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Current Content 05-July-2016
इस नी त के तहत अमे रका द ु नया म अपने आधे से अ धक नौसै नक संसाधन इस े म थानातं रत कर रहा
है , ता क चीन क समु चन
ु ौ तय से नपटा जा सके। वह भारत को नीवनतम सै य संयं और उपकरण इसी लए दे रहा
है क चीन के व ध ए शया म एक ताकत के प म भारत उभर सके। इससे भारत नाटो जैसे कसी साम रक
गठबंधन म बंध गया है, ऐसा तो नह ं कहा जा सकता, ले कन अमे रक शास नक े म भारत को नॉन-नाटो पाटनर
का दजा दे ने क बात से इतना तो साफ हो गया है क अमे रका भारत को अपने खेमे म शा मल करने को आतरु है ।
िजस तरह यिू लयर स लायस गु ्रप (एनएसजी) क सद यता के लए चीन ने भारत का वरोध कया है, वह भारत और
अमे रका, दोन को नागवार गज
ु रा है । इस लए दोन दे श अब चीन वारा पैदा साम रक और रणनी तक चुनौ तय से
नपटने के लए साझी रणनी त पर काम कर रहे ह।
द ण चीन सागर म चीन के इराद से य द अभी ह नह ं नपटा गया, तो आने वाले वष म व व और भारतीय
अथ यव था को चीन क कृपा पर नभर रहना पड़ेगा। यह समु े काफ य त यापा रक माग है, जहां से ए शया-
शांत दे श के बीच भार यापा रक आदान- दान होता है । भारत का आधे से अ धक समु यापार इस माग से होता है ,
िजसक चैकसी के लए यह ज र है क यह रा ता हमेश खुला रहे और इस पर कसी का आ धप य न रहे, ता क इससे
होकर भारत आने-जाने वाले यापा रक जहाज को बेरोक-टोक आवाजाह का मौका मले।