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अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी (अंग्रेजी: Atal Bihari Vajpeyee), (जन्म: २५ बिसंिर, १९२४) भारत
के पूवव प्रधानमंत्री हैं। वे पहले १६ मई से १ जू न १९९६ तथा बिर १९ मार्व १९९८ से २२
मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे ।[1] वे बहन्दी कबव, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं ।
वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुष ं में से एक हैं और १९६८ से १९७३ तक
उसके अध्यक्ष भी रहे । वे जीवन भर भारतीय राजनीबत में सबिय रहे । उन् न ं े लम्बे समय
तक राष्ट्रधमव, पाञ्चजन्य और वीर अजुव न आबि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्र त अनेक पत्र-
पबत्रकाओं का सम्पािन भी बकया। उन् न ं े अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रर्ारक के
रूप में आजीवन अबववाबहत रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ बकया था और िे श के सवोच्च
पि पर पहुँर्ने तक उस संकल्प क पूरी बनष्ठा से बनभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतां बत्रक
गठिंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे बजन् न ं े गै र काुँग्रेसी प्रधानमन्त्री पि के 5
साल बिना बकसी समस्या के पूरे बकए। उन् न ं े 24 िल ं के गठिं धन से सरकार िनाई थी
बजसमें 81 मन्त्री थे। कभी बकसी िल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता
का पता र्लता है । सम्प्रबत वे राजनीबत से संन्यास ले र्ुके हैं और नई बिल्ली में ६-ए
कृष्णामेनन मागव स्स्थत सरकारी आवास में रहते हैं ।[2]

आरस्म्भक जीवन[सं पाबित करें ]

उत्तर प्रिे श में आगरा जनपि के प्रार्ीन स्थान िटे श्वर के मूल बनवासी पस्ित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य
प्रिे श की ग्वाबलयर ररयासत में अध्यापक थे। वहीं बशन्दे की छावनी में २५ बिसम्बर १९२४[3] क ब्रह्ममुहूतव में उनकी सहधबमवणी
कृष्णा वाजपेयी की क ख से अटल जी का जन्म हआ था। बपता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वाबलयर में अध्यापन कायव त करते
ही थे इसके अबतररक्त वे बहन्दी व ब्रज भाषा के बसद्धहस्त कबव[4] भी थे। पुत्र में काव्य के गु ण वंशानुगत पररपाटी से प्राप्त
हए। महात्मा रामर्न्द्र वीर द्वारा रबर्त अमर कृबत "बवजय पताका" पढकर अटल जी के जीवन की बिशा ही ििल गयी।
अटल जी की िी०ए० की बशक्षा ग्वाबलयर के बवक्ट ररया काले ज (वतव मान में लक्ष्मीिाई कालेज) में हई। छात्र जीवन से
वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघके स्वयं सेवक िने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाि-बववाि प्रबतय बगताओं में भाग लेते रहे । कानपुर
के डी०ए०वी० कालेज से राजनीबत शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी[5] में उत्तीणव की। उसके िाि उन् न ं े अपने
बपताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०िी० की पढाई भी प्रारम्भ की ले बकन उसे िीर् में ही बवराम िे कर पूरी बनष्ठा
से संघ के कायव में जु ट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाि मुखजी और पस्ित िीनियाल उपाध्याय के बनिे शन में राजनीबत का पाठ त
पढा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधमव, िै बनक स्विे श और वीर अजुव न जै से पत्र-पबत्रकाओं के सम्पािन का कायव [6] भी कुशलता
पूववक करते रहे । सववत मुखी बवकास के बलये बकये गये य गिान तथा असाधारण कायों के बलये 2014 बिसंिर में उन्ें भारत
रत्न से सम्माबनत बकया गया।

राजनीबतक जीवन[सं पाबित करें ]

वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाल ं में से एक हैं और सन् १९६८ से १९७३ तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह र्ुके
हैं । सन् १९५५ में उन् नं े पहली िार ल कसभा र्ु नाव लडा, परन्तु सिलता नहीं बमली। ले बकन उन् न ं े बहम्मत नहीं हारी और
सन् १९५७ में िलरामपुर (बजला ग िा, उत्तर प्रिे श) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में बवजयी ह कर ल कसभा में पहुँर्े।
सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पाटी की स्थापना तक वे िीस वषव तक लगातार जनसंघ के संसिीय िल के नेता
रहे । म रारजी िे साईकी सरकार में सन् १९७७ से १९७९ तक बविे श मन्त्री रहे और बविे श ं में भारत की छबव िनायी। १९८० में
जनता पाटी से असन्तु ष्ट् ह कर इन् न ं े जनता पाटी छ ड िी और भारतीय जनता पाटी की स्थापना में मिि की। ६ अप्रैल
१९८० में िनी भारतीय जनता पाटी के अध्यक्ष पि का िाबयत्व भी वाजपेयी क स प ं ा
गया। ि िार राज्यसभा के बलये भी बनवावबर्त हए। ल कतन्त्र के सजग प्रहरी अटल
[7]

बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९७ में प्रधानमन्त्री के रूप में िे श की िागड र संभाली।

पी॰ वी॰ नरबसम्हा राव

भारत के दसवें प्रधानमं त्री


काययकाल
२० जू न, १९९१ – १६ मई, १९९६

पूवयवती

र्न्द्रशेखर

परवती

अटल बिहारी वाजपेयी

जन्म

२८ जू न १९२१
करीमनगर, आं ध्र प्रिे श

मृत्यु

२३ बिसं िर २००४
बिल्ली, भारत

Nationality

भारतीय

राजनैबतक दल

भारतीय राष्ट्रीय काुँ ग्रेस (ई)

पामुलापबत वेंकट नरबसंह राव (जन्म- 28 जू न 1921, मृत्यु- 23 बिसम्बर 2004) भारत के 10 वें प्रधानमंत्री के रूप में
जाने जाते हैं । 'लाइसेंस राज' की समास्प्त और भारतीय अथवनीबत में खुलेपन उनके प्रधानमंबत्रत्व काल में ही आरम्भ
हआ।[1] ये आन्ध्रा प्रिे श के मुख्यमंत्री भी रहे । इनके प्रधानमंत्री िनने में भाग्य का िहत िडा हाथ रहा है। 29 मई 1991
क राजीव गांधीकी हत्या ह गई थी। ऐसे में सहानुभूबत की लहर के कारण कां ग्रेस क बनश्चय ही लाभ प्राप्त हआ। 1991
के आम र्ु नाव ि र्रण ं में हए थे। प्रथम र्रण के र्ुनाव राजीव गांधी की हत्या से पूवव हए थे और बद्वतीय र्रण के
र्ु नाव उनकी हत्या के िाि में। प्रथम र्रण की तुलना में बद्वतीय र्रण के र्ु नाव ं में कांग्रेस का प्रिशव न िे हतर रहा। इसका
प्रमुख कारण राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूबत की लहर थी। इस र्ु नाव में कां ग्रेस क स्पष्ट् िहमत नहीं प्राप्त
हआ ले बकन वह सिसे िडे िल के रूप में उभरी। कां ग्रेस ने 232 सीट ं पर बवजय प्राप्त की थी। बिर नरबसम्हा राव क
कां ग्रेस संसिीय िल का नेतृत्व प्रिान बकया गया। ऐसे में उन् न ं े सरकार िनाने का िावा पेश बकया। सरकार अल्पमत में
थी, ले बकन कांग्रेस ने िहमत साबित करने के लायक़ सां सि जु टा बलए और कांग्रेस सरकार ने पाुँर् वषव का अपना कायवकाल
सिलतापूववक पूणव बकया।

