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23-12-18 ात:मुरली ओम् शा ''अ - रवाइज: 12-03-84

बापदादा'' मधुबन

हािनयत क सहज िव ध - स ु ता

आज बापदादा चारों ओर के दूर होते समीप रहने वाले सभी ब ों क स ु ता वा हािनयत और स ता क मु राहट दे ख
रहे थे। स ु ता, हािनयत क सहज िव ध है, स ता सहज सि है। जसके पास स ु ता है वह सदा स प
अव िदखाई दे गा। स ु ता सव ाि प है। स ु ता सदा हर िवशेषता को धारण करने म सहज साधन है। स ु ता
का खजाना सव खजानों को त: ही अपनी तरफ आकिषत करता है। स ु ता ान क सबजे का माण है।
स ु ता बेिफकर बादशाह बनाती है। स ु ता सदा मान क सीट पर सेट रहने का साधन है। स ु ता महादानी, िव
क ाणी, वरदानी सदा और सहज बनाती है। स ु ता हद के मेरे तेरे के च से मु कराए दशन च धारी बनाती है।
स ु ता सदा िनिवक , एकरस के िवजयी आसन क अ धकारी बनाती है। सदा बापदादा के िदलत तनशीन, सहज ृित के
ितलकधारी, िव प रवतन के सेवा के ताजधारी, इसी अ धकार के स पम त करती है। स ु ता ा ण जीवन
का जीयदान है। ा ण जीवन क उ ित का सहज साधन है। से स ु , प रवार से स ु और प रवार उनसे स ु ।
िकसी भी प र ित म रहते ए, वायुम ल, वाय ेशन क हलचल म भी स ु । ऐसे स ु ता प, े आ ा िवजयी
र के सट िफके ट के अ धकारी है। तीन सट िफके ट लेने पड़:-

(1) क से स ु ता (2) बाप ारा सदा स ु ता (3) ा ण प रवार ारा स ु ता।

इससे अपने वतमान और भिव को े बना सकते हो। अभी भी सट िफके ट लेने का समय है। ले सकते ह लेिकन ादा
समय नहीं है। अभी लेट ह लेिकन टू लेट नहीं ह। अभी भी स ु ता क िवशेषता से आगे बढ़ सकते हो। अभी ला सो
फा सो फ क मा जन है। िफर ला सो ला हो जायगे। तो आज बापदादा इसी सट िफके ट को चेक कर रहे थे। यं
भी यं को चेक कर सकते हो। स चत ह या चत ह? डबल िवदे शी स चत वा स ु ह? ख ए तो स हो
ही गये। स ु ता का समय ही सं गमयुग है। स ु ता का ान अभी है। वहाँ इस स ु , अस ु के ान से परे होंगे। अभी
सं गमयुग का ही यह खजाना है। सभी स ु आ ाय सव को स ु ता का खजाना दे ने वाली हो। दाता के ब े मा र दाता
हो। इतना जमा िकया है ना! ाक फुल कर िदया है या थोड़ा कम रह गया है? अगर ाक कम है तो िव क ाणकारी नहीं
बन सकते। सफ क ाणी बन जायगे। बनना तो बाप समान है ना। अ ा!

सभी दे श िवदे श के सव खजानों से स मा र सवशि वान होकर जा रहे हो ना! आना है तो जाना भी है। बाप भी आते ह
तो जाते भी ह ना। ब े भी आते ह और स बनकर जाते ह। बाप समान बनाने के लए जाते ह। अपने ा ण प रवार क
वृि करने के लए जाते ह। ासी आ ाओं क ास बुझाने जाते ह, इसी लए जा रहे हो ना! अपनी िदल से वा ब न से
नहीं जा रहे हो। लेिकन बाप के डायरे न से सेवा ित थोड़े समय के लए जा रहे हो! ऐसे समझ जा रहे हो ना? ऐसे नहीं िक
हम तो ह ही अमे रका के , आ े लया के .... नहीं। थोड़े समय के लए बापदादा ने सेवा के ित िनिम बनाकर भेजा है।
बापदादा भेज रहे ह, अपने मन से नहीं जाते। मेरा घर है, मेरा दे श है। नहीं! बाप सेवा ान पर भेज रहे ह। सभी सदा ारे
और बाप के ारे! कोई ब न नहीं। सेवा का भी ब न नहीं। बाप ने भेजा है बाप जाने। िनिम बने ह, जब तक और जहाँ
िनिम बनावे तब तक के लए िनिम ह। ऐसे डबल लाइट हो ना! पा व भी ारे और ारे ह ना। ब न वाले तो कोई नहीं
ह। ारा बनना ही ारा बनना है। अ ा-

