
ठZक नह&ं है तो चल& आयी आपसे %मलने पर आप तो मझसे
ु कछ
ु :छपा रह& हो ।
पावती-खाने क कटोर& को पनःआं
ु चल से ढकते हए
ु बोल& 3या :छपाउ◌ू◌ंगी बहंू मै भला तमसे
ु ।
मध-ु दाद& सास कछु तो ज4र :छपा रह& हो । लगता है आज बहओ◌े ु ◌े◌◌
े े ने %मलकर कछ ु खास
Pयंजन बनायी है । यह& ना दाद&
पावती-नह&ं रे 3या :छपाउ◌ू◌ंगी । बहये
ु 3या खास Pयंजन बनायेगी । आज कोई पंचईया तो है नह&ं
। सवाल करने को रहने दे आ पास म2 तो बैठ कछ ु दे र । बहये
ु बाजार हाट गयी है । तQ
ु हारे मायके
क 3या खबर है । मां -बाप भी नह&ं रहे तQ
ु हारे । शहर भी जाना होगा ज0द& ।
मध-ु हां दाद& मां बाप जब तक है मायका तब तक आबाद है । अब तो मायका दरू हो गया । मां-
बाप के आंख मनते
ु ह& सब पराये हो जाते है । भाई लोग अपनी गह?
ृ ती म2 म?त है । मF परदे सी हो
गयी । उनक छटट&
ु भी खम होने को आ गयी । बGचे भी यहां क गरमी बदाLत नह&ं कर पा रहे
है । सब बीमार पड़ गये हF । बड़े बेटे को तो बोतल चढवानी पड़ी है । दाद& शहर तो जाना ह& होगा
ना । गांव म2 दादा-परदादा क कहां जमींदार& है @क रोजी-रोट& चलेगी । बGचे पढे गे-%लखेगे ।
पावती-कराहते हए
ु बोल& हां मधु बीटया ठZक कह रह& हो ।
मध-ु दाद& आप खाना खा रह& थी । खा ल&िजये मF Bपटू के घर से होकर आती हंू । बेचार& Bपटु क
आजी जब तक िजद& थी हम लोगH के आने क खबर सनते ु ह& दौड़ी चल& आती थी । अब तो कोई
पछने
ू वाला ह& नह&ं बचा । आप भी बीमार रहने लगी बाक कोई पराने
ु म2 से बचा ह& नह&ं । पहले
जैसी बात भी नह&ं रह& । अपने अलावा कोई अब तो दसरे
ू को समझता ह& नह&ं । अब तो गांव म2
भी शहर जैसा हो गया है कोई पहचानता ह& नह&ं । हम लोग है @क सब के घर-घर जाकर सलाम
Pयवहार करते है । इसके बाद भी लोग मंह
ु फेर लेते है ।
पावती -हां बहू सब ?वाथ[ हो गये है । काम पडने पर पहचानते है । Oबना मतलब के तो अब तन
से पैदा हए
ु भी नह&ं पहचानते । गैरH क 3या बात कर2 । थोड़ी दे र मेरे पास बै तो जा । मF तो बैठे
-बैठे खाती रहती हंू । खाने के अलावा बढौती
ु म2 और काम भी 3या है ? एक जगह बैठे -बैठे बेटा -
बहू क कमाई रोट& तोड़ो । बैठ बहू । मेरा 3या भरोसा इसके बाद तझे
ू %मल पाउ◌ू◌ग
ं ी भी क नह&ं
। आंख-ठे हना
ु भी धीरे -धीरे काम करना बद कर रहे है । अभी ना जाने कब तक फो3ट क रोट&
तोड़नी @क?मत म2 %लखी है भगवान उठा लेता तो मेर& भी बन जाती । बढउ
ु तो अपनी बना %लये
मझे
ु नरक म2 छोड़ गये । सब बहंू सहाग
ु उजड़ने के बाद जीवन नरक हो गया है ।
मध-ु दादा जीवन मरन तो भगवान के हाथ म2 है । दख
ु -तकल&फ भी उसी भगवान क दे न है । दाद&
आंसू ना बहाओं खाना खा लो ।
पावती- तू कह रह& थी ना @क मF :छपा रह& हंू कछ
ु दे ख ले बेट& मेरा छNपन भे◌ाग ।
मध-ु दाद& यह 3या ?
पावती-मेरा खाना और 3या ? क
ु ते Oब0ल& इससे अGछा खाना खा लेते हF ।
मध-ु हे भगवान ये खाना ?
पावती-बंटवारे के बाद मेरा यह हाल हो गया है ।
मध-ु बंटवारा ?
10
पावती- दोनो बेटH के बीच 15-15 दन बंटवारा हो गया है । 15 दन बड़ा तो 15 दन छोटा बेटा
क
ु ते जैसे रोट& दे रहा है । बढउ
ु के मरते ह& मेरे उपर मसीबत
ु का पहाड़ "गर पड़ा है । अब तो पेट
भर रोट& भी नसीब नह&ं होती ।हं सते जoम संग जीना पड़ रहा है खानदान क मयादा के %लये ।
मध-ु सखी
ू रोट& ना दाल ना तरकार& ऐ कौन सा छNपन भग आपक बहओंु परोस रह& है ।
पावती-यह& छपपन भेग है मेरे %लये । बहय2
ु कहती है काम क ना काज क :नकाम घोड़ी घास क
। बढया
ु को बैठे बैठे तीनो टाइम बल&बरोबर ठसने
ु को चाहये ।
मध-ु दाद& कैसो खाओगी ।
पावती-बेट& मसीबत
ु माथे पड़ी है तो मकाबला
ु तो हम2 ह& करना होगा ना । रोट& को कछ
ु दे र के
%लये पानी म2 भींगो रखगी
ू गल जाने पर खा लंूगी ।
मध-ु िजन बेटH क तकद&र बनाने के %लये आप और बाबा ने 3या-3या नह&ं @कया । पढाया %लखाया
। पैरो पर खड़ा @कया वह& बेटे दो रोट& नह&ं दे रहे है । इस सखी
ू रोट& को खाना आपके %लये तो
लोहे चना चबाने जैसा होगा । मंुह म2 दात भी तो नह&ं बचे है ।
पावती-सखी
ू रोट& पानी और नमक म2 भींगो कर पेट म2 उतार लेना यह& मेर& @क?मत हो गयी है ।
मेर& @क?मत म2 भगवान ने यह& %लख दया तो 3या क4ं । अGछZ भल& खेती है । दोनो बेटे नौकर&
कर रहे है । इसके बाद मेर& हाल ऐसी है । अगर बढउ
ु कछ
ु छोडकर नह&ं गये होते तो भीख मांगनी
पड़ती मझे
ु । वैसे भीखार& से मेर& दशा खराब है । बस कहने को बेटे बहू ,पोते-पोती और भरा-परा
ू
पSरवार है । कभी कभी तो बहये
ु इस बढ&ू काया पर हाथ साफ कर लेती है । दाद& के आखH म2 बाढं
के पानी सर&खे आसंू बह रहे थे ।
पावती के आसंू दे खकर मधु के ◌ा◌ी आंसू बह :नकले । वह पावती दाद& के आंसू आंचल म2 पोछते
हए
ु बोल& दाद& अब ना रोओ %सर दखने
ु लगेगा । भगवान भी @कतना :नद यी है बढौती
ु म2 इतना
दखु दे दया । अपना खन
ू पीकर पले बढे दLु मन हो गये ।दाद& सतोष करो जो Bवधाता ने %लख
दया है उसे टाला भी तो नह&ं जा सकता ।
पावती- हां बहू अब तो आंसू बहाना ह& तकद&र हो गयी है । आंसूओ को बह जाने दो मन का भार