म रारजी िे साई
मोरारजी दे साई (29 फ़रवरी 1896 – 10 अप्रैल 1995) (गु जराती:
મમમમમમમ મમમમમમમ મમમમમ) भारत के स्वाधीनता सेनानी और िे श के छ्ठे
प्रधानमंत्री (सन् 1977 से 79) थे। वह प्रथम प्रधानमंत्री थे ज भारतीय राष्ट्रीय
कां ग्रेस के िजाय अन्य िल से थे। वही एकमात्र व्यस्क्त हैं बजन्ें भारत के
सवोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाबकस्तान के सवोच्च सम्मान बनशान-ए-पाबकस्तान से सम्माबनत बकया गया है । वह 81 वषव की
आयु में प्रधानमंत्री िने थे। इसके पूवव कई िार उन् न ं े प्रधानमंत्री िनने की क बशश की परं तु असिल रहे । ले बकन ऐसा नहीं
हैं बक म रारजी प्रधानमंत्री िनने के क़ाबिल नहीं थे। वस्तु त: वह िु भावग्यशाली रहे बक वररष्ठतम नेता ह ने के िावजूि उन्ें
पंबडत नेहरू और लालिहािु र शास्त्री के बनधन के िाि भी प्रधानमंत्री नहीं िनाया गया। म रारजी िे साई मार्व 1977 में िे श
के प्रधानमंत्री िने ले बकन प्रधानमंत्री के रूप में इनका कायवकाल पूणव नहीं ह पाया। र् धरी र्रण बसंह से मतभेि ं के र्लते
उन्ें प्रधानमंत्री पि छ डना पडा।

जीवन पररर्य[संपाबित करें ]

म रारजी िे साई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 क गु जरात के भिे ली नामक स्थान पर हआ था। उनका संिंध एक ब्राह्मण
पररवार से था। उनके बपता रणछ डजी िे साई भावनगर (स राष्ट्र) में एक स्कूल अध्यापक थे। वह अवसाि (बनराशा एवं
स्खन्नता) से ग्रस्त रहते थे, अत: उन् न
ं े कुएं में कूि कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। बपता की मृत्यु के तीसरे बिन
म रारजी िे साई की शािी हई थी। म रारजी िे साई की बशक्षा-िीक्षा मुंिई के एलबिंस्टन कॉले ज में हई ज उस समय काफ़ी
महं गा और खर्ीला माना जाता था। मुंिई में म रारजी िे साई बन:शुल्क आवास गृह में रहे ज ग कुलिास तेजपाल के नाम
से प्रबसद्ध था। एक समय में वहाुँ 40 बशक्षाथी रह सकते थे। बवद्याथी जीवन में म रारजी िे साई औसत िु स्द्ध के बववेकशील
छात्र थे। इन्ें कॉलेज की वाि-बववाि टीम का सबर्व भी िनाया गया था ले बकन स्वयं म रारजी ने मुस्िल से ही बकसी
वाि-बववाि प्रबतय बगता में बहस्सा बलया ह गा। म रारजी िे साई ने अपने कॉलेज जीवन में ही महात्मा गाुँ धी, िाल गं गाधर
बतलक और अन्य कांग्रेसी नेताओं के संभाषण ं क सुना था।

व्यावसाबयक जीवन[सं पाबित करें ]


म रारजी िे साई ने मुंिई प्र बवं शल बसबवल सबवव स हे तु आवे िन करने का मन िनाया जहाुँ सरकार द्वारा सीधी भती की जाती
थी। जु लाई 1917 में उन् न ं े यू बनवबसवटी टर े बनंग क सव में प्रबवबष्ट् पाई। यहाुँ इन्ें बब्रबटश व्यस्क्तय ं की भाुँ बत समान अबधकार
एवं सुबवधाएं प्राप्त ह ती रहीं। यहाुँ रहते हए म रारजी अफ़सर िन गए। मई 1918 में वह पररवीक्षा पर ित र उप
बजलाधीश अहमिािाि पहंर्े। उन् न ं े र्े टफ़ील्ड नामक बब्रबटश कले क्टर (बजलाधीश) के अंतगवत कायव बकया। म रारजी 11
वषों तक अपने रूखे स्वभाव के कारण बवशे ष उन्नबत नहीं प्राप्त कर सके और कले क्टर के बनजी सहायक पि तह ही
पहुँ र्े।