सदा स ु ता क हािनयत म रहने वाले, स चत रहने वाले सदा हर सं क , बोल, कम ारा सव को स ु ता का बल दे ने


वाले, िदल शक आ ाओं को खजानों से शि शाली बनाने वाले, सदा िव क ाणकारी बेहद के बेिफकर बादशाहों को
बापदादा का याद ार और नम ।े

अ बापदादा से दादी जी तथा दादी जानक जी क मुलाकात

होलीहंसों क प-बस क जोड़ी अ है। यह (जानक दादी) शा से प बन सेवा ादा पस करती है और इनको
(दादी जी को) तो बोलना ही पड़ता है। यह जब भी चाहे एका म चली जाती है। इसे प क सेवा पस है, वैसे तो
आलराउ ह सभी लेिकन िफर भी प-बस क जोड़ी है। वैसे दोनों ही सं ारों क आव कता है - जहाँ वाणी काम नहीं
करेगी तो प काम करेगा और जहाँ प काम नहीं कर सकता वहाँ बस काम करेगा। तो जोड़ी अ है। जो जोड़ी बनती
है, वह सब अ है। वह भी जोड़ी अ थी - यह भी अ है। (दीदी के लए) डामा म वह गु नदी हो गई। उनसे
है, वह सब अ है। वह भी जोड़ी अ थी - यह भी अ है। (दीदी के लए) डामा म वह गु नदी हो गई। उनसे
डबल िवदे शयों का भी ब त ार है। कोई बात नहीं। दीदी का दूसरा प दे ख लया। सब दे खकर िकतने खुश होते ह। सभी
महारथी साथ ह। बृजइ ा, िनमलशा ा सब दूर होते भी साथी ह! शि यों का अ ा सहयोग है। सभी एक दो को आगे
रखने के कारण आगे बढ़ रहे ह। और िनिम शि यों को आगे रखने के कारण सब आगे ह। सेवा के बढ़ने का कारण ही यह
है, एक दो को आगे बढ़ाना। आपस म ार है, युिनटी है। सदा दूसरे क िवशेषता वणन करना - यही सेवा म वृि करना है।
इसी िव ध से सदा वृि ई है और होती रहेगी। सदै व िवशेषता दे खना और िवशेषता दे खने का औरों को सखाना, यही सं गठन
क माला क डोर है। मोती भी तो धागे म िपरोते ह ना। सं गठन का धागा है ही यह। िवशेषता के सवाए और कोई वणन नहीं
ोंिक मधुबन महान भूिम है। महा भा भी है तो महा पाप भी है, मधुबन से जा करके अगर ऐसा कोई थ बोलता है तो
उसका ब त पाप बन जाता है इस लए सदै व िवशेषता दे खने का च ा पड़ा आ हो। थ दे ख नहीं सकते। जैसे लाल च े
से सवाए लाल के और कु छ दे खते ह ा! तो सदै व यही च ा पड़ा आ हो - िवशेषता दे खने का। कभी कोई बात दे खो भी
तो उसका वणन कभी नहीं करो। वणन िकया, भा गया। कु छ भी कमी आिद है तो उसका ज ेवार बाप है, िनिम िकसने
बनाया! बाप ने। तो िनिम बने ए क कमी वणन करना माना बाप क कमी वणन करना, इस लए इ ों के लए कभी भी
िबना शुभ भावना के और कोई वणन नहीं कर सकते।

बापदादा तो आप र ों को अपने से भी े दे खते ह। बाप का ं ृगार यह ह ना। तो बाप को ं ृगारने वाले ब े तो े ए


ना। बापदादा तो ब ों क मिहमा कर खुश होते रहते ह। वाह मेरा फलाना र , वाह मेरा फलाना र । यही मिहमा करते रहते
ह। बाप कभी िकसक कमजोरी को नहीं दे खते। ईशारा भी दे ते तो भी िवशेषता पूवक रगाड के साथ इशारा दे ते ह। नहीं तो
बाप को अथॉ रटी है ना, लेिकन सदै व रगाड दे कर िफर ईशारा दे ते ह। यही बाप क िवशेषता सदा ब ों म भी इमज रहे।
फालो फादर करना है ना।