त:नक कम हो जायेगा । इस बढ& ू बेबस के पास बचा भी 3या है आंसू के %सवाय । भगवान ने बेट&
भी नह&ं दया है @क उसके पास भी दो चार दन के %लये जा◌ाकर जी आन-मान कर आती । बढउ
ु
के मरते ह& मेरे जबान पर भी बेटे बहओ
ु ने पहरा लगा दया है । दोनो बहये
ु हाट गयी है और
बGचे ?कूल । अब तक एक भी होती तो छाती पर चढ गयी होती । तम ु से बात भी नह&ं कर पाती ।
बेटे -बहु सब एक जैसे हो गये है । उनको लगता है @क मेरे पास मोहरो से भरा सोने का घड़ा है ।
िजसे म2 उनसे :छपाकर रखी हंू । जब@क मेरे पास चवनी-अठनी तक नह&ं है । ना जाने कौन सी
रकम लेने के %लये मझे
ु ताTड़ त कर रहे है । सब कछ
ु तो बांट %लये मेरे पास कछ
ु बचा भी तो
नह&ं है । दोनो बेट %मलकर मेर& हालत क
ु ते %ल0ल& जैसी कर दये है । रोट& के %लये ललचायी
आखH से राह ताकना पड़ रहा है । जबान खल&
ु तो लात खाओ ।
मध-ु दाद& मFने भी दे खा है । बाबा जब थे तो यह दरवाजा सना
ू नह&ं लगता था । दो चार लोग बैठे
रहते थे । िजदगी भर बाबा शहर परदे स @कये । आप दोनH बेटH को लेकर गांव क जमींदार&
सQभाल& । बाबा जब Sरटायर होकर आये तब आपके बेटा लोग परदे स क ओर 4ख @कये । बाबा
क मेहनत से सफल भी रहे अGछा कमा खा रहे है । आपको पेट म2 भख
ू लेकर जीना पड़ रहा है ।
11
यह @कसी Bवपित से कम तो नह&ं है । बाबा के मरते ह& बेटे -बहू @कतने बदल गये । धन लेने
क सध
ु तो है मां के पेट म2 रोट& गयी @क नह&ं इसक @कसी को सध
ु नह&ं । जब तक बेटH के हाथ
दौलत नह&ं लगी थी जमींदार& पर कiजा नह&ं हआ
ु था तब तक आरती उतारत ◌े थे । अब तो उह&
बेटे बहओं
ु के %लये बोझ हो गयी हो ।
पावती-हां मधु ठZक कह रह& हो जब तक बढउं
ु कमाये तब तक और जब तक जीBवत रहे तब तक
इन नालायकH के %लये जोड़ते रहे । इह& नालायकH क "चता म2 डबे
ू रहते थे । मेरे पास भी जो
कछ
ु था बढउ
ु क चोर& इह& नालायकH को दे दया करती थी ।वह& वजह है @क आज कंगाल बैठZ हंू
रोट& तक के %लये तरस रह& हंू । मेर& आंखH के आसंू बेटे बहओं
ु को दखायी पड़ गया तो बोल&
बोलने से नह&ं चकते
ू कहते है -पाBपन दरवाजे पर बैठZ कढती
ू रहती है ना मर& न मरे के संग गयी
। अब ये हाल हो गया है बीटया । मै पाBपन हो गयी हंू । मेर& कोख से जमे ये मेरे नालायक बेटे
प
ू यामा हो गये है । मF भखे
ू मर रह& हंू । ये जLन मना रहे है । मह&नH से बखार
ु म2 तप रह& हंू ।
मेर& दवाई के %लये दोनH म2 से @कसी के पास फट&
ू कौड़ी नह&ं हF । ससराल
ु वाले आते है तो मगा
ु के
साथ दा4 परोसी जाती है । बीटया तQ
ु ह& बताओं कोई मां बाप अपने बेटे-बहओं
ु को _ाप दे गे 3या
? मF @कतनी अभा"गन हो गयी हंू बढउ
ु के मरते ह& @क हमारे ह& बेटे बहंू पाBपन कहने लगे हF । मन
तो करता हF इस पोखर& म2 डबकर
ू जान दे दं ू पर जग हं साई से डरती हंू । यह& बेटे -बहु कहे ◌ेगे
पाBपन जीते भी डंसती रह& मरने के बाद भी कलंक छोड़ गयी ।
मध-ु दाद& आमहया क कभी ना सोचना । जब तक सांस चल रह& है । भगवान म2 भरोसा रखो
वह& मि3
ु त दे गा । डब
ू कर जान दे ने से अगला जम खराब 3यो करना । दाद& आप तो बहतु नेक
आमा हो । भगवान सGचे आदमी क पर&^ा लेता है । दeु टH को खलाु छोड़ता है ता@क वे पाप
करते करते एक दन असहाय होकर जमीन पर आ "गरे और लोग थक
ू े । एक दन आपके बेटे-
बहओं
ु पर द:नया
ु वाले ज4र थक ू े गे । दे वी समान मां को भखH
ू मार रहे है । मां बाप क दौलत को
तो बांट %लये पर मां को ना पेट भर रोट& दे रहे है और ना ह& व?$ । दाद& पोते पोती तो दे ख रहे
है ना जो उनके मां बाप आपक ददु शा कर रहे है । आप तो नह&ं रहोगी पर द:नया
ु वाले दे खेगे ।
जैसा आपके बेटा बहु कर रहे है उससे बरा ु सलकू उनके बेट-बहू करे गे ।
पावती-मधु बीटया मेरे बेटे-बहू चाहे िजतनी मेर& ददु शा कर ले पर मF इनका बरा
ु कभी नह&ं चाहंू गी
मां हू ना । ले@कन जो ये मेरे साथ कर रहे है । मF कभी सोच भी नह&ं सकती थी @क मेरे बेटे ऐसी
ददु शा कर2 गे । िजनके %लये सख
ु -सBवधा
ु ,पढाई-%लखाई के %लये पSरवार से Bवkोह कर बैठZ । कभी
बासी रोट& इन बGचH को नह&ं द& । दे शी घी क कभी कमी नह&ं पड़ने द& । आज दे खो मF वह& हंू
मे◌े◌ेरे बेटे बदल गये । मF सखी
ू रोट& से जझ
ू रह& हंू पापी पेट भरने के %लये । वह भी मज[ हई
ु तो
दे दये क
ु ते जैसे कवरा । नह&ं मज[ हई
ु तो नह&ं दये । पानी पी -पीकर भख
ू %मटाती रहने को
मजबरू हो जाती हंू ।
मध-ु दाद& बहये
ु तो दसरे
ू घर से आयी है । बेटे तो सगे है । आपके तन से पैदा हए ु है ।वे भी
ज0लाद हो गये । बढ&ू मां के %लये उनके पास पेट भर रोट& नह&ं दे पा रहे है । आपके दोनH बेटे
पढे -%लखे है । इनको तो क
ु ते-Oब0ले जैसे Pयवहार अपनी मां के साथ तो नह&ं करना चाहये था । ये
तो जो4 के गलाम
ु लगते है ।
12
पावती-बहये
ु जैसा कहती है उससे ल&क भर भी नह&ं हट सकते दो के दोनH । ऐसा लगता नह&ं
है @क यह घर मेरा है । ये पSरवार मेरा है । @कसी को त:नक भी मेर& "चता नह&ं है । दे खो दो
साल हए
ु बढ