राजनीबतक जीवन[संपाबित करें ]


म रारजी िे साई ने 1930 में बब्रबटश सरकार की न करी छ ड िी और स्वतंत्रता संग्राम के बसपाही िन गए। 1931 में वह
गु जरात प्रिे श की कांग्रेस कमेटी के सबर्व िन गए। उन् न ं े अस्खल भारतीय युवा कां ग्रेस की शाखा स्थाबपत की और सरिार
पटे ल के बनिे श पर उसके अध्यक्ष िन गए। 1932 में म रारजी क 2 वषव की जेल भुगतनी पडी। म रारजी 1937 तक
गु जरात प्रिे श कां ग्रेस कमेटी के सबर्व रहे । इसके िाि वह िंिई राज्य के कां ग्रेस मंबत्रमंडल में सस्म्मबलत हए। इस ि रान
यह माना जाता रहा बक म रारजी िे साई के व्यस्क्ततत्त्व में जबटलताएं हैं । वह स्वयं अपनी िात क ऊपर रखते हैं और सही
मानते हैं। इस कारण ल ग इन्ें व्यं ग्य से 'सवोच्च नेता' कहा करते थे। म रारजी क ऐसा कहा जाना पसंि भी आता था।

इस्न्दरा गां धी
इन्दिरा बप्रयदबशयनी गााँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवं िर 1917-31
अक्टू िर 1984) वषव 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के बलए भारत गणराज्य
की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके िाि र् थी पारी में 1980 से ले कर 1984 में उनकी
राजनैबतक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अि तक
एकमात्र मबहला प्रधानमंत्री रहीं।

प्रारं बभक जीवन और करीअर


इस्न्दरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 क राजनीबतक रूप से प्रभावशाली नेहरू पररवार में
हआ था।[1] इनके बपता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं।
इस्न्दरा क उनका "गांधी" उपनाम बिर ज गाुँ धी से बववाह के पश्चात बमला
था।[2] इनका म हनिास करमर्ं ि गाुँ धी से न त खून का और न ही शािी के द्वारा
क ई ररश्ता था। इनके बपतामह म तीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवािी नेता थे।
इनके बपता जवाहरलाल नेहरूभारतीय स्वतं त्रता आन्द लन के एक प्रमुख व्यस्क्तत्व थे और आजाि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
रहे ।1934–35 में अपनी स्कूली बशक्षा पूरी करने के पश्चात, इस्न्दरा ने शास्न्तबनकेतन में रवीन्द्रनाथ टै ग र द्वारा बनबमवत बवश्व-भारती
बवश्वबवद्यालय में प्रवेश बलया। रवीन्द्रनाथ टै ग र ने ही इन्े "बप्रयिबशव नी" नाम बिया था। इसके पश्चात यह इं ग्लैंड र्ली गईं
और ऑक्सि डव बवश्वबवद्यालय की प्रवेश परीक्षा में िैठीं, परन्तु यह उसमे बविल रहीं और बब्रस्टल के िै डबमंटन स्कूल में कुछ
महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सिल ह ने के िाि इन् ने स मरबवल कॉले ज, ऑक्सि डव में िास्खला बलया। इस
समय के ि रान इनकी अक्सर बिर ज गाुँधी से मुलाकात ह ती थी, बजन्े यह इलाहािाि से जानती थीं और ज लं िन स्कूल
ऑि इकॉनॉबमक्स में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्व 1942 क आनंि भवन, इलाहािाि में एक बनजी आबि धमव ब्रह्म-
वै बिक समार ह में इनका बववाह बिर ज से हआ।ऑक्सि डव से वषव 1941 में भारत वापस आने के िाि वे भारतीय स्वतन्त्रता
आन्द लन में शाबमल ह गयीं।1950 के िशक में वे अपने बपता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कायवकाल के
ि रान गै रसरकारी त र पर एक बनजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने बपता की मृत्यु के िाि सन् 1964 में
उनकी बनयु स्क्त एक राज्यसभा सिस्य के रूप में हई। इसके िाि वे लालिहािु र शास्त्री के मंबत्रमंडल में सूर्ना और प्रसारण
मत्री िनीं।[3]लालिहािु र शास्त्री के आकस्िक बनधन के िाि तत्कालीन काुँ ग्रेस पाटी अध्यक्ष के. कामराजइं बिरा गां धी क
प्रधानमंत्री िनाने में बनणाव यक रहे । गाुँधी ने शीघ्र ही र्ु नाव जीतने के साथ-साथ जनबप्रयता के माध्यम से बवर बधय ं के ऊपर
हावी ह ने की य ग्यता िशाव यी। वह अबधक िामवगी आबथवक नीबतयाुँ लायीं और कृबष उत्पािकता क िढावा बिया। 1971 के
भारत-पाक यु द्ध में एक बनणाव यक जीत के िाि की अवबध में अस्स्थरता की स्स्थती में उन् न ं े सन् 1975 में आपातकाललागू
बकया। उन् न ं े एवं काुँ ग्रेस पाटी ने 1977 के आम र्ु नाव में पहली िार हार का सामना बकया। सन् 1980 में सत्ता में
ल टने के िाि वह अबधकतर पंजाि के अलगाववाबिय ं के साथ िढते हए द्वं द्व में उलझी रहीं बजसमे आगे र्लकर सन् 1984
में अपने ही अंगरक्षक ं द्वारा उनकी राजनैबतक हत्या हई।