बापदादा के आगे सभी मु बहन (दािदयां) बैठी ह:-

जीवनमु जनक आपका गायन है ना। जीवनमु और िवदे ही दो टाइिटल ह। (दादी के लए) यह तो है ही म ण। स ु
मणी, म क मणी, सफलता क मणी, िकतनी म णयां ह। सब म णयां ही म णयां ह। म णयों को िकतना भी छपाके रखो
लेिकन मणी क चमक कभी छप नहीं सकती। धूल म भी चमके गी, लाइट का काम करेगी, इस लए नाम भी वही है, काम
भी वही है। इनका (दादी जानक का) भी गुण वही है, दे ह मु , जीवन मु । सदा जीवन क खुशी के अनुभव क गहराई म
रहती ह। इसको ही कहते ह जीवन मु । अ ा।

अ महावा - िनमान बन िव नव-िनमाण करो

सेवा म सहज और सदा सफलता ा करने का मूल आधार है - िनमान चत बनना। िनमान बनना ही मान है और सव ारा
मान ा करने का सहज साधन है। िनमान बनना झुकना नहीं है लेिकन सव को अपनी िवशेषता और ार म झुकाना है।
महानता क िनशानी है िनमानता। जतना िनमान उतना सबके िदल म महान् त: ही बनगे। िनमानता िनरहंकारी सहज
बनाती है। िनमानता का बीज महानता का फल त: ही ा कराता है। िनमानता सबके िदल क दुआय ा करने का सहज
साधन है। िनरहंकारी बनने क िवशेष िनशानी है-िनमानता। वृि , ि , वाणी, स -स क सबम िनमानता का गुण धारण
करो तो महान बन जायगे। जैसे वृ का झुकना सेवा करता है, ऐसे िनमान बनना अथात् झुकना ही सेवाधारी बनना है,
इस लए एक तरफ महानता हो तो दूसरे तरफ िनमानता हो। जो िनमान रहता है वह सव ारा मान पाता है। यं िनमान बनगे
तो दूसरे मान दगे। जो अ भमान म रहता है उसको कोई मान नहीं दे ते, उससे दूर भागगे। जो िनमान होते ह वह सबको सुख
दे ते ह। जहाँ भी जायगे, जो भी करगे वह सुखदायी होगा। उनके स -स क म जो भी आयेगा वह सुख क अनुभूित
करेगा।