ु उ के मरे उनके हाथ क साड़ी है तन पर । वह भी जगह जगह से गलने लगी है ।
बहये
ु दो साड़ी मेरे पास छोडी बाक सब आपस म2 बांट ल& । दो साल से दो साTड़ या मेरे तन पर
गल रह& है । दे खो @कस तरह से मF अपना तन ढं क हंू । न बहओं
ु को शरम है न बेटH को । बेटH
और बहओु को लगता है @क मोट& रकम उनसे :छपा कर रखी हंू । उनको दे नह&ं रह& हंू । बताओ
मेरे पास कछ
ु होता तो अपना तन नह&ं ढं कती ।सब कछ
ु तो :छन %लया इन लोगH ने षणय$
रचकर । पेट क भख ू नह&ं %मट रह& है इन दो-दो बेटे के होते हए
ु ।
मध-ु ये तो बहत
ु बरा
ु हो रहा है दाद& आपके साथ ।
पावती-कछ
ु लोग प$
ु के न होने पर दखी
ु है और मF दो-दो सांड जैसे प$ो
ु के होने के बाद भी बेसहारा
अनाथ जैसी िजदगी जी रह& हंू । इन कपतH
ू के %लये धन-धरती सब कछ
ु बना दये पर उसी धन
और धरती क रोट& सकन
ू क नह&ं %मल रह& है । ये नालायक अपनी कमाई का तो नह&ं दे ते कम
से कम हमार& हाड़ं-फोड़ कमाई क रोट& तो दे ते । सच मधु बहु इतना दख
ु नह&ं होता िजतना हो रहा
है । हारे हए
ु जआर&
ु क तरह अब हाथ मलते रहना है और बेटे बहओं ु के दये तकल&फ के जहर को
पीकर जीवन Oबताना यह& अब तकद&र हो गयी है ।
मध-ु मत रोओं दाद& भगवान सब दे ख रहा है ।
पावती-काश मझे
ु इस नरक से ज0द& उठा लेता ।
मध-ु दाद& िजतने दन क उq होगी उतना दन तो धरती पर रहना ह& होगा चाहे रो कर जीओ या
हं स कर । यय बेटे बहओं
ु क ताड़ना सहकर जीना तो पड़ेगा । आके साथ बहत
ु बराु सलकू हो
रहा है ।यह अGछा नह&ं है । बताओं धरती के भगवान का ऐसा अनादर ऐसे बेटे-बहओं
ु के %लये
नरक का राह नह&ं सगम
ु कर रहा है ◌े 3या ? दाद& जो आदमी दसरH
ू के साथ बरा
ु बताव करता है
उसे भी %मलता है इसी धरती पर । अरे इनक औलाद2 भी ऐसा करने लगी तो खपरै ल से आंसंू
पोछे गे । जब इनक औलादे ऐसे ह& घाव करे गी तो समझ मे◌े◌ं आयेगा @क उनके हाथ अयाय हआ
ु
।
पावती-मधु बीटया मF तो भगवान से ाथना करती हंू @क इन नालायको को सmबिb ु द दे । मां हाकर
कैसे बmदआु दे सकती हंू । मेरे साथ जो कछ
ु हो रहा है ब?ती वाले भले ह& नह&ं दे ख पा रहे है पर
भगवान तो दे ख ह& रहा है । मF अपनी जबान गद& नह&ं क4ंगी चाहे ये भखे
ू मार डाले, गाल& दे या
लात मारे मै बढउ
ु क आन पर मर जाउ◌ू◌ंगी इस चौखट को न तो छोडंू गी और नह&ं बmदआ
ु दं ग
ू ी
।
मध-ु दाद& भले ह& मत बmदआ
ु दो पर आपके पोते तो आने मां बाप क करतते
ू दे ख रहे है । वे भी
एक दन ऐसा ज4र करे गे । दाद& मत खाओं ये सखी
ू रोट& दो मF भFस को डल दे ती हू । आपका
खाना अपने घर से लाती हंू ।
पावती-ना मधु ना ऐसा ना कर ।
मध-ु दाद& कम से कम आज तो भर पेट खा लो ।
पावती-बेट& तू सदा सखी
ु रह पर मF अपने ह?से क यह& सखी
ू रोट& खाउ◌ू◌ंगी ।
मध-ु 3यो दाद& ?
13
पावती-मयादा खा:तर । बहु-बेटH को पता लग जायेगा तो घर से बाहर कर दे गे । कहे गे जो
भीख मांग कर खा । उनक इjजत पर कचड़ जो उछल जायेगा । रोट&म2 और पानी डाल दे ती हंू
ज0द& गल जायेगी । @फर खा लंग
ू ी । बेट& तू "चता ना कर मेरा तो रोज का यह& हाल है । आज
तक इस ब?ती का @कसी आदमी को भनक तक नह&ं लग पायी है मेर& ददु शा क । बेट& @कसी से न
कहना मझसे
ु वादा करो ।
मध-ु दाद& ऐसा वादा 3यH मांग रह& है ।
़
पावती-बेट& अपनी छाती पर खडे इस घर क दहल&ज से मेर& अथ[ जो उठनी है । यद मेर& ददु श
क खबर ब?ती वालH के कानो तक पहंु च गयी तो मेर& लाश भी कफन को तरस जायेगी ।
मध-ु दाद& इतनी बड़ी ब?ती तो है । ब?ती वाले म:नक:नका पहंु चा दे गे चनदा-बेहर& करके । जीते जी
रोट& क "चता नह&ं है मरने के बाद क "चता म2 सलग
ु रह& हो ।
पावती-बेट& िजसके कंधे पर चढकर ?वग जाना था वह तो पहले ह& कच
ू कर गये । बेटH के हाथ से
मr
ु ठZ भर माट& %मल जायेगी तो जम तो नह&ं Oबगडेगा ना ।
मध-ु दाद& अगले जम क "चता है । जीवन नरक हो रहा है । इस नरक को सहने के %लये तैयार
है ।
पावती-मधु बेट& बेटे◌ा◌ं से बंश सर]^त
ु रहता है ना ।बंश सख
ु के %लये हर दख
ु सहने क सामgय
रखती हंू ।
मध-ु दाद& जमाना बदल गया है । बेटे-बेट& दोनH एक समान है । बेटH का दया दखभोगने
ु के बाद भी
आंख नह&ं खल
ु रह& है ।
पावती-सब समझती हंू पर जीवन के आcखर मोड़ पर भटकना नह&ं चाहती हंू ।
मध-ु मतलब
पावती-अब यह& मेर& तकद&र है । जहां से बढउ
ु क अथ[ उठZ वह& से मेर& भी उठे । अब तो जीवन
के मोती Oबखर ह& चक
ु े है । लावाSरस नह&ं मरना चाहती मधु । गांव वालH सामने अपना दखड़ा
ु भी
नह&ं रोना चाहती िजनक मदद करती थी उनके सामने आंसू जीते जी मर जाउ◌ू◌ंगी । मेरा वादा
याद रखना मधु । अब तम ु जाओ मेर& बहयेु हाट से आने वाल& है । तमको
ु मेरे साथ दे ख ल& तो
पीठ म2 सटा पेट आतH को चबा तो लेगा पर बढ&
ू हTsडयां कराह उठे गी ।
मध-ु दाद& मांफ करना । ये कछ
ु पैसे है । रख लो काम आयेगा ।
पावती-सदा सहा"गन
ु और सखी
ु रहो । तQ
ु हारा पSरवार दन दनी
ु -रात चौगनी
ु तर3क कर2 । अब जा
मधु । मझे
ु भयावह सफर पर अकेला चला है । बहये ु आ गयी और तमको ु मेरे साथ दे ख ल& तो