प्रारस्म्भक जीवन
इस्न्दरा का जन्म 19 नवंिर, सन् 1917 में पंबडत जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू के यहाुँ हआ। वे उनकी
एकमात्र संतान थीं। नेहरू पररवार अपने पुरख ं का ख ज ं जम्मू और कश्मीर तथा बिल्ली केब्राह्मण ं में कर सकते हैं । इं बिरा के
बपतामह म तीलाल नेहरू उत्तर प्रिे शके इलाहािाि से एक धनी िै ररस्टर थे। जवाहरलाल नेहरू पूवव समय में भारतीय राष्ट्रीय
कां ग्रेसके िहत प्रमुख सिस्य ं में से थे। उनके बपता म तीलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक ल कबप्रय नेता रहे ।
इं बिरा के जन्म के समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवे श स्वतन्त्रता आन्द लन में हआ।

जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू (नवं िर १४, १८८९ - मई २७, १९६४) भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे
और स्वतन्त्रता के पूवव और पश्चात् की भारतीय राजनीबत में केन्द्रीय व्यस्क्तत्व
थे। महात्मा गां धी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्द लन के सवोच्च नेता के
रूप में उभरे और उन् न ं े १९४७ में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना
से ले कर १९६४ तक अपने बनधन तक, भारत का शासन बकया। वे आधु बनक
भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवािी, धमवबनरपेक्ष, और ल कतास्न्त्रक गणतन्त्र -
के वास्तुकार मानें जाते हैं । कश्मीरी पस्ित समुिाय के साथ उनके मूल की वजह
से वे पन्दित नेहरू भी िु लाएुँ जाते थे, जिबक भारतीय िच्चे उन्ें चाचा नेहरू के
रूप में जानते हैं ।[1][2]स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पि सुँभालने के बलए
कां ग्रेस द्वारा नेहरू बनवावबर्त हएुँ , यद्यबप नेतृत्व का प्रश्न िहत पहले 1941 में ही
सुलझ र्ु का था, जि गांधीजी ने नेहरू क उनके राजनीबतक वाररस और
उत्तराबधकारी के रूप में अबभस्वीकार बकया। प्रधानमन्त्री के रूप में, वे भारत के
सपने क साकार करने के बलए र्ल पडे । भारत का संबवधान 1950 में अबधबनयबमत
हआ, बजसके िाि उन् न ं े आबथवक, सामाबजक और राजनीबतक सुधार ं के एक
महत्त्वाकां क्षी य जना की शु रुआत की। मुख्यतः, एक िहवर्नी, िह-िलीय ल कतन्त्र
क प बषत करते हएुँ , उन् न ं े भारत के एक उपबनवे श से गणराज्य में पररवतव न ह ने
का पयववेक्षण बकया। बविे श नीबत में, भारत क िबक्षण एबशया में एक क्षेत्रीय नायक
के रूप में प्रिबशवत करते हएुँ , उन् न ं े गै र-बनरपेक्ष आन्द लन में एक अग्रणी भूबमका
बनभाई।नेहरू के नेतृत्व में, कां ग्रेस राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय र्ु नाव ं में प्रभुत्व बिखाते हएुँ और 1951, 1957, और 1962 के
लगातार र्ु नाव जीतते हएुँ , एक सवव-ग्रहण पाटी के रूप में उभरी। उनके अस्न्तम वषों में राजनीबतक मुसीित ं और 1962
के र्ीनी-भारत यु द्ध में उनके नेतृत्व की असिलता के िावजू ि, वे भारत के ल ग ं के िीर् ल कबप्रय िने रहें । भारत में,
उनका जन्मबिन िाल बिवस के रूप में मनाया जाता हैं ।

