मदद पे जसक ह वह बैठे तारते एक दम दोनो ह. 2. श ु ह जब बढ़ते जाब ज़हर रं ग शिन बढ़ते ह 3. शुकर ब चा वह कभी न मारे साँप*अ दो ब चे मारते ह 4. गु के घर कभी बुरा न करता न ह पाप खुद करता है 5. पाप कया जो राहु केतु फैसला धरम से करता है 6. नर ह हो जब साथ अकेला ज़हर शिन नह ं होता है 7. नर ह होव दो से यादा काबू शिन हो जाता है 8. तीन गुणा घर पहले म दा 2 गुणा म दा तीसरे है 9. एक गुणा घर ठे म म दा पर म दा नह ं सदा ह है 10. अब छ ंक और बाल जसम के हाथ दखावा होता है 11. टक टक करते बोलना उसका फैसला कुन शिन होता है 12. 13. 14. 15.
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*अ शिन खुद और मसनुइ सिनचर इक ठे (शुकर बृह पित (केतु सुभाव) मंगल बुध ( राहू या म दा सुभाव) सफ़ा 155 शिन – दे वता, ज़ाहर पीर .......
9-7 व घर 12 बैठा कलम वधाता होता है 1.
खाली कागज़ हो घर 10 व का छठे याह होता है 2. घर 11 मे िलखे वधाता ज म ब चे का होता है 3. क मत का हो हर दम राखा याह पाप क धोता है 4. सिनचर का म दा फल दये हए ु खान का उस व त 5. ह नेक होगा, जब वह राहू केतू के अपने दाय बाय 6.
होने के असूल पर नेक सुभाव हो जावे बा-मौज़ब 7.
वषफल 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15.
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