मझे
ु तो जो कहे गी मF सह लंग
ू ी पर :नरापद तमको
ु बरा
ु -भला कह द& तो मझे
ु बदाLत नह&ं होगा ।
वैसे तो रोज मर रह& हंू पर आज और मर जाउ◌ू◌ंगी शरम के समदर म2 डबकर
ू ।
मध-ु दाद& रोओ मत । रोट& गल गयी है । खाकर पानी पी लो । अब तो जीवन भर रोना है । ऐसे
बेटे बहओं
ु के साqाjय म2 ।
पावती-हां मधु सपनH के मोती तो Oबखर गये । BवषधरH के बीच जीने क Bववशता है ।
मध-ु दाद& अब तो खा लो । मF जा रह& हंू ।
पावती-मधु खाना तो पडेगा ह& पापी पेट क आग बझाने
ु के %लये । आशा :नराशा म2 बदल गयी है ।
बढउ
ु के मरते ह& मेर& द:नया
ु भयवाह हो गयी । रात के अंधेरे म2 ह& नह&ं दन के उजाले म2 भी डर
14
लगता है । दे खो इस बढ&
ू काया को कब तक बेटे बहओं
ु के उपीड़न का जहर पीना %लखा है
।भगवान अब अपनH का दया हआ ु घाव बदाLत नह&ं होता कहते हए
ु नमक पानी म2 गील& रोट& का
:नवाला पावती दाद& पेट म2 उतारने लगी । मधु आखH म2 आंसू %लये डर&-सहमी अपने घर क◌े ओर
दौड़ पड़ी ।
3-चु लू भर पानी
3यो◌े◌ं जी Oबन मौसम क बरसात 3यो । अभी तो सरू ज आग उगल रहा है । मौसम Bवtानी
बता रहे है @क मानसन
ू जन
ू के आcखर& सNताह म2 आ सकता हF। ये अवारा बादल कहां से टट
ू पडे
Bवशाल क मां ।
गीता- 3या कह रहे हो Bवशाल के पापा मेर& तो समझ म2 ह& नह&ं कछ
ु आ रहा हF ।
अशोक-बहाना नह&ं ।
गीता-कैसा बहाना जी ?
अशोक-तुQहार& आंखH म2 आंसू 3यH ?
गीता-अGछा ये आसं।ू ये तो च0
ु लू भर पानी म2 डब
ू मरने क बात है ।
अशोक-ये कैसी चuवाती बरसात है जो Oबना @कसी बरसात और Oबना बाढ के डब
ू मरने के %लये
फफकार
ु रह& है ।
गीता-थोडी दे र पहले आ गयी थी चuवाती बरसात एक :नरा"_त बढ&
ू मां के साथ ।
अशोक-बढ&
ू मां ।
गीता-हां बढ&
ू मां के ह& साथ आयी थी चuवाती बरसात जो लोभी औलादो क मंशा को तार तार
करने के %लये काफ थी ।
अशोक-कौन सी बढ&
ू मां क बात कर रह& हो । कोई गQभीर मामला हF 3या ।
गीता- हां । आने वाला समय बढे
ू मां बाप के %लये तबाह& लेकर आना वाला है ।
अशोक-3या कह रह& हो Bवशाल क मां ।
गीता-ठZक कह रह& हंू ।एक अंधी बढ&
ू लाचार मां शहर के चकाचौध भरे उजाले म2 पता ढढ
ू रह& थी
अपनी बेट& का । बेचार& बढ&
ू मां :नeका%सत थी ।
अशोक-:नeका%सत ।
गीता-हां :नeका%सत । एक नालायक बेटा अपनी अंधी मां को घर से :नकाल दया था । वह बढ&
ू मां
अपनी डयोढ& पर आ "गर& थी । उनक दा?तान सनकर
ु ये Oबन मौसम हं सते जoम क बरसात ।
अशोक-ग?
ु ताखी के %लये ^मा करना दे वी जी पर अब वो मां कहा है ?
गीता-बढ&
ू मां को उसक बेट& के घर छोड आयी ।
अशोक-बेट& के घर ।
गीता -हां बेट& के घर । बेटा घर से :नकाल दया हF तो वह बढ&
ू मां बेचार& जाती तो जाती कहां ।ना
थाह ना पता । बस इतना कालोनी का नाम मालम
ू और ये भी @क :तकोने बगीचे के सामने घर
हF । इसी आधार पर बढ&
ू मां क बेट& के घर क तलाश करनी पडी हF । काफ मLकत के बाद घर
%मल गया ।
अशोक-आज औलाद इतनी ?वाथ[ हो गयी है @क अंधी मां को रहने के %लये जगह नह&ं है उसके ह&
बनाये आ%शयाने म2 ।बेटा मां को घर से बेदखल करने पर उतर आया है ।
15
गीता-हां बेचार& बढ&
ू मां दर दर भटक रह& थी ना जाने कब से ।आज बेट& के घर पहंु च पायी हF ।
यद उस बढ ू & मां क मदद ना करते तो भटकती रहती ना जाने कहा कहां । थक हार कर @कसी
गाडी के नीचे आ जाती । मरने के बाद लावाSरस हो जाती । बेटा को कफन पर भी खच ना करना
पडता । मां को घर से बेदखल कर खद
ु मा%लक बन बैठा हF नालायक बेटा ।मां भखी
ू Nयासी ध3के
खाने को मजबरू हो गयी हF । बेट& ना होता तो वह बंूढ& अंधी लाचार मां कहा जाती । बढ&
ू मां क
दशा दे खकर मन रो उठा Bवशाल के पापा । भगवान ऐसी सजा @कसी मां बाप को ना द2 ।
अशोक-बढ&
ू मां के साथ दादा ना थे 3या ।
गीता-नह&ं । वे बेचारे मर गये हF ।उनके मरते ह& बेचार& पर मसीबत
ु का पहाड "गर पडा है ।
अशोक-दौलत के %लये मां पर बेटा ज0
ु म कर रहा है ।वाह रे बेटा । मां के आसंू का सख
ु भोग रहा
है ।
गीता-हां जब तक पर&
ू दौलत पर कiजा नह&ं हआ
ु । बढ&
ू मां को क
ु ते Oब0ल& क भां:त 4खी सखी
ू
रोट& %मल जाती थी । चल अचल सQप:त पर पर& ू तरह कiजा होते ह& बेटा बहू ने एकदम से
दरवाजे बद कर %लये बेचार& लाचार मां सडक पर आ गयी ।
अशोक-बाप रे िजस घर को बनाने म2 और औलाद को पालने म2 जीवन के सारे सखो
ु क आह:त
ु दे द&
उसी घर से बेदखल कर द& गयी वह भी खदु के बेटे के हाथो ।
गीता-हां ऐसा ह& हआ
ु हF उस बढ&
ू मां के साथ ।
अशोक-वाह रे ममता के दLु मन ।आज मां बाप प$ु मोह म2 पागल हो रहे हF। बीटया को जम से
पहले मार दे रहे हF । वह& बेटे बढे
ू मां बाप को सडक पर ला फेक रहे हF ।
गीता-हां ऐसा ह& हआ
ु हF उस बढ&
ू मां के साथ । उसके प:त सरकार नौकर& म2 थे गाडी बंगला सब
कछ
ु था । अGछZ कमाई थी । बेचारे क अचानक मौत हो गयी । प:त क मौत के बाद लोभी बेटा
सब कछ
ु अपने नाम करवा का बढ&
ू मां के◌ा सडक पर पटक दया भीख मांगने को ।
अशोक- बाप रे अब बढे
ू मां बापो को अनाथ आ_मH म2 आ_य लेना पडेगा ।