सेवाधारी क िवशेषता है - एक तरफ अित िनमान, व ड सव ; दूसरे तरफ ान क अथॉ रटी। जतना ही िनमान उतना ही
बेपरवाह बादशाह। िनमान और अथॉ रटी दोनों का बैलस। िनमान-भाव, िनिम -भाव, बेहद का भाव - यही सेवा क सफलता
का िवशेष आधार है। जतना ही मान उतना ही िफर िनमान। मान का अ भमान नहीं। ऐसे नहीं - हम तो ऊंच बन गये,
दूसरे छोटे ह या उनके ित घृणा भाव हो, यह नहीं होना चािहए। कै सी भी आ ाय हों लेिकन रहम क ि से दे ख, अ भमान
क ि से नहीं। न अ भमान, न अपमान। अभी ा ण-जीवन क यह चाल नहीं है। यिद अ भमान नहीं होगा तो अपमान,
अपमान नहीं लगेगा। वह सदा िनमान और िनमाण के काय म िबज़ी रहेगा। जो िनमान होता है वही नव-िनमाण कर सकता
है। शुभ-भावना वा शुभ-कामना का बीज ही है िनिम -भाव और िनमान-भाव। हद का मान नहीं, लेिकन िनमान। अस ता
क िनशानी है जद और स ता क िनशानी है िनमान। िनमान होकर स तापूवक वहार करना ही स ता वा स ता है।
सफलता का सतारा तब बनगे जब क सफलता का अ भमान न हो, वणन भी न करे। अपने गीत नहीं गाये, लेिकन
जतनी सफलता उतना न चत, िनमाण, िनमल भाव। दूसरे उसके गीत गाय लेिकन वह यं सदा बाप के गुण गाये। ऐसी
िनमाणता, िनमाण का काय सहज करती है। जब तक िनमान नहीं बने तब तक िनमाण नहीं कर सकते। न चत, िनमान वा
हाँ जी का पाठ पढ़ने वाली आ ा के ित कभी िमसअ र ै ंग से दूसरों को हार का प िदखाई दे ता है लेिकन वा िवक
उसक िवजय है। सफ उस समय दूसरों के कहने वा वायुम ल म यं िन यबुि से बदल श का प न बने। पता नहीं
हार है या जीत है। यह श न रख अपने िन य म प ा रहे। तो जसको आज दूसरे लोग हार कहते ह, कल वाह-वाह के
पु चढ़ायगे। सं ारों म िनमान और िनमाण दोनों िवशेषताय मा लक-पन क िनशानी ह। साथ-साथ सव आ ाओं के स क
म आना, ेही बनना, सव के िदलों के ेह क आशीवाद अथात् शुभ भावना सबके अ र से उस आ ा के ित िनकले। चाहे
जाने, चाहे न जाने दूर का स वा स क हो लेिकन जो भी दे खे वह ेह के कारण ऐसे ही अनुभव करे िक यह हमारा है।
जतना ही गुणों क धारणा से स , गुणों पी फल प बनो उतना ही िनमान बनो। िनमान ित ारा हर गुण को
करो तब कहगे धम स ा वाली महान आ ा। सेवाधारी अथात् िनमाण करने वाले और िनमान रहने वाले। िनमाणता ही
सेवा क सफलता का साधन है। िनमाण बनने से सदा सेवा म ह े रहगे। िनमान नहीं, मान क इ ा है तो बोझ हो जायेगा।
बोझ वाला सदा के गा। ती नहीं जा सकता, इस लए अगर कोई भी बोझ अनुभव होता है तो समझो िनमान नहीं ह। जहाँ
िनमाणता है वहां रोब नहीं होगा, हािनयत होगी। जैसे बाप िकतना न चत बनकर आते ह, ऐसे फालो फादर। अगर जरा भी
सेवा म रोब आता है तो वह सेवा समा हो जाती है। ा बाप ने अपने को िकतना नीचे िकया - इतना िनमान होकर
सेवाधारी बन जो ब ों के पांव दबाने के लए भी तैयार। ब े मेरे से आगे ह, ब े मेरे से भी अ ा भाषण कर सकते ह।
'पहले म' कभी नहीं कहा। आगे ब े, पहले ब े, बड़े ब े - कहा तो यं को नीचे करना नीचे होना नहीं है, ऊंचा जाना
है। तो इसको कहा जाता है स े न रवन यो सेवाधारी। दूसरे को मान दे करके यं िनमान बनना यही परोपकार है। यह
दे ना ही सदा के लए लेना है। अ काल के िवनाशी मान का ाग कर मान म त हो, िनमान बन, स ान दे ते चलो।
यह दे ना ही लेना बन जाता है। स ान दे ना अथात् उस आ ा को उमं ग-उ ास म लाकर आगे करना है। यह सदाकाल का
उमं ग-उ ाह अथात् खुशी का वा यं के सहयोग का खजाना, आ ा को सदा के लए पु ा ा बना दे ता है।

वरदान:- थ सं क ों को समथ म प रवितत कर सहजयोगी बनने वाली समथ आ ा भव


कई ब े सोचते ह िक मेरा पाट तो इतना िदखाई नहीं दे ता, योग तो लगता नहीं, अशरीरी होते नहीं -यह ह
थ सं क । इन सं क ों को प रवितत कर समथ सं क करो िक याद तो मेरा धम है। म ही क -
क का सहजयोगी ँ। म योगी नहीं बनूं गा तो कौन बनेगा। कभी ऐसे नहीं सोचो िक ा क ं मेरा शरीर
तो चल नहीं सकता, यह पुराना शरीर तो बेकार है। नहीं। वाह-वाह के सं क करो, कमाल गाओ इस
अ म शरीर क , तो समथ आ जायेगी।
ोगन:- शुभ भावनाओं क शि दूसरों क थ भावनाओं को भी प रवतन कर सकती है।

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