जीवन
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 क बब्रबटश भारत में इलाहािाि में हआ। उनके बपता, म तीलाल नेहरू (1861–
1931), एक धनी िैररस्टर ज कश्मीरी पस्ित समुिाय से थे, [3]स्वतन्त्रता संग्राम के ि रान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ि
िार अध्यक्ष र्ु ने गए। उनकी माता स्वरूपरानी थुस्सू (1868–1938), ज लाह र में िसे एक सुपररबर्त कश्मीरी ब्राह्मण पररवार
से थी,[4] म तीलाल की िू सरी पत्नी थी व पहली पत्नी की प्रसव के ि रान मृत्यु ह गई थी। जवाहरलाल तीन िच्च ं में से
सिसे िडे थे, बजनमें िाकी ि लडबकयाुँ थी। [5] िडी िहन, बवजया लक्ष्मी, िाि में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली मबहला
अध्यक्ष िनी।[6] सिसे छ टी िहन, कृष्णा हठीबसंग, एक उल्लेखनीय ले स्खका िनी और उन् न ं े अपने पररवार-जन ं से संिंबधत
कई पुस्तकें बलखीं।जवाहरलाल नेहरू ने िु बनया के कुछ िे हतरीन स्कूल ं और बवश्वबवद्यालय ं में बशक्षा प्राप्त की थी। उन् न ं े
अपनी स्कूली बशक्षा है र से और कॉलेज की बशक्षा बटर बनटी कॉलेज, कैस्िज (लं िन) से पूरी की थी। इसके िाि उन् न ं े
अपनी लॉ की बडग्री कैस्िज बवश्वबवद्यालय से पूरी की। इं ग्लैंड में उन् न
ं े सात साल व्यतीत बकए बजसमें वहां के िैबियन
समाजवाि और आयररश राष्ट्रवाि के बलए एक तकवसंगत दृबष्ट्क ण बवकबसत बकया।जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत ल टे
और वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शािी कमला नेहरू से हई। 1917 में जवाहर लाल नेहरू ह म रुल लीग में शाबमल
ह गए। राजनीबत में उनकी असली िीक्षा ि साल िाि 1919 में हई जि वे महात्मा गांधी के संपकव में आए। उस समय
महात्मा गां धी ने रॉले ट अबधबनयम के स्खलाि एक अबभयान शुरू बकया था। नेहरू, महात्मा गां धी के सबिय लेबकन
शां बतपूणव, सबवनय अवज्ञा आं ि लन के प्रबत खासे आकबषवत हए।नेहरू ने महात्मा गां धी के उपिे श ं के अनुसार अपने पररवार
क भी ढाल बलया। जवाहरलाल और म तीलाल नेहरू ने पबश्चमी कपड ं और महं गी संपबत्त का त्याग कर बिया।

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