गीता-3यH ।
अशोक-कहां जायेगे ।
गीता-बेटया है ना ।
अशोक-बेटयां ।
गीता-हां बेटया बेटो से @कसी मायने म2 कम नह&ं है । बढ&
ू मां क बेट& मां को दे खकर Oबलख
Oबलख कर रोने लगी थी जैसे भरत राम रोये थे कभी ।इसी धरती पर कभी _वण थे जो अपने बढे
ू
मां को बहं गी म2 Oबठाकर सारे तीथJत करवाये ।आज दे खो बेटे रोट& दे ने को तैयार नह&ं है । मां बाप
को बोझ समझ रहे हF जब@क सब कछ ु मां बापH का ह& बनाया हआु है ।
अशोक-िजतनी तर3क हो रह& हF उतनी ह& तेजी से ?वाथपरता के भाव म2 बिb
ृ द हो रह& है । अंधग:त
से आदमी का मान%सक पतन भी हो रह& है ।
गीता-सच बहतु बरा
ु समय आ गया हF । बढ& ू मां क दशा दे खकर पथर भी Bपघल जाये पर वो
नालायक बेटा नह&ं Bपघला । मां को घर से बेदखल ह& कर दया ।कहते हए
ु गीता %ससकने लगी
अशोक-आसंू पोछH । डर लगने लगा है । कv म2 पैर लटकाये बढे
ू मां बाप वb
ृ दा_मH का पता पछने
ू
लगे है । Bवशाल क मां ये समाज के %लये शभ
ु संकेत कतई नह&ं है ।
16
गीता-आज क औलादो को कैसा संuमण लग गया है @क मां बाप बोझ लगने लगे है
।वb
ृ दा_मो क शरण म2 जा रहे हF औलादो के होते हए
ु भी । वाह रे ?वाथ[ औलाद2 । भल
ू रहे हF मां
बाप के याग को ।
अशोक-मां बापH को भी अपने म2 बदलाव करना पडेगा और प$
ु मोह से उबरकर बेट& बेटा को बराबर
का हक दे ना होगा ।प$
ु मोह के अंधBवLवास को तोडना होगा ।
गीता-बंश का 3या होगा ।
अशोक-बेटया बेटो से कम नह&ं हF ।दोनो को बराबर का हक होना चाहये । बेट& बेटा दोनो को मां
बाप क परवSरश के %लये तैयार रहना होगा ।
गीता-बढे
ू मां बाप बेट& के घर जाकर रहे गे । इjजत का 3या होगा ।
अशोक-बेट& के साथ रहने म2 इjजत घटे गी नह&ं बढे गी। बेटया भी तो उसी मां बाप क सतान हF
।प$
ु बंश चला◌ा हF गजरे
ु जमाने क बात हो गयी । यह& अंधBवLवास तो बढे
ू मां बाप क ददु शा का
कारण है । जीवन क संझा म2 सख
ु क जगह मr
ु ठZ भर भर कर आग दख
ु परोस रहा है ।
गीता-आने वाला समय भयावह न हो । इससे पहले मां बापो को भी सतक हो जाना चाहये खासकर
यवा
ु दQप:तयH को ।बGचH को नै:तकता का बोध कराय2 । लोभी व:ृ त Bवरासत म2 ना दे । मां बापH
के क:त
ृ व का भाव बGचH पर अवLय ह& पडता हF । यवा
ु दQप:त अपने मां बाप के साथ जो बताव
करते हF। यकनन उसका असर नहे बGचो पर भी पडता हF । आगे चलकर यह& नहे बGचे बडे होते
हF । अपने मां बाप nवारा खद
ु के दादा दाद& के साथ @कये गये बताव एवं बदसल@कयH
ू को दोहराते
हF । यवा
ु दQप:तयH को बचपन से ह& बGचH को अGछZ परवSरश के साथ अGदे सं?कार भी दे ने होगे
िजससे आने वाले समय म2 उनके साथ कछ
ु बरा
ु ना हो सके । मां बाप धन दौलत के पीछे भाग रहे
हF बGचे झला
ू घरो म2 पल रहे हF अथवा नौकरH के हाथH । वे मां क ममता और बाप के Nयार से
बं"चत हो जाते हF।ऐसे बGचे मां बाप को 3या समझेगे ।मां बाप क धन के पीछे न भागकर बGचो
क अGछZ परवSरश पर bयान दे ना चाहये । आगे चलकर ये बGचे उ\ 4प धारण कर लेते हF
।नतीजन मां बाप को ददु शा झेलना पडता हF िजससे उनका सांbयकाल दखदायी
ु हो जाता है ।रोट& के
%लये तरसना पड जाता है ।
अशोक-ठZक कह रह& हो । बढे
ू मां बाप घर से बेघर ना हो । नवदQप:तयH को गहराई से Bवचार
करना होगा । धन क अंधी दौड से बचना होगा ।मां को अपने और बाप को अपने दा:यव पर
याय करना होगा । तभी बढे
ू मां को घर से बेघर होने से बचाया जा सकेगा ।
गीता-वb
ृ दा_म क संoया म2 बढती बिb
ृ द और बढे
ू मां बाप का सडक पर आना औलादH को च0
ु लू
भर पानी म2 डब
ू मरने वाल& बात होगी । मां बाप तो धरती के भगवान हF । मां बाप क सेवा से बडी
कोई भी दौलत सख
ु नह&ं दे सकती ।
4-फज
जोर जोर से गेट पीटने क आवाज सनकर
ु %मसेज आरती बाहर आयी । गेट पीटने वाल& से बोल&
भइया गेट तोड रहे हो या बला
ु रहे हो । आग बरसती गम[ म2 3या काम पड गया । कहां जाना हF
तमको
ु । 3यो इतना पी लेते हो । घर म2 बीबी बGचH का फांके का oयाल आता है । बाल बGचे घर
पSरवार सब भल
ू गये दा4 क मौज म2 । इतना भी पता नह&ं है @क कहां जाना है । अरे नह&ं
पचती तो 3यH पी लेते हो। 3यH गेट पीट रहे हो आगे बढो । अपने घर म2 भी चैन से नह&ं रह
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सकते ।कैसे कैसे लोग है जमाने म2 अपनी अययाशी
् के %लये खद
ु के घरपSरवार को तबाह&
म2 तो झHकते ह& हF दसरH
ू का चैन भी :छनते है ।जाओ भइया अपने घर जाओ । मझे
ु तQ
ु हार& कछ
ु
नह&ं सननी
ु है ।
तQ
ु हारे पडोस वाले सनील
ु फडु नीसा का Oबजल& का कने3शन करने आया हंू । मेर& बात तुमको
सनना
ु पडेगा । मF स3सेना हंू नशे म2 धत
ु आदमी बोला ।
%मसेज आरती-सनील
ु का पांच साल पराना
ु मकान है ।Oबजल& का कने3शन उनके यहां हF तो नया
कने3शन 3यH करवायेगे ।
स3सेना लडखडाती हई
ु जबान म2 बोला -करना है तो करना है बस ।
%मसेज आरती- सनील
ु फडु नीसा के घर जाओ ।
स3सेना लडखडाती आवाज म2 बोला तQ
ु हार& छत पर जाना है ।
%मसेज आरती-हमार& छत पर 3यH ।
स3सेना-बहत
ु सवाल करती हो । अरे कने3शन तQ
ु हार& छत पर जाकर ह& तो क4ंगा ।
%मसेज आरती-मेर& छत पर नह&ं जाना है कहकर jयोहं घर म2 आई @फर स3सेना गेट पीटने लगा
है ।
%मसेज आरती बेटे रं जन से बोल& बेटा दे ख अब कौन आया । तेरे पापा सो रहे है । टFकर क
इतजार म2 रात भर जागते रहे ।रात को दो बजे तो ट2 कर का पानी आया था । पैसा भी दन रात
टकटक लगाये रहो ये ट2 कर वाले भी पैसा लेने के बाद 4ला दे ◌ेते है ।पानी क सम?या ने चैन
:छन %लया है दसरे
ू ना जाने कहां कहां से Oबन बलाये
ु आ जाते है । लोग ना जाने 3यो त:नक
आराम करने लेटे तभी आ धमकते है । जा बेटा रं जन दे ख ले ना ।
रं जन-दे खता हंू मQमी कहकर बाहर गया । गेट पर बेसुध खडे आदमी से पछा
ू कौन हो अंकल पानी
पीना है 3या ।
नह&ं मझे
ु तQ
ु हार& छत पर जाना है । फडुनीसा का कने3शन करना हF । फडुनीसा ने भेजा है ।
रं जन-अंकल फडुनीसा के घर के सामने ह& तो Oबजल& का खQभा है वहां से 3यो नह&ं कर दे ते
कने3शन । हम तो आपको पहचानते भी नह&ं । कैसे आपको अपनी छत पर जाने दं ू । फडुनीसा
अंकल को आपके साथ आना था ।
स3सेना- मF चोर नह&ं Oबजल& Bवभाग से आया हंू ।
रं जन- Oबजल& Bवभाग से आये हो तो अंकल के घर के सामने वाले पोल से कने3सन 3यH नह&ं कर
दे ते । हम लोगो को आग बरसती दोपहर& म2 3यH परे शान कर रहे हो ।
स3सेना- तQ
ु हार& पडोसी फडुनीसा कहता है । मेरे घर के सामने वाले पोल म2 Oबजल& कम आती है
और यहां jयादा रहती है । इसी%लये @फर से कने3सन करवा रहा है । मझे
ु 3या करना हF मझे
ु तो
बस पैसा चाहये चाहे जहां से करवाये ।
रं जन-ठZक है जाओ पर jयादा टाइम नह&ं लगाना ।
स3सेना- टे म तो लगेगा कहते हए
ु छत पर गया केबल छjजे म2 अटकाया । छत से नीचे उतरा
और खQभे पर चढकर केबल खींचने लगा । केबल खीचने क वजह से पौधे क छोट& छोट& डाले
और पितयां टटने
ू लगी । कछ
ु ह& सेकेड म2 बादाम क मोट& डाल टटकर
ू धडाम से "गर& । पौधH
का नक
ु शान %मसेज आरती से बदाLत नह&ं हआ
ु । वे बोल& 3यो भाई आप कने3शन कर रहे हF या
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मेरे पौधे तोड रहे है । पीने को पानी नह&ं %मल रहा है ऐसे हालात म2 भी मF पौधH को सींच रह&
हंू । मेरे आंगन क हSरयाल& आप 3यो उजाड रहे हो भइया ।
स3सेना-दे ख बकबक ना कर ज4रत पडी तो ये पेड पौधे कट भी जायेगे ।
%मसेज-आरती 3या कहा तमने
ु तेज आवाज म2 बोल&।
स3सेना- हां ठZक सनी
ु हो । ये पेड पौधे काटे भी जा सकते है ।
%मसेज आरती- वो भाई याद रख जो पौधे तोड रहे हो वे पौधे खैरात क जमीन म2 नह&ं हमार&
अपनी जमीन म2 लगे है ।ये जमीन पसीने क कमाई से खर&द& गया है । ।इन पौधे का oयाल मF
अपने पSरवार सर&खे रखती हंू । तम
ु काटने क बात कर रहे रहे हो ।दे खती हंू कैसे काटते हो ।
इतना सनते
ु ह& स3सेना तमतमाते हए ु नीचे उतरा । अपशiद बकते हए ु "च0ला चोट करने लगा ।
शोरगल
ु सनकर
ु %म?टर लाल क नींद खल
ु गयी वे भी बाहर आ गये । उनको दे खकर %मसेज आरती
बोल& दे खो जी ये आदमी पौधे तोड रहा है,काटने क बात कर रहा है उपर से "च0लाचोट भी कर
रहा है ।
%म?टर लाल 3यो जनाब 3यH आतंक मचा रहे है । कौन है आप। 3यH तQ
ु हार& नजर मेरे पौधे क
हSरयाल& पर लग रह& है । हमारा नकशान
ु कर रहे हो । भर& दोपहर& म2 "च0लाचोट कर रहे हो कैसे
आदमी हो ।इंसान होकर इंसा:नयत का धम भल
ू रहे हF । अपने फज का कल कर रहे है । हमारे
बगीचे को जानवर क तरह चर रहे हो कैसे आदमी हो भाई ।
स3सेना- तQ
ु हारे पडोसी फडुनीसा का कने3सन कर रहा हंू तQ
ु हारा नकशान
ु नह&ं कर रहा हंू ।
%म?टर लाल- ये पौघे कैसे टटे
ू है । 3या यह नकशान
ु नह&ं है ।
स3सेना-तमको
ु आiजेकसन है ।
%म?टर लाल- तम
ु कने3शन करने के बहाने मेरा बगीचा उजाड रहे हो और उपर से पछ
ू रहे हो
आiजे3शन है ।
स3सेना-आiजे3सन है येलो @कससे बात करनी है कर लो मोबाइल दखाते हए
ु बोला ।
%म?टरलाल- होश म2 आओ । बताअ◌े◌ा @कसक पर%मशन से खQभे पर चढे हो । तQ ु हारे पास कोई
कागज है तो दखाओ ।
स3सेना- तमु कौन होते हो पछने
ू वाले। वह @फर मोबाइल दखाते हएु @फर बोला ये लो कर लो न
बात । दे खता हंू @कससे बात करते हो । दे खता हंू मझे
ु कौन रोकता है मझे
ु कने3शन करने से। मF
एक फोन क4ंगा तो सीधे अदर जाओगे ।
%म?टरलाल-नशे म2 हाथी भी चींट& दखायी पडती है ।फडुनीसा का कने3सन कर रहा है
अनएथोराइज ढं ग से और मझे
ु धमका रहा है । इतनी बडी दादागीर& । चोर कोतवाल को डांटे वाल&
कहावत तम
ु चSरताथ कर रहे हो स3सेना ।
स3सेना-तम
ु फडु नीसा को नह&ं जानते 3या ।
%म?टरलाल- अरे भाई ऐसे मदा
ु सर&खे लोगH को जानने से बेहतर ना ह& जानो । ये◌े मतलबी लोग
है जब ज4रत पडती हF तब पहचानते है । Oबना ज4रत के तो मातम वाले घर क तरफ नह&ं दे खते
। अब तम
ु अपनी बकबक बद करो । याद रखो मेरे पौधH को नकशान
ु नह&ं पहंु चाना ।
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स3सेना लालपीला हो रहा था %म?टरलाल उसे समझा◌ाने का यन कर रहे थे इसी बीच
सनील
ु फडु नीसा आ गया ।वह स3सेना को एक तरफ करते हुए बोला तू अपना काम कर दे खता हंू
कैसे रोकता है ।
%म?टरलाल- भई फडुनीसा शराफत भी कोई◌्र चीज होती है ।एक पडोसी का दसरे
ू के :त कछ
ु
दा:यव होता है । पडोसी होने के आदमी का फज और अ"धक बढ जाता है । आप इतने बडे आदमी
है @क एक दरोTडयH को भर& दोपहर& म2 मेरे घर भेज दये । 3या यह& अGछे पडोसी का फज बनता
है ।
फडुनीसा -अGछा तो तू मझे
ु शराफत सीखायेगा। फज पर चलना सीखायेगा । म3 ु का तानते हए
ु
बोला चल हट नह&ं तो अभी दो दं ग
ू ा तो सार& अकड :नकल जायेगी ।चला है एथोराइज अनएथोराइज
क बात करने ।
%म?टरलाल-अरे अपनी औकात म2 रह फडुनीसा । अपने बालबGचो को पाल ,पढा %लखा ग
ु डई
शराफत का गहना नह&ं है । बीयर बार म2 "गलास धोकर तो पSरवार चला रहा है । मालम
ू है जब
शर&फ आदमी बदमाशी पर आता है तो तQ
ु हारे जैसे ग
ु डे ने?तानाबत
ू हो जाते है ।
फडुनीसा -हां मF तो ग
ु डा हंू ने?तानाबत
ू करके दे ख लेना।
%मसेज आरती- पडोसी भगवान क तरह होते हF । यहां तो पडोस म2 शैतान बसते है । एक तरफ
Pय%भचार& तो दसर&
ू तरफ ग
ु डा कैसे शर&फ लोग रह पायेगे ।ग
ु डे @क?म के लोग अभी तक तो
झwु गी झोपडी का सहारा लेते थे । अब शर&फH क ब?ती म2 घसपै
ु ठ करने लगे है ।
फडुनीसा -तम
ु लोग @कतना भी "च0लाचोट कर लोग मेरा कने3शन तो तQ
ु हारे घर के सामने के
पोल से ह& हे ◌ागा ।
%म?टर लाल- फडुनीसा ग
ु डाजी अवैध कने3शन करवाओगे । मेरे पेड पौधH को काटोगे या मेरा
कने3शन काटोगे । मेरे दरवाजे पर मझे
ु मारने आ रहे हो । नतीजा मालम
ू है 3या होगा। इतना बडा
ग
ु डा पडोस म2 बसता है थोडी खबर तो थी पर आज पर&
ू जानकार& भी %मल गयी ।
फडुनीसा -अब तो पता चल गया । मेरे रा?ते म2 जो आयेगा सबको दे ख लंग
ू ा । इतनी म2
फडुनीसा क घरवाल& हाथ म2 सSरया लेकर गाल& दे ते हए
ु %म?टर लाल के दरवाजे तक चढ आयी ।
फडुनीसा और उसक घरवाल& क करतते ू दे खकर सामने वाले लाला के पSरवार के लोग ताल&
बजाबजाकर खश
ु हो रहे थे। यह उसी लालाजी का पSरवार था िजनक मौत से लेकर दसरे
ू @uयाकमh
तक फडनीस कभी नह&ं दखा था और ना ह& आसपास के और लोग । %म?टर लाल ना रात दे खे ना
दन सब कामH म2 खडे रहे और उनक धमपनी तो उनसे आगे थी चाय नाLता खाना पानी तक का
इतजाम क थी । आज वह& लाला का पSरवार %म?टर लाल के साथ पडोस वाले ग
ु डे फडुनीसा
क करतत
ू पर खश
ु हो रहा था । उसक ताकत बन रहा था ।
%म?टर लाल फडुनीसा के दPु यहार से दखी
ु तो थे ह& लाला के पSरवार के आग म2 घी डालने क
करतत
ू से cखन भी । फडुनीसा और उसक घरवाल& अनाप शनाप बके जा रहे थे । %म?टर लाल
के बGचे उहे घर म2 ले गये । काफ दे र तक ग
ु डे क ललकार हवा म2 गंज
ू ती रह& । शोरगल
ु
सनकर
ु पीछे वाल& गल& से %मसेज मनवती और कई सRय लोग %म?टर लाल के घर आ गये ।
%मसेज मनवती - %मसेज आरती से बोल& 3या भाभी आप लोग पागल क◌ु
ु तो को पचकारते
ु हो । हर
आदमी के दख
ु सख
ु म2 कद
ू पडते हो ।दे खो आजकल के लोग नेक के बदले 3या दे ते हF । फडुनीसा
20
के भी तो आप लोग बहत ु काम आये हो । जब इसका बन रहा था तब भी मदद करते थे ।
उसके गहवे
ृ श के दन तो रात भर पानी भरवाते रहे अपनी बोSरंग चला कर । इस दगाबाज दोगले
फडुनीसा के घर म2 जब चोर& हई
ु थी तो कोई आगे पीछे नह&ं था आपके घर को छोडकर । ये लाला
का पSरवार तो दरवाजा ह& नह&ं खोला था । पडोस वाला Pय%भचार& जो आज कदकद
ू ू कर कने3शन
करवाया हF । यह भी तो नह&ं दखा था । िजनके संग दाल बांट& क पाटx जमाता था वे लोग तो
इस अमानष
ु के मंह
ु पर मसीबत
ु म2 भी मतने
ू नह&ं आये । थाने से लेकर घर तक का काम आप
लोगो ने ह& दे खा था । इसके बाद भी फडुनीसा क घरवाल& ने पडो%सयH पर ह& इ0जाम लगाया
थी । भला हो प%लस
ु वालH का उसके मंह
ु पर थक
ू दये यह कह कर @क अब तमको
ु कैसे पडोसी
चाहये । पडोसी म2 नह&ं तमम2
ु दोष है । शर&फ सर&खे पडाि◌◌ेसयH पर इ0जाम लगा रहे हो । तब
फडुनीसा और उसक घरवाल& का मंुह दे खने लायक हो गया था ।
%मसेज आरती-भाभीजी इंसान के काम तो इंसान ह& आत हF ना । हम लोगो से @कसी का दख
ु दद
बदाLत नह&ं होता । कहते है ना दद का Sरशता सभी Sरशत2 से बडt हो◌ाता है । जहां तक सQभव
होता हF हम @कसी क मदद करने से नह&ं चकते
ू ।आदमी हमार& नेक को भले भला
ू दे पर भगवान
तो नह&ं भलाये
ू गा ।
%मसेज मनवती- भाभी ऐसी भी नेक @कस काम क । िजसके साथ नेक करो वह खन
ू का Nयासा
बन जाये । ऐसे लोग तडपते रहे तो भी ऐसी हालत म2 उनके मंह
ु पर पेशाब नह&ं करना चाहये ।
बेशरमH म2 जरा भी मयादा शेष नह&ं बची है । अगर ऐसे ह& होता रहा तो कोई @कसी के दख
ु सख
ु
म2 काम कैसे आयेगा ।ऐसे ह& पडो%सयH क वजह से शहर बदनाम हो रहा है ।पडोस म2 कोई मर
जाता है पडोस को खबर न लगने का कारण ऐसे पडोसी है । फडुनीसा जैसे मतलबी पडोसी, पडोसी
के फज पर कहां खरे उतर सकते है ।
%म?टर लाल-भाभीजी हम लो◌ागो से @कसी का बरा
ु नह&ं दे खा जाता । कैसे मंह
ु मोड ले अपने फज
से ।
%मसेज मनवती -आपक क गई भलाई का 3या %सला दया फडुनीसा और ये लाला का पSरवार ।
उस पडोसी Bवमल भडार वाले को दे खो @कतना बढया आपक ओर से सQबध था पर सडी सी vेड
को लेकर उसने पडोसी के पाक SरLते को नापाक कर दया । vेड तो रख ह& %लया पैसा भी नह&ं
दया । बरा
ु भला कहा उपर से और भी ऐसे बहत ु लोग है । नालायक ग ु डे खद
ु को खदा
ु समझने
लगे है । ठZक हम ला◌ोगो लोगो के पास दो नQबर क कमाई नह&ं है तो 3या पास मायादा तो है
।मान सQमान हF शर&फ लोगो के बीच बैठक है । भाई साहब ऐसे लोगो के %लये खडा होने से बेहतर
तो ये है @क अपने कानो म2 4ई डाल लो । मरने दो सालH को । जब तक ये लोग हवा से जमीन
पर नह&ं "गरे गे तब तक ऐसे ह& शर&फH क शराफत का मजाक उडाते रहे गे । आप तो अपने पSरवार
के साथ छr
ु ट& मना रहे थे रं ग म2 भंग डाल दया फडुनीसा ग
ु डे ने । अमानष
ु मारने क धaस दे
गया ।
%मसेज आरती-भाभीजी फडुनीसा ने अपनी जबान खराब क है ।शर&फ लोग शराफत छोड दे गे तो
द:नया
ु का 3या होगा । आदमी से आदमी का नह&ं भगवान से BवLवास उठने लगेगा । जैसी करनी
वैसी भरनी । आज तो हम चप
ु रह गये कल कोई बडा वाला %मल जायेगा । हTsडया चटका दे गा ।
भगवान के उपर छोड दो ।बरेु काम का नतीजा कहां अGछा आता है भाभीजी ल&िजये पानी पीिजये ।
21
सभी आगतक
ु अपनी अपनी तरह से समझा रहे थे । ढाढस दे रहे थे । उधर फडुनीसा छाती
फलाकर
ु अवैध तर&के से कने3शन करवा रहा था । फडुनीसा क घरवाल& और लाला के घर क
औरते %म?टर लाल के घर क तरफ ताक ताककर ठसर
ु ु भसर
ु ु कर रह& थी । कछ
ु दे र म2 %म?टर
लाल के घर आये कालोनी के पीछे वाल& गल& के लोग अपने अपने घर चले गये । अवैध तर&के से
कने3शन हो गया । दोपहर ढल चक
ु थी । नवतपा का आठवा दन था आग बरसा रहा था । इसी
बीच आकाश म2 अंवारा बादल उमडने लगे◌े थे । दे खते दे खते ह& आंधी ने जोर पकड %लया ।आंधी
के जोर ने स3सेना के नशे को कम कर दया । उसके मन म2 Bवरािजत इंसा:नयत जाग उठZ । वह
एक बार @फर %म?टर लाल के मेनगेट पर द?तक दया । उसे दे खकर %म?टर लाल बोले अब 3या
लेने आये हो भाई ।
स3सेना-साहब माफ मांगने आया हंू ।
%म?टरलाल- मF कौन होता हंू माफ दे ने वाला ।जाओ भगवान से माफ मांगो◌े◌े । सGचे और शर&फ
इंसान को दख
ु दे कर कोई भी सखी
ु नह&ं रह सकता चाहे तम
ु रहो या तQ
ु हारा फडुनीसा ।
%मसेज आरती- भइया स3सेना आप तो कने3शन करने आये थे परतु आपने हमार& ह& नह&ं अपनी
भी मयादा का खन
ू @कया है । आद%मयत का खन
ू @कया है । अपने फज को रaदा है ।आप कने3शन
करने नह&ं फडुनीसा क तरफ से मारपीट करने आये थे ।
स3सेना-मैडमजी श%मदा हंू नशे म2 था ।जानता हंू पडोसी सगे से भी बडा होता है परतु फडुनीसा
तो पडोस म2 रहने फडुनीसा शराफत का चोला ओढे बदमाश है । मेरा नशा अब उतर गया है ।
फडुनीसा ने दा4 Bपलाया था । मझे
ु बडी गलती हो गयी अनजाने म2 ^मा करना । भगवान
फडुनीसा क तरह के◌े पडो◌ेसी मेरे दLु मन को भी न दे ।
%म?टर लाल-स3सेना कोई :नभाये चाहे न :नभाये मF तो अपना फज :नभाउ◌ू◌ंगा ।
%मसेज आरती- हां स3सेना भइया ये ठZक कह रहे है ।शर&फ इंसान शराफत को कैसे छोड दे गा
स3सेना-मैडमजी आप जैसे पडोसी तो @कसी दे वता से कम नह&ं पर ये ग
ु डे Pय%भचार& 3या जाने
पडोसी के धम को ये तो चील "गbद कौवा◌े◌ं क तरह अपना मतलब साधकर बस हं सते जoम दे ना
जानते है ।
%म?टरलाल-स3सेना तम
ु जाओ । मझे
ु अपना फज याद रहे गा ।
स3सेना-भाई साहब पडोस वाले फडुनीसा और ऐसे लोगो से सावधान रहना ऐसे लोग पडां◌ेस म2
रहकर पडां◌ेसी के जीवन म2 मr
ु ठZ भर भर आग बोते है मF नह&ं भलं
ू गू ा अGछे पड़ोसी का फज
कसम से
5-दहे ज क' आग
प?
ु तक काशनाथ काशक आमित$ है ।
प7रचय
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न+दलाल भारती
कBव,कहानीकार,उपयासकार
%श^ा - एम ए । समाजशा?$ । एल एल बी । आनस ।
पो?ट \ेजएट
ु TडNलोमा इन यमन
ू Sरसhस डेवलपमेट (PGDHRD)
जम ?थान- \ाम-चौक ।खैरा।पो नर%संहपरु िजला-आजमगढ ।उ ।
जम:त"थ- 01 01 1963
का%शत उपयास-अमानत,:नमाड क माट& मालवा क छाव।:त:न"ध काPय सं\ह।
प?
ु तक2 :त:न"ध लघकथा
ु सं\ह- काल& मांट& एवं अय ।
ई प?
ु तक2 उपयास-दमन,चांद& क हं सल&
ु एवं अ%भशाप । Bवमश।आलेख सं\ह।
मr
ु ठZ भर आग ।कहानी सं\ह। लघकथा
ु सं\ह-उखड़े पांव /
कतरा-कतरा आंस/ू एहसासस
क<वताव6ल / का=यबोध//का=यांज6ल /मीना>ी।का=यसंह। एवं अ+य
सQमान BवLव भारती tा सQमान,भोपल,म , BवLव हद& साहय अलंकरण,
इलाहाबाद।उ ।लेखक %म$ ।मानद उपा"ध।दे हरादन।उ
ू तराखड।
भारती पeु प। मानद उपा"ध।इलाहाबाद, भाषा रन, पानीपत ।
डां अQबेडकर फेलो%शप सQमान,द0ल&,
काPय साधना,भसावल
ु , महाराey, jयो:तबा फले
ु %श^ाBवm,इंदौर ।म ।
डां बाबा साहे ब अQबेडकर Bवशेष समाज सेवा,इंदौर Bवmयावाच?प:त,पSरयावां।उ ।
कलम कलाधर मानद उपा"ध ,उदयपरु ।राज । साहयकला रन ।मानद उपा"ध। कशीनगर
ु ।उ
साहय :तभा,इंदौर।म । सफ
ू सत महाकBव जायसी,रायबरे ल& ।उ ।
एवं अय
आकाशवाणी से काPयपाठ का सारण ।कहानी, लघु कहानी,कBवता
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